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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
महासमुंद : राज्यपाल श्री रमेन डेका आज पिथौरा विकासखंड अंतर्गत गोड़बहाल पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल, गोड़बहाल परिसर में “एक पेड़ मां के नाम“ अभियान के तहत नीम का पौधा रोपित किया। राज्यपाल द्वारा पर्यावरण संरक्षण और जन-जागरूकता के उद्देश्य से इस पौधरोपण कार्यक्रम में सहभागिता दी गई। इस दौरान उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों एवं जनसमुदाय को अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया।
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विकास कार्यों में तेजी व योजनाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के दिए निर्देश
सभी संकेतकों को पूर्ण करने के दिए निर्देश
महासमुंद : महामहिम राज्यपाल श्री रमेन डेका ने शुक्रवार को पिथौरा के गोड़बहाल में विकासखंड स्तरीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक लेकर पिथौरा में आकांक्षी विकासखंड के अंतर्गत चल रहे विकास कार्यों, शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन और जनकल्याणकारी कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, कृषि, कौशल विकास, वित्तीय समावेश एवं बुनियादी ढांचे में सुधार को लेकर विभागीय प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा की और सभी विभागों को निर्देशित किया कि आकांक्षी विकासखंड के सभी संकेतकों को 90 प्रतिशत से अधिक लक्ष्य तक पहुंचाने के लिए तेजी से कार्य करें। उन्होंने कहा कि शासन की प्राथमिकताओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसके लिए सभी विभाग समन्वित प्रयास करें।
राज्यपाल श्री डेका ने जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए कहा कि प्रत्येक ग्राम में जल संचयन के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। उन्होंने डाबरी निर्माण, शोक पिट (सोखता गड्ढा), इंजेक्शन वेल जैसे संरचनात्मक कार्य तेजी से पूर्ण करने के निर्देश दिए ताकि वर्षा जल का अधिक से अधिक संग्रहण और भूजल स्तर में सुधार हो सके। राज्यपाल ने पशुपालन को ग्रामीण आजीविका का सशक्त माध्यम बताते हुए इसे बढ़ावा देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पशुपालन से न केवल आय में वृद्धि होगी, बल्कि यह पोषण सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। पर्यटन विकास की संभावनाओं पर चर्चा करते हुए राज्यपाल ने कहा कि स्थानीय प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित कर पर्यटन को बढ़ावा दिया जाए। इससे स्थानीय रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। सड़क सुरक्षा को लेकर उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी पहल की जाए और व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाए जाएं। उन्होंने हेलमेट और यातायात नियमों के प्रति सतत् जागरूकता के निर्देश भी दिए।
राज्यपाल ने महिला स्व सहायता समूहों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि समूहों की आर्थिक गतिविधियों का और विस्तार किया जाए। उन्होंने बैंकिंग सुविधाओं को सुदृढ़ और सुगम बनाने पर विशेष जोर दिया ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन को मजबूती मिले।
स्वास्थ्य और पोषण को लेकर उन्होंने कुपोषित बच्चों की पहचान एवं सघन मॉनिटरिंग करने, न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती और पोषण ट्रैकर से निगरानी करने के निर्देश दिए। उन्होंने मितानिन, महिला एवं बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग के बीच समन्वय से डाटा संकलन करने कहा। वार्षिक प्रशिक्षण कैलेण्डर के अनुसार शिक्षकों का नियमित प्रशिक्षण, राज्य एवं जिला स्तर पर विषय-विशेष प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी विभागों से आपसी समन्वय और सूचकांकों के सतत सुधार की रणनीति पर कार्य करने के निर्देश दिए। राज्यपाल ने अधिकारियों को योजनाओं की जमीनी स्तर पर जांच के लिए फील्ड विजिट करने और लाभार्थियों से फीडबैक लेने के निर्देश दिए। एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को मिशन बताते हुए राज्यपाल ने सभी को पेड़ लगाने और दूसरों को भी प्रेरित करने का आह्वान किया। सभी सरकारी कार्यालयों में हरियाली बढ़ाने के लिए पौधरोपण के निर्देश दिए।
इस अवसर पर कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह ने जिले की प्रगति और लक्ष्यों की पूर्ति को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि जिले में आकांक्षी जिला कार्यक्रम के अंतर्गत शिक्षा, स्वच्छता, जल प्रबंधन, महिला सशक्तिकरण और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में निरंतर विकास के लिए प्रयास किया जा रहा है। शिक्षा में नवाचार और सहभागिता से पिथौरा, बागबाहरा और महासमुंद विकासखंड के 40 चयनित ग्राम पंचायतों के 77 स्कूलों में पंचायतों के नेतृत्व में आधारभूत मूल्यांकन कार्य सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। विशेष रूप से कमजोर और पढ़ाई छोड़ चुके छात्रों के लिए अतिरिक्त अध्ययन समय की व्यवस्था की गई है। 213 शिक्षकों को विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए प्रशिक्षित किया गया। 6 ग्राम पंचायत हाई स्कूलों में सामुदायिक पुस्तकालय स्थापित किए गए। जवाहर नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में 18 विद्यार्थियों ने सफलता प्राप्त की।उन्होंने बताया कि 55 ग्राम पंचायतों को ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा प्राप्त हुआ है और 98 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है। ब्लॉक में 84 प्रतिशत परिवारों को फंक्शनल नल जल कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। सभी गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं। 100 पंचायतों को टीबी मुक्त पंचायत घोषित किया गया है 112 सक्षम आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। 400 से अधिक एनीमिया पीड़ित किशोरियाँ अब स्वस्थ हो चुकी हैं। 51 बच्चे गंभीर कुपोषण श्रेणी से बाहर आ चुके हैं।
महिला सशक्तिकरण और आर्थिक समृद्धि की दिशा में 6 स्वयं सहायता समूहों ने अपने उत्पादों के लिए ट्रेडमार्क प्राप्त किया है। अधिकांश स्वयं सहायता समूह आर्थिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से संलग्न हैं। कृषि के क्षेत्र में पिथौरा ब्लॉक के 27461 किसानों को केसीसी के माध्यम से 176.35 करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया है। 23000 किसान पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी हैं। 1160 मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनाए गए हैं। ब्लॉक में सभी पशुओं को एफएमडी टीका लगाया जा चुका है। डिजिटल और वित्तीय समावेशन के लिए 614 बैंकिंग टच पॉइंट (बैंक शाखा, बीसी केंद्र) ब्लॉक में कार्यरत हैं। पीएम डिजिटल साक्षरता अभियान के अंतर्गत 250 नागरिकों को डिजिटल प्रमाणन प्रदान किया गया है। 86 प्रतिशत से अधिक नागरिकों के आयुष्मान भारत कार्ड बनाए गए हैं। बैठक में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, महिला एवं बाल विकास, और अन्य विभागों के जिला अधिकारी उपस्थित रहे।
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बेमेतरा : पं. जवाहर लाल नेहरू उत्कर्ष योजना वर्ष 2025-26 के अंतर्गत कक्षा 6वीं में प्रवेश हेतु आयोजित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया गया है। यह परीक्षा 30 मार्च 2025 को शासकीय स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम विद्यालय, बेमेतरा में संपन्न हुई थी। जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार परीक्षा परिणाम कार्यालयीन समय में अवलोकन हेतु उपलब्ध है। यदि किसी अभ्यर्थी को परीक्षा परिणाम से संबंधित कोई दावा या आपत्ति हो, तो वह अपने साक्ष्य एवं अभिलेखों सहित 4 जुलाई 2025 तक प्रस्तुत कर सकता है। प्रशासन ने अभ्यर्थियों एवं अभिभावकों से निर्धारित समय-सीमा में दावा/आपत्ति प्रस्तुत करने की अपील की है।
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बेमेतरा : राज्य शासन के कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा खरीफ मौसम 2025 में उद्यानिकी फसलों के लिए पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना लागू की गई है। इसके तहत किसानों को 31 जुलाई 2025 तक बीमा कराने का अवसर दिया गया है। यह योजना विशेष रूप से अधिसूचित क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं एवं प्रतिकूल मौसमीय परिस्थितियों जैसे तापमान (कम/अधिक), वर्षा (अल्प/अधिक/बेमौसम), वायु गति, कीट व व्याधि प्रकोप के अनुकूल मौसम एवं ओलावृष्टि तथा चकवाती हवाओं जैसी स्थानीय आपदाओं से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए शुरू की गई है। खरीफ मौसम के लिए अधिसूचित फसलों में मिर्च, केला एवं पपीता (ओलावृष्टि हेतु) तथा केला एवं पपीता (चकवाती हवाएँ हेतु) शामिल हैं।
जिले में योजना के अंतर्गत बीमा कराने वाले कृषकों को अधिसूचित फसलों के अनुसार कुल बीमित राशि का अधिकतम 5 प्रतिशत अथवा वास्तविक प्रीमियम (जो भी कम हो) की राशि कृषक अंश के रूप में जमा करनी होगी। यह सुविधा ऋणी और अऋणी दोनों प्रकार के किसानों के लिए उपलब्ध है। अऋणी किसान बीमा हेतु स्वघोषित प्रमाण पत्र, नक्शा-खसरा, आधार कार्ड एवं बैंक पासबुक (जिसमें आईएफएससी कोड का उल्लेख हो) की छायाप्रति जमा कर सकते हैं। वहीं, ऋणी किसानों के लिए योजना विकल्प आधारित रहेगी। यदि कोई ऋणी किसान बीमा योजना में शामिल नहीं होना चाहता, तो उसे भारत सरकार द्वारा निर्धारित घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर कर अंतिम तिथि (31 जुलाई 2025) के 7 दिन पूर्व तक संबंधित वित्तीय संस्था में जमा करना अनिवार्य होगा। समयसीमा में घोषणा पत्र नहीं देने की स्थिति में बैंक द्वारा उस मौसम हेतु स्वीकृत/नवीनीकृत अल्पकालीन कृषि ऋण को अनिवार्य रूप से बीमाकृत किया जाएगा। इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की त्रुटि की स्थिति में दावे के भुगतान के लिए संबंधित बैंक उत्तरदायी होगा।
खरीफ मौसम में बीमा के दायरे में आने वाली अधिसूचित फसलें टमाटर, बैगन, मिर्च, अदरक, केला, पपीता और अमरूद हैं। बीमा कराने हेतु च्वाइस सेंटर, भारतीय कृषि बीमा कंपनी के प्रतिनिधि, लोक सेवा केंद्र, बैंक शाखाएं, सहकारी समितियां एवं विकासखंड स्तर पर स्थापित शासकीय उद्यान रोपणियों से संपर्क किया जा सकता है। जिले में उपलब्ध शासकीय उद्यान रोपणियों में शासकीय उद्यान रोपणी पडकीडीह, बेमेतरा (मो. 78282-81733), शासकीय उद्यान रोपणी मोहगांव, साजा (मो. 93028-32959), शासकीय उद्यान रोपणी नेवनारा, बेरला (मो. 99771-36115), एवं शासकीय उद्यान रोपणी झिलगा, नवागढ़ (मो. 78287-24673) शामिल हैं। किसान इन केंद्रों से संपर्क कर निर्धारित समय सीमा में बीमा करा सकते हैं।
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बेमेतरा : स्वास्थ्य विभाग जिला बेमेतरा ने सर्पदंश पर जिला के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों के निवासी के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा, बरसात का मौसम शुरू होते ही वातावरण में नमी और उमस बढ़ने तथा वर्षा का पानी जब उनके बिलों में भर जाने के कारण अपने भोजन की तालाश में जहरीले कीट, सांप बिच्छु सुरक्षित स्थान की तलाश में अक्सर बाहर आ जाते हैं तथा भोजन की खोज में घरों में घुस जाते हैं और लोगों को काटने का खतरा बढ़ जाता है। जिससे सर्पदंश की घटनाएँ बढ़ जाती हैं। सर्पदंश से अधिकांश व्यक्तियों की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है। ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण सर्पदंश के मामले में चिकित्सा विज्ञान पर विश्वास नहीं रखते है तथा बैगा गुनिया से झाड-फूक कराते हैं एवं अंधविश्वास व अज्ञानता के कारण असमय कालकवलित हो जाते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमृत रोहडेलकर ने जानकारी देते हुए बताया कि झाड़-फूक से किसी भी सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति की जान नही बचाई जा सकती है। अंधविश्वास के कारण ग्रामीण संर्पदंश के मामलों में झाड-फूक में समय नष्ट कर मरणासन्न स्थिति में पीड़ितों को चिकित्सालय लाया जाता है, जिससे ऐसे प्रकरणों में जीवन बचाने में चिकित्सक भी असफल रहते हैं। उन्होंने बताया कि जिले के ग्रामीण क्षेत्र में सर्पदंश के प्रकरणों में बचाव हेतु जनसामान्य में जागरूकता लाने हेतु विभागिय स्तर पर सभी अधिकारियों कर्मचारियों को नागरिकों को व्यापक स्वास्थ्य शिक्षा देने व सजग रहने की हिदयत दी गई है। वर्तमान स्थिती में जिला चिकित्सालय सहित विकासखण्ड मुख्यालय स्थित सामु. स्वास्थ्य केन्द्रों में सर्पदंश के प्रकरणों का निःशुल्क ईलाज हेतु पर्याप्त मात्रा में दवाईयां (एण्टी स्नेक वेनम ) उपलब्ध है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक बसोड़ ने सर्पदंश के अप्रत्याशित प्रकरणों में कमी लाने व बचाव के सारगर्भित उपायों के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि
अगर आप घर से बाहर जा रहे हैं और उस क्षेत्र में पर्याप्त रोशनी नहीं है, तो अपने साथ टार्च अवश्य रखें तथा जूते अवश्य पहनें। घरों में समुचित प्रकाश की व्यवस्था बनाए रखें। घरों में कूड़े करकट का ढेर लगाकर न रखें। शयन कक्ष में भोजन सामग्री, धान आदि न रखें, ताकि चूहे का आना कम हो। आपके पड़ोस या आस-पास के इलाके में सांप के काटने की स्थिति में घबराएं नही, घबराने से हृदय गति बढ़ सकती है और सर्पदंश के शिकार व्यक्ति के लिए यह घातक साबित हो सकता है, क्योंकि इससे विष तेजी से पूरे शरीर में फैल सकता है। सर्पदंश वाली जगह के उपरी हिस्से को कपड़ा या रस्सी से न बांधे। अधिकांश परिस्थितयों में बेहद हानिकारक हो सकती है। सांप के काटने वाली जगह पर कुछ भी बॉधने से उपचार के लिए हटाये जाने पर विष का तेजी से असर हो सकता है। सर्पदंश से प्रभावित अंग को हिलाए डुलाएं नहीं । हिलाने -डुलाने से शरीर के अन्य अंगों में जहर तेजी से फैल सकता है। सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को काटने वाली जगह के आसपास काटे और जलाएं नहीं। झोलाछाप चिकित्सक या झाड़-फूक के पास न जावें। सांप के काटने का एकमात्र इलाज अस्पताल में दिए जाने वाले एंटीवेनम के माध्यम से होता है। सर्पदंश पश्चात नजदीकी सामु. स्वास्थ्य केन्द्र अथवा जिला चिकित्सालय में बिना विलंब किए चिकित्सक से परीक्षण व उनके सलाह के अनुसार तत्काल उपचार करावें। कलेक्टर रणबीर शर्मा व मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अमृत रोहडेलकर ने जिले के सभी नागरिकों से आग्रह किया है कि वे सर्पदंश के मामले में तत्परतापूर्वक नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में नि-शुल्क उपचार प्राप्त करें, जिससे सर्पदंश से असामयिक मृत्यु की रोकथाम हो सके। साथ ही आपात स्थितियों पर क्षेत्र के आर.एच.ओ. या मितानिन से संपर्क कर सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को तत्काल समीपस्थ अस्पताल पहुँचाये।
सर्पदंश से बचने के उपाय
अंधेरे में जाने से पहले अपने साथ टार्च अवश्य रखें तथा जूते अवश्य पहनें।
घरों में समुचित प्रकाश की व्यवस्था बनाए रखें।
घरों में कूड़े करकट का ढेर लगाकर न रखें।
शयन कक्ष में भोजन सामग्री, धान आदि न रखें, ताकि चूहे का आना कम हो।
सांप के काटने की स्थिति में घबराएं नही बल्कि पीड़ित को धैर्य बंधाएं और अस्पताल ले जाने की व्यवस्था करें।
सर्पदंश वाली जगह के उपरी हिस्से को कपड़ा या रस्सी से न बांधे। शरीर के अन्य अंगों में जहर तेजी से फैल सकता है।
सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति को काटने वाली जगह के आसपास काटे और जलाएं नहीं।
झोलाछाप चिकित्सक या झाड़-फूक के पास न जावें। सांप के काटने का एकमात्र इलाज अस्पताल में दिए जाने वाले एंटीवेनम के माध्यम से होता है।
सर्पदंश की जानकारी होने पर नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला चिकित्सालय में बिना विलंब किए चिकित्सक से परीक्षण व उनके सलाह के अनुसार तत्काल उपचार करवाएं।
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महासमुंद : कलेक्टर श्री विनय कुमार लंगेह के निर्देशन में संयुक्त टीम द्वारा आज बेलटुकरी स्थित निर्माणाधीन पिकाडिली एग्रो इंडस्ट्रीज का संयुक्त निरीक्षण किया गया। निरीक्षण टीम में श्रम पदाधिकारी श्री डी.एन. पात्र, खनिज अधिकारी श्री योगेन्द्र सिंह, लोक निर्माण विभाग के उप अभियंता श्री बी.के. पाण्डेय, औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के उप संचालक श्री मनीष कुंजाम, एवं नापतौल विभाग के श्री सिद्धार्थ दुबे शामिल थे।
निरीक्षण के दौरान प्राप्त शिकायतों की पुष्टि हेतु दस्तावेजों की जांच की गई तथा प्रबंधन को आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने हेतु निर्देशित किया गया। निरीक्षण में पाया गया कि कारखाने में अन्य राज्यों से आए लगभग 100 श्रमिक कार्यरत हैं, जिनकी सूची नाम-पता सहित श्रम विभाग को प्राप्त हुई है। हालांकि, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन एवं सेवा शर्त) अधिनियम 1996 के अंतर्गत श्रमिक पंजीयन प्रमाण पत्र तथा संबंधित रजिस्टर प्रस्तुत नहीं किया गया, जिसके लिए कारखाना प्रबंधन एवं संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी किया जा रहा है।
औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग बलौदाबाजार द्वारा निरीक्षण में पाया गया कि कुछ श्रमिक बिना आवश्यक सुरक्षा उपकरणों के कार्यरत हैं, जिस पर प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया है। विधिक माप विज्ञान विभाग की जांच में चूंकि कारखाना निर्माणाधीन है, इसलिए किसी प्रकार की माप तौल संबंधी अनियमितता नहीं पाई गई। वहीं खनिज विभाग की रिपोर्ट में उद्योग द्वारा खनिज अधिनियम या नियमों का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है।
निरीक्षण के दौरान यह भी अवगत कराया गया कि भारी वाहनों के आवागमन व वर्षा के चलते भोरिंग से अछोली ग्रामीण मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। इस मार्ग की मरम्मत खनिज विभाग, लोक निर्माण विभाग तथा पिकाडिली एग्रो इंडस्ट्रीज एवं करणी कृपा संस्था के सहयोग से फर्शी पत्थर खदान के गिट्टी व बजरी से की जा रही है। लोक निर्माण विभाग के उप अभियंता द्वारा निरीक्षण के दौरान बताया गया कि मार्ग मरम्मत कार्य लगभग 70 प्रतिशत तक पूर्ण हो चुका है तथा कार्य की निगरानी संबंधित उद्योग प्रबंधन द्वारा की जा रही है।
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रायपुर : प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और संतुलित बनाने की दिशा में युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से बेहतर परिणाम मिले हैं। प्रदेश में युक्तियुक्तकरण के पूर्व कुल 453 विद्यालय शिक्षक विहीन थे। युक्तियुक्तकरण के पश्चात एक भी विद्यालय शिक्षक विहीन नहीं है। इसी प्रकार युक्तियुक्तकरण के पश्चात प्रदेश के 5936 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 4728 विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है जो कि शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक सार्थक कदम है, जिससे निःसंदेह उन विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा और अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा।
बस्तर एवं सरगुजा संभाग के कुछ जिलों में शिक्षकों की कमी के कारण लगभग 1208 विद्यालय एकल शिक्षकीय रह गये हैं। निकट भविष्य में प्रधान पाठक एवं व्याख्याता की पदोन्नति तथा लगभग 5000 शिक्षकों की सीधी भर्ती के द्वारा शिक्षकों की कमी वाले विद्यालयों में पूर्ति कर दी जावेगी, जिससे कोई भी विद्यालय एकल शिक्षकीय नहीं रहेगा तथा अन्य विद्यालयों में भी जहां शिक्षकों की कमी है, शिक्षकों की पूर्ति की जाएगी।
युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया, शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 तथा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में निहित प्रावधानों के तहत की गई है, प्राथमिक एवं पूर्व माध्यमिक स्तर पर 2008 के सेटअप की प्रासंगिकता नहीं रह गई है। ऐसे अधिकारी-कर्मचारी जो किसी भी प्रकार की अनियमितता में संलिप्त पाये गये, उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की गई है।
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पाठ्यपुस्तक वितरण प्रक्रिया में आई तकनीकी समस्याओं पर लिया गया त्वरित निर्णय
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ के छात्रों को समय पर पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में आज छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री राजा पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि कक्षा पहली से दसवीं तक के सभी विद्यार्थियों को मुफ्त पाठ्यपुस्तकें वितरित की जा रही हैं। यह जिम्मेदारी पाठ्यपुस्तक निगम द्वारा पूरी गंभीरता से निभाई जा रही है।
श्री पाण्डेय ने बताया कि पिछले शिक्षा सत्र में सामने आई कुछ अनियमितताओं को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष प्रत्येक पुस्तक पर दो बारकोड लगाए गए हैं।एक प्रिंटर की पहचान के लिए और दूसरा पुस्तक के गंतव्य विद्यालय की पहचान के लिए। इस वर्ष कुल 2 करोड़ 41 लाख किताबें मुद्रित की गईं, जो 17-18 जून 2025 तक सभी डिपो में पहुँचा दी गईं। शासकीय विद्यालयों की कक्षा 9वीं, 10वीं की पुस्तकें स्कूलों तक पहुंचा दी गई है तथा स्कूलों में बारकोड स्कैनिंग का कार्य भी 90 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। इसी तरह आत्मानंद विद्यालयों में भी पुस्तकों का वितरण तेजी से किया जा रहा है और 60 प्रतिशत किताबें पहुँच चुकी हैं, शेष कुछ ही दिनों में पहुँचा दी जाएंगी।
प्राइवेट विद्यालयों को इस बार बारकोड स्कैनिंग के पश्चात ही पुस्तकें डिपो से प्रदान की जा रही हैं, जबकि पूर्व में जिला शिक्षा अधिकारियों के माध्यम से यह प्रक्रिया की जाती थी। हालांकि, बीते तीन दिनों में डिपो में स्थान की कमी और स्कैनिंग प्रक्रिया में तकनीकी दक्षता की कमी के कारण समस्याएं उत्पन्न हुईं। इस संबंध में जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को अवगत कराया गया और बताया गया कि 1100 से अधिक सरस्वती शिक्षा मंदिर सहित बड़ी संख्या में प्राइवेट विद्यालयों को पुस्तकें मिलनी हैं, तब मुख्यमंत्री जी ने शीघ्र निर्णय लेते हुए निर्देशित किया कि सभी प्राइवेट विद्यालय अपनी आवश्यकता अनुसार जिलेवार किताबें डिपो से प्राप्त करें तथा 7 दिवस के भीतर अपने विद्यालय में बारकोड स्कैनिंग पूर्ण करें।
मुख्यमंत्री जी के इस निर्णय की सराहना करते हुए अध्यक्ष श्री पाण्डेय ने कहा कि यह शिक्षा के प्रति उनकी संवेदनशीलता और तत्परता को दर्शाता है। यह कदम सुनिश्चित करेगा कि सभी बच्चों की पढ़ाई समय पर शुरू हो सके और कोई भी छात्र पुस्तक के अभाव में पीछे न रह जाए। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल एक बार फिर यह साबित करती है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित और सजगता से कार्य कर रहा है।
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रायपुर : भारत सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना आम नागरिकों को न केवल निःशुल्क बिजली उपलब्ध करा रही है, बल्कि उन्हें ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील नागरिक बना रही है। कोरबा जिले के कटघोरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम कसनिया निवासी श्री संजय अग्रवाल इस योजना के एक सफल लाभार्थी हैं। पेशे से व्यवसायी श्री अग्रवाल के व्यवसाय में रेफ्रिजरेटर, पंखा, कूलर एवं कंप्यूटर जैसे विद्युत उपकरणों के उपयोग से विद्युत खपत अत्यधिक थी, जिसके कारण प्रतिमाह भारी बिजली बिल का वहन करना पड़ता था। जब उन्हें प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना की जानकारी प्राप्त हुई, तो उन्होंने तत्परता पूर्वक योजना में पंजीयन कराया। योजना के तहत उन्होंने 3 किलोवॉट क्षमता का सौर रूफटॉप संयंत्र अपने निवास की छत पर स्थापित किया। यह संयंत्र उनकी घरेलू एवं व्यवसायिक बिजली आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ अतिरिक्त विद्युत उत्पादन को ग्रिड में भेजकर आर्थिक लाभ भी दे रहा है। वर्तमान में उनका बिजली बिल नगण्य है तथा उन्हें सौर ऊर्जा के माध्यम से अतिरिक्त आय भी प्राप्त हो रही है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि योजना में सम्मिलित होने की प्रक्रिया सरल, सुगम एवं पारदर्शी रही। उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन किया, जिसके उपरांत विद्युत विभाग के तकनीकी अमले द्वारा निरीक्षण एवं संयंत्र स्थापना का कार्य नियत समयावधि में पूर्ण किया गया। उन्हें अनुदान की राशि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाते में प्राप्त हुई। उन्होंने यह भी बताया कि अब उन्हें विद्युत आपूर्ति बाधित होने की चिंता नहीं रहती। तीव्र धूप के समय संयंत्र से भरपूर विद्युत उत्पादन होता है, जिससे उनकी दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति निरंतर बनी रहती है। श्री अग्रवाल ने कहा कि यह योजना केवल बिजली की बचत नहीं कर रही, बल्कि स्वावलंबन की दिशा में एक सशक्त पहल है। इसके माध्यम से वे प्रतिदिन कार्बन उत्सर्जन में कमी लाकर पर्यावरण संरक्षण में भी सहयोग दे रहे हैं। यह योजना न केवल उनके परिवार के लिए लाभकारी सिद्ध हुई है, बल्कि अन्य नागरिकों को भी हरित ऊर्जा की ओर प्रेरित कर रही है। यह योजना स्वच्छ ऊर्जा, स्वच्छ पर्यावरण और स्वावलंबी भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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कोरिया : छत्तीसगढ़ शासन के युक्तियुक्तकरण के निर्णय से जिले को भी इसका लाभ मिला है। जिला शिक्षा अधिकारी श्री जितेंद्र गुप्ता ने जानकारी दी है कि सोनहत विकासखण्ड के शासकीय प्राथमिक शाला मधौरा एकल शिक्षक हुआ करते थे लेकिन अब युक्तियुक्तकरण से विद्यालय को एक शिक्षिका मिल गई है और इस तरह स्कूल में शिक्षिका श्रीमती रेहाना परवीन सहित दो शिक्षक हो गए हैं।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के मंशानुरूप जिले में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और समावेशी बनाने के लिए शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया गया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय का कहना है कि युक्तियुक्तकरण का उद्देश्य शहरी एवं ग्रामीण इलाकों में शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है। इसको ध्यान में रखकर शालाओं और शिक्षकों का तर्कसंगत समायोजन किया गया है। जहां जरूरत ज्यादा है, वहां शिक्षकों का बेहतर ढंग से उपयोग सुनिश्चित हो। उन स्कूलों को, जो कम छात्रों के कारण समुचित शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं, उन्हें नजदीक के अच्छे स्कूलों के साथ समायोजित किया गया है, ताकि बच्चों को बेहतर माहौल, संसाधन और पढ़ाई का समान अवसर मिल सके।
युक्तियुक्तकरण से शिक्षा का स्तर सुधरेगा और हर बच्चे को अच्छी और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। यह पहल राज्य की शिक्षा व्यवस्था को ज्यादा सशक्त बनाने के लिए किया गया है।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और प्रत्येक विद्यार्थी को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अंतर्गत शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की एक व्यापक और प्रभावशाली प्रक्रिया शुरू की है। इस पहल से दूरस्थ, आदिवासी व ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ रहे स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता और शिक्षा की गुणवत्ता का नया संतुलन कायम होगा।
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एनपीके और एसएसपी उर्वरकों के वितरण लक्ष्य में 4.62 लाख मीट्रिक टन की बढ़ोत्तरी
मुख्यमंत्री ने कहा किसानों को नहीं होगी किसी तरह की परेशानी
कोरिया : खरीफ 2025 के सीजन में डीएपी खाद की आपूर्ति में आई कमी को देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने समय रहते प्रभावी और वैकल्पिक कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट किया है कि किसानों को खाद की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी। डीएपी के स्थान पर एनपीके और एसएसपी जैसे विकल्पों को बढ़ावा देते हुए इनके वितरण लक्ष्य में उल्लेखनीय वृद्धि की गई है।
डीएपी की कमी का समाधान
देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के कारण राज्य में इसकी आपूर्ति प्रभावित हो रही है। इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20रू20रू0रू13 और 12रू32रू16) तथा एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) उर्वरकों के वितरण लक्ष्य को बढ़ाकर वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित की है। अब एनपीके का लक्ष्य 1.80 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 4.90 लाख मीट्रिक टन, तथा एसएसपी का लक्ष्य 2 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 3.53 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। इसके साथ ही डीएपी का संशोधित लक्ष्य 1.03 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।कुल वितरण लक्ष्य 17.18 लाख मीट्रिक टन हुआ
पहले खरीफ सीजन में उर्वरकों का कुल वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मीट्रिक टन निर्धारित था, जिसे अब बढ़ाकर 17.18 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है। इनमें यूरिया 7.12 लाख मी.टन, एनपीके 4.90 लाख मी.टन, एसएसपी 3.53 लाख मी.टन और एमओपी 60 हजार मी.टन शामिल हैं।मुख्यमंत्री का किसानों को भरोसा
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा, राज्य सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। डीएपी की कमी के बावजूद किसानों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए हर स्तर पर तैयारी की गई है। कृषि वैज्ञानिकों के परामर्श से किसान विकल्प के रूप में अन्य उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं।श्कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की जगह यदि 3 बोरी एसएसपी और 1 बोरी यूरिया का उपयोग किया जाए, तो पौधों को पर्याप्त मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, कैल्शियम और सल्फर मिल सकता है। एसएसपी न सिर्फ जड़ों के विकास में सहायक है, बल्कि इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भी वृद्धि होती है।भंडारण एवं वितरण की स्थिति
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य में अब तक 12.13 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का भंडारण किया जा चुका है। इसमें से 7.29 लाख मीट्रिक टन खाद का वितरण पहले ही किसानों को किया जा चुका है। वर्तमान में राज्य में 4.84 लाख मीट्रिक टन खाद सहकारी एवं निजी वितरण केंद्रों पर उपलब्ध है।सरकार की प्राथमिकता किसानों की चिंता दूर करना
राज्य सरकार ने जिलों की सहकारी समितियों और निजी विक्रेताओं को निर्देश दिए हैं कि किसानों की मांग के अनुसार समय पर खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करें। साथ ही भंडारण, परिवहन और वितरण की सतत निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की कालाबाजारी या कृत्रिम संकट की स्थिति न बने। -
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कोरिया ; जिला कृषि कार्यालय, कोरिया में विगत दिनों कृषि स्थायी समिति की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक की अध्यक्षता समिति की अध्यक्षा श्रीमती स्नेहलता उदय ने की। इस दौरान समिति के सदस्यगण एवं कृषि, पशुपालन, मत्स्य, बीज निगम सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में खरीफ 2025 की तैयारियों की गहन समीक्षा की गई। इसमें खरीफ फसलों की बुआई की प्रगति, सिंचाई सुविधाओं की स्थिति, कृषि यंत्रों की उपलब्धता, बीज एवं उर्वरकों के भण्डारण एवं वितरण जैसे विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
समिति की अध्यक्षा श्रीमती उदय ने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि के लिए नवाचारों को बढ़ावा देना होगा। जैविक खेती को प्राथमिकता दी जाए एवं धान की जगह दलहन-तिलहन फसलों को अपनाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया कि शासकीय योजनाओं का लाभ अंतिम पंक्ति तक के किसानों तक पहुँचना सुनिश्चित करें और समयबद्ध सहायता दी जाए।
बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने विभागीय योजनाओं की प्रगति की जानकारी साझा की। वहीं, समिति के सदस्यों द्वारा दिए गए सुझावों पर अमल के लिए संबंधित विभागों को आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश भी जारी किए गए। इस अवसर पर समिति सदस्य श्रीमती गीता राजवाड़े, श्री सुरेश कुमार सिंह, उप संचालक कृषि श्री राजेश कुमार भारती, उप संचालक पशुपालन डॉ. विभा सिंह बघेल, सहायक संचालक मत्स्य श्री एस.एम. द्विवेदी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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बलरामपुर : सरगुजा संभागायुक्त श्री एन. के.दुग्गा ने एसडीएम कार्यालय राजपुर, तहसील कार्यालय राजपुर एवं शंकरगढ़ का औचक निरीक्षण कर राजस्व प्रकरणों की स्थिति की गहन समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कार्यालय में राजस्व अभिलेखों के संधारण सहित राजस्व प्रकरणों की अद्यतन स्थिति तथा दस्तावेजीय प्रविष्टियों की गुणवत्ता का अवलोकन किया।
संभागायुक्त श्री दुग्गा ने एसडीएम न्यायालय, तहसीलदार न्यायालय, एवं नायब तहसीलदार न्यायालय , नाजिर शाखा, कानूनगो शाखा, रिकार्ड रूम सहित विभिन्न शाखा का निरीक्षण कर आवश्यक सुधार करने तथा दस्तावेजों को सुव्यवस्थित, अद्यतन और पारदर्शी बनाए रखने हेतु अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि राजस्व से संबंधित सेवाओं में पारदर्शिता एवं समयबद्धता सुनिश्चित करना शासन की प्राथमिकता है। इसके लिए सभी अधिकारी अपने दायित्वों का बेहतर निर्वहन करते हुए कार्य संपादित करें। निरीक्षण के दौरान उन्होंने कार्यालयीन साफ-सफाई, कर्मचारियों की उपस्थिति विभिन्न पंजी की भी जांच की। साथ ही आम नागरिकों को मिलने वाली सेवाओं की वस्तुस्थिति की जानकारी ली। संभागायुक्त श्री दुग्गा ने संबंधित अधिकारियों को लंबित राजस्व प्रकरणों का शीघ्र एवं पारदर्शी निराकरण सुनिश्चित के निर्देश देते हुए कहा कि आवेदनों का समयबद्ध निराकरण करते हुए आम जनता को बेहतर सेवा प्रदान करें।
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रायपुर : नारायणपुर जिले के ओरछा ब्लॉक का एक छोटा-सा हरा-भरा गांव है थुलथुली। चारों तरफ जंगलों और पहाड़ियों से घिरा यह गांव अब तक शिक्षक की कमी के कारण शिक्षा से वंचित था। शासकीय बालक आश्रम शाला, थुलथुली में भवन तो था, लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं थे। बच्चे स्कूल तो आते थे, पर पढ़ाई की रफ्तार रुकी हुई थी।
इस हालात को बदला है छत्तीसगढ़ सरकार की युक्तियुक्तकरण ने, जिसके तहत स्कूलों में बच्चों की संख्या के हिसाब से शिक्षकों की तैनाती की गई है। इसी योजना के तहत शिक्षक श्री शोभीराम मरकाम की पोस्टिंग थुलथुली में हुई। पहले वे कुर्सीनवार के प्राथमिक शाला में पदस्थ थे। थुलथुली पहुंचते ही उन्होंने इसे सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि एक मिशन मान लिया।
श्री मरकाम न केवल बच्चों को पढ़ा रहे हैं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और उम्मीद भी जगा रहे हैं। वे मानते हैं कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बच्चों को एक अच्छा इंसान बनाती है। गांववाले भी उन्हें एक उम्मीद की किरण मानने लगे हैं। शिक्षक मरकाम अपनी इस उपलब्धि का श्रेय मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय और सरकार की नीतियों को देते हैं। उनका कहना है कि युक्तियुक्तकरण योजना जैसे प्रयासों ने दूरदराज के गांवों में भी शिक्षा की लौ जलानी शुरू कर दी है।
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रायपुर : कभी वीरान और बंजर रहा सोंठी गांव आज हरियाली की मिसाल बन गया है। जांजगीर-चांपा जिले के ग्राम पंचायत सोंठी में एक समय बंजर पड़ी भूमि अब हरियाली से आच्छादित हो गई है। यह बदलाव सिर्फ मिट्टी की सतह पर नहीं, बल्कि ग्रामीणों की सोच, जीवनशैली और सामुदायिक एकता की परतों में भी देखा जा सकता है। इस प्रेरणास्पद परिवर्तन की शुरुआत हुई गांव की जनसभा में लिए गए उस फैसले से, जिसमें यह ठाना गया कि गांव की बंजर भूमि को हरियाली में बदला जाएगा। महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में वृक्षारोपण और भूमि सुधार का कार्य शुरू किया गया। इसके लिए 17.61 लाख रुपये की स्वीकृति मिली, जिसमें मजदूरी मद में 14.08 लाख और सामग्री मद में 3.53 लाख रुपये खर्च किए गए।
इस कार्य ने न केवल पर्यावरण को संजीवनी दी, बल्कि रोजगार का भी सृजन किया। कुल 5718 मानवदिवस के सृजन से 43 परिवारों के 175 मजदूरों को 12.08 लाख रुपये की मजदूरी मिली। गड्ढा खुदाई, पौधरोपण, जल प्रबंधन और पौधों की देखरेख में पारदर्शिता और तकनीकी निगरानी का पूरा ध्यान रखा गया। इस कार्य की खास बात रही, रिमझिम महिला संकुल संगठन, क्लस्टर बम्हनीडीह की भागीदारी। गांव की महिलाओं ने न केवल श्रमदान किया, बल्कि अमरूद, सीताफल और नींबू जैसे फलों के पौधों की लगातार देखरेख की। हरियाली की इस यात्रा को अपना बना लिया। सरपंच बताती हैं कि इस काम से गांव का पूरा वातावरण ही बदल गया है। अब हर पौधा गांव वालों का अपना है। सबकी साझा भागीदारी ने इस पहल को केवल एक योजना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे सामुदायिक चेतना का प्रतीक बना दिया।
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शहीदों के परिजनों को मिलेगा विभाग चुनने का विकल्प, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी का आभार - उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा
बेमेतरा : राज्य शासन द्वारा नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिस सेवकों के परिजनों के हित में एक महत्वपूर्ण और मानवीय निर्णय लिया गया है। विगत दिनों मंत्रिपरिषद ने "एकजाई पुनरीक्षित अनुकम्पा नियुक्ति निर्देश-2013" की कंडिका 13(3) में संशोधन को मंजूरी दी है। उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा ने कहा कि शहीद हमारे समाज की अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर प्रदेश और देश की रक्षा की है। उनके परिजनों को केवल विकल्पहीन नियुक्ति देना न्यायसंगत नहीं था। लंबे समय से शहीद परिवारों की इस मांग को हमने सरकार के समक्ष पूरी गंभीरता से रखा। मुझे प्रसन्नता है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद ने इस निर्णय को पारित किया है। अब शहीदों के परिजनों को विभाग चुनने का अधिकार मिलेगा, जिससे उनकी सुविधा और सम्मान दोनों सुनिश्चित होंगे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इस संशोधन के अनुसार, अब नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिस सेवकों के परिजनों को अनुकम्पा नियुक्ति केवल पुलिस विभाग तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि वे राज्य शासन के किसी भी विभाग में, किसी भी जिला अथवा संभाग में अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त कर सकेंगे। पूर्व में यह प्रावधान था कि अनुकम्पा नियुक्ति उसी विभाग में दी जाए, जिसमें दिवंगत शासकीय सेवक सेवारत था। परंतु शहीदों के परिजनों की लगातार मांग को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने इस नीति में संशोधन कर यह विकल्प प्रदान किया है।
उप मुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा की पहल पर इस निर्णय को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी के समक्ष मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्तुत किया गया। उल्लेखनीय है कि उपमुख्यमंत्री श्री शर्मा को लगातार शहीद परिवारों और उनके संगठनों से यह मांग प्राप्त हो रही थी कि उन्हें अनिवार्य रूप से पुलिस विभाग में नियुक्ति न देकर, अन्य विभागों में भी विकल्प मिलना चाहिए। उप मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता और सक्रियता से यह विषय मंत्रिपरिषद में लाया गया और सर्वसम्मति से निर्णय पारित हुआ। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा राज्य के शहीद परिवार ने पुलिस विभाग में अनुकम्पा नियुक्ति के साथ अन्य विभागों में नियुक्ति की मांग की थी। अब उनके लिए यह रास्ता खुल गया है, जिससे उन्हें सम्मानजनक और सुविधाजनक रोजगार का अवसर प्राप्त होगा। यह निर्णय न केवल शहीदों के बलिदान को सम्मान देने का कार्य है, बल्कि उनके परिवारों के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और उत्तरदायित्व का भी प्रमाण है।
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-विद्यालय में प्रवेश हेतु वांछित दस्तावेज आवश्यक
सूरजपुर : जिले अंतर्गत संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में शैक्षणिक सत्र 2025-26 में कक्षा 6वीं में प्रवेश हेतु काउंसलिंग का आयोजन 16,17 एवं 19 मई तथा द्वितीय काउंसलिंग का आयोजन 04 जून एवं 06 जून को किया गया था। पुनः काउंसिलिंग में अनुपस्थित छात्रों को अंतिम अवसर प्रदान करने हुए 24 जून को काउंसलिंग उपरांत राज्य स्तर से प्राप्त मेरिट क्रम अनुसार विद्यालय आबंटन की सूची जिले के वेबसाईट http://surajpur.nic.in/ पर एवं कार्यालय सहायक आयुक्त आदिवासी विकास सूरजपुर तथा जिले के एकलव्य विद्यालयों के सूचना पटल पर अवलोकन किया जा सकता है। प्रवेश हेतु विद्यालय आबंटन अनुसार संबंधित छात्र,छात्राएं विद्यालय में 10 दिवस के भीतर प्रवेश लेना सुनिश्चित करें।
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सूरजपुर : जिला संयुक्त कार्यालय के सभा कक्ष में आज राजस्व विभाग की साप्ताहिक समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन ने की। इस दौरान उन्होंने जिले में लंबित राजस्व प्रकरणों की तहसीलवार विस्तृत समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि सभी मामलों का निराकरण समय-सीमा के भीतर सुनिश्चित किया जाए।
कलेक्टर श्री जयवर्धन ने कहा कि राजस्व प्रकरणों के निराकरण में तत्परता और संवेदनशीलता बेहद आवश्यक है। उन्होंने सीमांकन, बंदोबस्त, त्रुटि सुधार, भू-अभिलेख, भू-अर्जन, वन अधिकार पट्टा नामांतरण, बंटवारा, खाता विभाजन सहित सभी प्रकार के लंबित प्रकरणों की प्रगति की गहन समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रकरणों के निराकरण में किसी भी प्रकार की लापरवाही या देरी स्वीकार्य नहीं होगी। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी सुनिश्चित करें कि आम जनता को समय पर न्याय मिले और उनकी राजस्व से संबंधित समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाए। बैठक में सर्व एसडीएम, डिप्टी कलेक्टर, भू अभिलेख अधिकारी,तहसीलदार, नायब तहसीलदार सहित राजस्व विभाग के अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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शिविर के विस्तार से जनजातीय परिवारों को मिलेगा शासन के योजनाओं से लाभ
सूरजपुर : धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के तहत जनजातीय समुदायों को सरकारी योजनाओं और सेवाओं से जोड़ने के लिए 15 से 30 जून तक शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें सकरात्मक परिणाम मिला, परिणाम और बेहतर हो जिसके तहत पुनः शिविर का आयोजन जिले में 01 से 15 जुलाई तक आयोजित किया जाना है। जिसे सुचारू रूप से क्रियान्वयन के लिए जिला स्तर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सूरजपुर को नोडल अधिकारी तथा विकासखण्ड स्तर पर संबंधित जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को नोडल अधिकारी एवं मण्डल संयोजको को सहायक नोडल अधिकारी बनाये गए है।
शिविर का आयोजन विकासखण्ड भैयाथन में 01 से 03 जुलाई तक ग्राम बैजनापुर, सावांरावां, गोविन्दगढ़, खाड़ापारा, घोंसा एवं तरका में, 04 से 06 जुलाई तक ग्राम पटियाडांड, चौनपुर, मोहली, केवटाली में, 07 से 09 जुलाई तक ग्राम चंद्रपुर, पहाड़ अमोरनी, पलमा, चन्द्रमेढ़ा एवं कटिन्दा में, 10 से 12 जुलाई तक ग्राम गंगोटी, कुर्रीडीह, कुसमुसी एवं सुन्दरपुर में, 13 से 15 जुलाई तक ग्राम बुंदिया, धरमपुर, लक्ष्मीपुर, सुदामानगर, सोनपुर एवं राई में किया जाना है।
विकासखण्ड ओडगी में शिविर का आयोजन 01 जुलाई को ग्राम बेगारीडांड, दवेढी, कांतिपुर, सेमरा एवं विशालपुर में, 02 से 03 ग्राम तक पेंडारी, पासल, खैरा, कछिया, खोहिर, कोल्हुवा एवं उमझर में, 04 से 05 जुलाई ग्राम तक केसर, छतौलिबिजो, खोड़, इंजानि, टमकी, मसनकी में, 06 जुलाई को ग्राम कुप्पा, लांजित, मयूरधक्की, चिकनी में, 07 से 08 जुलाई तक ग्राम खड़ौली, रैसरा, रैसरी, जाज एवं करौटी-बी में, 09 से 10 जुलाई तक ग्राम माड़र, भकुरा, भांडी, दवनसरा, दवना एवं टोमो में, 11 जुलाई को ग्राम छतरंग, पालकेवरा, घुईडीह एवं बड़वार में, 12 जुलाई को ग्राम कर्री, चपदा, कुप्पी एवं धरसेडी में, 13 से 15 जुलाई तक कालामांजन, गिरजापुर, कुदरगढ़, बभना एवं पालदनौली में किया जाना है।
विकासखण्ड प्रतापपुर में शिविर का आयोजन 01 से 02 जुलाई तक ग्राम भेल कच्छ, रमकोला, बरपटिया, दुलदुली, बोंगा, गोविंदपुर, नरोला, धुम्माडांड एवं धुरिया में, 03 जुलाई को ग्राम डांडकरवां, धोधा, गोर्वधनपुर, रामपुर, चांचीडांड-2, रेवटी, पहाडकरवां, भेडिया एवं बटई में, 04 जुलाई को ग्राम गोरगी, गिरिया, जजावल, अंजनी, पकनी, देवरी, मायापुर, डोमहत, सेमई, दरहोरा, नवाधक्की, चन्दौरा एवं घाटपेण्डरी में, 05 जुलाई को ग्राम लोलकी, खुंशी, पहिया, मानी, बरौल, अमनदोन, करंजवार, सरहरी, खोरमा एवं डुमरखोली में, 06 जुलाई को सेमराकलां, सिलौटा शिवपुर, सौतार, खैराडीह, खुजरी एवं बैकोना में, 07 से 08 जुलाई तक ग्राम चांडीडांड, टुकुडांड, , पडीपा, सोनपुर, मसगा, नवाडीह, कनकनगर, बुढ़ाडांड, बरबसपुर, करसी, मकनपुर एवं सिलफिली में, 09 से 10 जुलाई तक ग्राम गणेशपुर, मदननगर, धरमपुर, बगड़ा, पलढा, माडीडांड, कोटेया, गौरा, सिंघरा, मानपुर, गोटगावा में, 11 जुलाई को पंपापुर, केरता, जगन्नाथपुर, खडगवाकला, चन्द्रपुर, सुखदेवपुर बोझा में, 12 जुलाई को सोनगरा, श्यामनगर, सकलपुर, शंकरपुर, मायापुर, झिंगादोहर, बंशीपुर, दुरती, मरहटा, सेंधापारा, पंडरीडांड एवं कोरंधा में, 13 से 15 जुलाई तक केंवरा, पार्वतीपुर, दवनकरा, परमेश्वरपुर, हरिहरपुर, माटिगढ़ा, सेमराखुई, पोड़ी, सत्तीपारा, सिंगरी में किया जाना है।
विकासखण्ड प्रेमनगर में शिविर का आयोजन 01 से 02 जुलाई तक गौरीपुर, नवापाराकला, खजूरी, कनकपुर में, 03 जुलाई को कंचनपुर एवं अन्नापूर्ण में, 04 से 05 जुलाई तक ग्राम चंदनगर, अभयपुर, सलका, नमना में, 06 जुलाई को ग्राम सारसताल में, 07 जुलाई को ग्राम नवापाराखूर्द एवं दुर्गापुर में, 08 से 09 जुलाई तक हरिहरपुर, महेशपुर, लक्ष्मणपुर एवं रामेश्वरनगर में, 11 से 12 जुलाई तक ग्राम तारा, शिवनगर, मेण्ड्रा एवं कांटारोली में , 13 से 15 जुलाई तक कोतल, उमेश्वरपुर, पार्वतीपुर, लक्ष्मीपुर, वृन्दावन, अनन्तपुर एवं बकालो में किया जाना है।
विकासखण्ड रामानुुजनगर में शिविर का आयोजन 01 से 02 जुलाई तक ग्राम पटना, आमगांव, कोट, साल्ही, चन्दरपुर, तेलसरा, बिशुनपुर, सागरपुर एवं रामपुर में, 03 से 04 जुलाई तक ग्राम पम्पानगर अक्षयपुर, द्वारिकापुर, गोकुलपुर, लब्जी, केशवपुर, रामेश्वरम, दवना, सरईपारा में, 05 से 06 जुलाई तक परशुरामपुर, राजापुर, मोहनपुर, सेन्दुरी एवं पतरापाली में, 07 से 08 जुलाई तक ग्राम गणेशपुर, पंचवटी, रामतीर्थ, हनुमानगढ, बरबसपुर एवं परमेश्वरपुर में, 09 से 10 जुलाई तक धनेशपुर, कललपुर एवं गोविन्दपुर में, 11 से 12 ंजुलाई तक तिवरागुडी, मकरबंधा, पिवरी एवं बकना में, 13 से 15 जुलाई तक ग्राम जगतपुर अर्जुनपुर मदनपुर, छिदिया एवं पवनपुर में किया जाना है।
विकासखण्ड सूरजपुर में शिविर का आयोजन 01 से 03 जुलाई तक ग्राम देवीपुर, नयनपुर, चंपनगर, चंदरपुर, पतरापारा, नवगई एवं सरस्वतीपुर में, 04 से 06 जुलाई तक ग्राम करमपुर, कसकेला, बिहारपुर, पार्वतीपुर, जुडवानी में, 07 से 10 जुलाई तक ग्राम भरतपुर, मानी, पोड़ी, जोबगा, लाछा, केतका, बेलटिकरी, लांची एवं गेतरा में, 11 से 13 जुलाई तक ग्राम तुलसी मोहनपुर, हरिपुर, मंजीरा,छतरपुर, रामेश्वरपुर एवं पोडिपा में, 14 से 15 जुलाई तक ग्राम पंडोनगर, पहाडगांव, गोरखनाथपुर, आमागांव संबलपुर एवं सोनवाही में किया जाना है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
सूरजपुर : छ.ग. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, रायपुर के निर्देश पर जिले में सड़क एंव सड़क जैसी परिस्थिति में रहने वाले बच्चों का सर्वेक्षण किया गया। जिला कलेक्टर श्री एस.जयवर्धन के आदेश पर महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रमेश साहू के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में इस प्रकार के बच्चों का सर्वेक्षण सूरजपुर के सभी 8 हॉटस्पॉट सहित अन्य विभिन्न स्थानों में चिन्हांकन एवं रेस्क्यू हेतु अभियान चलाया गया ।
उक्त संयुक्त टीम के द्वारा किराना दुकान, होटल, गैरेज, ईंट भट्टा एवं कारखानों में निरीक्षण किया गया। जिसमें भिक्षावृत्ति में संलिप्त, बाल श्रम में लगे, घुमन्तु बच्चे, स्कूल ड्रॉप आउट बच्चों की पूछताछ की गई उपरोक्त सर्वेक्षण में सूरजपुर विश्रामपुर, प्रेमनगर, रामानुजनगर, भैयाथान, भटगांव, जरही स्थानों का सर्वेक्षण किया गया। कार्यक्रम 12 जून से 30 जून तक सर्वेक्षण किया गया, सर्वेक्षण कार्य महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला बाल संरक्षण इकाई, श्रम विभाग, पुलिस विभाग, चाईल्ड लाईन सम्मिलित है। उक्त चिंहाकन में जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्री मनोज जायसवाल, श्रीमती अंजनी साहू सामाजिक कार्यकर्ता, पवन धीवर आउटरीच वर्कर, चाईल्ड लाईन से जनार्दन यादव, दिनेश यादव, रमेश साहू, प्रकाश राजवाडे, श्रम विभाग से श्री एम पी कादरी, पी एस एक्का, डोलामणी मांझी श्रम निरीक्षक एवं विवेक गुप्ता, ललित दुबे नगर सैनिक एवं पुलिस विभाग से श्री हरी शंकर सिंह उपस्थित रहे।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
सूरजपुर : कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रमेश साहू के मार्गदर्शन में संयुक्त टीम लगातार बाल विवाह रुकवा रही है। वर्तमान प्रकरण में ग्रामीणों द्वारा सूचना दी गई कि एक 17 वर्षीय नाबालिग बालिका का विवाह रिस्तेदारो द्वारा उसके गांव से अन्यत्र उसकी बुआ के यहां ले जाकर विवाह कराया जा रहा है। जिसका सत्यापन आंगनबाडी कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक से कराने पर शिकायत की पुष्टि होने पर जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी को दी गई, जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री रमेश साहू के निर्देश पर जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल के नेतृत्व में संयुक्त टीम जिला बाल संरक्षण इकाई, चाईल्ड लाईन, महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस बालिका के बुआ के घर पहुची। जिला बाल संरक्षण अधिकारी मनोज जायसवाल ने बालिका के साथ उनके परिजनों को समझाईस दिया गया और बताया गया कि इतनी छोटी बच्ची का विवाह नहीं होना चाहिए बच्ची कक्षा 8 वीं तक की पढाई की है। उसे अभी स्कूल में पढ़ाई कराया जाना चाहिए और 18 वर्ष की हो तभी विवाह किया जाये। बाल विवाह के दुष्परिणामो एवं कानुनो केे बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। समक्षाईस पश्चात मौके पर यह बाल विवाह न करने हेतु बालिका का कथन, पंचनामा, बुआ, फूफा का कथन तैयार किया गया। बाल विवाह हो जाने की शंका पर बालिका को बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत करने हेतु पंचनामा बनाकर रेस्क्यू कर बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष के निर्देश पर सखी वन स्टाप सेंटर सूरजपुर में संरक्षित किया गया।
जांच के द्वौरान बालिका कि बुआ द्वारा यह बताया गया कि इसी मंडप में अपने बेटे का विवाह कर रहे है बालक के दस्तावेज की भी जांच की गई बालक की उम्र अभी 18 वर्ष पूर्ण नहीं हुआ है। जांच के दौरान यह बात सामने आई कि बालक को एक 26 वर्षीय महिला द्वारा 2019 से बहला फुसलाकर प्रेम संबंध स्थापित कर विवाह कर अपने साथ रख कर लैगिक शोषण किया गया है। जिससे महिला गर्भवती हो गई एवं एक बालक को जन्म दी है। परिवार वालो द्वारा बालक एवं महिला का घर मे पुनः विवाह कराया जा रहा है। बालक की उम्र अभी विवाह योग्य नहीं हुई है। उक्त प्रकरण में गीता लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की दोषी प्रतित होती है। जिस हेतु पंचनामा, गीता का कथन, बालक का कथन लिया गया। प्रकरण कार्यवाही हेतु लैगिक अपराधो से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 एवं बाल विवाह प्रतिशेध अधिनियम 2006 के तहत जांच कर अपराध कायम करने हेतु थाना प्रभारी भटगांव को पत्र जारी किया गया है।
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द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
सूरजपुर : कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन की अध्यक्षता में जीवन दीप समिति की बैठक आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में आयोजित की गई, जिसमें जिला चिकित्सालय एवं स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई।बैठक में सिविल सर्जन द्वारा जिला चिकित्सालय में उपलब्ध समस्त स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दी गई। कलेक्टर ने जिला अस्पताल के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की व्यवस्था को बेहतर बनाने के निर्देश दिए। साथ ही जिला चिकित्सालय में आईसीयू यूनिट को क्रियाशील करने, प्राइवेट रूम की सुविधा आरंभ करने, पार्किंग शेड निर्माण, आयुष ओपीडी प्रारंभ करने तथा पंचकर्म चिकित्सा हेतु भवन की सुविधा पर विस्तृत चर्चा की गई। एमसीएच अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट के मरम्मतीकरण, सीसीटीवी कैमरों की स्थापना एवं पुराने कैमरों की मरम्मत, फिजियोथेरेपी यूनिट में सुविधाएं बढ़ाने तथा आधार-आधारित उपस्थिति प्रणाली लागू करने जैसे विषयों पर भी समीक्षा की गई। इसके अतिरिक्त NextGen e-Hospital, NQAS (नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड) प्रोत्साहन राशि पर भी विचार-विमर्श किया गया। कलेक्टर ने अस्पताल परिसर की साफ-सफाई, भवनों की मरम्मत एवं निर्माण कार्य की स्थिति की जानकारी ली।
बैठक में जीवन दीप समिति की आय-व्यय की स्थिति की भी विस्तृत समीक्षा की गई और संसाधनों के प्रभावी उपयोग पर बल दिया गया।
कलेक्टर श्री जयवर्धन ने निर्देशित किया कि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ एवं जनसुलभ बनाया जाए। चिकित्सालयों में चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ पूर्ण हों ताकि आमजन को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा सुलभ हो सके। उक्त बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सूरजपुर, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सिविल सर्जन कार्यपालन अभियंता लोक निर्माण विभाग (भ./स.), कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, कार्यपलन अभियंता छ.ग. विद्युत मंडल विभाग, कार्यपालन अभियंता सी०जी०एम०एस०सी० सरगुजा संभाग, मुख्य नगर पालिका अधिकारी, आवासीय चिकित्सा अधिकारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ,आयुष चिकित्सा अधिकारी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अस्पताल प्रबंधक, मेट्रन, नर्सिंग सिस्टर उपस्थित थे।
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-स्वास्थ्य विभाग को मौसमी बीमारियों के संबंध में आवश्यक तैयारी करने व दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के दिये निर्देश
-समय सीमा की बैठक संपन्न
सूरजपुर : कलेक्टर श्री एस.जयवर्धन ने आज समय-सीमा की बैठक में विभागीय कामकाज की समीक्षा की। बैठक में उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के सहायक आयुक्त को छात्रावास/आश्रम में स्वच्छता, स्वास्थ्य व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए।बच्चों को संतुलित, स्वच्छ, पौष्टिक भोजन व शुद्ध पेयजल दिया जाए इस हेतु संबंधित को रेगुलर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने बच्चों के नियमित चेकअप के निर्देश दिए व बीमारी की स्थिति में तुरंत चिकित्सक सेवा उपलब्ध कराने की बात कही ।उन्होंने छात्रावासों / आश्रमों में बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये विशेष फोकस करने की बात कही। उन्होंने छात्रावास/ आश्रम की दीवारों पर महत्वपूर्ण जानकारियों के प्रदर्शन के निर्देश भी दिए गये । उन्होंने मौसमी बीमारियों के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग को सतर्क रहने की बात कही ।उन्होंने स्वास्थ्य विभाग व अन्य संबंधित अधिकारियों को मौसमी बीमारियों के संबंध में आवश्यक तैयारी करने व दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।उन्होंने कहा कि डायरिया, डेंगू, मलेरिया एवं फाइलेरिया से बचाव ही सावधानी है। कलेक्टर ने नागरिकों से अपील कि है कि बारिश के मौसम को ध्यान में रखते हुए मौसमी बीमारियों के प्रति आवश्यक सावधानी रखें एवं सुरक्षात्मक उपायों का पालन करें।
उन्होंने नगरीय निकाय क्षेत्रों में सीएमओ को साफ-सफाई करने के निर्देश दिए। इसके साथ उन्होंने शिक्षा विभाग से पुस्तक व गणवेश वितरण की अद्यतन जानकारी ली और शीघ्रातिशीघ पुस्तक व गणवेश के शत प्रतिशत वितरण के निर्देश दिए। बैठक में जिला पंचायत सीईओ श्रीमती कमलेश नंदिनी साहू, अपर कलेक्टर श्री जगन्नाथ वर्मा, सर्व एसडीएम व अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।
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-ओड़गी के ग्राम पंचायत घूर एवं चपदा में पण्डो बस्ती का किया भ्रमण
-राजस्व अधिकारी व जनपद सीईओ को कहा वांछित दस्तावेज सभी को कराये उपलब्ध
-स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने हेतु दिये आवश्यक दिशा निर्देश
सूरजपुर : कलेक्टर श्री एस. जयवर्धन एवं एसडीएम ओड़गी द्वारा आज जनपद पंचायत ओड़गी अंतर्गत ग्राम पंचायत घूर एवं चपदा में स्थित पण्डो बस्ती का निरीक्षण किया गया। इस दौरान कलेक्टर ने क्षेत्र का निरीक्षण कर स्थानीय रहवासियों से सीधा संवाद किया। भ्रमण के दौरान कलेक्टर ने बस्ती में उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं जैसे पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, राशन वितरण एवं आवास आदि की वस्तुस्थिति का जायजा लिया। पंडों के बीच बैठकर उन्होंने ग्रामीणों से चर्चा की, शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है कि नहीं पूछा व बच्चों को नियमित स्कूल भेजने की बात कही। राजस्व अधिकारियों व जनपद सीईओ को निर्देशित किया कि इनके सभी वांछित दस्तावेज बनाये (जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, राशन कार्ड इत्यादि )। स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त हो इसके लिये संबंधितों को निर्देशित किया। ग्रामीणों को पानी उबाल कर पीने की सलाह दी ताकि पानी जनित रोग से बचा जा सके। उन्होंने लोगों से उनकी समस्याएं पूछी और अधिकारियों को संबंधित विषयों पर त्वरित कार्यवाही के निर्देश दिए। साथ ही कलेक्टर ने ग्रामीणों को शासन की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं का अधिकतम लाभ ले इस हेतु अपील की।
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महासमुंद : जिला ई-गवर्नेंस सोसायटी के निर्देशानुसार जिले के 24 कार्यालयों में इन हाउस मॉडल के अनुसार आधार केन्द्र संचालन हेतु 26 आधार संचालक/ऑपरेटर का चयन किए जाने के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया था। निर्धारित अंतिम तिथि तक कार्यालय को कुल 116 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं। कुल प्राप्त आवेदनों में से 73 आवेदन पात्र एवं 43 आवेदन अपात्र पाए गए हैं। जिसकी सूची तैयार कर ली गई है।
पात्र/अपात्र की सूची का अवलोकन जिला कार्यालय एवं जिले की अधिकृत वेबसाईट https://mahasamund.gov.in पर किया जा सकता है। जिस भी आवेदक को पात्र/अपात्र सूची में आपत्ति हो तो वे स्वयं कक्ष क्रमांक 22, सी.जी. स्वान कक्ष जिला कार्यालय महासमुंद में उपस्थित होकर 04 जुलाई 2025 को शाम 05.00 बजे तक दावा आपत्ति आवेदन जमा कर सकते है।