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 दुर्ग : आज रोकाछेका, पशुओं को गौठान में ही रखने का संकल्प लेंगे ग्रामीण

- सभी गौठानों में चल रही तैयारियां, ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा होगी

दुर्ग 18 जून : छत्तीसगढ़ में खरीफ फसल की सुरक्षा के लिए आयोजित होने वाली रोकाछेका की परंपरा आज सभी गौठानों में आयोजित की जाएगी। सभी गौठानों में इसकी तैयारियां कर ली गई हैं। गौठानों में ग्रामीण इस बात की शपथ लेंगे कि वे अपने मवेशियों को खरीफ फसल के दौरान गौठान पर ही रखेंगे। इस मौके पर गौठान समिति के सदस्य भी मौजूद रहेंगे। बीते दो दिनों में इस संबंध में विशेष तैयारियां की गई हैं। कलेक्टर डाॅ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे ने इस संबंध में विशेष निर्देश दिए हैं। जिला पंचायत सीईओ श्री सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि प्रत्येक गौठान में इस संबंध में निर्देश दिए गए हैं। ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभा के लिए कहा गया है। इसमें केसीसी के लिए शिविर भी लगाये जाएंगे। पशुचिकित्सा शिविर तथा अलग-अलग गांवों में अलग तरह की आवश्यकताओं के मुताबिक अन्य गतिविधियां की जा सकती हैं। 

रोकाछेका के लिए जिला प्रशासन की ओर से विशेष निर्देश जारी कर दिये गए हैं। उल्लेखनीय है कि रोकाछेका छत्तीसगढ़ की प्राचीन परंपरा है। इसमें खरीफ फसल को मवेशियों से बचाने सभी गांव वालों से यह संकल्प लिया जाता है कि अपने मवेशियों को खुले में न छोड़े। चूंकि अब विशेष रूप से सामूहिक गौठान बना लिए गए हैं और यह चारे की भी पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है इसलिए खरीफ के दौरान ग्रामीण अपने मवेशियों को बाहर नहीं निकालने संकल्प लेते हैं। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर छत्तीसगढ़ में ऐसी परंपराओं को पुनः समग्रता से अपनाया जा रहा है जिन्हें धीरे-धीरे लोग भूलने लगे थे और जो कृषि की तरक्की के लिए बेहद आवश्यक है। रोकाछेका की तैयारियों को लेकर बीते दो दिनों में गौठानों में साफ-सफाई की गई। नई पीढ़ी को इस परंपरा का महत्व समझाने के लिए बुजुर्ग लोग भी आगे आए और उन्होंने इस परंपरा का महत्व समझाया। उल्लेखनीय है कि पूरे खरीफ के दौरान मवेशियों के गौठान में रहने से फसल की सुरक्षा तो होगी ही, पर्याप्त संख्या में जैविक खाद भी बनने की संभावना भी बनेगी जिससे कंपोस्ट खाद के उत्पादन की गुंजाइश भी बढ़ेगी। उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा बीते महीनों में किसानों से पैरादान की अपील की गई थी। इसका अच्छा असर हुआ और किसानों ने बड़ी मात्रा में पैरा दान किया था। यह गौठानों में पशुओं के उपयोग आएगा। गौठानों में खरीफ के दौरान एक ही जगह पशुओं के मिल जाने से पशुधन संवर्धन का काम भी बेहतर तरीके से हो पाएगा।

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