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काबूल। सार्क जर्नलिस्ट फोरम, एसजेएफ अफगानिस्तान चैप्टर का गठन मोहम्मद ग्रान की अध्यक्षता में किया गया है जो अफगानिस्तान के वरिष्ठ और प्रमुख पत्रकार हैं।
इसी तरह, अन्य वरिष्ठ पत्रकार बेनज़ीर बक्तश, अमीना अज़ीज़ी, नूरुल्ला स्टैनिकज़ई और सादिकुल्ला पोपल को सार्क पत्रकार मंच, एसजेएफ के अफगानिस्तान चैप्टर के उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव और कोषाध्यक्ष के रूप में चुना गया है।
गुल अहमद एहसान, सीरत नूरी, ज़मीर सफ़ी, एस्मत मोराडी और इकरामुल्ला इकराम को एसजेएफ अफगानिस्तान चैप्टर के सदस्य के रूप में चुना गया है। सार्क पत्रकार मंच, एसजेएफ ने खलील ओमाद को एसजेएफ अफगानिस्तान चैप्टर के प्रभारी के रूप में नामित किया। ओमाद एसजेएफ की कार्यकारी समिति के सचिव भी हैं।
सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम, एसजेएफ कार्यकारी समिति के अध्यक्ष राजू लामा, उपाध्यक्ष रामनाथ विद्रोही और महासचिव एमडी अब्दुर रहमान ने एसजेएफ अफगानिस्तान चैप्टर के नव निर्वाचित नेताओं को बधाई दी और उनके सफल कार्यकाल की कामना की।
सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम, एसजेएफ सार्क देशों पत्रकारों के हित में लड्ने के लिए गठित सबसे बडे पत्रकार संगठन हैं ।Write to Diya Mali
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एजेंसी
नेपाल : नेपाल में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान में सवार सभी यात्रियों के मारे जाने का डर है. नेपाल के एक सरकारी अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को यह जानकारी दी. इस विमान के दुर्घटनास्थल से मृतकों के शव निकाले जाने के बीच यह शंकाएं तेज हो गई हैं. नेपाल के गृहमंत्रालय के प्रवक्ता पधींद्र मणि पोखरेल ने कहा, हमें डर है कि इस विमान में सवार सभी यात्री अपनी जान गंवा चुके हैं. हमारा प्राथमिक आंकलन बताता है कि कोई भी इस विमान दुर्घटना में नहीं बच सका होगा. लेकिन आधिकारिक सूचना आने में अभी समय है."
नेपाल के पहाड़ों में दुर्घटनाग्रस्त हुए विमान के मलबे से 14 मृतकों के शव बरामद किए गए हैं. इस विमान में 22 लोग सवार थे, जिनमें 4 भारतीय शामिल थे. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नेपाल के नागरिक उड्डयन अधिकारी के हवाले से यह जानकारी सामने आई है. प्रवक्ता देओ चंद्र लाल करन ने दुर्घटना के एक दिन बाद AFP से कहा अब तक 14 शव बरामद किए गए हैं. बाकी बचे लोगों की तलाश की जा रही है. मौसम बेहद खराब है लेकिन हमारी टीम क्रैश साइट पर पहुंच गई है. किसी दूसरी फ्लाइट की संभावना नहीं है."
क्रैश की जगह उत्तर-पश्चिमी नेपाल में मस्टैंग जिले में थैसांग में सानो स्वार भीर पर 14,500 फीट की ऊंचाई पर मिली. विमान के खोने के करीब 20 घंटे बाद दुर्घटना की जगह मिल सकी.
यह टर्बोप्रॉप ट्विन ऑटर 9N-AE विमान तारा एयर ऑपरेट कर रही थी और पोखरा से रविवार सुबह 10 बजे उड़ान भरने से कुछ मिनट बाद उसका संपर्क टूट गया था. कनाडा में बना हुआ यह विमान पोखरा से जॉमसोम जा रहा था जो केंद्रीय नेपाल का एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है.
एएनआई को फोन पर मुख्य जिला अधिकारी नेत्रा प्रसाद ने शर्मा ने कहा, "यह विमान मस्टांग में जॉमसोम के आसमान में देखा गया था और फिर माउंट धौलागिरी की ओर मुड़ा जिसके बाद इससे संपर्क नहीं हो पाया."
एयरलाइन ने उन यात्रियों की सूची भी जारी की है जो इसपर सवार थे, इसमें अशोक कुमार त्रिपाठी, उनकी पत्नि वैभवी और उनके बच्चे धनुष और रितिका सवार थे. यह परिवार मुंबई के निकट थाने का रहने वाला था. एक अधिकारी ने बताया कि वैभवी त्रिपाठी की बड़ी बहन ने अधिकारियों ने उनकी मां को यह जानकारी नहीं देने को कहा है क्योंकि उनकी तबियत खराब है.
हिमालय टाइम्स अबबार के अनुसार नेपाल के गृह मंत्रालय ने मस्टांग और पोखरा से खोए हुए विमान की तलाश के लिए दो प्राइवेट हैलीकॉप्टरों को तैनात किया था. सुरक्षाबलों की निगरानी और खोज यूनिट और स्थानीय लोग भी धौलागिरी में तलाशी अभियान में जुटे.
नेपाल में दुनिया के 14 सबसे ऊंचे पहाड़ों में से 8 मौजूद हैं. इनमें एवरेस्ट भी शामिल है. यहां रिकॉर्ड संख्या में हवाई दुर्घटनाएं होती हैं. 2016 में इसी एयरलाइन का एक विमान इसी रास्ते पर उड़ान के बाद क्रैश हो गया था और इस पर सवार सभी 23 लोग मारे गए थे.
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मीडिया रिपोर्ट
नई दिल्ली : भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में चार विभिन्न परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी खरीद में करीब 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है. इन परिसंपत्तियों से निकलने वाले तेल एवं गैस की बिक्री से भारतीय कंपनियों को लाभांश आय होती है. हालांकि यूक्रेन संकट के बाद रूस की सरकार ने अमेरिकी डॉलर में भुगतान करने पर रोक लगा दी है. इस पाबंदी की वजह से भारतीय तेल कंपनियां रूस से अपनी आय की निकासी नहीं कर पा रही हैं.
नई दिल्ली: यूक्रेन पर हमले के बाद रूस से डॉलर में होने वाले विदेशी भुगतान पर रोक लगने से भारतीय तेल कंपनियों की आठ अरब रूबल (करीब 1,000 करोड़ रुपये) की लाभांश आय रूस में फंस गई है. सार्वजनिक तेल कंपनियों के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों ने रूस में चार विभिन्न परिसंपत्तियों में हिस्सेदारी खरीद में करीब 5.46 अरब डॉलर का निवेश किया हुआ है. इन परिसंपत्तियों से निकलने वाले तेल एवं गैस की बिक्री से भारतीय कंपनियों को लाभांश आय होती है. हालांकि यूक्रेन संकट के बाद रूस की सरकार ने अमेरिकी डॉलर में भुगतान करने पर रोक लगा दी है. इस पाबंदी की वजह से भारतीय तेल कंपनियां रूस से अपनी आय की निकासी नहीं कर पा रही हैं.
वैंकोरनेफ्ट तेल एवं गैस क्षेत्र में भारतीय कंपनियों के पास 49.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि तास-युरिआख नेफ्तगेजोदोबाइचा क्षेत्र में उनकी हिस्सेदारी 29.9 फीसदी है.
ऑयल इंडिया लिमिटेड के निदेशक (वित्त) हरीश माधव ने कहा, 'हमें अपनी परियोजनाओं से नियमित तौर पर अपनी लाभांश आय मिलती रही है लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विदेशी मुद्रा दरों में अस्थिरता होने से रूसी सरकार ने डॉलर की निकासी पर पाबंदी लगाई हुई है.'
तास क्षेत्र से भारतीय कंपनियों को तिमाही आधार पर लाभांश मिलता था जबकि वैंकोरनेफ्ट की आय का भुगतान छमाही आधार पर किया जाता है. माधव ने कहा कि रूस के इन तेल-गैस क्षेत्रों में भागीदार भारतीय कंपनियों की करीब आठ अरब रूबल की लाभांश आय फंसी हुई है. उन्होंने कहा कि वैसे यह कोई बड़ी राशि नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने भरोसा जताया कि यूक्रेन संकट खत्म होते ही यह राशि वापस मिल जाएगी.
ओएनजीसी की विदेशी इकाई ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) के पास पश्चिम साइबेरिया के वैंकोर क्षेत्र में 26 फीसदी हिस्सेदारी है. इस क्षेत्र में इंडियन ऑयल, ऑयल इंडिया और भारत पेट्रोरिसोर्सेज लिमिटेड के पास भी 23.9 फीसदी की हिस्सेदारी है. इस समूह की तास क्षेत्र में भी 29.9 फीसदी हिस्सेदारी है.
भारतीय कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि इन तेल-गैस क्षेत्रों के परिचालन पर कोई असर नहीं पड़ा है और वहां से सामान्य उत्पादन हो रहा है. ऑयल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक एस सी मिश्रा ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध से रूस में कंपनी के निवेश पर कोई असर नहीं पड़ा है. ओवीएल के पास सुदूर-पूर्व रूस के सखालिन-1 तेल एवं गैस क्षेत्र में 20 फीसदी हिस्सेदारी है.
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यूक्रेन ने दावा किया है कि रूस ने सीमा पर परमाणु हथियार लांचर तैनात कर दिये हैं।
समाचार एजेन्सी इर्ना की रिपोर्ट के अनुसार यूक्रेन की सशस्त्र सेना प्रमुख ने रविवार एक विज्ञप्ति जारी करके एलान किया है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा से 60 किलोमीटर की दूरी पर मोबाइल लांचर स्कन्दर एम को तैनात कर दिया है।
इसी प्रकार यूक्रेन की सशस्त्र सेना प्रमुख की ओर से जारी विज्ञप्ति में आया है कि दुश्मन ने यूक्रेन की सीमा के निकट बेलगूर्द क्षेत्र में सैनिकों की संख्या में वृद्धि कर दी है। उन्होंने इस संबंध में अधिक जानकारी देने के बजाये कहा कि जो सूचनायें प्राप्त हुई हैं उसके अनुसार रूस ने यूक्रेन की सीमा से 60 किलोमीटर की दूरी पर लांचर सिस्टम स्कंदर M को तैनात कर दिया है।
समाचार एजेन्सी रोयटर ने रिपोर्ट दी है कि इस रिपोर्ट के सही होने की पुष्टि नहीं की जा सकती और अभी इस खबर की प्रतिक्रिया में मॉस्को की ओर से कोई बयान सामने नहीं आया है। इस रिपोर्ट के अनुसार बिलगूर्द एक शहर है जो यूक्रेन की सीमा के उत्तर में है और वह क्षेत्र का नियंत्रण केन्द्र है।
ज्ञात रहे कि "स्कंदर एम" बैलेस्टिक मिसाइलों को लांच करने का एक मोबाइल सिस्टम है जिसे नैटो S.S-26 स्टोन के नाम से जानता है। इस सिस्टम से एक साथ 500 किलोमीटर की रेंज तक दो गाइडेड मिसाइलों को एक साथ फायर किया जा सकता है और यह सिस्टम परमाणु वार हेड्स भी ले जाने में सक्षम है।
समाचार एजेन्सी रोयटर्ज़ की रिपोर्ट के अनुसार गत शुक्रवार को रूस ने एलान किया था कि वह यूक्रेन के समस्त दक्षिणी क्षेत्रों पर नियंत्रण करना चाहता है। MM -
मीडिया रिपोर्ट
चीन : चीन के गुआंग्शी इलाके में 132 लोगों को लेकर जा रहा विमान सोमवार को क्रैश हो गया। चीन के सरकारी मीडिया सीजीटीएन की रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बोइंग 737 विमान में 130 से ज्यादा लोग सवार थे और यहां गुआंग्शी इलाके के वुझोउ शहर के बाहरी हिस्से में गिरा। कहा जा रहा है कि इस हादसे के चलते पहाड़ पर आग लग गई। फिलहाल अथॉरिटीज ने बचाव दल को मौके पर भेजा है। राहत कार्य तेजी से किया जा रहा है, लेकिन अब तक हादसे की वजह सामने नहीं आ सकी है। विमान हादसे का कारण जानने के लिए ब्लैक बॉक्स की बरामदगी जरूरी है, जिसके तेजी से तलाश की जा रही है।
हादसे का शिकार हुआ विमान 6 साल पुराना था। यह घटना स्थानीय समयानुसार दोपहर 1:11 पर हुई थी। विमान उस वक्त हादसे का शिकार हुआ, जब वह 3,225 फुट की ऊंचाई पर उड़ रहा था। विमान की दोपहर 3 बजकर 5 मिनट पर लैंडिंग होनी थी। चीन को एयरलाइन इंजस्ट्री की सेफ्टी के रिकॉर्ड के मामले में दुनिया के टॉप देशों में शुमार किया जाता है। एविएशन सेफ्टी नेटवर्क के मुताबिक चीन में आखिरी बार भीषण हवाई हादसा 2010 में हुआ था, जब एम्ब्रेयर ई-190 जेट क्रैश हो गया था। इस हादसे में कुल 44 लोग मारे गए थे, जबकि विमान में 96 लोग सवार थे।
विमान में कुल 123 यात्री सवार थे, जबकि 9 लोग क्रू मेंबर थे। चाइना सेंट्रल टेलीविजन की रिपोर्ट में कहा गया है, 'चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस का बोइंग 737 एयरक्राफ्ट तेंगशियांग काउंटी में क्रैश हुआ है, जो वुझोउ शहर के पास स्थित है। इस हादसे के चलते पहाड़ पर आग लग गई।' ग्लोबल न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक यह विमान 2015 में आया था। इस विमान में कुल 162 सीटें होती हैं, लेकिन सवारियां थोड़ी कम थीं। इसमें 12 बिजनेस क्लास की सीटें थीं, जबकि इकॉनमी क्लास के लिए 150 सीटें इसमें हैं। अभी मरने वालों की संख्या के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। -
मीडिया रिपोर्टरूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गुरुवार को यूक्रेन में एक सैन्य अभियान की घोषणा की और अन्य देशों को चेतावनी दी कि रूसी कार्रवाई में हस्तक्षेप करने के किसी भी प्रयास के परिणाम “आपने कभी नहीं देखे होंगे।”
उन्होंने कहा कि पूर्वी यूक्रेन में नागरिकों की रक्षा के लिए हमले की जरूरत थी – एक दावा यू.एस. ने भविष्यवाणी की थी कि वह एक आक्रमण को सही ठहराने के लिए झूठा दावा करेगा।
एक टेलीविज़न संबोधन में, पुतिन ने अमेरिका और उसके सहयोगियों पर यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से रोकने और मास्को सुरक्षा गारंटी की पेशकश करने की रूस की मांग की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि रूस यूक्रेन पर कब्जा करने का इरादा नहीं रखता है, लेकिन इसे “विसैन्यीकरण” करने और अपराध करने वालों को न्याय दिलाने के लिए कदम उठाएगा।
जैसे ही पुतिन ने भोर से पहले बात की, कीव, खार्किव, ओडेसा और यूक्रेन के अन्य शहरों में बड़े विस्फोटों की आवाज सुनी गई।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने एक लिखित बयान में यूक्रेन पर “अकारण और अनुचित हमले” की निंदा की और उन्होंने वादा किया कि अमेरिका और उसके सहयोगी “रूस को जवाबदेह ठहराएंगे।” बाइडेन ने कहा कि उन्होंने सात नेताओं के समूह की बैठक के बाद गुरुवार को अमेरिकियों से बात करने की योजना बनाई है। रूस के खिलाफ गुरुवार को और प्रतिबंधों की घोषणा होने की उम्मीद थी।
एक पूर्ण विकसित रूसी आक्रमण बड़े पैमाने पर हताहतों का कारण बन सकता है और यूक्रेन की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिरा सकता है। और रूस पर लगाए गए संघर्ष और परिणामी प्रतिबंधों के परिणाम पूरे विश्व में गूंज सकते हैं, यूरोप में ऊर्जा आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं, वैश्विक वित्तीय बाजारों को झटका दे सकते हैं और महाद्वीप पर शीत युद्ध के बाद के संतुलन को खतरे में डाल सकते हैं।
देश और उसके लोगों को पता होना चाहिए कि रूसी प्रतिक्रिया तत्काल होगी और उन परिणामों की ओर ले जाएगी जो आपने इतिहास में कभी नहीं देखे हैं, ”उन्होंने कहा।
पुतिन ने यूक्रेन के सैनिकों से “तुरंत हथियार डालने और घर जाने” का आग्रह किया।
पुतिन की घोषणा यूक्रेनी राष्ट्रपति द्वारा मास्को के दावों को खारिज करने के कुछ ही घंटों बाद हुई कि उनका देश रूस के लिए खतरा बन गया है और शांति के लिए एक भावुक, अंतिम मिनट की अपील की।
“यूक्रेन के लोग और यूक्रेन की सरकार शांति चाहते हैं,” राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने एक भावनात्मक रात भर के संबोधन में रूसी नागरिकों से सीधे अपील में रूसी में बोलते हुए कहा। “लेकिन अगर हम पर हमला होता है, अगर हम अपने देश, अपनी स्वतंत्रता, अपने जीवन और अपने बच्चों के जीवन को छीनने के प्रयास का सामना करते हैं, तो हम अपनी रक्षा करेंगे। जब आप हम पर हमला करेंगे तो आपको हमारे चेहरे दिखाई देंगे, न कि हमारी पीठ।”
ज़ेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने बुधवार देर रात पुतिन के साथ एक कॉल की व्यवस्था करने के लिए कहा, लेकिन क्रेमलिन ने कोई जवाब नहीं दिया।
पूर्वी यूक्रेन में “शांति बनाए रखने” के लिए रूसी सेना की तैनाती को अधिकृत करने के पुतिन के कदम के एक स्पष्ट संदर्भ में, ज़ेलेंस्की ने चेतावनी दी कि “यह कदम यूरोपीय महाद्वीप पर एक बड़े युद्ध की शुरुआत को चिह्नित कर सकता है।”
“किसी भी उकसावे, किसी भी चिंगारी से आग लग सकती है जो सब कुछ नष्ट कर देगी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने रूसी प्रचार के दावों को चुनौती देते हुए कहा कि “आपको बताया गया है कि यह आग यूक्रेन के लोगों को आजादी दिलाएगी, लेकिन यूक्रेनी लोग स्वतंत्र हैं।”
रूसी आक्रमण के आसन्न खतरे के कारण यूक्रेन द्वारा बुलाई गई संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक में, पुतिन की घोषणा से अनजान सदस्यों ने उनसे हमले को रोकने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने घोषणा से ठीक पहले बैठक की शुरुआत की, पुतिन से कहा: “अपने सैनिकों को यूक्रेन पर हमला करने से रोकें। शांति को एक मौका दें। बहुत से लोग पहले ही मर चुके हैं।”
पुतिन द्वारा सोमवार को अलगाववादी क्षेत्रों की स्वतंत्रता को मान्यता दिए जाने के बाद, एक आसन्न रूसी आक्रमण के बारे में चिंता बढ़ गई, विद्रोही क्षेत्रों में सैनिकों की तैनाती का समर्थन किया और देश के बाहर सैन्य बल का उपयोग करने के लिए संसदीय अनुमोदन प्राप्त किया। पश्चिम ने प्रतिबंधों का जवाब दिया।
बुधवार की देर रात, यूक्रेनी सांसदों ने एक डिक्री को मंजूरी दी जो गुरुवार से शुरू होने वाले 30 दिनों के लिए देशव्यापी आपातकाल लागू करती है। यह उपाय अधिकारियों को “राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के हित में” आंदोलन, ब्लॉक रैलियों और राजनीतिक दलों और संगठनों पर प्रतिबंध लगाने और अन्य प्रतिबंधों की घोषणा करने की अनुमति देता है।
कार्रवाई शांत परियोजना की कोशिश के हफ्तों के बाद यूक्रेनी अधिकारियों के बीच बढ़ती चिंता को दर्शाती है। विदेश मंत्रालय ने रूस की यात्रा के खिलाफ सलाह दी और सिफारिश की कि वहां मौजूद किसी भी यूक्रेनियन को तुरंत छोड़ दिया जाए।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने बुधवार को कहा कि यूक्रेन की सीमाओं पर 150,000 से अधिक सैनिकों की रूसी सेना तैयार है। “वे अभी जाने के लिए तैयार हैं,” किर्बी ने कहा।
एयरमैन को एक नोटिस के अनुसार, गुरुवार तड़के, पूरे यूक्रेन में हवाई क्षेत्र को नागरिक हवाई यातायात के लिए बंद कर दिया गया था। एक वाणिज्यिक उड़ान ट्रैकिंग वेबसाइट ने दिखाया कि तेल अवीव से टोरंटो के लिए उड़ान भरने वाला एक इज़राइली एल अल बोइंग 787 रोमानिया, हंगरी, स्लोवाकिया और पोलैंड पर चक्कर लगाने से पहले अचानक यूक्रेनी हवाई क्षेत्र से बाहर हो गया। यूक्रेन के ऊपर ट्रैक किया गया एकमात्र अन्य विमान एक यू.एस. आरक्यू -4 बी ग्लोबल हॉक मानव रहित निगरानी विमान था, जो रूस द्वारा यूक्रेनी क्षेत्र पर उड़ान प्रतिबंध लगाने के बाद गुरुवार तड़के पश्चिम की ओर उड़ान भरना शुरू कर दिया।
वितरित-इनकार-की-सेवा हमलों की एक और लहर ने बुधवार को यूक्रेन की संसद और अन्य सरकारी और बैंकिंग वेबसाइटों को प्रभावित किया, और साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने कहा कि अज्ञात हमलावरों ने विनाशकारी मैलवेयर से सैकड़ों कंप्यूटरों को भी संक्रमित किया था।
अधिकारियों ने लंबे समय से कहा है कि वे साइबर हमले से पहले और किसी भी रूसी सैन्य घुसपैठ के साथ होने की उम्मीद करते हैं, और विश्लेषकों ने कहा कि घटनाएं वास्तविक दुनिया की आक्रामकता के साथ शादी के साइबर ऑपरेशन की लगभग दो दशक पुरानी रूसी प्लेबुक की हैं।
पुतिन की घोषणा से पहले ही, दर्जनों देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगा दिए, रूसी कुलीन वर्गों और बैंकों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों से बाहर कर दिया।
बिडेन ने रूस-से-जर्मनी नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन बनाने वाली कंपनी और कंपनी के सीईओ के खिलाफ प्रतिबंधों को आगे बढ़ने की अनुमति दी।
जर्मनी ने मंगलवार को कहा कि वह परियोजना को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर रहा था, जब बिडेन ने आरोप लगाया कि पुतिन ने अलगाववादी क्षेत्रों में सेना भेजकर “यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की शुरुआत” शुरू की थी। पाइप लाइन बनकर तैयार हो गई है लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ है।
यूक्रेन पर रूसी सैन्य हमले के शुरू होने से पहले ही, युद्ध के खतरे ने यूक्रेन की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था और बड़े पैमाने पर हताहतों की संख्या, पूरे यूरोप में ऊर्जा की कमी और वैश्विक आर्थिक अराजकता के खतरे को बढ़ा दिया था।
रूस के खिलाफ यूरोपीय संघ के प्रतिबंध प्रभावी हुए, 351 रूसी सांसदों के साथ कई कंपनियों को लक्षित किया, जिन्होंने पुतिन से विद्रोही क्षेत्रों और 27 वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक अधिकारियों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को मान्यता देने का आग्रह किया।
रूसी विदेश मंत्रालय ने प्रतिबंधों को हटाते हुए कहा है कि "रूस ने साबित कर दिया है कि प्रतिबंधों की सभी लागतों के साथ, वह नुकसान को कम करने में सक्षम है।"कर्मनौ और हेइंट्ज़ ने कीव से सूचना दी। पेरिस में एंजेला चार्लटन; बर्लिन में फ्रैंक जॉर्डन; ब्रसेल्स में लोर्ने कुक, बोस्टन में फ्रैंक बाजाक, रॉबर्ट बर्न्स, मैथ्यू ली, आमेर मधानी, एरिक टकर, एलेन निकमेयर, ज़ेके मिलर, क्रिस मेगेरियन और वाशिंगटन में डार्लिन सुपरविले ने योगदान दिया। -
मीडिया रिपोर्ट
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक बार फिर यमन के हूती विद्रोहियों ने बड़ा हमला किया है। अबू धाबी पुलिस ने जानकारी दी है कि विद्रोहियों ने मुसाफ्फा इलाके में हमला किया। हमला ड्रोन से बताया जा रहा है जो इलाके में तेल के तीन टैंकरों पर गिराया गया। इसके बाद तेल के टैंकरों में जोरदार विस्फोट हुआ। इस विस्फोट की आग अबू धाबी एयरपोर्ट तक पहुंच गई। इस हमले में दो भारतीय और एक पाकिस्तानी नागरिक की मौत हो गई है। जबकि छह लोग घायल हुए हैं।
घटना सोमवार सुबह की बताई जा रही है। एएफपी न्यूज एजेंसी के हवाले से अबू धाबी पुलिस ने बताया कि संभावित ड्रोन से तेल के टैंकरों पर किया गया विस्फोट इतना जोरदार था कि अबूधाबी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के नए निर्माण स्थल पर भी आग फैल लग गई। हालांकि एयरपोर्ट पर ज्यादा नुकसान की खबर नहीं है। स्थानीय मीडिया की मानें तो इस हमले की जिम्मेदारी यमन के हूती विद्रोहियों ने ली है।
दुबई के अल-अरबिया इंग्लिश की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले में तीन लोगों की मौत हो गई है। जिसमें एक पाकिस्तानी और दो भारतीय नागरिक शामिल हैं। जबकि छह अन्य घायल हुए हैं।
अबू धाबी पुलिस ने बताया कि धमाके से पहले आकाश में ड्रोन देखे जाने की भी सूचना थी। बताया जा रहा है कि अबू धाबी में दो जगहों पर आग लगी है। पहली आगजनी मुसाफ्फा में तेल के टैंकरों पर हुई तो दूसरे आगजनी की घटना अबू धाबी एयरपोर्ट के निर्माण स्थल पर हुई। -
एजेंसीनई दिल्ली : एक मॉडलिंग अध्ययन के अनुसार, अगर बेहतर नियंत्रण उपाय नहीं किए गए तो अगले साल अप्रैल तक इंग्लैंड में कोरोना वायरस का ओमिक्रॉन संस्करण 25,000 से 75,000 कोविड-19 संबंधित मौतों का कारण बन सकता है। इस अध्ययन से पता चलता है कि ओमिक्रॉन में इंग्लैंड में संक्रमण की बड़ी लहर पैदा करने की क्षमता है जिसमें जनवरी 2021 के मुकाबले कहीं अधिक मामले सामने आ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती मरीजों की तादाद बहुत अधिक बढ़ सकती है। इसमें कहा गया है कि अतिरिक्त नियंत्रण उपाय नहीं अपनाने पर अप्रैल 2022 तक 74,800 मौतें हो सकती हैं।
एलएसएचटीएम ने नए डाटा का किया उपयोगयूके में लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन (एलएसएचटीएम) के शोधकर्ताओं ने ओमिक्रॉन की एंटीबॉडी-विकसित विशेषताओं पर नए प्रयोगात्मक डाटा का उपयोग किया ताकि वैरिएंट के प्रतिरक्षा से बचने के लिए सबसे बेहतर परिदृश्यों का पता लगाया जा सके। सबसे उम्मीदजनक परिदृश्य के तहत, संक्रमण की ऐसी लहर का अनुमान है जिसमें अस्पतालों में भर्ती होने के 2,000 से अधिक दैनिक मामले सामने आ सकते हैं। यदि कोई अतिरिक्त नियंत्रण उपाय लागू नहीं किया जाता है तो 1 दिसंबर 2021 से 30 अप्रैल 2022 के बीच अस्पताल में 175,000 भर्ती हो सकते हैं और 24,700 की मौत हो सकती है।
लगाने होंगे कई प्रतिबंधयह आशावादी परिदृश्य ओमिक्रॉन के इम्यून से कम बचने और वैक्सीन बूस्टर की उच्च प्रभावशीलता के बारे में बताता है। इस परिदृश्य में 2022 की शुरुआत में नियंत्रण उपायों को लागू करना जैसे इनडोर कार्यक्रमों, कुछ मनोरंजन स्थलों को बंद करना और लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध शामिल हैं। अगर ऐसा किया जाता है तो वायरस की लहर को काफी हद तक नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। ऐसा होने पर अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में 53,000 की कमी और मौतों में 7,600 की कमी होगी। सबसे निराशावादी परिदृश्य में ओमिक्रॉन के इम्यून से अधिक बचने और वैक्सीन बूस्टर की कम प्रभावशीलता होगी।
अतिरिक्त नियंत्रण उपाय नहीं अपनाने पर 74,800 मौतेंयह परिदृश्य संक्रमण की एक लहर को इंगित करता है, जो जनवरी 2021 में अस्पताल में सबसे अधिक मरीजों की भर्ती होने संभावना को दिखाता है। अगर कोई अतिरिक्त नियंत्रण उपाय नहीं किया जाता है तो 492,000 लोग अस्पताल में भर्ती होंगे और 74,800 मौतें हो सकती हैं। एलएसएचटीएम के रोसन्ना बरनार्ड ने कहा कि ओमिक्रॉन विशेषताओं के बारे में बहुत अनिश्चितता है और कहना मुश्किल है कि क्या इंग्लैंड में ओमिक्रॉन उसी तरह फैलेगा जैसा दक्षिण अफ्रीका में इसका प्रसार हुआ था।
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मीडिया रिपोर्टपाकिस्तान : पाकिस्तान में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर बवाल जारी है। EVM से जुड़े विवादास्पद विधेयकों को पारित कराने के लिए इमरान सरकार ने 17 नवंबर को संसद की संयुक्त बैठक बुलाने का फैसला किया है। मामले को लेकर समर्थन हासिल करने के लिए पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-क्यू (PML-Q) की बैठक बुलाई है।
डॉन की रिपोर्ट बताती है कि बैठक के बाद गठबंधन के सहयोगी दल अभी भी बिलों का समर्थन करने के बारे में अनिश्चित हैं। बता दें कि EVM को लेकर सबसे बड़ा बवाल 90 लाख से अधिक विदेशी पाकिस्तानियों को मतदान का अधिकार देने को लेकर है।
सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने जोर देकर कहा है कि सरकार के सहयोगियों ने पीएम इमरान खान के पक्ष में मतदान करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार ने सर्वसम्मति से 17 नवंबर को संसद का संयुक्त सत्र बुलाने का फैसला किया है।
PML-Q के सूचना सचिव कामिल अली आगा ने बताया है कि पार्टी नेता चौधरी परवेज इलाही, जो पीएम आवास में बैठक में शामिल हुए थे, ने अभी तक तय नहीं किया है कि पार्टी बिलों का समर्थन करेगी या नहीं। उन्होंने आगे कहा है कि नेता इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि यह पार्टी के लिए हानिकारक होगा अगर वह सत्तारूढ़ गठबंधन के साथ रहना जारी रखती है।
MQM ने भी मामले को लेकर अब तक कुछ साफ-साफ नहीं कहा है। ऐसे में यह साफ है कि इमरान सरकार की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं। -
एजेंसीरूस : रूस की यूनिवर्सिटी में हैरान कर देने वाली एक गोलीबारी की घटना सामने आई है जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई है। गोलीबारी की घटना के बाद पूरी यूनिवर्सिटी में हडकंप मच गया और छात्र बिल्डिंग से कूदकर भागने लगे। सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया गया है जिसमें देखा जा सकता है कि छात्र कितना डर गए थे। इस घटना में कम से कम 8 लोगों की मौत हो गई है।
रूस के पर्म शहर के एक विश्वविद्यालय में सोमवार सुबह हुई गोलीबारी में 8 लोगों की मौत हो गई जबकि छह अन्य घायल हो गए। रूसी जांच समिति ने यह जानकारी दी। पर्म क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 14 लोग घायल हुए हैं। घायलों को लेकर आ रहे अलग-अलग आंकड़ों का फिलहाल मिलान नहीं हो सका है।
यनिवर्सिटी में गोलीबारी की घटना से इतना खौफ फैल गयै कि स्टूडेंट अपनी जान बचाने के लिए बिल्डिंग से कूदकर भागने लगे।
पर्म स्टेट यूनिवर्सिटी प्रेस सर्विस के अनुसार, अज्ञात अपराधी ने एक गैर-घातक बंदूक का इस्तेमाल किया। विश्वविद्यालय के छात्रों और कर्मचारियों ने खुद को कमरों में बंद कर लिया, और विश्वविद्यालय ने उन लोगों से परिसर छोड़ने का आग्रह किया जो ऐसा करने की स्थिति में थे।
रूस के गृह मंत्रालय ने बताया कि बंदूकधारी को बाद में हिरासत में ले लिया गया। घटना के बाद जांच समिति ने हत्या की जांच शुरू कर दी है। सरकारी तास समाचार एजेंसी ने एक अनाम कानूनी स्रोत का हवाला देते हुए कहा कि कुछ छात्र एक इमारत की खिड़कियों से बाहर कूद गए। क्षेत्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक घायलों को गोलीबारी और इमारत से भागने की कोशिश में चोटें आई हैं।
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एजेंसी
अफगानिस्तान : अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होते ही आम नागरिक तो क्या सत्ता के शिखर पर बैठे राजनेता तक देश छोड़कर भागने को मजबूर है। राष्ट्रपति अशरफ गनी भी फिलहाल यूएई की शरण में हैं। हालांकि, हम आपको बताने वाले हैं अफगानिस्तान के पूर्व संचार मंत्री के बारे में, जो कभी सूट-बूट पहनकर, चारों ओर सुरक्षा के घेरे में रहते थे लेकिन हालात इतने बदले कि अब वह जर्मनी की सड़कों पर पिज्जा डिलिवरी का काम करते दिख रहे हैं।
अल जजीरा अरबी ने अपने ट्विटर हैंडल से अफगानिस्तान के पूर्व आईटी मंत्री सैयद अहमद शाह सादत की तस्वीरें ट्वीट की हैं और बताया है कि वह अब जर्मनी में फूड डिलिवरी का काम कर रहे हैं। सादत की तस्वीरें अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
जर्मन मीडिया की खबरों के मुताबिक, सादत अब जर्मनी के 'लीफरांदो नेटवर्क' के लिए काम कर रहे हैं और वह जर्मनी के लिपजिग शहर में साइकल से लोगों को पिज्जा पहुंचाते हैं।
हालांकि, सादत ने बीते साल ही अफगान कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। वह साल 2018 से कैबिनेट मंत्री थे लेकिन अफगानिस्तान की गनी सरकार में उनकी खास नहीं बनी और फिर साल 2020 में उन्हें मजबूरन इस्तीफा देना पड़ा। इस्तीफे के बाद वह जर्मनी जाकर रहने लगे।
इससे पहले उन्होंने साल 2005 से 2013 तक अफगानिस्तान में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के मुख्य तकनीकी सलाहकार सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया था। सादत 2016 से 2017 तक लंदन में 'एरियाना टेलीकॉम' के सीईओ पद पर भी रह चुके हैं। -
काबुल : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में स्थिति एयरपोर्ट की स्थिति काफी ज्यादा खराब बनी हुई है। एक तरफ जहां विश्व का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ काबुल एयरपोर्ट पर हमले की खबर मिल रही है।
जर्मनी की सेना ने ट्वीट किया है कि सोमवार को काबुल हवाई अड्डे पर अज्ञात हमलावरों के साथ मुठभेड़ में अफगान सुरक्षा बल का एक सदस्य मारा गया है और तीन अन्य घायल हो गए हैं।
एयरपोर्ट पर आतंकी हमाल ?
जर्मन सेना की तरफ से कहा गया है कि अमेरिकन और जर्मन सेना भी इस लड़ाई में शामिल हुई है और हमलावर कौन हैं, इसकी कोई जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। वहीं ब्रिटिश मिलिट्री की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एयरपोर्ट पर गोलीबारी के बाद भगदड़ मचने से सात लोगों की मौत हो चुकी है।
आपको बता दें कि काबुल पर कब्जा करने के बाद तालिबान के लड़ाके काबुल एयरपोर्ट के बाहरी हिस्से में फैले हुए हैं और एयरपोर्ट की निगरानी कर रहे हैं।
अफगान सरकार के पतन के एक हफ्ते बाद भी हजारों लोग अराजक तरीके से पलायन कर रहे हैं। लोग देश छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दें कि अमेरिका ने 31 अगस्त से सभी नागरिकों और सहयोगियों को अफगानिस्तान ले बाहर निकालने की आखिरी तारीख दे रखी है।
31 अगस्त आखिरी तारीफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका ने 31 अगस्त तक सभी यूएस सैनिकों को अफगानिस्तान से बाहर निकालने की आखिरी तारीख तय कर रखा है, लेकिन अब जो काबुल एयरपोर्ट पर हालात बने हैं, उसके हिसाब से कुछ और दिन हमें लग सकते हैं।
वहीं, दूसरी तरफ काबुल एयरपोर्ट पर आईएसआईएस के हमले की भी खुफिया रिपोर्ट है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा टीम अफगानिस्तान की सुरक्षा स्थिति और आतंकी संगठन आईएसआईएस से संभावित खतरों को लेकर चर्चा की है।
अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने पहले सीएनएन को बताया था कि आईएसआईएस-के में "सीरिया के अनुभवी जिहादियों और अन्य विदेशी आतंकवादी लड़ाकों की एक छोटी संख्या" शामिल है।'' अमेरिकी अधिकारियों ने करीब 10-15 मोस्ट वांटेड आतंकियों की पहचान की थी।
17 हजार लोग निकाले गये वहीं, अमेरिका की तरफ से कहा गया है कि जुलाई और अगस्त महीना मिलाकर अभी तक करीब 22 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें 17 हजार लोगों को 4 अगस्त के बाद निकाला गया है, जिनमें 2500 लोग अमेरिका के रहने वाले हैं।
इसके साथ ही अमेरिका उन लोगों को भी अफगानिस्तान से निकाल रहा है, जिन्होंने अमेरिकी सैनिकों की मदद की थी। बाइडेन प्रशासन के अनुसार 15 हजार अमेरिकी और 50 हजार से 60 हजार ऐसे अफगान सहयोगी हैं, जिन्हें निकालने की आवश्यकता है। -
इससे पहले एक निजी टेलीविजन स्टेशन के नेमातुल्ला हेमत का तालिबान ने अपहरण कर लिया था. वहीं, एक निजी रेडियो स्टेशन के प्रमुख तूफान उमर को तालिबान लड़ाकों ने गोली मार दी थी.
अफगानिस्तान : अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. पत्रकारों को निशाना बनाने वाले तालिबान के लड़ाकों ने DW के पत्रकार के परिवार के एक सदस्य की गोली मारकर हत्या कर दी वहीं, एक सदस्य को घायल कर दिया.
तालिबान के लड़ाके घर घर जाकर जर्मनी में काम करने वाले पत्रकारों के घरों की तलाशी ले रहे हैं. इस दौरान तालिबानी आतंकी DW पत्रकार के घर में घुसे और वहां गोलीबारी की. हालांकि इस दौरान पत्रकार के अन्य रिश्तेदार भागने में कामयाब रहे.
DW के महानिदेशक पीटर लिम्बर्ग ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और जर्मन सरकार से कार्रवाई करने की मांग की है. लिम्बर्ग ने कहा, "तालिबान की तरफ से हमारे एक संपादक के एक करीबी रिश्तेदार की हत्या अकल्पनीय रूप से दुखद है. तालिबान काबुल और अन्य प्रांतों में पत्रकारों को खोज रहा है. हमारे पास खत्म हो रहा है.’’
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तालिबान ने डीडब्ल्यू के लिए काम करने वाले कम से कम तीन पत्रकारों के घरों पर छापेमारी की है. इससे पहले एक निजी टेलीविजन स्टेशन के नेमातुल्ला हेमत का तालिबान ने अपहरण कर लिया था. वहीं, एक निजी रेडियो स्टेशन के प्रमुख तूफान उमर को तालिबान लड़ाकों ने गोली मार दी थी.
बता दें कि एक महीने पहले तालिबान ने विश्व प्रसिद्ध भारतीय फोटोग्राफर और पुलित्जर पुरस्कार विजेता दानिश सिद्दीकी की कंधार में हत्या कर दी थी. -
वाशिंगटन : अफगानिस्तान में बद से बदतर होते हालात के बाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने अफगानिस्तान को मिलने वाली करीब 460 मिलियन डालर की राशि की निकासी को रोक दिया है। आईएमएफ ने ये फैसला वहां पर तालिबान के कब्जे के बाद लिया है।
आईएमएफ का कहना है कि तालिबान के आने के बाद देश में असमंजस की स्थिति है। आईएमएफ का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के दबाव के बाद सामने आया है। बाइडन का कहना है कि ये रकम किसी भी सूरत में तालिबानियों के हाथों में नहीं जानी चाहिए।
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने विदेश में जमा देश की अरबों डालर की राशि को भी जब्त करने के आदेश दिए थे। इसके तहत अफगानिस्तान सेंट्रल बैंक की करीब 70 हजार करोड़ रुपये (9.4 अरब डालर) की रकम को जब्त कर लिया गया था। इसकी जानकारी द अफगान बैंक (डीएबी) के कार्यवाहक गवर्नर अजमल अहमदी ने दी थी। गौरतलब है कि अहमदी तालिबान के आने से पहले देश छोड़ चुके थे।
अपनी जानकारी में उन्होंने बताया था कि विदेश में अफगानिस्तान के करीब 9.4 अरब डालर जमा हैं। इनमें से लगभग 50 हजार करोड़ रुपये (7 अरब डालर) अमेरिकी फेडरल रिजर्व बॉन्ड और संपत्ति के रूप में हैं। इसके अलावा इसमें 10 हजार करोड़ रुपये (1.3 अरब) का सोना भी है।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में अमेरिकी प्रशासन के बयान का हवाला देते हुए बताया गया है कि इस फैसले के बाद तालिबान (Taliban 2.0) किसी भी सूरत से इस पैसे को हाथ नहीं लगा सकेगा। इसमें कहा गया है कि विदेश मंत्रालय और व्हाइट हाउस ने इस बारे में पहले विचार विमर्श किया था। इसका मकसद बाइडन प्रशासन द्वारा तालिबान पर दबाव बनाना था।
अमेरिका के इस फैसले से तालिबान ही नहीं, अफगानिस्तान में भी आर्थिक संकट गहरा सकता है। आपको बता दें कि अफगानिस्तान काफी लंबे समय से विदेशों और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से मिलने वाली वित्तीय मदद से ही चलता आया है। लेकिन अब इस पर लगी रोक से यहां की पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो सकती है।
देश की आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से जरूरी सेवाओं और खाने-पीने की चीजों के दामों में बेतहाशा तेजी हो सकती है। देश में इसकी वजह से कई चीजों की कमी तक हो सकती है। अमेरिका और आइएमएफ के फैसले के बाद तालिबान के लिए ये चुनौतियों से भरा समय है।
गौरतलब है कि तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद अफगानिस्तान में वो सरकार बनाने की तरफ आगे बढ़ रहा है। इसको लेकर दोहा में बातचीत भी चल रही है।साथ ही वो इस मुद्दे पर कुछ देशों के साथ बातचीत कर भी चुका है। इसके अलावा तालिबान ने विश्व बिरादरी से भी बात करने को कहा है। वहीं दूसरी तरफ दुनिया के कई देश स्थिति पर लगातार निगाह रखे हुए हैं। -
काबुल : अफगानिस्तान के कई हिस्सों पर काबिज हो रहे तालिबान ने शुक्रवार को लश्करगाह के दक्षिणी शहर को अपने नियंत्रण में ले लिया। इस तरह अब तक लगभग दो तिहाई देश पर तालिबान काबिज हो गया है। तालिबान ने गुरुवार को पश्चिमी अफगानिस्तान के तीसरे सबसे बड़े शहर हेरात पर कब्जा कर लिया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबिहुल्लाह मुजाहिद ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए बताया कि हेलमंद प्रांत की राजधानी लश्करगाह में पुलिस मुख्यालयों समेत सरकारी ऑफिस भी अब उसकी नियंत्रण में है।पिछले दो दशक के दौरान हेलमंद पर तालिबान की मजबूत पकड़ रही लेकिन पिछले दिनों यहां अफगान सैनिकों के कंट्रोल में था। मुजाहिद ने कंधार के भी सभी हिस्सों पर आतंकियों के कब्जे का दावा किया। शहर में तालिबानी आतंकियों की घूमने वाली वीडियो वायरल हो गई।
स्पुतनिक ने तालिबान के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि हेरात में पुलिस मुख्यालय पर भी कब्जा कर लिया गया है। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि तालिबान लड़ाके जब गोलियां बरसाते और नारे लगाते हुए हेरात की जामा मस्जिद के पास से गुजरे तो किसी ने भी उनका विरोध नहीं किया।सरकारी इमारतें खाली पड़ी रहीं। देश के तीसरे नंबर के शहर के इतनी आसानी से कब्जे में आने को तालिबान अपनी बहुत बड़ी कामयाबी मान रहा है। यह शहर बहुत ही पुराना बताया जाता है।
अल जजीरा ने गुरुवार को बताया कि तालिबान ने कंधार शहर में प्रवेश कर लिया है। शहर की सीमा के भीतर विद्रोहियों और सरकारी बलों के बीच भारी लड़ाई चल रही थी। इससे पहले दिन में गजनी प्रांत की राजधानी गजनी सिटी पर भी कब्जा हो गया।इस शहर पर कब्जे के साथ ही तालिबान राष्ट्रीय राजधानी काबुल के और करीब पहुंच गया है। काबुल से गजनी महज 130 किलोमीटर दूर है। तालिबान का देश के 34 प्रांतों में से अब 11 पर नियंत्रण हो चुका है। कई अन्य शहरों पर भी कब्जे को लेकर लड़ाई तेज हो गई है।
युद्धग्रस्त देश अफगान के हालात 1 मई से अमेरिकी सैनिकों की वापसी की शुरुआत होते ही बदतर होती चली गई। यहां के कई शहरों और करीब देश के आधे प्रांतों में पिछले कुछ सप्ताह से सरकार के सैन्य बलों और तालिबानी आतंकियों के बीच भीषण जंग देखा गया।
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न्यूयार्क : अमेरिका में बच्चों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। यहां पर लगातार मामले बढ़ रहे हैं। चिंता की बात ये भी है कि अमेरिका में हर रोज आने वाले नए मामलों में करीब 15 फीसद मामले बच्चों के अंदर पाए जा रहे हैं। इसका खुलासा अमेरिकन अकादमी आफ पीडियाट्रिक्स (AAP) की रिसर्च में हुआ है।
हालांकि इस दौरान कोविड-19 की वजह से बच्चों की मौतों के मामले बेहद कम ही सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक करीब दो फीसद से भी कम बच्चे कोविड-19 की वजह से अस्पताल में भर्ती हुए। यहां पर पिछले एक सप्ताह के दोरान 94 हजार बच्चों का इलाज किया गया है। ये आंकड़े अपने आप में बेहद चौंकाने वाले हैं।
AAP के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना की वजह से करीब .03 तक रही है। महामारी की शुरुआत से पांच अगस्त 2021 तक देश में करीब 43 लाख बच्चे कोविड-19 से पाजीटिव पाए गए। आप की रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई के बाद से बच्चों में इसके मामले तेजी से बढ़े हैं। मौजूदा समय में 12 वर्ष के करीब 60 फीसद बच्चों को पूरी तरह से वैक्सीनेट कर दिया गया है वहीं करीब 70 फीसद बच्चों को कम से कम वैक्सीन की एक खुराक दे दी गई है।
हालांकि देश में फिलहाल 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कोरोना वैक्सीन नहीं दी जा रही है। आपको बता दें कि अमेरिका में फाइजर कंपनी की कोरोना वैक्सीन को 12 वर्ष और इससे अधिक की उम्र वाले लोगों पर इस्तेमाल की मंजूरी दी जा चुकी है। इसके माडर्ना और जेनसेन वैक्सीन को 18 वर्ष और इससे अधिक के लिए मंजूरी दी जा चुकी है।
माना जा रहा है कि अमेरिका में 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर इस्तेमाल के लिए फाइजर की कोरोना वैक्सीन को इस वर्ष अक्टूबर तक मंजूरी मिल सकती है। आपको बता दें कि अमेरिका में स्कूलों को खोला जा चुका है। इसको देखते हुए बच्चों के बढ़ते मामले चिंता का सबब बने हुए हैं। सेंटर फार डिजीज कंट्रोल के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 5-15 वर्ष की आयु वाले बच्चे इसकी चपेट में अधिक आ रहे हैं।
नेशनल इंस्टिट्यूट आफ हेल्थ के डायरेक्टर डाक्टर फ्रांसिस कालिंस का कहना है कि कोरोना महामारी के बाद से अब तक रविवार को देश में सबसे अधिक बच्चे कोरेाना के चलते अस्पताल में भर्ती हुए हैं। उनका कहना है कि लोगों के लापरवाह होने और मास्क का साथ छोड़ देने की वजह से यहां पर तेजी से मामले बढ़े हैं। इस लिहाज से स्कूल को लौट रहे बच्चों में इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ गया है।
इसको देखते हुए सीडीसी ने सरकार को अनुसंशा (CDC recommends) की है कि इंडोर में मौजूद दो वर्ष से अधिक आयु वाले सभी बच्चों को मास्क लगाने को कहा है।
सीडीसी के मुताबिक स्कूल के स्टाफ, टीचर और वहां पर आने वाले विजीटर्स को भी अनिवार्य रूप से मास्क लगाने को कहा गया है, भले वो वैक्सीनेट हो चुके हों या नहीं। कई राज्यों ने अपने यहां पर मौजूद आईसीयू के पूरी तरह से भरे होने की जानकारी भी दी है। बढ़ते मामलों पर राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि वो बच्चों में बढ़ते कोरोना के मामलों को लेकर चिंता में हैं। उनका ये भी कहना है कि कुछ राज्यों में वैक्सीन की धीमी रफ्तार परेशानी का सबब बनी हुई है।
इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ रहा है। उन्होंने अपील की है कि जिन्होंने अब तक वैक्सीन नहीं ली है वो जल्द से जल्द अपनी वैक्सीन लगवा लें। उनके मुताबिक 18 अक देश की करीब 51 फीसद आबादी को वैक्सीनेट कर दिया गया है। करीब 71 फीसद से अधिक व्यस्कों को कम से कम वैक्सीन की एक खुराक दी जा चुकी है। -
कंदाहर : अफगानिस्तान के कंदाहर प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में गुरुवार को बंदूकधारियों के हमले में कथित तौर पर 100 नागरिकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई है। अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय ने इस घटना के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है।
अफगान सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, स्पिन बोल्डक में कई नागरिकों के शव अभी भी जमीन पर पड़े हैं। इस बीच, तालिबान ने नागरिकों की हत्या में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। बता दें कि पिछले हफ्ते भी तालिबान ने स्पिन बोल्डक जिले पर हमला किया था।
आंतरिक मंत्रालय के प्रवक्ता मीरवाइस स्टेनकजई ने कहा, 'अपने पंजाबी आकाओं (पाकिस्तान) के आदेश पर क्रूर आतंकवादियों ने स्पिन बोल्डक के कुछ इलाकों में निर्दोष अफगानों के घरों पर हमला किया, घरों में लूटपाट की और इस हमले में 100 निर्दोष लोगों को शहीद कर दिया है।
उन्होंने कहा, 'यह क्रूर दुशमन के असली चेहरे का खुलासा करता है।' टोलो न्यूज ने गुरुवार को सूत्रों के हवाले से बताया कि बंदूकधारियों के एक समूह ने कंदाहर प्रांत के स्पिन बोल्डक जिले में कथित तौर पर 100 से नागरिकों की हत्या कर दी है।
पिछले हफ्ते तालिबान ने स्पिन बोल्डक पर कब्जा कर लिया था और यहां तोड़फोड़ भी की थी। फ्रांस 24 द्वारा जारी वीडियो फुटेज में तालिबान के कई सदस्यों को शहर में तोड़फोड़ करते, घरों को लूटते और सरकारी अधिकारियों के वाहनों को जब्त करते हुए देखा गया था।
कंदाहर की प्रांतीय परिषद के एक सदस्य ने बताया कि अज्ञात बंदूकधारियों ने ईद से एक दिन पहले उसके दो बेटों को घर से निकाल दिया और फिर उनकी हत्या कर दी। स्पिन बोल्डक के रहने वाले फिदा मोहम्मद अफगान ने कहा कि उनके बेटे किसी सैन्य समूह से जुड़े नहीं थे। टोलो न्यूज के हवाले से अफगान ने कहा, 'वे कहते हैं कि वे आंदोलन (तालिबान) से जुड़े नहीं थे, लेकिन वे जो भी हैं, उन्हें पकड़ा जाना चाहिए और उन्हें न्याय के दायरे में लाया जाना चाहिए।' -
दुबई : दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गुरुवार सुबह एक भीषण हादसा टल गया। दरअसल दो पैसेंजर जेट की आपस में टक्कर हो गई। इनमें से एक बहरीन के गल्फ एयर की उड़ान थी ओर दूसरी फ्लाइ दुबई की। हालांकि इस घटना में अब तक किसी नुकसान की खबर नहीं है।
कोरोना महामारी की शुरुआत से पहले दुनिया का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट का एक रनवे इस दुर्घटना की वजह से दो घंटे के लिए बंद रहा। हालांकि इसके कारण काम-काज में बाधा नहीं आई। फ्लाइ दुबई ने कहा कि इसका एक बोइंग 737-800s किर्गिस्तान (Kyrgyzstan) जा रहा था तभी यह छोटी सी दुर्घटना हो गई।
इसके कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा और 6 घंटे बाद दूसरी फ्लाइट से इन्हें रवाना किया गया। एयरलाइन ने बताया, 'दुर्घटना में पड़ताल के लिए अधिकरणों के साथ फ्लाइ दुबई काम करेगी।' इसने यह भी बताया कि दुर्घटना में एयरक्राफ्ट का विंगटिप (wingtip) क्षतिग्रस्त हो गया है।
गल्फ एयर ने कहा कि इसके एयरक्राफ्ट के पिछले हिस्से पर असर हुआ है। गल्फ एयर ने दुर्घटना से प्रभावित अपने एयरक्राफ्ट की पहचान नहीं बताई लेकिन कहा कि यह अपने यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए काम कर रहा है।
5 जुलाई से गल्फ एयर ने दोबारा अबू धाबी और दुबई की उड़ानों का संचालन शुरू किया है। 1954 से ही यह करियर बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात के बीच उड़ानों को संचालित कर रहा है। गल्फ एयर की उड़ानें दुबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से मनामा स्थित बहरीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक होती है।