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 रेशम से 3 लाख से अधिक लोगों को मिला रोजगार

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 

रायपुर : छत्तीसगढ़ राज्य कोसा उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य के रूप में निरंतर आगे बढ़ रहा है। राज्य शासन द्वारा वन आधारित ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने हेतु कोसा रेशम योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व और ग्रामोद्योग मंत्री गुरु रुद्रकुमार के मार्गदर्शन में रेशम प्रभाग द्वारा संचालित समस्त योजनाओं से विगत पौने पांच सालों में 3 लाख 14 हजार 953 लोगों को रोजगार मिला है। ग्रामोद्योग संचालनालय रेशम प्रभाग द्वारा संचालित योजनाओं का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण अंचलों में स्थानीय ग्रामीण एवं विशेष तौर पर महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कच्चे रेशम की मांग की आपूर्ति एवं सिल्क उत्पादन बढ़ाने के लिए अधोसंरचना निर्माण करना, उत्पादकता में वृद्धि करना तथा नई तकनीक को मैदानी स्तर पर लागू किया जा रहा है।

गौरतलब है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में संचालित योजनांतर्गत 423 टसर केन्द्र एवं स्थलों तथा प्राकृतिक वन खण्डों में 10 हजार 486 हेक्टेयर टसर खाद्य पौधों का उपयोग कर तथा साल, साजा, सेन्हा, धौवड़ा, बेर आदि द्वितीयक खाद्य पौधों पर नैसर्गिक बीज प्रगुणन कार्यक्रम के अंतर्गत प्राकृतिक वन खण्डों में 505 केम्प का आयोजन किया गया। इसके साथ-साथ पालित प्रजाति के कृमिपालकों के माध्यम से विभागीय तथा वन खण्डों में टसर कृमिपालन का कार्य ग्रामीण हितग्राहियों तथा समूह के सदस्यों द्वारा टसर कोसा का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में नई सरकार गठन उपरांत लगभग चार वर्ष में 86.58 करोड़ नग टसर ककून उत्पादन एवं संग्रहण किया गया और उत्पादित ककून से प्रदेश में 1528.03 मिट्रिक टन टसर रॉ सिल्क का अनुमानित उत्पादन हुआ है।

इसी तरह मलबरी रेशम विकास एव विस्तार योजनॉतर्गत प्रदेश में 68 मलबरी केन्द्रों के अंतर्गत 611 एकड़ शहतूती पौधरोपण क्षेत्र उपलब्ध है। अब तक 3 लाख 5 हजार 402 किग्रा मलबरी ककून का उत्पादन किया गया है। जिससे प्रदेश में 38.17 मीट्रिक टन मलबरी रॉ सिल्क का उत्पादन हुआ है। योजनांतर्गत प्रदेश के विभिन्न जिलों में 3784 मोटराईज्ड रीलिंग कम ट्विस्टिंग एवं स्पीनिंग तथा बुनियाद मशीन के माध्यम से 2391 हितग्राहियों के द्वारा टसर रॉ एवं स्पन थागे का उत्पादन किया जा रहा है।
 
उक्त योजनांतर्गत रेशम प्रभाग से जुड़े विभागीय कर्मचारियों एवं हितग्राहियों को टसर एवं मलबरी के अंतर्गत गुणवत्ता एवं मात्रात्मक कोसा उत्पादन वृद्धि, नवीन विधाओं एवं केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण से संबंधित फील्ड ट्रायल तथा उच्च गुणवत्तायुक्त टसर मलबरी, स्वस्थ समूह का उत्पादन एवं टसर, मलबरी के नवीन प्रजाति के पौधरोपण तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा अनुसंधान के माध्यम से नवीन विधाओं की खोज हेतु ट्रायल्स आदि अनुसंधान गतिविधियों संपादित की जाती है। विगत साढ़े चार वर्ष में 8065 विभागीय कर्मचारियों, हितग्राहियों एवं कार्यशाला के माध्यम से रेशम की विधाओं का प्रशिक्षण दिया गया।
 

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