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तुर्कमेनिस्तान में कोरोना शब्द इस्तेमाल करने पर लगा बैन, नहीं पहन सकते हैं मास्क!

 कोरोनावायरस से दुनिया की जंग जारी है। विकसित हों या विकासशील। हर देश संक्रमण खत्म करने में जुटा है। लेकिन, ईरान से सटे तुर्कमेनिस्तान में कोरोना शब्द पर ही बैन लगा दिया गया है।

यहां कोरोना बोलने और लिखने वालों पर कार्रवाई हो रही है। मास्क पहनने पर पहले ही बैन है। उल्लंघन करने पर जेल हो सकती है। मीडिया भी कोरोना शब्द का प्रयोग नहीं कर सकता।
स्वास्थ्य मंत्रालय संक्रमण ने स्कूल और सरकारी दफ्तरों के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर ब्रोशर बांटे गए हैं। इनमें हेल्थ गाइड लाइंस हैं लेकिन, यहां भी कोरोना शब्द नदारद है।
राष्ट्रपति गुरबांगुली बेयरडेमुकामेडॉव ने यहबैन लगाया है। वो 2006 से सत्ता में हैं। हालांकिअभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर क्यों कोरोनाशब्द पर बैन लगाया गया है।
‘द इंडिपेंडेंट’ अखबार की एक रिपोर्ट मेंतुर्कमेनिस्तान के हालात की जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक,कोरोना की चर्चा करने पर पुलिस कार्रवाई रही है।
जनता के बीच स्पेशल एजेंट्स सादे कपड़ों में घूम रहे हैं। ये लोगों की बातें सुनते हैं। अगर कोई कोरोना की चर्चा करते पकड़ा जाता है तोउसे जेल भेज दिया जाता है।
हालांकि, इसके बावजूद सरकार वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठा रही है। रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग हो रही है। भीड़भाड़ वाली जगहों की सफाई जारी है। हर तरह के आंदोलनपर रोक लगा दी गई है।
रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर (आरएसएफ) की प्रमुख ज्यां कैवेलियर ने तुर्कमेनिस्तानसरकार के फैसले की आलोचना की है। उनका मुताबिक- कोरोना वायरस से जुड़ा कोई भी बैन तुर्कमेनिस्तान के नागरिकों की जान खतरे में डाल सकता है।
 
वहां के लोगों को सीमित और एकतरफा जानकारी दी जा रही है। यह खतरनाक स्थिति है।
कोरोना शब्द पर बैन को प्रेस फ्रीडम ऑर्गनाइजेशनने गलत बताया। उसके मुताबिक-सरकारी आदेश मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है। इससे बचना और वापस लेना चाहिए। तुर्कमेनिस्तान प्रेस फ्रीडम के मामले में 180 देशों की सूची में आखिरी स्थान पर है।
तुर्कमेनिस्तान ईरान के दक्षिण में है। ईरान में कोरोना से 2889 लोगों की मौत हो चुकी है। 50 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं। लिहाजा, तुर्कमेनिस्तान में इस तरह की पाबंदी पर कई देशों नेनाराजगी जाहिर की है।
 
 

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