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 दुर्ग : ये हरियाली और ये रास्ता, जिले की प्रमुख सड़कों को गुलजार करने का काम युद्धस्तर पर

- लगभग चैवालीस किमी सड़कों पर चैवालीस हजार पौधे लगाए जा रहे, मातृछाया पथ वृक्षारोपण का होगा लोकार्पण

दुर्ग 17 जुलाई : ये हरियाली और ये रास्ता, दुर्ग जिले की किसी भी सड़क पर निकल जाए। अब यात्रियों को यहीं मंजर मिलेगा। हर तरफ घने वृक्षों से गुलजार खूबसूरत रास्ते लोगों को स्वागत करते मिलेंगे। इसके लिए आधे से अधिक पेड़ लगाए जा चुके हैं। मातृछाया पथ वृक्षारोपण का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के हाथों होना प्रस्तावित है। इस योजना अंतर्गत चैवालीस हजार पौधे प्रमुख सड़कों पर रोपे जा रहे हैं। इनमें से बीस हजार पौधे जिले की विभिन्न सड़कों के किनारे रोपे जा चुके हैं। इसमें खूबसूरत बात यह है कि इनमें केवल एक तरह के पौधे नहीं है जो आम तौर पर सड़क किनारे वृक्षारोपण में किये जाते हैं और पूरे माहौल में एकरसता सी आ जाती है। इसमें सत्रह प्रजाति के पौधे लगाए जा रहे हैं। इनमें बरगद और पीपल जैसे विशाल पेड़ों के पौधे रोपे जा रहे हैं जो दीर्घजीवी होते हैं और ढेर सारा आक्सीजन भी देते हैं और भारतीय परंपरा में जिनका विशेष महत्व है। इसके साथ ही आम, जामुन और इमली जैसे पेड़ों के पौधे लगाए जा रहे हैं। यह फलदार पौधे छायादार और पथिकों के लिए भी उपयोगी होंगे। अर्जुन जैसा मेडिसिनल प्लांट भी लगाया जा रहा है और हर्रा, बहेड़ा तथा आंवला जैसे मेडिसिनल प्लांट भी लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जिले में बड़े पैमाने पर पौधरोपण का कार्य किया जा रहा है। डीएफओ श्री केआर बढ़ाई ने बताया कि मातृछाया पथ वृक्षारोपण के लिए व्यापक स्तर पर पौधरोपण किए जा रहे हैं। पौधरोपण के साथ ही इन्हें सहेजने की भी पूरी व्यवस्था की जा रही है।

पिछले साल खारून के किनारे लगाए गए थे पौधे- पिछले साल वन विभाग द्वारा खारून नदी के किनारे पौधे लगाए गए थे। नदी के कटाव को रोकने, तटबंध को मजबूत करने के लिए ऐसे पौधों का प्लांटेशन किया गया था जो मिट्टी की पकड़ को मजबूत करते हैं। नदी तट में प्लांटेशन से नदियों में पानी का स्तर भी बढ़ता है क्योंकि मिट्टी अधिक जल संरक्षण कर रखती है। यह ऐसा काम है जिसके दीर्घकालीन अच्छे नतीजे निकलते हैं।

ऐसा निवेश जो भविष्य के लिए बेहद उपयोगी- मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा ऐसी योजनाओं पर काम हो रहा है जो इस पीढ़ी को ही नहीं, अगली कई पीढ़ियों के लिए उपयोगी साबित होंगे। मिट्टी की ऊर्वरता को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने गोधन न्याय योजना आरंभ की जिससे गोबर खरीद कर कंपोस्ट खाद के माध्यम से जैविक खेती की दिशा में बड़ा काम होगा। व्यापक पौधरोपण के माध्यम से मिट्टी का संरक्षण तो होगा ही। भूमिगत जल का स्तर भी बढ़ेगा।
इन रास्तों में हो रहा पौधरोपण- मड़ियापार से हिर्री, अमलेश्वर से झीट, पाटन सिकोला तुलसी मार्ग, भिलाई ३ से तर्रा, खुड़मुड़ी-झीट-मोतीपुर, पाटन-रानीतराई-जामगांव आर, सेलूद जामगांव आर, गाड़ाडीह से फुण्डा, बोरसी से उतई, मोतीपुर-जामगांव-लोहरसी, खर्रा से बरबसपुर, पाटन-मोतीपुर मुख्य मार्ग से सिपकोन्हा, बीजाभाठ से सुरपा, पाटन-मोतीपुर मुख्य मार्ग से ठकुराइनटोला, फुण्डा नहर से अरसनारा, सिकोला से सोनपुर, गुढ़ियारी से कानाकोट, दुर्ग-राजनांदगांव महमरा मुख्य मार्ग, रवेली से राखी और मानिकचैरी से गोड़पेण्ड्री।

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