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- भोपाल : मध्य प्रदेश में आज सुबह एक बड़ा हादसा हो गया। सीधी में 54 यात्रियों से भरी बस नहर में गिर गई। नहर से अबतक सात लोगों को बचाया गया है।
प्रदेश मंत्री तुलसी सिलावट ने हादसे में 38 लोगों की मौत की पुष्टी की है। बाकी बचाव कार्य जारी है। ये हादसा रीवा-सीधी बॉर्डर के पास छुहियाघाटी में हुआ।
बाणसागर परियोजना की ये नहर है, जिसमें बस गिरी है। नहर से निकाले लोगों की पहचान अभी नहीं हुई है। बाकी यात्रियों की तलाश जारी है। एक टीम मौके पर मौजूद है, ऑपरेशन चल रहा है।
जिस समय यह हादसा हुआ उस वक्त बस सीधी से सतना जा रही थी। बताया जा रहा कि ड्राइवर के बस से नियंत्रण खोने पर यह हादसा हुआ।
रिपोर्ट की मानें तो नहर इतनी गहरी है कि बस पूरी तरह उसमें डूब गई है। क्रेन के जरिए बस को बाहर निकालने की कोशिश की जारी है। बाणसागर डैम से निकलने वाले पानी को बंद करा दिया गया है। ताकी बस को तेज बहाव से रोका जा सके।
बताया गया है कि बस में बघवार, चोरगढ़ी समेत आसपास के भी यात्री सवार थे। बस हादसे को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सीधी कलेक्टर से बातचीत की है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नहर काफी गहरी है। हमने तत्काल बांध से पानी बंद करवाया और राहत और बचाव दलों को रवाना किया। कलेक्टर, एसपी और एसडीआरपीफ (SDRF) की टीम वहां पहुंच गई है। बस निकालने के प्रयास हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राहत और बचाव कार्य करने वाली टीम से वह लगातार संपर्क में बने हुए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस हादसे में 7 लोगों को बचाया जा चुका है।
1 लाख 10 हजार घरों में गृह प्रवेश का कार्यक्रम रुका
बता दें कि आज प्रदेश में 1 लाख 10 हजार घरों में गृह प्रवेश का कार्यक्रम सम्पन्न होने वाला था, जिसे इस हादसे के चलते कैंसल कर दिया गया है। मुख्यंमंत्री ने कहा कि उन्हें सुबह 8 बजे ही इस हादसे की सूचना मिली कि सीधी जिले के बाणसागर नहर में यात्रियों से भरी एक बस नहर में गिर गई है। इसलिए यह कार्यक्रम करना उचित नहीं होगा।
तुलसी सिलावट ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया
मध्य प्रदेश के मंत्री तुलसी सिलावट ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताया है। उन्होंने कहा कि इस दुखद घटना ने पूरे प्रदेश के दिल और दिमाग को झकझोर कर रख दिया है। मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री सुबह से ही हादसे की मिनट टू मिनट डिटेल ले रहे हैं। आगे उन्होंने कहा मुख्यमंत्री के निर्देश अनुसार, हम सीधी जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि संबंधित अधिकारियों से बातचीत करने के बाद तो पता चला है कि लगभग 38 शव वहां मिल चुके हैं।
इस हादसे के बाद पास के ग्रामीण और अन्य लोग बस में फंसे लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं। मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठे हो गए हैं। घटना की जानकारी मिलते ही बस में सवार लोगों के स्वजन भी मौके पर पहुंच रहे हैं। -
नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी से एक वर्ष से अधिक समय से जूझ रही दुनिया के लिए भारत एक फरिश्ते की तरह सामने आया है। भारत ने इस महामारी पर न सिर्फ अपने यहां पर काबू पाने में सफलता हासिल की है बल्कि दुनिया को इससे उबारने में वो एक कारगर भूमिका निभा रहा है।
ये भूमिका भारत दो तरह से अदा कर रहा है। इसका पहला जरिया बना है भारत की बनाई वैक्सीन को दूसरे देशों को भेजना तो दूसरा जरिया बना है विश्व स्वास्थ्य संगठन के कोवैक्स योजना में सार्थक रूप से सहयोग देना।
भारत अब तक मदद और कमर्शियल रूप से वैक्सीन की करीब 2.30 करोड़ खुराक दुनिया के 20 देशों को मुहैया करवा चुका है। आने वाले समय में भारत अफ्रीका और लेटिन अमेरिकी देशों को और वैक्सीन की खुराक उपलब्ध करवाएगा। इसको दुनिया भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी के नाम से जान रही है।
पाकिस्तान नहीं भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी का हिस्सा
बहरहाल, भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी की बात करें तो इसमें पाकिस्तान को छोड़कर भारत के सभी पड़ोसी देश शामिल हैं। पाकिस्तान को उसकी कारगुजारियों के चलते इसमें शामिल नहीं किया गया है। साथ ही पाकिस्तान की तरफ से भी भारतीय वैक्सीन को हासिल करने की कोई आधिकारिक पहल नहीं की गई है।
इसके अलावा भारत ने अपनी वैक्सीन को अब तक नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, फिलीपींस, इंडोनेशिया, ब्राजील भेजी है। ब्राजील के राष्ट्रपति ने तो वैक्सीन मिलने के बाद एक यादगार ट्वीट भी किया था जिसमें भगवान हनुमान को जड़ीबूटी लाते हुए दिखाया गया था।
इसमें भारत को वैक्सीन भेजने के लिए धन्यवाद कहा गया था। आपको बता दें कि डब्ल्यूएचओ ने कोवैक्स को 145 देशों को भेजने की घोषणा की है। इनमें अधिकतर वो देश हैं जो आर्थिक रूप से गरीब हैं और जो वैक्सीन का खर्च अकले नहीं उठा सकते हैं। इनमें पाकिस्तान भी शामिल है। पाकिस्तान भी कोवैक्स के मिलने का इंतजार कर रहा है।
भारत करता रहेगा आगे भी मदद
गौरतलब है कि भारत ने 21 जनवरी को वैक्सीन मैत्री के तहत कोरोना महामारी की वैक्सीन अन्य देशों में पहुंचाने की पहल की थी। इनमें वो देश शामिल थे जो छोटे और गरीब थे, जैसे डोमनिक रिपब्लिक। भारत ने ऐसे देशों को ये मदद मुफ्त मुहैया करवाई थी। भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से ये बात बेहद साफ कही गई है कि भारत आने वाले समय में भी पूरी दुनिया की मदद इस संबंध में करता रहेगा।
भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक अन्य देशों को वैक्सीन की कुल खुराक में से करीब 60 लाख से अधिक (6.47 मिलियन) खुराक मदद के तौर पर जबकि 1 करोड़ 60 से कुछ अधिक (16.5 मिलियन) खुराक कमर्शियल तौर पर मुहैया करवाई गई है।
पड़ोसी देशों को प्राथमिकता
भारत ने वैक्सीन डिप्लोमेसी में पड़ोसियों को सबसे अधिक प्राथमिकता (Neighbourhood First Policy) दी और उन्हें ये वैक्सीन मुहैया करवाई। सीरम इंस्टिट्यूट की बनाईकोविडशील्ड वैक्सीन अब तक लाखों लोगों उम्मीद बनकर विदेशों में पहुंच चुकी है। वहीं चीन की कंपनी सिनोफॉर्म की बात करें तो इसको ड्रैगन ने अब तक केवल पाकिस्तान और नेपाल को ही मुहैया करवाया है।
पाकिस्तान को तो इस वैक्सीन को लाने के लिए अपना विमान वहां पर भेजना पड़ा था, क्योंकि चीन ने अपने विमान से वैक्सीन भेजने से साफ इनकार कर दिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया है कि भारत आने वाले दिनों में चरणबद्ध तरीके से वैक्सीन की और अधिक खुराक अफ्रीका, लेटिन अमेरिका, केरिकॉक (CARICOM), पेसेफिक आइसलैंड को मुहैया करवाएगा।
इन देशों को भेजी गई वैक्सीन की खुराक
भारतीय विदेश मंत्रालय के मुताबिक अब तक बांग्लादेश को को 20 लाख, म्यांमार को 10.7 लाख, नेपाल को 10 लाख, भूटान को डेढ लाख, मॉरिशस को एक लाख, सिशेल्स को 50 हजार, श्रीलंका को 5 लाख, बहरीन को 1 लाख, ओमान को 1 लाख, अफगानिस्तान को 5 लाख, बारबाडोज को 1 लाख और डोमनिक रिपब्लिक को 70 हजार वैक्सीन की खुराक मुहैया करवाई जा चुकी है।
कमर्शियल तौर पर ब्राजील को करीब 20 लाख, मोरक्को को 60 लाख, बांग्लादेश को 50 लाख, म्यांमार को 20 लाख, मिस्र को 50 हजार, अल्जीरिया को 50 हजार, दक्षिण अफ्रीका को दस लाख, कुवैत को 2 लाख और यूएई को भी इतनी की खुराक मुहैया करवाई गई हैं।
भारत से मांगी थी मदद
आपको बता दें कि भारत ने जिन देशों को कोरोना वैक्सीन की खुराक मुहैया करवाई हैं वो या तो भारत की प्राथमिकता का हिस्सा थे या फिर उन्होंने भारत से इसके लिए अपील की थी। हाल ही में कनाडा ने भी भारत से कोरोना वैक्सीन की खुराक मांगी है। हालांकि विदेश मंत्रालय ने इस बारे में अब तक कुछ साफ नहीं किया है कि ये वैक्सीन अब तक वहां भेजी गई हैं या नहीं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि देश में वैक्सीन की उपलब्धता और नेशनल वैक्सीन प्रोग्राम के मद्देनजर की इस पर कोई फैसला लिया जाएगा। - कोरोना वैक्सीन दूसरी खुराक : सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 8 लाख से अधिक लाभार्थियों के साथ, उत्तर प्रदेश टीकाकरण अभियान में सबसे ऊपर है. इसके बाद महाराष्ट्र (6,33,519) और गुजरात (6,61,508) का स्थान है.
नई दिल्ली : कोविड वैक्सीन (Covid-19 Vaccine) की दूसरी खुराक आज उन लोगों को दी जाएगी, जिन्होंने 16 जनवरी को देशव्यापी टीकाकरण शुरुआत के पहले दिन टीका लगवाया था. पहले चरण में टीका लगवाने वालों में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और नीति आयोग के सदस्य वीवी पॉल भी शामिल थे. इन दोनों को भी आज टीके की दूसरी खुराक दिए जाने की उम्मीद है. 28 दिन पर कोविड वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने की जरूरत होती है.
सरकार के मुताबिक, शुक्रवार तक देशभर में कुल 77 लाख हेल्थ वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके की पहली खुराक दी जा चुकी है. इनमें से 97 फीसदी लोग टीकाकरण से संतुष्ट हैं. सरकार ने 19 जुलाई 2021 तक 30 करोड़ लोगों को कोविड-19 का टीका लगाने का लक्ष्य रखा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में मात्र 26 दिनों में 70 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है, जबकि इतने ही लोगों को टीका लगाने में अमेरिका को 27 दिन और ब्रिटेन को 48 दिन लगे हैं.
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 8 लाख से अधिक लाभार्थियों के साथ, उत्तर प्रदेश टीकाकरण अभियान में सबसे ऊपर है. इसके बाद महाराष्ट्र (6,33,519) और गुजरात (6,61,508) का स्थान है.
सरकार की तरफ से कहा गया है, "13 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में पंजीकृत स्वास्थ्य कर्मचारियों (एचसीडब्ल्यू) के 65 प्रतिशत से अधिक को टीका लगाया जा चुका है. बिहार में 79 फीसदी से ज्यादा पंजीकृत स्वास्थ्य सेवा श्रमिकों को टीका लगाया जा चुका है." - उत्तराखंड : चमोली जिले के तपोवन में एनटीपीसी के निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में फंसे 34 व्यक्तियों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन सातवें दिन भी जारी है। इससे पहले छठे दिन कुछ हद तक टीम को कामयाबी हासिल हुई।
मुख्य टनल के नीचे 12 मीटर गहराई पर स्थित सिल्ट फ्लशिंग टनल (एसएफटी) तक ड्रिलिंग कर दी गई है। हालांकि, इस मशक्कत के दौरान ड्रिलिंग मशीन की बिट (ड्रिल का अगला हिस्सा) टूटने से रेस्क्यू में बाधा आई।
अब तक 38 शव और 18 मानव अंग बरामद
चमोली के रेणी और तपोवन क्षेत्र में आई आपदा में सभी तक कुल 38 शव और 18 मानव अंग अलग-अलग स्थानों से बरामद किए गए हैं, जिसमें जनपद चमोली में 30 शव और 18 मानव अंग, जनपद रुद्रप्रयाग में छह शव, जनपद पौड़ी में एक शव और जनपद टिहरी गढ़वाल में एक शव बरामद किए गए हैं।
बरामद 12 शवों और एक मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है। जिन शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है उन सभी का डीएनए संरक्षित किए गए हैं। कोतवाली जोशीमठ पर अभी तक 14 व्यक्तियों की गुमशुदगी दर्ज की जा चुकी है और 41 परिजनों के डीएनए संरक्षित किए जा चुके हैं। शवों को नियमानुसार डिस्पोजल करने के लिए गठित कमेटी द्वारा नियमानुसार 72 घंटे के बाद शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।
चमोली में अब तक कुल 38 शव बरामद (12 की पहचान और 26 अज्ञात)- जिला मजिस्ट्रेट चमोलीआपको बता दें कि सात फरवरी को आपदा के चलते ऋषिगंगा और धौली गंगा में उफान आ गया था। आपदा में लापता हुए 204 व्यक्तियों में से 38 के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 166 अब भी लापता हैं। नेवी कमांडो, एसडीआरएफ, पुलिस रैणी से श्रीनगर डैम तक सर्च आपरेशन लगातार जारी है। इसके साथ ही तपोवन-विष्णुगाड हाइड्रो प्रोजेक्ट की टनल में भी राहत-बचाव कार्य जारी है। उन्हें बचाने के लिए कई विकल्पों पर एक साथ काम किया जा रहा है। - रक्षा मंत्रालय के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा (line of actual control) भारत के मुताबिक फिंगर 8 तक है, न कि फिंगर 4 तक. यही वजह है कि भारत हमेशा फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने की अपनी मांग दोहराता रहा है और यही चीन के साथ समझौता भी हुआ है.
नई दिल्ली: चीन को भारत की जमीन सौंपने के कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आरोपों पर रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर शुक्रवार को सफाई दी है. रक्षा मंत्रालय (Defense Ministry) के मुताबिक, यह कहना बिल्कुल सही नहीं है कि भारतीय क्षेत्र फिंगर 4 (Finger 4) तक है. भारत के मानचित्र में भारत का इलाका उसको भी दर्शाता है, जो चीन के कब्जे में है और जो लगभग 43,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual control) भारत के मुताबिक फिंगर 8 तक है, न कि फिंगर 4 तक. यही वजह है कि भारत हमेशा फिंगर 8 तक पेट्रोलिंग करने की अपनी मांग दोहराता रहा है और यही चीन के साथ समझौता भी हुआ है.रक्षा मंत्रालय ने कहा कि हॉट स्प्रिंग गोगरा (Hot Springs Gogra) और देपसांग वैली (Depsang Valley) में भी जो विवाद है, उसे भी सुलझा लिया जाएगा. पैंगोंग (Pangong TSo) में सैनिकों की वापसी के 48 घंटे बाद इन क्षेत्रों भी पूर्व की स्थिति बहाल करने को लेकर बात शुरू की जाएगी.
गौरतलब है कि राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय क्षेत्र को चीन को क्यों दिया? इसका जवाब उन्हें और रक्षा मंत्री को देना चाहिए. क्यों सेना को कैलाश रेंज से पीछे हटने को कहा गया है? देपसांग प्लेन चीन वापस क्यों नहीं मांगा गया? हमारी जमीन फिंगर-4 तक है. पीएम मोदी ने फिंगर-3 से फिंगर-4 की जमीन चीन को दे दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चीन के खिलाफ खड़े नहीं हो सकते. वे हमारी सेना के जवानों के बलिदान का अपमान कर रहे हैं. भारत में किसी को भी ऐसा करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए प्रधानमंत्री इस पर क्यों नहीं बोल रहे हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को संसद में कहा था कि भारत और चीन पैंगोंग सो झील के उत्तरी और दक्षिण किनारे से सैन्य वापसी पर सहमत हुए हैं. चीन के रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को कहा था कि दोनों देशों के अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक पीछे झील के किनारों से हटना शुरू हो गए हैं. दोनों देशों के बीच सीमा पर गतिरोध अप्रैल में शुरू हुआ था, जब भारत ने कहा था कि चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के काफी अंदर तक घुस आए थे. -
'नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का राज्यसभा में बतौर सांसद कार्यकाल समाप्त हो रहा है। गुलाम नबी आजाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता भी हैं, ऐसे में आजाद के कार्यकाल की समाप्ति के बाद कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया जाएगा।
कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के चेयरमैन को मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम बतौर विपक्ष के नेता के तौर पर दे दिया गया है। बता दें कि गुलाम नबी आजाद समेत चार राज्यसभा के सांसदों का कार्यकाल मंगलवार को खत्म हो रहा है। ऐसे में मल्किलार्जुन खड़गे गुलाम नबी आजाद की जगह राज्यसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका संभालेंगे।
बता दें कि गुलाम नबी आजाद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भावुक विदाई देते हुए उनके साथ साझा किए गए कुछ खास पलों का जिक्र किया। गुलाम नबी आजाद के साथ अपने अनुभवों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भावुक हो गए थे और अपने आंसू नहीं रोक पाए थे।
पीएम ने कहा कि गुलाम नबी आजाद की जगह को भर पाना काफी मुश्किल होगा क्योंकि वो ना सिर्फ अपने दल के बारे में सोचते थे बल्कि देश और राज्यसभा के बारे में भी सोचते थे।गौरतलब है कि गुलाम नबी आजाद के साथ पीडीपी सांसद नजीर अहमद लावे का राज्यसभा का कार्यकाल 15 फरवरी को खत्म हो रहा है। जबकि भाजपा सांसद शमशेर सिंह मन्हास और मीर मोहम्मद फयाज का कार्यकाल 10 फरवरी को खत्म हो गया है। - भारत सरकार के ट्विटर के साथ चल रहे विवाद के बीच आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को कहा कि भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को दोहरे मानक की अनुमति नहीं दी जाएगी। मंत्री ने प्रश्नकाल के दौरान जवाब में कहा, "यह ट्विटर हो, फेसबुक हो, लिंक्डइन हो या व्हाट्सएप हो, अगर ये प्लेटफॉर्म ऐसा कुछ करेंगे तो कार्रवाई की जाएगी।"
बता दें कि 26 जनवरी को राजधानी में हुई हिंसा को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को सरकार ने कहा था कि खालीस्तानी और पाकिस्तान की ओर से समर्थित भारत के खिलाफ चल रहे ट्विटर अकाउंट्स को बंद किया जाए।इस मामले में आदेश का पालन न करने पर आईटी एक्ट के सेक्शन 69ए (3) के तहत कार्रवाई भुगतने की चेतावनी देने की भी बात सरकार ने कही थी। इसी ममले पर बोलते हुए आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सभी मीडिया प्लेटफॉर्म को भारत सरकार के कड़े रूख से परिचित करा दिया है।
मंत्री ने कहा, "भारत में काम करें। आपके यहां लाखों फॉलोवर्स हैं। पैसा कमाएं लेकिन आपको भारतीय कानूनों और संविधान का पालन करना होगा।"
उन्होंने कहा, "हमने अब ट्विटर को हरी झंडी दे दी है। हमारे विभाग ट्विटर के साथ बातचीत में है। इसलिए मैं इस मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं और सदन में यह सवाल उठाना चाहता हूं कि यह मुद्दा क्या है कि जब यूएस कैपिटल हिल में हिंसा हुई तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पुलिस जांच के साथ खड़े रहे लेकिन, जब लाल किले पर हिॆसा हुई तो वही प्लेटफॉर्म भारत सरकार के खिलाफ चले जाते हैं। लाल किला हमारे गौरव का प्रतीक है। हम इस दोहरे मापदंड की अनुमति नहीं देंगे। यह क्या है? आप नरसंहार ट्रेंड कर रहे हैं?"
मंत्री ने कहा, "हम सोशल मीडिया का बहुत सम्मान करते हैं। इसने आम लोगों को सशक्त बनाया है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम में सोशल मीडिया की बड़ी भूमिका है। हालांकि, अगर फर्जी खबरें फैलाने के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किया जाता है, तो कार्रवाई की जाएगी।" - महाराष्ट्र सरकार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को विमान के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी है. लगभग आधे घंटे तक राज्यपाल ने इंतजार किया, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
मुंबई : महाराष्ट्र की महा विकास अघाड़ी सरकार और राज्य के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच मनमुटाव का ताजा मामला सामने आया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अंतर्गत आने वाले सामान्य प्रशासन विभाग ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को विमान के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी. लगभग आधे घंटे तक राज्यपाल सामान्य प्रशासन विभाग के संपर्क में थे, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. सूत्रों से जानकारी मिली है कि प्राइवेट विमान का इस्तेमाल कर राज्यपाल उत्तराखंड जाने वाले हैं.
क्या है पूरा मामला
महाराष्ट्र सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव कोई नहीं बात नहीं है. आज टकराव का नया मामला सामने आया है. दरअसल, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड जाना चाहते थे. इसके वह एयरपोर्ट पहुंचे और वहां सरकारी विमान में जाकर बैठ गए. लेकिन उन्हें कोई सूचना ही नहीं मिली. उन्हें विमान को इजाजत नहीं दी गई. ये इजाजत मुख्यमंत्री के अंतगर्त आने वाले सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दी जाती है. लेकिन विभाग की ओर कोई जानकारी नहीं दी गई. इसके बाद भगत सिंह कोश्यारी विमान से उतरे और वीआईपी जोन में जाकर बैठ गए.
भगत सिंह कोश्यारी करीब आधे घंटे तक वीआईपी जोन में बैठे रहे. फिर उन्होंने निर्णय लिया कि वह सरकारी विमान का इस्तेमाल नहीं करेंगे. वह प्राइवेट विमान का इस्तेमाल करेंगे. सूत्रों से जानकारी मिली है कि दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर स्पाइजेट के विमान से देहरादून के लिए उड़ान भरेंगे. आखिरकार भगत सिंह कोश्यारी मुंबई से देहरादून के लिए रवाना होंगे. -
अरपा महोत्सव को मिलेगी और भव्यता
डाॅ. भंवरसिंह पोर्ते महाविद्यालय और शासकीय स्कूल में डॉ. भंवरसिंह पोर्ते की प्रतिमा लगाने की घोषणा
छत्तीसगढ़ ने धान खरीदी का बनाया नया रिकार्ड
राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त किसानों को 31 मार्च के पहले
पण्डित माधवराव सप्रे के 100 वर्ष पुराने लेखों के संग्रह की पुस्तिका का विमोचन
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि अरपा महोत्सव से गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले की नई पहचान बनेगी। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव की नींव जिस खूबसूरती के साथ रखी गई है, उससे आने वाले समय में इसके स्वरूप में विस्तार होगा और भव्यता आएगी।
श्री बघेल आज गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के स्थापना के प्रथम वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित अरपा महोत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर डाॅ. भंवरसिंह पोर्ते की स्मृति में स्थापित महाविद्यालय और स्कूल में प्रतिमा लगाए जाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर जिलेवासियों को 20 करोड़ रूपए से अधिक के विकास कार्यो का लोकार्पण और शिलान्यास कर जिले को विकास कार्यों की सौगात भी दी।
मुख्यमंत्री ने पेन्ड्रा में आयोजित दो दिवसीय अरपा महोत्सव के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही को छत्तीसगढ़ बनते ही जिला बन जाना चाहिए था लेकिन इसकी उपेक्षा की गई।राज्य में नई सरकार के बनते ही वर्ष 2020 में क्षेत्र के लोगों का नए जिले का सपना पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि जिला बनते ही इस क्षेत्र केे विकास को गति मिली है। इस जिले को पूरी ताकत से विकसित करेंगे।साथ ही जिले को पर्यटन जिले के रूप में भी विकसित करने की कोशिश की जाएगी। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. चरण दास महंत, राजस्व और गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के प्रभारी मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल, संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह, विधायक सर्व श्री डाॅ. के.के.ध्रुव, श्री शैलेष पाण्डेय और श्री मोहित केरकेट्टा, मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा सहित पंचायती राज और नगरीय संस्थाओं के जनप्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने अरपा महोत्सव और जिले की पहली वर्षगांठ की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महोत्सव में काफी कुछ नयापन देखने को मिल रहा है।महोत्सव में छत्तीसगढ़ के साथ ही इस जिले की गौरवशाली संस्कृति की झलक यहां देखने को मिल रही है। यहां हमारी संस्कृति के प्राचीन स्वरूप को नए ढंग से प्रस्तुत किया गया है जिससे लोगों में गर्व की अनुभूति हो रही है।उन्होंने कहा कि गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही की धरती बड़ी पवित्र है। इस धरती से गंगा, नर्मदा, सोन, और महानदी नदियों में जल जाता है। हमारे राजगीत का पहला शब्द ही अरपा है, इससे इस पूरे क्षेत्र का महत्व प्रदर्शित होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर पेण्ड्रा में अपनी पत्नी के इलाज के लिए डेढ़ साल रूके थे। निस्संदेह उनकी रचनाओं पर यहां के प्राकृतिक वातावरण का असर पड़ा होगा। उन्होंने यहां के जनजीवन पर आधारित रचनाएं की होंगी। उन रचनाओं को ढूंढ कर महोत्सव में पाठ किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के पुरोधा पंडित माधवराव सप्रे की स्मृति को चिरस्थाई बनाए रखने के लिए आज यहां उनके नाम पर 50 लाख रूपए की लागत से प्रेस क्लब भवन का शिलान्यास हुआ है।उद्यानिकी कालेज स्व.श्री बिसाहू दास महंत के नाम पर शुरू करने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। जिले के विकास को गति देने के लिए पिछले प्रवास के दौरान भी अनेक कार्यों का शुभारंभ किया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का नया रिकार्ड बना है। किसानों से 93 लाख मीटरिक धान की खरीदी की गई है। किसानों के खाते में जितना पैसा गया उतना आज तक नहीं गया है।20 लाख 58 हजार किसानों से धान की खरीदी की गई है। किसानों के खाते में 17322 करोड़ रूपए की राशि गयी है। किसानों को धान का वाजिब मूल्य मिलने पर खेती किसानी के प्रति रूझान बढ़ा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट काल में किसानों को राहत देने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को चार किश्तों में 5750 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा रहा है। इस योजना की तीन किश्ते दे चुके हैं।चौथी किश्त 31 मार्च के पहले किसानों के खाते में जमा करा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम के तहत 13 दिसंबर 2005 तक काबिज तथा तीन पीढ़ियों से निवासरत वनवासियों और परम्परागत निवासियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक वनाधिकार पट्टा देने का काम किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि सामुदायिक वन अधिकार के तहत जंगलों की रखवाली तथा लघुवनोपज के स्वामित्व का अधिकार देने के काम प्रथमिकता से किए जाए। इस कार्य में किसी प्रकार की कोताही नहीं होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने पण्डित माधवराव सप्रे के 100 वर्ष पुराने लेखों के संग्रह की पुस्तिका का विमोचन किया और जिले के स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रदेशवासियों को गौरेला-पेंड्रा- मरवाही जिले के गठन की प्रथम वर्षगांठ पर बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यहां के लोग जिले के विकास और यहां की संस्कृति के संरक्षण के लिए पूरे उत्साह के साथ जुटे हैं । उन्होंने सभी लोगों से नवा छत्तीसगढ़ गढ़ने का आव्हान करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति की खुशबू भारत में ही नहीं विदेशों में भी फैले। उन्होंने कहा कि इस जिले से अरपा की धारा बहती है वैसे ही प्रेम और सौहार्द्र की धारा भी बहनी चाहिए।
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के प्रभारी मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि जनसुविधा को देखते हुए वर्तमान में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले का मुख्यालय जहां संचालित है वही इसका मुख्यालय बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अरपा महोत्सव का आयोजन हर वर्ष किया जाएगा।
मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा ने कहा कि इस क्षेत्र में अनेक महापुरुषों ने जन्म लिया। उन्होंने इस क्षेत्र से जुड़े अपने संस्मरणों को भी याद किया।उन्होंने कहा कि क्षेत्र के जंगलों के पुराने वैभव को एक बार फिर से पुनर्जीवित करना होगा। विष्णु भोग चावल की खुशबू को एक बार फिर क्षेत्र की पहचान से जोड़ना होगा। जिले की कलेक्टर सुश्री नम्रता गांधी ने अरपा महोत्सव का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर जिला पंचायत बिलासपुर अध्यक्ष श्री अरुण सिंह चौहान, उपाध्यक्ष श्रीमती हेमकुंवर श्याम, नगर पंचायत पेंड्रा अध्यक्ष श्री राकेश जालान, नगर पंचायत अध्यक्ष गौरेला श्रीमती गंगोत्री राठौर, जनपद पंचायत अध्यक्ष पेंड्रा श्रीमती आशा मरावी, जनपद पंचायत अध्यक्ष गौरेला सुश्री ममता पैकरा, कमिश्नर बिलासपुर डॉ. संजय अलंग, पुलिस महनिरीक्षक बिलासपुर श्री रतनलाल डांगी, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के पुलिस अधीक्षक श्री सूरज सिंह परिहार सहित अनेक जनप्रतिनिधि, बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे। - रायपुर : बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार प्रारंभ करने के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम एवं मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना राज्य में संचालित है। इसके अंतर्गत इच्छुक एवं पात्र आवेदकों से आवेदन पत्र कार्यालय जिला व्यापार एवं उद्योग केन्द्र, तृतीय तल, उद्योग भवन, रिंग रोड नं.1, तेलीबांधा रायपुर में 15 फरवरी 2021 तक स्वीकार किए जाएंगे। इच्छुक आवेदक आवश्यक दस्तावेज एवं प्रस्तावित योजना के साथ कार्यालय में संपर्क कर आवेदन जमा कर सकते हैं। इस हेतु कार्यालय में संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों द्वारा उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हुए फार्म पूर्ण कराने हेतु आवश्यक सहयोग प्रदान किया जा रहा है। इन योजनाओं के संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए अधिकारियों से सम्पर्क किया जा सकता है।
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साल 2007 में भारतीय नौसेना के इस विमानवाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विराट’ को रिटायर कर दिया गया था.
आईएनएस विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक समय तक सेवा देने के लिए शुमार है.
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना की सेवा से हटाए जा चुके एयरक्राफ्ट कैरियर जहाज आईएनएस विराट को तोड़ने पर रोक लगा दी है. एनविटेक मरीन कंसल्टेंट्स लिमिटेड नाम की कंपनी ने 100 करोड़ रुपए का भुगतान कर उसे बतौर संग्रहालय संरक्षित करने की मांग की थी. आईएनएस विराट को भावनगर के श्रीराम ग्रुप ने खरीदा था. उसे कबाड़ के तौर पर तोड़ा जा रहा है. साल 2007 में भारतीय नौसेना के इस विमानवाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विराट’ को रिटायर कर दिया गया था.
दुश्मनों की नापाक हरकतों पर रखता था नज़र
करीब 15 साल तक विराट ने अकेले भारत के दोनों समुद्री तट पूर्व और पश्चिम तट के साथ-साथ अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक अकेले ही दुश्मनों की नापाक हरकतों पर ही नजर ना रखी, बल्कि किसी को पास भी नहीं फटकने दिया. नौसेना का एक एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘विक्रांत’ करीब 18 साल पहले रिटायर हो गया था. जबकि रशिया से दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर, ‘विक्रमादित्य’ नौसेना के जंगी बेड़े में 2014 में शामिल हुआ.गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
विराट को भी भारत ने 1987 में ब्रिटिश रॉयल नेवी से खरीदा था. उस वक्त विराट का नाम ‘एचएमएस हर्मेस’ था और ब्रिटेश नौसेना में 25 साल गुजार चुका था. उसने अर्जंटीना के खिलाफ फॉकलैंड-युद्ध में महत्वपूर्ण हिस्सा लिया था. विराट का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे अधिक समय तक सेवा देने के लिए शुमार है.
90 दिन तक बंदरगाह में वापस नहीं लौटता था ‘विराट’
करीब 24 हजार टन वजनी विराट की लंबाई करीब 740 फीट और चौड़ाई करीब 160 फीट थी. उस पर डेढ़ हजार (1500) नौसैनिक तैनात होते थे. विराट पर एक समय में तीन महीने का राशन रखा रहता है, क्योंकि विराट एक बार समंदर में निकलता था तो 90 दिन तक बंदरगाह में वापस नहीं लौटता था. उसपर तैनात सी-हैरियर लड़ाकू विमान और सीकिंग हेलीकॉप्टर विराट की ताकत को कई गुना बढ़ा देते थे. हालांकि ना तो करगिल युद्ध और ना ही श्रीलंका के पीसकीपिंग मिशन में विराट का इस्तेमाल किया गया लेकिन उसने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. -
बिजली,खनिज,जमीन,पानी,कुशल कामगार की है पर्याप्त उपलब्धता
औद्योगिक नीतियां उद्योगों के लिए अनुकूल
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा के कुशल मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ उद्योग के क्षेत्र में तेजी से विकास की ओर अग्रसर हो रहा है।सरकार ने कई ऐसी नीतियां बनाई है जो कि राज्य में उद्योग के निर्माण और विकास में सहायक है। प्राकृतिक संसाधन से परिपूर्ण छत्तीसगढ़ में खनिजों की पर्याप्त उपलब्धता है। निवेश में प्रोत्साहन के लिए राज्य में नवीन औद्योगिक नीति बनाई गई है। इसमें पात्र उद्योगों को सामान्य, प्राथमिकता उद्योगों तथा उच्च प्राथमिकता उद्योगों की श्रेणी में विभाजित कर विभिन्न निवेश प्रोत्साहन अनुदान, छूट एवं रियायतें दी गई है।
इसी का परिणाम है कि में राज्य निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के अनुसार छत्तीसगढ़ में दो वर्ष के दौरान कुल 104 एमओयू किए गए है, जिसमें की 42 हजार 714 करोड़ से अधिक पूंजी निवेश प्रस्तावित है।इससे 64 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध हो सकेगा। इन निवेशों में स्टील सेक्टर में 78 एमओयू में 37306.39 करोड़, सीमेंट में एक एमओयू राशि 2000 करोड़, एथेनाल में 7 एमओयू 1082.82 करोड़, फूड सेक्टर में 5 एमओयू में 283.61 करोड़ फार्मास्युटिकल केे 3 एमओयू में 56.41 करोड़, डिफेंस सेक्टर के 3 एमओयू में 529.50 करोड़, इलेक्ट्रानिक्स में 2 एमओयू में 30.76 करोड़, सोलर में एक एमओयू 245 करोड़ और अन्य 4 क्षेत्रों में 1179.99 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश प्रस्तावित है।
छत्तीसगढ़ बिजली के उत्पादन के मामले में सरप्लस राज्य का दर्जा रखता है। सरप्लस होने के कारण से छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों को भी बिजली बेचता है।भारत सरकार के अधीन कार्यरत कंेद्रीय विद्युत प्राधिकरण के सितंबर 2020 के प्रतिवेदन के अनुसार छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी के ताप विद्युत गृहों ने सर्वाधिक विद्युत उत्पादन का कीर्तिमान रचते हुए देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ देश का प्रथम बिना पावर कट वाला राज्य बन गया है। यहां पर बिजली भारत की औसत विद्युत दर से कम दर पर उपलब्ध है। जो कि राज्य में निवेश के लिए निवेशकों को आकर्षित करता है।
यहां पर औद्योगिक क्षेत्रों में भू-आबंटन में भू-प्रीमियम में 30 से 60 प्रतिशत की और द श्रेणी में उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में 60 प्रतिशत की छूट दी गई है। उद्योगों को लीज पर दी गई भूमि में उद्योग लगाने के लिए निर्धारित अवधि में एक वर्ष की वृद्धि की गई। पट्टे पर आबंटित औद्योगिक भूमि उपयोग न हो पाने के प्रकरणों में भूमि के हस्तांतरण को आसान बनाया गया।
नये बायो इथेनॉल प्लांट लगाने के लिए अर्लीबर्ड अनुदान के लिए 18 महीने की समयावधि निर्धारित की गई। पहले एम.ओ.यू. के बाद छह माह के भीतर उत्पादन शुरू करने पर अर्लीबर्ड अनुदान देने का प्रावधान रखा गया था। शासकीय अथवा नैसर्गिक स्रोतो से औद्योगिक प्रयोजन हेतु जल उपयोग की दरों में 20-36 प्रतिशत की कमी की गई है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को स्थायी पूंजी निवेश अनुदान अथवा नेट एसजीएसटी प्रतिपूर्ति का विकल्प उपलब्ध कराया गया है। कोर सेक्टर के मध्य, वृहद, मेगा और अल्ट्रा मेगा उद्योगों को विकासखंडो की श्रेणी के अनुसार 5 से 10 वर्ष तक विद्युत शुल्क से पूर्ण छूट दी गई है।
राज्य सरकार द्वारा औद्योगिक नीति 2019-24 में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति वर्ग के उद्यमियों तथा स्टार्टअप के लिए स्पेशल पैकेज घोषित किया गया है। औद्योगिक नीति 2019-24 में स्थापित होने वाले उद्योगों को विस्तार और शवलीकरण के लिए अनुदान छूट एवं रियायतों की पात्रता दी जाएगी। इसके साथ ही सूक्ष्म उद्योगों के साथ-साथ लघु एवं मध्यम उद्योगों को भी स्थाई पूंजी निवेश अनुदान की सुविधा दी जाएगी।
उद्योगों में नवीन विचारधारा को समाहित करने तथा नव रोजगार सृजित करने छत्तीसगढ़ राज्य स्टार्ट-अप पैकेज को नीति में स्थान दिया गया है। इन स्टार्ट-अप्स को अन्य उद्योगों से अधिक सुविधाएं कम औपचारिकता के साथ प्रदान की जाएगी। भारत सरकार द्वारा राज्य को बेस्ट इमर्जिंग स्टार्ट-अप इको सिस्टम स्टेट के रुप में घोषित किया गया है। इसी तरह राज्य में अब तक 415 से अधिक स्टार्टअप को केन्द्र शासन से मान्यता प्राप्त हो चुकी है। राज्य में 4 इन्क्यूबेटर्स स्थापित किए गए हैं। -
चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई तबाही के बाद तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की एक सुरंग में फंसे करीब 34 व्यक्तियों को सुरक्षित निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।
आइटीबीपी, एसडीआरएफ, सेना, जिला प्रशासन की टीम आपरेशन में जुटी हैं। इस बीच टनल से एक व्यक्ति का शव बरामद किया गया है। दूसरी ओर प्रभावित क्षेत्र ऋषिगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट में चार और शव बरामद हुए हैं, जिसके बाद मृतकों की संख्या 31 हो गई है। इधर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं और हालातों का जायजा ले रहे हैं।
तलाशा जा रहा तीसरा रास्तातपोवन स्थित टनल में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए आज टनल में दाखिल होने के लिए तीसरा रास्ता तलाशा जा सकता है। टनल के मुख्य द्वार से मलबा हटाने में देरी होने के बाद अब बीच से रास्ता ढूंढने की कोशिश की जा रही है। पहले एसडीआरएफ या एनडीआरएफ का जवान टनल में उतारा जाएगा, जो अंदर की स्थिति का जायजा लेंगे।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि करीब ढाई किलोमीटर लंबी टनल में अब तक डेढ़ सौ मीटर तक ही मलबा साफ हो पाया है। टनल में एक ही मशीन काम करने के कारण मुश्किलें सामने आ रही हैं, जबकि 180 मीटर पर एक राइट बैंड भी है। डीजीपी ने बताया कि अब तक 31 शव बरामद हो चुके हैं, इनमें दो पुलिस कर्मचारी भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि आपदा के कारण 13 गांव का संपर्क कट गया है, जहां रोप-वे के सहारे सुरक्षाकर्मी और बाहर फंसे ग्रामीणों को राशन भी पहुंचाया जाएगा।
एनडीआरएफ के जवानों को लेकर एमआइ-17 देहरादून से जोशीमठ के लिए रवाना हो गया है।आइटीबीपी, सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की एक संयुक्त टीम ने तपोवन सुरंग में प्रवेश किया। यहां वे सुरंग के अंदर जल स्तर की जांच करेंगे।मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत चमोली में ग्लेशियर आपदा के कारण प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का जायजा ले रहे हैं।सात फरवरी को सुरंग से निकाले गए 12 लोगों से सीएम त्रिवेंद्र रावत ने अस्पताल में मुलाकात की। सीएम ने बताया कि उन्होंने शरीर में दर्द की शिकायत की है, क्योंकि वे पानी और मलबे के डर से 3-4 घंटे के लिए लोहे की पट्टी पर लटके हुए थे। डॉक्टरों ने कहा कि वे जल्द ठीक हो जाएंगे।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों ने 7 फरवरी को चमोली में सुरंग में फंसे लोगों को बचाया।सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चमोली के जोशीमठ में आइटीबीपी अस्पताल का दौरा कर घायलों का हालचाल जाना।सुरंग में बचाव अभियान चल रहा है, हमें उम्मीद है कि हम दोपहर तक रास्ता साफ कर पाएंगे- अशोक कुमार, डीजीपीरेस्क्यू ऑपरेशन पूरी रात चला और अब भी जारी है। काफी मलबे को हटा दिया गया है। हम अब तक कोई संपर्क स्थापित नहीं कर पाए हैं- अपर्णा कुमार, डीआइजी सेक्टर मुख्यालय, आइटीबीपी देहरादून
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि बचाव दल रस्सी और अब आवश्यक पैकेजों के माध्यम से मलारी घाटी क्षेत्र तक पहुंचने में कामयाब रहा है, राशन आसानी से भेजा जा सकता है। इससे पहले, हेलीकॉप्टर के माध्यम से केवल एक सीमित स्टॉक की आपूर्ति की जा सकती थी, लेकिन अब कोई समस्या नहीं होगी।
ग्रामीणों का हालचाल जानने लाता पहुंचे सीएम
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जोशीमठ आर्मी हेलीपैड से सीमांत गांव क्षेत्र लाता के लिए रवाना हुए। आपदा से सीमांत क्षेत्र के रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, सुकी, भलगांव, तोलमा, फगरासु, लोंग सेगडी, गहर, भंग्यूल, जुवाग्वाड, जुगजू गांवों से सडक संपर्क अभी कटा है। ग्रामीणों का हालचाल जानने आज स्वयं मुख्यमंत्री लाता पहुंचे।
प्रभावित गांवों में पहुंचाई राहत सामग्री
राहत अभियान के लिए लाता गांव में एक अस्थायी हेलीपैड बनाया गया है। इसकी मदद से नागरिक प्रशासन ने आइटीबीपी को लाता से सात किमी दूर आपदा प्रभावित गांवों जुगाजू, जुवाग्व को वितरित करने के लिए राशन के पैकेट उपलब्ध कराए। इसके बाद टीम ने पैदल गांवों में पहुंचकर राहत सामग्री ग्रामीणों को बांटी।
गांवों में किया जा रहा राहत सामग्री का वितरण
जोशीमठ-मलारी हाइवे पर मोटरपुल टूटने से कट गए गांवों में भी राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है। राहत व बचाव कार्यों को तेज करने के लिए चमोली जिले को 20 करोड़ की राशि जारी की गई।केंद्रीय मंत्रियों डा रमेश पोखरियाल निशंक और आरके सिंह ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को सचिवालय में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ आपदा राहत कार्यों की समीक्षा। शाम देर शाम मुख्यमंत्री ने तपोवन पहुंचकर राहत व बचाव कार्यों का मुआयना किया। मुख्यमंत्री रात्रि विश्राम वहीं करेंगे।
चीन सीमा से सटे चमोली जिले के रैणी गांव के समीप बीते रविवार को ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा में उफान आ गया था। केदारनाथ जल प्रलय के बाद ये दूसरी बड़ी दुर्घटना है, जिसमें मलबायुक्त पानी ने भारी तबाही मचाई।इसमें 13 मेगावाट का ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गया, जबकि 520 मेगावाट का तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट का बैराज क्षतिग्रस्त हो गया।
इसके अतिरिक्त जोशीमठ-मलारी हाइवे पर रैणी स्थित चीन सीमा को जोड़ने वाले पुल समेत पांच पुल टूट गए थे। इस आपदा में बीते रोज 13 व्यक्तियों के शव मिले थे, जबकि एक तपोवन-विष्णुगाड प्रोजेक्ट की एक सुरंग में फंसे 12 व्यक्तियों को सुरक्षित बचा लिया था। दूसरी सुरंग में करीब 34 व्यक्तियों के फंसे होने का अंदेशा है। इन्हें बचाने के लिए बीते रोज से ही आपरेशन चलाया जा रहा है।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि बीते रोज आपदा से बचने को इधर उधर गए पांच व्यक्ति सोमवार को सुरक्षित मिले। सुरंग से बचाए गए 12 व्यक्तियों समेत अब तक कुल 32 व्यक्तियों के सुरक्षित होने की जानकारी मिल चुकी है।
लापता व्यक्तियों का ब्योरा
लापता व्यक्तियों में रैणी गांव के छह, तपोवन ऋत्विक कंपनी के 115, करछौ गांव के दो, रिंगी गांव के दो, ऋषिगंगा कंपनी के 46, ओम मैटल कंपनी के 21, एचसीसी के तीन, तपोवन गांव के दो लोग शामिल हैं।
- तपोवन NTPC पावर प्रोजेक्ट की सुरंग में 30 मजदूरों के फंसे होने की जानकारी है, जिन्हें निकालने की कोशिश हो रही है. राष्ट्रीय और राज्य की आपदा प्रबंधन की टीम सहित यहां पर ITBP की टीमें भी लगी हुई हैं.
नई दिल्ली : उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में ग्लेशियर टूटने के कारण आए एवेलांच से अलनकनंदा और धौलीगंगा नदियों में भयंकर बाढ़ आ गई है. बाढ़ यहां पर पांच पुलों को बहा ले गई और रास्ते में आने वाले घरों, पास के NTPC पावर प्लांट और एक छोटे हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट ऋषिगंगा को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया. इस आपदा में अब तक 14 लोगों की मौत होने की खबर है, वहीं लगभग 170 लोग लापता हैं. तपोवन NTPC पावर प्रोजेक्ट की सुरंग में 30 मजदूरों के फंसे होने की जानकारी है, जिन्हें निकालने की कोशिश हो रही है. राष्ट्रीय और राज्य की आपदा प्रबंधन की टीम सहित यहां पर ITBP की टीमें भी लगी हुई हैं.
1. तपोवन पॉवर प्रोजेक्ट की टनल में फंसे करीब 30 मजदूरों को निकालने के लिए सेना के इंजीनियरिंग विंग के 40 जवानों का दल रात 2 बजे से जुटा हुआ है. रात में जलस्तर कम होने के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया था. जेसीबी की मदद से टनल के अंदर पहुंच कर रास्ता खोलने का प्रयास किया जा रहा है. 250 मीटर लंबी टनल मे भारी मात्रा में मलबा आने के कारण राहत एवं खोज कार्य में दिक्कत आ रही है.
2.जानकारी है कि लगभग 170 लोग- जिनमें से NTPC प्लांट पर 148 और ऋषिगंगा में काम करने वाले 22 लोग शामिल हैं- वो लापता चल रहे हैं. एक दूसरे टनल में फंसे 12 लोगों को ITBP टीम ने निकाला है, लेकिन एक दूसरी टनल में 30 लोग फंसे हुए हैं, जिन्हें बचाने की कोशिश हो रही है. जानकारी है कि यह सुरंग 2.5 किलोमीटर लंबी है.
3. सोशल मीडिया पर जोशीमठ पर नदी में जलस्तर बढ़ने की खबरें चलने के बाद उत्तराखंड पुलिस और पीआईबी की ओर से इसका खंडन किया गया है और इसे अफवाह बताया गया है. पुलिस ने लोगों को विश्वसनीय स्रोतों पर भरोसा करने को कहा है.
4. ऋषिगंगा और तपोवन पावर प्रोजेक्ट बह जाने से करीब 700 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान है. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ सहित आईटीबीपी और पुलिस की कई टीमें लापता लोगों और शवों की खोज में जुटे हुए हैं.
5. राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मृतकों के परिवारों को 4 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है. प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से अतिरिक्त 2 लाख दिए जाएंगे, वहीं गंभीर रूप से घायल लोगों को 50,000 का मुआवजा दिया जाएगा
6.NCMC (National Crisis Management Committee) ने देर रविवार को एक मीटिंग की और बताया की केंद्रीय जल आयोग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार यहां पर नीचे की ओर बाढ़ आने का खतरा अब नहीं है और पानी के बढ़े हुए स्तर को काबू में कर लिया गया है. वहीं, आसपास के इलाकों में मौजूद गांवों को भी कोई खतरा नहीं है.
7. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बताया था कि उन्होंने त्रिवेंद्र रावत से बात की है और वो लगातार हालत पर नजर रखे हुए हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा था कि उत्तराखंड के साथ पूरा देश खड़ा है और लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है. गृहमंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर कहा था कि मोदी सरकार उत्तराखंड के लोगोंं के साथ खड़ी है.
8. प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं. जोशीमठ में 30 बेड का अस्पताल तैयार किया गया है. श्रीनगर, ऋषिकेश, जॉलीग्रांट और देहरादून में अस्पतालों को स्टैंडबाई पर रखा गया है.
- नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले तेजी से कम हो रहे हैं। एक तरफ देश में कोरोना से ठीक होने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है तो दूसरी ओर कोरोना के सक्रिय मामले लगातार कम हो रहे हैं।भारत की दैनिक कोरोना मौतों का आंकड़ा भी 100 से कम पर आ गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में बीते 24 घंटों में कोरोना संक्रमण के 11,831 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 84 लोगों की मौत हुई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना संक्रमण के अब तक कुल 1 करोड़ 8 लाख 38 हजार 194 मामले सामने आए हैं। हालांकि, इनमें से 1 करोड़ 5 लाख 34 हजार 505 लोग ठीक हो चुके हैं।देश में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 1 लाख 48 हजार 606 है। भारत में कोरोना से अब तक कुल 1 लाख 55 हजार 80 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
रिकवरी रेट बढ़ादेश की कोरोना रिकवरी दर लगातार बढ़ रही है। देश में बीते 24 घंटों में कोरोना से 11,904 लोग ठीक हुए हैं। इससे रिकवरी दर बढ़कर 97.20% हो गई है। इसी तरह देश में बीते 24 घंटों में कोरोना के 157 सक्रिय केस कम हुए हैं, जिससे एक्टिव दर 1.37% हो गई है। भारत की कोरोना मृत्यु दर फिलहाल 1.43% है।
देश में कोरोना की जांच का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। देश में अब तक 20 करोड़ से ज्यादा कोरोना जांच की जा चुकी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research, ICMR) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में रविवार(8 फरवरी, 2021) तक 20,19,00,614 सैंपलों की जांच हो चुकी है, जिनमें से 5,32,236 टेस्ट कल किए गए हैं।
देश में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण जारी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक 58 लाख 12 हजार 362 लोगों को टीका लगाया चुका है। इसमें से बीते 24 घंटों में 36 हजार 804 लोगों को टीका लगाया गया है। -
नई दिल्ली : केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान देशभर में लगातार आंदोलन कर रहे हैं। इसी कड़ी में किसानों ने आज (6 फरवरी) को तीन घंटे, दोपहर 12 से तीन बजे तक के के चक्का जाम कर रहे हैं।
नेशनल और स्टेट हाइवे पर किसानों ने आज जाम लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं। देशभर में किसानों के इस चक्का जाम का असर देखा जा रहा है। दिल्ली में चक्का जाम को देखते हुए सुरक्षा के काफी कड़े इंतजाम किए गए हैं। दिल्ली एनसीआर में करीब 50 हजार सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है।
हरियाणा में पलवल और दूसरे शहरों में किसानों ने जाम लगाया है। वहीं शाहजहांपुर (राजस्थान-हरियाणा) बॉर्डर के पास राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी चक्का जाम है। पंजाब में अमृतसर-दिल्ली नेशनल हाईवे समेत ज्यादातर जगहों पर किसानों का चक्का जाम है। जम्मू-कश्मीर में किसान संगठनों के चक्का जाम के आह्वान पर किसानों ने जम्मू-पठानकोट हाईवे जाम किया है।
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान में चक्का जाम का ज्यादा असर है। राजधानी दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इसका असर कम है। इसकी वजह ये भी है कि भारतीय किसान यूनियन ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम ना करने का फैसला किया है।
बता दें कि केंद्र सरकार बीते साल जून में तीन नए कृषि कानून लेकर आई थी, जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडार सीमा खत्म करने जैसे प्रावधान किए गए हैं। इसको लेकर किसान जून के महीने से लगातार आंदोलनरत हैं और इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
किसानों का आंदोलन जून, 2020 से नवंबर तक मुख्य रूप से हरियाणा और पंजाब में चल रहा था। सरकार की ओर से प्रदर्शन पर ध्यान ना देने की बात कहते हुए 26 नवंबर को किसानों ने दिल्ली के लिए कूच कर दिया।इसके बाद 26 नवंबर, 2020 से देशभर के किसान दिल्ली और हरियाणा को जोड़ने वाले सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली के दूसरे बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं। -
नई दिल्ली : देश में कोरोना महामारी के मद्देनजर हालात दिन पर दिन सुधरते जा रहे हैं। सक्रीय मरीजों की संख्या में लगातार गिरावट देखने और ठीक हो रहे मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। पिछले 24 घंटे के दौरान संक्रमण के कारण 100 से कम लोगों की मौत हुई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सुबह आठ बजे जारी आंकड़ों के अनुसार देश में बीते 24 घंटे के दौरान कोरोना के 11 हजार 713 मामले सामने आए। इस दौरान 14 हजार 488 मरीज ठीक हुए और 95 लोगों की मौत हुई। इस दौरान सात लाख 40 हजार 794 सैंपल टेस्ट हुए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में अब तक कुल कोरोना के एक करोड़ आठ लाख 14 हजार 304 मामले सामने आ गए हैं।
एक्टिव केस एक लाख 48 हजार 590 है, जो कुल मामलों का 1.37 फीसद है। एक करोड़ पांच लाख 10 हजार 796 मरीज संक्रमण से उबर गए हैं, जो कुल मामलों का 97.19 फीसद है। महामारी के कारण अब तक एक लाख 54 हजार 918 लोगों की मौत हो गई है, जो कुल मामलों का 1.43 फीसद है। कुल अब तक 20 करोड़ छह लाख 72 हजार 589 सैंपल टेस्ट हो गए हैं।
महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मौत
महाराष्ट्र में अब तक सबसे ज्यादा 51 हजार 255, तमिलनाडु में 12,379, कर्नाटक में 12 हजार 230, दिल्ली में 10,873, पश्चिम बंगाल 10,201 उत्तर प्रदेश में 8682, आंध्र प्रदेश में 7158, पंजाब में 5635 और गुजरात में 4393 लोगों की मौत हो गई है।
अब तक कुल 54 लाख लोगों को टीका लगाया गया
बता दें कि देश में कोरोना टीकाकरण का भी काम जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक कुल 54 लाख 16 हजार 590 लोगों को टीका लगाया जा चुका है।
जनवरी की शुरुआत में दो टीकों को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशिल्ड और पूरी तरह से स्वदेशी भारत बायोटेक की कोवैक्सीन के इस्तेमाल से टीकाकरण हो रहा है। - नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों के खिलाफ करीब ढाई माह से जारी आंदोलन के बीच कल किसान देश भर में चक्का जाम करेंगे। वहीं किसी अनहोनी से बचने के लिए प्रशासन भी तैयारी में जुटा हुआ है।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जो लोग यहां नहीं आ पाए वो अपने-अपने जगहों पर कल चक्का जाम शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कल यानी 6 फरवरी सिर्फ 2 राज्यों में चक्का जाम नहीं होगा। ये 2 राज्य हैं- उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड। इन 2 राज्यों और दिल्ली को छोड़कर पूरे देश में चक्का जाम होगा।
किसान नेता राष्ट्रीय राजमार्ग पर चक्का जाम करने की घोषणा कर चुके हैं। वहीं इस पर दिल्ली पुलिस अधिकारियों का कहना है कि चक्का जाम को लेकर हमसे किसी भी किसान नेता ने संपर्क नहीं किया है, लेकिन दिल्ली, यूपी और हरियाणा पुलिस इसको लेकर काफी गंभीर है।
दरअसल शनिवार होने के कारण हाईवे पर अच्छी खासी वाहनों की भीड़ होती है। 26 जनवरी की हिंसा से काफी लोग आंदोलन को लेकर गुस्सा भी हैं। ऐसे में पुलिस बेहद सतर्कता बरत रही है।
दिल्ली पुलिस पीआरओ ने कहा कि पूरे देश में कल किसानों का तीन घंटे का चक्का जाम होने वाला है, उसके मद्देनज़र हमने दिल्ली की सभी बॉर्डर पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की है। हालांकि किसानों ने कहा कि वे दिल्ली में ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं लेकिन 26 जनवरी को जो हुआ उसके मद्देनज़र हमने ऐसा किया है।
हरियाणा में प्रशासन तैयार, एडवाइजरी जारी
हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने बताया कि एसपी जिलों में किसानों से बात कर रहे हैं ताकि कहीं कोई समस्या न हो। उन्होंने बताया कि पुलिस की ओर से ट्रैफिक एडवाइजरी भी जारी की जाएगी। इससे लोगों को घर से निकलने से पहले यह पता रहेगा कि उन्हें किस रूट से जाना है।
यूपी और राजस्थान में आज किसान पंचायत
किसान आंदोलन का मजबूती देने के लिए शुक्रवार से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों की सीरीज शुरू की जाएगी, जो फरवरी के अंत तक चलेगी। इन पंचायतों का आयोजन राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) की तरफ से किया जा रहा है। आरएलडी ने पिछले हफ्ते किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की थी। -
चेन्नई : तमिलनाडु सरकार ने राज्य के किसानों के लिए राहत भरा कदम उठाते हुए शुक्रवार को अहम ऐलान किया है।
इसके तहत राज्य के कोऑपरेटिव बैंक से लिए गए फसली कर्ज को माफ कर दिया गया है।तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडापड्डी के पलानीस्वामी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि कोऑपरेटिव बैंकों से लिया जाने वाला फसली ऋण माफ कर दिया जाएगा। इससे यहां के करीब 16.13 लाख किसानों को फायदा मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को राज्य विधानसभा में Rule 110 के तहत यह घोषणा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के कोऑपरेटिव बैंकों से किसानों द्वारा लिया गया 12,110 करोड़ रुपये के फसली ऋण को माफ कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि राज्य में चक्रवाती तूफानों निवार (Nivar), बुरेवी (Burevi) व भारी बारिश के कारण किसानों की स्थिति बदहाल है जिसे देखते हुए यह फैसला किया जा रहा है।
राज्य मुख्यमंत्री एडापड्डी पलानीस्वामी (Edappadi Palaniswami) ने कहा कि राज्य के कोऑपरेटिव बैंकों से लिया गया किसानों का ऋण माफ कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इससे पहले यह भी कहा था कि खराब हुई फसलों के लिए मुआवजे के तौर पर 1,117 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी जिससे करीब 11 लाख किसानों को फायदा मिलने की उम्मीद है।
जनवरी में तमिलनाडु में अधिक बारिश होने से फसल को काफी नुकसान पहुंचा। 1 जनवरी से 5 फरवरी के बीच राज्य में सामान्य से कई गुना अधिक बारिश हुई। सबसे अधिक धान की फसल क्षतिग्रस्त हुई है। इस क्षति का मुआयना करने के लिए एक सेंट्रल टीम भी राज्य में भेजी गई है।
पुडुकोट्टाइ जिला प्रशासन द्वारा जारी किए गए प्रेस रिलीज के अनुसार, यहां बारिश के कारण धान, मकई, मूंगफली आदि की फसलों को खासा नुकसान हुआ है वहीं तंजावुर जिले में धान और मूंगफली के अलावा दाल की भी फसल को नुकसान हुआ है। इसी तरह विरुधुननगर जिले में धान, दाल, कपास आदि की फसलों को बारिश के कारण नुकसान हुआ है। - राज्यसभा में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए कृषि मंत्री तोमर ने तीनों कानून के फायदे गिनाए और कहा कि संधोधन में बदलाव के प्रस्ताव का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इन कानूनों में कुछ गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि किसान की आमदनी दोगुनी हो इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 6 हजार रुपये का योगदान दिया है.
नई दिल्ली : केंद्र के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब सवा दो महीनों से राजधानी दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं. आंदोलन को लेकर राज्यसभा में भी पिछले तीन दिनों से लगातार चर्चा हो रही है. आज राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारी सरकार गांवों और किसानों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. किसानों को भड़काया जा रहा है कि उनकी जमीन चली जाएगी. कोई हमें बताए कि कानून के किस प्रावधान में किसानों की जमीन छीनने का जिक्र है? उन्होंने कहा, ''विपक्ष और कानून संगठन बताएं कि इस कानून में काला क्या है?'' कृषि मंत्री के भाषण के दौरान विपक्ष ने खूब हंगामा किया.
सरकार गांवों और किसानों के विकास के लिए प्रतिबद्ध- तोमर
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमारी सरकारों ने पंचायतों का विकास करने उन्हें मजबूत किया है. उन्होंने कहा कि वित्तीय आयोग की सिफारिशों के मुताबिक पंचायतों को पैसा दिया गया है. उन्होंने कहा कि गांव में अगर किसी शख्स के घर से सड़क गुजर रही है तो उसके मुआवजे का आंकलन भी शहरों की तरह ही होगा.
सबका योगदान देश के विकास में अपने-अपने समय पर रहा है- तोमर
कृषि मंत्री ने कहा, ''कई बार विपक्ष की तरफ से ये बात सामने आती है कि आप कहते हैं कि सब मोदी जी की सरकार ने किया है, पिछली सरकारों ने तो कुछ भी नहीं किया. मैं इस मामले में ये कहना चाहता हूं कि इस प्रकार का आरोप लगाना उचित नहीं है.'' उन्होंने कहा, ''मोदी जी ने सेंट्रल हॉल में अपने पहले भाषण में और 15 अगस्त में भी उन्होंने कहा था कि मेरे पूर्व जितनी भी सरकारे थी उन सबका योगदान देश के विकास में अपने-अपने समय पर रहा है.''
मनरेगा योजना को लेकर तोमर ने कहा, ''कुछ लोग मनरेगा को गड्ढों वाली योजना कहते थे. जब तक आपकी सरकार थी उसमें गड्ढे खोदने का ही काम होता था, लेकिन मुझे ये कहते हुए प्रसन्नता और गर्व है कि इस योजना की शुरुआत आपने की लेकिन इसे परिमार्जित हमने किया.''
विपक्ष और कानून संगठन बताएं कि इस कानून में काला क्या है?- तोमर
कृषि कानूनों और किसान आंदोलन पर कृषि मंत्री ने कहा, ''देश में सिर्फ एक राज्य के किसानों को कानून को लेकर गलतफहमी है. किसानों को भड़काया जा रहा है कि उनकी जमीन चली जाएगी. कोई हमें बताए कि कानून के किस प्रावधान में किसानों की जमीन छीनने का जिक्र है?'' उन्होंने कहा, ''मैं प्रतिपक्ष का धन्यवाद करना चाहूंगा कि उन्होंने किसान आंदोलन पर चिंता की और आंदोलन के लिए सरकार को जितना कोसना जरूरी था, उसमें भी कंजूसी नहीं की. मैं विपक्ष और कानून संगठनों से जानना चाहता हूं कि इस कानून में काला क्या है? पता तो चले. ताकि मैं उसे साफ कर सकूं. मैंने 12 बार किसानों को बैठक के लिए बुलाकर यही जानने की कोशिश की है.''
कांग्रेस खून से और बीजेपी पानी से करती है खेती- तोमर
तोमर ने आगे कहा, ''संधोधन में बदलाव के प्रस्ताव का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि इन कानूनों में कुछ गलत है. कांग्रेस सिर्फ खून से खेती करना जानती है. बीजेपी सिर्फ पानी से खेती करती है.'' उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के कानून में किसान जेल जा सकता है, लेकिन हमारे कानून में ऐसा कुछ नहीं है. किसान जब चाहे इस कानून से अलग हो सकता है.''
किसानों को लेकर नरेंद्र तोमर ने कहा, ''किसान की आमदनी दोगुनी हो इसके लिए सरकार ने प्रधानमंत्री किसान योजना के माध्यम से 6 हजार रुपये का योगदान दिया है. आज हम ये कह सकते हैं कि दस करोड़ 75 लाख किसानों को 1,15,000 करोड़ रुपये डीबीटी से उनके अकाउंट में भेजने का काम किया है.'' - बेंगलुरु : चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे तनाव के बीच भारत ने सीमा पर सुरक्षाबलों की पर्याप्त तैनाती की है। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने गुरुवार को कहा कि राफेल विमानों के आने से चीनी खेमे की चिंता बढ़ गई है।चीन ने जैसे ही भारतीय क्षेत्र के करीब J-20 फाइटर जेट्स को तैनात किया था, वैसे ही भारत ने भी फ्रांसीसी मूल के जेट विमानों को तैनात किया है।आइएएफ प्रमुख ने कहा कि वर्तमान में भारत और चीन के बीच बातचीत चल रही है। जितनी फोर्स की जरूरत है हमने तैनाती की है। हमारी तरफ से बातचीत पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। अगर कोई नई स्थिति पैदा होती है तो हम उसके लिए पूरी तरह तैयार हैं।
यह सवाल पूछे जाने पर कि क्या राफेल विमान चीन के लिए चिंता पैदा की है, वयुसेना प्रमुख ने कहा कि निश्चित रूप से यह चीन को परेशान करने वाला है।चीन पूर्वी लद्दाख के करीब के क्षेत्रों में अपना जे- 20 लड़ाकू विमान लेकर आया, लेकिन जब हम इस क्षेत्र में राफेल लेकर आए तो वह पीछे चले गए। हम उनके कार्यों और क्षमताओं को अच्छे से जानते हैं।
उन्होंने कहा कि पूंजीगत खर्च में 20,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी सरकार का बड़ा कदम है। पिछले साल भी 20,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फंड उपलब्ध कराए गए थे। इससे तीनों सेनाओं को मदद मिली। मुझे लगता है कि यह हमारी क्षमता निर्माण के लिए पर्याप्त है।
नए हथियार प्रणालियों के अधिग्रहण के लिए सुरबलों को पिछले वर्ष की तुलना में 18 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। आपातकालीन और अन्य प्रावधानों के तहत हथियार और अन्य पुर्जों को खरीदने पर अतिरिक्त 20,776 करोड़ रुपये खर्च किया गया है।इस धन का उपयोग स्पाइस -2000 बम, स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल, असॉल्ट राइफलें, टैंक और फाइटर जेट्स के लिए गोला बारूद बनाने के लिए किया गया है।
2021-22 के केंद्रीय बजट में रक्षा मंत्रालय को 4,78,195.62 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। रक्षा पेंशन के लिए 1.15 लाख करोड़ रुपये भी आवंटित किए गए हैं जो सैन्य और नागरिक दोनों को दिया जाएगा, जिन्होंने रक्षा मंत्रालय के तहत काम किया है। -
जींद : कंडेला गांव में आयोजित किसान महापंचायत में मंच टूटने से हड़कंप मच गया। इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन (अराजनीति) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत और अन्य किसान नेता भाग ले रहे हैं। टिकैत और किसान नेता मंच पर ही मौजूद थे। टिकैत इस घटना में बाल-बाल बच गए। इस घटना से वहां हड़कंप मच गया। मंच टूटने के बाद राकेश टिकैत और पंजाब के किसान नेता बलबीर सिंह राजेवााल सहित कई नेता मंच के साथ नीचे गिर गए। गनीमत रही कि किसी को गंभीर चोट नहीं लगी। बड़ी संख्या में लोगों के मंच पर चढ़ जाने के कारण यह टूटा।
भीड़ ज्यादा होने से टूटा मंच, गिरे राकेश टिकैत व राजेवाल सहित कई किसान नेता
टिकैत ने इससे पहले महापंचायत में किसान आंदोलन के बारे में जानकारी दी और हरियाणा के किसानों से दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने की अपील की। महापंचायत में किसानों की मांगों और किसान आंदोलन को लेकर पांच प्रस्ताव पारित किए गए।
अभी तो कृषि कानून वापसी की ही बात की है, अगर गद्दी वापसी की बात की तो सरकार क्या करेगी : टिकैत
मंच टूटने के थोड़ी देर बाद महापंचायत फिर शुरू हो गई। इसके बाद राकेश टिकैत ने महापंचायत को संबोधित किया। टिकैत ने कहा कि अभी तक तो किसानों ने कृषि कानूनों की वापसी की बात कही है, अगर गद्दी वापसी की बात की तो सरकार क्या करेगी। टिकैत ने किसानों से अपील की कि शांतिपूर्वक आंदोलन चलाएं। उन्होंने कहा कि किसान नंगे पांव खेत में जाएं और अपने खेत की मिट्टी शरीर पर लगाएं। इसके बाद किसान के मन में जमीन को बेचने का ख्याल तक नहीं आएगा।
कंडेला में आयोजित महापंचायत में मौजूद किसान
कंडेला गांव के राजीव गांधी खेल स्टेडियम में आयोजित महापंचायत में 50 से ज्यादा खापों के हजारों किसानों ने भाग लिया। सुबह 10 बजे ही किसान स्टेडियम में जुटना शुरू हो गए थे। टिकैत ने यह भी आह्वान किया कि अभी किसान दिल्ली कूच न करें, अपनी तैयारीकर के रखें, जब जरूरत होगी, तब बुला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि उस दिन उन्होंने पानी मांगा, क्योंकि पानी ठंडा होता है, अगर वह उस दिन आग मांग लेते तो दिल्ली और सरकार क्या करती।
टिकैत बोले- युद्ध में घोड़े नहीं बदले जाते
राकेश टिकैत ने का कि युद्ध में कभी घोड़े नहीं बदले जाते। सरकार से बातचीत के लिए जो 40 किसानों की कमेटी बनाई गई है, उसके सदस्य नहीं बदले जाएंगे। कमेटी भी वही रहेगी और इसके सदस्य भी वही रहेंगे। ऑफिस भी पहले जहां था, वहीं रहेगा। किसानों को भाकियू नेता गुरनाम चढ़ूनी, बलवीर राजेवाला ने भी संबोधित किया।
कंडेला के खेल स्टेडियम में आयोजित किसान महापंचायत में राकेश टिकैत और अन्य नेताओं की मौजूदगी में व्यापक चर्चा हुई। महापंचायत में कृषि कानूनों और किसानों के प्रति सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई गई। महापंचायत में पांच प्रस्ताव पारित किए गए।
कंडेला में खापों की महापंचायत में पारित किए गए पांच प्रस्ताव-
1. तीनों केंद्रीय कृषि कानून रद किए जाएं
2. एमएसपी पर कानून जामा पहनाया जाए
3. स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू किया जाए
4. किसानों का कर्जा माफ किया जाए
5. 26 जनवरी को पकड़े गए किसानों को रिहा किया जाए और जब्त किए गए ट्रैक्टरों को छोड़ा जाए। दर्ज मुकदमे वापिस लिए जाए
इससे पहले यहां पहुंचने पर किसान नेताओं और महापंचायत में मौजूद लोगों ने टिकैत का गर्मजोशी से स्वागत किया। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पहली बार हरियाणा के बांगर क्षेत्र में आए हैं। टिकैत का गाजीपुर बार्डर पर 28 जनवरी की भावुक होने का वीडियो वायरल हुआ था। इसके बाद हरियाणा के किसान उनके समर्थन में सामने आए और किसान आंदोलन में भाग लेने का ऐलान किया। कई गांवाें से किसानों ने दिल्ली कूच किया। आज की महापंचायत भी किसान आंदोलन को लेकर आयोजित की गई है।
जींद जिले के कंडेला में आयोजित किसान महापंचायत में भाकियू नेता राकेश टिकैत
राकेश टिकैत कंडेला गांव में किसान महापंचायत के मुख्य वक्ता हैं। इसके अलावा वह खटकड़ टोल पर भी आसपास के गांवों के किसानों को संबोधित करेंगे। कंडेला खाप के प्रधान व सर्वजातीय खाप पंचायतों के राष्ट्रीय संयोजक चौ. टेकराम कंडेला सहित कई किसान नेताओं ने टिकैत का स्वागत किया।
कंडेला गांव के खेल स्टेडियम में आयोजित किसान महापंचायत में राकेश टिकैत के अलावा राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह, पंजाब किसान यूनियन नेता बलबीर सिंह राजेवाल, हरियाणा भाकियू नेता गुरनाम सिह चढूनी, रतन सिंह मान, चौ. जोगेन्द्र मान आदि संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी मौजूद हैं। -
गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम फिलहाल दखल नहीं देंगे, सरकार को जांच कर उचित कार्रवाई करने दीजिए.
26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हिंसा तोड़फोड और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान के मामलों की न्यायिक जांच कराने की मांग वाली जनहित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि हम फिलहाल दखल नहीं देंगे, सरकार को जांच कर उचित कार्रवाई करने दीजिए. CJI ने ये भी कहा कि हमने पढ़ा है कि सरकार मामले की जांच कर रही है. हमने पीएम का बयान भी देखा है कि कानून अपना काम करेगा.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन की बेंच में इस मामले पर सुनवाई हुई. 26 जनवरी को किसान रैली के दौरान हुई हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल हुई हैं. याचिका में दिल्ली में आयोजित ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा की न्यायिक जांच की मांग की गई.
सुप्रीम कोर्ट में द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया है कि पूरे मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज की अध्यक्षता और हाईकोर्ट के दो जजों का तीन सदस्यीय जांच आयोग गठित किया जाए. साथ ही हिंसा के लिए हिंसा और तिरंगे के कथित अपमान के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की जाए.बता दें कि गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर रैली बेकाबू हो गई थी. आईटीओ से लालकिले तक जमकर हंगामा हुआ था. - नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020-21 में किसानों को एक और बड़ी सौगात दी है। बजट में सरकार ने कृषि लोन (Agriculture Loan) की लिमिट को बढ़ा दिया है।सरकार ने इस बार किसानों को 16.5 लाख करोड़ तक लोन देने का लक्ष्य तय किया है। बजट में सरकार ने पशुपालन, डेयरी और मछली पालन से जुड़े किसानों की आमदनी बढ़ाने पर फोकस किया है।
बता दें कि हर बार बजट में सरकार कृषि लोन के टारगेट को बढ़ाती है। साल 2020-21 के लिए 15 लाख करोड़ रुपये का कृषि ऋण का लक्ष्य रखा गया था। इस बार कृषि कानूनों के विरोध में जो माहौल देश में बना हुआ है, उसे देखते हुए मोदी सरकार का फैसला काफी अहम माना जा रहा है।
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि 2021-22 का बजट 6 स्तंभों पर टिका है। पहला स्तंभ है स्वास्थ्य और कल्याण, दूसरा-भौतिक और वित्तीय पूंजी और अवसंरचना, तीसरा-आकांक्षी भारत के लिए समावेशी विकास, मानव पूंजी में नवजीवन का संचार करना, 5वां-नवाचार और अनुसंधान और विकास, 6वां स्तंभ-न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन।
बता दें कि आम बजट 2021 देश का पेपरलेस बजट है। कोरोना वायरस महामारी के दौर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी शुरुआत की। इस बार वह स्वदेशी 'बहीखाता' की जगह एक टैबलेट में बजट लेकर आईं, जो लाल रंग के कपड़े के भीतर रखा हुआ था। - एजेंसीनई दिल्ली : देश में आज महात्मा गांधी के पुण्यतिथि मनाई जा रही है। इस बीच अमेरिका से महात्मा गांधी का अनादर करने की खबर आई है। अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के एक पार्क में कुछ अज्ञात उपद्रवियों ने महात्मा गांधी की प्रतिमा के साथ तोड़-फोड़ की है। इस घटना से अमेरिका में रहने वाले भारतीय-अमेरिकियों के बीच खासा रोष है। बापू का अनादर होने से नाराज भारतीय समुदाय ने मांग की है कि प्रशासन इसे घृणित अपराध के रूप में देखें और इस मामले की तत्काल जांच शुरू करें।
उत्तरी कैलिफोर्निया के डेविस सिटी के एक पार्क में महात्मा गांधी की छह फीट ऊंची और 294 किलोग्राम की कांसे की मूर्ति स्थापित है। उपद्रवियों ने गांधी की प्रतिमा के साथ बुरी तरह तोड़-फोड़ की है। मूर्ति के चेहरे को बुरी तरह खंडित कर दिया है और प्रतिमा को पैर से नीचे के हिस्से को भी तोड़ा दिया है।
पुलिस ने कहा कि 27 जनवरी की सुबह तड़के एक पार्क कर्मचारी को महात्मा गांधी की टूटी हुई प्रतिमा मिली। डेविस सिटी काउंसिलर लुकास फ्रेरिच ने कहा कि फिलहाल, प्रतिमा को हटाया जा रहा है और इसे तब तक सुरक्षित स्थान पर रखा जाएगा, जब तक इसका मूल्यांकन नहीं किया जाता। जांचकर्ताओं को अभी तक ये मालूम नहीं है कि वास्तव में प्रतिमा के साथ तोड़-फोड़ कब की गई और उपद्रवियों का ऐसा करने के पीछे मंशा क्या थी।
भारत सरकार ने दी थी बापू की प्रतिमा
डेविस पुलिस विभाग के उप प्रमुख पॉल डोरोशोव ने कहा कि डेविस में लोगों के एक हिस्से के लिए इसे एक सांस्कृतिक आइकन के रूप में देखा जाता है, इसलिए हम इसे बहुत गंभीरता से ले रहे हैं। महात्मा गांधी की इस मूर्ति को भारत सरकार की ओर से डेविस सिटी को दान में दिया गया था। इस मूर्ति को सिटी काउंसिल ने चार साल पहले गांधी-विरोधी और भारत-विरोधी संगठनों के प्रदर्शन के दौरान स्थापित किया था।
मूर्ति स्थापित करने का किया था विरोध
ऑर्गेनाइजेशन फॉर माइनोरिटीज इन इंडिया (ओएफएमआई ) और खालिस्तान समूह ने इन विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई की और प्रतिमा की स्थापना का विरोध किया। दूसरी ओर डेविस सिटी के नागिरकों ने मूर्ति को स्थापित किए जाने का समर्थन किया और इसकी स्थापना की गई। इस घटना के बाद से ही ओएफएमआई ने महात्मा गांधी की मूर्ति को हटाने के लिए अभियान चलाया हुआ है। वहीं, इस घटना के बाद से डेविस सिटी में रहने वाले भारतीय-अमेरिकी समुदाय ने नाराजगी व्यक्त की है और अपना रोष जाहिर किया है।