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नारायणपुर : बटेर पालन अब आधारी सलाम के आजीविका का बना आधार
नारायणपुर : नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के समीप करलखा गांव के किसान आधारी सलाम के जज्बे को देखकर आज आसपास के किसान खेती-किसानी को लाभ का व्यावसाय कैसे बनाया जाये, इसकी सीख ले रहे हैं। श्री आधारी सलाम से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि वे 30 वर्षों से खेती का काम कर रहे हैं।
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जिसमें धान, मक्का, चना अरहर की खेती किया करते थे। पानी की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें उतनी फसल नहीं मिल पाती थी, जितना वे मेहनत किया करते थे। फिर एक दिन कृषि विभाग के आत्मा योजनांतर्गत शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के संबंध में अधिकारियों से बातचीत के दौरान उन्होंने मुर्गीपालन, बटेरपालन, मछलीपालन, उद्यानिकी फसल एवं कृषि फसल के बारे में जाानकारी प्राप्त हुई। श्री आधारी सलाम ने शांत मन से विचार करते हुए बटेर पालन करने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों से बातचीत की और अधिकारियों ने उसे 300 नग बटेर के चूजे दिये।

श्री आधारी सलाम ने बताया कि अभी शुरूआती तौर पर उन्होंने 300 नग बटेरों से उनका पालन का व्यावसाय शुरू किया है। स्थानीय स्तर पर इनकी अच्छी मांग को देखते हुए मैने अभी कुछ और बटरे के चूजे लायें हैं। इनकी देखरेख में भी ज्यादा मेहनत नहीं लगती है। कोरोना काल के दौरान इनकी बिक्री से बीते 2 माह में मैने 15 से 16 हजार रूपये कमाये हैं। बटेर पालन अब इनके आजीविका का आधार बना है। उनकी इस सफलता को देखकर आसपास के किसान भी परम्परागत खेती के साथ-साथ अब मुर्गीपालन, बटेरपालन, मछलीपालन आदि की ओर रूचि ले रहे हैं। श्री सलाम कहते है कि भविष्य में मैं अपने गांव के किसानों को भी बटेर पालन के लिए प्रोत्साहित करूंगा ताकि वे भी अच्छा मुनाफा कमाकर अपने परिवार को खुशहाली प्रदान कर सकें।  
 

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