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 छत्तीसगढ़ कुक्कुट पालन प्रोत्साहन योजना के लिए आकस्मिकता निधि से 01 करोड़ की मंजूरी

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

कुक्कुट इकाई लागत के अनुसार स्थायी पूंजी निवेश पर 25 से 40 प्रतिशत अनुदान

कुक्कुट पालकों को बिना ब्याज 3 लाख रूपए तक का ऋण

रियायती दर पर मिलेगी बिजली

रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की घोषणा के परिपालन में पशुधन विकास विभाग मंत्रालय द्वारा प्रदेश में कुक्कुट पालन को प्रोत्साहित करने, रोजगार और स्वरोजगार के नये अवसर सृजित किए जाने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ कुक्कुट पालन प्रोत्साहन योजना प्रारंभ किए जाने का आदेश जारी कर दिया गया है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए फिलहाल विभाग द्वारा आकस्मिकता निधि से 01 करोड़ रूपए अग्रिम रूप से स्वीकृत किए गए हैं। 

छत्तीसगढ़ कुक्कुट पालन प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत कुक्कुट पालकों को क्षेत्रवार एवं वर्गवार इकाई लागत के अनुसार स्थायी पूंजी निवेश पर 25 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक अनुदान दिए जाने का प्रावधान किया गया है। नाबार्ड के अनुसार कुक्कुट ब्रायलर अथवा देशी कुक्कुट या रंगीन कुक्कुट की प्रति इकाई लागत अनुसार स्थायी पूंजी निवेश 2.86 लाख रूपए तथा कुक्कुट लेयर अथवा पेरेंट कुक्कुट की प्रति इकाई की लागत अनुसार स्थायी पूंजी निवेश 3.70 लाख रूपए है। प्रति इकाई में कुक्कुट की संख्या एक हजार निर्धारित है। योजना के अनुसार राज्य के अ श्रेणी के क्षेत्र में सामान्य वर्ग के हितग्राही को 25 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राहियों को अधिकतम 30 प्रतिशत अनुदान की पात्रता होगी। अ श्रेणी के क्षेत्र में यदि कोई हितग्राही 2.86 लाख रूपए का स्थायी पूंजी निवेश कर कुक्कुट पालन की इकाई स्थापित करता है तो उसे अधिकतम 72 हजार रूपए का अनुदान मिलेगा, जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राही को एक इकाई की स्थापना पर अधिकतम 86 हजार रूपए का अनुदान देय होगा।
 
इसी तरह ब श्रेणी के क्षेत्र में सामान्य श्रेणी के हितग्राही को 35 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, जनजाति तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राही को अधिकतम 40 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। नाबार्ड के अनुसार कुक्कुट लेयर इकाई अथवा पेरेंट कुक्कुट इकाई लागत अनुसार 3.70 लाख रूप के स्थायी पूंजी निवेश पर अ श्रेणी के क्षेत्रवाले सामान्य वर्ग के हितग्राही को 25 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राही को 30 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा, जबकि ब श्रेणी क्षेत्र के सामान्य वर्ग के हितग्राही को 35 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, जनजाति तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हितग्राही को अधिकतम 40 प्रतिशत अनुदान देय होगा। अ श्रेणी के तहत राज्य के विकसित एवं विकासशील विकासखण्डों को शामिल किया गया है, जबकि ब श्रेणी क्षेत्र में पिछड़े विकासखण्ड शामिल है।

छत्तीसगढ़ कुक्कुट पालन प्रोत्साहन योजना के तहत स्थायी पूंजी निवेश अनुदान की अधिकतम सीमा 10 हजार कुक्कुट इकाई स्थापना हेतु क्षेत्रवार एवं वर्गवार 7.20 लाख रूपए से लेकर 14.80 लाख रूपए प्रावधानित है। योजना अंतर्गत स्व-वित्तीय एवं बैंक ऋण से व्यावसाय इकाई की स्थापना पर 5 वर्ष के लिए स्थायी पूंजी निवेश अनुदान दिया जाएगा। यह अनुदान इकाई के क्रियाशील होने पर भौतिक सत्यापन पश्चात पांच किश्तों में देय होगी। 

यहां यह उल्लेखनीय है कि पशुपालन को उद्यमिता के रूप में विकसित कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना प्रदेश सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कुक्कुट पालन का महत्व रहा है। छत्तीसगढ़ राज्य में कुल 8 लाख परिवार कुक्कुट पालन करते हैं, जिनके पास 187.12 लाख पक्षीधन है। राज्य में लगभग 7522 क्रियाशील ब्रायलर तथा 167 लेयर इकाइयां स्थापित है। व्यावसायिक इकाइयों में 136.03 लाख कुक्कुट पाले जा रहे हैं। कुक्कुट पालन व्यवसायिक गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से 2 लाख तथा अप्रत्यक्ष रूप से 14 लाख छोटे बड़े व्यवसायी जुड़े हुए हैं।

पशुपालन के क्षेत्र में अण्डा एवं कुक्कुट मांस की उपलब्धता से पोषण सुरक्षा हेतु कुक्कुट उद्यमिता को प्रोत्साहित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है। वर्तमान में प्रदेश में 56 लाख अण्डों का उत्पादन प्रतिदिन होता है, जबकि लगभग 71 लाख अण्डों का विक्रय प्रतिदिन होता है, जिसकी पूर्ति हेतु लगभग 15 लाख अण्डे प्रतिदिन अन्य प्रदेशों से आयात होता है। प्रदेश में जनसंख्या वृद्धि के फलस्वरूप अण्डे की मांग में निरन्तर वृद्धि भी हो रही है। इसी प्रकार ब्रायलर मांस की आवश्यकता की पूर्ति के लिए प्रदेश में लगभग 1.86 लाख ब्रायलर पक्षी प्रतिवर्ष अन्य प्रदेशों से लाकर विक्रय किये जाते हैं। कुक्कुट उत्पाद में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने छत्तीसगढ़ कुक्कुट पालन प्रोत्साहन प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। 
 
इस योजना के तहत व्यवसायिक कुक्कटपालन को प्रोत्साहित किया जाना हैं। इस हेतु न्यूनतम 1000 कुक्कुट की इकाई को व्यवसायिक इकाई माना जाएगा। प्रदेश में वर्तमान कुक्कुट पालन गतिविधियां कुछ जिलों तक ही सीमित है। जिन विकासखण्डों एवं जिलों में कुक्कुट पालकों द्वारा पूर्व से ही लेयर व ब्रायलर फार्म की गतिविधियों की जा रही है। उन विकासखण्डों को श्रेणी अ (विकसित/विकासशील विकासखण्ड) तथा जिन विकासखण्डों एवं जिलों में कुक्कुट पालन गतिविधि लगभग निरंक है। ऐसे विकासखण्डों एवं जिलों को श्रेणी ब (पिछड़ा विकासखण्ड) में शामिल किया गया है। इस योजना के तहत कुक्कुट पालकों, कुक्कुट पालक समूहों को भी मत्स्य पालन के समान रूपये 3.00 लाख तक दिये जाने वाला अल्पकालीन ऋण, शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित हैं। कुक्कुट पालकों को रियायत दर पर विद्युत प्रदाय करने का प्रावधान भी किया गया है। 
 

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