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- मीडिया रिपोर्टनॉर्थ कोरिया : नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन जिंदा हैं या नहीं, गंभीर बीमारी से गुजर रहे हैं, या ब्रेन डेड हो चुके हैं? इन सभी सवालों पर से आज पर्दा उठ गया। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को लेकर सभी अटकलों पर उस वक्त विराम लग गया, जब करीब 20 दिन बाद वह किसी सार्वजनिक कार्यकर्म में पहली बार दिखाई दिए। तीन सप्ताह के बाद उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन शुक्रवार को सार्वनिजक रूप से अपनी बहन और अन्य अधिकारियों के साथ नजर आए। नॉर्थ कोरिया की स्टेट मीडिया ने शनिवार को कुछ तस्वीरों को प्रकाशित किया है।
रोडॉन्ग सिनमुन अखबार की तस्वीरों में किम जोंग उन को राजधानी प्योंगयांग के पास सेंचोन में शुक्रवार को एक उर्वरक कारखाने में एक समारोह में भाग लेते दिखाया गया है। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किम जोंग उन पहले की तरह ही फिट नजर आ रहे हैं और मुस्कुराते भी दिख रहे हैं।
इन तस्वीरों में किम जोंग उन अपनी बहन और करीबी सलाहकार किम यो जोंग के अलावे सीनियर अधिकारियों के साथ नजर आ रहे हैं। किम जोंग उन उर्वरक कारखाने में फीता काटते दिख रहे हैं।
केसीएनए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किम अपनी बहन किम यो जोंग के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दिखाई दिये। एजेंसी ने कहा, 'विश्व के मेहनतकश लोगों के लिए एक मई को मनाये जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर उर्वरों का उत्पादन करने वाली कंपनी शंचोन फॉस्फेटिक फर्टिलाइजर द्वारा आयोजित समारोह में श्री किम शामिल हुए।'
कैसे मिला था अटकलों को बलउत्तर कोरियाई शासक हाल ही में कई कार्यक्रमों में नहीं दिखाई दिए थे। इससे उनकी सेहत को लेकर कयासबाजी तेज हो गई थी। किम जोंग उन 15 अप्रैल को अपने दिवंगत दादा और देख के संस्थापक किम इल-सुंग की 108वीं जयंती समारोह में भी नजर नहीं आए थे। इतना ही नहीं, वह आखिरी बार 11 अप्रैल को ही एक बैठक में दिखे थे। बताया जा रहा है कि 2012 के बाद ऐसा पहली बार है जब किम अपने दादा के जयंती समारोह से गायब रहे हैं। - एजेंसीमुंबई : बॉलीवुड एक्टर इरफान खान का 54 साल की उम्र में निधन हो गया है. वे मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती थे. उनकी हालत काफी गंभीर थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इरफान पेट की समस्या से जूझ रहे थे. उन्हें Colon infection हुआ था.
डायरेक्टर शूजीत सरकार ने इरफान खान के निधन की खबर दी है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- मेरा प्यारा दोस्त इरफान. तुम लड़े और लड़े और लड़े. मुझे तुम पर हमेशा गर्व रहेगा. हम दोबारा मिलेंगे. सुतापा और बाबिल को मेरी संवेदनाएं. तुमने भी लड़ाई लड़ी. सुतापा इस लड़ाई में जो तुम दे सकती थीं तुमने सब दिया. ओम शांति. इरफान खान को सलाम.
बॉलीवुड के टैलेंटेड अभिनाताओं में शामिल इरफान खान के यूं अचानक चले जाने से उनके फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स सदमे में हैं. दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी का पता चला था. विदेश में इस बीमारी का इलाज कराकर इरफान खान ठीक हो गए थे. भारत लौटने के बाद इरफान खान ने अंग्रेजी मीडियम में काम किया था. किसे पता था ये मूवी इरफान की जिंदगी की आखिरी फिल्म साबित होगी. - एजेंसीनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना अपनाने की संभावना पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सके। केंद्र सरकार की यह योजना इस साल जून में शुरू होने वाली है।न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, 'हम केंद्र सरकार को इस समय यह योजना लागू करने की व्यावहारिकता पर विचार करने और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेने का निर्देश देते हैं।'
न्यायालय ने इसके साथ ही अधिवक्ता रीपक कंसल के आवेदन का निस्तारण कर दिया। कंसल ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से अलग-अलग स्थानों पर फंसे कामगारों और दूसरे नागरिकों के लाभ के लिए योजना शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिका में याचिकाकर्ता ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों, लाभार्थियों, राज्यों के निवासियों और पर्यटकों के हितों की रक्षा करने और उन्हें रियायती खाद्यान्न और सरकारी योजना के लाभ उपलब्ध दिलाने के लिए अस्थायी रूप से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना अपनाने के लिए न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
कंसल ने दावा किया था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने नागरिकों और मतदाताओं को प्राथमिकता दे रही हैं और वे प्रवासी मजदूरों ओर दूसरे राज्यों के निवासियों को रियायती दाम पर खाद्यान्न, भोजन, आवास और चिकित्सा सुविधाओं के लाभ नहीं दे रही हैं। - मीडिया रिपोर्टनई दिल्ली- भारत ने कोरोना वायरस की जांच के लिए चीन से जो खराब रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट मंगवाए थे, पता चला है कि उसके बदले उससे दो गुना से ज्यादा भुगतान लिए गए। जानकारी के मुताबिक कोविड-19 टेस्ट किट को भारतीय डिस्ट्रिब्यूटरों रेअर मेटाबोलिक्स और आर्क फार्मासियूटिकल्स ने काफी ज्यादा कीमत पर सरकार को बेचा है। इस बात का खुलासा भी नहीं होता अगर डिस्ट्रीब्यूटर और इंपोर्टर के बीच कानूनी विवाद दिल्ली हाई कोर्ट में नहीं पहुंचता। बाद में हाई कोर्ट ने साफ किया कि महामारी संकट को देखते हुए किसी भी कीमत पर एक किट 400 रुपये से ज्यादा के नहीं बेचे जाने चाहिए।
टेस्टिंग किट खरीद में सरकार को लगाया बड़ा चूनाजानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के जरिए चाइनीज फर्म वॉन्डफो को पिछले 27 मार्च को 5 लाख रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट्स के ऑर्डर दिए थे। एनडीटीवी ने आईसीएमआर और आर्क फार्मासियूटिकल्स के बीच हस्ताक्षर वाला पर्चेज ऑर्डर जुटाने का दावा किया है, जिसमें प्रति किट 600 रुपये के भुगतान का जिक्र है। जबकि, हकीकत ये है कि इंपोर्टर मैट्रिक्स ने चीन से महज 245 रुपये प्रति किट के दर से खरीदा है। लेकिन, वही किट रेअर मेटाबॉलिक्स और आर्क फार्मासियूटिकल्स नाम के ड्रिस्ट्रीब्यूटर्स ने करीब 60 फीसदी ज्यादा कीमत यानि 600 रुपये प्रति किट के हिसाब से सरकार को बेचा है। जानकारी में ये बात भी सामने आई है कि 20 रुपये के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट को मिलाकर इंपोर्टर मैट्रिक्स लैब ने 245 रुपये वाले उस किट को 400 रुपये प्रति किट के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटरों को उपलब्ध करवाया। यानि 155 रुपये प्रति किट का मुनाफा इंपोर्टर ने वसूला और 200 रुपये प्रति किट का लाभ डिस्ट्रीब्यूटरों ने कमाने की कोशिश की।
कानूनी विवाद की वजह से हुआ खुलासा इस बात पर विवाद तक शुरू हुआ जब तमिलनाडु सरकार ने भी उसी मैट्रिक्स नाम के इंपोर्टर से एक अलग डिस्ट्रिब्यूटर शान बायोटेक के जरिए वही किट मंगवाया तो उसे भी 600 रुपये प्रति किट के हिसाब से पैसे चुकाने पड़े। आईसीएमआर तक 5 लाख में से 2.76 लाख किट पहुंचे तो तमिलनाडु सरकार के 50,000 किट के ऑर्डर में से 24,000 किट की डिलिवरी हो चुकी है। एनडीटीवी ने तमिलनाडु सरकार और शान बायोटेक के हस्तारक्षर वाला परचेज ऑर्डर भी प्राप्त किया है। इसी के बाद रियर मेटाबॉलिक्स हाई कोर्ट में पहुंच गया कि मैट्रिक्स ने जो किट आयात किए हैं, उसका एकमात्र डिस्ट्रिब्यूटर वही है, जबकि मैट्रिक्स ने शान बायोटेक को भी यह बेचा है, जो कि करार का उल्लंघन है।
400 रुपये प्रति किट से ज्यादा नहीं लिए जाने चाहिए दाम- हाई कोर्ट इसी विवाद के निपटारे के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने भी पाया कि किट के लिए बहुत ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं और उसने निर्देश दिया कि उसके दाम घटाकर 400 रुपये प्रति किट किए जाने चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट के मुताबिक, 'पिछले लगभग एक महीने से अर्थव्यवस्था ठहर सी गई है।....लोगों को भरोसा चाहिए कि महामारी नियंत्रण में है ......इसके लिए जरूरी है कि कम से कम दाम पर जल्द से जल्द किट्स उपलब्ध होने चाहिए, ताकि पूरे देश में व्यापक पैमाने पर टेस्टिंग हो सके। जनहित को हर कीमत पर निजी लाभ से ऊपर रखा जाना चाहिए। व्यापक जनहित में इस विवाद को खत्म कर देना चाहिए। इन सबको देखते हुए किट को जीएसटी समेत 400 रुपये से ज्यादा में नहीं बेचा जाना चाहिए। '
किट के इस्तेमाल पर पहले ही लग चुकी है रोक जब एनडीटीवी ने किट के ज्यादा दाम को लेकर आईसीएमआर से सवाल पूछा गया तो कहा गया कि 'रैपिड टेस्ट किट के लिए 528 रुपये से लेकर 795 रुपये की रेंज को मंजूरी दी गई थी। यह कीमत किट की तकनीकी विशेषता आदि पर निर्भर करती है।....' बता दें कि कई राज्यों से शिकायतें मिलने के बाद पिछले हफ्ते आईसीएमआर ने वॉन्डफो टेस्ट का इस्तेमाल रोक दिया था। शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा था कि अभी किसी किट के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है और सारी खराब किट जहां से आए हैं, वहीं भेज दिए जाएंगे। बता दें कि कई राज्यों ने चीन से आई किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे और उसके नतीजे भटकाने वाले आ रहे थे। जिसके बाद आईसीएमआर ने उन किट्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया था। हालांकि, चीन का दावा है कि किट खराब नहीं है और हो सकता है कि इस्तेमाल करने में दिक्कत आ रही हो। - एजेंसीबिहार : देश में लॉकडाउन के चलते बिहार के 17 लाख से ज्यादा लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं और उन्हें फिलहाल वापस लाना मुमकिन नहीं है। बिहार सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि उन लोगों को फौरी सहायता के तौर पर भोजन, राशन और रुपये दिए जा रहे हैं।आपदा प्रबंधक विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के लोग और उनको प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही मदद के बारे में हाईकोर्ट के निबंधक कार्यालय को रिपोर्ट सौंपी। बता दें कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था।
अपनी रिपोर्ट में बिहार सरकार ने बताया कि लॉकडाउन के नियमों और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है। लॉकडाउन की अवधि में प्रदेश के किसी भी व्यक्ति को वापस नहीं लाया जा सकता। ऐसे लोगों को समुचित भोजन, राशन के साथ तत्काल एक-एक हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
राज्य सरकार ने कहा कि टेलीफोन, हेल्पलाइन नंबर, मोबाइल एप बहुत पहले ही जारी कर दिए गए थे। दरअसल, कोटा में पढ़ रही बिहार की एक छात्रा के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि छात्रा को कोटा में रहने और खाने की परेशानी हो रही है।
लड़की के पिता ने याचिका में कहा है कि जिस तरह यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, पश्चिम बंगाल और असम की सरकारें कोटा में पढ़ने वाले अपने छात्रों को वापस लाई हैं उसी तरह बिहार सरकार भी अपने राज्य के छात्रों को वापस बुलाए। इसी पर हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था।
दूसरे राज्यों के छात्रों को घर जाता देख अब कोटा में रह रहे बिहार के छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। बिहार के छात्र हॉस्टल में रहकर ही उपवास कर रहे हैं और हाथ में तख्तियां लेकर राज्य सरकार से घर बुलवाने की अपील कर रहे हैं। कोटा में बिहार समेत अन्य राज्यों के लगभग 22 से 25 हजार छात्र अभी भी फंसे हुए हैं।
- एजेंसीनई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामलो में गुरुवार की तुलना में आज थोड़ी कमी देखने को मिली है। पिछले 12 घंटे में कोरोना वायरस के 922 नए मामले सामने आए हैं, वहीं 29 लोगों की मौत हो गई है। गुरुवार को जारी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 21393 हो गई है। वहीं, इस खतरनाक कोविड-19 महामारी से मरने वालों का आंकड़ा 681 पहुंच गया है। कोरोना वायरस के कुल 21393 मामलों में से 16454 एक्टिव केस हैं। इसके अलावा, 4258 लोग पूरी तरह से ठीक हो गए हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। कोरोना वायरस से सर्वाधिक 269 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। यहां अब इस महामारी से पीड़ितों की संख्या 6710 हो गई है। तो चलिए जानते हैं किस राज्य में क्या है कोरोना वायरस की स्थिति....
महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में सबसे अधिक कोरोना का कहर देखने को मिल रहा है। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के कुल 6710 पॉजिटिव केस मिल चुके हैं। कोरोना के इन कुल केसों में से 5652 केस एक्टिव हैं और 789 लोग पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं या उन्हें छुट्टी दे दी गई है। इस राज्य में अब तक सबसे अधिक 269 लोगों की जान जा चुकी है।
दिल्ली: दिल्ली में भी कोरोना के संक्रमण का मामला बढ़ रहा है। राजधानी में कोरोना वायरस के अब तक 3020 मामलों में 2248 एक्टिव केस हैं। कोविड-19 महामारी से जहां 48 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 724 लोग पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं।
तमिलनाडु: तमिलनाडु में भी कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या 2309 हो गई है। इनमें से से 1629 केस एक्टिव हैं। यहां इस महामारी से 18 की मौत भी हो चुकी है और 662 पूरी तरह से ठीक भी हो चुके हैं।
केरल: केरल में कोरोना वायरस के पॉजिटिव केसों की संख्या 764 है। इनमें से एक्टिव केसों की संख्या 438 है और 3 लोगों की मौत हो चुकी है और 323 लोग इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं।
आंध्र प्रदेश: आंध्र प्रदेश में कोरोना वायरस के अब तक 957 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 120 लोगों का इलाज हो गया है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। यहां 24 की मौत भी हुई है।
अंडमान-निकोबार: यहां कोरोना वायरस के अब तक 29 पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 11 ठीक हो चुके हैं।
अरुणाचल प्रदेश: यहां दो मामला सामने आया है।
असम: असम में कोरोना संक्रमण के 55 मामले दर्ज किए गए हैं और इनमें से एक की मौत हो चुकी है।
बिहार: कोरोना वायरस के बिहार में अब तक 191 मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि, बिहार में कोरोना वायरस से दो लोगों की मौत हो चुकी है।
चंडीगढ़: केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ में कोरोना वायरस संक्रमण के 41 केस सामने आए हैं।
छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के अब तक 62 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 26 लोग ठीक हो चुके हैं।
गोवा: गोवा में कोरोना वायरस से फैली महामारी कोविड-19 के 14 पॉजिटिव केस सामने आए हैं।
गुजरात: गुजरात में कोरोना वायरस के अब तक 2689 मामले सामने आ चुके हैं। गुजरात में कोरोना से 103 लोगों की मौत हो चुकी है और 179 लोग या तो स्वस्थ हो चुके हैं या फिर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
हरियाणा: यहां कोरोना वायरस के 405 केस सामने आए हैं, जिनमें से 140 लोग या तो स्वस्थ हो चुके हैं या फिर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। यहां 3 लोगों की मौत हो चुकी है।
हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में कोरोना वायरस के 59 मामले सामने आए हैं, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है।
जम्मू और कश्मीर: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कोरोना के 504 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 5 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 92 लोग इस बीमारी से उबर चुके हैं।
कर्नाटक: कर्नाटक में कोरोना वायरस के 575 पॉजिटिव केस दर्ज किए गए हैं। यहां इस बीमारी से 17 लोगों की मौत भी हो चुकी है 131 लोग ठीक हो चुके हैं।
लद्दाख: लद्दाख में कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर 32 हो गई है। इनमें से 14 ठीक हो चुके हैं।
मध्य प्रदेश: यहां कोरोना वायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 1820 हो गई है, जिनमें से 80 लोगों की मौत भी हो चुकी है। इसके अलावा, 148 लोग ठीक हो चुके हैं।
मणिपुर: इस राज्य में कोरोना वायरस का अब तक 4 मामले सामने आए हैं।
मेघालय: मेघालय में अचानक कोरोना के 13 मामले आए हैं, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है।
मिजोरम: यहां कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामलों की संख्या अभी एक ही है। - एजेंसीलंदन: संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन का मानव परीक्षण गुरुवार को ब्रिटेन में शुरू होगा। स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने मंगलवार को यह जानकारी दी। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी इस प्रक्रिया के बारे में कुछ भी निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता। मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने घोषणा की कि इस गुरुवार से लोगों में ऑक्सफोर्ड (Oxford) द्वारा बनाए गए टीके का परीक्षण किया जाएगा। बता दें कि वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया जा रहा है, जो मानते हैं कि इससे 80 फीसद तक सफलता हाथ लगेगी।
मैट हैनकॉक ने टीका विकास परियोजनाओं में शामिल प्रत्येक के लिए £ 20 मिलियन के सार्वजनिक धन का वादा किया। ऑक्सफोर्ड में जेनर इंस्टीट्यूट की टीम ट्रायल पूरा होने से पहले ही वैक्सीन के उत्पादन की योजना बना रही है ताकि सितंबर तक कम से कम एक लाख वैक्सीन तैयार हो जाए। बताया गया कि इंपीरियल कॉलेज लंदन भी कोविद -19 के लिए एक वैक्सीन विकसित करने की कोशिश कर रहा है। कोविद -19 से निपटने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग और एक वैक्सीन केवल दो तरीके हैं, जिसके कारण दुनिया भर में लॉकडाउन को आगे बढ़ाया जा रहा हैं। लॉकडाउन ना हो तो लोग बाहर निकलेंगे और ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का कुछ महत्व नहीं रह जाएगा।
मैट हैनकॉक ने कहा, 'कोरोना वायरस को हराने का सबसे अच्छा तरीका एक वैक्सीन है, क्योंकि यह एक नई बीमारी है, यह अनिश्चित विज्ञान है, लेकिन मुझे यकीन है कि हम वैक्सीन विकसित करने के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा देंगे।' ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वे निर्माण क्षमता में भी निवेश कर रहे हैं, इसलिए यदि इनमें से कोई भी टीका काम करता है, तो हम इसे ब्रिटिश लोगों के लिए जल्द से जल्द उपलब्ध करा सकते हैं।
ब्रिटिश मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ चांद नागपॉल ने घोषणा का स्वागत किया और कहा, 'यह स्पष्ट रूप से सकारात्मक है कि कोरोना वायरस वैक्सीन के लिए परीक्षण शुरू हो रहे हैं क्योंकि एक प्रभावी टीका इसे नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीका है। मुझे आशा है कि दुनिया के सामूहिक प्रयासों से जल्द से जल्द एक वैक्सीन विकसित की जाएगी।' - एजेंसी
उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन द्वारा कई बार कहे जाने के बावजूद अब भी राज्य के कई हिस्सों में जमाती छिपे हुए हैं और इसकी सूचना नहीं दे रहे हैं। सोमवार को प्रयागराज में जमातियों के छिपे होने की खबर मिलने पर पुलिस ने देर रात छापेमारी की और 30 लोगों को गिरफ्तार किया।गिरफ्तार लोगों में क्वारंटीन किए गए इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व 16 विदेशी जमातियों समेत कुल 30 लोग शामिल हैं। विदेशियों की गिरफ्तारी फॉरेनर्स एक्ट के तहत की गई, जबकि इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर के खिलाफ जमातियों को गुप्त रूप से शहर में शरण दिलाने के आरोप में और महामारी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
इससे पहले शाहगंज के काटजू रोड पर स्थित अब्दुल्लाह मस्जिद मुसाफिरखाने में 31 मार्च को इंडोनेशिया के सात नागरिकों समेत नौ लोग छिप कर रहते मिले थे। यह सभी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तब्लीगी जमात के जलसे में शामिल हुए थे।
इसी तरह करेली के हेरा मस्जिद में थाईलैंड के 9 नागरिकों समेत कुल 11 जमाती मिले थे। शाहगंज व करेली थाने में मुकदमा दर्ज कर इन सभी को क्वारंटीन कर दिया गया था।
कुछ दिनों बाद पुलिस को सूचना मिली थी कि शिवकुटी के रसूलाबाद में रहने वाले इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर भी दिल्ली में आयोजित तब्लीगी जमात के जलसे में शामिल होकर लौटे और चुपचाप शहर में रह रहे हैं।
इसके बाद उन्हें भी परिवार समेत क्वारंटीन कर दिया गया था। विदेशी जमातियों के साथ दिल्ली से लौटे उनके चार सहयोगियों और करेली की हेरा मस्जिद व शाहगंज में अब्दुल्ला मस्जिद मुसाफिरखाना के 9 अन्य लोगों को भी क्वारंटीन किया गया था।पुलिस ने बताया कि सोमवार रात में इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रोफेसर समेत सभी 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। प्रोफेसर व 16 विदेशियों समेत कुल 30 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। इन सभी को मंगलवार को मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। जिसके बाद इन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी।
भेजे जा सकते हैं अस्थायी जेलपुलिस अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तार किए गए सभी 30 लोगों को मजिस्ट्रेट की अनुमति के बाद जेल भेजने की कार्रवाई की जाएगी। एहतियातन इन्हें 14 दिनों के लिए क्वारंटीन किया गया था। कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए इन्हें कुछ दिनों के लिए अस्थाई जेल में भेजने पर भी विचार किया जा रहा है।
- एजेंसीउत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के पिता आनन्द सिंह बिष्ट (Anand Singh Bisht) की लंबी बीमारी के बाद आज सुबह 10 बजकर 44 मिनट पर निधन हो गया है. उनकी उम्र 89 वर्ष थी. तबीयत बिगड़ने की वजह से उन्हें पिछले महीने दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था. सीएम योगी आदित्यनाथ ने बयान जारी करके कहा कि वह कोरोनावायरस महामारी के चलते मंगलवार (21 अप्रैल) को अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाएंगे. साथ ही उन्होंने अपील की है कि लॉकडाउन का पालन करते हुए कम से कम लोग अंतिम संस्कार में रहें.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, "अंतिम क्षणों में पिता के दर्शन की इच्छा थी, परंतु वैश्विक महामारी कोरोनावायरस के खिलाफ देश की लड़ाई को उत्तर प्रदेश की 23 करोड़ जनता के हित में आगे बढ़ाने के कर्तव्यबोध के कारण मैं नहीं कर सका. कल 21 अप्रैल को अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में लॉकडाउन की सफलता और महामारी कोरोना को परास्त करने की रणनीति के कारण भाग नहीं ले पा रहा हूं."
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता को पेट मे दर्द और सांस लेने की तकलीफ की वजह से बीते 12 मार्च को दिल्ली स्थित एम्स में उन्हें भर्ती कराया गया था. हंसमुख स्वभाव के धनी आनन्द सिंह बिष्ट फारेस्ट विभाग के रेंज अधिकारी के पद से रिटायर होने बाद सामाजिक कार्यो में व्यस्त रहते थे.
सीएम योगी के पिता ने उत्तराखंड के यमकेश्वर क्षेत्र में उच्च शिक्षा के लिए साल 1998 में गुरु गोरखनाथ महाविद्यालय खोला था. इसके अलावा उन्होंने अलग राज्य के शुरू किए गए आंदोलन में भी हिस्सा लिया था. आनंद सिंह बिष्ट के परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटे और चार बेटियां हैं.
उनके निधन के बाद यमकेश्ववर में अंतिम संस्कार की तैयारी की जा रही है. वीआईपी मूवमेंट को देखते हुए वहां दो हेलीपैड बनाए गए हैं. सीएम योगी के पिता के पार्थिव शरीर को दिल् ी से सड़क के रास्ते यमकेश्वर लाया जा रहा है. - एजेंसीनई दिल्ली : कोरोना के खिलाफ जारी जंग के बीच अच्छी खबर आ रही है। गोवा के बाद अब मणिपुर कोरोना वायरस के संक्रमण से मुक्त होने वाला दूसरा राज्य बन गया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने ट्वीट कर दी। उन्होंने कहा कि यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मणिपुर कोरोना मुक्त हो गया है। उन्होंने कहा कि सभी मरीज ठीक हो गए हैं और उनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि राज्य में कोरोना वायरस का कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है। इसके पहले एक और राहत की खबर आई थी जब रविवार को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने ट्वीट कर बताया कि गोवा अब कोरोना वायरस से मुक्त हो चुका है, वहां के संक्रमित सारे मरीज अब पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं। सीएम प्रमोद सावंत ने बताया कि 3 अप्रैल, 2020 के बाद से राज्य में कोई कोरोना वायरस का नया केस नहीं आया है।
कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने के देश में लॉकडाउन का दूसरा चरण 3 मई तक के लिए लागू है। लॉकडाउन के तहत केवल जरूरी सेवाओं की श्रेणी में आने वाली सुविधाएं ही आम लोगों के खुली हुई हैं। हालांकि 20 अप्रैल से लॉकडाउन-2 में कुछ और सेवाओं में छूट मिलनी शुरू हो जाएगी। छूट के बावजदू सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने की अनिवार्यता का पालन करना होगा। हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन में किसी तरह की छूट अभी नहीं दी जाएगी।
देशभर में अबतक कोरोना वायरस के 17265 मामलों की पुष्टि हुई है, जिसमें से 2546 लोग ठीक हो चुके हैं। वहीं, अबतक मरने वालों की संख्या 543 है। देशभर में कोरोना वायरस के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में ही सामने आए हैं जहां संक्रमित मरीजों की संख्या 4200 तक पहुंच गई है जबकि इस वायरस के संक्रमण के कारण 223 लोगों की मौत हुई है। -
नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है, वैश्विक महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या 22 लाख के पार जा चुकी है वहीं, 1.50 लाख से अधिक लोगों की जानें गई हैं। दुनिया के 200 से ज्यादा देश मिलकर कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं।भारत में भी कोरोना वायरस का प्रकोप गहराता जा रहा है, आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, देशभर से अबतक 15,712 मामले सामने आए हैं। कुल 507 मरीजों की मौत हो चुके हैं। देश में कोरोना के 12,974 एक्टिव केसेज हैं जबकि 2230 मरीजों को इलाज के बाद छुट्टी दी जा चुकी है।
बता दें कि कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा महाराष्ट्र प्रभावित हुआ है, यहां संक्रमितों की संख्या 3000 के पार जा चुकी है। महाराष्ट्र में लॉकडाउन के उल्लंघन के मामले में 10729 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, 33984 वाहनों को जब्त किया गया नई दिल्ली में किसी भी प्रकार से थूकने या खुले में शौच करने वाले को 1000 रुपये जुर्माना भरना होगा। गुटखा, तंबाकू और शराब बेचने पर भी पाबंदी लगाई गई है।प्रदेश सरकारों ने उठाया बड़ा कदमतो वहीं कोरोना वायरस संकट के बीच कई लोग ऐसे हैं जो सर्दी, जुकाम और बुखार की दवाएं खरीद रहे हैं और उसे अपने पास एहतियात के तौर रख रहे हैं। ऐसे में कई प्रदेश सरकारों ने एक बड़ा कदम उठाया है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार और महाराष्ट्र ने तमाम मेडिकल शॉप और फार्मेसी को निर्देश दिया है कि वह उन लोगों के नाम का रिकॉर्ड रखें जो बुखार, कोल्ड और खांसी की दवा खरीद रहे हैं। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना की सरकार हर रोज इन तमाम आंकड़ों को इकट्ठा करेगी और ये दवा खरीदने वालों का कोरोना वायरस टेस्ट करेगी।लोग टेस्ट से बचने के लिए खा रहे हैं दवाईदरअसल इस बात की चिंता है कि इस तरह की दवाएं खाने से कोरोना वायरस के लक्षण दब जाते हैं ताकि लोग कोरोना टेस्ट से बच सके और उन्हें 14 दिन तक क्वारेंटाइन में ना रखा जाए। तेलंगाना के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां लोगों ने खुद से सर्दी, जुकाम और बुखार की दवा खाई थी और बाद में इन लोगों का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया था। एजेंसी -
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मरीज लगातार बढते जा रहें हैं। देश में प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने 3 मई तक लाकडाउन बढा दिया है। कोरोना के लगातार मामले बढ़ रहे हैं। साथ ही इससे लोगों की जान भी जा रही है। देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 12 हजार को पार कर गया है और 400 से अधिक लोगों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में कुल मरीजों की संख्या 12380 है। इसमें से 414 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि 1489 लोग ठीक हो गए हैं।
चार राज्यों में एक हजार से अधिक मामले....देश के चार राज्यों में कोरोना मरीजों का आंकड़ा एक हजार को पार कर गया है। कोरोना के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र में हैं, यहां अब तक 2687 केस सामने आए हैं, जिसमें 178 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद दिल्ली में 1561 मामले, तमिलनाडु में 1204 मामले और राजस्थान में 1005 मामले आ गए हैं । एजेंसीतीन जोन में बांटे गए जिले....स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए नई रणनीति बनाई गई है। इसके तहत सभी जिलों को तीन जोन में बांटा गया है, पहला- हॉटस्पॉट, दूसरा- नॉन हॉटस्पॉट और तीसरा- वह जिले जहां अब तक कोई केस नहीं आए हैं। इन जिलों में कोरोना को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम कई एजेंसियों के साथ कोआर्डिनेट कर रही है।ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे -
संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने सावधान किया कि दुनिया इस समय जब घातक कोविड-19 महामारी से लड़ रही है, हम व्हाट्सएप जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोविड-19 के बारे में गलत जानकारियां फैलाई जाने से एक और खतरनाक महामारी का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने ढेर सारे लोगों की जिंदगी को खतरे में डालने वाली इन गलत सूचनाओं के ‘‘जहर’’ का मुकाबला करने के लिए तथ्यों और विज्ञान पर आधारित चीजों को इंटरनेट पर डालने की संयुक्त राष्ट्र की नई पहल की घोषणा की है।मंगलवार को एक संदेश में संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कोरोना वायरस के बारे में दुनियाभर में दी जा रहीं झूठी जानकारियां और गलत स्वास्थ्य सलाह पर गंभीर चिंता व्यक्त की।गुतारेस ने कहा, ‘दुनिया घातक कोविड-19 महामारी से लड़ रही है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण संकट है। वहीं हम गलत सूचना फैलाए जाने की एक और खतरनाक महामारी का सामना कर रहे हैं।‘उन्होंने कहा, ‘झूठी बातें फैल रही हैं। कोरोना वायरस की महामारी को साजिश करार देने वाली उल्टी सीधी चीजें इंटरनेट को संक्रमित कर रही हैं। घृणा फैलाने वाली सामग्री वायरल हो रही है, लोगों और समूहों पर कलंक मढ़ा जा रहा है और उन्हें दोषी ठहराया जा रहा है। दुनिया को इस बीमारी के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।‘ उन्होंने सभी राष्ट्रों से झूठ और बेहूदी चीजों को अस्वीकार करने की अपील की।गलत सूचनाओं के बढ़ते संकट का मुकाबला करने के लिए तथ्यों और विज्ञान पर आधारित सामग्रियों को इंटरनेट पर डालने के लिए संयुक्त राष्ट्र की एक नई पहल की घोषणा की। (भाषा) -
Modi Corona Lockdown Speech Live Update: देशभर में जारी कोरोना कहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशव्यापी लॉकडाउन के 21वें दिन यानी आज मंगलवार को राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। पीएम मोदी ने कहा कि देश पूरी मजबूती के साथ कोरोना वायरस महामारी से लड़ रहा है। जिस तरह से देशवासियों ने त्याग और तपस्या का परिचय दिया है, वह कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अहम है। इससे पहले प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए 24 मार्च को 21 दिन के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की थी, जिसकी अवधि मंगलवार यानी आज खत्म हो रही है।
PM Modi Corona Lockdown Speech LIVE:3 मई तक बढ़ा लॉकडाउन- पीएम मोदी ने कहा कि मेरी सभी देशवासियों से ये प्रार्थना है कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में फैलने नहीं देना है। स्थानीय स्तर पर अब एक भी मरीज बढ़ता है तो ये हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए। इसलिए हमें हॉटस्पॉट (Hotspots) को लेकर बहुत ज्यादा सतर्कता बरतनी होगी। जिन स्थानों के हॉटस्पॉट में बदलने की आशंका है उस पर भी हमें कड़ी नजर रखनी होगी। नए हॉटस्पॉट का बनना, हमारे परिश्रम और हमारी तपस्या को और चुनौती देगा।पीएम मोदी ने कहा कि सारे सुझावों को ध्यान में रखते हुए ये तय किया गया है कि भारत में लॉकडाउन को अब 3 मई तक और बढ़ाना पड़ेगा, यानी 3 मई तक हम सभी को, हर देशवासी को लॉकडाउन में ही रहना होगा। इस दौरान हमें अनुशासन का उसी तरह पालन करना है जैसे हम करते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मेरी सभी देशवासियों से ये प्रार्थना है कि अब कोरोना को हमें किसी भी कीमत पर नए क्षेत्रों में फैलने नहीं देना है। स्थानीय स्तर पर अब एक भी मरीज बढ़ता है तो ये हमारे लिए चिंता का विषय होना चाहिए।पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना जिस तेजी से फैल रहा है उसने दुनियाभर में सरकारों और हेल्थ एक्सपर्टों को और ज्यादा सतर्क कर दिया है। भारत में कोरोना के खिलाफ लड़ाई अब आगे कैसे बढ़े, हम विजयी कैसे हों, हमारा नुकसान कैसे हो, लोगों की दिक्कतें कैसे कम हो, इन बातों को लेकर राज्यों के सात मैंने निरंतर चर्चाएं की हैं। सबका यही सुझाव यही आता है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जाए। कई राज्यों ने पहले ही लॉकडाउन को बढ़ाने का फैसला कर चुके हैं।देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि नमस्ते मेरे प्यारे देशवासियों, कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ भारत की लड़ाई काफी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है। आप सभी देशवासियों की तपस्या, आपके त्याग की वजह से भारत अब तक कोरोना से होने वाले नुकसान को काफी हद तक टालने में सफल रहा है। आप लोगों ने कष्ट सहकर भी अपने देश को बचाया है। हमारे इस भारतवर्ष को बचाया है। मैं जानता हूं आपको कितनी दिक्कतें आई हैं। किसी को खाने की परेशानी, किसी को आने-जाने की परेशानी, तो कोई घर-परिवार से दूर है, लेकिन आप देश की खातिर एक अनुशासित सिपाही की तरह अपने कर्तव्य निभा रहे हैं। मैं आप सबको आदरपूर्वक नमन करता हूं।पीएम मोदी ने कहा कि साथियों, आज पूरे विश्व में कोरोना की जो स्थिति है, हम सब उससे परिचित हैं। अन्य देशों के मुकाबले भारत ने कैसे अपने यहां संक्रमण को रोकने के प्रयास किए, आप इसके सहभागी भी रहे हैं और साक्षी भी। जब हमारे यहां कोरोना का एक भी केस नहीं था, उससे पहले ही भारत ने कोरोना प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी थी। कोरोना के मरीज 100 तक पहुंचे, उससे पहले विदेश से आए हर यात्रियों के लिए भारत ने 14 दिनों का आइसोलेशन शुरू कर दिया था। मॉल, जिम आदि को बंद कर दिया गया।उन्होंने कहा कि जब हमारे यहां कोरोना के 550 केस थे, तभी भारत ने 21 दिन के संपूर्ण भारत के लॉकडाउन का एक अहम और बड़ा कदम उठा लिया। हमने समस्या बढ़ने का इंतजार नहीं किया, बल्कि जैसे ही दिखी उसी समय उसे रोकने का प्रयास किया।पीएम मोदी ने हा कि वैसे यह ऐसा संकट है, जिसमें किसी भी देश के साथ उचित नहीं है। मगर फिर भी कुछ सच्चाइयों को नकार नहीं सकते। ये भी एक सच्चाई है कि दुनिया के सामर्थ्यवान देशों की तुलना करें तो भारत आज बहुत ही संभली हुई स्थिति में है। महीना-डेढ़ महीना पहले कई देश कोरोना संक्रमण के मामले में एक तरह से भारत के बराबर खड़े थे। आज उन देशों में भारत की तुलना में कोरोना के केस 25 से 30 गुना बढ़ गए हैं। उन देशों में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है। भारत ने सही अप्रोच नहीं दिखाया होता और सही फैसले नहीं लिए होते तो आज भारत की स्थिति क्या होती, इसकी कल्पना करते ही रोएं खड़े हो जाते हैं। मगर बीते दिनों के अनुभवों से यह साफ है कि हमने जो रास्ता चुना है, आज की स्थिति में वही हमारे लिए सही है।उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन का लाभ देश को मिला है। सिर्फ आर्थिक दृष्टि से देखें तो यह महंगा जरूर लगता है, मगर भारतवासी की जिंदगी के आगे इसकी कोई तुलना नहीं हो सकती। सीमित संसाधनों के बीच भारत जिस मार्ग पर चला है, उस मार्ग की चर्चा आज दुनियाभर में हो रही है।सरकारी कामकाज शुरू होने की उम्मीद : सरकारी विभागों में शीर्ष स्तर पर शुरू हो चुके कामकाज को इसी दिशा में उठाया कदम माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, आवश्यक सेवाएं और कृषि संबंधी गतिविधियां अभी लॉकडाउन के दायरे में नहीं हैं। इन सेवाओं में कुछ और कार्य शामिल हो सकते हैं। साथ ही कई सरकारी सेवाएं ऑनलाइन शुरू की जा सकती हैं।केंद्रीय मंत्री दफ्तर पहुंचे: अब तक लॉकडाउन के कारण घर से काम कर रहे केंद्रीय मंत्रियों और अफसर सोमवार से दफ्तर पहुंचने लगे हैं। इनमें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, रसायन व उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, खेल मंत्री किरेन रिजिजू समेत कई नाम शामिल हैं।कौन-कौन राज्य कर चुके हैं लॉकडाउन का ऐलान : पंजाब, ओडिशा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना व पश्चिम बंगाल कोरोना लॉकडाउन 30 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला लागू कर चुके हैं। इसके अलावा आठ राज्यों में इसके लिए पूरी तैयारी चल रही है।देश में कोरोना की स्थितिभारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का मामला लगातार बढ़ रहा है। देश में पिछले 24 घंटे में 1211 मामले सामने आने के बाद कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 10363 हो गई है। वहीं, पिछले 24 घंटे में कोरोना से 31 लोगों की मौत हुई है, जिससे कोविड-19 महामारी से मरने वालों का आंकड़ा 339 पहुंच गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस के कुल 10363 मामलों में से 8988 एक्टिव केस हैं। इसके अलावा, 1035 लोग पूरी तरह से ठीक हो गए हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार सुबह 8 बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, कोरोना वायरस से सर्वाधिक 160 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। यहां अब इस महामारी से पीड़ितों की संख्या 2711 हो गई है।किन्हें मिल सकती है रियायतें:-उद्योग जहां सामाजिक दूरी बनाकर काम करने, कार्मिकों के लिए परिवहन या आवासीय सुविधा है, उन्हें संचालन की मंजूरी के आसार।-ई-कॉमर्स ई-कॉमर्स के जरिये आपूर्ति के अलावा जरूरी सेवाओं में अस्पताल सेवाएं,स्टेशनरी, गारमेंट, इलेक्ट्रिकल आदि दुकानें शामिल होंगी।-आबकारी कई राज्यों ने आबकारी सेवा को भी लॉकडाउन से बाहर रखने की मांग रखी है। इस पर कोई ऐलान हो सकता है।-परिवहन रेल, विमान व बस सेवा तुरंत शुरू होने के आसार नहीं। बाद में कुछ रूटपर ट्रेन सेवा संभव। जहां संक्रमण नहीं वहां बसें चलेंगी।लाइव हिंदुस्तान से साभार -
सिंगापुर। सिंगापुर में 233 और लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, जिनमें से 59 भारतीय हैं और इसके साथ ही देश में संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 2,532 हो गई है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को बताया कि इन नए मामलों से 51 लोग सार्वजनिक स्थलों पर संक्रमित हुए जबकि 15 लोगों को किसी अन्य संक्रमित के संपर्क में आने से संक्रमण हुआ। शेष 167 लोग पहले से ज्ञात संक्रमित लोगों से संपर्क में नहीं आए। उनके संक्रमित होने के स्रोत का पता लगाया जा रहा है।संक्रमण के स्रोत सात नए सार्वजनिक स्थानों के बारे में पता लगाया है जिनमें एक 5 सितारा कैसीनो-रिजॉर्ट परिसर का रेस्तरां भी शामिल हैं। इस रेस्तरां में आने वाले 8 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई और मैक्डोनल्ड्स में आने वाले 5 लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई है।अस्पताल में भर्ती 976 लोगों में से 31 की हालत गंभीर हैं और वे आईसीयू में हैं जबकि अन्य लोगों की हालत स्थिर है या उनकी हालत में सुधार हो रहा है।मंत्रालय ने बताया कि 988 ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें बीमारी के लक्षण नहीं हैं लेकिन उनमें संक्रमण की पुष्टि हुई है। उन्हें सामुदायिक केंद्रों में पृथकवास में रखा गया है। देश में संक्रमण से आठ लोगों की मौत हो चुकी है।भारतीय मूल के मेगा स्टोर मुस्तफा सेंटर से जुड़े चार अन्य मामले सामने आए हैं और इसके साथ ही इस स्टोर से संबंधित संक्रमित लोगों की संख्या बढ़कर 82 हो गई है। सिंगापुर ने इस संक्रमण को काबू करने के लिए प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। (भाषा) - एजेंसीअमेरिका : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि अगर चीन विकासशील देश होकर फायदा उठाता है तो अमेरिका को भी विकासशील देश ही बना दो। ट्रंप ने कोरोना वायरस पर व्हाइट हाउस में अपने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'चीन ने अविश्वसनीय रूप से हमारा और अन्य देशों का फायदा उठाया है। आप जानते हैं कि उन्हें विकासशील राष्ट्र माना जाता है। मैं कहता हूं कि ठीक है फिर हमें भी विकासशील देश ही बना दीजिए।'राष्ट्रपति ने चीन पर एक सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें बड़े फायदे मिलते हैं क्योंकि वे विकासशील देश हैं। भारत एक विकासशील देश है। अमेरिका बड़ा विकसित देश है। हालांकि हमें भी कई विकास कार्य करने हैं। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) द्वारा अमेरिका का फायदा उठाने की बात दोहराते हुए ट्रंप ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था तब बढ़ने लगी जब वह अमेरिका की मदद से डब्ल्यूटीओ में शामिल हुआ। उन्होंने कहा कि लेकिन अगर वे हमसे निष्पक्षता से पेश नहीं आते तो हम उसे छोड़ देंगे।
ट्रंप ने आरोप लगाया कि चीन 30 वर्षों से अमेरिका का फायदा उठा रहा है। उन्होंने कहा कि चीन ने डब्ल्यूटीओ के जरिए और ऐसे नियमों का इस्तेमाल कर फायदा उठाया है जो अमेरिका के लिए अन्यायपूर्ण रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि देश को कब खोलना है यह उनके लिए अब तक का सबसे बड़ा फैसला होने जा रहा है।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था थम-सी गई है। राष्ट्रीय आपातकाल के मद्देनजर 95 प्रतिशत से ज्यादा आबादी घरों में सिमटी हुई है और 1.6 करोड़ से अधिक लोग अपनी नौकरियां गंवा चुके हैं। इस जानलेवा संक्रामक रोग से अमेरिका में शुक्रवार तक 18,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई जबकि पांच लाख लोग इससे संक्रमित पाए गए हैं।
मेरा अब तक का सबसे बड़ा फैसला होगा: ट्रंपट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि देश को फिर से खोलने का फैसला कोरोना वायरस पर व्हाइट हाउस कार्य बल के सदस्यों समेत अपने करीबी सलाहकारों से विचार विमर्श के बाद उचित समय पर लिया जाएगा। उन्होंने इसके लिए कोई निश्चित तारीख नहीं बताई। उन्होंने कहा, 'मैं फैसला लेने जा रहा हूं और मैं उम्मीद करता हूं कि यह सही फैसला हो लेकिन मैं बिना किसी सवाल के यह कहूंगा कि यह मेरा अब तक का सबसे बड़ा फैसला होगा।'
एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि उनके पास देश को फिर से खोलने पर फैसला लेने की शक्तियां हैं। उन्होंने कहा कि वह जितना संभव हो सके उतना जल्दी देश को फिर से खोलना चाहते हैं। साथ ही ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका को फिर से खोलने पर डॉक्टरों और कारोबारियों की नई परामर्श परिषद का जल्द ही गठन करेंगे। उन्होंने बताया कि नया कार्य बल अर्थव्यवस्था से कहीं अधिक मामलों पर निपटेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीन केंद्रित होने के अपने आरोप को दोहराते हुए ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा उसे दी जाने वाली करीब 50 करोड़ डॉलर की निधि पर अगले सप्ताह घोषणा करेंगे।उन्होंने कहा, 'हम अगले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन पर घोषणा करने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं हम उन्हें एक साल में करीब 50 करोड़ डॉलर देते हैं और हम अगले सप्ताह इस पर बात करने जा रहे हैं। हमारे पास इसके बारे में कहने के लिए काफी कुछ होगा।'
गौरतलब है कि इस सप्ताह की शुरुआत में राष्ट्रपति ने डब्ल्यूएचओ के वित्त पोषण को रोकने की धमकी दी थी। सवालों के जवाब में ट्रंप ने कहा कि डब्ल्यूएचओ चीन केंद्रित बन गया है और चीन लंबे समय से अमेरिका का फायदा उठाता रहा है। - एजेंसीनई दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनियाभर में फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण के खिलाफ लड़ाई के लिए सभी देशों को एकजुट रहने की अपील की है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन की कड़ी आलोचना के बाद डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रॉस गेब्रेयेसस ने इस महामारी का राजनीतिकरण नहीं करने के लिए कहा है।उन्होंने जिनेवा में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकारों से कहा कि कोविड-19 का राजनीतिकरण कर हमें एक दूसरे की कमी निकालने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह आग से खेलने जैसा है, हमें सावधानी रखने की जरुरत है।
ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को अमेरिकी फंडिंग रोकने की धमकी दे चुके हैं। इस पर संगठन के प्रमुख ने कहा कि महामारी के राजनीतिकरण से मतभेद बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि कृप्या कोरोना पर हो रही राजनीति को क्वारंटीन कर एक-दूसरे पर आरोप लगाने में वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए।
राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार को फिर से डब्ल्यूएचओ पर चीन को केंद्र में रखकर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अमेरिका डब्ल्यूएचओ की फंडिंग खत्म करेगा। उन्होंने कहा कि हम जांच कराएंगे कि क्या डब्ल्यूएचओ को फंड दिया जाए या नहीं। सभी के लिए समान रवैया होना चाहिए, लेकिन ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिला।
कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या में रोज बढ़ोतरी हो रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में 88 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और 15 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। वहीं, तीन लाख 16 हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं।
अमेरिका में दिनोंदिन स्थिति गंभीर होती जा रही है। यहां लगातार दूसरे दिन 2000 लोगों की मौत हुई। इसी के साथ अमेरिका में मृतकों की संख्या 14000 से ज्यादा हो गई है और चार लाख से अधिक संक्रमित हैं। - एजेंसीनई दिल्ली : कोरोना वायरस और लॉकडाउन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजनीतिक पार्टियों के फ्लोर लीडर्स के साथ बातचीत कर रहे हैं. वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए पीएम मोदी आज बीजेपी, कांग्रेस, डीएमके, एआईएडीएमके, टीआरएस, सीपीआईएम, टीएमसी, शिवसेना, एनसीपी, अकाली दल, एलजेपी, जेडीयू, एसपी, बीएसपी, वाईएसआर कांग्रेस और बीजेडी के फ्लोर लीडर्स के साथ कोरोना और लॉकडाउन पर चर्चा कर रहे हैं.
इस बातचीत के दौरान राजनीतिक पार्टियों की ओर से लॉकडाउन को बढ़ाने, सांसद निधि को स्थगित किए जाने और मेडिकल इक्विपमेंट के लिए राज्य सरकारों को तुरंत आर्थिक मदद देने का मुद्दा उठाया जा सकता है. इसके साथ ही लॉकडाउन के दौरान खाने-पीने के सामानों की आपूर्ति को कैसे बनाए रखा जाए? इसका सवाल भी उठ सकता है. पीएम मोदी के सामने छोटे व्यवसायियों, दिहाड़ी मजदूरों और पलायन का मुद्दा भी उठाया जा सकता है.
पीएम नरेंद्र मोदी के साथ टीएमसी की ओर से टीआर बालू, एआईएडीएमके की ओर से नवनीत कृष्णनन, कांग्रेस की ओर से गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी, टीआरएस की ओर से नम्मा नागेश्वर राव और के केशवा राव, सीपीआईएम की ओर से ई करीम, टीएमसी की ओर से सुदीप बंदोपाध्याय, शिवेसना की ओर से विनय राउत और संजय राउत, एनसीपी की ओर से शरद पवार बात करेंगे.
इसके अलावा अकाली दल की ओर से सुखबीर बादल, एलजेपी की ओर से चिराग पासवान, जेडीयू की ओर से आरसीपी सिंह, एसपी की ओर से राम गोपाल यादव, बीएसपी की ओर से दानिश अली और सतीश मिश्रा, वाईएसआर कांग्रेस की ओर से विजयसाईं रेड्डी और मिधुन रेड्डी, बीजेडी की ओर से पिनाकी मिश्रा और प्रसन्ना आचार्य पक्ष रखेंगे. - एजेंसीनई दिल्ली : कोरोना वायरस के मरीजों के लिए कारगर माने जा रहे एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर भारत सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। भारत ने एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात से आंशिक तौर पर बैन हटा दिया है। भारत ने कहा कि घरेलू जरूरतों का हिसाब लगाने के बाद ही कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित देशों की मांग पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति को लेकर फैसला लिया जाएगा। यानी अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि किस देश को कितनी आपूर्ति की जाएगी। यह जानकारी इस मामले से जुड़े लोगों ने दी। बता दें कि अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी को फोन कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति की गुहार लगाई है।
नाम न जाहिर होने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के निर्यात पर से आंशिक तौर पर बैन हटा दिया गया है, मगर पारासिटामोल का निर्यात प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की उपलब्धता के आधार पर ही देशों द्वारा की गई मांग को मंजूरी दी जाएगी। उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी से संबंधित मानवीयता के आधार पर फार्मास्यूटिकल्स विभाग और विदेश मंत्रालय इस तरह के इस दवा के निर्यात और आवंटन पर निर्णय लेगा।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा:वहीं, समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 महामारी के मानवीय पक्षों के मद्देनजर यह निर्णय लिया गया है कि भारत अपने सभी पड़ोसी देशों (जो हमारी क्षमताओं पर निर्भर हैं) को उचित मात्रा में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और पाारासिटामोल का लाइसेंस देगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि हम इन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति कुछ उन देशों को भी करेंगे जो विशेष रूप से महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो, भारत महामारी के संभावित सबसे खराब स्थिति से निपटने के मद्देनजर अपनी आबादी के लिए दवा का स्टॉक कर रहा है और सभी भारतीयों के लिए पर्याप्त होने के बाद ही इस दवा का निर्यात किन देशों को कितना होगा, इस पर फैसला लिया जाएगा। अमेरिका लगातार भारत से इस दवा की मांग कर रहा है। ट्रंप ने फोन पर पीएम मोदी से कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन टैबलेट्स की आपूर्ति की मांग की थी।
कौन-कौन देश मांग रहे दवाभारत में कोविड-19 मरीज का इलाज करने वाले मेडिकल और हेल्थकेयर वर्कर द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग की अनुमति है। भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की मांग करने वालों में अमेरिका, ब्राजील, रूस, इजरायल, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन,अबू धाबी आदि देश शामिल हैं।
ट्रंप ने क्या धमकी दी:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि इस संबंध में मैंने रविवार की सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और उन्होंने हमारी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा के सप्लाई को अनुमति दे दी है, जिसकी हम सराहना करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि तो वह एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की सप्लाई नहीं भी4 करते हैं तो कोई बात नहीं। मगर हम इस पर जवाबी कार्रवाई करेंगे। आखिर हम इसका जवाब क्यों नहीं देंगे।
25 मार्च को निर्यात पर लगी थी रोक
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन दवा को कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए ट्रायल फेज में है और इसे अब तक कारगर माना जा रहा है। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, जिसका उपयोग मलेरिया के के लिए किया जाता है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया की दशकों पुरानी दवा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, डीजीएफटी ने कहा था कि मानवता के आधार पर मामले-दर-मामले में इसके कुछ निर्यात की अनुमति दी जा सकती है। -
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनका पूरा प्रशासन कोरोना वाइरस से प्रदेश को बचाने और कोरोना (कोविद 19 ) को मात देने में सफल हुए और कोरोना वाईरस से निपटने के लिए अग्रणी राज्य की ओर तेज़ी से अग्रसर होते जा रहा है ।
अभी एक और #COVID-19 पॉजिटिव मरीज का पूर्णतः इलाज होने के बाद अस्पताल द्वारा डिस्चार्ज कर दिया गया है।अब 10 में से 8 मरीज इलाज करवाकर घर जा चुके हैं।आशा है बचे हुए 2 मरीज भी जल्द स्वस्थ होकर घर वापस लौटेंगे।सबसे पहले कोविद 19 युवती का टेपोर्ट बिलकुल नार्मल होकर AIMS से डिस्चार्ज हो कर घर पहुंचना छत्तीसगढ़ सरकार की सक्रियता का ही परिणाम है जो आज उस युवती का परिवार फिर से सामान्य जीवन व्यतीत करने लगा है ! उसी प्रकार से जितने भी कोरोना के संग्दिग्ध छत्तिश्गढ़ में मिले है उनकी बेहतर चिकित्सा का प्रबंध छत्तीसगढ़ की सरकार कर रही है | वही छत्तीसगढ़ राज्य में 15 दिनों के लॉक डाउन के चलते बेहतरीन प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस प्रशासन की सक्रियता से छत्तीसगढ़ राज्य में सब कुछ समान्य है , राज्य सरकार ने सभी तरह की व्यवस्था को जनता के लिए सहज करदिया है ,किसी भी तरह का कोई है , कोई भी असुविधा या अव्यवस्था की बात सामने नहीं आ रही हैं -
नई दिल्ली। रेलवे ने कोरोना वायरस के कारण यात्री ट्रेनों को 21 दिन तक स्थगित करने के बाद 15 अप्रैल से अपनी सभी सेवाएं बहाल करने की तैयारी शुरू कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि रेलवे के सभी सुरक्षा कर्मियों, स्टाफ, गार्ड, टीटीई और अन्य अधिकारियों को 15 अप्रैल से अपने-अपने कार्यस्थलों पर लौटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है। ट्रेनों का संचालन सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद ही शुरू होगा। सरकार ने इस मुद्दे पर मंत्रियो का समूह गठित किया है।इस बीच, रेलवे ने ट्रेनों के संचालन की समयसारिणी, उनके फेरे और बोगियों की उपलब्धता के साथ अपने सभी रेल जोनों को सेवाओं को बहाल करने की योजना जारी की है।सूत्रों ने बताया कि सभी 17 जोनों को अपनी-अपनी सेवाएं संचालित करने के लिए तैयार रहने का संदेश दिया गया है।15 अप्रैल से करीब 80 प्रतिशत ट्रेनों के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलने की संभावना है जिनमें राजधानी, शताब्दी, दुरंतो ट्रेनें शामिल हैं। स्थानीय ट्रेनों की सेवाएं भी चालू हो सकती हैं। इस सप्ताह के अंत में जोनों को ठोस कार्य योजना भेजी जाएगी।गौरतलब है कि प्रधानमंत्री द्वारा 24 मार्च को बंद की घोषणा करने के बाद अभूतपूर्व कदम उठाते हुए रेलवे ने 21 दिनों के लिए 13,523 ट्रेनों की सेवाएं निलंबित कर दी थी। इस दौरान उसकी मालवाहक ट्रेनें चलती रही। -
-1897 में प्लेग और 2020 में कोरोनावायरस
-दोनों से निपटने के लिए लागू 123 साल पुराना अधिनियमरायपुर 2 अप्रैल 2020। कोरोनावायरस (कोविड-19) संक्रमण ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है और विश्व भर में सरकारें अपने-अपने तरीके से इससे निपटने का प्रयास कर रही हैं। भारत में इस महावारी से निपटने के लिए महामारी अधिनियम,1897 लागू किया है।एपी़डेमिक डिजीज एक्ट,1897 (महामारी अधिनियम 1897) 123 साल पुराना अधिनियम है जिससे अंग्रेजों के जमाने में लागू किया गया था, जब भूतपूर्व मुंबई स्टेट में बूबोनिक प्लेग ने महामारी का रूप लिया था। इस अधिनियम की केवल 4 धाराएं हैं।क्या कहता है एक्ट- इस अधिनियम का उपयोग उस समय किया जाता है जबकि किसी भी राज्य या केन्द्र सरकार को इस बात का विश्वास हो जाए कि राज्य व देश में कोई बड़ा संकट आने वाला है, कोई खतरनाक बीमारी राज्य या देश में प्रवेश कर चुकी है और समस्त नागरिकों में संचारित हो सकती है। ऐसी स्थिति में केन्द्र व राज्य दोनों इस अधिनियम के प्रावधानों को लागू कर सकते हैं। कोविड-19 से निपटने के लिए केन्द्रीय सरकार ने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इस कानून के खंड दो को लागू करने का निर्देश दिया है।महामारी अधिनियम, 1897 की धारा (2) की मुख्य बातें- महामारी अधिनियम 1897 के लागू होने के बाद सरकारी आदेश की अवहेलना अपराध है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर इस अधिनियम के तहत कार्वाई हो सकती है। इसमें आईपीसी की धारा-188 के तहत सजा का पारवाधान है। यह कानून अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान भी करता है।-यह केन्द्र और राज्य सरकारों को विशेष अधिकार देता है जिससे सार्वजनिक सूचना के जरिए महामारी प्रसार की रोकथाम के उपाय किए जा सकें।- यात्रियों का निरीक्षण करने का अधिकार अधिनियम की धारा 2 की उपधारा 2 (बी) के अनुसार है। राज्य सरकार हर तरह की याभा से आने वाले यात्रियों का निरीक्षण करने में प्रक्रिया विकसित कर सकती है तथा निरीक्षक नियुक्त कर सकती है। जिन लोगों पर निरीक्षक को यह संदेङ होता है कि वह संक्रमित रोग से पीड़ित हैं. निरीक्षक उन लोगों को अस्पताल या अस्थाई केन्द्र पर ले जा सकते हैं।- सरकार को अगर पता लगे कि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह महामारी से ग्रस्त है तो उन्हें किसी अस्पताल या स्थायी आवास में रखने का अधिकार होता है।- राज्य सरकार रेलवे या अन्य माध्यमों से अन्यथा यात्रा करने वाले व्यक्तियों के निरीक्षण के लिए उपाय कर सकती है और नियमों का पालन करवा सकती है।- ऐसी बीमारी के संदिग्ध व्यक्तियों या किसी के संक्रमित होने पर अस्पताल में या अस्थायी रूप से अलग रखा जा सकता है।- महामारी एक्ट 1897 के सेक्शन 3 में जुर्माने का प्रावधान भी है जिसमें सरकारी आदेश नहीं मानना अपराध होगा और आईपीसी की धारा 188 के तहत सजा भी मिल सकती है। इसके अंतर्गत 6 माह की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।- महामारी एक्ट में सरकारी अधिकारियों को इस अधिनियम को लागू करवाने के लिए कानूनी सुरक्षा का भी प्रावधान है।पहले भी लागू हुआ है एक्ट- भारत में कई बार महामारी या रोग फैलने की दशा में यह एक्ट लागू किया जा चुका है । सन् 1959 में हैजा के प्रकोप को देखते हुए उड़ीसा सरकार ने पुरी जिले में ये अधिनियम लागू किया था। साल 2009 में पुणे में जब स्वाइन फ्लू फैला था तब इस एक्ट के सेक्शन 2 को लागू किया गया था। 2018 में गुजरात के वडोदरा जिले के एक गाँव में 31 लोगों में कोलेरा के लक्षण पाये जाने पर भी यह एक्ट लागू किया गया था। 2015 में चंडीगढ़ में मलेरिया और डेंगू की रोकथाम के लिए इस एक्ट को लगाया जा चुका है। 2020 में कर्नाटक ने सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने के लिए महामारी अधिनियम, 1897 को लागू किया।आजकल कोविड-19 महामारी फैलने की आशंका के मद्देनजर राज्य सरकार ने 14 अप्रैल तक सामाजिक , सांस्कृतिक, राजनीतिक, धार्मिक, शैक्षणिक, खेल, पारिवारिक प्रकृति के किसी भी आयोजन पर प्रतिबंध लगाने के लिए महामारी रोग अधिनियम 1897 को लागू किया है। -
कोरोनावायरस से दुनिया की जंग जारी है। विकसित हों या विकासशील। हर देश संक्रमण खत्म करने में जुटा है। लेकिन, ईरान से सटे तुर्कमेनिस्तान में कोरोना शब्द पर ही बैन लगा दिया गया है।
यहां कोरोना बोलने और लिखने वालों पर कार्रवाई हो रही है। मास्क पहनने पर पहले ही बैन है। उल्लंघन करने पर जेल हो सकती है। मीडिया भी कोरोना शब्द का प्रयोग नहीं कर सकता।स्वास्थ्य मंत्रालय संक्रमण ने स्कूल और सरकारी दफ्तरों के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर ब्रोशर बांटे गए हैं। इनमें हेल्थ गाइड लाइंस हैं लेकिन, यहां भी कोरोना शब्द नदारद है।राष्ट्रपति गुरबांगुली बेयरडेमुकामेडॉव ने यहबैन लगाया है। वो 2006 से सत्ता में हैं। हालांकिअभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर क्यों कोरोनाशब्द पर बैन लगाया गया है।‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार की एक रिपोर्ट मेंतुर्कमेनिस्तान के हालात की जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक,कोरोना की चर्चा करने पर पुलिस कार्रवाई रही है।जनता के बीच स्पेशल एजेंट्स सादे कपड़ों में घूम रहे हैं। ये लोगों की बातें सुनते हैं। अगर कोई कोरोना की चर्चा करते पकड़ा जाता है तोउसे जेल भेज दिया जाता है।हालांकि, इसके बावजूद सरकार वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठा रही है। रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है। भीड़भाड़ वाली जगहों की सफाई जारी है। हर तरह के आंदोलनपर रोक लगा दी गई है।रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर (आरएसएफ) की प्रमुख ज्यां कैवेलियर ने तुर्कमेनिस्तानसरकार के फैसले की आलोचना की है। उनका मुताबिक- कोरोना वायरस से जुड़ा कोई भी बैन तुर्कमेनिस्तान के नागरिकों की जान खतरे में डाल सकता है।वहां के लोगों को सीमित और एकतरफा जानकारी दी जा रही है। यह खतरनाक स्थिति है।कोरोना शब्द पर बैन को प्रेस फ्रीडम ऑर्गनाइजेशनने गलत बताया। उसके मुताबिक-सरकारी आदेश मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है। इससे बचना और वापस लेना चाहिए। तुर्कमेनिस्तान प्रेस फ्रीडम के मामले में 180 देशों की सूची में आखिरी स्थान पर है।तुर्कमेनिस्तान ईरान के दक्षिण में है। ईरान में कोरोना से 2889 लोगों की मौत हो चुकी है। 50 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। लिहाजा, तुर्कमेनिस्तान में इस तरह की पाबंदी पर कई देशों नेनाराजगी जाहिर की है। -
निजामुद्दीन औलिया दरगाह के पास तब्लीगी जमात में ठहरे लोगों में कोरोना के लक्षण पाए जाने की खबर का जिस आक्रामक तरीके से दुष्प्रचार किया जा रहा है उसके मूल में कोरोना से लड़ने की इच्छाशक्ति नहीं बल्कि मुसलमानों को बदनाम कर उनके खिलाफ जहर फैलाते रहने की रणनीति है । मोदी सरकार की योजना ही यही रही कि अपनी नाकामयाबियों को छुपाने के लिए वह कोई और कहानी गढ़ती है और मोदी का भोंपू बना मीडिया उसे प्रचारित करता है ताकि लोगों का ध्यान मोदी सरकार की कुनीति से उपजे हालातों से हट जाए और मोदी जैसे असफल शासक की छवि महामानव सी बनी रहे । विपक्षियों और मुसलमानों को बदनाम करना ही इनका एजेंडा रहा है जिसके बल पर इन्होंने सत्ता पाई है । डोभाल और पूरा सिस्टम इसी काम में लगा रहता है । इसके प्रमाण निम्न हैं ---
1, मोदी द्वारा किये गए लॉक डाउन और योगी द्वारा 1000 बस दिल्ली बॉर्डर पर भेजने की घोषणा से दिल्ली में लाखों मजदूर आनन्द विहार व अन्य स्थानों पर घर जाने को निकल आये जिन्हें पहले तो मोदी भक्त गोली मारने की बात करने लगे लेकिन जब पूरे देश से लाखों मजदूर अपने घर के लिए पलायन करने लगे तो इस गिरोह के हाथ -- पाँव फूल गए । इनके रणनीतिकार डैमेज कंट्रोल में लग गए । तब कहानी गढ़ी गयी कि केजरीवाल ने इन लोगों का बिजली पानी कनेक्शन काट दिया जबकि बिजली पानी के कनेक्शन मकान मालिक के नाम होते हैं और दिल्ली के किसी भी व्यक्ति ने इसकी शिकायत नहीं की ।केजरीवाल जो रात -- दिन कोरोना से लड़ने की नीति पर काम कर रहा है और इससे कारगर तरीके से लड़ने का ब्लू प्रिंट मीडिया के सामने रख चुका था तब मोदी के पास कोई योजना नहीं थी सिवाय थाली पिटवाने के । मोदी जी को अपनी सत्ता जाने का भय सता रहा है अतः विपक्षयियों को बदनाम करने के अपने प्रोपेगेंडा को ही आगे बढ़ाया जा रहा है जबकि राष्ट्र बहुत बड़ी विपदा के सम्मुख है । सत्ता जाने से इतना भयभीत व्यक्ति ! सत्ता से इतना मोह ??2, मोदी के तुगलकी फरमान से अफरा -- तफरी मची है । महामारी से लड़ने हेतु कोई नीति , कोई दृष्टि या कोई साधन उपलब्ध कराना इनके बस की नहीं है अतः साम्प्रदायिक दंगे करवाकर ये लोग लोगों का ध्यान इस अव्यवस्था से हटाना चाहते हैं । इन छह वर्षों में न एक हॉस्पिटल बनवाया न कोई मेडिकल तैयारी की बल्कि पूर्व सरकारों द्वारा जोड़ी गयी सरकारी संम्पति को अपने मित्र पूंजीपतियों पर लुटाया है । कोष खाली है और जिसके भरोसे बैठे थे वही ट्रम्प मुश्किल में घिरा हुआ है । इस स्थिति में मुस्लिमों को बदनाम करना कि ये लोग ही कोरोना फैला रहें हैं, यही इनकी नीति है । इसका उदाहरण यह है --"खटीमा मेरे रिस्तेदार रहते हैं । खटीमा में एक मुस्लिम कॉलोनी है । मैंने अपने जितने रिस्तेदारों को 3 -- 4 दिन पहले फोन किया सबने बताया कि मुस्लिम कॉलोनी में एक व्यक्ति विदेश से आया था जो कोरोना संक्रमित था जिससे 7 लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं जिन्हें अब पुलिस ले गयी है ।" फैक्ट देखने पर पता चल जाएगा कि यह झूठा प्रोपेगेंडा था क्योंकि उत्तराखण्ड में कल तक ही कुल पॉजिटिव केस 7 थे और दो दिन पहले तक खटीमा में एक केस भी नहीं था । 7 पॉजिटिव लोगों में 3 इंडियन फारेस्ट सर्विस के अधिकारी थे ।3, मुसलमानों द्वारा बुलन्दशहर में एक हिन्दू के शव को कंधा देने , राम नाम सत्य है कहते हुए श्मशान तक ले जाने जबकि कोई हिन्दू कोरोना के डर से कंधा देने भी नहीं गया । हैदराबाद मस्जिद में लोगों के लिए आवश्यक सामग्री रखने या अनेक स्थानों पर मुस्लिम लोगों द्वारा लोगों के घरों में खाद्य सामग्री पहुँचाने और सिप्ला के मालिक मोहम्मद हामिद द्वारा की गयी घोषणा से संघी गिरोह तिलमिलाया हुआ है । संघी गिरोह साम्रदायिक सौहार्द कभी नहीं चाहता क्योंकि इनकी पूरी राजनीति ही मुस्लिम विरोध पर टिकी हुई है । इनके लोग मानव सेवा करने के स्थान पर घरों में कैद हैं जबकि अन्य लोग मानव सेवा में रात दिन लगे हुए हैं अतः इन लोगों की ऐसे समय भी कोशिश है कि उनके समर्थकों के अंदर लगातार मुस्लिम नफरत का डोज भरते रहना चाहिए क्योंकि अगर यह डोज हिंदुओं से उतर गया और हिंदुओं ने स्वास्थ्य , शिक्षा और शासन के उत्तरदायी होने की मांग शुरू कर दी तो संघियों के हाथ से सत्ता हमेशा के लिए निकल जायेगी ।4, ऐसे कठिन समय में भी शाहीन बाग में एक दुकान जलाई गई , इस खबर को भी इससे जोड़कर पढ़े जाने की जरूरत है ।गिरोह तिलमिलाया हुआ है क्योंकि जिस रामराज्य के सपने लोगों को दिखाए गए थे , जिस विकास के नए -- नए कीर्तिमान बनाये जाने के ढोल पीटे गए थे वे धरातल पर कहीं नहीं हैं । न अस्पताल बनाये गए हैं न डॉक्टरों , नर्सों या अन्य स्टाफ के लिए मास्क , PPE या अन्य किट हैं , न लोगों की जांच करने हेतु अधिक लैब हैं और न ही इतनी बड़ी जनसंख्या के इलाज करने हेतु आवश्यक डॉक्टर ,मेडिकल स्टाफ या मेडिकल इक्विपमेंट । सरकार के हाथ पांव फूले हुए हैं ।दो महीने पहले से लोग सरकार को इस आने वाली सुनामी के प्रति आगाह कर रहे थे तब सरकार ट्रम्प के स्वागत में बिछी हुई थी और गरीब बस्ती के आगे दीवार बना रही थी ताकि ट्रम्प की नजर इस बस्ती पर न पड़ जाए । इससे अधिक घिनौना आजाद भारत में आज तक नहीं हुआ था हाँ अंग्रेजों ने 1911 में दिल्ली राजधानी परिवर्तन के समय दिल्ली कैम्प के ढाका गांव को ढककर यही कार्य किया था ताकि किंग जॉर्ज और महारानी की नजर इस गरीब बस्ती पर न पड़े । तब भारत गुलाम था जबकि आज भारत आजाद होने के बाबजूद मोदी ने ट्रम्प के गुलाम शासक की तरह ही यह निंदनीय कार्य करवाया था । भारत को अमेरिका का पिछलग्गू देश बनाकर लोगों को विश्वगुरु बनने के सपने दिखाए गए ।लाखों मजदूरों की भीड़ जो गांवों की ओर जा रही है उनकी जाँच की क्या सुविधा की गयी है ? जब यह बीमारी अपने पीक पर होगी तब करोड़ों लोगों के इसकी चपेट में आने की संभावना है , उसकी क्या व्यवस्था की गई है ? भुखमरी से बेहाल लोगों को कैसे भूख से बचाया जाएगा , इसकी क्या व्यवस -
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने आपकी बचत पर भी कैंची चला दी है। आपको बताते जाए कि इसके साथ ग्राहकों राहत प्रदान करते हुए कार लोन की ब्याज दर भी कम कर है।
मिली जानकारी के अनुसार, एसबीआई ने खुदरा और एकमुश्त जमा राशि यानी FD पर ब्याज दर कम कर दी है। इसका तात्पर्य है कि अगर आपने एसबीआई में फिक्स्ड डिपॉजिट कर रखा है तो आपको पहले के मुकाबले अब कम ब्याज मिल पाएगा। आपको बताते जाए कि देश में पारंपरिक, सुरक्षित और निश्चित ब्याज आय के लिए बड़े पैमाने पर FD में निवेश किया जाता रहा है।इतनी हुई है कटौती.....SBI ने 2 करोड़ रुपए से कम की रिटेल एफडी पर ब्याज दरें 0.50 फीसदी तक घटा दी हैं। नई ब्याज दरें आज से लागू हो जाएगी।