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छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित द्वारा अरहर, उड़द एवं मूंग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जायेगा उपार्जन

द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

अरहर, उड़द एवं मूंग का समर्थन मूल्य घोषित
बलरामपुर :
कृषि विभाग के उपसंचालक ने जानकारी दी है कि राज्य शासन द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान योजना के तहत प्राइस सपोर्ट स्कीम के अंतर्गत अरहर, उड़द एवं मूंग फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उपार्जन छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित द्वारा किया जाना है। फसल अरहर, उड़द एवं मूंग के उपार्जन के लिए उपार्जन केन्द्रों का स्थल चयन कृषि विभाग द्वारा अनुमानित उपार्जन मात्रा एवं मण्डियों में गोदाम उपलब्धता के आधार पर किया जाएगा। जिसमें ग्राम की मैपिंग का आधार विगत वर्ष का विरासती डाटा भण्डारण स्थल की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। मार्कफेड द्वारा उक्त डाटा समृद्धि पोर्टल में उपार्जन हेतु इंटीग्रेट किया जाएगा तथा चयनित उपार्जन केन्द्रों से कृषकों की टैगिंग की जाएगी। उपार्जन केंद्र प्राथमिकता से मण्डी प्रांगण गोदाम में स्थापित किए जाएंगे, जिससे कि कृषकों का भुगतान त्वरित हो सके। गोदामों की अनुपलब्धता होने की दशा में उपार्जन केन्द्र को गोदाम परिसर में ही स्थापित किया जाएगा। भारत सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 के लिए अच्छी गुणवत्ता के अरहर उड़द एवं मूंग का समर्थन मूल्य घोषित किया गया है। वर्ष 2022-23 में अरहर एवं उड़द 6 हजार 600 रूपए एवं मूंग 7 हजार 755 रुपए प्रति क्विंटल की दर से उपार्जन किया जाएगा।  उड़द एवं मूंग का उर्पाजन 17 अक्टूबर 2022 से 16 दिसंबर 2022 तक तथा अरहर का उर्पाजन 13 मार्च 2023 से 12 मई 2023 तक किया जाएगा। समर्थन मूल्य पर उपार्जन अंतर्गत केवल अच्छी गुणवत्तायुक्त स्कंध का ही क्रय किया जाएगा। किसानों को अपनी उपार्जन केन्द्रों में बेचने हेतु सूखाकर तथा साफ कर लाने अवगत कराया जाएगा। अच्छी गुणवत्तायुक्त स्कंध का प्राथमिक परीक्षण नाफेड द्वारा किया जाएगा। मानक यूनिफार्म स्पेसिफिकेशन के अनुरूप उपार्जन का कार्य का दायित्व नाफेड का होगा। किसानों का पंजीयन कृषि विभाग द्वारा एकीकृत किसान पोर्टल पंजीयन पर किया जायेगा। कृषि विभाग पंजीकृत अरहर, मूंग एवं उड़द के कृषकों का डाटा नाफेड को उपलब्ध करायेगा। कृषि विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये डाटा एवं नाफेड द्वारा पोर्टन में प्रदर्शित किये गये डाटा के आधार पर ही कृषकों के फसलों का उर्पाजन एवं भुगतान की कार्यवाही की जायेगी।

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