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निर्वाचन कार्य के लिए सेक्टर अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा


लोकसभा निर्वाचन- 2024
निर्वाचन से संबंधित कार्यों का कराया गया बोध, ईवीएम, वीवीपैट की दी गई जानकारी’
जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित किया गया प्रशिक्षण

जशपुर : लोकसभा निर्वाचन 2024 अंतर्गत कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जशपुर जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए नियुक्त सेक्टर अधिकारियों  को आज जिला पंचायत सभाकक्ष में मास्टर ट्रेनर प्रोफेसर डी. आर. राठिया, प्रो. टी.आर. पाटले, प्रो. विनायक साय और प्रो. शशि कुमार मारकंडे द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। मास्टर ट्रेनरों द्वारा सेक्टर अधिकारियों की भूमिका को विस्तार से बताया गया। मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेक्टर अधिकारियों को निर्वाचन से संबंधित कार्याे का बोध कराया गया। उन्हें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विहित निर्देशों की जानकारी दी गई। सेक्टर अधिकारियों को सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन पूर्ण जवाबदारी के साथ करने को कहा। इस दौरान डिप्टी कलेक्टर विश्वास राव मस्के, श्रम अधिकारी जी.डी. प्रसाद, कौशल विकास के संचालक श्री प्रकाश यादव उपस्थित थे।
 
 
सेक्टर अधिकारी, निर्वाचन अधिकारी एवं मतदान दल के बीच के कड़ी होते हैं। इसलिए उन्हें अपने अधीनस्थ सेक्टर के सभी केन्द्रों की मतदान प्रक्रिया प्रभावित न हो इसलिए सेक्टर अधिकारियों को मतदान के पूर्व, मतदान सामग्री वितरण के दिन तथा मतदान दिवस को क्या-क्या कार्य किया जाता है के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। तथा ईव्हीएम में समस्या आने पर त्वरित समाधान कैसे किया जाता है के बारे में जानकारी दी गई है।
 
 
 
निर्वाचन कार्य के सभी बिंदुओं का महत्व समझते हुए किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करने के स्पष्ट निर्देश दिए। सेक्टर अधिकारियों को आदर्श आचार संहिता लागू होने से लेकर आचार संहिता समाप्त होने तक उनके दायित्वों की जानकारी दी गई। संवेदनशील क्षेत्र जहां, मतदान के दौरान विवाद होने की स्थिति बनी रहती हैं, ऐसे क्षेत्रों में अधिक संवेदनशीलता और गंभीरता से कार्य करने को कहा। स्थानीय स्तर पर पूर्व में घटित घटनाओं के आधार पर मतदान केन्द्रों में कानून व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस अधिकारियों की मदद लेने को कहा। मास्टर ट्रेनर ने कहा कि सेक्टर अधिकारी के पास चुनावों से सम्बंधित सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है।

निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही उनके काम शुरू हो जाते हैं और मतदान प्रक्रिया खत्म होने के बाद ही वे मुक्त हो सकते है। एक सेक्टर अधिकारी दस से बारह मतदान केन्द्रों का प्रभारी होता है। वह अपने प्रभार के मतदान दलों का फ्रैंड फिलॉसफर गाइड होता है। अपने सेक्टर में वह निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधि भी होता है। वह मतदान दल और आर.ओ./ए.आर.ओ. के बीच की कड़ी भी होता है। उन्हें नियुक्त होते ही अपने प्रभार के केन्द्रों को दौरा करना चाहिए। उन्हें ईवीएम के बारे में पूरी जानकारी, बिना भ्रम और बिना शंका, होनी चाहिए। सेक्टर अधिकारी को मतदान प्रक्रिया की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें अपने क्षेत्र और उसके पहुँच मार्गों की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि सेक्टर अधिकारी को मतदान से पहले अपने प्रभार के मतदान केन्द्रों का दौरा करके जानकारी ले लेनी चाहिए। यदि सेक्टर में भ्रमण में कोई बाधा हो, जैसे टूटे पुल-पुलिया या कटी सड़क तो सेक्टर अधिकारी तत्काल आर.ओ./ए.आर.ओ. एवं सम्बंधित एजेंसी को सूचित कर सकते है। प्रकाश, छाया, पेयजल, शौचालय, रैंप व्यवस्था की भी जानकारी होनी चाहिए। राजनैतिक दलों एवं प्रत्याशियों के कार्यालय केंद्र से 200 मीटर से अधिक दूर होना चाहिए। यदि मतदान केंद्र नया है तो उसका पर्याप्त प्रचार किया जाना चाहिए।
 
 
सेक्टर अधिकारी यह भी नज़र रखें कि उनके सेक्टर में आदर्श आचार संहिता का पालन हो रहा है। अपने क्षेत्र में अनाधिकृत प्रचार वाहनों की आवाजाही, शासकीय संपत्ति के दुरुपयोग और उनके तथा निजी संपत्तियों के विरूपण पर भी नज़र रखें। क्षेत्रीय संवेदनशीलता का आकलन, कारकों की पहचान करना और आर.ओ./ए.आर.ओ. को प्रपत्र-2 में सूचित करना, संवेदनशील क्षेत्रों के मतदाताओं को उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करना आदि कार्य सेक्टर अधिकारी के होंगे। मतदान के दिन सेक्टर अधिकारी जोनल मजिस्ट्रेट की शक्तियों से भी लैस होंगे, इसलिए उन्हें उसके अनुरूप भी योजना तैयार रखना चाहिए।
 
मतदाताओं के प्रति सेक्टर अधिकारी के विभिन्न उत्तरदायित्व होते है-जैसे ईवीएम के प्रति मतदाताओं को जागरूक करना, ईपिक के प्रति विशेष रूप से आगाह करना, मतदाताओं को उनके केंद्र के बारे में अवगत कराना, मतदाताओं को हेल्पलाइन नंबर एवं केंद्र पर मिल सकने वाली सहायता के बारे में जागरूक करना, भय अथवा दबाव मुक्त मतदान के लिए प्रयास करना, उन मतदाता समूहों पर विशेष ध्यान देना जो वलनरेबल हैं।
 
 
मतदान केंद्र के संबंध में विशेष रूप से सेक्टर अधिकारियों को मतदान केंद्र की व्यवस्थाओं के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। यदि कोई प्रभावित मतदाता समूह है तो उसकी पहचान, मोबाइल से संपर्क की व्यवस्था, केंद्र के आस पास के लोगों के नंबर लेकर रखना चाहिए। मतदान केंद्र पर विधान सभा क्रमांक व नाम, मतदान केंद्र का क्रमांक व नाम अनुभागों के नाम व क्रमांक, एक भवन में एक से अधिक मतदान केंद्र हों तो सभी कमरे स्पष्ट रूप से चिन्हित होने चाहिए। सेक्टर अधिकारी इन विवरणों को लिखने के लिए सम्बंधित पंचायत सचिव, सरपंच, प्रधान पाठक, पटवारी अथवा कोटवार को निर्देश दे सकते है।इसके अलावा सेक्टर अधिकारी मतदान से एक दिन पूर्व यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी मतदान दल अपने अपने मतदान केंद्र पर पहुँच गए और उन्हें मतदान सामग्री, दल के किसी सदस्य, अथवा ईवीएम को लेकर कोई समस्या न हो, दल के साथ आवंटित सीपीएफ सहित सभी सुरक्षा कर्मी केंद्र पर उपस्थित हो।

सेक्टर अधिकारी आरओ को रिपोर्ट भेजेंगे। मतदान के दिन सेक्टर अधिकारी मॉक पोल सुनिश्चित करेंगे। उन केन्द्रों पर ध्यान देंगे जहां मतदान एजेंट नहीं हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि समय पर मतदान आरम्भ हो, आवश्यकता होने पर ईईएम व वीवीपैट बदल सकते है। मतदान की गति पर नज़र रखेंगे और हर दो घंटे पर रिपोर्ट संकलित कर आर.ओ. को रिपोर्ट करेंगे। अपने प्रभार के मतदान केन्द्रों की सूची, रूट चार्ट, क्षेत्र का नक्शा, आर.ओ., ए.आर.ओ., डी.ई.ओ सहित सभी सम्बंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के मोबाइल नंबर, प्रभार के मतदान दलों के संपर्क नंबर, सभी आवश्यक निर्देश, निरीक्षण प्रतिवेदन (प्रपत्र 1 एवं 2), प्रपत्र 3 (22 कॉलम वाला प्रपत्र, मतदान के बाद के लिए) इत्यादि  सेक्टर अधिकारियों के पास यह अनिवार्य रूप से होना चाहिए प्रशिक्षण के दौरान नोडल अधिकारी उपस्थित थे।

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