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नारायणपुर : बच्चे को लगी नशे की आदत, काउंसलिंग से हुआ सुधार
 
नारायणपुर : आकाश (बदला हुआ नाम) कक्षा आठवीं का छात्र, शान्त स्वभाव का वह 13 वर्षीय बालक पढ़ाई में होनहार है। कोरोना और लॉकडाउन के बाद से स्कूल बंद हो गए हैं। जिसके कारण उसके स्वभाव में थोड़ा परिवर्तन होने लगा। किसी भी समय अपने पसंद के चीजों की डिमांड करना उसकी आदत बनने लगी थी। वह अपनी बात मनवाने के लिये ज़िद भी करने लग गया था।

शुरुआती महिनों में घरवालों ने मजबूरी के कारण इन हरकतों को नजर अंदाज किया । लेकिन आकाश का स्वभाव अब ज्यादा बिगड़ने लग गया। बेवजह गुस्सा करना, अकेले रहना, पढ़ाई नही करना, माता- पिता की बातों को नही मानना ये आकाश की दिनचर्या होने लगी थी।

जिला अस्पताल नारायणपुर की क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति चांडक ने बताया- टेलिफ़ोनिक काउंसलिंग के दौरान आकाश ने बताया  घर से बाहर निकलने में उसे अब डर लगता है, किसी से बात करना अच्छा नहीं लगता। अपने अकेलेपन को दूर करने के लिये वह घरवालों से छुपकर धूम्रपान करने लग गया था। वह ठीक होना चाहता हैपर अपनी आदत को सुधार नही पा रहा है।

कोरोनाकाल के कारण बच्चों में तनाव बढ़ रहा है। ऐसे में नकारात्मक विचार आना स्वाभाविक है। धीरे-धीरे यह अवसाद का रूप ले सकता है। बच्चे अलग-अलग तरह की गतिविधियाँ करने लगते हैं। ऐसे में उनके दिमाग में कई तरह की धारणाएं बनती हैं। अभिभावकों को इस पर नजर रखनी चाहिए। बच्चे को अधिक विश्वास दिलाने का सबसे अच्छा तरीका है अच्छा श्रोता बन जाना।
 
अभिभावक को बच्चों की बातों और आशंकाओं को  सुनना चाहिए, पर उनकी आलोचना नहीं करनी चाहिए। उन्हें बिना किसी दखल के ज्यादा से ज्यादा सुनें। इससे यह भावना आएगी कि उन्हें सुना जा रहा है। फिर वे मन की हर बात बता  पाएंगे। व्यायाम और हेल्दी फूड भी उन्हें तनाव मुक्त रखने में मदद कर सकते हैं। बच्चों से महामारी के बारे में बात करने से बचना चाहिए।

प्रीति चांडक ने बताया “महामारी के इस दौर में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खासतौर से दिक्कतें हो सकती हैं। स्कूल बन्द हैं, उन्हें हर समय घरों में रहना पड़ रहा है। इसकी वजह से बच्चे भी तनाव की चपेट में आ रहे हैं। आजकल बच्चों में चिंता, और अवसाद सबसे आम समस्याएं बन गयी हैं, जिसका असर उनके व्यवहार पर भी पड़ रहा है।

आकाश की काउंसलिंग के दौरान उसे माइंडफुलनेस एक्टिविटी कराई गई ताकि वह अपने मन को शांत रख सके। इमोशन रेगुलेशन के द्वारा उसके जिद्दी स्वभाव में सुधार किया गया।  इसके अलावा आकाश के माता-पिता की भी काउंसलिंग की गई, उन्हें बताया गया कि बच्चों के साथ अपना महत्वपूर्ण समय बिताएं, फ्रेंडली व्यवहार रखे, खेल-खेल में उनसे काम करवाएं और उनके काम की प्रशंसा करें। ऑनलाइन क्लासेस के बाद खाली समय मे बच्चों से रचनात्मक कार्य कराएं। धीरे-धीरे इन प्रयासों से आकाश के आदत में सुधार होने लगा और उसने धूम्रपान करना भी छोड़ दिया।

अभिभावकों को कोरोनाकाल  में अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बच्चे अक्सर गुस्से की समस्या से जूझते हैं। उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का सही तरीका नहीं आता। अगर आपके बच्चे को बार-बार गुस्सा आ रहा है, तो ऐसी कोई बात ज़रूर है जो उसे परेशान कर रही हैं। व्यस्कों की तरह तनाव में बच्चों के लिए भी सोना मुश्किल हो जाता है।

अगर बच्चा तनाव में है तो वह भी रात में सो नहीं पाएगा। तनाव की स्थिति में उसके खानपान में बदलाव आ सकता  है, वह या तो ज्यादा खाएगा या उसे भूख नहीं लगेगी। ज़््यादा खाना या भूख न लगना बच्चों में तनाव के अहम लक्षण हैं। बच्चे और चिड़चिड़ापन दोनों में गहरा रिश्ता है, लेकिन अगर आपका बच्चा अक्सर ऐसे मूड में दिखता है, तो समझ जाइए कि कोई चीज़ उसे ज़रूर परेशान कर रही है। चिड़चिड़ेपन के साथ गुस्सा आम है। ऐसे में आपको उससे ज़रूर बात करनी चाहिए। साथ ही अगर उनके व्यवहार में अचानक फर्क दिखने लगता है, तो आपको उन पर खास ध्यान देना चाहिए।

बच्चों की अच्छी आदतें डालने में मदद करें। जैसे पढ़ना, बागबानी और कुकिंग, अच्छी किताबें और उपन्यास पढ़ने से उन्हें अच्छा ज्ञान पाने में मदद मिलेगी और वे बेहतर इंसान बन पाएंगे। हालांकि बाकी शौक भी पढ़ने जितने ही जरूरी हैं। यह उनकी रुचि पर निर्भर करता है। अच्छी आदत जो भी हो, पैरेंट को उसे विकसित करने में बच्चे की मदद करनी चाहिए। बच्चों की अनुशासित और लक्ष्य आधारित जीवन अपनाने में मदद करनी चाहिए। बच्चों को अच्छी सेहत, ज्ञान और सामाजिक जिम्मेदारियों के महत्व के बारे में पता होना चाहिए। और यह सब तभी हासिल किया जा सकता है, जब वे अनुशासन में हों और उनका ध्यान केंद्रित हो।

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