- Home
- हेल्थ
-
· सीएससी पर आयुष्मान कार्ड बनाने के 30 रुपये नहीं देने होंगे शुल्क
· नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी और सीएससी ई गर्वेनेंस ने किया एमओयू पर हस्ताक्षर
· देश के 10 प्रदेशों में योजना प्रारंभ, बिहार में भी किया गया लागू
रायपुर : नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी तथा कॉमन सर्विस सेंटर के बीच 18 फ़रवरी, 2021 को एमओयू पर हुए हस्ताक्षर के बाद अब बिहार सहित देश के 10 राज्यों में आयुष्मान कार्ड नि:शुल्क बनाया जा सकेगा. भारत सरकार द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह सुविधा 1 मार्च से प्रारंभ होगी. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत इन रज्यों के लाभुकों को पीवीसी (पोलिविनाइल क्लोराइड) आयुष्मान कार्ड निःशुल्क दिए जाएंगे. इसको लेकर यह प्रक्रिया पहले चरण में 10 राज्यों व संघ शासित प्रदेशों में शुरू की जा रही है, जिसमें बिहार सहित मणिपुर, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, त्रिपुरा, नागालैंड, चंडीगढ़, पुदूचेरी, छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश आदि शामिल हैं. अन्य प्रदेशों में भी नि:शुल्क पीवीसी आयुष्मान कार्ड वितरण की तिथि जल्द ही घोषित की जायेगी.
सीएससी पर नहीं देने होंगे 30 रुपये शुल्क :
नेशनल हेल्थऑथोरिटी तथा कॉमन सर्विस सेंटर—ई गर्वेंनेंस द्वारा आपसी सहमति के बाद हुए करार के बाद लाभुकों के लिए पीवीसी आयुष्मान कार्ड नि:शुल्क बनाया जाना है. पूर्व में आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए कॉमन सर्विस सेंटर पर 30 रुपये का शुल्क देना पड़ता था. आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्ध किये गये अस्पतालों में इलाज के लिए बनाये जाने वाले आयुष्मान कार्ड को अब बिना किसी शुल्क के जेनेरेट किया जाना है.
लाभुकों को मिलेगा पीवीसी प्रिंट किया कार्ड :
इस नई व्यवस्था के तहत आयुष्मान भारत के लाभुकों को पहले पेपर आधारित कार्ड दिया जायेगा. फिर इसके बाद एक पीवीसी प्रिंट किया हुआ कार्ड दिया जायेगा. पीवीसी आयुष्मान कार्ड किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर से प्राप्त किया जा सकेगा. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त करने व इलाज आदि के लिए आयुष्मान कार्ड आवश्यक रूप से हो ऐसा नहीं है, बल्कि यह लाभुकों को चिन्हित करने की प्रक्रिया है. साथ ही इसकी मदद से स्वास्थ्य सेवाओं के मुहैया कराने में होने वाली गड़बड़िया व धोखेबाजी को रोकना है.
5 लाख रुपये तक इलाज की है व्यवस्था :
भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराये जाने की दिशा में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना एक मुख्य कार्यक्रम है. इस योजना के तहत सालाना प्रति परिवार प्रति 5 लाख रुपये का इलाज की सुविधा दी गयी है, जिसमें 10.74 करोड़ लाभुकों यानी लगभग 53 लाख परिवारों को दूसरे एवं तीसरे स्तर की चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए चिन्हित किया गया है. आयुष्मान भारत योजना के लाभुक को स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने के लिए कैश या पेपर आदि नहीं होने के बावजूद सुविधाएं मुहैया कराती है. के इलाज की सभी सुविधाएं मुहैया कराता है. इस योजना के तहत 937 हेल्थ पैकेज हैं. योजना के तहत देश के 32 प्रदेशों के 24000 से अधिक सरकारी व गैरसरकारी अस्पतालों को सूचीबद्ध किया गया है. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 को हुयी थी. इस योजना के तहत अब तक 20911 करोड़ रुपये मूल्य के 1.67 करोड़ हॉस्पीटल ट्रीटमेंट दिए जा चुके हैं. पूरे देश में इस योजना के तहत 14 करोड़ आयुष्मान कार्ड लाभुकों को निर्गत किया जा चुके हैं.
एनएचए भारत सरकार की संस्था :
नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी भारत सरकार की संस्था है जिसके द्वारा आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना की पूरी प्रक्रिया तथा प्रबंधन का डिजाइन किया गया है. नेशनल हेल्थ ऑथोरिटी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से संबंधित हैं और यह राज्य सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर कार्य करती है. -
18,965 लोगों की स्क्रीनिंग में से 100 संभावितों की हुई विशेष जांच
बालोद : प्रदेश के सभी जिलों को वर्ष -2023 तक क्षय रोग मुक्त करने को`टीबी हारेगा देश जीतेगा’ के संकल्प के साथ एक्टीव केस फाइंडिंग अभियान शुरु किया गया था। अभियान के दौरान5 नए क्षय रोगी मिले हैं।जिले के ग्रामीण और शहरीक्षेत्र के हाई रिस्क एरिया में मलिन बस्तियों, श्रमिकों, वृद्वाआश्रम, रैन बसेरा व जेल के कैदियों को लक्षित करते हुए यह अभियान चलाया गया था ।
इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 18,965 लोगों की स्क्रीनिंग की थी। जिसमें से 100 संभावितों की सेम्पल जांच सीबीनॉट लैब में कराने पर 5 लोगों में टीबी पॉजिटिव की पुष्टी हुई है । इन नए टीबी के मरीजों का पंजीकरण कर इलाज शुरू कर दिया गया है ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संजीव ग्लेड ने बताया ‘‘ज़िले में सघन क्षय रोगी खोज अभियान विशेष रुप से शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती, खदान क्षेत्र, प्लांट क्षेत्र, अनाथ आश्रम एवं वृद्ध आश्रम, हाई रिस्क क्षेत्र, जेल (महिला एवं पुरुष), गिट्टी खदान क्षेत्र, राईस मिल क्षेत्र में 11 जनवरी से 12 फरवरी तक चलाया गया था। ।
उन्होंने बताया, जिले के उच्च जोखिम में 7,077 लोगों की स्क्रीनिंग की गई उनमें से 43 संभावितों की विशेष जांच में 4 लोगों की रिपोर्ट टीबी पॉजिटिव मिली ।इसी तरह माइंस एरिया में 985 श्रमिक की स्क्रीनिंग की गई उनमें से 27 संभावित की विशेष जांच में एक की रिपोर्ट टीबी पॉजिटिव रहा । इसके अलावा शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती क्षेत्र में 10,350 लोगों की स्क्रीनिंग की गई उनमें से 10 संभावित की विशेष जांच की गई ।
वहीं जेल में 215 कैदियों की स्क्रीनिंग की गई उनमें से 17 संभावित की विशेष जांच की गई। वृद्वा आश्रम में 29 लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें से 3 संभावित की विशेष जांच की गई। जबकि स्वास्थ्य कार्यकर्ता में से 309 लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें किसी तरह का लक्षण नहीं मिला। इन समूहों में सभी संभावितों की रिपोर्ट निगेटिव रही”।
16 टीमों के द्वारा चलाया गया सर्वे अभियान
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जेपी मेश्राम ने बताया,“ 11 जनवरी से 12 फरवरी तक ‘’ इस विशेष टीबी रोगी खोज अभियान के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 16 टीमें बना थीं। प्रथम चरण टीबी रोगी की खोज के लिए प्रत्येक टीम में 4 सदस्य थे।
पंजीकरण और इलाज पर जोर
क्षय रोगी खोजी अभियान में लोगों को यह भी बताया गया कि अगर उनके यहां किसी का क्षय रोग का इलाज चल रहा है तो उनको क्षय रोग कार्यालय में पंजीकृत कराएं। ताकि उन्हें बेहतर दवाएं निशुल्क मिलें और उनका इलाज करने के साथ ही उन्हें पोषण भत्ता दिलाया जा सके।जिले में वर्ष-2020 में शासकीय अस्पताल से 786 हितग्राही को 10.50 लाख रुपए व निजी अस्पताल के 113 हितग्राही को 1.90 लाख रुपए सहित कुल 899 टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपए की राशि 6 माह तक हर महिने हितग्राही के खाते में आन लाइन जमा करायी गयी है।
यहाँ कराएं जांच
जिले के डीएमसी में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 2 निजी अस्पताल में टीबी जांच की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा उच्च स्तरीय जांच के लिए जिला क्षय नियंत्रण केंद्र में सीबीनॉट मशीन से जांच की सुविधा उपलब्ध है। वर्ष 2020 में शासकीय संस्था से 524 टीबी के नये मामले सामने आये थे । वहीं प्राइवेट संस्था से 216 नये टीबी के केश खोजे गयेथे।
ऐसे लक्षण दिखे तो जांच जरूरी
दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी का आना। खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना। वजन घटना। बुखार, सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार, रात में बेवजह पसीना आना। कम भूख लगने जैसी जैसी शिकायत है तो एक बार अपनी जांच जरुर करा लें। समय पर इलाज हो जाने से टीबी ठीक हो सकता है।टीबी खोजी दल में जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. भूमिका वर्मा, जिला कार्यक्रम समन्वयक सत्येन्द्र कुमार साहू व सायरा खान, सीनियर लैब सुपरवाईजर सुप्रिया मिंज, सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाईजर अल्पना कलिहारी, लोकेश ध्रुव , मनेश निर्मलकर, लीना मंडावी, पुखराज चांहदे, टीबी चैम्पियन यामिनी मेश्राम व हिरामन साहू शामिल रहे ।
-
ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ नेहा गंगेश्वरी ने दिया सीएचओ को प्रशिक्षण
बेमेतरा : राष्ट्रीय बधिरता रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर में कार्यरत कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसरको एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया।हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के 26 सीएचओ का प्रशिक्षण सीएमएचओ कार्यालय स्थित हॉल में आयोजित किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एस के शर्मा के निर्देशानुसार प्रशिक्षण कार्यक्रम बलौदाबाजार जिला अस्पताल की ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ नेहा गंगेश्वरी के द्वारा दिया गया।
प्रशिक्षण देते हुए ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ नेहा गंगेश्वरी ने बताया, स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलायाजा रहाबधिरता रोकथाम कार्यक्रम आने वाले समय में सभी के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इसके जरिये जन्म के समय में ही कुछ सावधानी बरतने से बहुत हद तक इस तरह की दिव्यांगता से बचा जा सकता है”।
प्रशिक्षण में मुख्य रूप से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में आने वाले मरीजों को बधिरता कार्यक्रम के प्रति जागरूकता लाने के दृष्टि कोण एवं कान की देखभाल एवं बचाव के लिए आवश्यक उपायो को लेकर जानकारी दी गयी । डॉ नेहा गंगेश्वरी ने बताया, “जन्म के समय ही बच्चों में कान सुनाई नहीं देने जैसे लक्षणों को देखते हुए उनका तुरंत समुचित इलाज किये जाने से बधिरता और गूंगेपन जैसी समस्याओं को जल्द से जल्द ठीक किया जा सकता है”।
ऑडियोलॉजिस्ट गुलनाज खान ने बताया, “बच्चों के तुतलाने पर स्पीच थेरपी दिया जाता हैं। बुजुर्गों में उम्र बढ़ने के साथ हियरिंग लॉस होने पर मशीन वितरण किया जाता है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों को सुनाई नही देने पर सर्जरी के लिए मेकाहारा में रेफर किया जाता है।
प्रशिक्षण में सीएचओ को बताया गया कि सुनाई नहीं देने की समस्या वाले मरीजों को हेल्थ एवं वेलनेससेंटर से चिन्हांकित कर जिला अस्पताल रेफर किया जाए। उन्होंने बताया आगामी 3 से 10 मार्च तक विश्व कर्ण सप्ताह मनाया जाएगा। उक्त प्रशिक्षण में नोडल अधिकारी डॉ बुद्धेश्वर वर्मा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक अनुपमा तिवारी, ऑडियोलॉजिस्ट गुलनाज खान व जिला प्रशिक्षण अधिकारी सागर शर्मा उपस्थित रहें। -
दुर्ग : नेशनल रिफरेंस लेबोरेटरी (एनआरएल) की 6 सदस्यीय टीम एवं स्टेट टीबी सेल ने राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत चलाये जाने वाले कार्यक्रमों का जायजा लिया । इस दौरान उन्होने टीबी मरीजों की शीघ्र जांच के लिए स्थापित किये गए सीबीनॉट लैब केंद्रों में जाकर कर्मचारियों से जानकारी हासिल की।
टीम द्वारा जिले के सीबीनाट भिलाई, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र धमधा व जिला क्षय अस्पताल दुर्ग का भ्रमण किया गया । टीम द्वारा भ्रमण के दौरान सीबीनॉट रजिस्टर व लैब रजिस्टर कानिरीक्षण किया गया साथ ही मरीज से सम्बंधित सभी जानकारियों को खाली कालम में भरने के निर्देश दिए ।
टीम द्वारा रायपुर के लालपुर स्थित आईआरएल लैब में कम्यूनिटी वालेंटियर यानी टीबी मितान के माध्यम से 48 घंटे के भीतर सेक्टर -9 अस्पताल और जिला अस्पताल से मरीजों का सेम्पल स्पुटम भेजने के निर्देश दिये गये ।साथ ही टीम द्वारा जिले के पदों को तत्काल भरने का निर्देश दिया गया । साथ ही टीम द्वारा टीबी रोग उन्मूलन के लिए किये जा रहे कार्यों की सराहना भी की गई ।
देश भर में वर्ष - 2025 तक टीबी मिटाने के उद्देश्य से "टीबी हारेगा देश जीतेगा अभियान" के अंतर्गत समय समय पर सभी जिलों में सक्रिय टीबी रोगी खोज अभियान चलाया जा रहा है।इसके अंतर्गत दुर्ग जिले के हाई रिस्क एरिया में ग्रामीण और शहरी मलिन बस्तियों को लक्षित कर के श्रमिकों, वृद्वाआश्रम, रैन बसेरा व जेल के कैदियों के बीच जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 14 जनवरी से 15 फरवरी तक 2.33 लाख से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग की थी। इनमें 2,383 संभावितों की सेम्पल जांच में से 53 लोगों में क्षय रोग की पुष्टी हुई है।
टीम में राज्य स्तर के माइक्रो बायोलॉजिस्ट निशान्त मेश्राम, डब्लूएचओ कंसल्टेंट रोचक सक्सेना, एनआरएस ( नेशनल रिफरेंस लेबोरेटरी ) टीम के अरुण कुमार, पूजा कुमारी व जिला टीवी कार्यक्रम के मेडिकल ऑफिसर विनायक मेश्राम, विमल वर्मा, टीबीएचबी सुदेश बाबर, लैब सुपरवाइजर भूषण साहू , लैब टेक्नीशियन मधु तिवारी, डॉट प्लस सुपरवाइजर टीकम जाटवर व अन्य कर्मचारी उपस्थित थे। -
कोविड टीकाकरण में महिलाएं पुरुषों से आगे
रायपुर : राज्य में कोरोना वैक्सीनेशन का दूसरा चरण चल रहा है जिसमें फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण किया जा रहा है| इस चरण के सोमवार तक के आंकड़ों पर गौर करें तो बेमेतरा जिले के फ्रंटलाइन वर्कर्स ने सबसे अधिक वैक्सीनेशन कराया है|यहाँ पर 2,904 लक्षित फ्रंटलाइन वर्कर्स के सापेक्ष 2,133 फ्रंटलाइन वर्कर्स का वैक्सीनेशन कराया गया है यानि कुल 73 प्रतिशत ने यहाँ पर कोरोना की वैक्सीन लगवाई है जो प्रदेश के सभी जिलों में सबसे अधिक है|
वहीँ बालोद इस मामले में दूसरे स्थान पर, रायगढ़ तीसरे पर, महासमुंद चौथे एवं कवर्धा पांचवे स्थान पर है | बालोद में कुल लक्ष्य 4,754 के सापेक्ष 3,378 लोगों ने कोविड की वैक्सीन लगवायी है अतः यहाँ पर 71 प्रतिशत लोगों को कवर किया गया है वहीँ रायगढ़ में 67 प्रतिशत, महासमुंद 62 प्रतिशत एवं कवर्धा में 58 प्रतिशत फ्रंटलाइन वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया जा चुका है |
राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ अमर सिंह ठाकुर ने बताया, “दूसरे चरण में राज्य में लगभग 2.11 लाख फ्रंटलाइन वर्कर्स के वैक्सीनेशन का लक्ष्य रखा गया है इसके सापेक्ष सोमवार तक 67,798 लोगों को कोविड वैक्सीन दी जा चुकी है यानि कि लगभग 32 प्रतिशत लोगों को अब तक कवर किया जा चुका है और अभी तक किसी में भी इसका प्रतिकूल प्रभाव देखने को नहीं मिला है।कोविड-19 टीकाकरण पूर्णता सुरक्षित है इससे किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। फिलहाल फ्रंट लाइन वर्कर्स और छूटे हुए स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लग रहा है। टीकाकरण को लेकर किसी भी प्रकार की अफवाह पर ध्यान न दें। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लोगों को टीके के बारे में निरंतर सही जानकारी उपलब्ध कराई जा रही है”।
कोविन डैशबोर्ड के मुताबिक राज्य की है यह स्थिति
कोविन डैशबोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कुल 1,074 सेशन साईट बनायीं गयीं हैं जिनपर अब तक 9,286 सेशन आयोजित किये जा चुके हैं| वहीँ अब तक कुल 4.88 लाख लाभार्थियों को पंजीकृत किया जा चुका है जिसके सापेक्ष 2.84 लाख लाभार्थियों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है |
कोविड वैक्सीनेशन के मामले में महिलाएं पुरुषों से आगे
कोविन डैशबोर्ड के अनुसार कोविड वैक्सीनेशन कराने के मामले में महिलाएं पुरुषों से काफी आगे हैं| अब तक कुल 1.71 लाख महिलाओं द्वारा वैक्सीनेशन कराया गया है वहीँ 1.13 लाख पुरुषों के द्वारा कोविड वैक्सीनेशन कराया गया है यानि कि पुरुषों की अपेक्षा लगभग 20 प्रतिशत अधिक महिलाओं ने कोविड वैक्सीनेशन कराया है | -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवादुर्ग : राष्ट्रीय कुष्ठ उन्नमूलन कार्यक्रम के अंतर्गत नगर निगम क्षेत्र में कुष्ठ मरीजों की खोज के लिए हेल्दी कांटेक्ट अभियान आज से शुरुकिया गया है।कुष्ठ रोगी विशेष खोज “आगाज-2021”के तहत आज से नगर निगम क्षेत्र के वार्डों में जहां एमबी के प्रभावित कुष्ठ रोगियों के संपर्क में आने वाले 20-20 घरों में हेल्दी कांटेक्ट अभियान शुरु किया गया है।
“हेल्दी कांटैक्ट अभियान’’में पिछले तीन सालों में दुर्ग शहरी क्षेत्रों में मिले एमबी के 90 कुष्ठ मरीजों के आसपास के 1,800 घरों में एनएमए व मितानिनों द्वारा जांच की जा रही है।“हेल्दी कांटैक्ट अभियान’’में नॉन मेडिकल अस्सिटेंट (एनएमए) की 3 टीमें हर दिन परिवार के मुखिया से संपर्क करेंगे। “आगाज-2021” को सफल बनाने के लिए मुखिया द्वारा ही परिवार के प्रत्येक सदस्य के शरीर में दाग व धब्बों की पहचान कर पीईपी की दवाईयां खिलाई जाएगी।इससे पहले नगर निगम की16 घनी बस्तियों में चर्म रोग निदान शिविर आयोजित कर 10 नए कुष्ठ मरीज चिंहाकित किए गए थे । शहरी क्षेत्र में 5 से 13 फरवरी तक चले इस अभियान में बघेरा, पुलगांव, उरला, कंडरापारा, बोरसीभांठा, कुंदरापारा, करहीडीह, शक्ति नगर, सिकोला बस्ती, तितुरडीह, रायपुरनाका, डिपरापारा, राजीवनगर, उत्कलनगर, चांदमारी आजादपारा व उरला बाम्बे आवास में आयोजित शिविर में 3 एमबी व 7 पीबी के मरीज खोजे गए थे।
शिविर में चमड़ी पर सुन्न दाग, धब्बे जिसमें जलन, चुभन व पीड़ा का एहसास न होता हो, ऐसे दाग, धब्बों की जांच एवं परामर्श कर लगभग 996 मरीजों को निशुल्क इलाज का लाभ मिला। शिविर में जिला अस्पताल की चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ मोनिका जैन द्वारा हाथ पैर में झुनझुनी, सुखापन, दाद, खाज, खुजली, बेमची, अपरस, झीला सहित चर्म रोगों के मरीजों का शिविर में इलाज किया गया।
इस बारे में जिला कुष्ठ अधिकारी डॉ अनिल कुमार शुक्ला ने बताया, “हेल्दी कांटैक्ट अभियान’’के पहले दिन आज दो टीमों द्वारा लगभग 100 घरों में संपर्क किया गया। प्रत्येक टीम द्वारा एक दिन में 50 घरों में सर्वे किया जाएगा। टीम में एनएमए सीएल मैत्री, एसडी बंजारे, पीआर बंजारे, आरपी उपाध्याय, एके पांडेय, शारदा साहू, अजय देवांगन , एमके साहू व जाकीर खान सहित रिटायर्ड एनएमए को भी टीम में शामिल किया गया”।
डॉ शुक्ला ने बताया, “जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. गंभीर सिंह ठाकुर के मार्गदर्शन में कुष्ठ के प्रति जनजागरुकता लाने व त्वरित निदान व उपचार के लिए मरीजों को चिन्हांकित किया जा रहा है।ताकि संक्रमण के लक्षण में ही रोग की पहचान कर शरीर को विकृत होने से बचाया जा सके इसके लिए और इसके लिए सुरक्षित चर्म रोग निदान शिविर आयोजित कियाजा सके।मितानिन द्वारा गृहभ्रमण कर चिंहांकित लोगों की स्क्रीनिंग स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा की जा रही है।“मेरा शहर कुष्ठ मुक्त शहर” की परिकल्पना को साकार करने को शहर में “हेल्दी कांटैक्ट’’कर कुष्ठ की नए मरीजों की खोज की जा रही है”। -
भारत से क्षय रोग को 2025 तक पूर्ण रुप से समाप्त करने के उद्देश्य से चलाए गए विशेष क्षय रोगी खोजी अभियान में 8 क्षय रोगी मिले हैं । ग्रामीण और शहरी मलिन बस्तियों को लक्षित करके चलाए गए इस अभियान में कुल 26,589 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी थी । साथ ही 705 संभावित व्यक्तियों की जांच की गई। जिसमें से 8 लोगों में टीबी की पुष्टी हुयी है जिनका पंजीकरण कर इलाज शुरू कर दिया गया है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल ने बताया ‘‘ ज़िले में सघन क्षय रोगी खोज अभियान जो कि विशेष रुप से जिले के शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती, खदान क्षेत्र, प्लांट क्षेत्र, अनाथ आश्रम एवं वृद्ध आश्रम, हाई रिस्क क्षेत्र, जेल (महिला एवं पुरुष ) गिट्टी खदान क्षेत्र, राईस मिल क्षेत्र, में चलाया गया था ।उन्होंने कहा जिले के शहरी और ग्रामीण मलिन बस्ती क्षेत्र में कुल 18,072 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी ।
जिसमें 456 संभावित की विशेष जांच की गई उसमें से 6 लोगों में क्षय रोग के लक्षण मिले है ।वही खदान क्षेत्र में कुल 4,772 लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 209 संभावित की विशेष जांच की गई उसमें से 2 लोगों में क्षय रोग के लक्षण मिले है ।टीम द्वारा हाई रिस्क क्षेत्र में 135 लोगों की स्क्रीनिंग की गई थी जिसमें 14 संभावित लोगों की विशेष जांच की गई थी ।
लेकिन किसी में भी टीबी की पुष्टी नहीं हुयी है ।अनाथ आश्रम एवं वृद्ध आश्रम में 245 लोगों की स्क्रीनिंग की गई जिसमें से 24 संभावित लोगोंकी विशेष जांच की गई थी ।किसी में भी लक्षण नहीं पाए गए ।राइस मिल और धान खरीदी क्षेत्रों में भी 3065 लोगों की स्क्रीनिंग की गई जहां पर 2 संभावित की विशेष जांच की गई किसी में भी लक्षण नहीं मिले ।जिले में कुल 8 लोगों में लक्षण मिले हैं जिनका नियमित रूप से निशुल्क इलाज शुरू कर दिया गया है ।’’
14 टीमों के द्वारा चलाया गया अभियान
सघन टीबी रोगी खोज अभियान में विभाग ने 14 टीमें लगाई थी । प्रत्येक टीम में 4 से 5 सदस्य रखे गये थे ।टीबी सुपरवाइजर,मितानिन, आंगनवाडी कार्यकर्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्थानिय एनजीओ कार्यकर्ताओं का भी विशेष सहयोग रहा है , इस दौरान 8 नए लोगों में टीबी की पुष्टि भी हुई है।
पंजीकरण और इलाज पर जोर
क्षय रोगी खोजी अभियान में यह भी बताया जा रहा है कि अगर उनके यहां कोई भी क्षय रोग से सम्बन्धित किसी का इलाज चल रहा है तो उनको क्षय रोग कार्यालय में पंजीकृत कराएं। ताकि उन्हें बेहतर दवाएं निशुल्क मिलें और उनका इलाज करने के साथ ही उन्हें पोषण भत्ता दिलाया जा सके।
ऐसे लक्षण दिखे तो जांच जरूरी
दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी का आना। खांसी के साथ बलगम और बलगम के साथ खून आना। वजन घटना। बुखार, सीने में दर्द, शाम के समय हल्का बुखार, रात में बेवजह पसीना आना।कम भूख लगने जैसी जैसी शिकायत है तो एक बार अपनी जांच जरुर करा लें। समय पर इलाज हो जाने से टीबी ठीक हो सकता है। -
तंबाकू के विषय पर जनपद पंचायत धरसीवां के सभा कक्ष में विकासखंड स्तरीय समन्वय समिति की बैठक और पंचायत सचिवों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। कार्यक्रम की अध्यक्षता मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत धरसीवां वीरेंद्र जायसवाल द्वारा की गयी ।
प्रशिक्षण के दौरान राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की जिला सलाहकार डॉ.सृष्टि यदु ने बताया, “पंचायत सचिवों के प्रशिक्षण में विशेष रुप सेमास्टर ट्रेनर्स सह असिस्टेंट प्रोफेसर सीबीटीएस ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस (एम्स)रायपुर केडॉ.प्रीतम साहनी ने तंबाकू और तंबाकू से होने वाली हानियां के बारे में पंचायत सचिवों को प्रशिक्षण दिया ।
साथ ही उन्होंने जिला अस्पताल में स्थापित स्पर्श क्लीनिक के नशा मुक्ति केंद्र के बारे में भी विस्तार से बताया, उन्होंने बताया, केंद्र पर तंबाकू और अन्य प्रकार के नशा से मुक्ति के लिए व्यवस्था की गई है।साथ ही वहां पर नियमित रूप से इलाज भी किया जाता है एवं मरीज की पहचान गुप्त रखी जाती है । और नशा मुक्ति उपरांत व्यक्ति को समाज में पुनः स्थापित होने में मदद मिलती है ।
डॉ. यदु ने कहा,“मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत वीरेंद्र जायसवाल ने बैठक में निर्देश दिया कि विकासखण्डधरसीवांके सभी शासकीय कार्यालय को तंबाकू मुक्त बनाया जाना है । क्षेत्र के सभी स्कूलों में तंबाकू मुक्त शिक्षण संस्थान का बोर्ड लगाया जाना अनिवार्य है । साथ ही सिगरेट व अन्य तंबाकू नियंत्रण अधिनियम 2003(कोटपा अधिनियम)की धाराओं के उल्लंघन के तहत धरसीवांपुलिस चालानी की कार्रवाई में मदद करेगा” ।
साथ ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने विकासखण्डधरसीवां में तंबाकू नियंत्रण के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर हर हफ्ते सभी विभाग से रिपोर्टिंग करने को कहा है । जिसका दायित्व धरसीवांजनपद पंचायत से नीरा साहू ब्लॉक कोऑर्डिनेटर और स्वास्थ्य विभाग से डॉ विकास अग्रवाल सभी विभागों से समन्वय करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जनपद पंचायत धरसीवां के लिए नीरा साहू को टब्बैको का नोडल अधिकारी मनोनीत किया गया।
कार्यक्रम में पुलिस, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य एवं पंचायत विभाग के अलावा अन्य विभाग के 40 अधिकारी और कर्मचारियों के साथ ही विकासखंड कार्यक्रम प्रबंधक जुबैदा,बीएमओ डॉ एनके लकडा,दंत चिकित्सक डॉ विकास अग्रवाल भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम को सफल बनाने मे राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ की सोशल वर्कर नेहा सोनी, काउंसलर अजय बैस का सहयोग रहा । -
प्रदेश में कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए ‘’स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’’ का आयोजन किया जा रहा है जिसके तहत ज़िले के विकासखण्ड आरंग, अभनपुर,धरसीवां और तिल्दा में प्रचार प्रसार कर कुष्ठ पहचान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं ।साथ ही शहरी वार्ड और ग्राम पंचायत एवं आश्रित ग्रामों में ‘’स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’’ के लिये ग्राम सभा, भी आयोजित की जा रही है ।
अभियान की जानकारी देते हुए नोडल अधिकारी डॉ.अनिल परसाई ने बताया,“महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में 30 जनवरी से 13 फरवरी 2021 तक ”स्पर्श कुष्ठ जागरुकता पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है lलोगों तक कार्यक्रम की जानकारी पहुँचाने के लिए प्रचार प्रसार के माध्यम का सहारा लिया जा रहा ताकि इसके प्रति भय और भ्रांतियों को दूर किया जा सके।इसके लिए शहरी वार्डों एवं समस्त ग्राम पंचायतों में माइक्रो प्लान बनाकर प्रत्येक ग्राम सभा में स्वास्थ विभाग की ओर से बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एनएमए) महिला एवं पुरुष , मितानिने और मितानिन प्रशिक्षक समस्त बहुउद्देशीय स्वास्थ्य पर्यवेक्षक (महिला एवं पुरुष) विभागीय कार्यकर्ताओं द्वारा ग्राम सभा में ‘’स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’’विषय पर परिचर्चा की जा रही है ।
कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिये लक्ष्य प्रति दस हजार की जनसंख्या में एक या एक से कम लाने का प्रयास भी किया जा रहा। इसके लिए कुष्ठ रोग विभाग की एनएमए की टीम घर-घर जाकर लोगों में लक्षण नजर आने पर जांच कर रही है ।साथ ही 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान को व्यापक स्तर से चलाने हेतु ग्राम सभाओं का आयोजन, वॉल पेंटिंग और प्रचार–प्रचार किया जा रहा है । इस दौरान अनिवार्य रूप से कोविड-19 गाइडलाइन का अनुपालन किया जा रहा है।
डॉ. परसाई ने कहा “कुष्ठ से प्रभावित दो तरह के मरीजों के होने की संभावना देखी जाती है। एक मल्टीबेसिलरी और दूसरा पोसिबेसिलरी। मल्टीबेसिलरी मरीज को 12 माह और पोसिबेसिलरी मरीज को छह माह तक दवा लेनी होती है।हमारे समाज में आज भी अंधविश्वास के कारण कई लोग पूर्व जन्म का पाप मानते हैं ऐसे छुपे हुए रोगी ही कुष्ठ रोग का प्रसार करते हैं, जबकि यह बीमारी एक जीवाणु (लेप्रा बेसीलाई) के कारण होता है।कुष्ठ रोग के कारण प्रभावित अंगों में अक्षमता एवं विकृति आ जाती है, इसलिए छुपे हुए केस को जल्दी से जल्दी खोज कर एवं जांच उपचार कर कुष्ठ रोग का प्रसार रोका जा सकता है और सामाज को कुष्ठ मुक्त कर सकते हैं”।
-
कोरोनावायरस महामारी के दौर में संक्रमण से बचने केलिए फेस मास्क का उपयोग पिछले एक साल में सबसे बड़ी सार्वजनिक चर्चा और राजनीतिक बहस का विषय रहा है। मास्क का उपयोग किया जाए या नही और किस परिस्थिति में किया जाए – यह इस चर्चा से जुड़े कुछ मुद्दे हैं।आम तौर पर श्वसन संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के सांस लेने, बोलने, खाँसने और छींकने के दौरान निकालने वाली संक्रमित बूंदों के ज़रिये फैलता है जिसके प्रसार को मुँह पर मास्क पहनकर कम किया जा सकता है।
इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईजेएमआर) में प्रकाशित हुए संस्करण 'फेस मास्क - कोविड-19 के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक ज़रूरी हथियार’ - में कहा गया है कि मास्क संक्रमित बूंदों के प्रसार को रोकने के अलावा बेहद सस्ते, उपयोग में आसान और खासकर भीड़-भाड़ वाली जगहों के लिए काफी प्रभावी हैं।
हांलाकि मास्क पहनना शारीरिक दूरी और हाथों की स्वच्छता के लिए एक विकल्प के तौर पर नहीं है पर यह उन परिस्थितियों में बेहद असरदार साबित हो सकते हैं जहां शारीरिक दूरी बनाए रखना मुश्किल हो।
वर्तमान माहौल में जब लोग बचाव के उपाय अपनाते हुए ऊब गए हैं, आपके चेहरे पर मास्क दूसरों इसकीअहमियत याद दिलाने में मदद कर सकता है। इस प्रकार मास्क पहनने वाले लोग न केवल दूसरों पर भी इसके लिए दबाव बना सकते हैं बल्कि सामाजिक परिवर्तन का ज़रिया भी बन सकते हैं।इसलिए उचित होगा कि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति सार्वजनिक स्थानों पर उचित मास्क ज़रूर पहने। मास्क का उपयोग आगे आने वाले कुछ समय तक जारी रखना होगा क्यूंकि कोविड-19 का टीका आने के बाद भी वैक्सीन से प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने में अभी समय लगेगा।
.बीमारी की रोकथाम के लिए सामुदायिक स्तर पर मास्क का उपयोग सबसे पहले पूर्वोत्तर चीन के मंचूरियन प्लेग (1910-1911) के समय किया गया था। इस महामारी के दौरान बीमारी से बचाव में जुटी टीम ने अनुभव किया कि इस बीमारी का प्रसार हवा के माध्यम से हो सकता है और इसलिए मरीजों को क्वारंटाइन करने के अलावा लोगों को पतले कपड़े या पट्टी से बने मास्क (गौज़ मास्क) पहनने की सलाह दी गई।
.कुछ साल बाद 1918 के इन्फ्लूएंजा महामारी, जिसे स्पैनिश फ्लू भी कहा जाता है, के दौरान पश्चिमी देशों में कई परतों वाले कपड़े के मास्क के उपयोग को बढ़ावा दिया गया। लेकिन खराब गुणवत्ता और कुछ हद तक लोगों द्वारा मास्क का उपयोग न करने की वजह से यह कुछ खास प्रभावी साबित नहीं हुआ।
.लगभग एक सदी बाद, संक्रामक रोगों के बारे में जानकारी बढ्ने के साथ ही सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स), मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (मर्स) और अब कोविड-19 के खिलाफ बचाव में मास्क सबसे अहम हथियार बन गए हैं।
भारत में 30 जनवरी 2020 को कोविड-19 की पहली दस्तक के बाद यात्रा प्रतिबंधों से संबंधित जारी एड्वाइज़री, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विदेश से आने वाले यात्रियों की स्क्रीनिंग, उड़ानों पर प्रतिबंध और 24 मार्च से राष्ट्रीय लॉकडाउन जैसे उपायों द्वारा कोविड-19 के प्रसार को रोकने की कोशिश की गई। इसके अलावा सार्वजनिक रूप से मास्क के उपयोग को भी प्रोत्साहित किया गया।
संस्करण के अनुसार, राष्ट्रीय सीरोलॉजिकल सर्वेक्षण के तीसरे चरण के आंकड़ों का एक प्रारंभिक विश्लेषण बताता है कि संक्रमण अब तक एक-चौथाई से अधिक आबादी में नहीं फैला है और इसलिए लोगों में हर्ड ईम्यूनिटी विकसित होने में अभी समय लगेगा ।
मास्क पर्यावरण में संक्रमित बूंदों के प्रसार को रोकने में मदद करते हैं। आमतौर पर बाज़ार में तीन प्रकार के मास्क उपलब्ध हैं: (i) कोविड-19 – कपड़े के मास्क , (ii) मेडिकल मास्क और (iii) रेस्पिरेटर मास्क (एन95 और एन99)। विश्व स्वास्थ्य संगठन आम लोगों को कपड़े के मास्क जबकि कोविड-19 उपचारधीनों, उच्च जोखिम वर्ग के लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मेडिकल या रेस्पिरेटर मास्क पहनने की सलाह देता है।
कपड़े के मास्क मोटे कणों को सांस के साथ बाहर जाने से रोकते हैं और छोटे कणों के प्रसार को भी सीमित करते हैं। कई परतों वाला कपड़े का मास्क सांस से निकलने वाले कणों को 50 से 70 प्रतिशत तक फिल्टर कर लेता है। कपड़े के मास्क की प्रभावशीलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जैसे कि कपड़े का प्रकार, परतों की संख्या और मास्क का चेहरे पर फिट। मोटे कपड़े से बना कम से कम तीन परतों वाला कपड़े का मास्क पहनना सबसे उपयुक्त माना गया है।
सूती मिक्स या अन्य मिले-जुले कपड़े जैसे सूती-रेशम या सूती-शिफॉन से बने मास्क बेहतर होते हैं क्योंकि सूती कपड़े के मुकाबले इनकी फिल्टर करने की क्षमता अधिक होती है। मास्क की बाहरी परत जल-प्रतिरोधी (हाइड्रोफोबिक) कपड़े जैसे पॉलिएस्टर या सूती-पॉलिएस्टर मिक्स की होनी चाहिए जिससे वातावरण में मौजूद बूंदें उसमें न समाएँ।बीच की परत भी जल-प्रतिरोधी जैसे पॉलीप्रोपाइलीन कपड़े की होनी चाहिए, लेकिन सबसे अंदर की परत जल-शोषक (हाइड्रोफिलिक) होनी चाहिए जिससे वह नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों को सोख ले और वह वातावरण में न जा पाएँ।
मास्क के उपयोग कब तक किया जाए और उसे कब बदला जाए यह इसपर निर्भर करता है कि मास्क किस प्रकार का है। कपड़े के मास्क को इस्तेमाल के तुरंत बाद या रोज़ साबुन और गर्म पानी से धोना चाहिए।मेडिकल मास्क को केवल एक बार ही इस्तेमाल करना चाहिए जबकि रेसपिरटर मास्क को संसाधनों की कमी के चलते सावधानी के साथ साफ करके दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
मास्क प्रभावी हो इसके लिए ज़रूरी है कि इसका उपयोग उचित तरीके से किया जाए। हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि केवल 44 प्रतिशत भारतीय ही दिशा-निर्देशों के अनुसार मास्क को सही तरीके से पहन रहे हैं। कुछ लोगों को मास्क पहनने के बाद असुविधा और साँस लेने में कठिनाई भी हुई।
विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 संक्रमण के अलावा मास्क अन्य तरह के श्वसन संक्रमण जैसे इन्फ्लूएंजा और टीबी को भी फैलने से रोकने में मददगार हैं। इसलिए उनका उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है। -
विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर ट्रैफिक पुलिस को मुख कैंसर से बचने और दूसरों को बचाने के लिए एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें लोगों को धूम्रपान करने से बचने की सलाह दी गई और मुख कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी दी गई| लक्षण होने पर उपचार के लिए कहाँ जाना है इसके बारे में भी बताया गया|
संगोष्ठी में 90 ट्राफिक पुलिस के जवानों ने भाग लिया और एडिशनल एसपी ट्रैफिक, एमआर मंडावी, असिस्टेंट प्रोफेसर शासकीय दंत चिकित्सा रायपुर, डॉ.शिल्पा जैन और असिस्टेंट प्रोफेसर सीबीटीएस एम्स डॉ.प्रीतम साहनी मौजूद रहे ।
जिला सलाहकारडॉ सृष्टि यदु ने संगोष्ठी पर जानकारी देते हुए बताया कि इसमें मुख कैंसर के बारे में जानकारी दी गई और रोग होने पर उपचार के बारे में जानकारी दी गई|उन्होंने यह भी बताया कि नशा मुक्ति के लिए जिला चिकित्सालय, पंडरी में स्थित स्पर्श क्लीनिक से सहायता ली जा सकती है| केंद्र पर उपचार लेने वाले की जानकारी गुप्त रखी जाती है ।
मुख कैंसर संगोष्ठी का आयोजन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मीरा बघेल और ज़िला कार्यक्रम प्रबंधक मनीष कुमार मैजरवार मार्गदर्शन में किया गया ।
डॉ.प्रीतम साहनी असिस्टेंट प्रोफेसर सीबीटीएस एम्स ने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुऐ मुख कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी देते हुए कहा त्वचा के नीचे गांठ महसूस होना, वजन अचानक से कम या ज्यादा होना,त्वचा पर जल्दी निशान पड़ जाना,निगलने में कठिनाई होना,मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द होना,घाव का जल्दी ठीक न होना, थकान और कमजोरी महसूस होना, इस प्रकार के कैंसर के लक्षण हो सकते है|इस स्थिति में तुरंत नजदीकी चिकित्सालय में संपर्क कर करना चाहिए और नियमित इलाज करवाना चाहिए। कैंसर की पहचान समय पर हो तो इसका इलाज आसान होता है ।
डॉ.शिल्पा जैन असिस्टेंट प्रोफेसर, शासकीय दंत चिकित्सा ने कहा मुख कैंसर से बचाव के उपाय का आसान तरीका धूम्रपान, तंबाकू, गुटका और शराब के सेवन से बचना| ``आहार में अधिक वसा न लें, नियमित रूप से व्यायाम करें, और शरीर का सामान्य वजन बनाए रखें। अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर से सलाह लें|’’ उन्होंने कहा लोगों में कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे है। -
रायपुर : हर वर्ष 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है |इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कैंसर से बचाव और उसके प्रति जागरूकता पैदाकरना है ताकि समय रहते लोग इसको पहचान सकें और त्वरित उपचार करा कर इस बीमारी से अपना बचाव कर सकें |कैंसर के बारे में लोगों के मन में अनेक भ्रांतियां हैं|इन भ्रांतियों से सम्बंधित तथ्य नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च ने अपने वेबसाईट पर दिए हैं |
इसके अनुसार-
भ्रान्ति : कैंसर एक संक्रामक बीमारी है |
तथ्य : कैंसर संक्रामक बीमारी नहीं हैं | कुछ कैंसर बैक्टीरिया और वायरस जनित होते हैं जैसे सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपिलोमावायरस, लिवर कारक कैंसर हिपेटाइटिस बी और सी |
भ्रान्ति : अगर व्यक्ति के परिवार में किसी को कैंसर नहीं है या पहले किसी को नहीं हुआ तो उसको भी कैंसर नहीं होगा |
तथ्य : यह जरूरी नहीं है | केवल 5 से 10 फीसद कैंसर आनुवंशिक होते है जबकि कुछ कैंसर व्यक्ति के पूरे जीवन में जेनेटिक परिवर्तनों के कारण होते हैं और कुछ पर्यावरण के कारण जैसे रेडियेशन और खाने की आदतों जैसे तम्बाकू का सेवन से होते हैं |
भ्रान्ति : परिवार में किसी को कैंसर हुआ है तो आपको कैंसर अवश्य होगा |
तथ्य : परिवार में कैंसर होना उसके सदस्यों में कैंसर को विकसित करने की सम्भावना को बढ़ा देता है | केवल 5 से 10 फीसद कैंसर जींस में हानिकारक म्यूटेशन के कारण होते हैं जो व्यक्ति को उसके पूर्वजों से मिलते हैं |
भ्रान्ति : सकारात्मक विचार रखने से कैंसर से आप बच जायेंगे |
तथ्य : सकारात्मक विचार आपके जीवन की गुणवत्ता को तो बढ़ा सकतेहैं लेकिन इसका ऐसा को वैज्ञनिक प्रमाण नहीं है जिससे यह पता चले की इससे कैंसर का उपचार होता है |
भ्रान्ति : यदि व्यक्ति को कैंसर हुआ है तो उसकी मृत्यु शीघ्र हो जाएगी |
तथ्य : ऐसा नहीं है|यदि प्रारम्भिक स्टेज में कैंसर की पहचान हो जाती है तो बचाव की दर बढ़ जाती है | वास्तव में बहुत से लोग 5 साल या उससे भी अधिक वर्ष तक जीवित रहते हैं जिनमें कैंसर की पहचानजल्दी हो जाती है |
भ्रान्ति : बुज़ुर्ग लोगों के लिए कैंसर का इलाज उपयुक्त नहीं है |
तथ्य : ऐसा नहीं है| वास्तविकता यह है कि कैंसर के इलाज की कोई आयु सीमा नहीं है |
भ्रान्ति :सेल फोन और सेल फोन के टावर्स कैंसर फैलाते हैं |
तथ्य : यह भी विवादित है कि सेल फोन के टावर्स से निकालने वाले रेडीऐशन से कैंसर होता हैं | कैंसर जींस में म्यूटेशन के कारण होता है| सेल फोन्स से लो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा की किरणें निकलती हैं जो कैंसर का कारण नहीं हैं |
भ्रान्ति :हर्बल उत्पादों से कैंसर का इलाज होता है |
तथ्य : कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कीमोथेरेपी के साइड इफ्केट्स में हर्बल उत्पादों के उपयोग की सलाह दी जाती है लेकिन ऐसा कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है जिसमें कैंसर के इलाज में हर्बल उत्पाद का उपयोग होता है |
भ्रान्ति : हेयर डाई और एंटीपर्सपिरेंट्स से कैंसर हो सकता है |
तथ्य : ऐसे कोई वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है जिनसे यह ज्ञात हो कि उपरोक्त पदार्थ कैंसर के विकास में खतरा हैं |
भ्रान्ति : कृत्रिम स्वीटनर, फ्लेवर्स, खाने में डाले जाने वाले रंग वाले पदार्थ के उपयोग से कैंसर हो सकता है |
तथ्य : शोधों से ऐसे कुछ परिणाम सामने नहीं आये हैं जिनसे यह पता चले कि उपरोक्त पदार्थों से कैंसर हो सकता है |
भ्रान्ति : कैंसर दर्द देता है |
तथ्य : अगर कैंसर के बारे में प्रारम्भ में ही पता चला जाता है तो यह कष्टदायी नहीं होता है | अधिकांश केसों में कैंसर सम्बंधित दर्द का इलाज दवाओं और दर्द प्रबंधन विधियों से किया जाता है |
भ्रान्ति : कैंसर से ठीक हुए लोग सामान्य गतिविधियों में प्रतिभाग नहीं कर सकते हैं |
तथ्य : कैंसर के रोगियों को कुछ समय के लिए ही अस्पताल में रहना पड़ता है | वह अपने सभी कार्यों को कर सकते हैं, यहाँ तक कि इलाज के दौरान भी वह अपने सामान्य गतिविधियों को कर सकते हैं | -
सीईओ ने ली ज़िला टास्क फोर्स की बैठक
प्रत्येक बच्चे तक पहुंचाएगे अभियान
रायपुर : रेडक्रास के सभाकक्ष में पल्स पोलियो अभियान को सफल बनाने के लिए जिला पंचायत सीईओ की अध्यक्षता में ज़िला टास्क फोर्स की बैठक आयोजित की गयी ।बैठक मेंस्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं शिक्षा विभाग सहित अन्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे । बैठक में जानकारी दी गयी कि इस बार पल्स पोलियो अभियान 31 जनवरी से 2 फरवरी 2021 के बीच आयोजित किया जायेगा ।
पल्स पोलियो अभियान के अंर्तगत शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की दवा ‘’दो बूंद हर बार पोलियो पर जीत रहे बरकरार’’ मंत्र के साथ पिलाई जायेगी । इसके लिए माइक्रो प्लान तैयार किया जा चुका है ।जिसके तहत टीकाकरण केंद्रों में 31 जनवरी को बूथ में एवं 1 तथा 2 फरवरी को घर-घर जाकर छूटे हुए बच्चो को पोलियो की खुराक दी जाए। ताकि कोई भी बच्चा दवा पीने से वंचित न रहे पाए।
पल्स पोलियो अभियान की जानकारी देते हुए ज़िला टीकाकरण अधिकारी डॉ.अनिल परसाई ने बताया,“इस बार जिले में लगभग 3.42 लाख से अधिक बच्चों का लक्ष्य डायरेक्टरेट आफ हेल्थ सर्विसेज (डीएचएस) से मिला है ।जिले में 1,370 से अधिक बूथ बनाए जाएंगे जिसमें प्रत्येक बूथ पर 4 सदस्यों की टीम रहेगी। इस टीम द्वारा बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाएगी और 1 और 2 फरवरी को किसी कारणवश पोलियो रोधी दवा पीने से छूटे बच्चों को घर-घर जाकर टीम पोलियो रोधी दवा पिलाई जायेगी ।
ज़िला टास्क फोर्स की बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा अंतर विभागीय समन्वय स्थापित कर निर्देशित किया गया है। जिसके तहत विद्युत विभाग पल्स पोलियो अभियान के दौरान सतत विद्युत आपूर्ति बनाए रखेगा ।महिला एवं बाल विकास विभाग आंगनवाड़ी केंद्रों को पोलियो बूथ के लिए खुलवाना और साफ सफाई के साथ-साथ 0 से 5 साल के बच्चों को केंद्र तक लाएगी ।पंचायत विभाग द्वारा जिन भवनों में पोलियो बूथ बनाया गया है, उनको खुलवाना और साफ सफाई की व्यवस्था करवाएगा । नगर निगम और नगर पंचायत शहर में प्रवेश करने वाले नाकों पर लगने वाले पोलियो बूथ के लिए कुर्सी टेबल टेंट की व्यवस्था करेगा ।साथ ही पुलिस विभाग द्वारा बूथ पर सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की जाएगी । पल्स पोलियो अभियान के लिये आवश्यक वाहन व्यवस्था प्रोटोकॉल के माध्यम से की जाएगी
प्रत्येक पांच बूथ पर एक सुपरवाइजर की व्यवस्था की जाएगी जिसमें 274 लोगों व्यवस्था है । प्रत्येक बूथपर 4 टीका कर्मी की व्यवस्था की गई है कुल 5,480 टीकाकर्मी की व्यवस्था की है 40 ट्रांजिट टीमें का गठन किया गया है प्रत्येक टीम में 4 सदस्य होंगे कुल 160 सदस्यों की टीम बनाई गई है । 8 ट्रांजिट पर्यवेक्षकों की व्यवस्था की गई है । 45 मोबाइल टीमों की व्यवस्था की गई है जिसमें कुल 180 सदस्य मौजूद रहेंगे । 9 मोबाइल पर्यवेक्षकों की व्यवस्था कार्यक्रम में की गई है ।
पल्स पोलियो अभियान के बारें में अभी से प्रचार-प्रसार की गतिविधियों को तेज करने के निर्देश मिले हैं। इसके लिए लोगों को शार्ट मैसेज सर्विस (एसएमएस) के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराई जाऐगी।साथ ही दीवार लेखन, बैनर, पोस्टर्स का प्रयोग कर जागरुकता बढाने का काम होगा। अभियान को सुचारू रूप से संचालित करने के बूथ संचालित होंगे, जहां दो पृथक कक्ष एवं शौचालय इस कार्य के लिए आरक्षित रखे जाऐगे।
डॉ. परसाई ने कहा “पल्स पोलियो अभियान को सफल करने के लियें महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी केन्द्रों को भी संचालित किए जाने के लिए भी कहा है।विशेष रुप में हाई रिस्क एरिया, रेल्वे बस्ती, घुमन्तु परिवार, ईंट भट्ठा, अर्बन स्लम आदि का चिन्हांकन एवं पल्स पोलियो के हितग्राही 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों का चिन्हांकन किया जाएगा एवं सभी चिन्हांकित पोलियो बूथ पर पोलियों की दवा निर्धारित समय पर पिलाई जाएगी”।
पूर्व वर्ष की उपलब्धि
पिछले वर्ष 19 जनवरी 2020 को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित पोलियो कार्यक्रम में ओरल पोलियो ड्रॉप (ओपीवी) पिलाने का लक्ष्य 3.42 लाख बच्चों का लक्ष्य था । जिसकी तुलना में3.43 लाख बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलवाई गई थी। जोकि शत-प्रतिशत था। -
स्वास्थ्य विभाग के कोरोना वारियर्स सम्मानित
कोविड-19 दिशा निर्देशों के अनुरूप मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
कोरबा : जिला स्तर गणतंत्र दिवस समारोह कार्यक्रम में, कोरोनावायरस महामारी के विरूद्ध लड़ाई में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करने वाले कोरोना वारियर्स को सम्मानित किया गया। इसमें स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ और सफाईकर्मी भी शामिल थे।
कोरोना महामारी की शुरूआत (मार्च 2020 में ) कोरबा जिला छत्तीसगढ़ में हॉट स्पॉट के रूप में उभरा थाI तभी से स्वास्थ्यकर्मी महामारी नियंत्रण टीम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और महीनों अपने परिवार से दूर कोविड ड्यूटी में तैनात रहे।इनमें एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ. प्रेम प्रकाश आनंद एवं लैब तकनीशियन दिनेश साहू काफी सक्रिय रहे। कई महीनों तक घर से दूर कोरोना की जांच और संक्रमितों के इलाज की वजह से अस्पताल ही इनका घर बन गया था। गणतंत्र दिवस के दिन सम्मान पाकर वह बहुत खुश हैं और दोगुनी उर्जा के साथ कार्य करने के लिए संकल्पित भी हैं।
एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ. प्रेम प्रकाश आनंद ने राज्य स्वास्थ्य संसाधन केन्द्र, रायपुर से विभाग में सेवा की शुरूआत की और आज जिला एपीडेमोलॉजिस्ट के रूप में कोरबा जिला अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।उन्होंने बताया उनकी एक छोटी बेटी हैI जब महामारी नियंत्रण टीम में उनकी ड्यूटी लगी तो उन्हें बेटी की चिंता हुई। स्वास्थ्य कार्यकर्ता के कर्तव्य को ही प्राथमिकता दी और कई महीने तक परिवार से दूर रहे।शुरूआत में दिन-रात टेस्टिंग और लोगों को जागरूक करने के लिए जिले से कुछ लोगों को चुना गया था। उन्होंने बताया उन्हें गर्व है कि विभागीय अधिकारियों ने उन्हें लोगों की सेवा करने का मौका दिया इसलिए विभागीय अधिकारियों को वह धन्यवाद देते हैं। इसी तरह पुरस्कार पाने वाले दिनेश साहू भी दिन रात सेवा दे रहे थे। जिला कलेक्टर द्वारा सम्मान पाकर उन्हें भी काफी खुशी हैं और आगे भी इसी तरह विभागीय कार्य और लोगों की सेवा करने के लिए दृढ़संकल्पि हैं।
सादगी से मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह- कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह सादगी से मनाया गया। परंतु कोविडकाल में अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों की सेवा में तत्पर विभिन्न विभागों के कर्मठ कर्मचारियों कोरोनावारियर्स को सम्मानित किया गया।फुटबॉल ग्राउंड सीएसईबी मैदान में आयोजितत गणतंत्र दिवस समारोह में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास, पिछड़ा वर्ग डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों को प्रशस्ति पत्र और शील्ड देकर सम्मानित किया। सम्मान पाने वाले कर्मियों को धन्यवाद देते हुए उनके बेहतर कार्य की सराहना की। साथ ही उनके उन्नत भविष्य की कामना की।
इन्हें मिला सम्मान- जिला स्तर पर सम्मानित होने वाले स्वास्थ्य कर्मियों में डॉ. प्रिंस जैन, डॉ. प्रीतेश मसीह (एमडी मेडिसीन), डॉ. रूद्रपाल सिंह ( बीएमओ कटघोरा), डॉ. प्रेम प्रकाश आनंद ( एपीडेमोलॉजिस्ट), डॉ. हेमंत पटेल ( आयुष मेडिकल ऑफिसर), लक्ष्मी नेताम, सुस्मिता परीदा स्टाफ नर्स, दिनेश साहू ( एमएलटी), राजेश पैकरा ( फार्मासिस्ट), धर्मेंद्र चुटैल ( सफाईकर्मी), पद्माकर शिंदे (डीपीएम), अशोक सिंह (सीपीएम) एवं डॉ. सी.के.सिहं (डीएचओ) आदि शामिल हैं।
जिला अस्पताल में मना गणतंत्र दिवस- सिविल सर्जन डॉ. अरूण तिवारी के नेतृत्व में जिला अस्पताल कोरबा में गणतंत्र दिवस समारोह सादगी और कोरोना नियमों का पालन करते हुए मनाया गया।इस संबंध में डॉ. अरूण तिवारी ने बताया कोविड-19 को देखते हुए इस वर्ष गणतंत्र दिवस समारोह अलग ढंग से मनाया गया। जिला स्तर पर आयोजित कार्यक्रम में कोरोना वारियर्स को विशेष रूप से आमंत्रित कर उन्हें सम्मानित किया गया है।यह जिले के लिए गौरव की बात है। उन्होंने सम्मानित किए जाने वाले सभी कर्मियों को बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। मौके पर काफी संख्या में स्वास्थ्य कर्मी, अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे। -
(With TNI News Service inputs)
दुर्ग : जिले के निकुम ब्लॉक को धुम्रपान मुक्त बनाने को सभी सरकारी व सार्वजनिक संस्थानों में कोटपा एक्ट 2003 लागू किया जाएगा। अनुविभागीय अधिकारी खेमलाल वर्मा ने सभी विभागों के अधिकारियों को धुम्रपान मुक्त क्षेत्र घोषित करने के निर्देश जारी किये हैं।
सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान से जुड़ा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (विज्ञापन और व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति और वितरण का निषेध अधिनियम, 2003) कोटपा की धारा 4 के तहत कोई भी सार्वजनिक स्थान पर धुम्रपान नहीं करेगा।कोटपा 2003 की धारा 6(अ) के तहत 18 वर्ष से कम उम्र के नाबालिकों को सिगरेट व अन्य तंबाकू उत्पाद का क्रय व विक्रय की अनुमति नहीं होगी। वहीं धारा 6 (ब) के तहत किसी भी शैक्षणिक संस्थानों के आसपास 100 गज की दूरी की परिधी में तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी।
सामाजिक संस्था द यूनियन के संभागीय समन्वयक प्रकाश श्रीवास्तव ने बताया, “धुम्रपान मुक्त ब्लॉक बनाने के लिए Cigarettes and Other Tobacco Products Act, (COTPA) 2003 के तहत कानूनों का कड़ाई से पालन कराते हुए धुम्रपान निषेध का बोर्ड सभी कार्यालयों में लगाया जाएगा साथ ही उसमें यह लिखा रहेगा -“यहां धुम्रपान करना अपराध है” ।
उन्होंने बताया, ब्लॉक के समस्त सिगरेट व तंबाकू उत्पाद बिक्री के दुकानों में बोर्ड लगाया जाएगा साथ ही वहाँ यह भी अंकित रहेगा कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री करना दंडनीय है।इसके लिए नगर निगम, नगर पंचायतों के जिम्मेवार अधिकारियों को छापेमारी करनी होगी और नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना लिया जाना है। शैक्षणिक संस्थानों के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री होने पर 200 रुपए तक जुर्माना विकासखंड शिक्षा अधिकारी द्वारा लगाया जाना है”। .
राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के तहत ब्लॉक स्तरीय समन्वय समिति के सदस्यों की पिछले दिनों बैठक में अनुविभागीय अधिकारी खेमलाल वर्मा ने दुर्ग (निकुम) को धूम्रपान मुक्त ब्लॉक बनाए जाने का संकल्प लिया था। इसके लिए दुर्ग कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने जिले के सभी शासकीय कार्यालयों को तंबाकू मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में कार्य करने का आदेश भी जारी किया है।
तंबाकू के प्रयोग से कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, टीबी, जैसे गैर संचारी रोग होने की संभावना अधिक होती है। सार्वजनिक स्थानों पर धुम्रपान की वजह से आसपास के लोग भी इससे प्रभावित होते हैं। इसलिए सिगरेट एवं अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम के तहत सार्वजनिक स्थानों में धुम्रपान प्रतिबंधित किया जाता है।
शासकीय भवनों में दूसरे व्यक्ति को प्रभावित करने में जीएटीएस-1 ( 2009-10) में 4.7 प्रतिशत से बढकर जीएटीएस-2 ( 2016-17) में 8.7 प्रतिशत दर्ज किया गया है। कोटपा एक्ट के उल्लंघन पर चालानी करने के लिए सभी विभागों के कार्यालयों में नोडल अधिकारी बनाए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जी एस ठाकुर एवं नोडल अधिकारी डॉ आर के खण्डेलवाल के दिशा निर्देशानुसार आज नगर पालिक निगम भिलाई के आयुक्त ऋतुराज रघुवंशी को धूम्रपान निषेध क्षेत्र, तम्बाकू मुक्त संस्था/ परिसर सम्बन्धी पोस्टर भी प्रदान किये गए । इस संबंध में आयुक्त ने भिलाई शहर के सभी मुख्य चौक-चौराहों में तम्बाकू निषेध सम्बन्धी जन जागरूकता संदेश पोस्टर चस्पा करने के निर्देश दिए । -
रायपुर : नशा मुक्ति एवं तंबाकू निषेध को लेकर मितानिन और स्वास्थ्य केंद्र पर आये लाभार्थियों समूह चर्चा (एफजीडी) की गई । समूह चर्चा का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू और नशे से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना था ।इस अवसर परउपस्थित लोगों को मास्क और सेनेटाइज़र का वितरण भी किया गया साथ ही भारत सरकार द्वारा जारी कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन भी किया गया।
समूह चर्चा के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल ने कहा,“तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक है। स्मोकिग से सबसे ज्यादा फेफड़ों के कैंसर होने की संभावना होती है।इसलिए बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोगों को तंबाकू का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए । कोरोना के संक्रमण काल में चार बातों को जानना बेहद महत्वपूर्ण है ।
तंबाकू या धुम्रपान से कोरोना का कनेक्शन यह है कि यह फेफड़ों को कमजोर करता है, जिससे वायरस का संक्रमण गंभीर हो सकता है । सिगरेट,सीगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वालों में कोविड-19 का रिस्क ज्यादा होता है ।तंबाकू चबाने व सिगरेट पीने वालों में कोरोना हाथ से मुंह तक पहुंच सकता है । संक्रमित के तंबाकू चबाने के बाद थूकने पर वायरस अन्य लोगों को भी जकड़ सकता है” ।
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) भाटागांव के प्रभारी डॉ. किशोर सिन्हा ने कहा,“गुटखा, तंबाकू व शराब आदि का सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को बढ़ावा मिलता है।कुछ घंटों के शौक के लिए किये जाने वाले इस नशे से कैंसर हो सकता है साथ ही व्यक्ति बाद में आर्थिक रूप से भी बर्बाद होता है। बीमारी जड़ से भी खत्म होने की गारंटी नहीं होती। ऐसे में सभी को संकल्प लेना चाहिए कि नशे से दूर रहे और दूसरों को भी यह सलाह दें”।
समूह चर्चा के दौरान जिला सलाहकार डॉ. सृष्टि यदु ने सभी को तंबाकू का सेवन न करनेकी शपथ दिलाई, साथ ही कोटपा अधिनियम 2003 के बारे में जानकारी भी दी। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया,“छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन करते हैं।
यह देश की औसत 28.4 प्रतिशत से अधिक है। इसमें से 7 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र से पहले ही तम्बाकू का सेवन शुरू किया था। 29 प्रतिशत ने 15-17 वर्ष की उम्र से और 35.4 प्रतिशत ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया। यानी औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तंबाकू का सेवन शुरू किया था”।
जिला कार्यक्रम प्रबंधक रायपुर मनीष मेजरवार ने कहा, “स्वास्थ्य कर्मी व मितानिन गांवों के लोगों को जागरूक करें जिससे लोग तंबाकू से दूर हों। सिगरेट में निकोटिन सहित कई विषैले पदार्थ पाए जाते है।जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी कई समस्या हो सकती है जिसके कारण बोलने की शक्ति, सुनने की क्षमता, आंशिक अंधापन की समस्या हो सकती है।
धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में स्ट्रोक होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है”। नेहा सोनी सोशल वर्कर ने बताया,“तंबाकू में पाए जाने वाला ग्लूकोज आपके पाचन तंत्र को बिगाड़ सकता है।जो बाद में डायबिटीज का कारण भी बन सकताहै। दरअसल धुएं में आर्सेनिक, फार्मलाडिहाइड और अमोनिया शामिल होते हैं। यह रसायन खून में शामिल होकर आंखों के नाजुक ऊतकों तक पहुंचते हैं जिससे रेटीना कोशिकाओं की संरचना को नुकसान होता है। अल्जाइमर का खतरा भी बढ जाता है”।
काउंसलर अजय कुमार बैस ने कहा,“नशा छुड़ाने का प्रयास किया जा सकता है।समय रहते नशा छोडने से मन और शरीर स्वस्थ रहता है। धूम्रपान करने वाले दोनों पुरुष और महिलाओं में डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग होने की संभावना अधिक होती है। इसमें मानसिक पतन का अनुभव भी कर सकते हैं। सिगरेट में मौजूद निकोटीन मस्तिष्क के लिए हानिकारक है और डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग की शुरुआत करता है”। -
शहरी क्षेत्र में यूसीएचसी गुढियारी और यूपीएचसी हीरापुर को मिला प्रथम स्थान
रायपुर :‘’कायाकल्प –स्वच्छ अस्पताल योजना “ वर्ष 2019-20 के तहत प्रदेश स्तर पर मुंगेली के जिला अस्पताल को प्रथम और रायपुर जिला अस्पताल को द्वितीय पुरस्कार मिले हैं।जिला अस्पतालों में 7 अस्पतलों में कोरबा, जशपुर, बीजापुर, बलौदाबाजार, जगदलपुर, नारायणपुर, कांकेर और जांजगीर-चांपा को संतावना पुरस्कार मिला है। राज्य क्वालिटी एश्यूरेंस कमेटी द्वारा कायाकल्प अवार्ड के लिए जिला अस्पताल का चयन हुआ है।
नैशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के डिप्टी डायरेक्टर डॉ सुरेंद पामभोई ने बताया, चिकित्सा सुविधाओं का आंकलन कर स्वास्थ्य केंद्रों को प्रोत्साहित करने केंद्र सरकार की ओर से प्रत्येक वर्ष इस योजना के तहत विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार दिया जाता है।विशेषज्ञों की टीमें अस्पताल आकर 200 बिंदुओं पर मूल्यांकन करती है। उन्होंने बताया 70 फीसदी से ऊपर अंक प्राप्त करने वाले अस्पतालों को विभिन्न श्रेणियों में सम्मानित किया जाता है।प्रथम श्रेणी में जिला अस्पताल स्तर पर मुंगेली जिला अस्पताल को 86.8 प्रतिशत तो रायपुर जिला अस्पताल को 85.9 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं।कायाकल्प के द्वितीय श्रेणी के पुरस्कारों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (ग्रामीण) स्तर पर प्रथम स्थान मुंगेली जिले के लोरमी सीएचसी को 87.7 प्रतिशत अंकों के साथ , द्वितीय स्थान पर दुर्ग के पाटन सीएचएसी ने 86.8 प्रतिशत अंक और रायपुर के शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रेणी में सीएचसी गुढियारी ने 73.6 प्रतिशत अंकों के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया।
तृतीय श्रेणी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हीरापुर को प्रथम व बिलासपुर के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बंधवापारा को 92.31 प्रतिशत के साथ पुरस्कार मिल रहा है।कायाकल्प के चौथे श्रेणी में जिला स्तर पर प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्रों में मंदिर हसौद पीएचसी को 98.3 प्रतिशत, धमतरी के चटौद को 90.0 प्रतिशत, महासमुंद के पटेवा को 86.9 प्रतिशत, राजनांदगांव के दो पीएचसी रामटोला व सरगी को 94.17 प्रतिशत, कर्वधा के कुंडा को 87.8 प्रतिशत,गरियाबंद के कोपरा पीएचसी को 81.1 प्रतिशत, बलौदाबाजार के गोपालपुर पीएचसी को 94.4 प्रतिशत, बेमेतरा के देवरबीजा पीएचसी को 85.8 प्रतिशत, बिलासपुर के नवागांव सकला को 92.50 प्रतिशत व कोटमी पीएचसी को 92.50 प्रतिशत, मुंगेली के पंडेरभांठा को 99.4 प्रतिशत, कोरबा के तुमान को 90 प्रतिशत, रायगढ के बेडवान को 80 प्रतिशत, जांजगीर के राहौद को 85.3 प्रतिशत, बस्तर के अडावल को 80.3 प्रतिशत, कोंडागांव के अडेंगा को 95 प्रतिशत, कांकेर के बसंवाही को 87.8 प्रतिशत, नारायणपुर के बेनुर को 86.1 प्रतिशत, बलरामपुर के जामवंतपुर को 90.3 प्रतिशत, सरगुजा के अजबनगर को 89.7 प्रतिशत, कोरिया के हल्दीबाड़ी को 82.8 प्रतिशत, जशपुर के भेलवान को 90.8 प्रतिशत, दंतेवाड़ा के पोटाली को 78.9 प्रतिशत अंक के साथ विजेता घोषित किए गए हैं। पांचवी श्रेणी में उपस्वास्थ्य केंद्र स्तर पर मुंगेली जिले के टेमरी को 95 प्रतिशत के साथ प्रथम स्थान और रायपुर के चंडी व कटिया को पुरस्कार मिलेंगे।
आज दोपहर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने वर्चुअल रुप से पुरस्कार देने की घोषणा की है। राज्य स्तरीय कायाकल्प अवार्ड को जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व उपस्वास्थ्य केंद्र स्तर में बेहतर चिकित्सकीय सुविधा, साफ-सफाई के लिए कायाकल्प के तहत प्रशस्ति अवार्ड के लिए चुना गया है।राज्य स्तर पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कायाकल्प अवार्ड समारोह आगामी मार्च महीने में आयोजन कर पुरस्कारों के साथ इनाम की राशि प्रदान करेगी। कायाकल्प अवार्ड 2019-20 के अंतर्गत 10 जिला अस्पतालों, 31 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, एक शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 153 प्राथमिक स्वास्थ्य केद्रों, 12 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं 67 उपस्वास्थ्य केंद्रों (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) को 70 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने पर विजेता के रुप में चयन किया गया है। -
20 चैम्पियन जुड़ेंगे टीबी को हराने अभियान में 1 से 31 जनवरी 2021 तक
दुर्ग : टीबी मुक्त छत्तीसगढ़ बनाने के लिए जिले में तीन चरणों में टीबी रोगी खोज अभियान 1 से 31 जनवरी 2021 तक चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत शहरी क्षेत्रों में उच्च जोखिम क्षेत्र में कच्ची बस्ती, जिला कारागृह, वृद्धा आश्रम, निर्माणाधीन श्रमिक, रेन बसेरा, एड्स मरीज, छात्रावास, अनाथ आश्रम और ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च जोखिम क्षेत्र खदान, क्रेशर, घनी आबादी, दूर-दराज के क्षेत्र, टीबी के पूर्व रोगी एवं कुपोषित क्षेत्र में घर-घर सर्वे होगा। अभियान में पहली बार 20 टीबी चैम्पियन को भी जोड़ा जाएगा जिन्होंने टीबी को हराकर पूरी अब स्वस्थ्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अनिल कुमार शुक्ला के नेतृत्व में टीबी रोगी की खोज के लिए जांच कर शतप्रतिशत नोटिफिकेशन की जाएगी। जांच में टीबी के लक्षण मिलने पर बलगम के साथ-साथ कोरोना की जांच की जाएगी। उन्होंने बताया अभियान के तहत लोगों को सावधानियाँ बताते हुए जागरूक किया जाएगा। इस अभियान में टीबी के साथ एड्स के रोगियों की भी पहचान की जाएगी। जिले की शहरी मलिन बस्तियों में घर-घर जाकर, खदान, औद्योगिक इकाइयों के श्रमिकों के लिए टीबी खोज अभियान का कार्ययोजना तैयार करने आगामी 4 जनवरी को जिला स्तरीय बैठक आयोजित किया जाएगा।
राज्य क्षय अधिकारी द्वारा वीडियो कान्फ्रेंस में 28 दिसम्बर को निर्देश दिया गया है। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भूरे के मार्गदर्शन में टीबी खोज अभियान सम्पूर्ण जिले में चलाने के लिए कार्ययोजना तैयार कर शतप्रतिशत क्षय रोगियों की खोज की जाएगी। खोजी टीम लोगों से अपील करेगा की इस रोग को छिपाएं नहीं उसका इलाज कराएं। इलाज से टीबी की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। टीम के लिए माइक्रो प्लानिंग कर ब्लॉक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गाँव, पारा, जनसंख्या, टार्गेट एरिया, टार्गेटेड जनसंख्या, टीम की मेंबर के नाम की रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
सीएमएचओ डॉ गम्भीर सिंह ठाकुर ने बताया, प्रथम चरण 1 जनवरी से शुरु होने जा रहे टीबी खोज अभियान में एक सप्ताह सघन प्रचार-प्रसार किया जाना है। इस अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, आरएमए, टीबी चैम्पियन एवं राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) कर्मचारी की डयूटी लगाई जाएगी।
टीबी के लक्षणों के आधार पर संभावित मरीजों की जांच के लिए 1600 खोजी टीम गठित किया जाना है। टीबी के संदेहास्पद मरीज पाये जाने पर निशुल्क एक्सरे जांच, सेंपल कलेक्शन एवं ट्रांसपोर्टेशन मेकेनिसम का उपयोग करते हुए स्पूटम परीक्षण एवं सीबी नॉट जांच कारवाई जाएगी। जिले में वर्ष 2018 में 3608 टी बी के मरीज थे जबकि वर्ष 2020 में 2886 मरीज पाए गए। टीम द्वारा घर–घर जाकर करीब 12 लाख लोगों की स्क्रीनिंग करेंगी। जबकि गत वर्ष टीबी खोज अभियान में 1043 संदिग्ध लोगों की पहचान कर जांच में 90 टीबी से ग्रसित नए मरीज मिले थे।
उन्होंने बताया जिले के प्रत्येक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर एक एनटीईपी कर्मचारी एवं एक स्वास्थ्य सुपरवाइजर द्वारा अभियान पर्यवेक्षक के रूप में निगरानी करेंगे। अभियान के दौरान संभावित टीबी मरीज का स्पॉट सेंपल लेकर डीएमसी उसी दिन भिजवाने की व्यवस्था की जाएगी| सुबह के खखार के लिए संभावित टीबी के मरीज को स्पूटम कंटेनर एवं रेफरल स्लिप देकर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र भेजना होगा| इस अभियान में सभी निजी चिकित्सकों, नर्सिंग होम संचालकों, प्रयोगशालाओं में क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम से जुड़े कर्मचारी संपर्क करने के साथ-साथ क्षय रोगों के बारे में जानकारी हासिल करेंगे।