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नई दिल्ली : जनता कर्फ्यू के लिए देशभर में लोगों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। सरकारी विभाग से लेकर प्राइवेट कंपनियों तक ने रविवार को कोरोनावायरस के खिलाफ जंग के लिए पीएम के घर में रहने के आह्वान पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जनता कर्फ्यू को सफल बनाने के लिए रेलवे ने शनिवार देर रात से लेकर रविवार रात तक 3500 ट्रेनें रद्द करने का फैसला किया है। दूसरी तरफ दिल्ली, बेंगलुरु और जयपुर में रविवार को मेट्रो सेवा पूरे दिन के लिए बंद रहेगी। इसके अलावा विमानन कंपनी इंडिगो ने भी अपनी फ्लाइट्स कैंसल करने का फैसला किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरुवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में देशवासियों से अपील की थी कि वे रविवार को अपने ऊपर खुद कर्फ्यू लगाएं और सुबह 7 बजे से लेकर रात 9 बजे तक घरों से बाहर न निकलें। पीएम ने कहा था कि कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में यह लोगों के आत्मअनुशासन का टेस्ट होगा। जिससे आगे आने वाली और कई लड़ाइयों की तैयारियों में मदद मिलेगी। पीएम की इस अपील के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि जनता कर्फ्यू से देश में कोरोनावायरस संक्रमण फैलने की चेन टूटेगी। इसी को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने लंबी दूरी की करीब 1300 ट्रेन जो सुबह 4 से रात 10 बजे तक चलती हैं, उन्हें रविवार को रद्द करने का फैसला किया। इसके अलावा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और सिकंदराबाद में चलने वाली उपनगरीय ट्रेन सेवा भी कम से कम चलाई जाएंगी।
रेलवे के मुताबिक, 21 मार्च की आधी रात से लेकर 22 मार्च तक पैसेंजर ट्रेन सेवा पूरी तरह रोक दी जाएगी। इसके अलावा आईआरसीटीसी ने भी रेलवे स्टेशनों और उनके बाहर मौजूद अपने फूड प्लाजा, रिफ्रेशमेंट रूम्स और किचन को बंद करने फैसला किया है। इसके चलते मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में रविवार को कैटरिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं रहेगी। -
नई दिल्ली : बॉलीवुड की जानीमानी सिंगर कनिका कपूर कोरोना वायरस (Coronavirus) की रिपोर्ट में पॉज़िटिव पाईं गई हैं. उन्हें लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है. 41 वर्षीया अभिनेत्री कुछ समय के लिए लंदन में थीं और 15 मार्च को लखनऊ लौट आईं थीं. उन्होंने अधिकारियों को उनकी यात्रा के बारे में जानकारी देने से भी परहेज किया. लखनऊ पहुंचने पर कनिका ने अपने दोस्तों और परिवार के लिए एक फाइव स्टार होटल में ग्रैंड पार्टी दी थी. एक आधिकारिक बयान में गायिका ने कहा, “पिछले 4 दिनों से मुझे वायरस के संकेत मिले हैं, मैंने खुद की जांच कराई और कोविड -19 (Covid-19) की रिपोर्ट पॉजिटिव आई. मुझे और मेरे परिवार पृथक रखा गया है और हम डॉक्टरों की सलाह का पालन कर रहे हैं. जिन लोगों के साथ मैं संपर्क में हूं, उनकी भी जांच प्रक्रिया चल रही है.'
'बेबी डॉल' सिंगर ने कोरोना वायरस के डर के बीच खुद को पृथक रखने की सलाह दी है. उन्होंने कहा,' इस स्तर पर मैं आप सभी से आग्रह करना चाहूंगी कि यदि आपको ऐसे संकेत मिलते है तो आप पृथक रहने का अभ्यास करें और परीक्षण करवाएं. मैं एक सामान्य वायरस और हल्के बुखार महसूस कर रही हूं.'
उन्होंने आगे कहा कि,' हमें इस समय समझदार नागरिक होने की जरूरत है और हमें सभी के बारे में सोचना चाहिए. हम बिना घबराहट के इसकी जानकारी हमारे विशेषज्ञों, स्थानीय, राज्य और केंद्र सरकार के निर्देशों को सुनते रहना चाहिए. सभी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना. जय हिंद! ध्यान रखना.' -
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मध्य प्रदेश विधानसभा स्पीकर से पूछा कि क्या वह वीडियो लिंक के ज़रिये कांग्रेस के बेंगलुरू में मौजूद उन बागी विधायकों से बात कर सकते हैं, जिनके इस्तीफों की वजह से राज्य की कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है. स्पीकर ने विधायकों से खुद सामने आकर इस्तीफे की पुष्टि करने के लिए कहा था, लेकिन विधायकों ने सुरक्षा व्यवस्था की गैरमौजूदगी में ऐसा करने से इंकार कर दिया. बागी विधायकों का आरोप है कि कांग्रेस उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रही है और इस वजह से वे भारी दबाव में हैं.न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा, "हम उनकी इच्छा सचमुच स्वेच्छा से व्यक्त किए जाने की स्थितियां सुनिश्चित कर सकते हैं... हम बेंगलुरू या किसी भी और स्थान पर पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकते हैं... वे आपसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिये संपर्क कर सकते हैं, और आप तब फैसला ले सकते हैं..."
मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर ने फैसला करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से दो सप्ताह का समय मांगा है. वरिष्ठ अधिवक्ता तथा कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "मुझे फैसला करने के लिए दो सप्ताह का समय दीजिए... बागी विधायकों को मध्य प्रदेश में अपने घरों में लौटकर आने दीजिए... वे अपने परिवारों से दूर रह रहे हैं... वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का विचार मेरी चिंताओं की पुष्टि करता है..." इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "ये हफ्ते खरीद-फरोख्त के लिए सोने की खान सरीखे हैं... इसी वजह से कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश देने में प्रोएक्टिव रही हैं... विचार रहता है कि फ्लोर टेस्ट जल्द से जल्द करवाया जाए, और ऐसी बातों से बचा जा सके..." -
दिल्ली। भारत के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने राज्यसभा सांसद के रूप में शपथ ली है। उनके शपथ लेने पर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया है। बता दें सोमवार को पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्यसभा के लिए नामांकित किया था। गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर उनके पूर्व सहकर्मी और रिटायर्ड जज जस्टिस मदन बी लोकुर और जोसफ कुरियन सहित विपक्षी पार्टी के कई नेताओं ने सवाल उठाए थे। गोगोई के शपथ लेने के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, राज्यसभा में पूर्व सीजेआई सहित विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले प्रतिष्ठित व्यक्तियों की एक महान परंपरा रही है। गोगोई जिन्होंने आज शपथ ली है वह निश्चित रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे। इसके साथ ही रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्ष का इस तरह से शपथ समारोह के दौरान वॉकआउट करना अनुचित है।
बता दें समाजसेवी मधु किश्वर ने भी रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसे लेकर उन्होंने याचिका दाखिल की थी। उन्होंने रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के तौर पर शपथ ग्रहण रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। अपनी याचिका में किश्वर ने रिटायरमेंट के बाद जजों के किसी पद को स्वीकार करने और कूलिंग ऑफ पीरियड तय करने को लेकर गाइडलाइन तैयार करने की मांग की।
गोगोई को राज्यसभा के लिए नामित किए जाने पर उनके पूर्व सहकर्मी और रिटायर्ड जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने सख्त टिप्पणी की है। अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार रिटायर जज लोकुर ने कहा, 'जो सम्मान जस्टिस गोगोई को अब मिला है उसके कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे। ऐसे में उनका नामित किया जाना चौंकाने वाला नहीं है, लेकिन यह जरूर अचरज भरा है कि ये बहुत जल्दी हो गया। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और अखंडता को फिर से परिभाषित करता है।
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नई दिल्ली: AGR मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट टेलीकॉम कंपनियों के लिए केंद्र के अनुरोध पर भड़क गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "यह सरासर अवमानना है...". सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर टेलीकॉम कंपनियों के मालिक चाहते हैं तो उनको कोर्ट बुला कर यही से जेल भेज देंगे. DOT को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि किसने बकाया राशि के लिए पुनर्मूल्यांकन करने के लिए कहा. कोर्ट ने कहा कि यह अवमानना का मामला बनता है. जो हो रहा है वो बेहद चौकाने वाला है. बकाया राशि के भुगतान का पुनर्मूल्यांकन को हमनें इजाजत नहीं दी तो ये कैसे हुआ -"क्या हम मूर्ख है'. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कोर्ट के सम्मान की बात है क्या? टेलीकॉम कंपनियां को लगता है कि वो संसार में सबसे पॉवरफुल है.
सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा कि की बकाया राशि का पुनर्मूल्यांकन नही होगा. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को कोर्ट के आदेश के मुताबिक भुगतान करना ही होगा. कंपनियों को ब्याज और जुर्माना दोनों ही देना ही होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान की समय सीमा देने की केंद्र की अर्जी पर अगली सुनवाई में तय करेगा. दो हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. -
मध्य प्रदेश के सियासी घमासान के बीच भाजपा के बाद अब कांग्रेस भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे गई है. मध्यप्रदेश कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में कांग्रेस ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 16 विधायकों को कब्ज़े में रखा है।. साथ ही याचिका में कहा है कि 16 विधायकों की अनुपस्थिति में बहुमत परीक्षण नहीं हो सकता.
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार को स्टैंडिंग काउंसिल के जरिए नोटिस जारी किया है. इसके अलावा कांग्रेस पार्टी और स्पीकर को भी नोटिस जारी किया गया है. इसी के साथ सुनवाई को कल तक के लिए टाल दिया गया है और अब बुधवार को इस मामले पर सुनवाई होगी.
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नई दिल्ली : मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश देने के लिये पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर उच्चतम न्यायालय आज सुनवाई करेगा। मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को 16 मार्च को सदन में अपना बहुमत साबित करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत में सोमवार को संबंधित अधिकारी के समक्ष इस मामले की शीघ्र सुनवाई के लिए उल्लेख किया गया।
इस याचिका में कहा गया है कि राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री और विधानसभा के प्रधान सचिव को इस न्यायालय के आदेश के 12 घंटे के भीतर विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने का निर्देश दिया जाये। अधिवक्ता सौरभ मिश्रा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफा के बाद कमल नाथ सरकार विश्वास खो चुकी है। इन 22 विधायकों में से छह के इस्तीफे अध्यक्ष पहले ही स्वीकार कर चुके हैं और अब मुख्यमंत्री कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार अल्पमत में आ गयी है। ऐसी स्थिति में कमल नाथ सरकार को एक दिन भी सत्ता में रहने का कोई कानूनी, नैतिक या संवैधानिक अधिकार नहीं है। -
भोपाल: मध्यप्रदेश में जारी सियासी संकट में एक नया मोड़ आ गया है. माना जा रहा था कि आज विधानसभा में कमलनाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट हो सकता है. लेकिन विधानसभा को आज 26 मार्च के लिए स्थगित कर दिया गया. वहीं अब बीजेपी सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. बीजेपी का याचिका में कहा गया है कि कमलनाथ सरकार अल्पमत में है इसलिए विधानसभा को स्थगित किया गया है. इसलिए तुरंत फ्लोर टेस्ट कराया जाए. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट कल सुनवाई करेगा.
बीजेपी की ओर से अल्पमत का दावा करने पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि अगर ऐसा तो वो अविश्वास प्रस्ताव ले आएं. उन्होंने कहा, 'पिछले एक साल में तीन बार बहुमत साबित किया है, अगर इनको लगता है कि हमारी सरकार के पास बहुमत नहीं तो अविश्वास प्रस्ताव ले आएं.' बीजेपी के सुप्रीम कोर्ट जाने के सवाल पर सीएम कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी को जहां जाना हो जाए.
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नई दिल्ली : यस बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर के खिलाफ जारी मनी लॉन्ड्रिग के मामले की जांच को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को भी समन जारी किया है। जांच से जुड़े अधिकारियों ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की। ईडी के अफसरों ने बताया कि अनिल अंबानी को सोमवार को मुंबई स्थित कार्यालय पर पूछताछ के लिए बुलाया गया है। अधिकारियों ने कहा कि संकट में घिरे यस बैंक से बड़े पैमाने पर कर्ज लेने वाली कंपनियों में रिलायंस ग्रुप की कंपनियां भी शामिल हैं। इस ग्रुप का नेतृत्व अनिल अंबानी करते हैं।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि अनिल अंबानी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पेश होने से इनकार किया है और ईडी की ओर से नई तारीख दी जा सकती है। बता दें कि रिलायंस ग्रुप पर यस बैंक का 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज बकाया है। यस बैंक पर आरबीआई के नियंत्रण के बाद रिलायंस ग्रुप को दिए गए लोन पर सवाल उठे थे। इस पर अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप ने कहा था कि हमारे पास यस बैंक का लोन पूरी तरह सुरक्षित है और संपत्ति बेचकर भी हम लोन को चुकाएंगे।
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नागपुर : कोरोना वायरस से लोग इतने ज्यादा खौफजदा हैं कि अस्पताल में अकेले रहकर इलाज भी नहीं कराना चाहते. कई तो जांच कराने से भी बच रहे हैं. महाराष्ट्र के नागपुर के एक अस्पताल से कोरोना वायरस के पांच संदिग्ध मरीज भाग गए हैं. यह घटना 13 मार्च की देर रात हुई. इसके बाद पूरे नागपुर में अलर्ट घोषित किया जा चुका है. अब इन मरीजों की तलाश की जा रही है.
नागपुर के इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में कोरोना के पांच संदिग्ध भर्ती थे. इन्हें संक्रमण की जांच के लिए अलग से बनाए गए आइसोलेशन वार्ड में रखा गया था. लेकिन ये पांचों 13 मार्च की देर रात भाग गए. नागपुर पुलिस ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पूरे शहर में पुलिस को हाई अलर्ट पर तैनात कर दिया गया है. पूरे शहर में नाकाबंदी है. संदिग्धों को खोजा जा रहा है. वे ज्यादा दूर भाग नहीं पाएंगे.
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दिल्ली : कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर दिल्ली सरकार ने ऐलान किया है कि राजधानी में आईपीएल के मैच नहीं होंगे. राज्य के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि दिल्ली में सेमिनार या मैच जैसे ऐसे कोई भी आयोजन नहीं होंगे जिनमें लोग इकट्ठे होते हैं. इनमें आईपीएल भी शामिल है जो इसी महीने शुरू हो रही है. इसके बाद बीसीसीआई मैचों के लिए वैकल्पिक जगह खोज रहा है. दिल्ली सरकार शिक्षण संस्थानों और सिनेमाघरों को 31 मार्च तक बंद रखने का आदेश भी दे चुकी है.
उधर, ईरान में फंसे 44 भारतीय नागरिकों की दूसरी खेप आज भारत पहुंच गई है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यह जानकारी दी. इससे पहले बीते शनिवार को 58 नागरिकों को ईरान से भारत लाया गया था. चीन और इटली के बाद कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित ईरान ही है. वहां इससे अब तक करीब 450 मौतें हो चुकी हैं और 10 हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में हैं. वहां के अलग-अलग हिस्सों में करीब छह हजार भारतीय फंसे हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्हें निकालने के इंतजाम किए जा रहे हैं और वे जहां हैं वहीं रहें. -
दिल्ली। उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में पूर्व विधायक और बीजेपी से बर्खास्त नेता कुलदीप सिंह सेंगर समेत सात लोगों को कोर्ट ने सजा सुना दी है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने शुक्रवार सुबह कुलदीप सिंह समेत सात लोगों को 10 साल कैद की सजा सुनाई है। साथ ही कुलदीप सिंह सेंगर और अतुल सेंगर पीड़ित परिवार को मुआवजे के रूप में 10-10 लाख रुपए देंगे।
9 अप्रैल 2018 को उन्नाव में पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत हो गई थी। परिजनों ने उनकी हत्या किए जाने का आरोप लगाया था। 13 अगस्त 2019 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) धर्मेश शर्मा ने कहा था- पीड़िता के पिता को कथित रूप से गलत तरीके से फंसाया गया था। जिसके बाद उन्हें हिरासत में जेल भेज दिया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। इसके पीछे क्या कोई मंशा थी? यह सब जांच का विषय है। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी साजिश थी, जो पीड़िता के पिता को पैरवी करने से रोकने के लिए की गई थी। कोर्ट ने कुलदीप सिंह सेंगर, उनके भाई अतुल सेंगर, उत्तर प्रदेश पुलिस के तीन कर्मियों और छह अन्य लोगों पर आरोप तय किए थे।
दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उन्नाव रेप पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में आज फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर समेत सातों दोषियों को गैरइरादतन हत्या और आपराधिक साजिश रचने के मामले में 10 साल की सजा सुनाई है। सभी दोषियों पर कोर्ट ने 10 लाख का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी।
इससे पहले उन्नाव रेप केस में सेंगर दोषी साबित हो चुके हैं। उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है। कोर्ट ने कुलदीप सेंगर को धारा 120 बी (आपराधिक साजिश), 363 (अपहरण), 366 (शादी के लिए मजबूर करने के लिए एक महिला का अपहरण या उत्पीड़न), 376 (बलात्कार और अन्य संबंधित धाराओं) और POCSO के तहत दोषी ठहराया गया था। -
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। भाजपा ने रामचंद्र झांगड़ा और दुष्यंत कुमार गौतम को हरियाणा से राज्यसभा का उम्मीदवार घोषित किया है जबकि हिमाचल प्रदेश से इंदु गोस्वामी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। वहीं, मध्य प्रदेश से एक और महाराष्ट्र से दो उम्मीदवारों के नाम का पार्टी ने ऐलान किया है। पार्टी ने महाराष्ट्र से अमरीश भाई रसिकलाल पटेल को विधान परिषद उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया है, जबकि डॉ. भगवत कराड़ को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है जबकि मध्य प्रदेश से डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी को पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है। इसके पहले बुधवार को भी पार्टी ने 11 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया था। इस लिस्ट में भाजपा ने असम की दो, बिहार की एक, गुजरात की दो, झारखंड की एक, मणिपुर की एक, मध्य प्रदेश की एक, महाराष्ट्र की दो और राजस्थान की एक सीट के लिए उम्मीदवारों के नाम घोषित किए थे।
मध्य प्रदेश से भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को उम्मीदवार बनाया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीजेपी में शामिल होने के कुछ घंटों के बाद ही आई उम्मीदवारों की लिस्ट में उनका नाम शामिल था। लंबे समय तक कांग्रेस में रहने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस्तीफा देने के बाद भाजपा का दामन थाम लिया, जो कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
वहीं, महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी आरपीआई के रामदास आठवले को भी उम्मीदवार घोषित किया गया है। इसके अलावा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सातारा से पूर्व सांसद उदयन राजे भोंसले को भी पार्टी ने उम्मीदवार घोषित किया है। उदयन राजे भोंसले एनसीपी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। वहीं, बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सीपी ठाकुर के बेटे विवेक ठाकुर को पार्टी ने राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। जबकि सहयोगी दल जदयू की तरफ से हरिवंश और रामनाथ ठाकुर राज्यसभा जाएंगे। -
नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लगाए गए वसूली के पोस्टर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. इन पोस्टरों को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हटाने का आदेश दिया था, जिसे योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता दलील रख रहे हैं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार की यह कार्रवाई कानूनन सही नहीं है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 95 लोग शुरुआती तौर पर पहचाने गए. उनकी तस्वीरें होर्डिंग पर लगाई गईं. इनमें से 57 पर आरोप के सबूत भी हैं, लेकिन आरोपियों ने अब निजता के अधिकार का हवाला देते हुए हाई कोर्ट में होर्डिंग को चुनौती दी, लेकिन पुत्तास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के 1994 के फैसले में भी निजता के अधिकार के कई पहलू बताए हैं.
इस पर जस्टिस ललित ने कहा कि अगर दंगा-फसाद या लोक संपत्ति नष्ट करने में किसी खास संगठन के लोग सामने दिखते हैं तो कार्रवाई अलग मुद्दा है, लेकिन किसी आम आदमी की तस्वीर लगाने के पीछे क्या तर्क है? सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने पहले चेतावनी और सूचना देने के बाद ये होर्डिंग लगाए. प्रेस मीडिया में भी बताया. इस पर जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने कहा कि जनता और सरकार में यही फर्क है. जनता कई बार कानून तोड़ते हुए भी कुछ कर बैठती है, लेकिन सरकार पर कानून के मुताबिक ही चलने और काम करने की पाबंदी है. वहीं, जस्टिस ललित ने कहा कि फिलहाल तो कोई कानून आपको सपोर्ट नहीं कर रहा. अगर कोई कानून है तो बताइए.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट ने भी व्यवस्था दी है कि अगर कोई मुद्दा या कार्रवाई जनता से सीधा जुड़े या पब्लिक रिकॉर्ड में आ जाए तो निजता का कोई मतलब नहीं रहता. होर्डिंग हटा लेना बड़ी बात नहीं है, लेकिन बिषय बड़ा है. कोई भी व्यक्ति निजी जीवन में कुछ भी कर सकता है लेकिन सार्वजनिक रूप से इसकी मंजूरी नहीं दी जा सकती है. -
इलाहाबाद : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान लखनऊ में हुई हिंसक घटनाओं में सार्वजनिक सम्पत्ति को पहुंचे नुकसान की भरपाई के लिए जिला प्रशासन की तरफ से आरोपियों के फोटो वाले होर्डिंग लगाए जाने के मामले पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुना दिया है. हाई कोर्ट ने इन होर्डिंग्स को हटाने का आदेश दिया है. बता दें कि हाई कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 8 मार्च, रविवार को छुट्टी वाले दिन सुनवाई की थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट और मंडल पुलिस आयुक्त से उस कानून के बारे में बताने के लिए कहा था, जिसके तहत ये होर्डिंग्स लगाए गए. वकील केके राय के मुताबिक, ‘’(इस मामले में) चीफ जस्टिस ने होर्डिंग्स पर फोटो लगाए जाने को एक व्यक्ति की निजता और सम्मान का उल्लंघन बताया.’’
19 दिसंबर, 2019 को लखनऊ में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुए संघर्ष में तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी. इस वारदात में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी और बड़ी संख्या में लोग जख्मी हुए थे. इस मामले पर जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने बताया था, ‘’राजस्व अदालत के स्तर पर नुकसान की भरपाई के लिए उपद्रवियों के खिलाफ रिकवरी नोटिस जारी किया गया. इस हिंसक प्रदर्शन में 1.61 करोड़ रुपये कीमत की सम्पत्ति का नुकसान हुआ है.’’
होर्डिंग में सामाजिक कार्यकर्ता सदर जाफर की तस्वीर भी लगाई गई. उन्होंने न्यूज एजेंसी ‘भाषा’ से बातचीत में कहा कि किसी को उस इल्जाम के लिए इस तरह कैसे जलील किया जा सकता है जो अभी अदालत में साबित नहीं हुआ है, यह हिंदुस्तान है, अफगानिस्तान नहीं. प्रशासन की तरफ से लगाए गए पोस्टरों में रिटायर आईपीएस अफसर एसआर दारापुरी की भी तस्वीर लगाई गई. दारापुरी ने राज्य सरकार के इस कदम को अवैध बताया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसे पोस्टर लगवाकर हमारी इज्जत को मिट्टी में मिला दिया है.
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नई दिल्ली : येस बैंक पर आए आर्थिक संकट के बाद अब एजेंसियों ने अपना एक्शन लेना शुरू कर दिया है. बैंक को-फाउंडर राणा कपूर को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी हिरासत में ले लिया है और 11 मार्च तक हिरासत में उनसे पूछताछ जारी रहेगी. दूसरी ओर राणा कपूर के परिवार के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिया गया है. आज दिल्ली से जांच एजेंसियों की टीम मुंबई जाएगी और मामले में जांच को आगे बढ़ाया जाएगा. सोमवार सुबह जांच एजेंसियों ने येस बैंक मामले से जुड़े सात ठिकानों पर छापेमारी की.
येस बैंक मामले में सीबीआई की ओर से कई जगह छापेमारी की गई है. दिल्ली और मुंबई में सीबीआई ने सोमवार सुबह छापेमारी की. इस दौरान DHFL से जुड़े ठिकानों पर भी सर्चिंग की गई है. सीबीआई जिन स्थानों पर छापे मार रही है, उनका संबंध राणा कपूर, DHFL, RKW डेवलेपर्स और DUVP से है. -
भाषा की खबरनई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि जो संगठन बिना राजनीतिक लक्ष्य के आंदोलन जैसे असहमित के वैध तरीकों से नागरिकों के हितों का समर्थन करता है उसे राजनीतिक प्रकृति का संगठन घोषित कर विदेशी कोष (Foreign Funding ) प्राप्त करने से नहीं रोका जा सकता है.
उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक दलों द्वारा विदेशी कोष जुटाने के लिए जिन संगठनों का इस्तेमाल किया जाता है वे कड़े विदेशी चंदा (नियमन) कानून (एफसीआरए) से नहीं बच सकते, जब इस बारे में ठोस सामग्री मौजूद हो. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र किसी संगठन को विदेशी चंदा हासिल करने के अधिकार से वंचित करने से पहले कानून की प्रक्रियाओं और नियमों का कड़ाई से पालन करेगा. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि ‘बंद’ और ‘हड़ताल’ जैसे वैध तरीकों से जनहित का समर्थन करने वाले संगठन को विदेशी कोष हासिल करने के उसके कानूनी अधिकारी से वंचित नहीं किया जा सकता है. इसने कहा कि जो संगठन सक्रिय राजनीति या पार्टी राजनीति में शामिल नहीं है वे एफसीआरए के नियम 3 (छह) के तहत नहीं आते.
अदालत ने कहा कि एफसीआरए के नियम 3 (छह) के मुताबिक जो संगठन ‘बंद’ या ‘हड़ताल’, ‘रास्ता रोको’, ‘रेल रोको’ या ‘जेल भरो’ जैसे राजनीतिक कार्यों के माध्यम से आदतन जनहित के कार्यों का समर्थन करते हैं उन्हें भी राजनीतिक प्रकृति का संगठन घोषित किया जा सकता है. अदालत ने गैर सरकारी संगठन इंडिया सोशल एक्शन फोरम की अपील पर यह फैसला दिया जिसने एफसीआरए की धारा 5 (1) और धारा 5 (4) (किसी संगठन को राजनीतिक प्रकृति का घोषित करने की प्रक्रिया) की संवैधानिक वैधता और अन्य नियमों को चुनौती दी है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्र को संगठन को ‘‘राजनीतिक प्रकृति का न कि राजनीतिक दल’’ होने के बारे घोषणा करने से पहले उसकी गतिविधियों और विचारधारा को संज्ञान में लेने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि जिन संगठनों का न तो पार्टी की राजनीति या सक्रिय राजनीति से जुड़ाव है उन्हें विदेशी कोष लेने से नहीं रोका जा सकता है।