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 एक युद्ध नशे के विरूद्ध के संबंध में जागरूकता कार्यशाला

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

बेमेतरा : जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 शाखा बेमेतरा के द्वारा विगत दिनों ग्राम-गुजेरा, विकासखण्ड-नवागढ़, जिला बेमेतरा के शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला गुंजेरा, के स्कूली बच्चों को जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग श्री बी.डी. पटेल के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई से जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री व्योम श्रीवास्तव, प्र. संरक्षण अधिकारी गैर-संस्थागत श्री कृष्ण कुमार चंद्राकर, थाना नांदघाट से ए.एस.आई. श्री यू.आर. तान्डेकर एवं चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के परियोजना समन्वयक श्री राजेन्द्र प्रसाद चन्द्रवंशी के द्वारा चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 के सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि 0-18 वर्ष के बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या होने की स्थिति में  24x7  फोन कर सेवा लिया जा सकता है।
 
इस दौरान छ.ग. राज्य बाल संरक्षण आयोग के आदेशानुसार बच्चों को एक युद्ध नशे के विरुद्ध के संबंध में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री व्योम श्रीवास्तव के द्वारा जानकारी दिया गया कि, कोटपा एक्ट एवं किशोर न्याय अधिनियम के धारा 77 78 के संबंध में जानकारी देते हुए बताया गया कि बालक को मादक या स्वापक औषधि या मनः प्रभावी पदार्थ देने के लिए शास्ति अथवा पदार्थ के विक्रय, फुटकर क्रय-विक्रय या तस्करी करने के लिए उपयोग किया जाना उक्त के लिए सात वर्ष तक की कारावास तक की हो सकेगी एवं रु.100000 तक के जुर्माने से भी दंडनीय होगा। बाल श्रम प्रतिषेध अधिनियम 1986 (यथा संशोधित 2006) के विषय में जानकारी देते हुए बताया गया कि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम कराना पूर्णतः प्रतिबंधित है तथा 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कारखाना, बीड़ी उद्योग, पत्थर खदान, ज्वलनशील एवं विस्फोटक आदि 107 खतरनाक स्थानों में कार्य कराना प्रतिबंधित है जहां बच्चों का मानसिक एवं शारीरिक विकास प्रभावित होता हो।
 
इन स्थानों में यदि कार्य करवातें बच्चे पाये जाने की स्थिति में नियोक्ता को 6 माह से 2 वर्ष का सजा एवं 20000-50000 हजार रू. का अर्थदण्ड या दोनों हो सकता है एवं नियोक्ता दण्डित होने के बाद भी बाल श्रम करवाता/जारी रखता है तो 3 वर्ष का सजा हो सकती है. की जानकारी दी गई। साथ ही बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 में 21 वर्ष से कम आयु के लड़के एवं 18 वर्ष से कम आयु की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित करता है तथा बाल विवाह करवाने अथवा उसमें सम्मलित व्यक्तियों को 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा 1 लाख रु का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है के संबंध में जानकारी दी गई। इस जागरूता के कार्यशाला में शाला के अवधेष सिंह क्षत्रिय एवं शैलेन्द्र कुमार सोनी शाला के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।

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