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नई दिल्ली : सोशल नेटवर्किंग साइट इंस्टाग्राम पर चल रहे आपत्तिजनक ग्रुप ‘बॉयज लॉकर रूम’ मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसे जानकार आप भी चौंक जाएंगे। दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने खुलासा किया है कि आपत्तिजनक ग्रुप में एक लड़की ने लड़के के नाम से एक फर्जी आईडी बनाई थी, जिसमें वह लड़के के मन को परखने के लिए उसने खुद के गैंगरेप का जिक्र छेड़ा था। बता दें कि, दिल्ली पुलिस ने इंस्टाग्राम चैट ग्रुप ‘बॉयज लॉकर रूम’ के एडमिन को गिरफ्तार किया था और मामले में एक और नाबालिग को हिरासत में लिया था। नोएडा में पढ़ाई करने वाला एडमिन इस साल कक्षा 12 की परीक्षा में शामिल हुआ था। पुलिस ने चैट समूह के संबंध में 22 उपयोगकर्ताओं की भी पहचान की थी, जिन पर कम उम्र की लड़कियों की आपत्तिजनक तस्वीरें साझा करने का आरोप लगाया गया था।
नए खुलासे के मुताबिक, लड़की ने ‘सिद्धार्थ’ के नाम से फेक प्रोफाइल बनाकर स्नैपचैट पर लड़कों के बीच एंट्री की थी। उसने नैतिक मूल्यों और बातचीत में लगे दूसरे लड़के के चरित्र का परीक्षण करने के लिए ऐसा किया था।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (साइबर क्राइम यूनिट) अनीश रॉय के हवाले से बताया कि जांच में पता चला है कि स्नैपचैट की बातचीत असल में लड़की और लड़के के बीच थी। लड़की ने ‘सिद्धार्थ’ के रूप में प्रस्तुत करके लड़के को एक और लड़की से गैंगरेप करने की योजना का सुझाव दिया, लेकिन लड़के ने उस अपराध का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, लड़के ने लड़की सहित अपने दोस्तों को बातचीत की सूचना दी, जिन्होंने इस नकली ‘सिद्धार्थ’ का गैंगरेप करने का सुझाव दिया था। हालांकि, पुलिस ने कहा है कि लड़की के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी क्योंकि यहाँ मकसद ‘दुर्भावनापूर्ण’ नहीं था।’
साइबर सेल की जांच में सामने आया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर बने ‘बॉयज लॉकर रूम’ में 24 से ज्यादा सदस्य आपस मे चैट कर रहे थे और लड़कियों की अश्लील तस्वीरें ग्रुप में डालकर लड़की के रेप की बातें कर रहे थे। लेकिन जब ये चैट सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने केस दर्ज कर जांच शुरू की थी। दिल्ली पुलिस ने इंस्टाग्राम से भी ग्रुप के डिटेल्स मांगे थे। -
नई दिल्ली: तमिलनाडु में दुकानों पर शराब बेचने के लिए राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है. राज्य सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के कल जारी हुए आदेश के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है जिसमें हाईकोर्ट ने कोरोना संकट के दौरान ठेकों के बाहर ग्राहकों में सामाजिक दूरी न बनाने को लेकर राज्य में शराब की दुकानें बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने शराब की ऑनलाइन बिक्री और होम डिलीवरी करने की बात कही थी. तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर कहा है कि राज्य सरकार लोगों में सामाजिक दूरी के नियम का पालन करवा रही है और जो लोग ऐसा नहीं करते हैं पुलिस उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रही है.
साथ ही कहा है कि तमिलनाडु में शराब की बिक्री बंद करने से राज्य के बार्डर पर समस्या खड़ी हो सकती है क्योंकि पड़ोसी राज्यों में शराब की बिक्री खुली है, ऐसे में राज्य के लोग शराब लेने के लिए पड़ोसी राज्यों में जाएंगें और कोरोना के दौरान लोगों की आवाजाही और बढ़ जाएगी.
बता दें कि शुक्रवार को हाईकोर्ट ने राज्य में शराब की दुकानों को बंद करने के आदेश दिए थे लेकिन शराब की ऑनलाइन बिक्री की इजाजत दे दी थी. -
नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल से डिस्चार्ज किए जाने को लेकर नई नीति तैयार की है। इसके मुताबिक, अब कोरोना के हल्के या मध्यम लक्षण वाले मरीजों को ठीक होने के बाद बिना टेस्टिंग के भी डिस्चार्ज किया जा सकता है, इसके लिए शर्त यह है कि मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए और उनमें लगातार तीन दिन तक बुखार नहीं होना चाहिए। हालांकि, डिस्चार्ज के बाद भी उन्हें 7 दिन के लिए घर पर ही आइसोलेशन में रहना अनिवार्य होगा।
नई गाइडलाइंस-----------
1. कोरोना के हल्के, बेहद हल्के और शुरुआती लक्षण वाले मरीजों के लिए
स्वास्थ्य मंत्रालय के नए मानकों के मुताबिक, अब कोविड केयर फैसिलिटी में भर्ती हल्के, बेहद हल्के या शुरुआती लक्षण वाले मरीजों की नियमित टेम्प्रेचर (तापमान) और पल्स ऑक्सीमेट्री मॉनिटरिंग होगी। मरीजों को लक्षण दिखने के 10 दिन के बाद तभी डिस्चार्ज किया जा सकेगा, जब उसे 3 दिन तक बुखार न हो। डिस्चार्ज से ठीक पहले टेस्टिंग की जरूरत नहीं होगी और मरीजों को उनके घर पर ही 7 दिन और आइसोलेशन में ही रहने की सलाह दी जाएगी।
कोविड केयर फैसिलिटी से डिस्चार्ज से पहले अगर किसी भी समय मरीज का ऑक्सीजन सेचुरेशन 95 फीसदी से नीचे आता है, तो उसे डेडिकेटेड कोविड केयर फैसिलिटी में भर्ती कराया जाएगा।
डिस्चार्ज के बाद अगर ठीक हुए व्यक्ति में एक बार फिर कोरोना के लक्षण जैसे- बुखार, कफ या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या आती है, तो वह तुरंत कोविड केयर फैसिलिटी में या राज्य के हेल्पलाइन नंबर या 1075 पर संपर्क करेगा। उसके स्वास्थ्य को टेली-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 14वें दिन में जाना जाएगा।
2. डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर में भर्ती मरीजों के लिए
a) ऐसे मरीज जिनके लक्षण 3 दिन में ही खत्म हो जाते हैं और ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल अगले 4 दिन 95 फीसदी बना रहता है
वे केसेज जो मॉडरेट (सामान्य) हैं, उनका हर दिन बॉडी टेम्प्रेचर और ऑक्सीजन सेचुरेशन देखा जाएगा। अगर उनका बुखार 3 दिन में ही कत्म होता है और उनका ऑक्सीजन लेवल अगले 4 दिन तक 95 फीसदी के ऊपर रहता है (बिना अलग से ऑक्सीजन दिए) तो उन्हें लक्षण दिखने के ठीक 10 दिन बाद डिस्चार्ज किया जाएगा, अगर…– उन्हें बिना दवा दिए ही बुखार उतर जाए– सांस लेने की समस्या खत्म हो जाए– अलग से ऑक्सीजन देने की जरूरत न पड़े
ऐसे मरीजों को भी घर पर 7 दिन के लिए आइसोलेशन में रहना जरूरी होगा।
b) वे मरीज जिन्हें ऑक्सीजन दिया गया है और जिनका बुखार 3 दिन बाद भी ठीक नहीं हुआ और ऑक्सीजन की जरूरत बनी है
ऐसे मरीजों को सिर्फ तभी डिस्चार्ज किया जाएगा, जब– सभी लक्षण ठीक हो जाएं।– लगातार तीन दिन तक ऑक्सीजन सेचुरेशन बना रह सके।
3. गंभीर रूप से बीमार मरीज (कमजोर इम्यून सिस्टम वाले केस)ऐसे मरीजों को तभी डिस्चार्ज किया जा सकेग, जब वे पूरी तरह संक्रमण के लक्षण से आजाद हो चुके होंगे और उनका RT-PCR टेस्ट निगेटिव एक बार निगेटिव आ जाएगा।जनसत्ता से साभार -
नई दिल्ली : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में गैस रिसाव की घटना के सिलसिले में एलजी पॉलिमर्स इंडिया पर 50 करोड़ रुपये का अंतरिम जुर्माना लगाया और केन्द्र तथा अन्य से जवाब मांगा। अधिकरण ने कहा, ‘‘नियमों और अन्य वैधानिक प्रावधानों का पालन करने में विफलता दिखाई देती है।’’
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने गैस लीक मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय एक समिति गठित की और उसे 18 मई से पहले रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। इस घटना में 11 लोगों की मौत हुई है जबकि 1,000 लोग इससे प्रभावित हुए हैं। पीठ ने कहा, ‘‘प्रथम दृष्टया सामने आई जानकारी के अनुसार इस घटना में लोगों की जान गई, जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान हुआ है, हम एलजी पॉलिमर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को 50 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि जमा कराने के निर्देश देते हैं। यह राशि कंपनी के वित्तीय मूल्य और उससे हुई क्षति की सीमा के संबंध में तय की जा रही है।’’
अधिकरण ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, एल जी पॉलिमर्स इंडिया, आंध्र प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, विशाखापत्तनम जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किये और उनसे मामले की अगली सुनवाई 18 मई से पहले जवाब मांगे। मामले की जांच के लिए गठित की गई समिति में आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी एस रेड्डी, आंध्र विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति वी रामा चन्द्र मूर्ति, आंध्र विश्वविद्यालय, रसायन इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रोफेसर पुलिपति किंग, सीपीसीबी के सदस्य सचिव, सीएसआईआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक और विशाखापत्तनम में एनईईआरआई के प्रमुख शामिल हैं।
अधिकरण ने कहा कि समिति जल्द से जल्द मौके का निरीक्षण कर सकती है और उसे ईमेल से 18 मई से पहले अपनी रिपोर्ट देनी है। समिति को घटनाओं के अनुक्रम, विफलता के कारणों और इस घटना के जिम्मेदार लोगों के बारे में रिपोर्ट देनी है जिनकी वजह से दूसरों के जीवन को नुकसान पहुंचा है। अधिकरण ने कहा कि स्टाइरीन गैस एक खतरनाक रसायन है, जिसे अनुसूची 1 की प्रविष्टि 583 के साथ नियम 2 (ई) के तहत परिभाषित किया जाता है, जो खतरनाक रासायनिक नियमों, 1989 के निर्माण, भंडारण और आयात से संबंधित है।
गैस रिसाव के संबंध में मीडिया रिपोर्टों के आधार पर अधिकरण ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया। विशाखापत्तनम में एलजी पॉलीमर्स लिमिटेड की फैक्टरी से बृहस्पतिवार तड़के हुए इस गैस रिसाव से 11 लोगों की मौत हो गई और विशाखापत्तनम के निकट पांच किलोमीटर की परिधि में स्थित गांवों के कई लोगों को सांस लेने में दिक्कत और अन्य समस्याएं हुई। आंध्र प्रदेश सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिये है। -
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में बदनापुर-करमाड रेलवे स्टेशन के पास शुक्रवार सुबह जब एक मालगाड़ी गुजर रही थी, तब उसने 16 से अधिक मजदूरों को कुचल दिया. इस हादसे में 16 मजदूरों की तो मौत हो गई है, जबकि कुछ अन्य मजदूर घायल भी हुए हैं.
भारतीय रेलवे की ओर से जारी प्रेस रिलीज़ के मुताबिक, जिन मजदूरों की मौत हुई है, वो सभी मध्य प्रदेश के रहने वाले थे और महाराष्ट्र के जालना में एसआरजी कंपनी में कार्यरत थे. 5 मई को इन सभी मजदूरों ने जालना से अपना सफर शुरू किया, पहले ये सभी सड़क के रास्ते आ रहे थे लेकिन औरंगाबाद के पास आते हुए इन्होंने रेलवे ट्रैक के साथ चलना शुरू किया.
करीब 36 किमी. तक पैदल चलने के बाद जब सभी मजदूर थक गए थे, तो ट्रैक के पास ही आराम के लिए लेट गए और वहां ही सो गए. इनमें से 16 लोग ट्रैक पर सोए, 2 बराबर में और बाकी तीन कुछ दूरी पर सोए. इन्हीं में से 16 की मौत हो गई है, बाकी जो घायल हैं उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया है. -
बेंगलुरू: कर्नाटक सरकार ने कोरोनावायरस (Covid-19) को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण परेशान लोगों को राहत देने के लिए 1,610 करोड़ रुपये के पैकेज की बुधवार को घोषणा की. राज्य सरकार ने किसानों, लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रमों (MSME), हथकरघा बुनकरों, फूलों की खेती करने वालों, धोबियों, नाइयों, ऑटो और टैक्सी चालकों समेत अन्य को ध्यान में रखते हुए इस राहत पैकेज का ऐलान किया है. कर्नाटक सरकार ने 11 प्रतिशत आबकारी/उत्पाद शुल्क वृद्धि की घोषणा की, जो बजट में घोषित छह फीसदी की वृद्धि के अतिरिक्त है.
इस राहत पैकेज के तहत फूल की खेती करने वालों को प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये की राहत मिलेगी. धोबी और नाइयों को एकमुश्त 5,000 रुपये मुआवजा दिया जाएगा. ऑटो और टैक्सी चालकों को एक बारगी 5,000 रुपये की राशि दी जाएगी. निर्माण श्रमिकों को 3,000 रुपये मिलेंगे. उन्हें पहले दो हजार रुपये का भुगतान किया चा चुका है. -
नई दिल्ली : भारत में कोरोनावायरस से संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में अब तक 1694 लोगों की संक्रमण से मौत हो चुकी है, जबकि 49,391 लोग संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से करीब 33,514 एक्टिव केस हैं, जबकि 14,182 लोग ठीक होकर घर भेजे जा चुके हैं।
संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित महाराष्ट्र है, जहां अब तक कुल 15,525 केस दर्ज हुए हैं। यानी पूरे देश में लगभग 30 फीसदी संक्रमित महाराष्ट्र से ही हैं। इसके अलावा देश में संक्रमण से हुई कुल मौतों में 36% इसी राज्य से हैं। इसके बाद नंबर है गुजरात का, जहां कुल 6,245 केस हैं और 368 लोगों की जान गई है। दिल्ली में संक्रमितों की संख्या अब 5 हजार के आंकड़े के पार जा चुकी है। यहां कुल 64 लोगों की जान गई है। इसके बाद चौथे नंबर पर तमिलनाडु (4058 केस, 33 मौत) और पांचवें पर राजस्थान (3158 केस, 89 मौत) हैं।
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना वायरस की महामारी के कारण जारी लॉकडाउन के दौरान मकान का किराया न देने की स्थिति में मजदूरों-छात्रों को घरों से निकाले जाने पर रोक लगाने से संबंधित याचिका खारिज कर दी है. गौरतलब है कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान सरकार ने मकानमालिकों से किरायेदार के प्रति मानवीयता दिखाते हुए फिलहाल किराया नहीं मांगने की बात कही थी. याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकील लगातार इस तरह की याचिकाएं दाखिल कर रहे हैं. सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन बनाई है इसलिए कोर्ट सरकार के आदेशों को लागू नहीं कर सकता. हालांकि अदालत ने चेतावनी दी कि ऐसे मामलों में भारी जुर्माना लगाया जा सकता है.
गौरतलब है कि सरकार के आदेश के बावजूद कई जगह मकान मालिक, छात्रों और मजदूरों पर घर खाली करने का दबाव बना रहे हैं, जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.अर्जी में कहा गया केंद्र सरकार ने एडवाइजरी कर साफ किया था कि लॉकडाउन के दौरान किराया चुकाने में असमर्थ लोगों पर किराया देने के लिए दबाव नहीं डाला जा सकता. इसके बावजूद मकान मालिक की ओर से किरायेदारों को परेशान किया जा रहा है. किराया न देने की सूरत में उन्हें घर छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है.
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नई दिल्ली : भारत में कोरोना वायरस संक्रमण लगातार पांव पसारते जा रहा है। कोरोना लॉकडाउन में छूट के एक दिन बाद ही कोरोना वायरस के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखने को मिली है। देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 3900 नए मामले सामने आए हैं और सर्वाधिक 195 लोगों की मौत हुई है। मंगलवार को जारी स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देशभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 46433 हो गए हैं और कोविड-19 से अब तक 1568 लोगों की मौत हो चुकी है।
कोरोना के कुल 46433 केसों में 32134 एक्टिव केस हैं, वहीं 12727 लोगों को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है। कोरोना वायरस से अब तक सर्वाधिक 583 लोगों की मौत महाराष्ट्र में हुई। यहां अब इस महामारी से पीड़ितों की संख्या 17589 हो गई है। -
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रवासी श्रमिकों के किराए को लेकर मचे घमासान के बीच साफ किया कि विशेष ट्रेनों से लौट रहे प्रवासी मजदूरों और छात्रों से भाड़ा नहीं लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को लौटने के दौरान लगे किराए का पैसा भी लौटाया जाएगा और इसके अलावा भी उन्हें कम से कम 1000-100 रुपए की राशि दी जाएगी. सीएम ने कहा कि श्रमिकों को 21 दिनों का पृथक-वास पूरा करने के बाद ये पैसा लौटाया जाएगा एवं अन्य सहायता भी दी जाएगी.
कुमार ने एक वीडियो संदेश में कहा कि ये उपाय तो पहले से किए गए हैं. उन्होंने लोगों के बीच भ्रम के लिए विपक्ष की बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इसे दूर करना अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को रेलवे स्टेशनों से संबंधित प्रखंडों में पहुंचाया जा रहा है जहां उन्हें 21 दिनों के लिए पृथक वास में रहना होगा और जब वे बाहर आएंगे, तब उन्हें पूरा (किराया) खर्चा लौटाया जाएगा और उन्हें 500-500 रुपए की अतिरिक्त सहायता भी दी जाएगी और इस प्रकार हर श्रमिक को न्यूनतम 1000 रुपए मिलेंगे.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, मैं बिहार के लोगों को वापस भेजने के सुझाव पर विचार करने के लिए केंद्र को धन्यवाद देना चाहता हूं, जो अन्य राज्यों में फंसे बिहार के लोगों को वापस बिहार भेजने के लिए हैं. किसी को भी टिकट के लिए भुगतान नहीं करना पड़ेगा. उनके लिए यहां एक पृथक वास केंद्र स्थापित किया गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कोटा जैसे स्थानों से राज्य लौट रहे विद्यार्थियों को किराया नहीं देना होगा. राज्य सरकार सीधे रेलवे को इसका भुगतान कर रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों से कोई भाड़ा नहीं लिया जा रहा है. -
नई दिल्ली : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रवासी श्रमिकों से रेलवे द्वारा कथित तौर पर किराया लिए जाने को लेकर सोमवार को सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया है। प्रियंका गांधी ने सवाल किया कि जब ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम पर 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा सकते हैं तो फिर संकट के समय मजदूरों को मुफ्त रेल यात्रा की सुविधा उपलब्ध क्यों नहीं कराई जा सकती?
प्रियंका गांधी ने अपने ट्वीट में लिखा, “मजदूर राष्ट्र निर्माता हैं। मगर आज वे दर दर ठोकर खा रहे हैं-यह पूरे देश के लिए आत्मपीड़ा का कारण है। जब हम विदेश में फंसे भारतीयों को हवाई जहाज से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब नमस्ते ट्रम्प कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु खर्च कर सकते हैं। जब रेल मंत्री पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रु दे सकते हैं तो फिर मजदूरों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?”
कांग्रेस महासचिव ने अपने ट्वीट में आगे कहा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि घर लौटने वाले मजदूरों की रेल यात्रा का पूरा खर्च उठाएगी।” -
पटना: प्रवासी भारतीयों को उनके घर पहुंचाए जाने का मुद्दा का अब राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है. दरअसल इसकी शुरुआत प्रवासियों से किराए लिए जाने के मामले में हुई और विपक्ष के नेताओं ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया. उनका कहना था कि संकट कि इस घड़ी में जो प्रवासी मजदूर हैं खुद ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में उनसे किराया लेना ठीक नहीं है. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने ऐलान कर दिया है कि पार्टी प्रवासियों का किराया खुद ही वहन करेगी. लेकिन अब इस मामले में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी पीछे नहीं रहना चाहते हैं. उन्होंने ऐलान किया है कि राष्ट्रीय जनता दल बिहार सरकार को अपनी तरफ़ से 50 ट्रेनों का किराया देने को तैयार है. तेजस्वी ने कहा, 'हम ग़रीब बिहारी मज़दूर भाइयों की तरफ़ से इन 50 रेलगाड़ियों का किराया असमर्थ बिहार सरकार को देंगे. सरकार आगामी 5 दिनों में ट्रेनों का बंदोबस्त करें, पार्टी इसका किराया तुरंत सरकार के खाते में ट्रांसफ़र करेगी'.
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय के दिशा-निर्देश अनुसार राज्य सरकार को ही ट्रेनों का प्रबंध करना है इसलिए हम राज्य सरकार से आग्रह करते है कि वह मज़दूर भाइयों से किराया नहीं ले क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी शुरुआती 50 ट्रेनों का किराया वहन करने के लिए एकदम तैयार है. आरजेडी उनके किराए की राशि राज्य सरकार को चेक के माध्यम से जब सरकार कहें, सौंप देगी. -
नई दिल्ली : COVID-19 संकट और Lockdown के बीच प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के दौरान रेल टिकट के पैसे लिए जाने पर Congress अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। सोमवार (4 मई, 2020) को उन्होंने ऐलान किया है कि ऐसे कामगारों और श्रमिकों के रेल भाड़े की रकम अब कांग्रेस चुकाएगी। अपने खत में उन्होंने कहा- INC (इंडियन नेशनल कांग्रेस) ने यह फैसला लिया है कि हर प्रदेश में कांग्रेस कमेटी हर जरूरतमंद कामगार और प्रवासी मजदूर के रेल सफर का खर्च उठाएगी। हम इस संबंध में हर जरूरी कदम उठाएंगे। बकौल सोनिया, ‘कांग्रेस की ओर से ये हमारे हमवतन लोगों के लिए एक विनम्र किस्म का सहयोग होगा, ताकि इस घड़ी में हम उनके साथ एकजुटता में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हो सकें।’
उन्होंने यह सवाल भी किया कि जब रेल मंत्रालय ‘पीएम केयर्स’ कोष में 151 करोड़ रुपए का योगदान दे सकता है तो श्रमिकों को बिना किराए के यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकता। सोनिया ने कहा कि श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए। उनके मुताबिक 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए। न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन।
सोनिया ने कहा, ‘उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी। पर देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि आज भी लाखों श्रमिक व कामगार देश के अलग-अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा। दुख की बात यह है कि भारत सरकार व रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं।
उन्होंने सवाल किया, ‘जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रुपए खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना कोष में 151 करोड़ रुपए दे सकता है तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते? सोनिया ने कहा कि कांग्रेस ने कामगारों की इस निशुल्क रेलयात्रा की मांग को बार-बार उठाया है। दुर्भाग्य से न सरकार ने एक सुनी और न ही रेल मंत्रालय ने। इसलिए कांग्रेस ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक व कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च वहन करेगी व इस बारे जरूरी कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि मेहनतकशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने के मानव सेवा के इस संकल्प में कांग्रेस का यह योगदान होगा। -
मीडिया रिपोर्टनॉर्थ कोरिया : नॉर्थ कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन जिंदा हैं या नहीं, गंभीर बीमारी से गुजर रहे हैं, या ब्रेन डेड हो चुके हैं? इन सभी सवालों पर से आज पर्दा उठ गया। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को लेकर सभी अटकलों पर उस वक्त विराम लग गया, जब करीब 20 दिन बाद वह किसी सार्वजनिक कार्यकर्म में पहली बार दिखाई दिए। तीन सप्ताह के बाद उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन शुक्रवार को सार्वनिजक रूप से अपनी बहन और अन्य अधिकारियों के साथ नजर आए। नॉर्थ कोरिया की स्टेट मीडिया ने शनिवार को कुछ तस्वीरों को प्रकाशित किया है।
रोडॉन्ग सिनमुन अखबार की तस्वीरों में किम जोंग उन को राजधानी प्योंगयांग के पास सेंचोन में शुक्रवार को एक उर्वरक कारखाने में एक समारोह में भाग लेते दिखाया गया है। इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि किम जोंग उन पहले की तरह ही फिट नजर आ रहे हैं और मुस्कुराते भी दिख रहे हैं।
इन तस्वीरों में किम जोंग उन अपनी बहन और करीबी सलाहकार किम यो जोंग के अलावे सीनियर अधिकारियों के साथ नजर आ रहे हैं। किम जोंग उन उर्वरक कारखाने में फीता काटते दिख रहे हैं।
केसीएनए ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि किम अपनी बहन किम यो जोंग के साथ-साथ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दिखाई दिये। एजेंसी ने कहा, 'विश्व के मेहनतकश लोगों के लिए एक मई को मनाये जाने वाले अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के मौके पर उर्वरों का उत्पादन करने वाली कंपनी शंचोन फॉस्फेटिक फर्टिलाइजर द्वारा आयोजित समारोह में श्री किम शामिल हुए।'
कैसे मिला था अटकलों को बलउत्तर कोरियाई शासक हाल ही में कई कार्यक्रमों में नहीं दिखाई दिए थे। इससे उनकी सेहत को लेकर कयासबाजी तेज हो गई थी। किम जोंग उन 15 अप्रैल को अपने दिवंगत दादा और देख के संस्थापक किम इल-सुंग की 108वीं जयंती समारोह में भी नजर नहीं आए थे। इतना ही नहीं, वह आखिरी बार 11 अप्रैल को ही एक बैठक में दिखे थे। बताया जा रहा है कि 2012 के बाद ऐसा पहली बार है जब किम अपने दादा के जयंती समारोह से गायब रहे हैं। -
एजेंसीमुंबई : बॉलीवुड एक्टर इरफान खान का 54 साल की उम्र में निधन हो गया है. वे मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती थे. उनकी हालत काफी गंभीर थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इरफान पेट की समस्या से जूझ रहे थे. उन्हें Colon infection हुआ था.

डायरेक्टर शूजीत सरकार ने इरफान खान के निधन की खबर दी है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा- मेरा प्यारा दोस्त इरफान. तुम लड़े और लड़े और लड़े. मुझे तुम पर हमेशा गर्व रहेगा. हम दोबारा मिलेंगे. सुतापा और बाबिल को मेरी संवेदनाएं. तुमने भी लड़ाई लड़ी. सुतापा इस लड़ाई में जो तुम दे सकती थीं तुमने सब दिया. ओम शांति. इरफान खान को सलाम.
बॉलीवुड के टैलेंटेड अभिनाताओं में शामिल इरफान खान के यूं अचानक चले जाने से उनके फैंस और बॉलीवुड सेलेब्स सदमे में हैं. दो साल पहले मार्च 2018 में इरफान को न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर नामक बीमारी का पता चला था. विदेश में इस बीमारी का इलाज कराकर इरफान खान ठीक हो गए थे. भारत लौटने के बाद इरफान खान ने अंग्रेजी मीडियम में काम किया था. किसे पता था ये मूवी इरफान की जिंदगी की आखिरी फिल्म साबित होगी. -
एजेंसीनई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा है कि वह ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ योजना अपनाने की संभावना पर विचार करे ताकि कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में लागू लॉकडाउन के दौरान पलायन करने वाले कामगारों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दाम पर खाद्यान्न मिल सके। केंद्र सरकार की यह योजना इस साल जून में शुरू होने वाली है।न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने सोमवार को पारित अपने आदेश में कहा, 'हम केंद्र सरकार को इस समय यह योजना लागू करने की व्यावहारिकता पर विचार करने और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए उचित निर्णय लेने का निर्देश देते हैं।'
न्यायालय ने इसके साथ ही अधिवक्ता रीपक कंसल के आवेदन का निस्तारण कर दिया। कंसल ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की वजह से अलग-अलग स्थानों पर फंसे कामगारों और दूसरे नागरिकों के लाभ के लिए योजना शुरू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिका में याचिकाकर्ता ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों, लाभार्थियों, राज्यों के निवासियों और पर्यटकों के हितों की रक्षा करने और उन्हें रियायती खाद्यान्न और सरकारी योजना के लाभ उपलब्ध दिलाने के लिए अस्थायी रूप से एक राष्ट्र एक राशन कार्ड योजना अपनाने के लिए न्यायालय से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।
कंसल ने दावा किया था कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपने नागरिकों और मतदाताओं को प्राथमिकता दे रही हैं और वे प्रवासी मजदूरों ओर दूसरे राज्यों के निवासियों को रियायती दाम पर खाद्यान्न, भोजन, आवास और चिकित्सा सुविधाओं के लाभ नहीं दे रही हैं। -
मीडिया रिपोर्टनई दिल्ली- भारत ने कोरोना वायरस की जांच के लिए चीन से जो खराब रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट मंगवाए थे, पता चला है कि उसके बदले उससे दो गुना से ज्यादा भुगतान लिए गए। जानकारी के मुताबिक कोविड-19 टेस्ट किट को भारतीय डिस्ट्रिब्यूटरों रेअर मेटाबोलिक्स और आर्क फार्मासियूटिकल्स ने काफी ज्यादा कीमत पर सरकार को बेचा है। इस बात का खुलासा भी नहीं होता अगर डिस्ट्रीब्यूटर और इंपोर्टर के बीच कानूनी विवाद दिल्ली हाई कोर्ट में नहीं पहुंचता। बाद में हाई कोर्ट ने साफ किया कि महामारी संकट को देखते हुए किसी भी कीमत पर एक किट 400 रुपये से ज्यादा के नहीं बेचे जाने चाहिए।
टेस्टिंग किट खरीद में सरकार को लगाया बड़ा चूनाजानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के जरिए चाइनीज फर्म वॉन्डफो को पिछले 27 मार्च को 5 लाख रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किट्स के ऑर्डर दिए थे। एनडीटीवी ने आईसीएमआर और आर्क फार्मासियूटिकल्स के बीच हस्ताक्षर वाला पर्चेज ऑर्डर जुटाने का दावा किया है, जिसमें प्रति किट 600 रुपये के भुगतान का जिक्र है। जबकि, हकीकत ये है कि इंपोर्टर मैट्रिक्स ने चीन से महज 245 रुपये प्रति किट के दर से खरीदा है। लेकिन, वही किट रेअर मेटाबॉलिक्स और आर्क फार्मासियूटिकल्स नाम के ड्रिस्ट्रीब्यूटर्स ने करीब 60 फीसदी ज्यादा कीमत यानि 600 रुपये प्रति किट के हिसाब से सरकार को बेचा है। जानकारी में ये बात भी सामने आई है कि 20 रुपये के ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट को मिलाकर इंपोर्टर मैट्रिक्स लैब ने 245 रुपये वाले उस किट को 400 रुपये प्रति किट के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटरों को उपलब्ध करवाया। यानि 155 रुपये प्रति किट का मुनाफा इंपोर्टर ने वसूला और 200 रुपये प्रति किट का लाभ डिस्ट्रीब्यूटरों ने कमाने की कोशिश की।
कानूनी विवाद की वजह से हुआ खुलासा इस बात पर विवाद तक शुरू हुआ जब तमिलनाडु सरकार ने भी उसी मैट्रिक्स नाम के इंपोर्टर से एक अलग डिस्ट्रिब्यूटर शान बायोटेक के जरिए वही किट मंगवाया तो उसे भी 600 रुपये प्रति किट के हिसाब से पैसे चुकाने पड़े। आईसीएमआर तक 5 लाख में से 2.76 लाख किट पहुंचे तो तमिलनाडु सरकार के 50,000 किट के ऑर्डर में से 24,000 किट की डिलिवरी हो चुकी है। एनडीटीवी ने तमिलनाडु सरकार और शान बायोटेक के हस्तारक्षर वाला परचेज ऑर्डर भी प्राप्त किया है। इसी के बाद रियर मेटाबॉलिक्स हाई कोर्ट में पहुंच गया कि मैट्रिक्स ने जो किट आयात किए हैं, उसका एकमात्र डिस्ट्रिब्यूटर वही है, जबकि मैट्रिक्स ने शान बायोटेक को भी यह बेचा है, जो कि करार का उल्लंघन है।
400 रुपये प्रति किट से ज्यादा नहीं लिए जाने चाहिए दाम- हाई कोर्ट इसी विवाद के निपटारे के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने भी पाया कि किट के लिए बहुत ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं और उसने निर्देश दिया कि उसके दाम घटाकर 400 रुपये प्रति किट किए जाने चाहिए। दिल्ली हाई कोर्ट के मुताबिक, 'पिछले लगभग एक महीने से अर्थव्यवस्था ठहर सी गई है।....लोगों को भरोसा चाहिए कि महामारी नियंत्रण में है ......इसके लिए जरूरी है कि कम से कम दाम पर जल्द से जल्द किट्स उपलब्ध होने चाहिए, ताकि पूरे देश में व्यापक पैमाने पर टेस्टिंग हो सके। जनहित को हर कीमत पर निजी लाभ से ऊपर रखा जाना चाहिए। व्यापक जनहित में इस विवाद को खत्म कर देना चाहिए। इन सबको देखते हुए किट को जीएसटी समेत 400 रुपये से ज्यादा में नहीं बेचा जाना चाहिए। '
किट के इस्तेमाल पर पहले ही लग चुकी है रोक जब एनडीटीवी ने किट के ज्यादा दाम को लेकर आईसीएमआर से सवाल पूछा गया तो कहा गया कि 'रैपिड टेस्ट किट के लिए 528 रुपये से लेकर 795 रुपये की रेंज को मंजूरी दी गई थी। यह कीमत किट की तकनीकी विशेषता आदि पर निर्भर करती है।....' बता दें कि कई राज्यों से शिकायतें मिलने के बाद पिछले हफ्ते आईसीएमआर ने वॉन्डफो टेस्ट का इस्तेमाल रोक दिया था। शुक्रवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा था कि अभी किसी किट के लिए कोई भुगतान नहीं किया गया है और सारी खराब किट जहां से आए हैं, वहीं भेज दिए जाएंगे। बता दें कि कई राज्यों ने चीन से आई किट की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे और उसके नतीजे भटकाने वाले आ रहे थे। जिसके बाद आईसीएमआर ने उन किट्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दिया था। हालांकि, चीन का दावा है कि किट खराब नहीं है और हो सकता है कि इस्तेमाल करने में दिक्कत आ रही हो। -
एजेंसीबिहार : देश में लॉकडाउन के चलते बिहार के 17 लाख से ज्यादा लोग दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं और उन्हें फिलहाल वापस लाना मुमकिन नहीं है। बिहार सरकार ने गुरुवार को हाईकोर्ट में यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि उन लोगों को फौरी सहायता के तौर पर भोजन, राशन और रुपये दिए जा रहे हैं।आपदा प्रबंधक विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत ने दूसरे राज्यों में फंसे बिहार के लोग और उनको प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही मदद के बारे में हाईकोर्ट के निबंधक कार्यालय को रिपोर्ट सौंपी। बता दें कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था।
अपनी रिपोर्ट में बिहार सरकार ने बताया कि लॉकडाउन के नियमों और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया जा रहा है। लॉकडाउन की अवधि में प्रदेश के किसी भी व्यक्ति को वापस नहीं लाया जा सकता। ऐसे लोगों को समुचित भोजन, राशन के साथ तत्काल एक-एक हजार रुपये दिए जा रहे हैं।
राज्य सरकार ने कहा कि टेलीफोन, हेल्पलाइन नंबर, मोबाइल एप बहुत पहले ही जारी कर दिए गए थे। दरअसल, कोटा में पढ़ रही बिहार की एक छात्रा के पिता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि छात्रा को कोटा में रहने और खाने की परेशानी हो रही है।
लड़की के पिता ने याचिका में कहा है कि जिस तरह यूपी, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, पश्चिम बंगाल और असम की सरकारें कोटा में पढ़ने वाले अपने छात्रों को वापस लाई हैं उसी तरह बिहार सरकार भी अपने राज्य के छात्रों को वापस बुलाए। इसी पर हाईकोर्ट ने बिहार सरकार से जवाब मांगा था।
दूसरे राज्यों के छात्रों को घर जाता देख अब कोटा में रह रहे बिहार के छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। बिहार के छात्र हॉस्टल में रहकर ही उपवास कर रहे हैं और हाथ में तख्तियां लेकर राज्य सरकार से घर बुलवाने की अपील कर रहे हैं। कोटा में बिहार समेत अन्य राज्यों के लगभग 22 से 25 हजार छात्र अभी भी फंसे हुए हैं।
























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