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Dry Fruits Powder Benefits : पुरानी कहावत है कि अगर पहलवानों जैसा शरीर बनाना है, तो दूध के साथ ड्राई फ्रूट्स खाने चाहिए. शरीर को पावरफुल बनाने के लिए काजू, बादाम, पिस्ता और किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट्स बेहद कारगर हो सकते हैं. ऐसे में अगर आप ड्राई फ्रूट्स को एक-एक करके नहीं खा पा रहे हैं, तो आप इन सूखे मेवों को पीसकर पाउडर बना सकते हैं. इस पाउडर में सभी ड्राई फ्रूट्स मिक्स हो जाएंगे और आप इसे दूध में मिलाकर आसानी से पी सकते हैं. आज डाइटिशियन से जानने की कोशिश करेंगे कि शरीर के लिए ड्राई फ्रूट्स का पाउडर कितना फायदेमंद हो सकता है.
नई दिल्ली के न्यूट्रिफाइ बाई पूनम डाइट एंड वेलनेस क्लीनिक की फाउंडर और डाइटिशियन पूनम दुनेजा ने News18 को बताया कि ड्राई फ्रूट्स को अच्छी तरह सुखाकर पीसने के बाद पाउडर बना लिया जाए और उसे दूध के साथ रोज एक चम्मच लिया जाए, तो इससे शरीर को गजब के फायदे मिल सकते हैं. ड्राई फ्रूट्स का पाउडर शरीर को इंस्टेंट एनर्जी प्रदान करता है और हड्डियों को बेहद मजबूत बनाता है. ड्राई फ्रूट्स में बड़ी मात्रा में पोषक तत्व होते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत करते हैं और पाचन तंत्र को दुरुस्त कर सकते हैं. यह पाउडर सेहत को सुधारने में बेहद असरदार साबित हो सकता है.
ड्राई फ्रूट्स पाउडर के गजब के फायदे
– बादाम, काजू, अखरोट, पिस्ता और किशमिश जैसे ड्राई फ्रूट्स को पीसकर बनाए गए पाउडर में प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है. जब इन्हें दूध में मिलाकर पिया जाता है, तो इससे शरीर को भरपूर एनर्जी मिलती है. ड्राई फ्रूट्स में पाए जाने वाले हेल्दी फैट और हाई क्वालिटी प्रोटीन एनर्जी लेवल बढ़ा देता है, जिससे लोग पूरे दिन एक्टिव नजर आते हैं. इसमें जिंक और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स भी होते हैं, जो ओवरऑल हेल्थ बूस्ट करते हैं.
– हड्डियों को मजबूत करने के लिए ड्राई फ्रूट्स पाउडर बेहद असरदार हो सकता है. दूध के साथ ड्राई फ्रूट्स का पाउडर मिलाकर पीने से हड्डियों की सेहत को बड़ा फायदा होता है. कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस जैसे मिनरल्स से भरपूर होने के कारण यह पाउडर हड्डियों को मजबूत बनाता है. खासतौर से बादाम और काजू में कैल्शियम और मैग्नीशियम की पर्याप्त मात्रा होती है, जो हड्डियों और दांतों की सेहत के लिए जरूरी हैं.
– ड्राई फ्रूट्स में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है. जब ड्राई फ्रूट्स का पाउडर दूध में मिलाकर पीते हैं, तो यह पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखता है. किशमिश और अखरोट जैसे ड्राई फ्रूट्स में फाइबर अधिक होता है, जो आंतों को साफ रखने में मदद करता है और कब्ज की समस्या से राहत देता है. यह शरीर के टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे पाचन बेहतर होता है और पेट की समस्याएं दूर होती हैं.
– सूखे मेवा का पाउडर का सेवन शरीर के इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है. इनमें पाए जाने वाले विटामिन C, विटामिन E और जिंक जैसे पोषक तत्व शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं. अखरोट और किशमिश में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शरीर को हानिकारक तत्वों से बचाते हैं और संक्रमण से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं. जब इसे नियमित रूप से दूध में मिलाकर पीते हैं, तो यह सर्दी, जुकाम और अन्य इंफेक्शन से बचाता है.
– ड्राई फ्रूट्स का पाउडर दूध के साथ मिलाकर पीने से स्किन की सेहत में भी सुधार होता है. ड्राई फ्रूट्स जैसे बादाम और पिस्ता में विटामिन E और तमाम एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो त्वचा को पोषण प्रदान करते हैं और उसे चमकदार बनाते हैं. यह मिश्रण त्वचा को हाइड्रेट करता है, जिससे त्वचा पर झुर्रियां कम होती हैं और उम्र बढ़ने के संकेत धीमे होते हैं. ड्राई फ्रूट्स का पाउडर स्किन को रिपेयर करता है और उसे सॉफ्ट बनाता है. -
5 Side Effects of Raw Milk : दूध एक ऐसी चीज है, जिसका प्रयोग भारतीय भोजन में सदियों से किया जा रहा है. भगवान श्री कृष्ण के गौ-प्रेम से लेकर दूध-दही और माखन खाने तक की कहानियां हम अनंत काल से सुनते आ रहे हैं. शाकाहारियों के लिए दूध प्रोटीन और कैल्शियम का बड़ा सोर्स होता है. जानवरों से मिलने वाला ये पोषक तत्व सदियों से हम इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन दादी-नानी हमेशा दूध को उबालकर ही इस्तेमाल करने की बात कहती थीं. यूं तो कच्चे दूध का जिक्र आते ही हमें इसके नेचुरल और ऑर्गेनिक होने का एहसास होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसमें कई खतरनाक बैक्टीरिया भी छिपे हो सकते हैं? कच्चा, बिना पाश्चराइज किया हुआ दूध (जो सीधे गाय, भेड़, या बकरी से आता है) हानिकारक बैक्टीरिया और कीटाणुओं से भरा हो सकता है, जो हमारे शरीर के लिए बड़े जोखिम का कारण बन सकते हैं.
पाश्चराइजेशन, एक हीटिंग प्रोसेस है जिससे दूध के सभी हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं और दूध पीने योग्य बनता है. लेकिन कच्चा दूध इस प्रोसेस को स्किप कर देता है, जो इसे बेहद खतरनाक बना सकता है. आइए जानें, कच्चा दूध पीने के साइड इफेक्ट्स और पाश्चराइजेशन क्यों जरूरी है.
1. फूड पॉइज़निंग के लिए रिस्की
कच्चे दूध में सल्मोनेला, ई. कोलाई और कैंपिलोबैक्टर जैसे खतरनाक बैक्टीरिया होते हैं. ये बैक्टीरिया फूड पॉइज़निंग का कारण बन सकते हैं, जिससे आपको मितली, दस्त, पेट दर्द और बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं. CDC (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल) की रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे दूध से कई फूडबॉर्न बीमारियों के फैलने की घटनाएं हो चुकी हैं. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए, यह समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं.
2. गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक
गर्भवती महिलाओं के लिए, कच्चे दूध का सेवन और भी जोखिम भरा होता है. इसमें मौजूद लिस्टेरिया बैक्टीरिया (Listeria) गर्भावस्था में लिस्टेरियोसिस नामक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. इससे मिसकैरेज, प्री-मेच्योर डिलीवरी, या बच्चे का स्टिलबर्थ हो सकता है.
3. कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए गंभीर बीमारियों का खतरा
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जैसे HIV/AIDS मरीज, कैंसर के मरीज, या बुजुर्ग, उनके लिए कच्चे दूध का सेवन और भी खतरनाक हो सकता है. कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण ये लोग आसानी से बैक्टीरियल इंफेक्शंस का शिकार बन सकते हैं, जो कि अस्पताल में भर्ती होने या कभी-कभी मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं.
4. लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों का रिस्क
कुछ मामलों में, कच्चे दूध के बैक्टीरिया के कारण लंबे समय तक चलने वाली गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, कैंपिलोबैक्टर इंफेक्शन से गिलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) नामक बीमारी हो सकती है. इसमें इम्यून सिस्टम नर्व्स पर हमला करता है, जिससे लकवा जैसी स्थिति भी हो सकती है.
5. बच्चों के लिए हाई रिस्क
बच्चों का इम्यून सिस्टम अभी विकसित हो रहा होता है, इसलिए उनके लिए कच्चा दूध पीना बेहद खतरनाक हो सकता है. CDC की रिपोर्ट में बताया गया है कि कच्चे दूध से होने वाले फूडबॉर्न इंफेक्शंस बच्चों और टीनेजर्स को अधिक प्रभावित करते हैं. छोटे बच्चों में इस प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शंस जल्दी गंभीर स्थिति में पहुंच सकते हैं, जिसके चलते अस्पताल में भर्ती होना भी पड़ सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चे फूड पॉइज़निंग से सबसे जल्दी प्रभावित होते हैं, इसलिए उनके लिए केवल पाश्चराइज्ड दूध देना सबसे सेफ होता है.
क्यों जरूरी है दूध का पाश्चराइजेशन?
पाश्चराइजेशन, फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर द्वारा डेवलप किया गया एक प्रोसेस है. इसमें दूध को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है ताकि सभी हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाएं और दूध सुरक्षित हो सके. कुछ लोग मानते हैं कि कच्चे दूध में पोषक तत्व अधिक होते हैं, लेकिन पाश्चराइजेशन से इन पोषक तत्वों पर बहुत कम असर पड़ता है. पाश्चराइजेशन एक ऐसा स्टेप है जिसने अनगिनत लोगों की जानें बचाई हैं और दूध को सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाई है (एजेंसी) -
Low-Sugar Diet Benefits: ज्यादा शुगर को सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है और इस वजह से डॉक्टर छोटे बच्चों को लो शुगर डाइट की सलाह देते हैं. एक हालिया स्टडी में खुलासा हुआ है कि अगर किसी बच्चे को शुरुआती 1000 दिनों तक लो शुगर डाइट दी जाए, तो इससे उसकी जवानी में डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा कम हो सकता है. इतना ही नहीं, अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी के दौरान कम से कम शुगर का सेवन करती है, तो उससे भी बच्चे की सेहत को फायदा मिल सकता है. बच्चे के जन्म के बाद भी इसी तरह की प्रैक्टिस बच्चे के शरीर के लिए चमत्कारी हो सकती है.
द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफोर्निया और मॉन्ट्रियल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण रिसर्च की है. इसमें पता चला है कि अगर गर्भवती महिला अपनी डाइट में कम चीनी खाती है, तो इससे न सिर्फ उसकी सेहत पर अच्छा असर पड़ता है, बल्कि बच्चे के भविष्य पर भी इसका पॉजिटिव असर देखने को मिलता है. अगर प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर का सेवन कम किया जाए, तो बच्चे में डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी क्रोनिक डिजीज का खतरा कम हो सकता है.
वैज्ञानिकों की मानें तो बच्चे की जिंदगी के पहले 1000 दिन यानी गर्भवस्था के दौरान का समय और जन्म के बाद 2 साल तक बच्चे का विकास बहुत तेजी से होता है. इस समय बच्चे को कम चीनी दी जाए, तो इससे वे स्वस्थ रहते हैं और भविष्य में होने वाली कई बीमारियों का जोखिम भी कम हो सकता है. इससे बच्चे का वजन हेल्दी रहता है और उसकी ओवरऑल ग्रोथ में भी फायदा मिल सकता है.
स्टडी में यह भी पाया गया कि जिन बच्चों को कम चीनी वाली डाइट दी गई, उनके शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बेहतर रहता है और उनका वजन भी स्वस्थ रहता है. इस तरह के बच्चों को भविष्य में डायबिटीज और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियों का खतरा बहुत कम होता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि कम चीनी का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन का स्तर सही रहता है, जिससे लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है. यह अध्ययन यह भी बताता है कि सिर्फ गर्भवती महिला की डाइट ही अच्छी होना जरूरी नहीं है, बल्कि जन्म के बाद भी बच्चे के खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है. अगर बच्चे को जन्म के बाद भी कम चीनी वाली चीजें दी जाती हैं, तो उनके विकास में और भी अधिक फायदे हो सकते हैं.(एजेंसी) -
Workout Mistakes To Avoid in Gym: एक्सरसाइज सेहद के लिए बेहद फायदेमंद होती है. कई लोग बेहतर फिटनेस और अट्रैक्टिव बॉडी बनाने के लिए जिम जॉइन कर लेते हैं. जिम में वे रोज घंटों पसीना बहाते हैं, ताकि उन्हें शानदार रिजल्ट मिल सके. हालांकि कई लोग जिम में एक्सरसाइज करते वक्त छोटी-छोटी गलतियां कर बैठते हैं, जिससे उनके शरीर को नुकसान होने लगता है. अधिकतर लोग इस तरह की गलतियों का सामना करते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो जिम में इन गलतियों को पहचानना और उनसे बचना बेहद जरूरी है. कई बार ये गलतियां गंभीर परेशानियों की वजह बन सकती हैं.
नोएडा के फिटनेस फोर्टियर एकेडमी के ट्रेनर देव सिंह ने News18 को बताया कि जिम में सभी लोगों को एक्सरसाइज शुरू करने से पहले वॉर्म-अप करना चाहिए. इससे मांसपेशियों में ब्लड फ्लो बढ़ता है और वे एक्सरसाइज के लिए तैयार हो जाती हैं. अगर आप वॉर्म-अप नहीं करते हैं, तो मांसपेशियों में खिंचाव या चोट लगने का खतरा बढ़ जाता है. अगर आप अचानक इंटेंस एक्सरसाइज करना शुरू कर देंगे, तो इससे शरीर को नुकसान हो सकता है. ऐसे में सभी लोगों को सबसे पहले अपने शरीर को वर्कआउट के लिए तैयार कर लेना चाहिए. इसका सबसे अच्छा तरीका वॉर्म अप है.
एक्सपर्ट की मानें तो गलत टेक्निक से एक्सरसाइज करना गंभीर चोट का कारण भी बन सकता है. अगर आप वजन उठाते समय अपनी पीठ को झुकाते हैं या सही पोजीशन में नहीं होते हैं, तो इससे रीढ़ की हड्डी को नुकसान हो सकता है. सही तकनीक का पालन करना न केवल आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है, बल्कि चोट से भी बचाता है. इसके अलावा कई लोग यह सोचते हैं कि ज्यादा वजन उठाने से उनकी ताकत जल्दी बढ़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. आपको अपने शरीर के अनुसार वजन चुनना चाहिए और धीरे-धीरे वजन बढ़ाना चाहिए.
फिटनेस ट्रेनर की मानें तो जितना जिम में जाकर एक्सरसाइज करना जरूरी है, उतना ही वर्कआउट के बाद आराम करना आवश्यक है. वर्कआउट के पास मसल्स को रिकवरी के लिए समय की जरूरत होती है. इस वजह से लोगों को सप्ताह में 4 से 5 दिन वर्कआउट करना चाहिए और बाकी दिन आराम करना चाहिए. लगातार एक्सरसाइज करने से उन्हें पर्याप्त आराम नहीं मिलता. इससे थकावट, मांसपेशियों में खिंचाव और लंबे समय में मसल्स लॉस का सामना करना पड़ सकता है. यह समझने की जरूरत है कि आराम करना आपके फिटनेस रुटीन का एक हिस्सा है.
वर्कआउट के दौरान पर्याप्त पानी पीना भी जरूरी है. कई लोग एक्सरसाइज करते समय हाइड्रेशन को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे शरीर में पानी की कमी हो सकती है. यह थकावट, चक्कर आना और मांसपेशियों में दर्द का कारण बन सकता है. इसलिए कसरत से पहले, वर्कआउट के दौरान और इसके बाद में पर्याप्त मात्रा में पानी जरूर पिएं. इसके अलावा कई लोग बिना प्लान बनाए एक्सरसाइज करना शुरू कर देते हैं, जो कि लंबे समय में परेशानी का कारण बन सकता है. आप अपने फिटनेस गोल सेट करें और उस हिसाब से अपना वर्कआउट रुटीन बनाएं.(एजेंसी) -
HEALTH NEWS : मिथिला की संस्कृति में पान के पत्ते का एक विशेष स्थान है. धार्मिक अनुष्ठानों में पान के पत्ते का होना अनिवार्य माना जाता है. ये पत्ते न केवल पूजा में श्रद्धा का प्रतीक होते हैं, बल्कि इसके साथ-साथ ये स्थानीय परंपराओं और रीति-रिवाजों का भी महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. पान के पत्तों का उपयोग विवाह समारोहों, तीज-त्योहारों, और अन्य धार्मिक अवसरों पर किया जाता है, जिससे ये क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है.
मिथिला में पान का पत्ता धार्मिक आस्था और औषधीय गुणों का अद्भुत संगम है. ये केवल एक हरी पत्ता नहीं है, बल्कि ये क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. पान के पत्ते का सही तरीके से उपयोग करना न केवल इसके स्वास्थ्य लाभों को बढ़ाता है, बल्कि ये हमारी परंपराओं को भी बनाए रखने में मदद करता है.
पान के पत्तों में टैनिन, प्रोपेन और एल्कलॉयड जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मानव शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं. पान के पत्ते चबाने से न केवल शरीर में दर्द और सूजन में राहत मिलती है, बल्कि ये यूरिक एसिड के स्तर को भी नियंत्रित करने में मदद करता है.
खास बातचीत के दौरान डॉक्टर राजीव शर्मा ने बताया कि, पान के पत्ते का नियमित सेवन स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है. इससे लोग कई स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं.
पान के पत्तों का उपयोग आयुर्वेद में व्यापक रूप से किया गया है. पान के पत्ते चोट लगने पर राहत प्रदान कर सकते हैं. इसके अलावा, पान के पत्ते का सेवन विभिन्न बीमारियों से लड़ने के लिए एक प्राकृतिक उपाय माना जाता है.
पान की खेती करना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है. मिथिला में, पान की खेती पारंपरिक रूप से की जाती थी लेकिन अब कुछ ही किसान इस क्षेत्र में सक्रिय हैं, जो इस समृद्धि को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.(एजेंसी) -
How to Treat Sore Throat: गले में खराश की समस्या से अब हर कोई तीसरा शख्स जूझ रहा है. इसे ठीक करने के लिए आपको ऐसे फूड का सेवन करना पड़ेगा जो इस दिक्कत को और न बढ़ाए. एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि गले की खराश के दौरान गरम पेय पदार्थ और सॉफ्ट चीजें खानी होती है. आइए जानते हैं कि आपको इस दौरान क्या खाना चाहिए और नहीं खानी चाहिए…
कौन सा खाना और ड्रिंक लेना चाहिए?हेल्थलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, गले की खराश के दौरान ऐसा खाना खाना चाहिए जो बहुत सॉफ्ट हो और जिसे आप आसानी से निगल सके. अच्छे से पका हुआ भोजन खाने, चाय पीने और गरम पानी से गार्गल करने से आपके गले का खराश सही हो सकती है. कौन सा खाना गले की सेहत के लिए अच्छा है…
कौन से फूड और ड्रिंक से रहना चाहिए दूर?ऐसे फूड जो आपके गले की परेशानी को बढ़ा सकते हैं, उसमें ब्रेड, सोडा, आलू के चिप्स, लेमन, टमाटर और एसिडिक फल शामिल है. गरम खाना खाने के लिए सही है पर अधिक गरम खाना भी आपके गले की परेशानी को बढ़ा सकता है.
गले की खराश को कैसे सही किया जा सकता है?गले की खराश से राहत पाने के लिए आप गरम पानी और नमक से गरारे कर सकते हैं. ध्यान रहे कि इसे निगलें नहीं. इसके अलावा कुछ हर्बल उपचार आपकी मदद कर सकते हैं. आप हर्बल गले का स्प्र, बूंदें या चाय का सेवन कर सकते हैं. अगर आपको इसमें विश्वास न हो तो आप डॉक्टर की सलाह लें और इस दिक्कत को खत्म करने के लिए सही से ट्रीटमेंट लें.(एजेंसी) -
Health News : साल भर में मौसम और महीनों के हिसाब से जयपुर के बड़े सरकारी अस्पतालों में ओपीडी टाइमिंग में बदलाव होता हैं, ऐसे ही अब 1 अक्टूबर से सभी सरकारी हॉस्पिटल में ओपीडी टाइमिंग में बदलाव किया गया है, जिसमें सभी सरकारी अस्पतालों में सुबह 9 से दोपहर 3 बजे तक ओपीडी का समय रहेगा.
यह बदलाव विशेष रूप से सर्दी के सीजन से पहले किया गया है, जिसके लिए हेल्थ डिपार्टमेंट ने सभी सरकारी हॉस्पिटल की ओपीडी टाइमिंग में बदलाव करने का आदेश जारी कर दिया है. बारिश के मौसम की समाप्ति और दिन में हल्की उमस और रात में ठंडक के हिसाब से डेंगू-मलेरिया-चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों के मरीजों को देखते हुए हेल्थ डिपार्टमेंट ने ओपीडी टाइमिंग में बदलाव का फैसला लिया है जो आज से अगले बदलाव तक लागू रहेगा.
जयपुर के प्रमुख अस्पतालों में ये रहेगा ओपीडी टाइमजयपुर में सैकड़ों सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल है लेकिन भारी संख्या में लोग छोटी-छोटी मौसमी बदलाव की बीमारियों को लेकर स्थानीय सरकारी अस्पतालों में ही इलाज के लिए जाते हैं, साथ ही राजधानी जयपुर के बड़े और प्रसिद्ध अस्पताल जिनमें एसएमएस मेडिकल कॉलेज, आरयूएचएस, जेके लोन हॉस्पिटल, सहित तमाम पीएचसी, सीएचसी, उप जिला हॉस्पिटल में ओपीडी टाइमिंग अलग-अलग हैं, लेकिन 1 अक्टूबर से सुबह 9 बजे सेदोपहर 3 बजे तक लोगों के लिए ओपीडी में डॉक्टर मौजूद रहेंगे, साथ ही इन बड़े अस्पतालों में मरीजों की संख्या देखते हुए ओपीडी टाइम 8 घंटे तक रहेगा, ताकि रूटीन मरीजों के अलावा अधिक से अधिक लोगों की बीमारियों का इलाज किया जा सके. साथ ही डेंगू-मलेरिया-चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों के लिए जेके लोन सहित बड़े अस्पतालों में राजकीय अवकाश वाले दिन 4 घंटे संचालित होगा और रूटीन ओपीडी राजकीय अवकाश के दिन 2 घंटे ही चलेगी.(एजेंसी) -
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
उपलब्ध मेडिकल लिटरेचर के अनुसार लेजर एंजियोप्लास्टी द्वारा किडनी की नस के पूर्ण ब्लॉक के उपचार का यह पहला केस
रायपुर : डॉ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) में 66 वर्षीय एक मरीज के किडनी को खून की आपूर्ति करने वाली बायीं धमनी में सौ प्रतिशत रुकावट तथा हृदय की मुख्य नस में 90 प्रतिशत रुकावट का एक्जाइमर लेजर विधि से सफल उपचार किया गया। उपलब्ध मेडिकल लिटरेचर के अनुसार विश्व में लेजर एंजियोप्लास्टी द्वारा किडनी की नस के पूर्ण ब्लॉक के उपचार का यह पहला केस है। एसीआई के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव के नेतृत्व में हुए इस उपचार में मरीज के किडनी की धमनी यानी रीनल आर्टरी और कोरोनरी आर्टरी का एक साथ उपचार कर मरीज को रीनल फेल्योर और हार्ट फेल्योर होने से बचा लिया गया। इन दोनों इंटरवेंशनल प्रोसीजर को क्रमशः लेफ्ट रीनल आर्टरी क्रॉनिक टोटल ऑक्लूशन एवं इन स्टंट री-स्टेनोसिस ऑफ कोरोनरी आर्टरी कहा जाता है।इस केस में पहली बार रीनल का 100 प्रतिशत ऑक्लूशन (रुकावट) था जिसके कारण बी. पी. कंट्रोल में नहीं आ पा रहा था। किडनी खराब हो रही थी। समय पर इलाज नहीं होता तो किडनी फेल हो जाती। डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने केस के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि मरीज के किडनी को खून की आपूर्ति करने वाली दोनों नसों में ब्लॉकेज था। एक में 100 प्रतिशत ब्लॉकेज/रुकावट था एक में 70-80 प्रतिशत ब्लॉकेज था। लेफ्ट रीनल आर्टरी जहां से शुरू होती है, वहीं मुख्य ब्लॉकेज था। इसके कारण खून का प्रवाह बिल्कुल बंद हो चुका था। इसके साथ ही मरीज के हृदय की मुख्य नस में ब्लॉकेज था जिसके लिए उसको 2023 में निजी अस्पताल में स्टंट लगा था जो बंद हो चुका था। यह स्टंट पूरी तरह ब्लॉक हो गया था। इन सब समस्याओं के कारण मरीज को हार्ट फेल्योर हाइपरटेंशन, सांस लेने में तकलीफ और बी. पी. कंट्रोल में नहीं आ रहा था।ऐसे किया उपचार
सबसे पहले लेफ्ट रीनल आर्टरी जो 100 प्रतिशत ब्लॉक थी, उसमें कठोर ब्लॉकेज होने की वजह से एक्जाइमर लेजर से उसके लिए रास्ता बनाया फिर बैलून से उस रास्ते को बड़ा किया जिससे उसमें स्टंट लगाकर उस नली को पूरी तरह खोल दिया गया और नार्मल फ्लो को किडनी में वापस चालू किया गया। ब्लॉकेज खोलने के साथ ही बी. पी. में परिवर्तन आने शुरू हुए और बी. पी. कम हो गया। इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिये स्टंट को देखकर यह कन्फर्म किया गया कि वह ठीक से अपने स्थान पर स्थापित हुआ है या नहीं।पूर्व में हुई एंजियोप्लास्टी के कारण हृदय की बायीं साइड की मुख्य नस लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग आर्टरी में डाले गये स्टंट के अंदर 90 प्रतिशत से भी ज्यादा रुकावट पायी गयी। इसको भी पहले लेज़र के जरिये ब्लॉकेज खोलकर रास्ता बनाया गया। फिर बैलून करके उस रास्ते को बड़ा किया गया फिर इंट्रा वैस्कुलर अल्ट्रासाउंड के जरिए स्टंट ब्लॉकेज के क्षेत्र को देखा। चूंकि रूकावट स्टंट के साथ-साथ स्टंट के बाहर की थी, इस वजह से एक नया स्टंट डालकर उस रूकावट को खोलने का निर्णय लिया गया। एक अतिरिक्त स्टंट डालकर दोनों रुकावट का इलाज किया गया। आईवीयूएस करके पूरी प्रक्रिया की वास्तविक वस्तुस्थिति को देखा। अंततः दोनों प्रक्रिया सफल रही। मरीज अब ठीक है तथा डिस्चार्ज लेकर घर जाने को तैयार है। -
Summer Superfood : झारखंड में इन दिनों भीषण गर्मी हो रही है. पूरे राज्य में गोड्डा सबसे गर्म जिले में से एक माना जा रहा है, जहां इस बार गर्मी ने पिछले तीन वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ऐसे में इस गर्मी से बचने के लिए हमारे शरीर को भरपूर नमक और मिनरल युक्त फल और सब्जियों की जरूरत होती है, जो लू-डिहाइड्रेशन के लिए रामबाण हैं. आइए जानते हैं विस्तार से...
गर्मियों के सीजन में अधिक मिलने वाला फल होता है, जो हमारे शरीर में पानी बरकरार रखने के साथ-साथ हमारी प्यास को भी बुझाता है. तरबूज के 100 ग्राम न्यूट्रीशनल वैल्यू में 30 कैलोरी, 91.4 ग्राम पानी, कार्बोहाइड्रेट 7.55 ग्राम, शुगर 6.2 ग्राम, ग्लूकोस 1.58 ग्राम, फाइबर 0.4 ग्राम, प्रोटीन 0.61 ग्राम, कैल्शियम 7 मिली ग्राम, मैग्नीशियम 10 मिलीग्राम, पोटेशियम 112 मिलीग्राम, विटामिन सी 8.1 मिलीग्राम होता है, जो आपके शरीर के न्यूट्रीशन वैल्यू को गर्मी के दिनों में बरकरार रखेगा.
साल भर मिलने वाला फल होता है, लेकिन गर्मी के मौसम में गर्मी से राहत के लिए या एक विशेष फल माना जाता है. इसके 100 ग्राम न्यूट्रीशनल वैल्यू में 89 कैलोरी, 74.9 ग्राम पानी, कार्बोहाइड्रेट 22.8 ग्राम, शुगर 12.2 ग्राम, ग्लूकोस 4.98 ग्राम,फाइबर 2.6 ग्राम, ग्राम, प्रोटीन 1.09 ग्राम, कैल्शियम 5 ग्राम, मैंगनीज 27 मिलीग्राम, पोटेशियम 358 मिलीग्राम, विटामिन सी 8.7 मिलीग्राम होता है, जो आपके शरीर के न्यूट्रीशन वैल्यू को गर्मी के दिनों में बरकरार रखेगा.
भीषण गर्मी के साथ-साथ आम भी बाजरो में दिखना शुरू हो जाता है. यह फल स्वादिष्ट होने के साथ-साथ इसमें कई ऐसे विशेष गुण हैं, जो हमें भीषण गर्मी से फायदा पहुंचाते हैं. आम के 100 ग्राम न्यूट्रीशनल वैल्यू में 60 कैलोरी , 83.5 ग्राम पानी, कार्बोहाइड्रेट 14.98 ग्राम, शुगर 13.7 ग्राम, ग्लूकोस 2.01 ग्राम, फाइबर 1.6 ग्राम, प्रोटीन 0.82 ग्राम, विटामिन सी 36.4 मिलीग्राम, विटामिन ई 1.12 मिलीग्राम, विटामिन ए 1082 IU होता है, जो आपके शरीर के न्यूट्रीशन वैल्यू को गर्मी के दिनों में बरकरार रखेगा.
वैसे तो सेब हर सीजन में मिल जाता है, लेकिन गर्मी के सीजन में सेब शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. सेब के मात्र 100 ग्राम न्यूट्रीशनल वैल्यू में 52 कैलोरी, 85.6 ग्राम पानी, कार्बोहाइड्रेट 13.8 ग्राम, शुगर 10.4 ग्राम, ग्लूकोस 2.43 ग्राम, फाइबर 2.4 ग्राम, प्रोटीन 0.26 ग्राम, कैल्शियम 6 मिली ग्राम, मैग्नीशियम 5 मिलीग्राम, आयरन 0.12 मिलीग्राम, विटामिन सी 4.6 मिलीग्राम होता है, जो आपके शरीर के न्यूट्रीशन वैल्यू को गर्मी के दिनों में बरकरार रखेगा.
गर्मी के सीजन में नींबू का खासकर शरबत के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन गर्मी के मौसम में नींबू के कई विशेष गुण है जो हमें गर्मी से राहत पहुंचाते है. नींबू के 100 ग्राम न्यूट्रीशनल वैल्यू में 29 कैलोरी, 89 ग्राम पानी, कार्बोहाइड्रेट 9.32 ग्राम, शुगर 2.5 ग्राम, फाइबर 2.8 ग्राम, ग्राम, प्रोटीन 1.1 ग्राम, कैल्शियम 26 मिली ग्राम, मैंगनीज 8 मिलीग्राम, पोटेशियम 138 मिलीग्राम, विटामिन सी 53 मिलीग्राम होता है, जो आपके शरीर के न्यूट्रीशन वैल्यू को गर्मी के दिनों में बरकरार रखेगा.
गर्मी के सीजन में खीरे अधिक पसंद किया जाता है, लेकिन इसके साथ खीरा के कई विशेष गुण है जो गर्मियों में हमारे शरीर के लिए काफी फायदेमंद होता है. 100 ग्राम खीरा के न्यूट्रीशनल वैल्यू में 15 कैलोरी , 95.2 ग्राम पानी, कार्बोहाइड्रेट 3.36 ग्राम, शुगर 1.67 ग्राम, ग्लूकोस 0.76 ग्राम, आयरन 0.28 ग्राम, प्रोटीन 0.65 ग्राम, कैल्शियम 16 मिली ग्राम, पोटासियम 147 मिलीग्राम. विटामिन सी 2.8 मिलीग्राम होता है, जो आपके शरीर के न्यूट्रीशन वैल्यू को गर्मी के दिनों में बरकरार रखेगा.अगली गैलरी -
Vegetable For LDL : बेड कोलेस्ट्रॉल नसों में जमा होकर हार्ट अटैक जैसी गंभीर बीमारियां को जन्म देता है. इसकी रोकथाम के लिए दवाइयां का अधिक सेवन करना भी नुकसानदायक होता है. लेकिन यें देशी नुस्खे आपको बिना साइड इफेक्ट के काफी लाभ पहुंचाएंगे. (रिपोर्ट : दीपक पाण्डेय/खरगोन)हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों में खीरे का सेवन बेहद ही फायदेमंद होता है. खीरा में पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते है. खाने में भी खीरा स्वादिष्ट होता है. खीरा का सेवन करने से मोटापा और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से भी छुटकारा दिलाता है.इसके साथ ही खीरा बेड कोलेस्ट्रॉल लेवल (LDL) को घटाकर गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल (HDL) को बढ़ावा देता है. इसलिए कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों को नियमित रूप से खीरा का सेवन करना चाहिए.ककड़ी फाइबर और पोषक तत्वों से भरी होती है. इसमें पानी की भी पर्याप्त मात्रा होती है. यह हाई ब्लड प्रेशर की समस्याओं को भी दूर रखती है.यह पाचन क्रिया को मजबूत करती है. डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित मरीजों को ककड़ी का सेवन करने की सलाह देते हैं.प्याज का सेवन करना काफी फायदेमंद माना जाता है. एक रिसर्च के अनुसार, प्याज में यौगिक, क्वेरसेटिन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते है, जो उच्च वसा वाला भोजन करने वाले लोगों में कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है. बेड कोलेस्ट्रॉल को नसों में जमने नहीं देता है. नसों में होने वाली सूजन को भी कंट्रोल करता है. हाई कोलेस्ट्रॉल वाले लोगों को प्याज का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए.
अनिल बेदाग
मुंबई : लीलावती अस्पताल अँण्ड रिसर्च सेंटर ने रोशनी कैटरेक्ट सर्विस के साथ मिलकर वंचित व्यक्तियों के लिए मोफत नेत्र तपासणी और मोतियाबिंद सर्जरी का नया उपक्रम शुरू किया हैं। इस कार्यक्रम का उद्घाटन किशोर मेहता सहित लिलावती अस्पताल के सम्मानित संस्थापकों और स्थायी ट्रस्टियों द्वारा किया गया। इस वक्त चारू मेहता, राजीव मेहता, राजेश मेहता और प्रशांत मेहता उपस्थित थे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य नेत्र स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता निर्माण करना और जरूरतमंद लोगों को समय रहते वैदयकीय सेवा प्रदान करना है।
भारत में मोतियाबिंद के कारण अंधापन औऱ दृष्टि हानि की समस्या बढ रही हैं। देशभर में लाखों लोगों मोतियाबिंद की समस्या से पिडीत हैं। मोतियाबिंद के कारण दृष्टि धुंधली हो जाती है जो समय के साथ बिगड़ती जाती है। सर्जरी के बिना, मोतियाबिंद से गंभीर दृष्टि हानि होती है। मोतियाबिंद सर्जरी दृष्टि बहाल करने का एकमात्र तरीका है। समय रहते मोतियाबिंद का निदान औऱ इलाज हुआ तो दृष्टीहानी से बचाया जा सकता हैं।मुंबई के प्रतिष्ठित लीलावती अस्पताल अण्ड रिसर्च सेंटर के ट्रस्टी राजीव मेहता ने कहॉं की, ‘‘दृष्टीहानी की समस्या बढती जा रही हैं। समय रहते जरूरतमंदों को वैदयकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए लीलावती अस्पताल ने रोशनी कैटरेक्ट सर्विस के साथ मिलकर वंचित व्यक्तियों के लिए मोफत नेत्र तपासणी और मोतियाबिंद सर्जरी का नया उपक्रम शुरू किया हैं। आंखो के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता निर्माण करना इस उपक्रम का मुख्य उद्देश हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से, लीलावती अस्पताल यह सुनिश्चित करके समाज को वापस देने की अपनी विरासत को जारी रखता है कि आर्थिक रूप से वंचित लोगों को भी गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्राप्त हों।’’लीलावती अस्पताल अण्ड रिसर्च सेंटर के स्थायी ट्रस्टी राजीव मेहता ने कहॉं की, ‘‘मोतियाबिंद का शीघ्र पता लगाने और उपचार के लिए नियमित नेत्र जांच के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक कराया गया। कई बार आर्थिक स्थिती अच्छी न होने के कारण व्यक्ती इलाज नही कराते। समय रहते इलाज नही हुआ तो बिमारी गंभीर स्वरूप धारण कर सकती हैं। इसे ध्यान में रखते हुए लीलावती अस्पताल में वंचित लोगों के लिए निःशुल्क नेत्र जाचं और मोतियाबिंद सर्जरी की नई पहल शुरू की हैं। इस कार्यक्रमों का लक्ष्य उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना हैं।’’
लीलावती हॉस्पिटल अण्ड रिसर्च सेंटर के सीओओ डॉ. नीरज उत्तमानी ने कहा कि, मोतियाबिंद भारत में एक प्रमुख मुद्दा है, जिससे ७०% अंधापन और ९०% विकृत दृष्टि होती है। भारत में लाखों लोग इससे प्रभावित हैं। इसलिए इसके लिए तुरंत कदम उठाना काफी जरूरी हैं। मोतियाबिंद की दर कम करने के लिए समयपर निदान और इलाज करना चाहिए। मोतियाबिंद का इलाज नही किया जाए तो काफी नुकसान हो सकता हैं। इसलिए सब लोगो को एकसाथ आकर काम करना चाहिए। इस कारण मोतियाबिंद से संबंधित अंधेपन को कम करने और दृष्टि में सुधार करने, प्रभावित लोगों के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद कर सकता है।
राजीव मेहता कहते हैं कि रोशनी मोतियाबिंद सेवा के तहत हमने लगभग 200 मरीजों की जांच की है, जिनमें से 29 मरीजों की मुफ्त मोतियाबिंद सर्जरी होने वाली है। लोगों को अंधेपन का सामना न करना पड़े इसके लिए लीलावती हॉस्पिटल सदैव प्रयास कर रहा हैं। हमारा उद्देश 500 से अधिक सफल सर्जरी करने का है।Health News : मानसून आने में अभी बहुत देरी है. लेकिन अप्रैल के महीने में ही गर्मी अपने तीखे तेवर दिखाने लगी है.वहीं, ऐसे में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए फ्रिज का ठंडा पानी पीकर अपनी प्यास बुझाने का प्रयास कर रहे हैं. जिससे लोगों को सर्दी-जुकाम से जूझना पड़ रहा है. साइंस के मुताबिक मिट्टी के घड़े का पानी फ्रिज का पानी पीने की अपेक्षा काफी लाभदायक माना जाता है. इसके पानी का सेवन करने से किसी भी तरह का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है.पहले जब फ्रिज नहीं हुआ करते थे, तो घड़ों में ही पानी रखा जाता है.
वहीं, करनाल के मुगल कैनाल में एक व्यक्ति जो पिछले कई सालों से मिट्टी के घड़े व बर्तन बनाकर बेच रहे हैं. घड़े बेचने वाले नवीन कुमार ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि उनके पास मिट्टी के घड़े, कैंपर, कुल्हड़, मिट्टी के बर्तन व कई प्रकार की वैरायटी हैं. यह काम उनका खानदानी काम है. पहले उनके पिता यह काम किया करते थे. अब वह मिट्टी के बर्तन बेचते हैं. उन्होंने बताया कि बहुत सा सामान वह खुद बनाते हैं. कुछ समान वह अलग-अलग राज्य से भी मंगवाते हैं, जैसे जयपुर, गुजरात व अन्य स्थानों से भी सामान इनके पास आता है.
मिट्टी के बर्तन काफी फायदेमंद
उन्होंने बताया कि अगर मिट्टी के बर्तन का इस्तेमाल किया जाए. वह सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. अगर मिट्टी के बर्तन में खाना बनाया जाए, तो वह बहुत ही स्वादिष्ट बनता है. साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है. इनमें आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम जैसे कई पोषक तत्व मौजूद रहते हैं , साथ ही साथ लोगों से भी अपील की गर्मी का मौसम है, ऐसे में घरों के बाहर पक्षियों के लिए व जानवरों के लिए आप सब लोग मिट्टी के बर्तन जरूर रखें, जिससे पानी भी ठंडा रहता है.(एजेंसी)अनिल बेदागमुंबई : फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड ने 100 बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स (बीएमटी) सफलतापूर्वक पूरा करके चिकित्सा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह उपलब्धि खून की बीमारियों के मरीजों की आशा, मजबूती और बदलाव लाने वाली देखभाल का एक शानदार सफर दिखाती है।बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स (बीएमटी) भारत में लगातार बढ़ रहे हैं और हर साल लगभग 2500 ट्रांसप्लांट्स किये जा रहे हैं। लेकिन यह देश की असल जरूरत के 10% से भी कम है। इसके कई कारण हैं, जैसे कि उपचार विकल्पों पर जागरूकता का अभाव, सीमित पहुँच, खर्च और सही समय पर रोग-निदान न होना। इन चुनौतियों को दूर करने और उपचार तक पहुँचने की कमियों को ठीक करने के लिये फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड में इंस्टिट्यूट ऑफ ब्लड डिसऑर्डर्स की स्थापना हुई थी।फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड में हीमैटोलॉजी, हीमैटो-ओन्कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के डायरेक्टर डॉ. सुभाप्रकाश सान्याल ने अपनी सक्षम टीम के साथ मिलकर खून की विभिन्न बीमारियों के मरीजों के लिये सफल बोन मैरो ट्रांसप्लांट्स की एक श्रृंखला चलाई। उनकी टीम में हीमैटोलॉजी एवं बीएमटी के कंसल्टेन्ट डॉ. हम्जा दलाल, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की असोसिएट कंसल्टेन्ट डॉ. अलीशा केरकर, इंफेक्शियस डिसीजेस की कंसल्टेन्ट डॉ. कीर्ति सबनीस, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के हेड डॉ. ललित धानतोले, आदि जैसे विशेषज्ञ थे। उन्होंने खून की जिन बीमारियों के लिये बीएमटी किये, उनमें मल्टीपल मायलोमा, लिम्फोमा, ल्युकेमिया, मीलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम, मीलोफाइब्रोसिस, एप्लास्टिक एनीमिया, आदि शामिल थीं।फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड में हीमैटोलॉजी, हीमैटो-ओन्कोलॉजी एवं बोन मैरो ट्रांसप्लांट (बीएमटी) के डायरेक्टर डॉ. सुभाप्रकाश सान्याल ने बताया कि हॉस्पिटल ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि केन्या, तंजानिया और बांग्लादेश से आने वाले मरीजों का भी इलाज किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि बीएमटी की जरूरत पर जागरूकता की कमी के कारण चुनौती होती है और इस कारण विशेषज्ञों से परामर्श लेने में अक्सर विलंब होता है। खून की बीमारियों पर जागरूकता कार्यक्रमों समेत डॉ. सान्याल की कोशिशों ने उपचार की कमी को दूर करने और खून की बीमारियों के ज्यादा मरीजों तक पहुँचने में योगदान दिया है।बीएमटी की विधियों में हालिया प्रगति से इलाज में काफी बदलाव आया है, परिणामों में सुधार आया है और दुष्प्रभाव कम किये हैं। डॉ. सान्याल ने सीएआर टी-सेल थेरैपी के महत्व पर रोशनी डाली। यह अत्याधुनिक इम्युनोथेरैपी है, जो कैंसर का मुकाबला करने के लिये इम्युन सिस्टम को आनुवांशिक तरीके से रिप्रोग्राम करती है। इस प्रकार एग्रेसिव लिम्फोमा, ल्युकेमिया और मल्टीपल मीलोमा के मरीजों को निजीकृत एवं लक्षित समाधान मिलते हैं।फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंड के फैसिलिटी डायरेक्टर डॉ. विशाल बेरी ने कहा कि ब्लड कैंसर और सही समय पर होने वाले इलाज के महत्व पर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ब्लड कैंसर का जल्दी पता लगने से जीवित रहने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। उन्होंने दोहराया कि उपचार के दूसरे विकल्पों से थक चुके मरीजों को उम्मीद देने में बीएमटी का प्रभाव काफी बदलाव कर सकता है। टी-सेल थेरैपी को मानक उपचार बताते हुए डॉ. बेरी ने एग्रेसिव लिम्फोमाज से मुकाबला करने में चिकित्सा के आधुनिक तरीकों को शामिल करने पर जोर दिया। यह आधुनिक औषधि-विज्ञान में एक महत्वपूर्ण प्रगति है।अनिल बेदाग
मुंबई : प्रोस्टेट ग्लैंड एक महत्वपूर्ण अंग है जो पुरुषों में प्रजनन संबंधी समस्याओं और मूत्र प्रणाली को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ग्लैंड उम्र बढ़ने के साथ बड़ा होता है और कई प्रोस्टेट संबंधी समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें प्रोस्टेट बढ़ना, प्रोस्टेट कैंसर, और मूत्र निकास की समस्याएं शामिल हैं।
मुंबई के जे जे अस्पताल एवं ग्रांट मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और इंटरवेंशनल रेडियोलाजिस्ट डॉक्टर शिवराज इंगोले का कहना है कि प्रोस्टेटिक आर्टरी एम्बोलिजेशन एक उत्तरदायी इलाज है जो प्रोस्टेट संबंधी समस्याओं का सामान्यत: सुधार करने के लिए प्रयोग किया जाता है। प्रोस्टेटिक आर्टरी एम्बोलिजेशन एक माध्यमिक तकनीक है जिसमें प्रोस्टेट ग्लैंड के लिए जानी जाने वाली प्रोस्टेटिक धमनियों को बंद किया जाता है। यह तकनीक अंतर्निहित धमनियों को बंद करके प्रोस्टेट की आवृत्ति को कम करने के लिए उपयुक्त है। इसका उपयोग बड़े प्रोस्टेट या प्रोस्टेटिक संबंधी लक्षणों के साथ-साथ निकास की समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।मुंबई : नासिक का रहने वाला 14 साल का लड़का,जिसका पिता किसान है। जन्म के बाद से हाल ही में 2 वर्षों से पीठ में कूबड़ दिखाई दे रहा था। कुछ महीनों से पहले वह चंचल था, जब उसे कमजोरी और लकवा होने लगा, पिछले कुछ सप्ताह में उसके दोनों पैरों में पूरी तरह से लकवा हो गया। दोनों पैरों में सारी संवेदनाएं खत्म हो गईं। उसे पेशाब आना बंद हो गया या चेहरे पर नियंत्रण नहीं रह गया।
माता-पिता नासिक में स्पाइन डॉक्टरों के पास गए, जिन्होंने मुंबई जाने और जेजे अस्पताल में ऑर्थोपेडिक यूनिट के प्रमुख, विशेषज्ञ स्पाइन सर्जन डॉ. धीरज सोनावणे से मिलने का सुझाव दिया। डॉ. धीरज से मिलने पर उन्होंने सीटी स्कैन, एमआरआई और विशेष एक्सरे से माता-पिता को गंभीर काइफोस्कोलियोसिस के साथ न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस नामक बीमारी के बारे में परामर्श दिया। इस मरीज़ के सामने कई चुनौतियाँ थीं जैसे रीढ़ की हड्डी का 150 डिग्री का मोड़ जो चट्टान की तरह था, फेफड़ों की ख़राब क्षमता, असामान्य कशेरुकाओं का आपस में चिपक जाना।
बेहतर प्लानिंग के लिए डॉ. धीरज ने पूरी रीढ़ की हड्डी का 3डी प्लास्टिक मॉडल बनाया और सर्जरी करने का फैसला किया। ऑर्थोपेडिक्स के स्पाइन सर्जनों की टीम में डॉ. अजय चंदनवाले (संयुक्त निदेशक डीएमईआर), डॉ. सागर जावले, डॉ. संतोष घोटी, डॉ. कुशल घोइल और मुख्य एनेस्थेटिक डॉ. संतोष गिते शामिल थे।Health News : कड़ाके की सर्दी में हर दूसरा इंसान सर्दी-जुकाम और खांसी से परेशान हैं। इस मौसम में इम्युनिटी बेहद कम हो जाती है जिसकी वजह से लोगों के बीमार पड़ने की संभावना भी ज्यादा होती है। अक्सर लोग इम्युनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए विटामिन सी का सेवन करने की सलाह देते हैं। विटामिन सी बेशक इम्युनिटी बेहतर करता है, लेकिन एक मिनरल भी ऐसा है जो आपकी परेशानी का समाधान निकाल सकता है। जी हां हम बात कर रहे हैं जिंक की।
जिंक एक ऐसा खास मिनरल है जो सर्दी जुकाम और रेस्पिरेटरी ट्रेक के इंफेक्शन को कंट्रोल करता है। यह शरीर में वायरस को बढ़ने से रोकने में अहम भूमिका निभाता है। बाल पोषण विशेषज्ञ मोना नरूला ने बताया है कि जिंक एक ऐसा मिनरल है जो इम्युनिटी को बढ़ावा देने और संक्रमण से लड़ने में अहम किरदार निभाता है।
एक्सपर्ट के मुताबिक जिंक एक महत्वपूर्ण खनिज है जो विभिन्न प्रकार के पौधों और एनिमल बेस फूड्स में पाया जाता है। यह शरीर के विभिन्न कार्यों जैसे इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाने, घाव भरने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।(एजेंसी)Health News : सुबह की ताजा वायु वर्कशॉप की तरह हमारे बॉडी को रिपेयर करती है। क्या आप जानते हैं हमारी बॉडी को प्रति क्षण, प्राणवायु चला रही है इसलिए सुबह की जो हवा होती है वह हमारी बॉडी के लिए औषधि का कार्य करती है। इसलिए गहरी नींद आती है ताकि हमारी बॉडी विधिवत टूट फूट मरम्मत और सफाई का कार्य कर सके, ताकि हम अगले दिन के लिए पूरी तरह कार्य करने के लिए तैयार हो सके। हमारी बॉडी सुबह ज्यादा रिपेयर करती है और जब गहरी नींद होती है उसी में यह कार्य विधिवत ढंग से हो पता है क्योंकि हमारा दिमाग ऑर्डर देता है हमारा दिमाग शांत होता है इसलिए इस तरह गहरी नींद आती है।
सुबह को ब्रह्म मुहूर्त के नाम से सारी दुनिया जानती है ब्रह्म मुहूर्त अर्थात हमारी जो प्राण शक्ति है हमारे अंदर जो शक्ति है वही यह सब कार्य करती है हमारी बॉडी को रिपेयर करके अगले दिन के लिए तैयार करती है इसीलिए सुबह के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है और इसीलिए गहरी नींद आती है। आज ऐसी स्थिति हो गई है कि लोग रात्रि 8 के बाद खाना बनाना और खाना खाना शुरू करते हैं इनमें से कोई रात को 10 बजे खाता है कोई 11 या 12 बजे खाता है कितने लोग दो-दो बजे रात को खाते हैं आखिर बॉडी क्या करें ।
जो विधि है खाने की उसमें कहा जाता है कि सुबह 8:00 बजे से लेकर शाम को 6:00 बजे तक डिनर समाप्त हो जाना चाहिए ताकि बॉडी को पूरा खाना डाइजेस्ट करने का समय मिले और टूट-फूट मरम्मत और सफाई का समय मिले ताकि व्यक्ति सुबह 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त में स्फूर्ति के साथ जाग जाए और योग ध्यान व्यायाम करें। आप जानते हैं गहरी नींद में हमारी बॉडी टूट फूट मरम्मत करती है यह बॉडी को रिपेयर करती है सुबह की जो वायु होती है वह एक औषधि है।(एजेंसी)द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
अनिल बेदाग
मुंबई : गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स होल्डर आरके एचआईवी एड्स रिसर्च एंड केयर सेंटर के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार और क्रिएटिव आई लिमिटेड के निर्माता निर्देशक धीरज कुमार मुम्बई में फ़िल्म इंडस्ट्री और मीडिया के लिए 28 जनवरी 2024 को डॉक्टर 365 बॉलीवुड महा आरोग्य शिविर का आयोजन करने जा रहे हैं, इस बार इस कैम्प के आयोजन में गणेश आचार्य फाउंडेशन के गणेश आचार्य का भी सहयोग है। इस संदर्भ में मुम्बई में एक प्रेस कांफ्रेंस के द्वारा इसकी घोषणा की गई। इस अवसर पर अतिथि के रूप में निर्देशक ऎक्टर दीपक तिजोरी, बीएन तिवारी, सोमा घोष, हरीश चोकसी, मार्शल आर्ट गुरु चीता याजनेश शेट्टी, अभिनेत्री निहारिका रायजादा, संगीता तिवारी, अविनाश राय सहित कई हस्तियां मौजूद रहीं।Facebook