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 दुर्ग : गोधन न्याय योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए जुटा प्रशासनिक अमला

- कलेक्टर ने वीसी के पश्चात ली अधिकारियों की बैठक, कहा गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन के लिए युद्धस्तर पर करें तैयारी

दुर्ग 17 जुलाई :वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन से जुड़ी आवश्यक बातों को जिले के प्रमुख अधिकारियों ने सुना और इसके सफल क्रियान्वयन के लिए रणनीति बनाई। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने कहा कि गोधन न्याय योजना जैविक खेती को बढ़ाने की दिशा में शासन की सबसे बड़ी पहल है। किसानों की आय बढ़ाने, पशुधन संवर्धन के लिए, गोपालकों को उचित मूल्य दिलाने के लिए और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से उछाल के लिए यह सबसे बड़ी योजना है इसके क्रियान्वयन के लिए युद्धस्तर पर तैयारी करें। 20 जुलाई को हरेली से प्रदेश भर में यह योजना आरंभ होगी। जिले में भी इसके क्रियान्वयन के लिए चरणबद्ध रूप से तैयारी कर लें। वीसी में मुख्य वन संरक्षक श्रीमती शालिनी रैना, डीएफओ श्री केआर बढ़ाई, जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक, अपर कलेक्टर श्री प्रकाश सर्वे सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने वीसी में बताए लाभ- मुख्यमंत्री ने कहा कि मिट्टी की ऊर्वरता बचानी है तो जैविक खाद अपनाना होगा। गोधन न्याय योजना से इस क्षेत्र में वर्मी कंपोस्ट की उपलब्धता सुनिश्चित कराने में बड़ी मदद मिलेगी। शासकीय तंत्र में इस्तेमाल में वर्मी कंपोस्ट ही इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गोबर के विक्रय किये जाने से लोगों में अपने पशुधन को अपने गौठान में रखने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इससे चराई नहीं होगी और फसल सुरक्षा बढ़ेगी। बरदी में गौठान में एकत्रित किया गया गोबर पहाटिया का होगा जिसे विक्रय कर पहाटिया की आर्थिक स्थिति भी बेहतर होगी। सतत विकास और मिट्टी की ऊर्वरता का और प्रकृति को सहेजे रखकर विकास का यह ऐसा माडल बना है जिस पर पूरे देश की नजर है।
अमेरिका में हुई चर्चा- मुख्यमंत्री के सलाहकार श्री प्रदीप शर्मा ने बताया कि यूएस में साइल कंजर्वेशन पर साइल नोबल दिया जाता है। इस सम्मान समारोह के दौरान कृषि विशेषज्ञ श्री देविंदर शर्मा ने छत्तीसगढ़ की इस अनूठी योजना को लोगों के समक्ष बताया और लोगों ने इस पहल की काफी तारीफ की। श्री शर्मा ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट के अधिकतम उत्पादन से जैविक खेती का रास्ता तैयार होगा और जैविक उत्पादों की काफी डिमांड बाजार में होती है इस दृष्टि से दूरगामी रूप से भी असर होगा।

कृषि मंत्री ने प्लास्टिक के बजाय झौहों के इस्तेमाल की बात कही- वीसी में वजन की तौलाई और गोबर को रखे जाने वाले पात्र के संबंध में भी चर्चा हुई। कृषि मंत्री श्री रविंद्र चैबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ में परंपरागत रूप से बंसोड जाति के लोग झौहे अथवा छलिया तैयार करते हैं। इन पात्रों का इस्तेमाल किया जा सकता है ये प्राकृतिक भी होंगे और कारीगरों को काम भी मिलेगा।

ग्रामीण आजीविका केंद्रों में होगा नवाचार- मुख्यमंत्री ने वीसी में निर्देश दिये कि कोविड काल में स्वदेशी उत्पादों की माँग की संभावना बढ़ी है। इस समय नवाचार कर हम अपने गौठानों में ऐसे उत्पाद तैयार कर लें जो बाहर से आते हैं तो ग्रामीण आजीविका केंद्रों में रोजगार की संभावनाओं को बढ़ावा देने की दृष्टि से बड़ा उछाल होगा। इसके लिए व्यापारी संघों की बैठक लेकर उनसे पूछे कि किस तरह के उत्पाद वे बाहर से मंगाते हैं। इसके बाद उनकी आवश्यकता के अनुरूप उनसे फीडबैक लेकर गुणवत्तायुक्त चीजें तैयार करें। यदि इसके लिए प्रशिक्षण आवश्यक होता है तो प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराएं। मुख्यमंत्री के निर्देश के पश्चात कलेक्टर ने इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

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