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एजेंसीचंडीगढ़। आय से अधिक संपत्ति के मामले में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) नेता अभय चौटाला की मुसीबतें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं। बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने अभय चौटाला के सिरसा स्थित तेजाखेड़ा फार्म हाउस पर छापेमारी की। अभय चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के चाचा हैं। अभय चौटाला पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में 13 साल से केस चल रहा है।बुधवार को सीआरपीएफ के साथ प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने फार्म हाउस पर छापेमारी की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच एजेंसी मौके पर दस्तावेज खंगाल रही है। इसी साल मई महीने में आय से अधिक संपत्ति के मामले में चौटाला परिवार की संपत्ति की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अजय और अभय की संपत्ति का विवरण मांगा था।
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नई दिल्ली
इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने वाली जनहित याचिका (PIL) पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जनवरी में सुनवाई शुरू कर सकता है. एक गैर सरकारी संगठन ने इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका में इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पॉलिटिकल फंडिंग में कथित अपारदर्शिता के चलते बॉन्ड जारी करने पर रोक लगाने की मांग की गई है.
इसके पहले ADR ने अप्रैल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड्स के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. जगदीप छोकर बताते हैं कि कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा, " काफी महत्वपूर्ण मुद्दें उठाए गए हैं जिनका असर देश के इलेक्टोरल सिस्टम पर होता है." छोकर कहते है कि ये सुनवाई 12 अप्रैल 2018 को हुई थी लेकिन उसके बाद कुछ नहीं हुआ.
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड्स?
इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को मोदी सरकार में जनवरी 2018 में अधिसूचित किया गया था. कहा गया था कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता आएगी. लेकिन इसने चुनावी फंडिंग को अपारदर्शी बना गया है. राजनीतिक पार्टियों के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड डोनर के बारे में चुनाव आयोग को बताए.
इलेक्शन कमीशन में जमा की गई रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी को साल 2017-18 में सबसे ज्यादा चंदा मिला है. बीजेपी को 210 करोड़ रुपये 2000 रुपये के रूप में मिले. देश की सभी राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए जो चंदा मिला, उसमें से बीजेपी का 94.5% हिस्सा है. जमा की गई रिपोर्ट में बताया गया है कि बीजेपी को 210 करोड़ रुपये मिले है. चुनावी चंदे के लेनदेन को पारदर्शी बनाने के लिए बने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए इस साल सबसे अधिक चंदा बीजेपी को ही मिला है. -
नारायणपुर में एक बड़ी घटना की खबर प्रकाश में आई है बताया जा रहा है कि इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के जवान आपस में ही भिड़ गए। एक जवान ने अंधाधुंध फायरिंग कर 6 जवानों की हत्या कर दी. इस फायरिंग में 2 अन्य जवान भी घायल हो गए हैं. घटना की जानकारी लगत ही बटालियन सहित शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है. बस्तर आईजी ने मामले की पुष्टि की है। बस्तर आईजी पी. सुंदरराज ने घटना को लेकर मीडिया से कहा है कि प्रथमदृष्टया आपसी विवाद ही प्रतीत हो रहा है । घटना में और ज्यादा जानकारी का फिलहाल इंतजार है।
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दिल्ली
आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में जेल में बंद पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय से बुधवार को जमानत मिल गई। उच्चतम न्यायालय ने दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानती पर पी.चिदंबरम को जमानत दी। न्यायालय ने पी.चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 नवंबर के आदेश को निरस्त किया। जस्टिस आर भानुमति की पीठ ने 28 नवंबर को जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने से पहले माना कि आर्थिक अपराध काफी गंभीर होते हैं और जमानत का फैसला केस की मेरिट पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा कि अदालत से अनुमति लिए बिना चिदंबरम देश से बाहर नहीं जाएंगे।
न्यायमूर्ति आर भानुमति की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की एक पीठ ने 74 वर्षीय पूर्व वित्त मंत्री को जमानत दी। चिदंबरम बीते 105 दिन से जेल में बंद थे। उन्हें सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। वहीं प्रवर्तन निदेशालय ने उन्हें धनशोधन मामले में 16 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। उच्चतम न्यायालय ने चिदंबरम के इस मामले के संबंध में मीडिया में साक्षात्कार देने या किसी तरह का बयान देने पर रोक लगाई है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि चिदंबरम को मिली जमानत का लाभ इस मामले का कोई अन्य आरोपी नहीं ले पाएगा। -
मुम्बई/दिल्ली
महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के दौरान लिए गए एक बड़े फैसले को वर्तमान सरकार ने पलट दिया है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने जैसे ही कमान संभाली उसने गुजरात से संबंधित एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को मिला 321 करोड़ रुपये का ठेका रद्द कर दिया। इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ‘अंतरराष्ट्रीय घोड़ा मेले’ का आयोजन करने वाली थी। अब यह कंपनी गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में घिर गई है।
26 दिसंबर, 2017 को राज्य-संचालित महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) लिमिटेड ने अहमदाबाद के ‘लल्लूजी एंड संस’ के साथ तुर्की के आधार पर नंदुरबार में सारंगखेड़ा दीपक समारोह के लिए कॉन्सेप्ट, डिजाइन, प्रबंधन और संचालन के लिए समझौता किया था। यह फर्म पहले कुंभ मेले और रण उत्सव के लिए काम कर चुकी थी। लेकिन इस साल 28 नवंबर को जिस दिन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली नई शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार ने शपथ ली, राज्य के पर्यटन विभाग ने मुख्य सचिव अजय मेहता के आदेशों का पालन करते हुए अनुबंध को “तत्काल रद्द” करने का निर्देश दिया।
पर्यटन विभाग के अंडर सेक्रेटरी एस लम्भेट ने बताया, “सरकार की मंजूरी के बिना ही समझौते और धंधे में मुनाफे की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। चूंकि यह केंद्र के मानदंडों के अनुसार नहीं है, इसलिए यह एक गंभीर वित्तीय अनियमितता है।” एमटीडीसी इस आयोजन से जुड़ा हुआ है और यह हर साल दिसंबर में आयोजित किया जाता है। कहा जाता है कि यह भारत के सबसे पुराना घोड़ों का मेला है।
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मीडिया रिपोर्ट
भारतीय रेलवे का ऑपरेशन कॉस्ट यानी परिचालन लागत लगातार बढ़ती जा रही है। यह बात इसके परिचालन अनुपात (ऑपरेटिंग रेश्यो) से पता चलती है जो साल 2017-18 में बढ़कर 10 साल के उच्च स्तर 98.44 पर्सेंट पर पहुंच गया। इसका मतलब है कि रेलवे को 100 रुपये कमाने के लिये 98.44 रूपये खर्च करने पड़ रहे हैं। संसद में पेश कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (कैग) की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे का परिचालन अनुपात (आपरेटिंग रेश्यो) 2015-16 में 90.49 प्रतिशत, 2016-17 में 96.5 प्रतिशत रहा था।
सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय रेल का परिचालन अनुपात वित्त वर्ष 2017-18 में 98.44 प्रतिशत रहने का मुख्य कारण इसका संचालन खर्च बढ़ना है। इसमें बताया गया है कि वित्त वर्ष 2008-09 में रेलवे का परिचालन अनुपात 90.48 प्रतिशत था जो 2009-10 में 95.28 प्रतिशत, 2010-11 में 94.59 प्रतिशत, 2011-12 में 94.85 प्रतिशत, 2012-13 में 90.19 प्रतिशत, 2013-14 में 93.6 प्रतिशत, 2014-15 में 91.25 प्रतिशत हो गया।
सीएजी ने सिफारिश की है कि रेलवे को आंतरिक राजस्व बढ़ाने के लिए उपाय करने चाहिए ताकि सकल और अतिरिक्त बजटीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जा सके। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रेल का कुल व्यय 2016-17 में 2,68,759.62 करोड़ रुपये से बढ़कर 2017-18 में 2,79,249.50 करोड़ रुपये हो गया। इसमें पूंजीगत व्यय 5.82 प्रतिशत घटा है जबकि वर्ष के दौरान राजस्व व्यय में 10.47 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसके अनुसार कर्मचारी लागत, पेंशन भुगतानों और रोलिंग स्टॉक (रेल डिब्बे आदि) पर पट्टा किराया मद में खर्च 2017-18 में कुल संचालन व्यय का लगभग 71 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि रेल का सबसे बड़ा संसाधन माल भाड़ा है और उसके बाद अतिरिक्त बजटीय संसाधन और यात्री आय है।
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मीडिया रिपोर्ट
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को झारखंड की जनता से अपनी पार्टी के पक्ष में वोट मांगा और कहा कि उनके वोट से यह तय होगा कि राज्य विकास पथ पर चलेगा या नक्सलवाद के। शाह ने यहां राम मंदिर का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि हर कोई चाहता है कि अयोध्या में राम मंदिर बनना चाहिए, मगर कांग्रेस पार्टी केस ही नहीं चलने देती थी। शाह ने यहां चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को बीते 55 वर्षों के दौरान क्षेत्र में उनकी पार्टी द्वारा किए गए विकास कार्यों का लेखाजोखा देने की चुनौती दी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने चक्रधरपुर में कहा ‘कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि राम जन्मभूमि मामले में जल्दबाजी करने की कोई जरूरत नहीं है …. हमने अनुरोध किया कि इस मामले को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। आपका रिजल्ट क्या था? SC ने फैसला दिया है और अब अयोध्या में देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला करके सहमति से ये निर्णय किया है। ऐसे में अयोध्या में राम लल्ला का आसमान छूते एक मंदिर का निर्माण किया जाएगा।
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दिल्लीअपने फेसबुक पोस्ट से महाराष्ट्र की राजनीति में खलबली मचाने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और राज्य की पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने अब ट्विटर पर हंगामा खड़ा दिया है। उन्होंने अपने ट्विटर बायो से अपनी पार्टी के नाम को हटा दिया है। माना जा रहा है कि वह शिवसेना में शामिल हो सकती हैं इसका इशारा शिवसेना प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने दिया है।
वहीं, इससे पहले पंकजा मुंडे ने महाराष्ट्र में बदले राजनीतिक परिदृश्य के मद्देनजर अपनी ‘‘भावी यात्रा’’ को लेकर फेसबुक पर रविवार को एक पोस्ट लिखकर खलबली पैदा कर दी है। पूर्ववर्ती भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहीं पंकजा मुंडे ने अपने समर्थकों को अपने दिवंगत पिता एवं पूर्व भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के मौके पर 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ आने का न्योता दिया है। गोपीनाथगढ़ बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है।
पंकजा ने मराठी में लिखी फेसबुक पोस्ट में कहा, ‘राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सोचने और निर्णय लेने की आवश्यकता है कि आगे क्या किया जाए। मुझे स्वयं से बात करने के लिए आठ से 10 दिन की आवश्यकता है। मौजूदा राजनीतिक बदलावों की पृष्ठभूमि में भावी यात्रा पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अब क्या करना है? कौन सा मार्ग चुनना है? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं पर विचार करूंगी और आपके सामने 12 दिसंबर को आऊंगी।’
40 वर्षीय पंकजा मुंडे ने लिखा कि उन्होंने चुनाव में मिली हार स्वीकार कर ली है और वह आगे बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं पार्टी (भाजपा) की बैठकों में शामिल हुई थी।’ पंकजा के पोस्ट के बाद से उनकी नाराजगी को जगजाहिर माना जा रहा था। इसके बाद सवाल उठ रहा था कि क्या वह देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ अपना गुस्सा खुलकर जाहिर करेंगी? कई लोगों का मानना है कि पंकजा मुंडे करीब एक दर्जन से अधिक भाजपा विधायकों के साथ शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। बता दें कि, पंकजा 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में राकांपा के धनन्जय मुंडे के हाथों बीड जिले की परली सीट से 30,000 से अधिक वोटों से हार गई थीं। मुंडे ने फड़नवीस के नेतृत्व वाली सरकार में ग्रामीण और महिला, बाल विकास मंत्रालय संभाला था। -
नई दिल्ली
ईवीएम की जांच की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस याचिका को मंसूर अली खान ने दायर किया था. उनका कहना है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. याचिकाकर्ता ने मांग की कि चुनाव आयोग विशेषज्ञों की सहायता से और सुप्रीम कोर्ट या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की देखरेख में ईवीएम से छेड़छाड़ करने की इजाजत दें. -
बेंगलुरू: कर्नाटक से सांसद अनंत हेगड़े अपने बयानों के लिए मशहूर हैं. इस बार उन्होंने महाराष्ट्र में हाल ही के दिनों में हुई राजनीति पर चौंकाने वाला बयान दे डाला है. उन्होंने दावा किया है कि महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस ने रात में जिस तरह एनसीपी नेता अजित पवार को मिलाकर सुबह राज्य में सरकार बनाई थी, उसके पीछे 40 हजार करोड़ रुपया था. उन्होंने कहा कि फडणवीस ने राज्य के खजाने से चालीस हजार करोड़ रुपया का निकाल कर केंद्र को दे दिया. उन्होंने कहा कि देवेंद्र फडणवीस ने 80 घंटे सीएम रहे थे और इतने ही घंटे में उन्होंने यह काम किया. हेगड़े ने कहा कि आरोप लगाते हुए कहा, आपको पता है कि हमारे आदमी 80 घंटे के लिए महाराष्ट्र में सीएम बना था. इसके बाद फडणवीस ने इस्तीफा दे दिया.
उन्होंने यह ड्रामा क्यों किया था? क्या हमें पता नहीं था कि हमारे पास बहुमत नहीं है फिर भी वह मुख्यमंत्री बने. यह सवाल हर कोई पूछता है. मुख्यमंत्री के पास करीब 40 हजार करोड़ रुपये थे. अगर Congress-NCP और शिवसेना सत्ता में आ जाते तो वे इन पैसों का गलत इस्तेमाल करते. यह सब केंद्र का पैसा था और इसका इस्तेमाल राज्य के विकास में नहीं होता. यह सब कुछ बहुत पहले तय कर लिया गया था. इसलिए यह ड्रामा रचा गया. फडणवीस ने शपथ लेते ही 15 घंटे के अंदर सारा पैसा केंद्र को भेज दिया'. -
नयी दिल्ली (एजेंसी) : उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई की ओर से दायर याचिका में हस्तक्षेप से आज इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल और न्यायमूर्ति अभय मनोहर सप्रे की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने, हालांकि याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के समक्ष जाने की अनुमति दे दी।
न्यायालय ने गत शुक्रवार को सभी संबंधित पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और आदेश के लिए आज की तारीख मुकर्रर की थी। पिछली सुनवाई के दौरान प्रदेश भाजपा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ता पंचायत चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोक रहे हैं। कार्यकर्ताओं को धमकियां दी जा रही हैं।उन्होंने दलील दी थी कि ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता भाजपा कार्यकर्ताओं को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोकने के लिए सुनियोजित हिंसा का माहौल बना रहे हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने इन दलीलों का पुरजोर विरोध किया था। पंचायत चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिले का आज अंतिम दिन है। याचिकाकर्ता ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की तैनाती और ऑनलाइन नामांकन की सुविधा उपलब्ध कराने के दिशानिर्देश देने की मांग भी की थी। -
हैदराबाद
हैदराबाद में एक महिला डॉक्टर के साथ गैंगरेप के बाद की गई नृशंस हत्या ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। राज्य की पुलिस ने अब इस मामले में कोताही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की है। साइबराबाद के पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार ने इस मामले में 3 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया है।साइबराबाद पुलिस कमिश्नर वीसी सज्जनार ने कहा, '27-28 नवंबर की दरम्यानी रात को एक महिला के लापता होने के मामले में शमशाबाद पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करने में देरी संबंधी ड्यूटी में कोताही बरतने के मामले में आज विस्तृति जांच की गई।' पुलिस कमिश्नर ने आगे बताया कि जांच के नतीजों के आधार पर सब इंस्पेक्टर एम. रवि कुमार, हेड कॉन्स्टेबल पी. वेणुगोपाल रेड्डी और हेड कॉन्स्टेबल ए. सत्यनारायण गौड़ को अगले आदेश तक निलंबित कर दिया गया है।परिवार ने लगाया था पुलिस पर लापरवाही का आरोपमृतक डॉक्टर के परिवार वालों ने यह आरोप लगाया था कि साइबराबाद पुलिस उन्हें दौड़ाती रही। अगर उसने तत्काल कार्रवाई की होती तो पीड़िता को जिंदा बचाया जा सकता था। मां ने बताया कि घटना के बाद मेरी छोटी बेटी थाने में शिकायत दर्ज कराने पहुंची लेकिन उसे दूसरे थाने शमशाबाद भेज दिया गया। पुलिस ने कार्रवाई की बजाय कहा कि यह मामला उसके क्षेत्र में नहीं आता है। बाद में पीड़िता के परिवार के साथ कई सिपाही लगाए गए और सुबह 4 बजे तक तलाशी अभियान चलाया गया लेकिन उसका पता नहीं चल पाया। पीड़िता की बहन ने कहा, 'एक पुलिस स्टेशन से दूसरे पुलिस स्टेशन जाने में हमारा काफी समय बर्बाद हो गया। अगर पुलिस ने समय बर्बाद किए बिना कार्रवाई कर दी होती तो मेरी बहन आज जिंदा होती।'हैदराबाद में आक्रोशित भीड़ ने थाने में घुसने की कोशिश कीहैदराबाद गैंगरेप और मर्डर केस को लेकर देशभर में जबरदस्त आक्रोश है। तेलंगाना समेत कई राज्यों में शनिवार को इस नृशंस कांड के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। हैदराबाद में आक्रोशित भीड़ ने शादनगर पुलिस स्टेशन का घेराव किया और उस समय उसमें घुसने की कोशिश की, जिस वक्त चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने से पहले थाने में रखा गया था। इस दौरान लोगों ने पुलिसवालों पर चप्पलें भी फेंकी। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि आरोपियों को उनके हवाले किया जाए। प्रदर्शनकारियों को थाने में घुसने से रोकने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज भी करनी पड़ी। बता दें कि शनिवार को चारों आरोपियों को रंगारेड्डी कोर्ट में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। -
मुंबई :NCP शिव सेना और कांग्रेस गठबंधन ने उद्धव ठाकरे को अपना समर्थन दे कर मुख्य मंत्री तो बना दिया लेकिन एनसीपी ने अपने पत्ते नहीं खोले है !राकांपा नेता जयंत पाटिल ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी ने अभी यह तय नहीं किया है कि महाराष्ट्र में उपमुख्यमंत्री किसे बनाया जाए. राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख पाटिल ने यहां पत्रकारों से कहा, “उपमुख्यमंत्री राकांपा से होगा. लेकिन पवार साहेब तय करेंगे कि किसे उपमुख्यमंत्री बनाया जाए. अभी इसपर फैसला लिया जाना बाकी है.
आपको इतनी जल्दबाजी क्यों है?” उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार में सत्ता के बंटवारे के फार्मूले के अनुसार उपमुख्यमंत्री का पद राकांपा को मिलेगा, जबकि विधानसभा अध्यक्ष का पद कांग्रेस को दिया जाएगा. पाटिल की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस अपने लिए भी एक अतिरिक्त उपमुख्यमंत्री पद पर विचार कर रही है, भले ही विधानसभा अध्यक्ष का पद राकांपा को दिया जाए.
हालांकि कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पार्टी विधानसभा अध्यक्ष का पद मिलने पर भी संतुष्ट रहेगी क्योंकि ठाकरे सरकार में फिलहाल एक ही उपमुख्यमंत्री होगा. राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने पाटिल का समर्थन किया.
अजित से जब यह पूछा गया कि क्या वह उपमुख्यमंत्री बनना चाहेंगे तो उन्होंने कहा, “पार्टी मुझे जो भी जिम्मेदारी देगी, मैं उसे स्वीकार करूंगा.” इस बीच पार्टी सूत्रों ने कहा कि अजित पवार को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उनके अलावा शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के दो-दो मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की.
NCP शिव सेना और कांग्रेस गठबंधन ने उद्धव ठाकरे को अपना समर्थन दे कर मुख्य मंत्री तो बना दिया लेकिन एनसीपी ने अपने पत्ते नहीं खोले है ! -
बई : उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी सरकार शनिवार यानि आज दोपहर 2 बजे महाराष्ट्र विधानसभा में विश्वास मत साबित करेगी। यह गठबंधन शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस ने मिलकर बनाया है।विधानसभा के एक अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि दोपहर दो बजे सदन की बैठक के बाद शक्ति परीक्षण होगा। अधिकारी ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि वह आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेगी। विधानसभा का दो दिवसीय सत्र शनिवार को शुरू होगा। पहले दिन सदन में नए मंत्रियों के परिचय के बाद विश्वास मत हासिल किया जाएगा।
रविवार को विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा जिसके बाद राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया जाएगा। नए विधानसभा अध्यक्ष इसके बाद विधानसभा में नेता विपक्ष के नाम की घोषणा करेंगे। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिये तीन दिसंबर तक का वक्त दिया है। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी गठबंधन ने 162 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। मुख्यमंत्री पद ढाई-ढाई साल रखने के मुद्दे पर शिवसेना ने अपने गठबंधन सहयोगी भाजपा से रिश्ते तोड़ लिये थे इसके बाद उद्धव ने राकांपा और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर सरकार बनाई।प्रदेश में 21 अक्टूबर को हुए चुनावों में भाजपा 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने क्रमश: 56,54 और 44 सीटें जीती थीं। राकांपा के वरिष्ठ नेता दिलीप वलसे पाटिल को शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा का अस्थायी (प्रोटेम) अध्यक्ष नियुक्त किया गया। उन्होंने भाजपा के कालिदास कोलंबकर की जगह ली जिन्हें विधायकों को शपथ दिलाने के दौरान पूर्व में अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। पाटिल पूर्व में भी विधानसभा के अध्यक्ष रहे हैं। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने गुरुवार को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। ठाकरे के अलावा छह अन्य मंत्रियों- शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस से दो-दो - ने भी शपथ ली थी। मीडिया इन पुट -
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का मानना है कि ब्रिटिश राज में बने भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) जैसे कानून अब अप्रासंगिक हो चुके हैं।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, ब्रिटिश हुकूमत ने इन कानूनों को भारत पर शासन करने के लिए बनाया था, जबकि हमारी प्राथमिकता इस देश के नागरिक और गरीब से गरीब व्यक्ति हैं, जिन्हें सुरक्षा प्रदान करने के साथ उन्हें इसका आभास भी कराना है। मौजदा जरूरतों के मुताबिक इन कानूनों में आमूलचूल परिवर्तन किया जाएगा।पुलिस मुख्यालय में आयोजित दो दिवसीय 47वीं अखिल भारतीय पुलिस विज्ञान कांग्रेस के शुक्रवार को समापन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो ने आइपीसी, सीआरपीसी में संशोधन का मसौदा तैयार कर गृह मंत्रालय को भेज दिया है, लेकिन मुझे कोई जल्दी नहीं है। ऐसे कानून सौ-डेढ़ सौ वर्षों में एक बार बदले जाते हैं।इन कानूनों को आधुनिक संदर्भों में सरल, सुचारु और लोकाभिमुख कैसे बनाया जाए, इसके लिए प्रत्येक राज्य पुलिस महानिदेशक से लेकर बीट कांस्टेबल तक इस पर मंथन कर गृह मंत्रालय को अपने सुझाव दे। इन कानूनों में बदलाव के मसौदे को वेबसाइट पर सार्वजनिक भी किया जाएगा। कानून के विशेषज्ञों के सुझाव भी लिए जाएंगे।पेशेवर और प्रशिक्षित पुलिस कार्मिकों की कमी को दूर करने के लिए शाह ने देश में एक रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय की स्थापना करने की भी घोषणा की जिसके लिए केंद्र सरकार विधेयक लाएगी।उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में पुलिस विश्वविद्यालय नहीं है, वहां इस विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज स्थापित किया जाएगा। कक्षा दस उत्तीर्ण कर चुके जो बच्चे पुलिसिंग में अपना करियर बनाना चाहते हैं, वे इस विश्वविद्यालय और उससे संबद्ध कॉलेजों में पढ़ सकते हैं।इस विश्वविद्यालय में फोरेंसिक साइंस, कानून, अभियोजन, विवेचना और पुलिस थानों के संचालन की पढ़ाई होगी। जो छात्र यहां से पढ़कर निकलेंगे उन्हें पुलिस भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी क्योंकि वे ‘रेडीमेड मैटीरियल’ होंगे।देश में अपराधियों को सजा दिलाने की दर बेहद कम होने से चिंतित शाह ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है।सात साल से अधिक सजा वाले संगीन आपराधिक मामलों में फोरेंसिक साक्ष्यों को जुटाना अनिवार्य होगा। राज्यों में इस विश्वविद्यालय से संबद्ध फोरेंसिक साइंस कॉलेज स्थापित होंगे। इससे फोरेंसिक साक्ष्य जुटाने के लिए प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध होगा।राज्यों को इस पर बहुत खर्च नहीं करना पड़ेगा। वे किसी साइंस कॉलेज को भी फोरेंसिक साइंस कॉलेज में बदल सकते हैं। राज्य स्तर पर एक बड़ी फोरेसिंक साइंस लैब और जिला स्तर पर छोटी इकाइयां स्थापित होनी चाहिए। सरकार का मानना है कि जब तक आदती गुनहगारों को सजा न मिले, तब तक लोगों में अच्छा संदेश नहीं जाएगा।केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नशा देश की आने वाली नस्ल को खोखला कर देता है। जिस देश की नस्ल खोखली हो जाती है, वह दुनिया का लीडर नहीं बन सकता है।नारकोटिक्स (मादक पदार्थों) से जुड़े अपराधों से संबंधित एजेंसियों में अभी कोई समन्वय नहीं है। इसलिए सरकार नोरकोटिक्स ब्यूरो के ढांचे में भी बदलाव करेगी।इसके एक्ट को भी कठोर बनाया जाएगा। इस बदलाव के संबंध में राज्यों को भी एडवाइजरी जारी की जाएगी। अर्धसैनिक बल भी नारकोटिक्स से जुड़े अपराधों को रोकेंगे।केंद्र सरकार नारकोटिक्स से जुड़े अपराधियों के खिलाफ अभियोजन के लिए राज्यों को प्रशिक्षित मानव संसाधन सुलभ कराएगी। शाह ने कहा कि उन्होंने सभी विधि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखकर इसके लिए अलग विभाग खोलने के लिए कहा है।उन्होंने कहा कि राज्यों में मोडस ऑपरेंडी ब्यूरो स्थापित किया जाएगा। एफआइआर दर्ज होते ही मोडस ऑपरेंडी ब्यूरो के पास उसका सारांश पहुंचेगा और जिन मामलों में सजा होगी, उसका ब्योरा भी ब्यूरो को भेजा जाएगा।ब्यूरो उसका विश्लेषण करेगा कि एक प्रकार के अपराध करने वालों से कैसे निपटा जाए। शाह ने कहा कि प्राय: सरकारी वकील मुकदमों की तारीख बढ़वाते रहते हैं। उनकी जवाबदेही तय होनी चाहिए। अभियोजन की प्रक्रिया की निगरानी और उसे चुस्त-दुरुस्त करने के लिए उन्होंने पुलिस मुख्यालय में निदेशक अभियोजन का पद स्थापित करने के लिए भी कहा।शाह ने कहा कि राज्यों ने जेल का अलग विभाग बनाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली लेकिन सच तो यह है कि जेल भी कानून व्यवस्था का ही विषय है और पुलिस के दायरे में ही आता है। उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल का अपग्रेडेशन करना बेहद जरूरी है।मीडिया इन पुट -
दिल्ली
54 दिनों से चल रही तेलंगाना राज्य परिवहन विभाग के कर्मचारियों की हड़ताल आज खत्म हो गई. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के आश्वासन के बाद सभी कर्मचारी वापस लौट आए हैं. हड़ताल खत्म होने के बाद कर्मचारियों ने मिठाई बांटकर जश्न मनाया. सभी कर्मचारी आज अपने-अपने डिपो पर पहुंच गए हैं और काम को फिर से शुरू कर दिया है.
इस हड़ताल की शुरुआत अक्टूबर में हुई थी, जब केसीआर सरकार ने परिवहन कर्मियों की मांग को मानने से इनकार कर दिया था. इसके बाद सभी परिवहन कर्मी हड़ताल पर चले गए थे. हड़ताल से नाराज सीएम केसीआर ने सभी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद 54 दिनों तक हड़ताल चली. इस दौरान 6 कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली, जबकि दर्जनों कर्मचारियों की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार तेलंगाना राज्य परिवहन निगम के कर्मचारी संगठनों की संयुक्त कार्यसमिति के नेता अश्वत्थामा रेड्डी ने हड़ताल खत्म करने के निर्णय के पीछे निगम के निजीकरण की कथित कोशिशों को रोकने के लिए लिया गया. -
एजेंसी
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्रियों- सिद्धारमैया और एचडी कुमारस्वामी के खिलाफ FIR दर्ज की गई है. एक निचली अदालत के निर्देश पर बेंगलुरु पुलिस ने देशद्रोह और मानहानि की धाराओं में केस दर्ज किया. वरिष्ठ नेताओं- डीके शिवकुमार, परमेश्वर, दिनेश गुंडू राव को भी मामले में आरोपी बनाया गया है. कांग्रेस और जनता दल (सेक्युलर) नेताओं ने लोकसभा चुनाव के समय आयकर विभाग की छापेमारियों का विरोध किया था. मल्लिकार्जुन नाम के एक्टिविस्ट ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई थी. उसका आरोप था कि तत्कालीन सीएम कुमारस्वामी ने छापेमारी की सूचना आरोपी नेताओं को पहले ही दे दी थी.
कुमारस्वामी ने अपने डिप्टी परमेश्वर, पूर्व सीएम सिद्धारमैया, गठबंधन सरकार के मंत्रियों, सांसदों और विधायकों को साथ लेकर 27 मार्च को IT विभाग के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया था. शिकायतकर्ता ने दावा किया कि यह धरना-प्रदर्शन साफ तौर पर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन था. अपनी शिकायत में मल्लिकार्जुन ने कहा था कि IT अधिकारियों को ‘बीजेपी एजेंट’ बताया जो कि ड्यूटी में खलल डालने के बराबर है. -
नागपुर पुलिस ने एक स्थानीय अदालत द्वारा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस के नाम जारी समन की गुरुवार (28 नवंबर) को तामील की। फडणवीस द्वारा चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ दो आपराधिक मुकदमों के बारे में सूचनाएं छिपाने के आरोप से जुड़ा मामला है। इसी मामले में समन की तामील हुई है।
सदर थाने के एक अधिकारी ने बताया कि फडणवीस के घर पर समन की तामील की गई। बता दें कि, यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है, जब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन ने सरकार बनाई है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस नागपुर से विधायक हैं। मजिस्ट्रेटी अदालत ने एक नवंबर को एक याचिका पर फिर से सुनवाई शुरू की थी, जिसमें भाजपा नेता के खिलाफ कथित तौर पर सूचनाएं छिपाने के लिए आपराधिक कार्रवाई की मांग की गई थी। शहर के वकील सतीश उके ने अदालत में एक याचिका दायर कर फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी।
बंबई उच्च न्यायालय ने उके की याचिका खारिज करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था। लेकिन, उच्चतम न्यायालय ने एक अक्टूबर को मजिस्ट्रेटी अदालत को उके द्वारा दी गई याचिका पर सुनवाई के लिए आगे बढ़ने का निर्देश दिया था। फडणवीस के खिलाफ 1996 और 1998 में जालसाजी और धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए थे लेकिन दोनों मामले में आरोप नहीं तय किए गए थे। उके ने आरोप लगाया था कि फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामे में इस सूचना का खुलासा नहीं किया।