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 जशपुरनगर : मनरेगा से निर्मित कुंए ने बदली पुरनराम की जिंदगी

दो एकड़ की अपने खेत में धान की फसल के साथ साग-सब्जी उत्पादन करके साल में दो फसल ले रहे है
काम करने के लिए अब उन्हें दूसरे शहर पलायन नहीं करना पड़ रहा है
परिवार के साथ हंसी-खुशी जीवन यापन कर रहे हैं
महीने में 15-20 हजार की हो रही है आर्थिक आमदनी

जशपुरनगर 15 जुलाई : कलेक्टर श्री महादेव कावरे के मार्गदर्शन में कोरोना वैश्विक महामारी में जहां एक ओर लोॅकडाउन की स्थिति है वही रोजगार के पलायन किये प्रवासी मजदूरों का घर वापसी जारी है। ऐसे में पूरन राम जैसे लोग छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी विकास योजना के तहत् बाड़ी विकास से जुड़कर और मनरेगा से अपने खेतों में कुंआ निर्माण कर आर्थिक रूप् से मजबूत बना रहे है।

 यह कहानी है जशपुर जिले के जनपद पंचायत कुनकुरी से 5 किलोमीटर दूर गांव अम्बाचुंआ ग्राम पंचायत बेम्ताटोली के किसान श्री पुरनराम की। पुरनराम को मनरेगा के तहत् कूप निर्माण के लिए 2 लाख 10 हजार की जनपद पंचायत कुनकुरी से राशि स्वीकृत की गई। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत भवन जाकर मनरेगा के तहत् दी जा रही सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की और अपने नाम से कूप स्वीकृति हेतु आवेदन दिया। पंचायत से ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर जनपद पंचायत में उनके आवेदन को जमा किया गया। और उन्हें खेत में कूप निर्माण की स्वीकृति मिल गई। उन्होंने बताया कि पहले उनके पास खेत में पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण खेती बाड़ी की समस्या आती थी। बड़ी मुश्किल से धान की एक फसल ले पाते थे और काम के लिए उन्हें बाहर भी जाना पड़ता था। कुआं निर्माण होने से अब उन्हें पानी की समस्या नहीं हो रही है।

उन्होंने जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि अब उन्हें अपने बच्चों के पालन-पोषण और बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उम्मीद की किरण नजर आई है। मनरेगा के अंतर्गत उनके खेत में कुंआ स्वीकृत होने के पश्चात् न सिर्फ पानी की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध रहती है। उनके पास दो एकड़ की खेती जमीन है जिससे वह धान एवं साग-सब्जियां उत्पादन करते हैं। अपितु दो फसल भी उन्हें आसानी से मिलने लगा है। एक फसल धान लेने के पश्चात् दूसरे फसल में भिण्डी, बरब्ट्टी, लौकी, मटर, आलू आदि की खेती में अच्छी आमदनी हो रही है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की विषम परिस्थिति में पुरनराम की ख्ेतों में सब्जियों के उत्पादन से एक ओर जहां लोगों को ताजी सब्जियां मिल रही है। वहीं उन्हें हर महीने 15-20 हजार की आर्थिक आमदनी भी हो रही है और उनका परिवार आर्थिक रूप से सक्षम हुआ है। परिवार के साथ हसी-खुशी जीवन यापन कर रहे है और उन्हें बाहर काम के लिए जाना भी नहीं पड़ रहा है।

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