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- नई दिल्ली: बॉम्बे हाईकोर्ट ने पीएम केयर्स फंड के संबंध में सूचनाएं सार्वजनिक करने और इसका कैग से ऑडिट कराने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. जस्टिस सुनील बी. शुक्रे और अनिल ए. किलोर की नागपुर पीठ ने वकील अरविंद वाघमरे की याचिका पर सुनवाई की और केंद्र को निर्देश दिया कि वे अपने जवाब में हलफनामा दायर करें और अपनी स्थिति स्पष्ट करें. लाइव लॉ के मुताबिक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने पीठ से कहा कि ये याचिका खारिज कर दी जानी चाहिए क्योंकि ऐसी ही एक याचिका को अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था.
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पीएम केयर्स फंड की वैधता को चुनौती देने वाले दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज कर दिया था. हालांकि पीठ ने कहा कि इस याचिका में अलग मुद्दा उठाया गया है और ये सुप्रीम कोर्ट वाले मामले से अलग है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते के भीतर हलफनामा दायर कर अपना जवाब देने को कहा है. याचिका में कहा गया है कि 28 मार्च को पीएम केयर्स का गठन किया गया था और पहले हफ्ते में ही इसमें 6,500 करोड़ रुपये इकट्ठा हो गए थे. लेकिन अभी तक इससे संबंधित कोई भी आंकड़ा सार्वजनिक नहीं किया गया है.
कोरोना महामारी से लड़ने के नाम पर आम जनता से आर्थिक मदद प्राप्त के लिए भारत सरकार ने पीएम केयर्स फंड नाम एक पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसके अध्यक्ष हैं और गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं. याचिका में आगे कहा गया कि पीएम केयर्स फंड की गाइडलाइन के अनुसार अध्यक्ष और तीन अन्य ट्रस्टी के अलावा अध्यक्ष को तीन और ट्रस्टी को नॉमिनेट करना होता है लेकिन 28 मार्च से अब तक में कोई नियुक्ति नहीं की गई है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से ये निर्देश देने की मांग की है कि इस ट्रस्ट में विपक्षी दलों के कम से कम दो लोगों की नियुक्ति की जाए ताकि फंड की पारदर्शिता बनी रहे. इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि सरकार के अनुसार किसी स्वतंत्र ऑडिटर के बजाय पीएम केयर्स फंड की ऑडिटिंग कैग करे.
मालूम हो कि केंद्र सरकार पीएम केयर्स फंड को लेकर उच्च स्तर की गोपनीयता बरत रही है और इसे लेकर दायर किए गए सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदनों को इस आधार पर खारिज कर दिया जा रहा है कि पीएम केयर्स आरटीआई एक्ट, 2005 के तहत पब्लिक अथॉरिटी नहीं है.साभार : द वायर से (thewire) - मीडिया रिपोर्ट
असम में एक दर्दनाक हादसा हुआ है। यहां के कई इलाकों में भूस्खलन के चलते 7 लोगों की मौत हो गई है। मृतक दक्षिणी असम के तीन अलग-अलग जिलों में तीन अलग-अलग परिवारों से हैं। जानकारी के मुताबिक लैंडस्लाइड की घटना करीमगंज, सिल्चर और हिलाकांडी में हुई है। मरने वालों में बच्चे भी शामिल हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब 50 से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी हैं। फिलहाल बचाव दलों को घटनास्थल वाली जगहों पर भेज दिया गया है। आपको बता दें कि असम के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से बारिश हो रही है। इससे 21 जिलों के कुल 9 लाख लोग प्रभावित हैं। प्रदेश के कुछ हिस्सों में बाढ़ का हालात हैं। कई जगह संपर्क नहीं हो पा रहा क्योंकि रास्ते बंद हो गए हैं। बारिश के कारण भूस्खलन की घटनाएं बढ़ी हैं। - दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार (1 जून) को सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक और यूट्यूब को एक हिंदी समाचार चैनल द्वारा डाले गए उस वीडियो को हटाने या उस तक पहुंच पर रोक लगाने का निर्देश दिया जिसमें आरोप लगाया है कि पतंजलि आयुर्वेद ने देश के हितों के विरूद्ध लाल चंदन की लकड़ियां बेचीं। समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति वी के राव ने अपने अंतरिम आदेश से इस समाचार चैनल को संबंधित वीडियो समेत कोई भी ऐसी खबर या समाचार प्रसारित, प्रकाशित करने या अपनी वेबसाइट पर डालने से रोक दिया जो जो झूठ, गुमराह करने वाला या पतंजलि आयुर्वेद की बदनामी करने वाला या उसकी साख बिगाड़ने वाला हो।
उच्च न्यायालय ने कहा कि पतजंलि की ओर से इस समाचार चैनल पर अंकुश लगाने के अनुरोध का प्रथम दृष्टया मामला बनता है और ऐसे में अगली सुनवाई की तारीख 17 सितंबर तक उस पर यह रोक रहेगी। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘ इसके अलावा मैं यह निर्देश देना उपयुक्त समझता हूं कि फेसबुक और यूट्यूब यूआरएल को हटा लें या उसे देखने से रोके जिसमें मानहानिकारक वीडियो है।…..’’ न्यायालय का यह आदेश पतंजलि की उस याचिका पर आया है जिसमें दावा किया है कि इस मानहानिकारक वीडियो में गंभीर आरोप लगाये गये हैं कि उसने देशहित के विरूद्ध लाल चंदन की लकड़ियां बेचीं।
पतंजलि ने कहा कि इस खबर, वीडियो, पोस्ट में 16 सितंबर, 2019 को सीमाशुल्क प्रशासन द्वारा जारी आदेश का संज्ञान नहीं लिया गया जिसमें 17 फरवरी, 2018 को जब्त की गयी लाल चंदन की लकड़ियों के संबंध में सभी कार्यवाही बंद कर दी गयी थी। ये लकड़ियां चीन निर्यात की जा रही थीं। उसने यह भी कहा कि सीमाशुल्क अधिकारियों ने जब्त लालचंदन की लकड़ियां छोड़ देने और उसे निर्यात करने की भी अनुमति दी। - नई दिल्ली: दिल्ली का बॉर्डर अरविंद केजरीवाल सरकार ने आज से एक हफ़्ते के लिए बंद कर दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका एलान किया है. हालांकि ज़रूरी सेवाओं के लिए बॉर्डर खुला रहेगा. केजरीवाल ने लोगों से सुझाव मांगे हैं कि दिल्ली का बॉर्डर खोला जाए या नहीं. शुक्रवार तक लोगों से सुझाव देने को कहा गया है.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ''अभी तक दिल्ली में जितनी सेवाएं शुरू हो गई थीं उसके अलावा बार्बर, सलून की दुकानें खुलेंगी जबकि स्पा अभी नहीं खोला जाएगा. ऑटो-रिक्शा में एक सवारी पर से प्रतिबंध हटाया जा रहा है. पहले दुपहिया और चार पहिया गाड़ियों पर जो सवारियों पर प्रतिबंध था वो भी हटाया जा रहा है.'' उन्होंने कहा कि ''हम बाजारों में दुकानें खोलने के लिए ऑड-ईवन नियम का पालन कर रहे थे लेकिन केंद्र सरकार ने ऐसा कोई नियम नहीं बताया है इसलिए अब से सभी दुकानें खुल सकती हैं.''
सीएम केजरीवाल ने कहा कि ''दिल्ली सरकार को एक महत्वपूर्ण विषय पर आपकी राय चाहिए. क्या दिल्ली के बॉर्डर खोल दिए जाए? और क्या दिल्ली के अस्पतालों को देश से आने वाले सभी लोगों के लिए खोला जाए? आपके सुझाव शुक्रवार तक व्हाट्सअप, ईमेल या वॉइस मेल के जरिये हमें भेज सकते है.'' केजरीवाल ने कहा कि ''अपने सुझाव शुक्रवार शाम 5 बजे तक ईमेल: [email protected], व्हाट्सअप: 8800007722 वॉइसमेल: 1031 पर भेज सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर आपके पास व्हाट्स एप नहीं है तो आप 1031 पर फोन करें, आपके सुझाव रिकॉर्ड कर लिए जाएंगे.'' - महाराष्ट्र : देश में कोरोना वायरस के मामलों में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। देश में पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 8,380 नए मामले सामने आए हैं। इस दौरान 193 मरीजों की कोरोना से मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक देश में अब तक कुल 1,82,143 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं देश में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 5166 तक जा पहुंचा है। इसमें 89,995 एक्टिव केस हैं, वहीं 86,984 मरीज ठीक हो चुके हैं। गृह मंत्रालय के ऐलान के बाद अब तक कई राज्यों ने अपने यहां लॉकडाउन को आगे बढ़ाया है। इसमें पंजाब, बंगाल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु ऐसे राज्य शामिल हैं।महाराष्ट्र पुलिस में अब तक 2,416 संक्रमितमहाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक राज्य में पिछले 24 घंटों में 91 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसको मिलाकर महाराष्ट्र में अब तक कुल 2,416 पुलिसकर्मी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। वहीं 26 की मौत हो चुकी है। फिलहाल 1421 मामले सक्रिय हैं।
- चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश में बदलाव करते हुए तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता के भतीजे (दीपक) और भतीजी (दीपा) को उनकी करोड़ों की संपत्ति का वैध उत्तराधिकारी घोषित किया है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत बीते बुधवार दोनों दूसरी श्रेणी के कानूनी वारिस माने गए थे. अदालत ने राज्य सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री के आवास (पायस गार्डन) को स्मारक बनाने के अपने फैसले पर भी पुनर्विचार करने को कहा है. अदालत का यह आदेश तमिलनाडु (Tamil Nadu) के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा अध्यादेश जारी करने के बाद आया है.
एक टीवी चैनल ने दीपा से कि जयललिता क्यों कभी सार्वजनिक तौर पर उनके परिवार को सामने नहीं लाईं, इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'मुख्यमंत्री होने के बावजूद बुआ हमारे घर पर फोन करती थीं. दिवाली, पोंगल पर वो फोन करती थीं. ये सब सार्वजनिक नहीं था. हम एक परिवार के तौर पर साथ वक्त बिताते थे. वह इसलिए भी इसको सार्वजनिक नहीं करती थीं क्योंकि वह डरती थीं.' - दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को निर्देश दिया है कि ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा और ग्रामीण सेवा के ड्राइवरों को 5 हजार रुपये का मुआवजा 10 दिन के भीतर दिया जाए. दरअसल, दिल्ली सरकार द्वारा 11 अप्रैल को एक स्कीम लॉन्च की गई थी जिसमें करोना की वजह से हुए नुकसान की भरपाई के लिए बतौर मुआवजा 5 हजार रुपये की रकम देने की दिल्ली सरकार की तरफ से घोषणा की गई थी.
दिल्ली हाई कोर्ट में एनजीओ 'नई सोसाइटी' की तरफ से ये याचिका लगाई गई थी. अर्जी में कहा गया था कि दिल्ली सरकार की इस स्कीम का फायदा सिर्फ उन्हीं ड्राइवरों को मिला जिनके पीवीसी (पब्लिक सर्विस व्हीकल) बैच में चिप लगा हुआ था. चिप होने पर ही ड्राइवरों को यह 5000 रुपये का मुआवजा दिया गया है. याचिकाकर्ता के वकील वरुण जैन ने कोर्ट को बताया कि बैच में चिप लगे होने की शर्त के कारण 50 फीसदी से भी कम ड्राइवरों को दिल्ली सरकार की तरफ से कोरोना मुआवजे के तौर पर 5 हजार रुपये दिए गए हैं.
हाई कोर्ट के निर्देश के बाद दिल्ली सरकार के ट्रांसपोर्ट विभाग ने अपनी वेबसाइट में बदलाव किया और जिनके पीवीसी बैच में चिप नहीं थी, उनके आवेदनों को भी स्वीकार किया. दिल्ली सरकार के मुताबिक अब तक 1,10,000 ड्राइवरों को 5 हजार रुपये की राशि सीधे उनके अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई है. लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि पीवीसी बैच होल्डर की संख्या दिल्ली में दो लाख 83 हजार है. -
रायपुर : छत्तीसगढ़ के पूर्व व प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी का 74 साल की उम्र में 3.30 बजे निधन हो गया है बता दें कि अब से कुछ देर पहले खबर आई थी कि अजीत जोगी को गत 48 घंटे के अन्दर दूसरा कार्डियक अरेस्ट आया है 20 से ज्यादा दिनों से अजीत जोगी का इलाज अस्पताल में चल रहा था बताया जाता है कि 9 मई की सुबह उनकी हालत बिल्कुल सामान्य थी। सुबह के वक्त नाश्ते के बाद वे बंगले के बागीचे में बैठे थे। इस दौरान उन्होंने पेड से गिरे गंगा इमली के फल को खाया। फल का बीज उनके गले में फंस गया। इसके बाद वह बीज स्वांस नली में अटक गया। इस घटना के बाद जोगी कोमा में चले गए थे। अजीत जोगी का जन्म 29 अप्रैल 1946 में बिलासपुर के पेंड्रा में हुआ था. उनका पूरा नाम अजीत प्रमोद कुमार जोगी है. अजीत जोगी 1968 में UPSC में सफल हुए और IPS बने थे. दो साल बाद ही वे IAS बन गए. वो रायपुर, शहडोल और इंदौर में 14 साल तक कलेक्टर रहे हैं.
- अमरावती : आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस की जगनमोहन रेड्डी सरकार को हाई कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. राज्य निर्वाचन आयुक्त एन रमेश कुमार जिन्हे एक अध्यादेश जारी कर पद से हटा दिया गया था, कोर्ट ने उसे फिर से बहाल कर दिया है. इससे पहले आंध्र की जगनमोहन रेड्डी सरकार ने 'आंध्र प्रदेश पंचायत राज अधिनियम' में संशोधन करते हुए एसईसी यानी राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल को पांच साल से घटाकर तीन साल कर दिया था. नए संशोधन के तहत एन रमेश कुमार का कार्यकाल 10 अप्रैल 2020 को खत्म हो गया था. उनकी जगह रिटायर्ड जस्टिस वी कनगराज को राज्य का नया चुनाव आयुक्त (एसईसी) नियुक्त किया था.
दरअसल वाईएसआर कांग्रेस की सरकार और रमेश कुमार के बीच महीनों से एक विवाद चल रहा था. राज्य निर्वाचन आयुक्त रमेश कुमार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने का हवाला देकर एहतियातन स्थानीय निकाय चुनाव को स्थगित करने को कहा था, जिसके बाद से ही विवाद बढ़ गया.
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार ने रमेश कुमार के फैसले पर नाराजगी जताई और उन पर विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया था. जिसके बाद एक अध्यादेश जारी कर आंध्र प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1994 में संशोधन कर दिया. - नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि चीन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मूड ठीक नहीं है। लेकिन विदेश मंत्रालय के एक बयान ने उनके इस दावे का खंडन कर दिया है। मंत्रालय ने कहा है कि हाल-फिलहाल पीएम मोदी और ट्रंप के बीच कोई बात ही नहीं हुई है। दोनों नेताओं के बीच आखिरी बार चार अप्रैल को बात हुई थी और उस वार्ता का केंद्र बिंदु हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन था।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दावा किया है कि 'लद्दाख मुद्दे पर पीएम मोदी का मूड ठीक नहीं है।' विदेश मंत्रालय की तरफ से गुरुवार को कहा गया है, 'दोनों नेताओं के बीच आखिरी बार चार अप्रैल 2020 को बात हुई है और उनकी बातचीत का केंद्र बिंदु हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा था।' विदेश मंत्रालय की तरफ से ट्रंप की ओर से आए मध्यस्थता की पेशकश को भी खारिज कर दिया गया है। मंत्रालय ने कहा है कि चीन के साथ भारत लगातार संपर्क में है और स्थापित तंत्रों और राजनयिकों के जरिए बातचीत जारी है। आपको बता दें कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर इस समय तनाव की स्थिति बनी हुई है। दोनों देशों ने यहां पर जवानों की संख्या बढ़ा दी है और फिलहाल राजनयिक स्तर पर इस मसले को सुलझाने की कोशिशें जारी हैं।
राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, 'भारत और चीन के बीच एक बड़ा टकराव चल रहा है। मैं आपके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुत पसंद करता हूं। वह एक महान और सज्जन इंसान है। भारत-चीन में बड़ा विवाद है। दोनों देशों के पास तकरीबन 1.4 अरब आबादी है। दोनों देशों की सेनाएं बहुत ही ताकतवर हैं। भारत खुश नहीं है और मुमकिन है कि चीन भी खुश नहीं है। ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या भारत-चीन के बीच सीमा पर चल रही तनातनी से वह चिंतित हैं तो उन्होंने जवाब दिया, 'मैं आपको बता रहा हूं कि मैंने पीएम मोदी से इस बारे में बात की है। चीन के साथ जैसा चल रहा है, उसको लेकर वह अच्छे मूड में नहीं हैं।' - दिल्ली : सरकारी योजनाओं के नाम पर लोगों को अक्सर ठगी का शिकार बनाया जाता रहा है। साइबर ठग सरकारी योजनाओं के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाते हैं और इसके जरिए लालच देकर लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं। ये फर्जी वेबसाइट कुछ इस तरह से डिजाइन की जाती है मानो जैसे ऑरिजनल ही हो। इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वेबसाइट को आयुष्मान योजना की असली साइट बताकर फॉर्म भराए जा रहे हैं। इस वेबसाइट का लिंक ayushman-yojana.org है। सरकारी फैक्ट चेकर पीआईबी फैक्ट चेक ने एक ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी है। @PIBFactCheck नाम के ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर कहा गया है कि यह वेबसाइठ फर्जी है।वेबसाइट के जरिए कोरोना वायरस के नाम पर धोखाधड़ी को अंजाम दिया जा रहा है।
दरअसल इस वेबसाइट के जरिए लोगों से ये कहकर पैसा लिया जा रहा है कि जमा रकम का इस्तेमाल कोरोना महामारी के चलते परेशान लोगों की मदद के लिए किया जा रहा है। लोगों से यह कहकर पैसे मांगे जा रहे हैं कि वह जरूरतमंद परिवारों को इस रकम से खाना खिला रहे हैं।
यही नहीं वेबसाइट के जरिए आयुष्मान योजना के तहत नौकरी के लिए आवेदन भी मांगे जा रहे हैं। आवेदन फीस के रूप में 300 से 400 रुपये की ऑनलाइन पेमेंट करने के लिए कहा जा रहा है। वेबसाइट में फॉर्मासिस्ट, नर्स, लैब असिस्टेंट, वार्ड ब्वॉय और आयुष मित्र डॉक्टर, एएनएम, जीएनएम आदि पदों पर वैकेंसी का दावा किया जा रहा है।
सच्चाई तो यह है कि आयुष्मान भारत योजना की ऑफिशियल साइट pmjay.gov.in है। ऐसे में साइबर ठगो इस योजना के नाम से मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर सोशल मीडिया के जरिए लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए यूजर्स को हमेशा ऑरिजलन सोर्स पर जाकर जानकारी को चेक करना चाहिए। इसके अलावा बेसाइट के यूआरएल पर भी ध्यान देना चाहिए। वहीं यूजर्स तमाम योजनाओं के लिए जारी किए गए फोन नंबर और ई-मेल आईडी के जरिए भी जानकारी हासिल कर सकते हैं।
साभार : जनसत्ता से -
पुलवामा। गुरुवार को सेना, सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स (सीआरपीएफ) और पुलवामा पुलिस को सही समय पर मिली इंटेलीजेंस और तुरंत लिए गए एक्शन की वजह से एक बड़ा आईईडी ब्लास्ट टल गया। कश्मीर जोन पुलिस की तरफ से गुरुवार की सुबह इस बात की जानकारी दी गई है। पुलिस को देर रात इंटेलीजेंस मिली थी कि आतंकी विस्फोटक से लदी कार के साथ पुलवामा की तरफ बढ़ रहे है।
इंटेलीजेंस मिलने के बाद पुलिस और सुरक्षाबलों की कई टीम के साथ पुलिस ने सभी संभावित रास्तों को कवर किया। सुरक्षाबल सड़क से अलग किसी सुरक्षित जगह पर थे। इसके बाद संदिग्धा वाहन आया और कुछ राउंड फायरिंग की गई। इसके बाद आतंकी कार को अंधेरे में छोड़कर भाग गए। गाड़ी की जांच में पता लगा कि गाड़ी की पिछली सीट पर ड्रम में भारी विस्फोटक था। आसपास के घरों से लोगों को निकाला गया और फिर बॉम्ब डिस्पोजल टीम ने गाड़ी को विस्फोट से उड़ा दिया। पुलिस के मुताबिक अगर गाड़ी को जरा भी मूव कराया जाता तो बड़ा ब्लास्ट हो सकता था। पुलवामा पुलिस ने बताया है कि गाड़ी पर जो नंबर प्लेट लगी है वह स्कूटर की है और यह कठुआ जिले में रजिस्टर है। - नई दिल्ली। रेल मंत्रालय जिस तरह से केरल में ट्रेनों को भेज रहा है, उसपर केरल सरकार ने आपत्ति जाहिर की है। केरल सरकार ने इस बात को लेकर आपत्ति जाहिर की है कि रेलवे का ट्रेनों को प्रदेश में भेजने का तरीका सही नहीं है। बिना पूर्व जानकारी के ट्रेनों को भेजे जाने से प्रदेश में कोरोना वायरस को रोकने के प्रोटोकॉल का उल्लंघन होता है। बता दें कि केरल ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए काफी सक्षम काम किया है, जिसकी विदेशी मीडिया ने भी तारीफ की है। मंगलवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री पिनारयी विजयन ने इस बाबत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। प्रदेश के वित्त मंत्री थॉमस इसाक ने आरोप लगाया है कि रेलवे केरल में कोरोना फैलाने के मामले में सुपर स्प्रेडर बनना चाहता है।
बता दें कि केरल में कोरोना के कुल 896 मामले थे। 72 लोग जो महाराष्ट्र से यहां आए हैं वो कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा 71 लोग तमिलनाडु और 36 लोग कर्नाटक से यहां आए हैं, वो भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। मंगलवार को केरल ने कोरोना के 67 नए मामले सामने आए हैं, जिसमे से 27 यहां के रहने वाले हैं, जबकि 33 लोग ऐसे हैं जो दूसरे राज्य से वापस लौटे हैं , 7 लोग इन लोगों के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं। केरल के मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल को इस बात में कोई आपत्ति नहीं है कि लोग अपने घर वापस आ रहे हैं। लेकिन पहले से जानकारी के अभाव में हमे दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, यह कोरोना के खिलाफ हमारे कार्यक्रम को नुकसान पहुंचा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे अपने पत्र में पिनारयी विजयन ने कहा कि मुंबई से ट्रेन केरल बिना किसी पूर्व जानकारी के आई। यह हमारे सर्विलांस सिस्टम को नुकसान पहुंचाएगी। मैंने इस मसले को रेल मंत्रालय के सामने भी उठाया है। लेकिन इसके बाद एक और ट्रेन को बिना पूर्व जानकारी केरल भेजने के लिए तय कर लिया गया। यह हमारे कोरोना को रोकने की मुहिम को नुकसान पहुंचाएगी। वहीं इस बाबत प्रदेश के वित्त मंत्री ने ट्वीट कके लिखा है कि पिछले हफ्ते मुंबई से एक ट्रेन आई, हमे ट्रे्न पहुंचने के बाद जानकारी दी गई। बिना पूर्व जानकारी के ट्रेन को रोका गया। अधिकतर यात्रियों के पास कोई पास नहीं था। इस तरह की हरकत बंद होनी चाहिए। - नई दिल्ली। कोरोना संकट में जब देशभर में लॉकडाउन है तो लाखों-करोड़ों प्रवासी मजदूर और गरीब अपने घर जाने के लिए मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। एक तरफ जहां सरकार इनके लिए पर्याप्त साधन मुहैया नहीं करा पा रही है ताकि ये अपने घर पहुंच पाए तो दूसरी तरफ फिल्म अभिनेता सोनू सूद इनके लिए वरदान साबित हो रहे है। सोनू सूद पिछले कई दिनों से लॉकडाउन में फंसे लोगों को उनके घर पहुंचाने में मदद करने की वजह से सुर्खियों में हैं। सोशल मीडिया पर ट्वीट के जरिए लोग उनसे मदद की गुहार लगा रहे हैं और सोनू सूद उन्हें कतई निराश नहीं कर रहे हैं। सोनू लगातार इन लोगों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं और सोशल मीडिया पर इन लोगों के संपर्क में बने हुए हैं। ऐसे में जिस तरह से सोनू सूद संकट की इस घड़ी में लोगों की मदद कर रहे हैं, उसकी वजह से उनकी जमकर तारीफ हो रही है।
सोनू को हर रोज लोग कई ट्वीट कर रहे हैं और मदद की गुहार लगा रहे हैं, ऐसे में सोनू सूद हर संभव इन लोगों की व्यक्तिगत तौर पर मदद करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अब उन्होंने इनकी मदद के लिए एक टॉलफ्री नंबर साझा किया है। इस बाबत सोनू ने एक ट्वीट करके जानकारी दी है। इस ट्वीट में उन्होंने लिखा, मेरे प्यारे श्रमिक भाइयों और बहनों. अगर आप मुंबई में है और अपने घर जाना चाहते हैं तो कृपया इस नंबर पर कॉल करें 18001213711 और बताएं आप कितने लोग हैं, अभी कहाँ पर हैं और कहां जाना चाहते हैं. मैं और मेरी टीम जो भी मदद कर पाएंगे हम जरूर करेंगे।
दिलचस्प बात ये है कि एक तरफ जहां सच में संकट में फंसे लोग सोनू को ट्वीट करके मदद की गुहार लगा रहे हैं तो कुछ ऐसे लोग भी जो अपनी गर्लफ्रैंड से मिलने, शराब के ठेके जाने के लिए भी सोनू से मदद की अपील कर रहे हैं। लेकिन सोनू इन लोगों को बेहद दिलचस्प अंदाज में जवाब दे रहे हैं। एक व्यक्ति ने ट्वीट करके लिखा कि भैया, एक बार गर्लफ़्रेंड से ही मिलवा दीजिए.. बिहार ही जाना है। जिसके जवाब में सोनू ने लिखा, थोड़े दिन दूर रह के देख ले भाई .. सच्चे प्यार की परीक्षा भी हो जाएगी। -
नई दिल्ली: विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस ला रहा एयर इंडिया फिलहाल बीच की सीट में यात्रियों को बैठा सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने आज स्वास्थ्य का खतरा पैदा करने वाले सरकारी सर्क्युलर पर कड़ी नाराजगी जताई. लेकिन विशेष परिस्थितियों के चलते 6 जून तक इस व्यवस्था को चलाने की इजाजत दे दी. ईद की छुट्टी के बावजूद आज सुप्रीम कोर्ट DGCA और एयर इंडिया की तरफ से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के लिए विशेष रूप से बैठा. दोनों ने बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने विदेश से भारतीयों को ले रही फ्लाइट में बीच की सीट खाली छोड़ने के लिए कहा था. हाई कोर्ट ने सभी सीटें भरने को स्वास्थ्य के लिहाज से खतरनाक और मार्च के महीने में जारी सरकारी नोटिफिकेशन के खिलाफ बताया था. हाई कोर्ट ने यह आदेश एयर इंडिया के एक पायलट देवेन कनानी की याचिका पर दिया था.
इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एयर इंडिया की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. उन्होंने हाई कोर्ट के आदेश को व्यवहारिक रूप से गलत बताते हुए उस पर रोक की मांग की. यह भी कहा कि 22 मई को जारी नए नोटिफिकेशन में फ्लाइट में बीच की सीट खाली रखने की व्यवस्था खत्म कर दी गयी है. इस पर 3 जजों की बेंच ने कड़ी नाराजगी जताई. बेंच की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “हमें हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने की कोई ज़रूरत नहीं लगती। यह बिल्कुल उचित नहीं है कि बाहर तो लोग 6 फीट की दूरी रखें. लेकिन फ्लाइट में कंधे से कंधा सता कर बैठें. ऐसा लगता है कि आपको एयर इंडिया की वित्तीय सेहत की चिंता है, लोगों के स्वास्थ्य की नहीं.“
इस पर सॉलिसीटर जनरल ने मामले में अंतरिम राहत को जरूरी बताया. उन्होंने कहा, “इस वक्त नॉन शेड्यूल्ड फ्लाइट उड़ रही है. इनकी संख्या कम है. विदेश में फंसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा है. हाई कोर्ट के आदेश से अनिश्चितता फैल गई है. घर आने को बेचैन लोगों को लग रहा है कि उन्हें और लंबा इंतजार करना पड़ेगा. हमारी एक समस्या और है. टिकट बिक चुके हैं. अब हम उन यात्रियों को कैसे मना करें जिनकी सीट बीच की है? कई लोगों का टिकट परिवार के साथ है. एक सदस्य को पीछे कैसे छोड़ा जा सकता है?” जजों ने इस तरह की स्थिति पैदा करने के लिए DGCA की खिंचाई की. लेकिन यह स्वीकार किया कि अगर मौजूदा हालात में हाई कोर्ट का आदेश लागू हुआ तो पहले से परेशान लोगों की दिक्कत और बढ़ जाएगी. टिकट बिक जाने का हवाला देते हुए कोर्ट ने 6 जून तक बीच की सीट में यात्रियों को बैठाने की अनुमति दे दी.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में इससे ज़्यादा दखल देने से मना करते हुए उसे वापस बॉम्बे हाई कोर्ट भेज दिया और कहा कि 2 जून को होने वाली अगली सुनवाई में हाई कोर्ट सभी पक्षों को सुनने के बाद उचित आदेश पारित करे. कोई भी कदम उठाते वक्त लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाए. - नई दिल्ली : वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कोरोना वायरस के मरीज 11 दिनों के बाद संक्रमण नहीं फैलाते, भले ही वे 12वें दिन वे कोरोना पॉजिटिव ही बने रहें. nypost.com की रिपोर्ट के मुताबिक, सिंगापुर नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शस डिजीजेज (NCID) एंड अकेडमी ऑफ मेडिसीन की स्टडी में ये बात पता चली है.
अब तक ये समझा जाता रहा है कि कोरोना मरीज जब तक पॉजिटिव हैं, कोरोना संक्रमण फैला सकते हैं. वहीं रिसर्चर्स ने यह भी कहा है कि लक्षण दिखने के 2 दिन पहले से कोरोना मरीज संक्रमण फैला सकते हैं. वैज्ञानिकों ने कहा है कि स्टडी के दौरान देखा गया कि कोरोना मरीजों में लक्षण दिखने के 7 से 10 दिन बाद तक संक्रमण फैलाने की क्षमता होती है.
सिंगापुर नेशनल सेंटर फॉर इंफेक्शस डिजीजेज ने करीब 73 कोरोना मरीजों पर स्टडी की जिस दौरान उन्हें नई बात पता चली. वैज्ञानिकों ने कहा कि ये देखा गया कि 11 दिन के बाद कोरोना वायरस को आइसोलेट या Cultured नहीं किया जा सकता. वैज्ञानिकों ने कहा है कि लक्षण दिखने के एक हफ्ते बाद कोरोना मरीजों में एक्टिव वायरल रेप्लिकेशन घटने लगता है. नई जानकारी के आधार पर हॉस्पिटल इस बारे में फैसला ले सकते हैं कि मरीजों को कब डिस्चार्ज किया जाए.
अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में दो बार निगेटिव टेस्ट आने के बाद ही डॉक्टर ये मानते हैं कि कोरोना मरीज ठीक हो गए. हालांकि, सिंगापुर में की गई स्टडी का सैंपल साइज छोटा था लेकिन नई जानकारी डॉक्टरों के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है. सिंगापुर के NCID की एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर लिओ यी सिन ने स्ट्रेट टाइम्स से कहा कि सैंपल साइज छोटा होने के बावजूद नई जानकारी को लेकर रिसर्चर्स विश्वस्त हैं. रिसर्चर्स का मानना है कि बड़े सैंपल साइज में भी ऐसे ही परिणाम देखने को मिलेंगे. लिओ यी सिन ने कहा- वैज्ञानिक दृष्टि से मैं काफी आश्वस्त हूं, इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि कोरोना मरीज 11 दिन बाद संक्रामक नहीं होते हैं.
साभार : aaj tak
- नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने शुक्रवार को एक संशोधित एडवाइजरी जारी कर गैर-कोरोना अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यसेवा कर्मियों, कंटेनमेंट जोन में निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों और कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने संबंधी गतिविधियों में शामिल पैरामिलिट्री फोर्स/पुलिसकर्मियों को रोग निरोधक दवा के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है. इससे पहले जारी एडवाइजरी के अनुसार, COVID-19 को फैलने से रोकने और इसका इलाज करने में शामिल बिना लक्षण वाले सभी स्वास्थ्यसेवा कर्मियों और संक्रमित लोगों के घरों में संपर्क में आए लोगों में संक्रमण के खिलाफ इस दवा का इस्तेमाल करने की भी सिफारिश की गई है.
हालांकि, आईसीएमआर द्वारा जारी संशोधित एडवाइजरी में आगाह किया गया है कि दवा लेने वाले व्यक्ति को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह एकदम सुरक्षित हो गया है. नई एडवाइजरी के अनुसार NIV पुणे में HCQ की जांच में यह पाया गया कि इससे संक्रमण की दर कम होती है. इसमें कहा गया है कि यह दवा उन लोगों को नहीं देनी चाहिए, जो नजर कमजोर करने वाली रेटिना संबंधी बीमारी से ग्रस्त है, एचसीक्यू को लेकर अति संवेदनशीलता है और जिन्हें दिल की धड़कनों के घटने-बढ़ने की बीमारी है.
एडवाइजरी में कहा गया है कि इस दवा को 15 साल से कम आयु के बच्चों और गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली महिलाओं को न देने की सिफारिश की जाती है. इसमें कहा गया है कि यह दवा औपचारिक सहमति के साथ किसी डॉक्टर की निगरानी में दी जाए. भारत ने पिछले महीने ही कई अमेरिका, जर्मनी समेत कई देशों को भारी मात्रा में HCQ का निर्यात किया था, जिसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया था. - नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने 25 मई से ट्रेन के साथ -साथ कुछ शर्तों के साथ विमान सेवा भी शुरू करने का फैसला लिया है। विमान सेवाओं के लिए टिकट बुकिंग की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। लेकिन इस बीच सरकार के एक फैसले को लोग अटपटा बता रहे हैं। दरअसल, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए कार में सिर्फ दो लोगों के बैठने की ही इजाजत है लेकिन विमानन मंत्री ने फ्लाइट की बुकिंग के मामले में कहा कि फ्लाइट की बीच वाली सीट भी बुक होगी। ऐसे में सरकार का यह फैसला लोगों को अटपटा लग रहा है।इस फैसले को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहा कि क्या विमान में सभी सीटें भर कर यात्रियों को लेकर जाना खतरनाक नहीं है?
रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है, जान है तो जहान है … इसका क्या हुआ? सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सरकार ने जो नियम कायदे बनाए हैं उनका क्या? इन नियमों का पालन नहीं होगा? फ्लाइट में सभी सीटें भरना सुरक्षित है या खतरनाक? विमानन मंत्री को इस पर स्पष्ट बयान देना चाहिए। - नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया जिसमें दिल्ली सरकार को बिना किसी देरी के कोविड-19 से संक्रमित लोगों और इससे मरने वाले लोगों की वास्तविक संख्या बताने और मृतकों का लेखा-जोखा रखने वाली समिति (डेथ ऑडिट कमिटी) को रद्द करने के दिशा निर्देश देने का अनुरोध किया गया. वीडियो कांफ्रेंस के जरिए सुनवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश डी.एन पटेल और न्यायाधीश प्रतीक जालान की पीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया. साथ ही याचिकाकर्ता को ‘‘उचित समय’’ पर फिर से अदालत का रुख करने की छूट दी.
अखिल भारतीय वकील संघ के दायर जनहित याचिका में दिल्ली सरकार को विभिन्न सरकारी और निजी अस्पतालों से मुहैया कराए जा रहे. आंकड़ों के आधार पर हर 24 घंटे के बुलेटिन के जरिए कोविड-19 के पुष्ट मामलों और इससे मरने वाले लोगों की संख्या से संबंधित आंकड़ें प्रकाशित करने का निर्देश देने की मांग की. वकील फिदेल सेबेस्टियन के दायर की गई याचिका में कहा गया है कि आप सरकार ने दावा किया कि उसने 20 अप्रैल को ‘डेथ ऑडिट कमिटी’ गठित की और समिति से आंकड़ें जारी किए जा रहे हैं.’’
इसमें कहा गया, ‘‘हालांकि विभिन्न अस्पतालों द्वारा मुहैया कराई जा रही असल सूचना और दिल्ली सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के बीच भारी विसंगति की वजह स्पष्ट नहीं की गई. याचिका में कहा गया है कि वायरस के फैलने के वास्तविक आंकड़ों और मृतकों की संख्या नागरिकों से छिपाना दिल्ली सरकार का अनैतिक कदम है. - नई दिल्ली : टीवी चैनल इंडिया टुडे के लिए काम करने वाली एक पत्रकार ने अपने ट्वीट में दावा किया है कि, ज़ी न्यूज़ में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 66 पहुंच चुकी है। पत्रकार के इस ट्वीट के बाद ज़ी न्यूज़ के संपादक और एंकर सुधीर चौधरी सोशल मीडिया यूजर्स के निशाने पर आ गए है। सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं कि, ज़ी न्यूज़ कोरोना का नया हॉटस्पॉट बन गया है।
इंडिया टुडे के लिए काम करने वाली पत्रकार मिलन शर्मा ने गुरुवार (21 मई) को ट्विटर पर लिखा, “ज़ी न्यूज़ में कुल 66 लोग कोरोना पॉजिटिव पाएं गए है।” मिलन शर्मा का यह ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, उनके इस ट्वीट पर यूजर्स भी जमकर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कई सोशल मीडिया यूजर्स सरकार से मांग कर रहे हैं कि कोरोना संक्रमण के बावजूद अपने कर्मचारियों को काम पर आने के लिए मजबूर करने के आरोप में चैनल के संपादक सुधीर चौधरी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करनी चाहिए।
इन 66 लोगों से अन्य कितने लोग संक्रमित हुए होंगे इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। लेकिन, एक मीडिया कंपनी में 66 कर्मचारियों का संक्रमित हो जाना कोई सामान्य घटना नहीं है। 66 की संख्या जी न्यूज के प्रबंधन में एक बड़ी लापरवाही की तरफ इशारा कर रही है। बता दें कि, सुधीर चौधरी ज़ी न्यूज़ में एंकर होने के अलावा चैनल के एडिटर इन चीफ भी हैं।
साभार : JANTA KA REPORTER - इस्लामोफोबिया सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बाद सऊदी अरब की एक यूनिवर्सिटी ने भी सख्ती दिखाई है। एक सऊदी अरब विश्वविद्यालय ने भारतीय मूल के एक प्रोफेसर को इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी किए जाने पर नौकरी से बर्खास्त कर दिया है। बता दें कि, भारत का यह आदमी उन भारतीयों की सूची में सबसे नया शामिल हो गया है, जिन्हें खाड़ी क्षेत्र, कनाडा और न्यूजीलैंड सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अपनी कट्टरता के लिए अपनी नौकरी गवानी पड़ी हैं।
सऊदी अरब की प्रीमियम यूनिवर्सिटी कही जाने वाली जाज़ान यूनिवर्सिटी ने द्वारा किए गए ट्वीट में लिखा गया है, “एक अनुबंधित संकाय सदस्य द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट और ट्वीट के प्रकाशन के बारे में विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा बताई गई बातों के आधार पर, उसका पंजीकरण / संबद्धता रद्द कर दी जाती है। जाज़ान विश्वविद्यालय इस बात की पुष्टि करता है कि वह किसी भी चरमपंथी / चरम विचारधारा के साथ दृढ़ता से निपटेगा जो मूल नियमों को प्रभावित करता है या महान नेतृत्व की दिशा को बाधित करता है।”
नीरज बेदी पर आरोप है कि उसने सोशल मीडिया माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर इस्लाम को लेकर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी की थी। डॉ प्रोफ़ेसर नीरज बेदी सऊदी अरब के जज़ान यूनिवर्सिटी में कम्यूनिटी मेडिसिन के प्रोफ़ेसर थे। इनकी सैलरी 35000 रियाल यानी इंडियन सात लाख रुपए प्रतिमाह थी। सऊदी में रहकर इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलने के कारण उन्हें यूनिवर्सिटी से बर्खास्त कर दिया गया।
बता दें कि, इन दिनों सऊदी अरब, कुवैत और यूएई के कई हिस्सों में मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों को लेकर कई भारतीय हिन्दुओ को नौकरी से निकाला जा चुका है।साभार : janta ka reporter
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मुंबई : भारतीय जनता पार्टी के नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र की उद्धव सरकार पर सैकड़ों करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया है। यह आरोप उन्होंने खाना को लेकर लगाया है। सोमैया ने आरोप लगाया है कि क्वारंटाइन सेन्टर में जो खाना मिल रहा है उसमें कुछ तो गोल माल है। उन्होंने दावा किया कि अलग अलग क्वारंटाइन सेन्टर में खाने का रेट अलग है।
किरीट सौमेया ने कहा कि ”क्वॉरंटीन सेंटर में पीड़ित लोगों को जो दो वक्त का खाना और चाय दी जा रही है, तो अलग-अलग कॉन्ट्रैक्टर को अलग-अलग रेट पर पेमेंट किया जा रहा है। ‘ बीजेपी नेता ने रेट में अंतर का दावा करते हुए एक ट्वीट भी किया। पूर्वी उपनगर 172, दादर 372 रुपये, अंधेरी 350 रुपये और ठाणे में 415 रुपये है।
उन्होंने कहा कि सिर्फ खाना ही नही मुंबई के अस्पतालों के भी बुरा हाल है। अस्पतालों में अधिक संख्या के बेड उपलब्ध नही है, जिससे अस्पताल में मरीजों का इलाजे हो सके। मुंबई पुलिस के जवान को अस्पताल में बेड न मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा बेड न मिलने की वजह से एक पुलिस अफसर को जान गंवानी पड़ी, जो हॉटस्पॉट इलाके धारावी में तैनात था। इन्होंने एक महीने पहले ही फेसबुक पर पुलिस जवानों के लिए चिंता जताई थी। - नई दिल्ली : अमेजन वेब सीरीज ‘पाताल लोक’ को अभी रिलीज हुए कुछ ही दिन हुए हैं लेकिन इसकी चर्चा खूब हो रही है। वहीं, दूसरी ओर अब ये वेब सीरीज विवादों में फंसती नजर आ रही है। लॉयर गिल्ड मेंबर के सदस्य वीरेन सिंह गुरुंग ने सीरीज की प्रोड्यूसर व अभिनेत्री अनुष्का शर्मा को लीगल नोटिस भेजा है। नोटिस में आरोप है कि सुदीप शर्मा द्वारा लिखी गई इस वेबसीरीज में जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल हुआ है, जिससे गोरखा समुदाय का अपमान हुआ है।
गिल्ड के मेंबर और प्रणय राय ऐंड असोसिएट्स के चैंबर्स से जुड़े वकील वीरेन श्री गुरुंग ने कहा, ‘एक वीडियो क्लिप में पूछताछ के दौरान लेडी पुलिस ऑफिसर नेपाली कैरक्टर पर जातिवादी गाली का इस्तेमाल करती है। अगर केवल नेपाली शब्द का इस्तेमाल किया गया होता तो इसमें कोई समस्या नहीं थी लेकिन इसके बाद का जो शब्द है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अनुष्का इस शो की प्रड्यूसर हैं, इसलिए हमने उन्हें नोटिस भेजा है। फिलहाल अभिनेत्री की तरफ से कोई रिऐक्शन नहीं आया है। अगर जवाब नहीं मिलता है तो लीगल टीम मामले को आगे ले जाएगी।’
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गोरखा कम्युनिटी ने भी इस सीरीज के डायलॉग पर आपत्ति जताई है और शब्द को हटाने की मांग की है। 18 मई को उनकी ओर से एक ऑनलाइन पिटिशन चलाई गई है। मांग के अनुसार, इस शब्द को म्यूट किया जाना चाहिए। इसके अलावा सबटाइटल्स को भी ब्लर किया जाना चाहिए और इसके बाद एडिट की गई वीडियो को प्लेटफॉर्म पर दिखाया जाए। इसके अलावा समुदाय ने बिना शर्त माफी और डिस्क्लेमर की भी मांग की है।
- जेनेवा। स्विट्जरलैंड के देश जेनेवा में इस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की मीटिंग जारी है। इस मीटिंग में सदस्य देशों विशेषकर अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के आगे यूनाइटेड नेशंस की संस्था डब्लूएचओ को झुकना पड़ा है। सोमवार को संगठन ने कोरोना वायरस को लेकर उसकी प्रतिक्रिया की जांच के लिए हामी भर दी है। अब तक इस महामारी से दुनियाभर में तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है।
अफ्रीका के तमाम देशों और यूरोपियन यूनियन देशों की तरफ से कोरोना वायरस महामारी को लेकर एक विस्तृत और गहन जांच की मांग की जा रही है। संगठन ने यह फैसला तब लिया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संगठन को चीन की कठपुतली बताते हुए इसे छोड़ने का अल्टीमेटम दिया गया। अमेरिका का कहना है कि यह वायरस वायरस चीन की एक लैब से निकला है और उसके पास इस बात को साबित करने के लिए पूरी सुबूत हैं। ट्रंप ने दो टूक कह दिया था कि अगर 30 दिनों के अंदर कोई सुधार नहीं हुआ तो फिर अमेरिका हमेशा के लिए इससे बाहर हो जाएगा। ट्रंप पहले ही डब्लूएचओ को मिलने वाली आर्थिक मदद अस्थायी तौर पर बंद कर चुके हैं। डब्लूएचओ के हेड टेडरॉस एडहोनम गेब्रेसियस ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर सामने आई प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए वह एक स्वतंत्र जांच के पक्षधर हैं। यूनाइटेड नेशंस के मुखिया एंटोनियो गुटारेशे ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कहा कि कई देशों ने डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों की अनदेखी की। उन्होंनेकहा, 'अलग-अलग देशों ने अलग-अलग, कई बार विरोधाभासी रणनीतियां अपनाईं और हम सब एक भारी कीमत चुका रहे हैं।' - नई दिल्ली : महाचक्रवात अम्फान आज यानी (बुधवार) को विकराल रूप धारण कर सकता है और बड़ी तबाही मचा सकता है। सुंदरवन के करीब बांग्लादेश में दीघा और हटिया के बीच टकराने की आशंका है। मगर इससे पहले ओडिशा में तेज हवा के साथ बारिश का दौर शुरू हो गया है। हालांकि, आपदा प्रबंधन दल और सैन्य बचाव दल संभावित स्थितियों से निपटने को तैयार है। अम्फान के संभावित प्रकोप को लेकर पूर्वी भारत के ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कवायद जारी है। महाचक्रवात से निपटने में दोनों देशों और संबंधित राज्यों का प्रशासनिक अमला पूरी ताकत से जुटा है। सरकारें व एजेंसियां जरूरी सूचनाओं का त्वरित आदान-प्रदान कर रहे हैं। यह दो दशकों में बंगाल की खाड़ी में दूसरा महाचक्रवात है। बता दें कि वर्ष 1999 में ओडिशा में आये महाचक्रवात के बाद अम्फान बंगाल की खाड़ी में यह ऐसा दूसरा चक्रवात है।