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एनजीओ की आड़ में नवजात बच्चों को बेचने वाले गिरोह का पुलिस ने किया पर्दाफाश...

एजेंसी

एनजीओ की आड़ में नवजात बच्चों को बेचने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गरीब परिवारों को अच्छी परवरिश का लालच देते थे।

मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम ने एनजीओ की आड़ में नवजात बच्चों को बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। टीम एनजीओ संचालिका और उसके फैक्टरी मालिक को गिरफ्तार किया है। अपराध जांच शाखा, सेक्टर-65 ने आरोपियों को बुधवार दोपहर को अदालत में पेश कर दो दिन के पुलिस रिमांड पर ले लिया है। इस गिरोह पर कई बच्चों को बेचने की बात सामने आ रही है।
मुख्यमंत्री उड़नदस्ते को मंगलवार को मुखबिर से सूचना मिली थी कि उड़ान नामक एनजीओ की संचालिका पर्वतीय कॉलोनी निवासी हिना माथुर और उसका बल्लभगढ़ की भाटिया कॉलोनी निवासी साथी पवन शर्मा गरीब लोगों को उनके नवजात बच्चों को अच्छे पालन-पोषण का लालच देकर बच्चों को बेचने में लगे हैं। पवन शर्मा प्लास्टिक की फैक्टरी चलाता है। 
मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम ने फर्जी ग्राहक बनकर बातचीत की तो एनजीओ से जुड़े दोनों लोग एक लाख रुपये लेकर 15 दिन की बच्ची को बेचने के लिए राजी हो गए। इस पर मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के डीएसपी राजेश चेची ने एक टीम गठित कर दी। इस गिरोह को दबोचने के लिए मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के डीएसपी ने डीसी जितेंद्र यादव से मिलकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट को नियुक्त करने के लिए कहा।

डीसी ने सिंचाई विभाग के एसडीओ राजकुमार को ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम ने कागज के बंडल पर ऊपर-नीचे पांच-पांच सौ के नोट लगाकर एक गड्डी तैयार कर ली। मुखबिर के जरिए बच्ची बेचने वालों को सेक्टर-दो में अटल पार्क के नजदीक बुलाया गया। जैसे ही बच्ची बेचने वालों ने बच्चे के पिता बने सहायक उपनिरीक्षक राजेश कुमार को बच्ची देकर एक लाख रुपये की गड्डी पकड़ी तो कुछ दूरी पर खड़ी मुख्यमंत्री उड़नदस्ते की टीम ने उन्हें काबू कर लिया। उड़नदस्ते की टीम ने अगामी जांच के लिए दोनों आरोपियों को बल्लभगढ़ शहर थाना पुलिस के हवाले कर दिया।

पहले सर्वोदय अस्पताल की कैंटीन में बुलाया था

फोन पर बातचीत होने पर इस गिरोह ने पहले फर्जी ग्राहक बने मुख्यमंत्री उड़नदस्ते के एएसआई सतवीर सिंह और उनके साथ महिला पुलिसकर्मी को सेक्टर-आठ सर्वोदय अस्पताल की कैंटीन में बुलाया था।

गायब बच्चों का भी रिकॉर्ड खंगाल रहे

पुलिस शहर से गायब बच्चों का रिकॉर्ड भी खंगाल रही है। इस रिकॉर्ड के आधार पर पुलिस आरोपियों से पूछताछ करेगी। ताकि साबित किया जा सके कि यह गिरोह बच्चों को बेच रहा था। अपराध जांच शाखा प्रभारी ब्रह्मप्रकाश ने बताया कि इस मामले की तह में जाने के लिए गायब बच्चों का रिकॉर्ड लिया जा रहा है। वैज्ञानिक तरीके से मामले की जांच की जा रही है। अभी तक एक ही बच्ची को बेचने की पुष्टि हुई है। जरूरी हुआ तो आरोपियों का रिमांड बढ़वाया जा सकेगा। बच्ची को बीके अस्पताल के नीकू वार्ड में रखा गया है।

पंजीकरण नहीं करवाता था गिरोह

करीब पांच वर्ष पहले शुरू हुआ यह एनजीओ भीख मांगने वाले बच्चों और झुग्गियों में काम करता था। यह गिरोह पहले गरीब परिवार को किसी को बच्चा देने के लिए तैयार करता था। जब महिला को बच्चा हो जाता तो उसका नगर निगम के रिकॉर्ड में पंजीकरण नहीं करवाया जाता था, ताकि बच्चे का खरीदार खुद बच्चे का पिता बनकर निगम के रिकॉर्ड में पंजीकरण करवा सके। अपराध जांच शाखा प्रभारी ब्रह्मप्रकाश की टीम ने आरोपियों को पुलिस रिमांड पर लेने के बाद आरोपी महिला के घर और घर में बने दफ्तर पर छापेमारी की। पुलिस ने आरोपी संचालिका के दफ्तर और घर से कुछ कागजात बरामद किए हैं।

गरीबी का फायदा उठाते थे आरोपी

बल्लभगढ़ की भाटिया कॉलोनी निवासी जिस महिला ने इस गिरोह को अपनी बच्ची सौंपी थी, वह तीन लड़कियों की मां है। उसका पति शराब पीता है। आर्थिक हालत कमजोर होने के कारण आरोपी पवन शर्मा ने इस परिवार को राशन देना शुरू कर दिया था। इस वजह से महिला आरोपी से प्रभावित हो गई। महिला आरोपी के पड़ोस में किराए पर रहती थी। किराए पर रहने के दौरान आरोपी ने महिला को बच्ची को अच्छी परवरिश के लिए किसी नि:संतान दंपति को देने के लिए तैयार कर लिया था। महिला भी कमाई का कोई साधन न होने और तीन बच्चियां होने के कारण तैयार हो गई थी।
 

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