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नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को तेज़ बुख़ार और सांस लेने की समस्या के चलते राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि मंगलवार को उनका कोरोना टेस्ट कराया जाएगा।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, तेज बुखार और सांस लेने में दिक्कत की शिकायत के बाद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन को राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खुद सत्येंद्र जैन ने भी ट्वीट करके इस बात की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि आगे मैं आपको अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देता रहूंगा।
सत्येंद्र जैन के इस ट्वीट पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी उनके स्वस्थ होने की कामना की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा, “अपनी सेहत का ख़्याल किए बिना आप रात दिन 24 घंटे जनता की सेवा में लगे रहे। अपना ख़्याल रखें और जल्द स्वस्थ हों।” -
इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग के 1 अफसर और एक ड्राइवर लापता हो गए हैं। पिछले कुछ घंटों से इन दोनों के लापता होने के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। आशंका जताई जा रही है कि इसमें ISI का हाथ हो सकता है। विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर संज्ञान लिया है। बताया जा रहा है कि सीआईएसएफ के एक अफसर और एक ड्राइवर ड्यूटी पर बाहर गए थे, लेकिन वह अपने गंतव्य स्थान तक नहीं पहुंचे हैं। आशंका जताई जा रही है कि कहीं उनका अपहरण तो नहीं कर लिया गया। ड्राइवर और अफसर की तलाश की जा रही है तथा पाकिस्तान सरकार को गुमशुदगी के बारे में बता दिया गया है।
आधिकारिक तौर पर मामले में कोई बयान जारी नहीं किया गया है। भारतीय उच्चायोग ने पाकिस्तानी अधिकारियों के समक्ष मामला उठाया है। भारत द्वारा पाकिस्तान उच्चायोग के दो अधिकारियों को जासूसी के आरोप में निलंबित किए जाने के कुछ दिन बाद यह घटना हुई है। पाकिस्तान के दो अधिकारियों आबिद हुसैन और मुहम्मद ताहिर को दिल्ली पुलिस ने देश की गोपनीय सूचना पाकिस्तान को भेजने के आरोप में पकड़ा था। बताया गया था कि नाम और पहचान बदलकर यह दोनों भारतीय अधिकारियों से मिलते थे और उनसे देश की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय सूचना हासिल करते थे। -
एजेंसीनई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस को लेकर राजनीति गर्म हो चुकी है। विपक्ष का कहना है कि सरकार इस वायरस पर अंकुश लगाने में नाकामयाब रही है। दूसरी तरफ, अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए अनलॉक-1 के तहत दी गई रियायतों की वजह से नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
वहीं, एक बार फिर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वायनाड सांसद राहुल गांधी ने कोरोना संकट पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। राहुल ने एक ट्वीट कर कोरोना ग्राफ साझा किया साथ ही लिखा, 'भारत एक गलत रेस जीतने के रास्ते पर है। अहंकार और अक्षमता के घातक मिश्रण के कारण, एक भयावह त्रासदी।' अपने इस ट्वीट में राहुल गांधी ने एक 20 सेकंड का वीडियो भी शेयर किया है।
गौरतलब हो कि गुरुवार को भारत यूनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ते हुए कोरोना वायरस से प्रभावित देशों की सूची में चौथे स्थान पर पहुंच गया। इस वीडियो में दिखाया गया कि कैसे 17 मई के बाद से लगातार बढ़ते मामलों के कारण भारत एक-एक पायदान ऊपर चढ़ता जा रहा है और अब दुनिया में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों की सूची में भारत चौथे स्थान पर आ गया है।
बता दें कि, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 11,458 नए मामले सामने आए हैं और 386 लोगों की मौत हुई है।
इसके बाद देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 308993 हो गई है, जिनमें से 145779 सक्रिय मामले हैं, 154330 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 8,884 लोगों की मौत हो चुकी है।
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मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोनावायरस के मामले 1 लाख के करीब पहुंच गए हैं और इसके बावजूद यहां तो क्या पूरे देश में कहीं भी वायरस थमता हुआ नजर नहीं आ रहा. राज्य में बढ़ते केसों के बीच सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर महाराष्ट्र में 15 जून से फिर से पूर्ण लॉकडाउन लगने की खबरें चल रही थीं, जिसके बाद उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से इसपर सफाई दी गई है. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से ट्वीट कर लोगों से अपील की गई है कि वो अफवाहों पर ध्यान न दें. महाराष्ट्र सरकार ने 31 मई से अपना 'Mission Begin Again' शुरू किया है, जिसके तहत लोगों को सुबह पांच बजे से शाम के सात बजे तक बाहर निकलने की आजादी है, वहीं दुकानें सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक खुल सकती हैं. लोगों को इस दौरान सेफ्टी गाइडलाइंस और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना होगा.
बता दें कि महाराष्ट्र में कोरोनावायरस के बढ़ते केस देखकर सोशल मीडिया पर खबरें आ रही थीं कि यहां- जरूरी सेवाओं को छोड़कर- फिर से पूर्ण लॉकडाउन लगाया जा सकता है. जिसके बाद सीएमओ महाराष्ट्र की ओर से ट्वीट किया गया, 'लॉकडाउन दोबारा नहीं लगाया जा रहा. मुख्यमंत्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे ने अपील की है कि लोग भीड़भाड़ से बचकर रहें. उन्होंने लोगों से सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइंस का पालन करने, सारे जरूरी बचाव करने और अपना खयाल रखने को कहा है.' -
नई दिल्ली : लॉकडाउन अवधि में मजदूरों और कर्मचारियों की तनख्वाह के भुगतान पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि कंपनी और कर्मचारी आपस में समझौता कर तय कर लें. इस सिलसिले में कंपनियों के खिलाफ कोई दण्डात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकेगी. इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का पिछला आदेश ही मान्य रहेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी मुद्दों पर एक साथ फैसला किया जाना था. अब केंद्र को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त दिया जाता है. कुछ याचिकाओं में अदालत ने पहले ही कोई कार्रवाई न करने का आदेश पारित कर दिया था. यह आदेश सभी मामलों में जारी रहेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह विवादित नहीं हो सकता है कि उद्योग और मजदूर दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. 54 दिनों के लिए मजदूरी के भुगतान के विवादों को हल करने का प्रयास किया जाना चाहिए. प्राइवेट कंपनियां या फैक्ट्री, जो लॉकडाउन के दौरान भुगतान के लिए श्रमिकों के साथ बातचीत करने के इच्छुक हैं, बातचीत शुरू कर सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकार उन प्राइवेट कंपनियों या फैक्ट्रियों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाएगी जो लॉकडाउन के दौरान श्रमिकों को मजदूरी देने में विफल रहे. राज्य सरकार के श्रम विभागों द्वारा वेतन भुगतान की सुविधा के संबंध में कर्मचारियों और नियोक्ताओं के बीच बातचीत की जाएगी.
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मीडिया रिपोर्ट
नई दिल्ली : पतंजलि आयुर्वेद के को-फाउंडर आचार्य बालकृष्ण ने एक नया दावा किया है. आचार्य बालकृष्ण का दावा है कि पंतजलि ने कोरोना की दवा बनाने में सफलता हासिल कर ली है. उन्होंने इस दवा से 1 हजार से ज्यादा लोगों के ठीक होने की भी बात कही है. आचार्य बालकृष्ण ने दावा किया कि अलग-अलग जगह पर कई कोरोना पॉजिटिव मरीजों को यह दवा दी गई, जिसमें से 80 फीसदी लोग ठीक हो चुके हैं.
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि जैसे ही कोरोना महामारी ने चीन के साथ पूरे विश्व में दस्तक दी तो उन्होंने अपने संस्थान में हर विभाग को सिर्फ और सिर्फ कोरोना के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवा पर काम करने में लगा दिया, जिसका परिणाम अब सामने आया है. उन्होंने कहा कि इस दवा का न केवल सफल परीक्षण किया गया, बल्कि इसे तैयार भी कर लिया गया.
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि शास्त्रों, वेदों को पढ़कर और उसे विज्ञान के फॉर्मूले में डालकर आयुर्वेदिक चीजों से यह दवा बनाई गई. उन्होंने कहा कि इस दवा के निर्माण के लिए पतंजलि के सैकड़ों वैज्ञानिक दिन-रात एक कर काम करते रहे. पतंजलि शोध संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक ने बताया कि जनवरी में जब चीन में कोरोना की शुरुआत हुई थी, तभी से इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया था. दिन-रात सैकड़ों वैज्ञानिकों ने मेहनत की. उन्होंने कहा कि इस कड़ी मेहनत का परिणाम है कि हमने दवा बनाने में सफलता पा ली है. दवा से हजार से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं. और इसकी सफलता का प्रतिशत भी 80 के लगभग रहा है. -
नई दिल्ली। देश में कोरोना मामलों की रफ्तार पर ब्रेक लगता नहीं दिखाई दे रहा है, एक रिपोर्ट के मुताबिक अब कोविड-19 का सामाजिक फैलाव शुरू हो चुका है। इसी बीच तमिलनाडु के बाल सुधार गृह में 35 बच्चें करोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद से हंगामा मचा हुआ है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि बच्चों में सक्रमण को रोकने के लिए क्या उपाए किए गए हैं।
जस्टिस एल नागेश्वर राव, कृष्ण मुरारी और एस रवींद्र भट की पीठ ने गुरुवार को आश्रय गृहों में बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अब अलग-अलग राज्य सरकारों से आश्रय गृहों में रहने बच्चों की सुरक्षा और कोरोना से बचाव पर किए जा रहे इंतजाम की रिपोर्ट मांगी है, इस संबंध में 3 अप्रैल के आदेश का अनुपालन भी किया। सुप्रीम कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के लिए सोमवार का दिन निश्चित किया है।
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हाई कोर्ट की किशोर न्याय समितियों की जिम्मेदारी होगी कि वह राज्य सरकारों के बीच एक प्रश्वावली प्रसारित करें। इसके अलावा आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों की कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए किए गए इंतजामों पर अपनी प्रतिक्रिया एकत्र करें। बता दें कि तमिलनाडु के रॉयपुरम इलाके में राज्य सरकार द्वारा संचालित एक आश्रय गृह में 35 से अधिक बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके अलावा वहां के पांच कर्मचारी भी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने बुधवार को राज्य में कोरोना स्थिति पर बात करते हुए कहा, तमिलनाडु में अब तक कोई सामाजिक फैलाव नहीं है। राज्य के कई जिलों में कोरोना वायरस पर काबू पा लिया गया है। चूंकि चेन्नई में घनी आबादी है इसलिए वहां, वायरस का प्रसार अधिक है। सीएम ने आगे कहा कि हम कोरोना वायरस से होने वाली मौत को नहीं छिपाते, अगर हम ऐसा करते हैं तो भी हमें इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला।
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मीडिया रिपोर्टो से
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आम्रपाली मामले (Amrapali Case) में बैंकों और वित्तीय संस्थानों को आम्रपाली होमबॉयर्स (घर खरीदार) को दिए गए कर्ज का पुनर्गठन (रिकंस्ट्रक्ट) करने और शेष राशि को जारी करने का निर्देश दिया जो अब तक जारी नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा कि इस राशि का उपयोग निर्माण पूरा करने के लिए किया जाएगा. SC ने निर्देश दिया कि बैंक और वित्तीय संस्थान, जिन्होंने होम लोन को NPA के रूप में घोषित किया है. RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार, होमबॉयर्स को राशि जारी करनी होगी. कोर्ट ने FAR यानी फ्लोर एरिया रेशियो को लेकर भी निर्देश जारी किए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ये सभी परियोजनाएं रुकी हुई हैं. प्रोजेक्ट अधूरे हैं. नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों को एक समय में क्या करना चाहिए इस पर शेड्यूल बनाने की जरूरत है. होमबॉयर्स अपने निवेश के फल का आनंद नहीं ले सकते हैं. कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के घर खरीदारों की स्थिति जस की तस है क्योंकि प्रोजेक्ट के अधूरे पड़े काम में कोई प्रगति नहीं हुई है. कोर्ट ने ऑथोरिटीज से पूछा है कि वो बैंकों और वित्तीय सहायता देने को राज़ी अन्य संस्थानों को ये तो बता दें कि उनको काम पूरा करने को एक बार मे कितनी धनराशि की ज़रूरत है.
घर खरीदारों के होमलोन पर ब्याज की दर को लेकर भी कोर्ट ने निर्देश दिया. जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच से आए इन निर्देशों के बाद अब कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करेगा. SC ने आरबीआई को निर्देश दिया कि बैंकों को उनके खाते को NPA होने के बावजूद होम बायर्स को स्वीकृत लोन जारी करने की अनुमति दी जाए. अदालत ने कोर्ट रिसीवर के माध्यम से शेष FAR की बिक्री की अनुमति दी. कोर्ट ने कहा कि अभी तक इस्तेमाल नहीं हुआ FAR 2.75 पर होगा न कि 3.5 पर. यदि FAR में कोई वृद्धि होती है, तो यह नोएडा और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरणों द्वारा तय किया जाएगा.
रियल बिल्डरों और रियल एस्टेट क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण बिल्डर से भुगतान में ब्याज के लिए अत्यधिक ब्याज दर नहीं ले सकता. कोर्ट ने कहा है कि ये ब्याज दर आठ प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है. सुनवाई के दौरान, SBI कैपिटल और यूको बैंक नोएडा में आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए NBCC को फंड देने के लिए तैयार हो गया था. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ये SBI कैपिटल पर है कि वो आम्रपाली के बचे प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा बनाए गए रीयल एस्टेट स्ट्रैस फंड से पैसा निवेश करे. ED ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि आम्रपाली मामले में कोर्ट के आदेश के अनुपालन में जेपी मॉर्गन की संपत्तियों को कुर्क किया गया है. जेपी मॉर्गन की ओर से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोर्ट के निर्देशों के अनुसार 187 करोड़ रुपये की धनराशि वसूलने के लिए खाता अटैच किया है. ये स्पष्ट रूप से अवैध है, क्योंकि जेपी इंडिया के पास आम्रपाली में कुछ भी निवेश नहीं है.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा था हम जेपी मॉर्गन से चिंतित हैं. पूरी दुनिया में इसकी शाखाएं हैं, और जब आपके पास दुनिया भर की शाखाएं हैं, तो हमें इसे ध्यान में रखना होगा. एसबीआई का पक्ष रख रहे हरीश साल्वे ने कहा कि वह अपने क्लाइंट को निर्माण कार्य शुरू करने के लिए फंड जारी करने के लिए बोलेंगे. पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार से कोर्ट ने पूछा था कि क्या वो आम्रपाली प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए NBCC को 500 करोड का फंड जारी करने को तैयार है. साथ ही ED को जेपी मार्गन के खाते कुर्क करने के आदेश दिए गए थे. -
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 2 जून को नई मीडिया नीति का ऐलान किया है। जनसत्ता में प्रकाशित आज खबर के अनुसार इस नीति के मुताबिक अब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ही यह तय कर सकेगा कि कौन सी खबर फर्जी है और कौन सी अनैतिक या एंटी नेशनल। नई मीडिया नीति के मुताबिक अब प्रशासन यानी सरकार इसके आधार पर ही पत्रकार या मीडिया संस्थान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी। नई नीति के मुताबिक सरकार किसी भी मीडिया संस्थान के खिलाफ इसके आधार पर सरकारी विज्ञापन रोक सकती है और पत्रकार को एंटी नेशनल ठहरा सकती है और उनसे जुड़ी सूचनाएं सिक्योरिटी एजेंसीज को सौंप सकती है ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
50 पन्नों की इस पॉलिसी डॉक्यूमेंट में ज्यादातर बातें सरकारी विज्ञापनों और मीडिया संगठनों पर ही केंद्रित हैं। इस डॉक्यूमेंट में कहा गया है, “जम्मू और कश्मीर में महत्वपूर्ण कानून-व्यवस्था और सुरक्षा संबंधी प्रावधान हैं, यह सीमा पार से समर्थित और छद्म युद्ध लड़ रहा है। ऐसी स्थिति में, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि शांति, सद्भाव बिगाड़ने वाले असामाजिक और राष्ट्रविरोधी तत्वों के प्रयासों को विफल किया जाए।”
नई नीति के तहत, सरकारी विज्ञापनों के लिए सूचीबद्ध करने से पहले समाचार पत्रों के प्रकाशकों, संपादकों और प्रमुख कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य कर दी गई है। इसके अलावा किसी भी पत्रकार को मान्यता (एक्रिडिएशन) देने से पहले उसका सिक्योरिटी क्लियरेंन्स लेना जरूरी होगा। इंडियन एक्सप्रेस ने सरकार से पक्ष जानना चाहा तो सूचना एवं जनसंपर्क विभाग (डीआईपीआर) के निदेशक सेहरिश असगर ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। इसके अलावा सूचना विभाग के सचिव रोहित कंसल, जो सरकार के प्रवक्ता भी हैं, ने बार-बार प्रयास करने के बावजूद कोई जवाब नहीं दिया।
नई नीति के अनुसार, सरकार समाचार पत्रों और अन्य मीडिया चैनलों में प्रकाशित सामग्री की निगरानी करेगी और यह तय करेगी कि कौन सी खबर फर्जी, असामाजिक या राष्ट्र विरोधी रिपोर्टिंग है? “फर्जी, अनैतिक और देशद्रोही” रिपोर्टिंग में शामिल पाए जाने पर उन समाचार संगठनों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा उन्हें सरकारी विज्ञापन नहीं दिए जाएंगे।
पॉलिसी डॉक्यूमेंट के पेज नंबर 8 और 9 में कहा गया है कि डीआईपीआर (सूचना और जनसंपर्क निदेशालय) नकली समाचार, साहित्यिक चोरी और अनैतिक या देश विरोधी गतिविधियों के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और मीडिया के अन्य रूपों की सामग्री की जांच करेगा।” नई नीति के मुताबिक, कोई भी फर्जी खबर या नफरत फैलाने या सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाली किसी भी खबर पर आईपीसी और साइबर कानूनों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह खबर बिना एडिटिंग के जनसत्ता से सीधे ली गई है -
भोपाल : भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी मां की तबीयत खराब होने के बाद दोनों को दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सिंधिया और उनकी मां में कोविड 19 पॉजिटिव पाए गए हैं। फिलहाल दोनों लोगों की हालत सामान्य बताई जा रही है।
जानकारी के अनुसार, ज्योतिरादित्य और उनकी मां माधवी राजे सिंधिया को गले में खराश और बुखार की शिकायत होने पर सोमवार को ही साकेत स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज दूसरे दिन उनके स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। हालांकि, कल ही दोनों का कोरोना टेस्ट किया गया था, मंगलवार को आई उनकी टेस्ट रिपोर्ट में दोनों के कोरोना पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई है। अभी तक उनके कोरोना संक्रमण की चपेट में आने का स्रोत पता नहीं चल सका है। -
नई दिल्ली : प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुना दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाए और आज से 15 दिनों के अंदर मजदूरों को उनके घर भेजा जाए. कोर्ट ने कहा कि ट्रेन की मांग के 24 घंटे के अंदर केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त ट्रेनें दी जाएंगी. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि प्रवासी मजदूरों के लिए काउंसलिंग सेंटर की स्थापना की जाए. उनका डेटा इकट्ठा किया जाए, जो गांव स्तर पर और ब्लाक स्तर पर हो. इसके साथ ही उनकी स्किल की मैपिंग की जाए, जिससे रोजगार देने में मदद हो. अगर मजदूर वापस काम पर लौटना चाहते हैं तो राज्य सरकारें मदद करें.
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पलायन के दौरान मजदूरों पर दर्ज किए गए लॉकडाउन उल्लंघन के मुकदमे वापस लिए जाएं. सभी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन किया जाए और जो मजदूर घर जाना चाहते हैं, उन्हें 15 दिन के अंदर घर भेजा जाए. अगर राज्य सरकारें अतिरिक्त ट्रेन की मांग करती हैं तो केंद्र 24 घंटे के अंदर मांग को पूरी करे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों से मजदूरों को रोजगार देने के लिए स्कीम बनाने का आदेश दिया है. इसके बारे में प्रदेशों को सुप्रीम कोर्ट को जानकारी देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मजदूरों को सभी स्कीम का लाभ दिया जाए और स्कीमों के बारे में मजदूरों को बताया भी जाए.
गौरतलब है कि प्रवासी मजदूरों के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था. इस मामले में 5 जून को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम सभी प्रवासियों को घर पहुंचाने के लिए आपको 15 दिन का समय देंगे. सभी राज्यों को रिकॉर्ड पर लाना है कि वे कैसे रोजगार और अन्य प्रकार की राहत प्रदान करेंगे. -
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तबीयत बिगड़ गई है. सीएम केजरीवाल को कल से हल्का बुखार और गले में खराश की शिकायत है. अब उनका कोरोना टेस्ट करवाया जाएगा. कल दोपहर से सारी मीटिंग कैंसिल कर दी गई और सीएम केजरीवाल ने किसी से मुलाकात नहीं की. उन्होंने अपने आपको आइसोलेट कर लिया है. इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) नेता और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बुखार है और उन्हें खराश की दिक्कत है. कल से ही वह अपने आवास पर आइसोलेट हैं. कल उनका कोरोना टेस्ट होगा. वह डायबिटिक भी हैं.
गौरतलब है कि कल ही दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने अस्पतालों का बंटवारा कर दिया है. केजरीवाल सरकार की कैबिनेट ने फैसला किया है कि दिल्ली के अस्पताल, चाहे वो सरकारी हों या निजी उनमें अब सिर्फ दिल्लीवालों का ही इलाज होगा. दिल्ली में मौजूद सिर्फ केंद्र के अस्पतालों में दिल्ली से बाहरवालों का इलाज होगा.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने खुद इसका ऐलान किया था. दिल्ली सरकार को डॉक्टर महेश वर्मा कमेटी ने ये सुझाव दिया था. इसके अलावा दिल्ली सरकार की मानें तो उन्होंने दिल्ली वालों से उनकी राय भी ली थी, और दिल्ली वालों की राय पर केजरीवाल सरकार ने मुहर लगा दी, कि दिल्ली सरकार के अस्पताल में सिर्फ दिल्ली वाले इलाज कराएंगे. -
एजेंसीनई दिल्ली: दिल्ली सरकार के अस्पतालों में दिल्ली वालों का ही इलाज होगा. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली की अरविंद केजरीवाल ने रविवार को ये अहम फैसला लिया है. काफी दिनों से इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि क्या स्थानीय अस्पतालों में दिल्ली के लोगों का ही इलाज होगा या बाहरी लोगों को भी यह सुविधा मिलेगी.
डॉ. महेश वर्मा कमेटी ने दिल्ली में चिकित्सा व्यवस्था को लेकर शनिवार को दिल्ली सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली का हेल्थकेयर इंफ्रास्ट्रक्चर केवल दिल्ली के लोगों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए. अगर बाहर वालों का भी इलाज होगा तो तीन दिन के अंदर सारे बेड भर जाएंगे.
दिल्ली सरकार ने अस्पतालों को दिया ये निर्देशदिल्ली सरकार ने शहर में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ने के मद्देनजर अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे कम से कम तीन महीने के लिए पर्याप्त संख्या में व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण किट और ऑक्सीजन मास्क जैसे चिकित्सकीय उपकरण खरीदकर रखें.
दिल्ली स्वास्थ्य सचिव पद्मिनी सिंगला ने शुक्रवार को जारी एक आदेश में कहा कि दिल्ली में पिछले एक सप्ताह में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आई है. जिसके कारण अस्पतालों में बिस्तरों, सर्जिकल उपकरणों और बुनियादी ढांचे से जुड़ी वस्तुओं की मांग बढ़ गई है.
आदेश में कहा गया है 'दिल्ली सरकार के तहत आने वाले सभी कोविड-19 और गैर-कोविड 19 अस्पतालों के एमएस/एमडी/ निदेशक को सर्जिकल वस्तुओं, ऑक्सीजन मास्क एवं ऑक्सीजन उपचार पद्धति के लिए आवश्यक वस्तुओं, पीपीई किट, दस्ताने, मास्क आदि खरीदकर कम से कम तीन महीने के लिए उनका पर्याप्त भंडार रखने का निर्देश दिया जाता है.' -
नई दिल्ली : संघ परिवार में अहम आर्थिक सुधार के मसले पर मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. आरएसएस के संगठन भारतीय मज़दूर संघ (BMS) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (PSUs) के निजीकरण और विनिवेश के बड़े ऐलान के खिलाफ देश भर में 10 जून को विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है. भारतीय मज़दूर संघ के नेता नाराज़ हैं कि मोदी सरकार ने श्रमिक संगठनों से बातचीत किये बगैर ही सरकारी उपक्रमों के निजीकरण और विनिवेश का बड़ा ऐलान कर दिया. उन्होंने मोदी सरकार की इस नीति को मज़दूरों के हितों के खिलाफ बताते हुए देश व्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान कर दिया है. भारतीय मजदूर संघ के जोनल सेक्रेटरी ने एनडीटीवी से कहा, 'हम पूरे देश में 10 जून से विरोध प्रदर्शन और धरना शुरू करने जा रहे हैं. मोदी सरकार सुधार के नाम पर मजदूर विरोधी फैसले कर रही है. ये रिफॉर्म पैकेज देश के हित के खिलाफ है. सरकार सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को ही मारना चाहती है'.
मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय मज़दूर संघ के नेताओं ने तय किया है की वो देश में मोदी सरकार के खिलाफ 'सेव पब्लिक सेक्टर, सेव इंडिया' मुहिम शुरू करेंगे. मुनाफा कमाने वाली कंपनियों को बेचने का देश भर में विरोध शुरू होगा. रेलवे और डिफेन्स आर्डिनेंस फैक्ट्रीज बोर्ड के कोर्पोरटिजशन का फैसला गलत है. कोयला सेक्टर का व्यवसायीकरण मज़दूर के हित में नहीं है. बीएमएस का मानना है कि डिफेन्स जैसे स्ट्रेटेजिक सेक्टर में एफडीआई गलत है.
भारतीय मज़दूर संघ के अलावा देश के 10 बड़े केंद्रीय श्रमिक संगठन भी लामबंद हो गए हैं और सरकार को घेरने की रणनीति बनाने में जुट गए हैं. सीटू के महासचिव तपन सेन का कहना है कि मोदी सरकार ने मज़दूरों के खिलाफ देश में जंग छेड़ दी है. उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि 2015 के बाद से प्रधानमंत्री ने श्रमिक संगठनों से बात भी नहीं की है. हमने तय किया है कि 10 केंद्रीय श्रमिक संगठन जुलाई के पहले हफ्ते में देशव्यापी आंदोलन करेंगे. कुल मिलाकर अब ये तय है कि कोरोना संकट और लॉकडाऊन की वजह से गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने की जद्दोजहद में जुटी सरकार को अब एक और मोर्चे पर घिरती नज़र आ रही है.साभार : NDTV से -
मीडिया रिपोर्टकोरोना को ठीक करने को लेकर दुनिया भर में रिसर्च चल रहे हैं. कई देशों की कंपनियां दवा के बेहद करीब पहुंचने के दावे कर रही हैं. इन सबके बीच अब भारत में भी आयुर्वेद की दवाओं का कोरोना के पॉजिटिव मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है. राजस्थान के जयपुर में कोरोना के मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है. जयपुर के रामगंज में 12000 लोगों पर आयुर्वेद की एक इम्यूनिटी की दवा की टेस्टिंग भी शुरू की गई है. केंद्रीय आयुष मंत्रालय यह ट्रायल क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन टीम के साथ मिलकर करा रहा है. बताया जा रहा है कि आयुष मंत्रालय के अधीन काम करने वाले राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान ने कोरोना को लेकर चार दवाएं बनाई हैं, जिनमें से एक का नाम है आयुष 64. इसे लेकर आयुष मंत्रालय उत्साहित है.
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर ने कोरोना के मरीजों पर इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया है. यह क्लिनिकल ट्रायल कोविड-19 के प्रथम स्टेज के मरीजों पर जयपुर के एक निजी अस्पताल में किया जा रहा है. आयुर्वेद संस्थान के निदेशक संजीव शर्मा का कहना है कि यह दवा सामान्य तौर पर पहले मलेरिया के लिए दी जाती थी, लेकिन इसमें कुछ बदलाव के साथ कोरोना के मरीजों को दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन करने के लिए क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन का सहयोग लिया जा रहा है. आयुर्वेद संस्थान के निदेशक ने कहा कि तीन से चार महीने में इसके रिजल्ट सामने आ जाएंगे. शुरुआती नतीजे अच्छे दिख रहे हैं. इसके अलावा 12000 लोगों को लेकर आयुर्वेदिक दवा संशमनी बूटी के इम्यूनिटी बूस्टर का ट्रायल भी शुरू किया गया है. रामगंज जैसे कंटेनमेंट एरिया के लोगों को इस दवा की दो-दो गोलियां सुबह-शाम खिलाई जा रही हैं. 45 दिन बाद परिणाम का अध्ययन किया जाएगा.
बता दें कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की तरफ से कोरोना को लेकर अलग-अलग स्तर पर रिसर्च किए जा रहे हैं. इनमें इम्यूनिटी बूस्टर किट भी है और च्यवनप्राश भी. जयपुर के हाई रिस्क जोन में रहने वाले करीब 5000 लोगों पर इसका ट्रायल पिछले 1 महीने से ज्यादा समय से चल रहा है और अब तक के नतीजे अच्छे रहने का दावा किया जा रहा है. -
नई दिल्ली : पत्नी की गुजाराभत्ता याचिका पर अदालत ने एक अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा है कि अगर पत्नी कमाने योग्य है तो वह पति से गुजाराभत्ता मांगने की हकदार नहीं है। रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ए पांडे की अदालत ने अपने फैसले का विस्तृत से व्याख्या करते हुए कहा है कि यदि पत्नी/महिला उच्च शिक्षित है और शारीरिक तौर पर स्वस्थ है तो भी उसे कमाकर खाना चाहिए। जानबूझकर अपनी योग्यता को दबाना कानूनी व नैतिक दोनों तरीकों से गलत होता है।
अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए पति से गुजाराभत्ते की मांग कर रही महिला की याचिका को नामंजूर कर दिया। अदालत ने इस महिला को सलाह दी कि वह सिर्फ मुकदमे में मुश्किलें डालने के लिए नौकरी ना छोड़े। अदालत ने कहा कि उसके पूर्व के रिकार्ड बताते हैं कि वह पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रही थी। लेकिन पति से विवाद होने पर उसने नौकरी छोड़ दी और अब वह पति से 50 हजार रुपये महीने का गुजाराभत्ते की मांग कर रही है।
इस मामले में पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा है। दोनों तीन साल से अलग रह रहें हैं। इनकी पांच साल पहले शादी हुई थी। शादी के समय भी पत्नी नौकरी करती थी। दोनों को कोई संतान नहीं है। अदालत ने महिला की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि अब उन्हें दूसरे मामलों के निपटारे पर ध्यान देना चाहिए। बेवजह इल्जाम लगाना या जबरदस्ती के मुकदमेबाजी से देानों का भविष्य प्रभावित होगा।इस मामले में महिला की कमाई के बाबत उसके पति ने आयकर रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश किया। इस आयकर रिकार्ड के मुताबिक महिला पिछले एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रही थी और आयकर का भुगतान भी करती थी। यहां तक की पति द्वारा पेश आयकर रिकॉर्ड से पता चला कि महिला की आय अपने पति की मासिक आय से अधिक थी। इसके बाद अदालत ने महिला से नौकरी के बाबत सत्य छिपाने पर सवाल किए तो महिला ने कहा कि पति से गुजाराभत्ता पाना उसका अधिकार है। इसलिए उसने यह याचिका लगाई है। -
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते देश पिछले काफी दिनों से लॉकडाउन में था और अब धीरे-धीरे इस लॉकडाउन से लोगों को छूट दी जा रही है। चार चरण के लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक-1 की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके प्रवासी मजदूरों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ल रही है पहले ये अपने घर जाने के लिए सड़क पर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के लिए मजबूर थे और अब ये अपनी रोजी-रोटी के लिए परेशानियों का सामना कर रहे हैं। वहीं इस बीच प्रवासी मजदूरों के मसले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और अपील की है कि वह प्रवासी मजदूरों के मसले की सुनवाई को लेकर भी दिशानिर्देश जारी करे।
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एनवी रमन ने भी मजदूरों के पलायन को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को बड़ा संकट बताते हुए कहा था कि प्रवासी मजदूरों के घर जाने से गरीबी, असमानता और भेदभाव में बढ़ोतरी होगी। जस्टिस रमन ने यह बयान राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित एक वेबिनार में दिया था। उन्होंने कहा था कि लॉकडाउन की वजह से पारिवारिक हिंसा, बाल उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं।
वहीं पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष के. श्रीनाथ रेड्डी के मुताबिक प्रवासियों में जोखिम दर बहुत ही कम थी। वो शुरू से कहते आ रहे हैं कि प्रवासियों से कोई खतरा नहीं है। लॉकडाउन की शुरुआत में उन्हें वापस भेजे जाने में मदद की जानी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि मूल रूप से वायरस लाने वाले लोग विदेशी यात्री हैं। रेड्डी के मुताबिक प्रवासी श्रमिक आमतौर पर निर्माण कार्य या फैक्ट्री जैसी जगहों पर काम करते हैं। जिस वजह से 25 मार्च तक उनके संक्रमित होने का खतरा बहुत ही कम था। अगर उसी वक्त उनको घर भेजा गया होता तो आज ये समस्या नहीं होती, लेकिन उन्हें आठ हफ्तों तक शहरी इलाकों के हॉटस्पॉट में रखा गया। जिस वजह से वो संक्रमित हुए। रेड्डी ने इस बात पर भी जोर दिया कि भले ही प्रवासियों में संक्रमण कम हो, लेकिन उन्हें क्वारंटाइन करने की जरूरत है, क्योंकि ज्यादातर लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं दिख रहे। -
मीडिया रिपोर्ट
नई दिल्ली : भारत और चीन की सेनाओं के बीच बीते करीब एक माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तनाव बना हुआ है। तनाव को कम करने के लिए दोनों तरफ से प्रयास हो रहे हैं। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच शनिवार को अहम बैठक होने जा रही है। हालांकि इससे पहले चीन के लड़ाकू विमानों अक्साई चिन इलाके में मंडराते देखे गए हैं। चीन की वायुसेना सीमा के करीब युद्धाभ्यास कर रही है। भारतीय वायुसेना भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है।
भारतीय वायुसेना भी अलर्ट पर है। उत्तराखंड और सिक्किम सीमा पर चीन की सेना की तरफ से बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती की गई है। जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी एलएसी पर अपने जवानों की तैनाती बढ़ा दी है। चीन ने सीमा पर हथियारों, टैंकों और आर्टिलरी गनों की भी तैनाती बढ़ायी है। वहीं भारत की तरफ से शॉर्ट नोटिस पर टी-72, टी-90 टैंक और बोफोर्स जैसी आर्टिलरी गन को लद्दाख सीमा पर तैनात किया जा सकता है।