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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
जल संकट एक दिन की समस्या नहीं है”, इसे हल करने सतत प्रयास आवश्यक - निदेशक श्री अग्रवाल
बेमेतरा : भारत सरकार के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के निदेशक (CNO) श्री अमित कुमार अग्रवाल तीन दिवसीय दौरे पर आज बेमेतरा पहुंचे। उनके साथ जल शक्ति अभियान से जुड़े वैज्ञानिक श्री सर्वाेदय बारीक भी उपस्थित रहे। दौरे के पहले दिन श्री अग्रवाल ने जल शक्ति अभियान के अंतर्गत जिला जल शक्ति केंद्र में अंतरविभागीय समीक्षा बैठक ली।
’बैठक का शुभारंभ जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री टेकचंद अग्रवाल द्वारा स्वागत भाषण से हुआ। विभिन्न विभागों द्वारा जल संरक्षण एवं भूजल स्तर सुधार हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी पावर प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी गई।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता श्री चंद्रशेखर शिवहरे ने छोटे-बड़े जलाशयों, चेक डैम, कुओं और अन्य संरचनाओं की विस्तृत जानकारी दी। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHE) के श्री गौड़ ने शुद्ध पेयजल और वर्षा जल संचयन कार्यों की जानकारी साझा की।’
’नगर पालिका अधिकारी ने बताया कि नये प्राइवेट निर्माणों में वर्षा जल संचयन प्रणाली (Rainwater Harvesting) अनिवार्य की जा रही है। कृषि उप संचालक श्री मोरध्वज डड़सेना ने बताया कि पिछले वर्ष औसत से कम वर्षा हुई, जिससे जल संकट उत्पन्न हुआ है। किसानों को कम पानी वाली फसलें जैसे गेहूं, चना, दलहन-तिलहन अपनाने प्रेरित किया गया है।संचालक श्री अमित कुमार अग्रवाल ने कहा कि जल संकट एक दिन की समस्या नहीं है”, इसे हल करने सतत प्रयास आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि जन सहभागिता ही समाधान है- अधिक से अधिक लोगों को जोड़ें, जागरूकता अभियान चलाएं।’हर शासकीय कार्यालय, पंचायत भवन व आवासीय निर्माणों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य किया जाए। वृक्षारोपण एक आवश्यक पूरक है। जल संरक्षण के साथ बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण हो। उन्होंने कहा कि किसानों को माइक्रो-इरिगेशन प्रणाली अपनाने व जल प्रबंधन में प्रशिक्षित करें। श्री अग्रवाल ने विद्यालयों, कॉलेजों, संस्थाओं में जल जागरूकता कार्यक्रम चलाने पर बल दिया।
उन्होंने इस वर्ष की थीम “जल संचय, जन भागीदारी रू जन जागरूकता की ओर” को दोहराते हुए कहा कि यह केवल प्रशासनिक नहीं, जनांदोलन का विषय बनना चाहिए।
प्रचार अभियान की जानकारी देते हुए श्री डड़सेना ने बताया कि “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के तहत प्रचार रथों के माध्यम से जिले के सभी चार विकासखण्डों की 78 ग्राम पंचायतों में जल संरक्षण जागरूकता फैलाई जा रही है।
अंत में श्री अग्रवाल ने कहा कि यह अभियान कागजों तक सीमित न रहे, इसे हर नागरिक की जीवनशैली का हिस्सा बनाएं। तभी हम आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचा सकेंगे। जल है तो कल है।
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महासमुंद : कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह के निर्देशानुसार अवैध खनिज उत्खनन, परिवहन एवं भंडारण पर रोक लगाने हेतु खनिज विभाग द्वारा सतत कार्रवाई जारी है। इसी क्रम में आज रायपुर जिले के चिखली रेत खदान की सीमा पर ग्राम सिरपुर, महानदी क्षेत्र में कार्रवाई करते हुए 03 वाहनों को रेत के अवैध उत्खनन करते हुए पकड़ा गया।
खनिज विभाग ,पुलिस एवं राजस्व की टीम ने 03 चैन माउंटेन मशीन (मशीन क्रमांक को अवैध रेत उत्खनन करते हुए जप्त किया गया। तीनों वाहनों को जब्त कर सुरक्षार्थ तुमगांव थाना में खड़ा किया गया है। खनिज अधिकारी श्री योगेन्द्र सिंह ने बताया कि उक्त वाहनों पर खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 की धारा 21 के अंतर्गत कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी। इस प्रकरण में 2 से 5 वर्षों की सजा का प्रावधान है और संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध FIR दर्ज कर न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत किया जाएगा।
पूर्व में भी खनिज पट्टेदारों एवं खनिज परिवहनकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए जा चुके हैं कि बिना वैध अभिवहन पास के खनिज का उत्खनन, परिवहन या भंडारण करना कानूनन अपराध है। कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले में अवैध खनिज गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु खनिज विभाग का विशेष अभियान सतत जारी रहेगा और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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जशपुरनगर : छत्तीसगढ़ शासन द्वारा कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कृषकों को प्रोत्साहित करने एवं सम्मानित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष डॉ. खूबचंद बघेल, कृषक रत्न पुरस्कार प्रदान दिया जाता है। इस वर्ष भी 2025 का पुरस्कार वितरण राज्य स्थापना दिवस 01 नवम्बर 2025 को आयोजित होने वाले राज्योत्सव में किया जाएगा। इस संबंध में कृषकों से आवेदन आमंत्रित किए गए है, जिसकी अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। इच्छुक कृषक जो खेती में नवाचार, जैविक कृषि, उत्पादन में वृद्धि, कृषि यांत्रिकीकरण या जल संरक्षण के साथ साथ कृषि के अन्य क्षेत्रों में उल्लेखित योगदान दे रहे हैं, वे इस पुरस्कार के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस संबंध में उप संचालक कृषि ने जिले के समस्त इच्छुक कृषकों से अपील की है कि वे निर्धारित तिथि तक आवश्यक दस्तावेजों सहित अपना आवेदन प्रस्तुत करें। आवेदन पत्र एवं आवेदन की प्रक्रिया आवश्यक अर्हताएं एवं अन्य जानकारी संबंधित विकासखंड कृषि कार्यालयों या उपसंचालक कृषि कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है।
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जशपुरनगर : भारत शासन, कृषि मंत्रालय, पशुपालन, डेयरी एवं फिशरीज विभाग, कृषि भवन, नई दिल्ली तथा छ.ग. राजपत्र से जारी अधिसूचना अनुसार एक्सोटिक मांगुर (क्लेरियस गेरीपिनियस) एवं बिग हेड (हाइपोप्थेलमिक्थीस नोबीलीस) मछलियों को छ.ग. प्रदेश में पालन, संवर्धन, आयात, निर्यात, विक्रय, परिवहन तथा विपणन के लिए प्रतिषिद्ध मत्स्य घोषित किया गया है। कोई भी मछुआ, वैयक्तिक, समूह या समिति, केन्द्र या राज्य शासन द्वारा प्रतिषिद्ध मत्स्यों का मत्स्य बीज उत्पादन, मत्स्य बीज संवर्धन एवं मत्स्य पालन, किसी भी जल स्त्रोत में चाहे वह राज्य शासन का हो या वैयक्तिक हो, नहीं करेगा तथा वह प्रतिषिद्ध मत्स्यों का परिवहन, आयात एवं विपणन भी नहीं करेगा। प्रतिबंध का उल्लंघन करने की स्थिति में छ.ग. मत्स्य क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2016 तहत एक वर्ष कारावास एवं रूपये 10 हजार आर्थिक दण्ड अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकेगा।
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जशपुरनगर : वर्षा ऋतु में मछलियों की वंश वृद्धि (प्रजनन) को दृष्टिगत रखते हुये उन्हें संरक्षण देने हेतु राज्य में छत्तीसगढ़ नदीय मत्स्योद्योग अधिनियम-1972 की धारा-3 उपधारा-2 (दो) के तहत् 16 जून 2025 से 15 अगस्त 2025 तक की अवधि को बंद ऋतु (क्लोज सीजन) के रूप में घोषित किया गया है।
जशपुर जिले के अन्तर्गत समस्त तालाबों एवं जल स्त्रोतों में जिनका संबंध नदी नालों से नहीं है, के अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर को छोड़कर, सभी प्राकर के जल संसाधनों में दिनांक 16 जून से 15 अगस्त 2025 तक मत्स्याखेट कार्य पूर्णतः निषिद्ध रहेगा। इन नियमों का उल्लंघन करने पर छत्तीसगढ़ राज्य मत्स्य क्षेत्र (संशोधित) अधिनियम के नियम-3 (5) के अन्तर्गत अपराध सिद्ध होने पर एक वर्ष का कारावास अथवा 10 हजार रूपये का जुर्माना अथवा दोनो एक साथ होने का प्रावधान हैं। उक्त नियम केवल छोटे तालाब या अन्य जल स्त्रोत जिनका संबंध किसी नदी नाले से नहीं हैं, के अतिरिक्त जलाशयों में किये जा रहे केज कल्चर में लागू नहीं होगें।
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मेले में कटहल के लाभ, अधिक उत्पादन के तरीके, इससे बनने वाले अन्य उत्पाद व पोषक तत्वों की दी गई जानकारी
किसान त्रिलोचन सिंह को 36.63 किलो कटहल के लिए मिला प्रथम पुरस्कार
जशपुरनगर : प्रदेश में शासन द्वारा फसलों के प्रसंस्करण, नवाचार और उत्पादित फसलों के लिए विपणन के तौर-तरीकों का प्रशिक्षण देकर उनके आय में वृद्धि के साथ ही जीवनस्तर में सुधार के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसके तहत गुरुवार को जिला प्रशासन और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की तरफ से जशपुर के वशिष्ठ कम्युनिटी हॉल में कटहल मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में कटहल की उपयोगिता, अधिक उत्पादन के लिए वैज्ञानिक तकनीकों के प्रयोग, कटहल से नवाचार एवं इससे बनने वाले अन्य उत्पादों के बारे में जानकारी दी गयी। कार्यक्रम में अतिथियों को एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत कटहल का पौधा और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। मेले में प्रकृति सेवा संस्थान बिलासपुर के द्वारा तकनीकी सहयोग दिया गया है।
मेले में कटहल से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। इसमें किसानों द्वारा लाए गए सबसे बड़े और सबसे लंबे कटहल को पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक श्रीमती रायमुनी भगत, जशपुर नगर पालिका अध्यक्ष श्री अरविंद भगत, जशपुर जनपद पंचायत अध्यक्ष श्री गंगाराम भगत, डीडीसी श्रीमती शांति भगत, कलेक्टर श्री रोहित व्यास, पुलिस अधीक्षक श्री शशिमोहन सिंह, जिला पंचायत सीईओ श्री अभिषेक कुमार, बीटीसी कॉलेज बिलासपुर के डॉ. आर.के.एस. तिवारी, कृषि महाविद्यालय के डॉ. योगेन्द्र कुमार, केवीके जशपुर श्रीमती अनीता लकड़ा, डीएमएम विजय शरण प्रसाद सहित कृषि विशेषज्ञ मौजूद रहे।
इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विधायक श्रीमती रायमुनी भगत ने आयोजकों को बधाई दी और कहा की कटहल जशपुर के मुख्य फल उत्पाद में से एक है। किसानों के लिए यह एक आजीविका का साधन भी है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज पहले से ही कटहल का मौसम बीत जाने के बाद इसे सुखाकर सहेजा करते थे जो साल भर खराब नहीं होता था। खाद्य पदार्थों की कमी होती थी तब कटहल खाद्य सुरक्षा में सहायक का कार्य करता था। फिर भी बहुत सा अधिक उत्पादित कटहल गायों को खिला दिया करते थे। विधायक श्रीमती भगत ने कहा कि पुरातन विधियों के साथ नवीन वैज्ञानिक विधि से कटहल का प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन कर किसानों की आय में वृद्धि करना इस मेले का उद्देश्य है। जिले में बड़े पैमाने पर कटहल का उत्पादन होता है। जिससे देखते हुए किसानों की आय में वृद्धि में कटहल अहम भूमिका निभा सकता है। कटहल के प्रसंस्करण के क्षेत्र में नए नए अविष्कार हो रहे हैं। कई बीमारियों के उपचार में भी कटहल अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने महिला समूहों और किसानों को शासन की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठा कर कटहल के प्रसंस्करण हेतु कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए।
कलेक्टर रोहित व्यास ने अपने संबोधन में कटहल को एक चमत्कारी फल की संज्ञा देते हुए कहा कि जिले में यह बहुतायत में उत्पादित होता है। कटहल में विटामिन सी, विटामिन ए, मैग्नीशियम, फाइबर और अन्य पोषक तत्व शामिल है। उन्होंने कहा कि कटहल के फायदों को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इसके प्रसंस्करण एवं संवर्धन के लिए जिले में विभिन्न प्रयास किये जा रहे है। महिला स्वसहायता समूहों को इससे आचार, पापड़ जैसे उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। प्रसंस्करण के बाद उसके विपणन के लिए बाजार भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कटहल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अग्रणी किसानों को उन्नत किस्म के कटहल के पौधे उपलब्ध कराने हेतु नवीन योजना का भी निर्माण किया जा रहा है। जिससे इसके अधिक उत्पादन कर ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त किया जा सके।
मेले में सबसे बड़े और लंबे कटहल लाने वाले किसान हुए पुरस्कृत
मेले में किसानों द्वारा सबसे बड़े और लंबे कटहल लाने वाले किसानों को पुरस्कार राशि और प्रतिक चिन्ह भेंट किया गया। इसके तहत कुरमीटिकरा, पत्थलगांव के त्रिलोचन सिंह को उनके द्वारा लाए गए 36.63 किलो कटहल के लिए प्रथम पुरस्कार स्वरूप 5001 रूपए की राशि दिया गया। इसी तरह जुरतेला जशपुर के फलिन्दर सिंह को 28.07 कटहल के लिए 3001 रुपए पुरस्कार राशि और जुरगुम जशपुर के चिंता सिंह को उनके कटहल 26.71 किलो के लिए तीसरा पुरस्कार 2001 रुपए की राशि दी गई।
विटामिन, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट पोषक तत्वों से भरपूर है कटहल
मेले में कृषि विशेषज्ञों द्वारा कटहल में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी दी गई। मेले में बताया गया कि कटहल में भरपूर मात्रा में विटामिन, फाइबर, और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जो कि वजन कम करने में सहायक होता है। इसके साथ ही डायबिटिज में भी सहायक है। यह इम्यूनिटी बढ़ाता है और ह्रदय के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है। मेले में कटहल से बने आचार, पापड़, चिप्स सहित अन्य उत्पाद को प्रदर्शित किया गया था।
इस मेले में कृषि महाविद्यालय कुनकुरी, उद्यानिकी महाविद्यालय कुनकुरी, कृषि विभाग, वन विभाग, उद्यानिकी विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, 10 योजना के अंतर्गत गठित कृषक उत्पादक संगठन, नाबार्ड द्वारा पोषित रीड्स संस्था एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत कार्यरत प्रत्येक विकासखंड के संकुल संगठनों से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों की महिलाए शामिल हुई। यह मेला न केवल कृषि आधारित व्यवसाय को बढ़ावा देने की दिशा में एक सशक्त पहल है, बल्कि गैर-कृषि क्षेत्र में भी स्वरोजगार एवं आर्थिक समृद्धि के अवसर प्रदान करेगा। जागरूकता कार्यक्रमों और प्रशिक्षण के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं एवं ग्रामीण उद्यमियों को कटहल आधारित उद्योगों की स्थापना में सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे कटहल फल का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित हो सकेगा।
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जशपुरनगर : एसडीएम पत्थलगांव ने सड़क दुर्घटना के एक मामले में प्रभावित परिजन हेतु 25 हजार रुपए की राशि स्वीकृत की है। जिसके अंतर्गत पत्थलगांव तहसील के ग्राम बटुराकछार निवासी स्व. साहिल बेक का सड़क दुर्घटना में 07 जून 2024 को मृत्यु हो जाने से मृतक के निकटतम वारिस मृतक के पिता कमिल बेक हेतु 25 हजार की आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत की गई है।
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जशपुरनगर ; कलेक्टर श्री रोहित व्यास ने प्राकृतिक आपदा में जनहानि के दो मामलों में प्रभावित परिजन हेतु आर.बी.सी. 6-4 के तहत् 08 लाख रुपए की आर्थिक सहायता अनुदान राशि स्वीकृत की है। जिसमें कुनकुरी तहसील अंतर्गत ग्राम डुमरटोली निवासी सतीश एक्का का नदी के पानी में डूबने से 13 अगस्त 2024 को मृत्यु हो जाने पर मृतिका निकटतम वारिस मृतक के पिता सिरजियुस एक्का हेतु 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता अनुदान राशि स्वीकृत की गई है।
इसी प्रकार मनारो तहसील अंतर्गत ग्राम खोखसो बेन्जोरा निवासी निमनी बाई का आकाशीय बिजली से 19 जून 2024 को मृत्यु हो जाने पर मृतिका के निकटतम वारिस मृतिका के पति जीतू राम हेतु 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता अनुदान राशि स्वीकृत की गई है।
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जशपुरनगर : परंपरागत विधि की अपेक्षा उन्नत तकनीकी विधि से गेहूं की फसल से किसानों को अधिक लाभ हो रहा है।मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मंशानुरूप में कृषि विभाग और उद्यान विभाग के द्वारा कृषकों को उन्नत तकनीकी से खेती करने के लिए निरंतर प्रेरित किया जा रहा है। क्षेत्र के ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों के माध्यम से विभागीय योजनाओं का लाभ उठाने के साथ ही तकनीकी मार्गदर्शन देकर खेती कर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में विशेष पहल किया जा रहा है।
फरसाबहार विकासखण्ड के ग्राम बोखी के 60 वर्षीय कृषक श्री गणेश राम यादव ने बताया कि वे परंपरागत देशी विधि से खेती करते थे। जिससे प्रति एकड़ 4 से 5 हजार रूपये शुद्ध आय प्राप्त होता था, इस वर्ष एसएमएसपी योजना अंतर्गत 0.400 हे. क्षेत्र में उन्नत तकनीकी विधि से गेहूं फसल किस्म जीडब्ल्यू 322 लगाया था। जिससे उन्हें 7.00 क्वि. प्रति एकड़ उपज प्राप्त हुआ। इस विधि के खेती से उन्हें शुद्ध आय 16000 रूपये प्राप्त हुआ। ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी क्षेत्र फरसाबहार श्रीमती शशिप्रभा भोय ने उन्नत तकनीकी विधि से खेती करने हेतु प्रेरित करते हुए किसानों को गेंहू बीज प्रदाय किए थे। फसल प्रदर्शन को देख कर अन्य कृषकों द्वारा आगामी वर्ष में उन्नत तकनीकी विधि से खेती करने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा। किसान गणेश राम यादव भी आगामी वर्ष में गेंहू फसल की खेती उन्नत तकनीकी विधि को अपनाकर अधिक क्षेत्र में गेहूं की फसल लगाएंगे साथ ही अन्य कृषकों को भी इसी विधि से खेती करने की लिए प्रेरित करने की बात कही।
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महासमुंद : आदिवासी समुदायों के समग्र विकास और सरकारी योजनाओं के लाभों की शत-प्रतिशत पहुँच सुनिश्चित करने हेतु जिला प्रशासन महासमुंद द्वारा “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के अंतर्गत 17 जून से 30 जून 2025 तक ग्राम स्तर पर जागरूकता एवं लाभ संतृप्ति शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह के निर्देशानुसार इन शिविरों में विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के चिन्हांकित गांवों में विभिन्न विभागीय सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ प्रदान किया जाएगा। कलेक्टर ने जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को शिविर के सफल संचालन के लिए जिम्मेदारी दी गई है।
इन शिविरों का उद्देश्य विशेष रूप से जनजातीय समुदायों तक सरकारी योजनाओं और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित कर उन्हें सशक्त बनाना है। प्रत्येक चयनित ग्राम में ग्राम स्तरीय शिविरों के माध्यम से विभिन्न सुविधाएं और प्रमाण पत्र सांकेतिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। जिसमें पहचान व सामाजिक सुरक्षा के लिए हितग्राहियों का आधार कार्ड, राशन कार्ड, आयुष्मान भारत कार्ड, जाति व निवास प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। कृषि व वित्तीय सहायता के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, मुद्रा ऋण, पीएम-किसान पंजीयन व जन धन खाता खोला जाएगा, बीमा योजनाओं से लाभान्वित करने हेतु प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा किया जाएगा तथा वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन के लिए पात्र हितग्राहियो का चयन कर लाभान्वित किया जाएगा। इसी प्रकार रोजगार व आजीविका से जोड़ने के लिए मनरेगा, पीएम-विश्वकर्मा योजना में पंजीकृत किया जाएगा तथा गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण हेतु प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का लाभ, आंगनबाड़ी लाभ व टीकाकरण की सुविधा दी जाएगी। इन शिविरों में स्वास्थ्य कार्यकर्ता, मितानिन, पटवारी, मनरेगा अधिकारी, कृषि विभाग के कर्मचारी, छात्रावास अधीक्षक, महिला एवं बाल विकास विभाग के पर्यवेक्षक, पेंशन विभाग प्रतिनिधि, ग्राम सचिव, आधार ऑपरेटर आदि मौजूद रहेंगे।
जागरूकता एवं शिविर महासमुंद विकासखंड अंतर्गत 17 जून को ग्राम रुमेकेल, 19 जून को तेलीबांधा, 20 जून को पथर्री, 23 जून को खमतराई, 25 जून को लहंगर, 26 जून को सलिहाभाठा, 30 जून को परसदा ख में शिविर का आयोजन होगा। इसी तरह बागबाहरा विकासखंड अंतर्गत 17 जून को ग्राम टेढ़ीनारा, 19 जून को कर्मापटपर में, 20 जून को पतेरापाली स में, 23 जून को डोंगरीपाली मामाभांचा, 25 जून को भीमखोज, 26 जून को टोंगोपानीकला एवं 30 जून को हाथीबाहरा में शिविर आयोजित किया जाएगा।
इसी प्रकार पिथौरा विकासखंड अंतर्गत 17 जून को गोपालपुर में, 18 जून को पेंड्रावन में, 19 जून को पिरदा में, 20 जून को गोड़बहाल में, 23 जून को खुटेरी, 24 जून को सपोस, 25 जून को बुंदेली में, 26 जून को भुरकोनी, 27 जून को पथरला एवं 30 जून को परसवानी में, बसना विकासखंड अंतर्गत 18 जून को ग्राम पंचायत जमदरहा में, 20 जून को बुंदेलभाठा, 25 जून को पीलवा पाली एवं 30 जून को ग्राम पंचायत नवागांव में शिविर लगेगा। इसी तरह सरायपाली विकासखंड अंतर्गत 17 जून को ग्राम पंचायत डूडूमचुंवा, 19 जून को सेमलिया, 23 जून को पझरापाली, 25 जून को खोखेपुर एवं 27 जून को सरायपाली में शिविर लगाया जाएगा।
जिले के 306 ग्रामों के जनजातीय समुदायों तक सरकारी योजनाओं और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने जागरूकता व लाभ शिविरों का आयोजन किया जाएगा। जिसमें पिथौरा विकासखण्ड अंतर्गत 209 ग्राम, बागबाहरा विकासखण्ड अंतर्गत 33 ग्राम, महासमुंद विकासखण्ड अंतर्गत 25 ग्राम, बसना विकासखण्ड अंतर्गत 23 ग्राम एवं सरायपाली विकासखण्ड अंतर्गत 16 ग्रामों के आदिवासी समुदायों को लाभान्वित किया जाएगा।
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मुनादी और दीवार लेखन के ज़रिए जागरूकता बढ़ाने का प्रयास
कोरिया : कोरिया जिले में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत 15 जून से विशेष शिविरों का आयोजन शुरू होगा। जिले के 154 चयनित आदिवासी बहुल ग्रामों में यह शिविर 30 जून 2025 तक आयोजित किए जाएंगे। जिला कलेक्टर श्रीमती चन्दन त्रिपाठी के निर्देश पर इन ग्रामों में दीवार लेखन और कोटवारों के माध्यम से मुनादी कर अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इन शिविरों के माध्यम से ग्रामीणों को आधार कार्ड, राशन कार्ड, जाति/निवास प्रमाण पत्र, पेंशन योजनाएं, आयुष्मान भारत कार्ड, उज्ज्वला गैस कनेक्शन, जनधन खाता, पीएम किसान निधि, मुद्रा लोन, विश्वकर्मा योजना समेत लगभग 17 योजनाओं का सीधा लाभ पात्र हितग्राहियों को प्रदान किया जाएगा।
शिविरों में स्वास्थ्य, पंचायत, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास, कृषि, खाद्य, राजस्व विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से डिजिटल सेवाएं जैसे आधार ई-केवाईसी और दस्तावेज सत्यापन भी की जाएंगी। कलेक्टर ने इन 154 ग्रामों के नागरिकों से अपील की है कि वे शिविरों में भाग लें और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपने जीवन को सशक्त बनाएं। यह अभियान आदिवासी समाज को मुख्यधारा से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल
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बलरामपुर : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की अनुशंसा अनुसार उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जाना है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत 15 वर्ष से अधिक उम्र के असाक्षरों को को बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान का अध्ययन कराकर सितंबर 2025 व मार्च 2026 में आयोजित परीक्षा में शामिल कराया जाना है।
इस संबंध में कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा के निर्देशन एवं सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर के मार्गदर्शन में उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन हेतु ब्लॉक स्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित किया जाना है। बैठक में विकासखण्ड एवं सहायक विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड परियोजना अधिकारी, बीआरसी, संकुल प्राचार्य, ग्राम पंचायत प्रभारी/उल्लास केन्द्र प्रभारी उपस्थित रहेंगे। 18 जून 2025 को प्रातः 09ः30 बजे विकासखण्ड शंकरगढ़ एवं दोपहर 02ः30 बजे विकासखण्ड कुसमी की बैठक आयोजित की गई है। बैठक संबंधित विकासखण्ड मुख्यालय में होगी। इसी प्रकार 19 जून 2025 को प्रातः 09ः30 बजे विकासखण्ड बलरामपुर एवं दोपहर 02ः30 बजे राजपुर की बैठक होगी। 20 जून 2025 को प्रातः 09ः30 बजे विकासखण्ड रामचन्द्रपुर एवं 02ः30 बजे वाड्रफनगर की बैठक होगी। बैठक में जिला स्तरीय अधिकारी सहित जिला परियोजना अधिकारी एवं जिला साक्षरता प्राधिकरण के अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
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युक्तियुक्तकरण के तहत नवीन पदांकित शालाओं में कुल 629 शिक्षकों ने किया कार्यभार ग्रहण
महासमुंद : जिले में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में सार्थक कदम उठाए गए हैं। इस पहल के अंतर्गत विशेष रूप से उन शालाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया जो या तो शिक्षक विहीन थीं या एकल शिक्षकीय व्यवस्था पर निर्भर थीं। युक्तियुक्तकरण के प्रभावी क्रियान्वयन से अब इन शालाओं में नियमित शिक्षण व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी, जिससे विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त होगी तथा विद्यालयों की शैक्षिक स्थिति में उल्लेखनीय सुधार होगा।
युक्तियुक्तकरण से पूर्व जिले में कुल 287 प्राथमिक शालाएं ऐसी थीं, जो या तो पूरी तरह शिक्षक विहीन थीं अथवा केवल एक शिक्षक कार्यरत था। इसके अतिरिक्त एक पूर्व माध्यमिक शाला एवं तीन हाई स्कूल भी ऐसे थे, जहां शिक्षकों की कमी गंभीर समस्या बनी हुई थी। परंतु युक्तियुक्तकरण के तहत समुचित पुनर्गठन एवं पदस्थापन के माध्यम से अब जिले में कोई भी शिक्षक विहीन अथवा एकल शिक्षकीय शाला शेष नहीं है।
जिला शिक्षा अधिकारी ने बताया कि“शिक्षा विभाग द्वारा जिले के प्रत्येक शाला में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण किया गया है। अब जिले की कोई भी शाला शिक्षक विहीन नहीं है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होगी और शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार आएगा। “मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश में सुशासन के अंतर्गत प्रारंभ की गई युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया ने विद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में नवचेतना का संचार किया है। लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे इन विद्यालयों में अब नवीन शिक्षकों की पदस्थापना से न केवल शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार की आशा जगी है, बल्कि इससे विद्यार्थियों, अभिभावकों, ग्रामीण जनों तथा विद्यालय प्रबंधन समितियों में उत्साह और संतोष का वातावरण निर्मित हुआ है।उल्लेखनीय है कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह की मौजूदगी में 01 एवं 02 जून को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण तरीके से पूर्ण किया गया था। सभी शिक्षकों को पदस्थापना आदेश दे दिया गया था। शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सहायक शिक्षक के 399, प्रधान पाठक प्राथमिक शाला के 12, सहायक शिक्षक विज्ञान के 08, शिक्षक के 127, प्रधान पाठक मिडिल स्कूल 01, व्याख्याता के 82 रिक्त स्थानों पर पदभार ग्रहण कर लिया गया है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
महासमुंद : भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा ई-श्रम पोर्टल में पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए दुर्घटना के कारण मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में एक्सग्रेशिया भुगतान योजना लागू की गई है। इस योजना के अंतर्गत पात्र श्रमिकों एवं उनके आश्रितों को 2 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
श्रम पदाधिकारी श्री डी.एन. पात्र ने बताया कि इस योजना के तहत आवेदन प्रस्तुत करने की अंतिम तिथि को वृद्धि करते हुए अब 30 जून 2025 तक कर दिया गया है। इसके तहत दुर्घटना से मृत्यु होने पर एवं पूर्ण दिव्यांगता (दोनों आंख, दोनों हाथ या दोनों पैर की अक्षमता) की स्थिति में 2 लाख रुपए सहायता राशि प्रदान की जाएगी। जिन पंजीकृत श्रमिकों की दुर्घटना से मृत्यु/दिव्यांगता की घटना 31 मार्च 2022 के पूर्व हुई हो वही एक्सग्रेशिया भुगतान के तहत पात्र होंगे। साथ ही श्रमिक ईपीएफओ/ईएसआईसी के सक्रिय सदस्य नहीं होना चाहिए एवं आयकर दाता न हो।
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज मृत्यु की स्थिति में आधार नंबर, यूएएन नंबर (यदि उपलब्ध हो), मृत्यु प्रमाण पत्र, मृत्यु का कारण संबंधित मेडिकल प्रमाण पत्र, एफआईआर की प्रति (यदि लागू हो) व पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा दिव्यांगता की स्थिति में आधार नंबर, यूएएन नंबर (यदि उपलब्ध हो), अस्पताल की डिस्चार्ज रिपोर्ट, दिव्यांगता प्रमाण पत्र एवं स्थायी दिव्यांगता प्रमाण पत्र शामिल है। पात्र हितग्राही उक्त समस्त दस्तावेजों के साथ कार्यालय श्रम पदाधिकारी, जिला महासमुंद में आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए श्रम विभाग से संपर्क किया जा सकता है।
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व्यापक प्रचार-प्रसार एवं जन जागरूकता से बाल श्रम रोकने किए जाएंगे उपाय
14 वर्ष से कम बच्चे पूर्णतः बाल श्रमिक की श्रेणी में बाल श्रम पाए जाने पर 1098 पर कर सकते है शिकायत दर्ज
महासमुंद : अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर आज कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह ने कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में बाल श्रम उन्मूलन को लेकर संबंधित विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक ली। बैठक में श्रम विभाग, महिला एवं बाल विकास, शिक्षा विभाग, पुलिस प्रशासन सहित बाल श्रम न्यायालय, जिला बाल संरक्षण इकाई, चेम्बर ऑफ कॉमर्स, व्यवसायी संघ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
कलेक्टर श्री लंगेह ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जिले में किसी भी प्रकार से बाल श्रम की गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बच्चों का बचपन शिक्षा, सुरक्षा और संरक्षण में बीते, यह हम सभी की प्राथमिक जिम्मेदारी है। उन्होंने संयुक्त जांच दल द्वारा होटल, ढाबा, निर्माण स्थलों, दुकानों एवं अन्य संभावित स्थलों पर निरीक्षण करने के निर्देश दिए। साथ ही सभी विकासखंडों में बाल श्रम विरोधी रैली, पोस्टर प्रदर्शन, रैली एवं स्कूलों में विशेष सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बाल संरक्षण समिति की बैठक हर माह आयोजित कर समीक्षा करने कहा है।
कलेक्टर ने कहा कि लंबे समय से स्कूलों में अनुपस्थित बच्चों को स्कूलों में पुनः प्रवेश सुनिश्चित किया जाएगा। इसके साथ ही उनके परिवारों को शासन की योजनाओं से जोड़ा जाएगा। जिले में 15 जून से 30 जून तक जिला स्तरीय बाल श्रम विरोधी अभियान चलाया जाएगा। कलेक्टर ने बाल श्रम की रोकथाम के लिए बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम 2005 की धारा 13, 14 तथा सहपठित धारा 15 के तहत कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।
श्रम पदाधिकारी श्री डी.एन. पात्र ने बताया कि जिले में टास्क फोर्स के माध्यम से वर्ष 2024 में कुल 92 संस्थानों का निरीक्षण किया गया। जिसमें श्रम विभाग द्वारा कुल 14 संस्थानों के विरूद्ध माननीय श्रम न्यायालय में अभियोजन दायर किया गया। माननीय श्रम न्यायालय द्वारा कुल 09 संस्थानों के विरूद्ध राशि 5000 रुपए की दर से कुल राशि 45 हजार रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। शेष 05 संस्थानों का प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है। इसी तरह वर्ष 2025 (09 जून 2025 की स्थिति में) में कुल 52 संस्थानों का निरीक्षण किया गया। जिसमें श्रम विभाग द्वारा कुल 20 संस्थानों के विरूद्ध सूचना प्रदर्शन बोर्ड चस्पा नहीं होने के कारण धारा-12 अंतर्गत नोटिस जारी किया गया है। जिसमें से कुल 12 संस्थानों के विरूद्ध माननीय श्रम न्यायालय में अभियोजन दायर किया गया। उक्त कुल 12 संस्थानों का प्रकरण माननीय न्यायालय में विचाराधीन है।
उन्होंने बताया कि 14 वर्ष से कम आयु के बालकों का नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है। 14 वर्ष से कम आयु के बालकों से खतरनाक नियोजन को छोड़कर शिक्षा अवधि उपरांत पारिवारिक व्यवसाय में सुरक्षा प्रबंध के साथ कार्य लिया जा सकता है। इसी तरह 14 से 18 वर्ष आयु के किशोरी का खतरनाक व्यवसाय/प्रक्रियाओं (अधिसूचित-107 नियोजनों में) नियोजन पूर्णतः प्रतिबंधित है। मुख्य प्रतिबंधित क्षेत्र कारखाना, होटल एवं ढाबा, घरेलू कामगार, ईंट-भट्टा एवं खपरेल निर्माण कार्य, पत्थर खदान, ऑटो मोचाईल वर्कशॉप एवं गैरेज, बीड़ी उद्योग इत्यादि है।
बालक एवं किशोर श्रम नियोजन में दण्ड बाल श्रम का नियोजन करने वाले नियोजक को अधिनियम की धारा 14 के अंतर्गत 06 माह से 02 वर्ष तक का कारावास या राशि रूपये 20 हजार से 50 हजार तक जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय होगा। बालक एवं किशोर श्रम की शिकायत के संबंध में टोल फ्री हेल्पलाईन 1800-2332-197 एवं 1098 में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशानुरूप जल संसाधन विभाग के कार्याें में पारदर्शिता और क्रियान्वयन में तेजी लाने के उद्देश्य से नवीन दर अनुसूची (एसओआर) को एक मई 2025 से लागू कर दिया गया है। जल संसाधन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में सभी तकनीकी अधिकारियों को नवीन एसओआर को लेकर प्रशिक्षण दिए जाने हेतु कार्यशालाओं का आयोजन के साथ ही उप अभियंताओं को एसओआर बुकलेट की नवीन प्रति भी उपलब्ध करा दी गई है। जिसका उपयोग उप अभियंता निर्माण कार्यों के मूल्यांकन में कर रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि नवीन एसओआर की संरचना पूर्व एसओआर से काफी भिन्न है। इसको ध्यान में रखते हुए विभागीय सचिव श्री राजेश सुकुमार टोप्पो के मार्गदर्शन में तकनीकी कठिनाइयों के समाधान हेतु राज्यभर में कार्यशालाओं का आयोजन भी जल संसाधन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
अब तक बिलासपुर, जांजगीर और दुर्ग जिलों में कार्यशालाएं आयोजित की जा चुकी हैं। इसी क्रम में सोमवार को रायपुर में भी कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिसके तहत महानदी परियोजना एवं महानदी गोदावरी कछार के अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसी कड़ी में 12 जून को विद्युत/यांत्रिकी विभाग के उप अभियंताओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसी तरह सरगुजा और जगदलपुर क्षेत्रों के विभागीय अभियंताओं को नवीन एसओआर के प्रशिक्षण के लिए अलग-अलग तिथियों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। इन प्रशिक्षण कार्यशालाओं में दर अनुसूची के निर्माण, संकलन एवं विश्लेषण से जुड़ी तकनीकी टीम द्वारा नए और पुराने एसओआर का तुलनात्मक विश्लेषण संबंधी गहन जानकारी दी जा रही है। मैदानी अमले में कार्यरत अभियंताओं के प्रश्नों एवं शंकाओं का समाधान भी किया जा रहा है। सचिव श्री टोप्पो ने जल संसाधन विभाग के सभी अधिकारियों को नवीन एसओआर का गहन अध्ययन कर विभागीय कार्यों के मूल्यांकन में पूरी सजगता के साथ उसका उपयोग सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।
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अब शिक्षक विहीन नहीं रहा राज्य का कोई भी प्राथमिक, माध्यमिक और हायर सेकेण्डरी स्कूल
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया बच्चों के भविष्य को संवारने का सफल प्रयास: मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के बेहद सार्थक परिणाम सामने आए हैं। राज्य की कुल 453 शिक्षक विहीन शालाओं में से 447 स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। राज्य में 16 जून से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र से इन स्कूलों में घंटी बजेगी, क्लास लगेगी और बच्चों के पढ़ाई के स्वर गुंजेंगे। शिक्षक विहीन स्कूलों में शिक्षकों की पदस्थापना से एक नई उम्मीद जगी है। गांवों में शिक्षक के आने की खबर से पालक और बच्चे बेहद खुश हैं। शासन-प्रशासन का आभार जताने के साथ ही पालकगण बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद फिर से संजोने लगे हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि शिक्षा हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। राज्य के कई स्कूल शिक्षक विहीन स्थिति में थे विशेष रूप से सुदूर अंचलों के। इसलिए हमनें युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को पूरी पारदर्शिता से लागू किया है और यह सुनिश्चित किया गया है कि जहां-जहां जरूरत हो वहां शिक्षकों की तैनाती हो। राज्य के शत-प्रतिशत शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना इस प्रक्रिया की सफलता का प्रमाण है। यह केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य को संवारने की दिशा में किया गया सफल प्रयास है।
शिक्षा विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत शिक्षक विहीन 357 प्राथमिक शालाओं, 30 माध्यमिक शालाओं में नियमित शिक्षकों की पदस्थापना कर दी गई है। राज्य के शिक्षक विहीन 66 हाई स्कूलों में से सुकमा जिले के 4 हाई स्कूल तथा नारायणपुर जिले के 2 हाई स्कूल में शिक्षकों की पदस्थापना के लिए अभी काउंसलिंग की प्रक्रिया जारी है, जबकि 60 शिक्षक विहीन हाईस्कूलों में शिक्षकों की तैनाती पूरी कर ली गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी नारायणपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के 3 शिक्षक विहीन हाई स्कूलों में से सुलेगा धौड़ाई हाई स्कूल में 3 शिक्षकों की नियुक्ति युक्तियुक्तकरण के माध्यम से पूरी कर ली गई है। हाईस्कूल कन्हारगांव एवं सोनपुर हाईस्कूल में शिक्षकों की तैनाती के लिए 12 जून को काउंसलिंग की जाएगी। इसी तरह सुकमा जिले के चिंतलनार, गुम्मा, गंजेनार एवं कांजीपानी हाई स्कूल जिला स्तर पर पूरी हो चुकी युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के बाद भी शिक्षक विहीन हैं। इन हाई स्कूलों में राज्य स्तर पर होने वाली काउंसलिंग के माध्यम से शिक्षकों की पदस्थापना की उम्मीद जिला प्रशासन को है। जिला शिक्षा अधिकारी सुकमा ने बताया कि उक्त चारों हाई स्कूलों के कैम्पस में संचालित पूर्व माध्यमिक शालाओं एवं अतिथि शिक्षकों के माध्यम से यहां अध्ययन-अध्यापन का प्रबंध पूर्व से ही होता रहा है। अब तक की स्थिति में सुकमा जिले के 4 और बीजापुर जिले के मात्र 2 हाई स्कूलों को फिलहाल छोड़ भी दें, (जबकि इन 6 हाई स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती अभी प्रक्रियाधीन है) तो राज्य में प्राथमिक शाला से लेकर हायर सेकण्डरी स्कूल तक अब ऐसा कोई भी स्कूल है, जो शिक्षक विहीन हो।
यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य का कोई भी हायर सेकेण्डरी स्कूल शिक्षक विहीन नहीं था। मात्र 4 हायर सेकेण्डरी स्कूल एकल शिक्षकीय थे, जिनमें युक्तियुक्तकरण के तहत एक से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति गई है। युक्तियुक्तकरण के तहत हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में विषयवार व्याख्याताओं की नियुक्ति प्राथमिकता के आधार पर की गई है, ताकि बच्चों को नियमित रूप से अध्ययन-अध्यापन का बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके।
राज्य में 5672 प्राथमिक स्कूल एकल शिक्षकीय थे, इनमें से युक्तियुक्तकरण के बाद 4465 स्कूलों में दो अथवा दो से अधिक शिक्षकों की तैनाती पूरी कर ली गई है। राज्य में मात्र 1207 प्राथमिक शालाएं एकल शिक्षकीय रह गई हैं। इसी तरह 211 एकल शिक्षकीय पूर्व माध्यमिक शालाओं में से 204 शालाओं दो अथवा दो अधिक शिक्षकों की तैनाती की गई है, अब मात्र 7 माध्यमिक शालाएं ही राज्य में एकल शिक्षकीय रह गई हैं। इन शालाओं में भी और अधिक शिक्षकों की तैनाती को लेकर शिक्षा विभाग व्यवस्था बनाने में जुटा है। इसी तरह राज्य के 49 एकल शिक्षकीय हाई स्कूलों में से 48 हाई स्कूलों में पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की पदस्थापना पूरी कर ली गई है। आज की स्थिति में राज्य में मात्र एक हाई स्कूल एकल शिक्षकीय बचा है।
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युक्तियुक्तकरण से अब नहीं है जिले का कोई भी स्कूल शिक्षक विहीन
रायपुर : शिक्षा के क्षेत्र में बीजापुर जिले के लिए यह एक ऐतिहासिक मोड़ है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के अंतर्गत जिले के 78 शिक्षक विहीन स्कूलों में अब नियमित शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि वर्षों से बंद पड़े स्कूलों में फिर से पढ़ाई होगी।
जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार शासन के निर्देशों के अनुरूप युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इसके तहत जिले में चिन्हांकित 198 अतिशेष शिक्षकों में से 189 शिक्षकों की नई पदस्थापना की गई है। इनमें 104 सहायक शिक्षक, 13 प्रधान अध्यापक (प्राथमिक), 45 शिक्षक, 31 प्रधान अध्यापक (माध्यमिक) और 5 व्याख्याता शामिल हैं। नई पदस्थापना के तहत 82 शिक्षक पूरी तरह शिक्षकविहीन स्कूलों में, 44 शिक्षक एकल शिक्षक वाले स्कूलों में और 63 शिक्षक सामान्य जरूरत वाले स्कूलों में भेजे गए हैं। विशेष बात यह है कि जिले के 76 ऐसे स्कूल जो दो दशकों से बंद पड़े थे, वहां अब पहली बार नियमित शिक्षक तैनात किए गए हैं। इनमें गुंडापुर, मुदवेंडी, हिरमगुंडा, बोटेतोंग, गुंजेपरती, जीड़पल्ली और मुरकीपाड़ जैसे दुर्गम और अतिसंवेदनशील इलाके शामिल हैं। इन गांवों में अब शिक्षकों की नियमित आवाजाही शुरू होगी, जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
इसी तरह एक उच्च माध्यमिक विद्यालय, जहां सभी व्याख्याता पद रिक्त थे, वहां अब हिंदी और सामाजिक अध्ययन विषयों के व्याख्याताओं की नियुक्ति कर दी गई है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी और स्कूल में विषयवार पढ़ाई सुनिश्चित की जा सकेगी। सरकार की इस पहल से शिक्षा व्यवस्था को मिली मजबूती एक बड़ा बदलाव लेकर आई है। इस युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से यह साफ है कि सरकार बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में भी शिक्षा को प्राथमिकता दे रही है। वर्षों से सुनसान पड़े स्कूलों में अब फिर से बच्चों की आवाजें गूंजेंगी और उनके उज्जवल भविष्य की नई इबारत लिखी जाएगी।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
बच्चों का भविष्य संवरने की राह हुई आसान, अब हमारे बच्चे बेकार नहीं बैठेंगे: मंगल सिंह पंडो
रायपुर : कोरबा शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच बसा पंडोपारा गांव, जहां पंडो जनजाति के लोग रहते हैं। यहां जब पहली बार स्कूल खुला था, तो गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पालकों को उम्मीद थी कि उनके बच्चे अब शिक्षा से जुड़ेंगे और जीवन में आगे बढ़ेंगे। लेकिन इस उम्मीद पर तब पानी फिरने लगा, जब स्कूल में सिर्फ एक शिक्षक ही पदस्थ था। विद्यालय में एकमात्र शिक्षक होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ रहा था। कभी शिक्षक छुट्टी पर होते, तो पूरी कक्षा बिना पढ़ाई के खाली बैठती थी। कई बार बच्चे सिर्फ स्कूल आकर दिनभर समय बिताकर लौट जाते थे। इस स्थिति से बच्चों के साथ-साथ पालक भी बेहद चिंतित रहते थे। गांव के ही मंगल सिंह पंडो ने बताया कि हमारे बच्चे स्कूल तो जाते थे, लेकिन पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती थी। एक ही गुरुजी थे, वो भी छुट्टी में होते तो पूरा स्कूल ठप पड़ जाता था। अब खबर मिली है कि नए शिक्षक आने वाले हैं। बहुत खुशी हो रही है कि अब हमारे बच्चे खाली नहीं बैठेंगे, हर कक्षा में पढ़ाई होगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से अब हालात बदल गए हैं। कोरबा जिले के 300 से ज्यादा एकल शिक्षकीय और शिक्षकविहीन विद्यालयों में अब शिक्षक पदस्थ किए गए हैं। इस प्रक्रिया के तहत जिले के 14 प्राथमिक शालाएं और 4 मिडिल स्कूल जो पहले शिक्षकविहीन थे, वहां अब पढ़ाई शुरू हो सकेगी। इसके अलावा 287 प्राथमिक और 20 मिडिल स्कूलों में भी अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। अब सभी मिडिल स्कूलों में कम से कम तीन शिक्षक और दूरस्थ क्षेत्रों की प्राथमिक शालाओं में दो शिक्षक पढ़ाएंगे। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा और बच्चों को बेहतर माहौल मिलेगा। पाली विकासखंड के अंतिम छोर पर स्थित पंडोपारा गांव के बच्चे अब शिक्षकों की नई तैनाती से काफी उत्साहित हैं। कक्षा चौथी के छात्र जगदेश्वर पंडो, तीसरी कक्षा के राजेन्द्र और दूसरी कक्षा के मुकेश पंडो ने बताया कि वे बहुत खुश हैं कि अब उनके स्कूल में नए गुरुजी आ रहे हैं। राज्य सरकार की इस पहल ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा की रोशनी अब सबसे दूर बैठे बच्चों तक भी पहुंच रही है। युक्तियुक्तकरण ने पंडो समाज के बच्चों के भविष्य को एक नई दिशा दी है, जिससे वे भी मुख्यधारा से जुड़कर आगे बढ़ सकें।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
पालकों में खुशी की लहर बच्चों के उज्जवल भविष्य की जगी उम्मीद
रायपुर : रायगढ़ जिले के घरघोड़ा विकासखंड के दूरस्थ गांव बटुराकछार के बच्चों को अब बेहतर पढ़ाई का अवसर मिलने जा रहा है। यहां के प्राथमिक स्कूल में पहले सिर्फ एक शिक्षक ही थे, वह भी किसी दूसरे स्कूल से व्यवस्था के तहत पढ़ाने आते थे। लेकिन अब राज्य सरकार की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत इस स्कूल में 4 शिक्षक पदस्थ कर दिए गए हैं।
इस स्कूल में 97 बच्चे पढ़ते हैं। शिक्षक की कमी के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी। गांव के पालक इतवार दास महंत ने बताया कि उनका बेटा टिकेश्वर दूसरी कक्षा में पढ़ता है, लेकिन एक शिक्षक के भरोसे पूरा स्कूल चल रहा था। उन्होंने कहा कि बच्चों की शुरुआती पढ़ाई के साल बहुत जरूरी होते हैं और शिक्षक न होने से यह समय बर्बाद हो रहा था। अब शिक्षकों के आने से बच्चों की पढ़ाई सुधरेगी। गांव के ही शाखाराम राठिया ने भी शिक्षक मिलने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि उनका बेटा तुलेश तीसरी कक्षा में है और शिक्षक की अनुपस्थिति से पढ़ाई पर असर पड़ता था। पहले एक शिक्षक के छुट्टी पर जाने से पूरा स्कूल बंद करना पड़ता था, लेकिन अब यह समस्या नहीं रहेगी।
जिले के शिक्षा विभाग ने 3 और 4 जून को युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया पूरी की है, जिससे जिले के 21 ऐसे स्कूलों में शिक्षक भेजे गए हैं, जहां पहले कोई शिक्षक नहीं था। अधिकतर स्कूल दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में हैं। अब यहां नियमित कक्षाएं लग सकेंगी और बच्चों की पढ़ाई फिर से पटरी पर लौटेगी। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में हो रही इस पहल से पालकों को अपने बच्चों के भविष्य को लेकर एक नई उम्मीद मिली है। शिक्षा विभाग की यह कोशिश ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो रही है।
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रायपुर : वर्षों तक माओवाद की पीड़ा में सिसकते रहे बीजापुर जिले का छोटा सा गांव मुदवेंडी अब बदलाव की मिसाल बन गया है। जिला मुख्यालय से करीब 35-40 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव अब न केवल शुद्ध पेयजल और पक्की सड़क से जुड़ चुका है, बल्कि अब यहां बिजली की रोशनी ने भी दस्तक दे दी है। यह सब संभव हुआ है मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की दूरदृष्टि और नियद नेल्लानार योजना की बदौलत। इस गांव में केवल 45 परिवार रहते हैं, पर इनके जीवन में हाल के दिनों में जो परिवर्तन आया है, वह अभूतपूर्व है। पहले जहां शाम होते ही अंधेरा छा जाता था और रात में एक कदम चलना भी जोखिम भरा होता था, वहीं अब बिजली आने से न केवल घरों में उजाला हुआ है, बल्कि ग्रामीणों के दिलों में भी उम्मीद की लौ जल उठी है।
माओवाद से सुशासन तक की यात्रा
लंबे समय तक माओवादी हिंसा की वजह से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे इस गांव में अब सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंचने लगी हैं। यह बदलाव केवल सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर सामाजिक और शैक्षणिक जीवन पर भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।गांव के निवासी श्री हुंरा कुंजाम बताते हैं, हमारे गांव में वर्षों बाद बिजली पहुंची है। पहले जहां अंधेरे में बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पाती थी, अब रात को भी बच्चे आराम से पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही सांप-बिच्छू और जंगली जानवरों के खतरे से भी अब राहत मिली है। हुंरा कुंजाम बताते हैं कि नियद नेल्लानार योजना के तहत वर्षों से बंद पड़ा स्कूल अब पुनः प्रारंभ हो चुका है। एक पीढ़ी के अंतराल के बाद गांव के बच्चों को अब अपने गांव में ही शिक्षा का अवसर मिल रहा है। ग्रामीणों के लिए यह किसी सपने के सच होने जैसा है।
खुशी का माहौल, उम्मीदों की नई सुबह
गांव के ही श्री लखमा कुंजाम का कहना है, बिजली आने से गांव में उत्सव का माहौल है। अब रात्रि में भी घर के काम आसानी से हो जाते हैं, बच्चे पढ़ते हैं और गांव पहले से कहीं अधिक सुरक्षित महसूस करता है।
नियद नेल्लानार योजना: उम्मीद की किरण
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा माओवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिए शुरू की गई नियद नेल्लानार योजना वास्तव में अब एक क्रांतिकारी बदलाव की वाहक बन चुकी है। इस योजना के तहत न केवल विकास के कार्य हो रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों को सुरक्षा, विश्वास और आत्मनिर्भरता की नई राह भी मिल रही है। मुदवेंडी गांव की यह कहानी बताती है कि जब शासन की नीयत साफ हो और योजनाएं ज़मीन पर उतरें, तो दूरस्थ अंचलों में भी बदलाव की किरण पहुंच सकती है। अब अंधेरे की जगह उजाले की पहचान है मुदवेंडी। यह है सुशासन का सच और नई छत्तीसगढ़ की दिशा।
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बेमेतरा : स्वास्थ्य विभाग जिला बेमेतरा के निर्देशानुसार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिर पड़पोड़ी में आज रक्तदाताओं हेतु प्रेरित करने जागरूकता अभियान चलाया गया। विश्व रक्तदाता दिवस प्रतिवर्ष 14 जून को मनाया जाता है,इस अवसर पर रक्तदाता को अधिक संख्या में रक्तदान हेतु प्रेरित करने आज स्थानीय भाषा में शपथ दिलाकर जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया। जिसमें रक्त दान के संबंध में जानकारी प्रदान किया गया और रक्तदान करने के फायदे बताया गया,रक्तदान जरूरतमंद हेतु अवश्य किया जाना चाहिए लोगो को प्रेरित किया गया। इस अवसर पर संस्था प्रभारी डॉ ओम वैष्णव, ऐश्वर्य साहू एवं सभी स्टॉफ मौजूद थे।
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बेमेतरा : जिले के असहाय एवं अनाथ बच्चों के जीवन में आशा की किरण बनकर महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित प्रवर्तकता कार्यक्रम (स्पॉन्सरशिप योजना) सामने आया है। इस योजना के तहत जिले के 93 बच्चों को प्रतिमाह 4,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। यह राशि बच्चों को अधिकतम तीन वर्ष अथवा 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने तक दी जाएगी।
इस योजना का उद्देश्य ऐसे बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है, जिनके माता-पिता का निधन हो चुका है, वे भूमिहीन हैं, गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं या फिर जीवन में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। जिले में सुशासन तिहार के दौरान बाल कल्याण समिति ने प्राप्त आवेदनों की समीक्षा कर 40 पात्र बच्चों को योजना से लाभान्वित किया। बाल कल्याण समिति बेमेतरा के माध्यम से बच्चों एवं उनके स्वजन को योजना की राशि का सदुपयोग सुनिश्चित करने हेतु जागरूक किया गया। समिति ने स्पष्ट किया कि यह राशि बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च की जाए, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
महासमुंद में 1252 सोखता गड्ढों का निर्माण, जल संरक्षण की ओर ठोस कदम
महासमुंद : कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह के नेतृत्व में महासमुंद जिले में जल संरक्षण को लेकर "मोर गांव मा पानी" अभियान अंतर्गत एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आ रही है। पिछले समय-सीमा की बैठक में दिए गए कलेक्टर के निर्देशों के अनुरूप जिले में जन भागीदारी और विभागीय समन्वय से जल संचय के लिए विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है, जो अब मूर्त रूप लेता दिख रहा है। इस अभियान के तहत ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, शिक्षा विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वित प्रयासों से स्कूलों, आंगनवाड़ियों, पंचायत भवनों एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों में जन सहयोग से सोखता गड्ढों का निर्माण किया जा रहा है।
कलेक्टर श्री विनय लंगेह ने बताया कि "मोर गांव मा पानी" अभियान का उद्देश्य सिर्फ जल संचय नहीं, बल्कि जन-जागरूकता और सामुदायिक सहभागिता को बढ़ाना भी है। उन्होंने कहा कि सोखता गड्ढे न सिर्फ जल संरक्षण में सहायक हैं, बल्कि वे मिट्टी की नमी बनाए रखने, जल प्रवाह को नियंत्रित करने और आसपास के पर्यावरण को भी संतुलित बनाए रखने में सहायक होते हैं। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री एस. आलोक ने बताया कि अब तक जनभागीदारी से कुल 1252 सोखता गड्ढों का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है और तेजी से इस दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सोखता गड्ढे वर्षा जल को जमीन में समाहित करने में मदद करते हैं, जिससे जल स्तर को बनाए रखने और भूजल संसाधनों को पुनर्जीवित करने में सहयोग मिलेगा। यह एक स्थायी समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
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महासमुन्द : महासमुंद जिले के विकासखंड बागबाहरा के ग्राम हाड़ाबंद एवं ग्राम भलेसर में आयल पॉम योजना के अंतर्गत संचालित कृषकों के प्रक्षेत्रों का निरीक्षण 10 जून को कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती शहला निगार द्वारा किया गया। निरीक्षण के दौरान उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी संचालक श्री एस. जगदीशन भी उनके साथ उपस्थित थे। आयुक्त श्रीमती निगार ने ग्राम हाड़ाबंद में कृषक श्री तोषण चंद्राकर तथा ग्राम भलेसर में कृषक श्री नारायण चंद्राकर के खेतों में स्थापित आयल पॉम प्रक्षेत्रों का अवलोकन किया। उन्होंने पौधों की स्थिति, फलन की मात्रा, गुणवत्ता, उत्पादन लागत एवं विक्रय की वर्तमान स्थिति के संबंध में विस्तृत जानकारी ली। इसके साथ ही उन्होंने कृषकों से प्रत्यक्ष संवाद कर आयल पॉम की खेती से होने वाली आमदनी, विपणन से जुड़ी समस्याओं तथा उनके सुझावों पर भी चर्चा की।
इस अवसर पर आयुक्त श्रीमती निगार ने जिले में संचालित अन्य उद्यानिकी गतिविधियों की जानकारी भी ली। विशेष रूप से उन्होंने ग्राफ्टेड बैंगन एवं टमाटर की उन्नत खेती, पुष्प उत्पादन क्षेत्र में गुलाब, जरबेरा एवं सेवंती जैसे फूलों की खेती के क्षेत्र में जिले के योगदान में विशेष रुचि दिखाई। उन्हें अवगत कराया गया कि इन गतिविधियों से कृषकों को वैकल्पिक आय के अवसर प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने इस अवसर पर कृषकों की मेहनत एवं नवीन कृषि तकनीकों को अपनाने की सराहना करते हुए राज्य शासन द्वारा कृषक हित में चलाई जा रही योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने हेतु निर्देश दिए।निरीक्षण के दौरान कृषि एवं उद्यानिकी विभाग की सहायक संचालक श्रीमती पायल साव सहित अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।