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बेमेतरा :  जिले की भौगोलिक एवं जलवायुवीय स्थितियां मछली पालन के लिए उपयुक्त

 द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा 

 
मत्स्य पालन के माध्यम से आय प्राप्त कर जीविकोपार्जन कर रहे हितग्राही
 
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बेमेतरा : जिला बेमेतरा जनवरी 2012 में अस्तित्व में आया, जिले की भौगोलिक एवं जलवायुवीय स्थितियां भी मछली पालन हेतु उपयुक्त है। अस्त्तिव में आने के पश्चात् जिले में मछली पालन में उत्तरोत्तर प्रगति हुई है। जिला बनने के पश्चात् मछली पालन के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियां अर्जित की गई है जिसका उल्लेख किया जाना प्रासंगिक होगा। वर्ष 2014-15 में विकासखण्ड बेमेतरा के ग्राम खण्डसरा में नवनिर्मित मत्स्य बीज उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया। प्रारंभ में इस प्रक्षेत्र से 2.02 करोड़ स्पॉन का उत्पादन किया गया था। वर्ष 2021-22 में मत्स्य बीज प्रक्षेत्र खण्डसरा में 800.00 लाख स्पॉन उत्पादन एवं 90.05 लाख फ्राई का उत्पादन अब तक किया जा चुका है। 

वही निजी मत्स्य पालकों द्वारा 5.50 करोड़ स्पॉन संवर्धन कर 1.65 करोड़ स्टैण्डर्ड फ्राई से पर्याप्त मत्स्य बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो गई तथा यह जिला मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है। बचत सह राहत योजना अंतर्गत बंद ऋतु में 500 मछुआरों को सहायता के रूप में 15.00 लाख रू. प्रदान किया जा रहा है, साथ ही जिले के 6900 मत्स्य कृषकों का निःशुल्क बीमा किया जा रहा है। छ.ग. शासन द्वारा जिले में मत्स्य उत्पादन के बढ़ोत्तरी हेतु तालाबों में प्लेक्टॉन वृध्दि योजना के तहत् प्रति हेक्टेयर 7500.00 रू. की सहायता दी जा रही है। जिले के मछुआरों के हितार्थ टेलीमेडीसीन की सुविधा भी शीघ्र उपलब्ध कराने हेतु पायलट प्रोजेक्ट का संचालन किया जा रहा है। वर्ष 2021-22 में 290 हितग्राहियों को 10 दिवसीय मछुवा प्रशिक्षण एवं 525 हितग्राहियों को 03 दिवसीय तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण दिया जावेगा।

जिले में निजी क्षेत्र में मत्स्य पालकों द्वारा तालाब निर्माण कर इंडियन मेजरकॉर्प एवं पंगेसियस, तेलापिया, पाक्कू मछली का उत्पादन किया जा रहा है। इसके तहत् अब तक 108 तालाब योजना अंतर्गत निर्मित किये जा चुके हैं। जिसका जलक्षेत्र 141.92 हे. है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2962 मे.टन मछली का उत्पादन हितग्राहियों द्वारा किया गया है। तालाब निर्माण एवं मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में जिले के मत्स्य पालक काफी उत्साहित हैं। मत्स्य पालकों द्वारा 04 टन प्रति हेक्टेयर मेजरकॉर्प एवं 45 टन प्रति हेक्टेयर पंगेसियस मछली का उत्पादन किया जा रहा है। नवनिर्मित बेमेतरा जिला में 32 सहकारी समितियां थी, जिनकी सदस्य संख्या 934 थी किन्तु वर्ष 2021-22 में बढ़कर 93 समितियां पंजीकृत हो चुकी है, जिसके 2869 सदस्य मत्स्य पालन के माध्यम से आय प्राप्त कर अपनी जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
 

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