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दुर्ग : 20 करोड़ रुपए की लागत से सोनबरसा व्यपवर्तन का होगा जीर्णाेद्धार, मंत्री ने किया भूमिपूजन

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 

 
- कहा 3000 एकड़ से अधिक भूमि को मिलेगी सिंचाई की संजीवनी, आज धमधा ब्लाक के दौरे में थे कृषि मंत्री श्री रविंद्र चौबे, 1 करोड़ 65 लाख रुपए की लागत से स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल का भी किया भूमिपूजन
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दुर्ग : सत्तर के दशक में सोनबरसा व्यपर्तन धमधा क्षेत्र के किसानों के लिए उम्मीद की तरह आया था। 1986 में इसका काम पूरा हुआ। धीरे-धीरे रखरखाव के अभाव में इसकी नहरें जीर्ण-शीर्ण होती गई और स्थिति यह थी कि मात्र 100 हेक्टेयर जमीन में सिंचाई हो पाती थी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नहरों को संजीवनी प्रदान करने के निर्देश के पश्चात जीवनदायी नहरों के प्रस्ताव बनाये गये। कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने सोनबरसा के जीर्णाेद्धार के लिए प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये। इसके लिए 20 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गये और आज इसका भूमिपूजन श्री रविंद्र चौबे ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में जल संसाधन की संरचनाओं को बेहतर करने का प्रयास किया गया। पुरानी पड़ी संरचनाओं को संजीवनी मिली और लाखों किसानों को इससे राहत पहुँची। धमधा ब्लाक में भी व्यपवर्तन योजनाओं के जीर्णाेद्धार के माध्यम से किसानों के खेतों को संजीवनी मिली। इस दौरान एसडीएम श्री बृजेश क्षत्रिय और कार्यपालन अभियंता श्री सुरेश पांडे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत वियर की ऊंचाई 1 मीटर बढ़ाई जाएगी। मुख्य नहर  लंबाई 18.30 किलोमीटर, बोरी माईनर 5.30 किलोमीटर एवं डोमा माईनर 2.30 किलोमीटर के जीर्णाेद्धार एवं लाइनिंग का कार्य किया जाएगा। इसके अंतर्गत पुराने पुल-पुलिया एवं अन्य पक्के कार्य का नवनिर्माण कार्य भी किया जाएगा। इस योजना के पूर्ण होने पर राजनांदगांव जिले के 03 ग्रामों में कुल 185 एकड़ रकबा एवं दुर्ग जिले के 09 ग्रामों कुल 3080 एकड़ रकबा में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा। इस प्रकार राजनांदगांव जिले एवं दुर्ग जिले में कुल 3265 एकड़ में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होगा और वहां के स्थानीय कृषकों को इसका लाभ मिलेगा। सिंचाई की इस सुविधा से किसान भविष्य में फसल विविधता को सरलता से अपना सकेंगे।

स्वामी आत्मानंद स्कूल भवन का किया भूमिपूजन- इस अवसर पर कृषि मंत्री ने स्वामी आत्मानंद स्कूल भवन का भूमिपूजन भी किया। इसकी लागत एक करोड़ 65 लाख रुपए है। इस अवसर पर श्री चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के बच्चे प्रतिभाशाली होने के बावजूद अंग्रेजी में कमी की वजह से पीछे रह जाते थे। अब इन स्कूलों के माध्यम से इन प्रतिभाओं को जगह मिली है।
 

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