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 16 लाख 49 हजार लोगों ने स्वयं के लिए तैयार किया, फाइलेरिया से बचाव का सुरक्षात्मक घेरा

​​​द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा

- निकुम, पाटन और धमधा में वेक्टर जनित रोगों के नियंत्रण के लिए चलाये गए स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रम
 
-लिम्फेडेमा (फाइलेरिया) से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने आम नागरिकों को किया जागरूक
 
दुर्ग : राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में फाईलेरिया नियंत्रण का कार्यक्रम 63 स्थानों में  22 अगस्त से 22 सितंबर तक कलेक्टर श्री पुष्पेंद्र कुमार मीणा के निर्देशन व सी.एम.एच.ओ. दुर्ग के मार्गदर्शन में  धमधा, निकुम, और पाटन में किये गए। जिसमें 16 लाख 49 हजार 896 लोगों  को दवाई देकर उनके लिए सुरक्षात्मक कवच तैयार किया गया । स्वास्थ्य विभाग, दुर्ग द्वारा सामूहिक दवा सेवन एवं कृमि मुक्ति कार्यक्रम वर्ष 2022 मनाया गया। इस कार्यक्रम में हाथीपांव (फाईलेरिया) से जन समुदाय को बचाने के लिए टैबलेट डी.ई.सी. एवं एलबेंडाजॉल की दवाई का उम्रवार सेवन मितानिन, आरोग्य समिति, आंगनबाडी कार्यकर्ता, ए.एन.एम. और आर.एच.ओ. के माध्यम से कराया गया। पाम्पलेट वितरण एवं प्रचार-प्रसार वैन के माध्यम से लिम्फेडेमा (फाईलेरिया) के लक्षण का कारण एवं रोकथाम व बचाव की जानकारी दी गई। लिम्फेडेमा (फाईलेरिया) क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है, जिसमें मच्छर से बचाव के लिए मच्छरदानी के उपयोग, गंदे नालियों की लगातार सफाई, उनके स्त्रोत व लार्वा नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं व उनके टीम को निर्देशित कर जन-जागरूकता लाने हेतु प्रेरित किया गया। दवा वितरण हेतु जिले मे 8 हजार दवा वितरको  द्वारा  16 लाख 49 हजार 896 लोगो को सामूहिक दवा सेवन कराया गया।
 
भारत सरकार के निर्देशानुसार, जिले को लिम्फेडेमा (फाईलेरिया) मुक्त करने का संकल्प है। जिसके तहत मलेरिया विभाग दुर्ग की ओर से कई विगत वर्षों से  लिम्फेडेमा (फाइलेरिया) नियंत्रण के लिए सतत कार्य किये जा रहे हैं। जिससे जिले में कुछ वर्षों से लिम्फेडेमा के प्रकरणों में कमी दर्ज की गई है। वेक्टर जनित रोगों में कमी लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पुराने लिम्फेडेमा (हाथीपांव) के मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन के लिए टब, मग, टॉवेल, साबुन, बेटाडीन मल्हम (लिम्फेडेमा घरेलू रोग प्रबंधन कीट) आदि सामग्री भी प्रदान किया गया है। मरीजों को घरेलू रोग प्रबंधन से संबंधित जानकारियां भी मुहैया कराई गई हैं।

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