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मीडिया रिपोर्ट
ताइपे। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने कहा है कि उनका देश जेनेवा में 18 मई से शुरू होने वाली मीटिंग में हिस्सा नहीं लेगा। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से बताया गया है कि चीन के दबाव के चलते उनके देश को इनवाइट नहीं किया गया है। जोसेफ के मुताबिक कई कोशिशों के बाद भी इसमें सफलता नहीं मिल सकी और अब इस मसले पर इस साल के अंत में चर्चा होगा।
जोसेफ ने कहा है कि इसके बाद भी वह दूसरे देशों में मेडिकल सप्लाई में कमी नहीं होने देगा। साथ ही ताइवान के विदेश मंत्री ने चीन के दोहरे व्यवहार का विरोध करने की बात कही है जो इस तरह के मंचों से उसे दूर रखता है।जोसेफ ने कहा कि वह इस बात पर सहमत हैं कि बैठक में उसकी भागीदारी को लेकर साल के अंत में चर्चा की जाएगी जब कोरोना पर थोड़ा नियंत्रण किया जा सकेगा। सात मई को जेनेवा में सात देशों अमेरिका, जापान, जर्मनी, फ्रांस, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के राजदूतों की तरफ से डब्लूएचओ को डेमार्श जारी किया गया था। इसकी अगुवाई अमेरिका और जापान ने की थी।जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक ताइवान में कोरोना वायरस के बस 440 केस सामने आए और महामारी से सात लोगों की जान गई। जबकि इससे सटे चीन में 84,000 केसेज और 4600 मौतें दर्ज हुईं। साल 2009 से 2016 तक ताइवान ने डब्लूएचओ एसेंबली (डब्लूएचओ) में नॉन-वोटर ऑब्जर्वर के तौर पर शिरकत की थी। लेकिन जब साइ इंग वेन को ताइवान की राष्ट्रपति बनीं तो उन्होंने चीन को चुनौती देना शुरू कर दिया। साल 2016 में चीन डब्लूएचओ का मुखिया बना और उसने ताइवान को किनारे कर दिया। साइ इंग वेन फिर से राष्ट्रपति चुनी गई हैं और 20 मई को उनका दूसरा कार्यकाल शुरू होगा। -
मीडिया रिपोर्ट
पूरी दुनिया को अपने चपेट में लेने वाली महामारी कोरोना वायरस आखिर कैसे और किस तरह से इंसानों तक पहुंचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसकी रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए और उसकी भूमिका क्या रही है। दुनिया के करीब 62 देश ऐसे ही सवालों का जवाब मांग रहे हैं। अब भारत ने भी आधिकारिक तौर पर इन देशों को अपना समर्थन देते हुए यूरोपीय यूनियन व ऑस्ट्रेलिया की ओर से जांच की मांग वाले दस्तावेज पर हस्ताक्षर किया है।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ की 73वीं विश्व स्वास्थ्य सभा (डब्ल्यूएचए) आज से शुरू होने जा रही है। इस वार्षिक बैठक के लिए यह मसौदा तैयार किया गया है। इसमें निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक जांच की बात कही गई है। वहीं कोरोना वायरस संक्रमण की शुरुआत के बाद से पहली बार भारत आधिकारिक रूप से एक पक्ष खड़ा हुआ है। बता दें कि कोरोना वायरस की शुरुआत बीते साल चीन के वुहान शहर से हुई थी। इस वायरस की वजह से पूरी दुनिया में अब तक 3 लाख से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
बहरहाल, भारत के जांच के समर्थन में खड़े होने का एक अल्प संकेत उस समय मिला था, जब मार्च में हुए जी20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डब्ल्यूएचओ में सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने जैसी आवश्यकताओं पर जोर दिया था।
बता दें कि चीन पर संक्रमण के शुरुआती दिनों की जानकारी छिपाने का आरोप है। ताजा घटनाक्रम की बात करें तो वहां कोरोना से जंग में अहम भूमिका निभाने वाले शीर्ष अधिकारी और डॉक्टर झोंग नानशान ने भी खुलासा किया है कि स्थानीय अधिकारियों ने कोरोना से जुड़ी प्राथमिक जानकारी को छिपाया था। हालांकि चीन की सरकार ने जानकारी छिपाने के आरोपों को पहले ही नकार दिया है। कोरोना वायरस फैलने को लेकर पूर्व में डब्ल्यूएचओ और उसके डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम गेब्रेयेसस पर चीन का पक्ष लेने का भी आरोप लगाया गया था। कारण कि इथोपिया के पूर्व मंत्री साल 2017 में चीन के समर्थन से ही डब्ल्यूएचओ के प्रमुख बने थे। -
इस्लामाबाद: पाकिस्तान में देश के अशांत उत्तर-पश्चिमी जनजातीय क्षेत्र में दो लड़कियों की एक पुरुष से बातचीत करने के कारण हत्या कर दी गयी. एक पुलिस अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. कुछ हफ्ते पहले दोनों लड़कियों का एक पुरुष से बातचीत करने का वीडियो सामने आया था. पुलिस के अनुसार 16 और 18 साल की दो लड़कियों को उनके चचेरे भाइयों ने मार डाला. देश के आदिवासी इलाकों में महिलाओं का पुरुषों के साथ मिलना-जुलना पूरी तरह प्रतिबंधित है.
पुलिस के अनुसार यह घटना 14 मई को खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वजीरिस्तान जिले के एक गांव में हुयी. राजमल पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने बताया कि हत्या का मामला दर्ज कर अपराधियों की तलाश की जा रही है. अधिकारी ने बताया कि इसका कारण 52 सेकंड का एक वीडियो था जिसमें एक व्यक्ति तीन लड़कियों से बात कर रहा है. अधिकारी ने कहा कि वीडियो में से दिख रही दो लड़कियों की हत्या कर दी गयी जबकि तीसरे के बारे में कोई जानकारी नहीं है. पुलिस के अनुसार तीसरी लड़की जीवित है लेकिन उसकी जान को खतरा हो सकता है. -
नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस के वैक्सीन के लिए वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। अब सिगरेट निर्माता ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको पीएलसी (BAT) ने प्रायोगिक COVID -19 वैक्सीन तैयार करने का दावा किया है, जिसका परीक्षण जल्द मनुष्यों पर किया जायेगा। सिगरेट निर्माता का कहना है कि वैक्सीन के प्री-क्लिनिकल ट्रायल ने सकारात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखाई है। कहा गया है कि यदि दवा नियामकों द्वारा इसे अनुमति दी गई तो मानव परीक्षणों का पहला चरण जून के अंत तक शुरू हो सकता है।
वर्तमान में अमेरिका, यूरोप, चीन और अन्य जगह 100 से अधिक निर्माता वैक्सीन निर्माण कर रहे हैं। यही नहीं BAT की प्रतिद्वंद्वी फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल इंक भी तंबाकू प्लांट में वैक्सीन का परीक्षण कर रहा है। BAT की सब्सिडियरी केंटुकी बायोप्रोसेसिंग प्रयोगात्मक वैक्सीन बनाने में तम्बाकू पौधों का उपयोग कर रही है। बीएटी का कहना है कि इस वैक्सीन का तेजी से निर्माण हो रहा है। हालांकि तंबाकू के पौधों का उपयोग कर कोरोना वायरस का टीका बनाना स्वास्थ्य पर अन्य से अलग असर डाल सकता है।
ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको पीएलसी (BAT) एक सिगरेट और तंबाकू निर्माण कंपनी है जिसका मुख्यालय लंदन, इंग्लैंड में है. यह 2012 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सिगरेट निर्माता था। BAT लगभग 180 देशों में अपने उत्पादों का संचालन करता है।
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मीडिया रिपोर्ट
विश्व बैंक ने भारत में सरकार के जुड़े कार्यक्रमों के लिए 1 बिलियन डॉलर के सामाजिक सुरक्षा पैकेज की घोषणा की है। बैंक ने शुक्रवार को शहरी गरीब और प्रवासी श्रमिकों के लिए प्रौद्योगिकी से संबंधित योजनाओं में सरकार की सहायता के लिए सामाजिक सुरक्षा निधि के रूप में इस राशि को मंजूरी दी।
बैंक ने कहा कि इससे भारत अपनी सभी 400-प्लस सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को प्रौद्योगिकी के स्तर पर एकीकृत करने में सक्षम होगा। विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर जुनैद अहमद ने कहा, 'यह परियोजना शहरी गरीबों के प्रति सामाजिक सुरक्षा को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण होगी।' उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि पीएम का आत्मानिर्भर मिशन' दिशाओं के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है और भारत कोविड -19 के बाद के जीवन और आजीविका के बीच अंतर नहीं कर रहा है। -
न्यूयॉर्क: ट्विटर ने मंगलवार को कहा कि वह सितंबर से पहले अपने ऑफिस नहीं खोलने जा रहा है. इसी के साथ ट्विटर ने एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि कोरोनावायरस के खत्म होने के बाद भी उसके ज्यादातर कर्मचारी हमेशा के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' यानी कि घर से ही काम करेंगे. अमेरिका के सैनफ्रांसिस्को स्थित कंपनी ने कहा कि महामारी को देखते हुए मार्च के महीने से ही घर से काम की व्यवस्था देने वाली वह पहली कंपनियों में शामिल थी. इसी के साथ कंपनी ने यह भी कहा कि उसकी यह पॉलिसी आगे भी जारी रहेगी.
ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा, "हम तुरंत हरकत में आए और कर्मचारियों को घर से काम करने की मंजूरी दे दी. हमने हमेशा से विकेंद्रीकरण पर जोर दिया है. साथ ही कहीं से भी काम करने में सक्षम कार्यबल को सहयोग दिया है." ट्विटर ने कहा, "पिछले महीनों में साबित हो गया है कि हम ऐसा कर सकते हैं. तो अगर हमारे कर्मचारी ऐसी स्थिति में हैं कि वे घर से काम कर सकते हैं और वे हमेशा के लिए ऐसा करना चाहते हैं तो हम ऐसा होने देंगे." ट्विटर ने कहा कि अगर परिस्थितियों ने इजाजत दी तो वह अपने किसी भी ऑफिस को बेहद सावधानी और सतर्कता से धीरे-धीरे एक-एक करके खोलेगा.
ट्विटर के प्रवक्ता के मुताबिक, "दफ्तरों को कब खोलना है यह हमारा अपना फैसला होगा. अगर हमारे कर्मचारी वापस आएंगे तो हम वहां होंगे. कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो दफ्तर सितंबर से पहले तो बिल्कुल नहीं खुलेंगे. जब हम ऑफिस खोलने का फैसला करेंगे तब वह पहले जैसा नहीं होगा." आपको बता दें कि गूगल और फेसबुक पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि इस साल के अंत तक उसके ज्यादातर कर्मचारी घर से ही काम करेंगे. -
मीडिया रिपोर्ट
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मीडिया के साथ विवाद बहुत पुराना है। वह कई बार सवालों को लेकर पत्रकारों से उलझ चुके हैं। अब ऐसा ही मामला एक बार फिर देखने को मिला। कोरोना वायरस पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भी ट्रम्प एक महिला पत्रकार से उलझ पड़े। इतना ही नहीं वह प्रेस ब्रीफिंग भी बीच में ही छोड़कर चले गए।
दरअसल वाइट हाउस में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान सीबीएस न्यूज रिपोर्टर वेइजिया जियांग ने सवाल किया कि अमेरिका में रोज हजारों लोग क्यों मर रहे हैं। ट्रंप ने गुस्से में कहा कि मुझे मत पूछें, चीन से सवाल पूछें। इसके बाद ट्रंप ने सीएनएन के लिए वाइट हाउस के संवाददाता केटलन कॉलिन्स को अगला सवाल पूछने को कहा लेकिन जियांग ने दूसरा सवाल किया कि सर आप मुझसे विशेष रूप से ऐसा क्यों कह रहे हैं? तो ट्रंप ने कहा कि मैं ऐसा हर किसी से कहुंगा जो इस तरह के बकवास सवाल पूछेगा।
महिला पत्रकार बार बार सवाल करने की कोशिश करती रही। इस बात से ट्रंप इस कदर नाराज हो गए कि वह लोगों को धन्यवाद देकर प्रेस कांफ्रेंस को अधूरा छोड़कर चले गए। वहां से चले गए। इस पूरे वाक्य का एक वीडियो भी सामने आया है, जो काफी वायरल हो रहा है। -
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल आज बम धमाकों से दहल गई. समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, पुलिस ने बताया कि काबुल में एक के बाद एक चार बम धमाके हुए हैं. इन बम धमाकों में कितना नुकसान हुआ, इस बात की जानकारी अभी नहीं मिल सकी है.
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न्यूयॉर्क। पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से जूझ रही है। अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई निश्चित दवा नहीं बनी है। बावजूद इसके दुनिया के कई देशों में अचानक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) दवाई की मांग बढ़ी। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन भी कोविड19 के इलाज के लिए सफल दवा साबित नहीं हो पाई है। इस दवा की क्षमता को लेकर टेस्ट किया गया था। ये दवा एक और टेस्ट में असफल साबित हुई है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसन (NEJM) में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाई कोविड-19 के मरीजों को ठीक करने संबंधित एक और अब तक सबसे बड़े टेस्ट में असफल साबित हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी कोविड-19 की शुरुआत से ही इस दवाई को लेकर उत्साहित थे और इसे कोरोना के इलाज में एक 'गेम चेंजर' बता रहे थे। इस अध्ययन में कहा गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन से न तो बीमार लोगों को हो रही सांस लेने की दिक्कत पर कोई असर पड़ा और न ही उनकी मौत का खतरा कम हुआ है।
जिन लोगों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दी गई थी उनमें से 32.3 फीसदी मरीजों को या तो वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी या फिर उनकी मौत हो गई। जबकि जिन लोगों को ये दवा नहीं दी गई उनमें ये संख्या 14.9 फीसदी है। -
मीडिया रिपोर्ट
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आपात कार्यक्रमों के प्रमुख माइकल रेयान ने सोमवार को कहा कि कोरोना वायरस के चीन के शहर वुहान की एक प्रयोगशाला में उत्पन्न होने की आशंका के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ के आरोप के संबंध में अमेरिकी सरकार ने उन्हें कोई सबूत मुहैया नहीं कराए हैं। माइकल रेयान ने जिनेवा में पत्रकारों से कहा, ‘‘ हमारे नजरिए से यह केवल काल्पनिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वायरस की कथित उत्पत्ति के संबंध में हमें अमेरिकी सरकार से कोई डेटा या विशिष्ट सबूत नहीं मिले हैं। ’’
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूएचओ अमेरिका से ऐसी कोई भी जानकारी हासिल करने को ‘‘इच्छुक’’ है। ट्रम्प प्रशासन ने चीन और संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी दोनों पर आरोप लगाया था कि वायरस के सबसे पहले वुहान में उत्पन्न होने के बाद इससे निपटने के लिए उन्होंने उचित कदम नहीं उठाए। कोविड-19 से दुनिया भर में लाखों लोग संक्रमित हैं और कम से कम 2,39,000 लोगों की जान गई है।
वहीं ट्रम्प ने शुक्रवार को यह भी कहा था कि डब्ल्यूएचओ ‘‘ चीन की जनसम्पर्क एजेंसी की तरह है’’। रेयान ने एक बार फिर दोहराया की संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी को मिले सबूत और जानकारी के अनुसार कोविड- 19 प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हुआ है। ट्रम्प और पोम्पिओ का कहना है कि उनके पास वायरस के वुहान की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला में उत्पन्न होने के सबूत हैं। -
मीडिया रिपोर्टो से
ईरान सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अपनी मुद्रा को ही बदलने का फैसला लिया है। अब तक ईरान की मुद्रा रियाल थी, जिसे अब बदलकर तोमान कर दिया गया है। अब 10,000 रियाल के बराबर एक तोमान होगा। अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते मुद्रा में बड़ी गिरावट को रोकने के लिए ईरान ने यह बड़ा फैसला लिया है। सोमवार को ईरान की संसद ने इस संबंध में पेश किए गए विधेयक को मंजूरी दी। ईरानी न्यूज एजेंसी ISNA की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय करेंसी से 4 शून्य हटाने के प्रस्ताव को संसद की ओर से मंजूरी दे दी गई है।
इस प्रस्ताव को अब ईरान के शीर्ष आध्यात्मिक नेता अयातुल्लाह खामेनेई की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष पेश किया जाएगा। ईरान के सरकारी टीवी चैनल ने कहा कि सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान को करेंसी में बदलाव के लिए दो साल का वक्त दिया जाएगा। दरअसल ईरान में करेंसी से 4 शून्य हटाने को लेकर 2008 से ही चर्चा चल रही थी। लेकिन 2018 के बाद यह मांग तेजी से बढ़ गई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ 2015 में हुई न्यूक्लियर डील से बाहर निकलने का फैसला लिया था।
इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लाद दिए थे। इसके चलते ईरानी मुद्रा में 60 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली थी। फॉरेन एक्सचेंज वेबसाइट्स के मुताबिक ईरानी मुद्रा रियाल डॉलर के मुकाबले 156,000 के स्तर पर काम कर रही है। ईरानी मुद्रा में कमजोरी और बढ़ी महंगाई के चलते देश में 2017 के अंत में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन भी हुए थे। -
वॉशिंगटन। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपेयो ने कहा है कि चीन ने जानबूझकर कोरोना वायरस की गंभीरता को छिपाया है। उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के उस दावे को आगे बढ़ाया जिसमें कहा गया था कि चीन ने कोशिशें की कि इस बात को दुनिया से छिपाया जा सके कि कोविड-19 वायरस कितना जानलेवा है। प्रशासन ने यह भी कहा कि चीन ने महामारी की गंभीरता को तो छिपाया ही साथ ही मेडिकल सप्लाई का ढेर इकट्ठा कर कर लिया।
पोंपेयो ने रविवार को एबीसी न्यूज के 'दिस वीक' को दिए इंटरव्यू में यह बात कही है। उनसे पूछा गया था कि चीन ने जानबूझकरर जनवरी की शुरुआत में मेडिकल सप्लाई को इकट्ठा किया औरर कोविड-19 की गंभीरता को छिपाया? इस पर उन्होंने कहा, 'आपने एकदम सही बात कही है। हम इस बात की पुष्टि कर सकते हैं कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने वह सब किया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि दुनिया को सही समय पर पता न चल सके कि क्या हो रहा है।' पोंपेयो ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है कि जब ट्रंप प्रशासन की तरफ से चीन को सजा देने के प्लान को आगे बढ़ाया जा रहा है।राष्ट्रपति ट्रंप कह चुके हैं कि वह कई मोर्चो पर महामारी पर चीन को सजा देने की तैयारी में हैं। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में अब दोनों देशों के रिश्तों में और कड़वाहट आ सकती है। सीएनएन ने ट्रंप प्रशासन के सूत्रों के हवाले से बताया है कि कई विकल्पों पर विचार चल रहा है जिसमें प्रतिबंधों से लेकर अमेरिकी कर्ज बाध्यता और नई ट्रेड पॉलिसी का निर्धारण करना भी शामिल है। सूत्रों की मानें तो अमेरिका चीन और दूसरे देशों को यह संदेश देना चाहता है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियां समझनी होगी। -
तेहरान। ईरान में कोरोनावायरस के मामलों में अब कुछ कमी आने के संकेत दिखने लगे हैं। ईरान मध्यपूर्व के उन देशों में शामिल है, जो इस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। हालांकि वायरस से संक्रमित कुल मामलों की संख्या अब भी 20610 है।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय ने कहा कि कोरोनवायरस से मरने वालों की संख्या बढक़र 1556 हो गई, वहीं ठीक हुए लोगों की संख्या बढक़र 7635 हो गई है। यहां की राज्य टीवी ने स्वास्थ्य मंत्री अलिर्जा राईसी के हवाले से बताया है कि लगभग सभी प्रांतों में कोरोना प्रकोप में कमी आई है, जिसमें तेहरान और मजंदरन भी शामिल हैं।ईरान के इन दोनों शहरों में कोरोना ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया था। वहीं तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री फहार्टिन कोका ने ट्वीट कर कहा कि पिछले 24 घंटों में 2953 संदिग्ध मामलों के लिए परीक्षण किए गए और उनमें से 277 परीक्षण पॉजिटिव निकले। हमारे यहां रोगियों की संख्या 947 तक पहुंच गई है। आज हमने अपने 12 बुजुर्ग मरीजों को खो दिया। हमने अब तक कुल 21 जीवन खो दिए हैं।AGENCY -
वाशिंगटन: चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस का संक्रमण अब वैश्विक महामारी बन चुका है। हालांकि चीन में इसके संक्रमण के मामलों में लगातार आ रही कमी के बीच बृहस्पतिवार को वहां घरेलू संक्रमण का एक भी मामला दर्ज नहीं किया गया, लेकिन दुनियाभर के अन्य देशों में इसका प्रकोप दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। अमेरिका में बुधवार को 2 सांसद इस वायरस से संक्रमित पाए गए। अमेरिका में इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 150 का आंकड़ा पार कर गई है जबकि 10,000 लोग इससे संक्रमित हैं। चीन में कोरोना वायरस के मामले जनवरी में दर्ज करना शुरू किए जाने के बाद से पहली बार बृहस्पतिवार को ऐसा हुआ कि देश में संक्रमण का एक भी घरेलू मामला सामने नहीं आया लेकिन विदेशों से ‘आयातित' संक्रमण के मामलों में तेजी दर्ज की गई है।
चीन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने बताया कि विदशों से संक्रमण के 34 मामले सामने आए हैं और यह आंकड़ा पिछले दो सप्ताह में सर्वाधिक है। रिपब्लिकन पार्टी के फ्लोरिडा से कांग्रेस सदस्य मारियो डियाज बलार्ट पहले अमेरिकी सांसद हैं जो इस वायरस से संक्रमित हुए हैं। बलार्ट के कार्यालय ने बताया कि सांसद को शनिवार को बुखार और सिर दर्द की शिकायत हुई थी और बुधवार को उन्हें बताया गया कि वह कोविड-19 से संक्रमित पाए गए हैं। इस बीच डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य एवं सांसद बेन मैक्एडम ने बताया कि उन्हें भी शनिवार को जुकाम जैसे लक्षणों की शिकायत महसूस हुई थी और अब उनके इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा कर दी थी। अमेरिकी सीनेट ने कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए संकट में अमेरिकी कर्मियों की मदद करने के लिए 100 अरब डॉलर के आपदा पैकेज को आसानी से मंजूरी दे दी। प्रतिनिधि सभा से इसे पहले ही मंजूरी मिल चुकी है। राष्ट्रपति ट्रम्प के हस्ताक्षर के बाद यह लागू हो जाएगा। -
कोरोना वायरस दुनियाभर के देशों के लिए चुनौती बनते जा रहा है. इस खतरनाक वायरस के चलते इटली में अब तक 2500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. मंगलवार को इटली के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 2503 लोगों की मौत और करीब 31506 संक्रमित मामलों की पुष्टि की. इधर, अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा 100 पहुंच गया है.
फिलहाल इटली में 26000 से अधिक मामले पॉजिटिव हैं और लगभग 3,000 लोग ठीक हो गए हैं. बता दें कि इटली द्वारा दर्ज की गई मौतों की संख्या चीन के अलावा किसी भी देश से सबसे अधिक है. चीन में 3000 से अधिक लोगों की जान गई है.
Johns Hopkins University के आंकड़ों के अनुसार, COVID -19 के 195,000 से अधिक मामलों की विश्व स्तर पर पुष्टि की गई है. साथ ही जारी आंकड़ों में दुनिभा भर में कम से कम 7868 लोग इस खतरनाक वायरस से मर चुके हैं. -
चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस का कहर अब 145 देशों में फैल चुका है। इस बीमारी से अबतक 7171 लोगों की मौत हो चुकी है और करीब पौने दो लाख लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए अमेरिका के दो बड़े राज्यों न्यू जर्सी और सैन फ्रांसिस्को में कर्फ्यू की घोषणा कर दी गई है। अमेरिकी नागरिकों को कहा गया है कि जब बेहद जरूरी हो तभी वे घर से बाहर निकले। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को देशवासियों से कहा कि लोग 10 से ज्यादा की संख्या में जमा न हों।
इटली में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या रुकने का नाम नहीं ले रही है। यहां सोमवार को भी 349 मौतें दर्ज की गईं. इस तरह इटली में मरने वालों की संख्या 2158 हो गई है। जबकि यहां पर 27,980 लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं।3213 की संख्या के साथ मरने वालों का आंकड़ा अभी भी चीन में सबसे ज्यादा है।
कोरोना वायरस से संक्रमित पोलैंड के पर्यावरण मंत्री माइकल वोस पृथक रहने के बाद अब बेहतर महसूस कर रहे हैं। करीब 3.8 करोड़ लोगों की आबादी वाले यूरोपीय संघ राष्ट्र में कोविड-19 से तीन लोगों की जान जा चुकी है और 156 लोग संक्रमित पाए गए हैं। एहतियात के तौर पर देश ने विदेशी यात्रियों के लिए अपनी सीमाएं सील करने के साथ ही स्कूल भी बंद कर दिए हैं। -
कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर में हाहाकार मचा हुआ है. अभी तक इस वायरस का कोई वैक्सीन नहीं बना है. वहीं एक अमेरिकी अधिकारी के अनुसार कोरोना वायरस वैक्सीन का परीक्षण अगले सप्ताह से शुरू होने जा रहा है. साथ ही इस वायरस से संक्रमित पहले व्यक्ति पर सोमवार से परीक्षण किया जाएगा और देखा जाएगा कि इस वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट तो नहीं हो रहा है. इस परीक्षण को राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान कर रहा है. ये परीक्षण वॉशिंगटन के हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट में होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि इसके सफल परीक्षण के बाद वैक्सीन को पूरी तरह से विकसित करने में एक साल का समय लग सकता है.
बता दें कि दुनिया भर में कई फार्मास्युटिकल कंपनियां वर्तमान में कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रही हैं. अब तक कोरोना वायरस की वजह से 1 लाख 50 हजार से अधिक लोगों को संक्रमित हैं. वहीं इस वायरस की वजह से 6 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड की एक टीम ने पिछले महीने घोषणा की थी कि उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन तैयार कर लिया है. फिलहाल उस वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण चल रहा है. यूनिवर्सिटी के केमिस्ट्री प्रोफेसर पॉल यंग का कहना है कि इस पर 20 से अधिक टीमें काम कर रही हैं. -
नई दिल्ली : कोरोना वायरस का प्रकोप विश्वभर में तेजी से बढ़ रहा है। सऊदी अरब ने कोरोना वायरस से प्रभावित सभी देशों के लिए हवाई और समुद्री यात्रा पर अस्थायी रोक लगा दी है। इसमें बहरीन, मिस्र, इराक, इटली, कुवैत, लेबनान, दक्षिण कोरिया, सीरिया, संयुक्त अरब अमीरात आदि शामिल हैं। संयुक्त अरब अमीरात थल मार्ग से अपनी सीमा में प्रवेश पहले ही रोक दिया है।वहीं अमेरिका में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए राष्ट्रपति ट्रंप ने भारतीय समयानुसार शुक्रवार देर रात 1 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे अमेरिका में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर दी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान बताया कि संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए कई तरह के एतिहयाती कदम उठाए जा रहे हैं।
राष्ट्रपति ट्रंप ने देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए 50 अरब डॉलर का फंड भी घोषित किया है। इसके साथ ही उन्होंने अमेरिका के सभी राज्यों में कोरोना वायरस से निपटने के लिए पर्याप्त इमरजेंसी सेंटर स्थापित करने के लिए भी कहा है।बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक अमेरिका में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण के 2 हजार से अधिक मामले सामने आ चुके हैं. साथ ही 40 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले कोरोना वायरस के कहर को देखते हुए अमेरिका ने यूरोप से अमेरिका की सभी तरह की यात्राओं पर 30 दिन के लिए बैन लगा दिया है।




















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