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एजेंसी
नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हालात लगातार चिंताजनक बने हुए हैं, स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार पिछले 24 घंटों में (बुधवार सुबह 8 बजे से लेकर गुरुवार सुबह 8 बजे तक) सबसे ज्यादा 95,735 नए मामले सामने आए हैं, जिसके बाद कुल संक्रमितों की संख्या 44.65 लाख पहुंच गई है. वहीं इस दौरान 1,172 लोगों की मौत हुई है. जोकि एक दिन में हुए मृतकों की सबसे ज्यादा संख्या है. वहीं पिछले 24 घंटों में 72,939 लोग इस वायरस को मात देने में कामयाब रहे हैं. अब तक 34,71,783 लोग इस खतरनाक वायरस को मात देने में कामयाब रहे हैं.
भारत में इस वक्त 9 लाख 19 हजार एक्टिव केस हैं. यानी कि इनका इलाज या तो अस्पताल में चल रहा है या फिर हल्के फुलके लक्षणों के कारण होमआइसोलेशन में हैं. महाराष्ट्र, कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है, जहां पिछले 24 घंटों में 23,577 नए मामले सामने आए हैं. इस राज्य में ही एक दिन में 380 लोगों की मौत हुई है, जोकि किसी भी राज्य में एक ही दिन में हुई सबसे ज्यादा मौतें हैं.
संक्रमितों के मामले में महाराष्ट्र के बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु का नंबर आता है, जहां क्रमश: 10 हजार 418, 9 हजार 540, 6 हजार 568 और 5 हजार 584 लोग इसकी चपेट में आए हैं. -
एजेंसीमुंबई : बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनौत के मुंबई स्थित 'मणिकर्णिका फिल्म्ज' ऑफिस को बीएमसी ने कथित तौर पर अवैध निर्माण को तोड़ दिया है. इस बीच बॉम्बे हाईकोर्ट में हुई कार्रवाई में फैसला कंगना रनौत के पक्ष में गया है. हाईकोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है. यह रोक गुरुवार दोपहर 3 बजे तक लगाई गई है. हालांकि बीएमसी ने पहले ही अपनी कार्रवाई पूरी ली थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में कल फिर सुनवाई करेगा. हाईकोर्ट ने कंगना रनौत के ऑफिस में अवैध निर्माण को गिराने में इतनी जल्दबाजी करने के लिए बीएमसी से जवाब मांगा है. कल बीएमसी को इसका जवाब देना है. बता दें कि कोरोना वायरस महामारी देखते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने 26 मार्च 2020 को एक आदेश जारी करते हुए कहा था कि राज्य सरकार बीएमसी और सभी संबंधित विभाग किसी के खिलाफ कोई विरोधात्मक कार्रवाई जल्दबाज़ी में ना करें.
30 सितंबर तक थी रोक
हाईकोर्ट ने आगे कहा कि इससे कि अगर व्यक्ति को अदालत का दरवाजा खटखटाना हो, तो वह कानूनी सहायता के लिए अदालत का दरवाजा खटखटा सके. 26 मार्च को जारी हुए इस आदेश पर हाईकोर्ट ने 31 अगस्त को सुनवाई की थी और इसे 30 सितंबर तक के लिए बढ़ा भी दिया है.
हाईकोर्ट ने पूछा- जल्दबादी क्यों?
ऐसे में सवाल यह है कि आखिर बीएमसी क्या हाईकोर्ट के आदेश का भी सम्मान नहीं करते या पालन करना उचित नहीं समझती. ऐसे भी क्या जल्दबाजी थी कि बीएमसी ने नोटिस देने के 24 घंटे के भीतर ही कंगना के ऑफिस में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी. वो भी तब जब मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में आज ही होनी थी.
नहीं हुआ अवैध निर्माण
कंगना रनौत के ऑफिस तोड़ने की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी आईं. बीएमसी ने कहा कि कंगना रनौत ने अपने ऑफिस में अवैध निर्माण करवाया है, लेकिन कंगना ने कुछ देर पहले ही ट्वीट कर कहा कि उनके ऑफिस में कोई अवैध निर्माण नहीं हुआ है. -
एजेंसीनई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को आई परेशानी समेत कई समस्याओं को लेकर पीएम मोदी को जनविरोधी बताया।
राहुल गांधी ने एक वीडियो के साथ ट्वीट किया 'अचानक किया गया लॉकडाउन असंगठित वर्ग के लिए मृत्युदंड जैसा साबित हुआ। वादा था 21 दिन में कोरोना खत्म करने का, लेकिन खत्म किए करोड़ों रोजगार और छोटे उद्योग। मोदी जी का जनविरोधी 'डिजास्टर प्लान' जानने के लिए ये वीडियो देखें।'इससे पहले मंगलवार को भी राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला किया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि एलआईसी को बेचना मोदी सरकार का एक और शर्मनाक प्रयास है।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि 'मोदी जी ‘सरकारी कंपनी बेचो' मुहिम चला रहे हैं। खुद की बनाई आर्थिक बेहाली की भरपाई के लिए देश की संपत्ति को थोड़ा-थोड़ा करके बेचा जा रहा है। जनता के भविष्य और भरोसे को ताक पर रखकर एलआईसी को बेचना मोदी सरकार का एक और शर्मनाक प्रयास है।' अपने ट्वीट के साथ उन्होंने एक खबर को साझा किया था। जिसमें बताया गया था कि केंद्र सरकार एलआईसी में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी को बेचेगी।
पांच अगस्त को भी राहुल गांधी ने ट्वीट कर मोदी सरकार पर आरोप लगाया था कि ‘न्यूनतम शासन, अधिकतम निजीकरण’ इस सरकार की सोच है। उन्होंने एक खबर साझा करते हुए ट्वीट किया था कि ‘मोदी सरकार की सोच - न्यूनतम शासन, अधिकतम निजीकरण।’ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ‘कोविड तो बस बहाना है, सरकारी दफ्तरों को स्थाई ‘स्टाफ-मुक्त’ बनाना है, युवा का भविष्य चुराना है, ‘मित्रों’ को आगे बढ़ाना है।’ -
नई दिल्ली : देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में दिनों-दिन बढ़ोतरी हो रही है। सोमवार को देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 42 लाख को पार कर गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 90,802 नए मामले रिपोर्ट किए गए। ये लगातार दूसरा दिन है, जब संक्रमितों की संख्या 90 हजार के पार पहुंची है।
वहीं, इस दौरान 1,016 लोगों की इस वायरस से मौत हुई है। आंकड़ों के अनुसार, देश में अब तक 42,04,614 लोग इस वायरस की चपेट में आए हैं। भारत में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या 8,82,542 है।
दूसरी तरफ, 32,50,429 कोरोना के मरीज ऐसे हैं, जिन्होंने इलाज के बाद इस वायरस को मात दी और अस्पताल से डिस्चार्ज हुए। वहीं, भारत में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की संख्या 71,642 है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया है कि 6 सितंबर तक 4,95,51,507 नमूनों की जांच की गई है। इसमें से 7,20,362 नमूनों की जांच कल की गई है। -
भाषा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: AIMIM के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही के बीच बैठक को लेकर सवाल उठाए. दोनों रक्षा मंत्रियों की बैठक से पहले ओवैसी ने कहा कि भारत का पक्ष रहा है कि हम विवाद को द्विपक्षीय तरीके से सुलझा लेंगे. रूस की मदद लेकर, आप ने कमजोरी दिखाई है. ओवैसी ने कहा कि क्या आप (राजनाथ सिंह) चीन से यह कहने वाले हैं कि वह लद्दाख में कब्जाई भारत की 1000 वर्ग किलोमीटर जमीन को बिना किसी शर्त के खाली करे.
ओवैसी ने शुक्रवार को अपने ट्वीट में राजनाथ सिंह पर बोलते हुए लिखा- "भारत का पक्ष रहा है कि हम विवाद को द्विपक्षीय तरीके से सुलझा लेंगे. रूस की मदद लेकर, आप ने कमजोरी दिखाई है. अगर आप चीन से एक विजयी योद्धा के तौर पर बात करते तो इससे आपको फायदा मिलता, लेकिन अब आप उनसे ऐसे मिल रहे है जैसे उन्हें भारतीय इलाकों की जमीन पर कब्जा करने दिया हो और आप हारी हुई पोजिशन में आ गए हों."
असदुद्दीन ओवैसी ने अपने दूसरे ट्वीट में कहा, "सर राजनाथ सिंह जी क्या आप चीन के विदेश मंत्री से यह कहने वाले हैं कि वह लद्दाख में पिछले 4 महीने में कब्जाई भारत की 1000 वर्ग किलोमीटर जमीन को बिना किसी शर्त के खाली करे? या फिर प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) की तरह यह कहने जा रहे हैं कि हमारे इलाके में कोई आया ही नहीं. हम यह बात जानना चाहते हैं."
भाषा की खबर के मुताबिक, भारत और चीन के मध्य पर सीमा विवाद (LAC Dispute) को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीनी रक्षा मंत्री वेई फेंगही के बीच शुक्रवार को दो घंटे से अधिक समय तक बैठक हुई. जिसमें पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव को कम करने पर ध्यान केन्द्रित रहा. सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी. पूर्वी लद्दाख में मई में सीमा पर हुए तनाव के बाद से दोनों ओर से यह पहली उच्च स्तरीय आमने सामने की बैठक थी. इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल गतिरोध दूर करने के लिए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ टेलीफोन पर बातचीत कर चुके हैं. -
एजेंसीनई दिल्ली : भारत में कोविड-19 संक्रमण के मामलों का आंकड़ा 40 लाख को पार कर गया है। देश में 30 लाख मामलों से 40 लाख होने में महज 13 दिन का समय लगा है। इसका मतलब है कि पिछले 13 दिनों में कोरोना संक्रमण के 10 लाख मामले सामने आए हैं। वहीं, बीमारी से ठीक होने वाले लोगों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। अब तक 31 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं।
देश में शनिवार को कोरोना संक्रमण के मामलों में फिर बड़ा उछाल देखने को मिला। शनिवार को 86,432 नए मामले सामने आए। जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय के अनुसार अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत संक्रमण और मौत के मामले में तीसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश है।केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से शनिवार सुबह अद्यतन किए गए आंकड़े के अनुसार, पिछले 24 घंटे में 1,089 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 69,561 हो गई है। देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 40,23,179 हो गए हैं, जिनमें से 8,46,395 लोगों का उपचार चल रहा है और 31,07,223 लोग उपचार के बाद इस बीमारी से उबर चुके हैं। संक्रमण के कुल मामलों में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 77.23 फीसदी हो गई है जबकि मृत्यु दर में गिरावट आई है और यह 1.73 फीसदी है। वहीं, 21.04 फीसदी मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। देश में कोरोना मृत्यु दर वैश्विक औसत से भी कम है।
पिछले 24 घंटे में साढ़े 10 लाख से ज्यादा नमूनों की जांचभारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, देशभर में चार सितंबर तक कुल 4,77,38,491 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से शुक्रवार को एक दिन में 10,59,346 नमूनों की जांच की गई।
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नई दिल्ली : भारत निर्वाचन आयोग ने कहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान सही समय पर किया जाएगा। आयोग बिहार चुनाव के समय ही 65 सीटों पर उपचुनाव भी कराने की तैयारी है। चुनाव आयोग के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव को 29 नवंबर, 2020 से पहले पूरा करना है। उसी समय के आसपास विभिन्न राज्यों की 64 विधानसभा और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराया जाएगा। बता दें कि वर्तमान बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है। आयोग ने भी कोरोना काल में चुनाव और उपचुनाव कराने को लेकर हाल ही गाइडलाइंस जारी की थी। तभी यह तय हो गया था कि कोरोना और बाढ़ ग्रस्त बिहार में तय समय पर चुनाव होंगे। हालांकि विपक्षी दलों समेत एनडीए में शामिल एलजेपी ने बिहार में चुनाव टालने की मांग की थी।
21 अगस्त को आयोग ने जारी की थी गाइडलाइंसइससे पहले 21 अगस्त को चुनाव आयोग ने कोरोना काल में देश में चुनाव कराने को लेकर गाइडलाइंस जारी की थी। इसमें कहा गया था कि उम्मीदवार को नामांकन पत्र, शपथ पत्र और नामांकन को लेकर सिक्युरिटी मनी ऑनलाइन ही जमा करना होगा। चुनाव कार्य को लेकर सभी व्यक्ति मास्क लगाएंगे। चुनाव से जुड़े हॉल, रूम या परिसर में प्रवेश के दौरान थर्मल स्कैनिंग की जाएगी। वहां सेनिटाइजर, साबुन और पानी की व्यवस्था की जाएगी। सभी को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। घर-घर जाकर पांच लोगों को संपर्क की अनुमति दी जाएगी।
चुनाव आयोग ने मांगी थी बिहार के दलों से रायबिहार के दलों से इलेक्शन कमीशन ने विधानसभा चुनाव कराने को लेकर राय मांगी थी। विपक्षी दल आरजेडी समेत एलजेपी ने भी चुनाव टालने की बात कही थी। आरजेडी ने कहा था कि राज्य में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और विशेषज्ञों ने शंका जताई है कि चुनाव के समय तक इसमें काफी बढ़ोत्तरी दर्ज होगी। दूसरी तरफ राज्य का एक हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है। ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में चुनाव कराना सही नहीं होगा।
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न्यूयॉर्क: अमेरिका की एक संघीय अदालत में एक भारतीय नागरिक समेत 12 विदेशी लोगों पर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में अवैध तरीके से मतदान करने का आरोप लगाया गया है.
उत्तरी कैरोलाइना के मिडल जिले की जिला अदालत में 58 वर्षीय बैजू पोट्टाकुलाथ थोमस और 11 अन्य विदेशी नागरिकों पर 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में अवैध रूप से मतदान करने का आरोप पिछले महीने लगाया गया.
अमेरिकी आव्रजन एवं सीमाशुल्क प्रवर्तन (आईसीई) गृह सुरक्षा जांच (एचएसआई) के अनुसार अगर ये दोषी पाए जाते हैं तो इन्हें अधिकतम एक साल की जेल की सजा हो सकती है और 1,00,000 अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लग सकता है. -
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीन महीने के भीतर दिल्ली में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी-झोंपड़ियों (Slums) को हटाने का आदेश दिया है. साथ ही आगे निर्देश दिया है कि कोई भी अदालत झुग्गी-झोंपड़ियों को हटाने पर कोई स्टे न दे. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण के संबंध में यदि कोई अदालत अंतरिम आदेश जारी करती है तो यह प्रभावी नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने यह आदेश एम सी मेहता मामले में पारित किया है.
रेलवे (Railways) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ झुग्गीवासियों का अतिक्रमण हैं जिसमें 70 किलोमीटर लाइन के साथ यह बहुत ज़्यादा है, जो कि क़रीब 48000 झुग्गियां है. रेलवे ने कहा कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था जिसके तहत इन झुग्गी बस्ती को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फ़ोर्स का गठन किया था लेकिन राजनैतिक दख़लंदाज़ी के चलते रेलवे लाइन के आसपास का यह अतिक्रमण हटाया नहीं जा सका है. रेलवे ने कहा कि इसमें काफ़ी अतिक्रमण तो रेलवे के सुरक्षा ज़ोन में है जो कि बेहद चिंताजनक है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा है कि ये झुग्गी बस्ती हटाने के लिए चरणबद्ध तरीक़े से काम किया जाए और रेलवे सुरक्षा ज़ोन में सबसे पहले अतिक्रमण हटाया जाए, जो कि तीन महीने में पूरा कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा है कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनैतिक दबाव और दख़लंदाज़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. -
एजेंसीयूपी : असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआई एम AIMIM) बिहार में 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। पार्टी ने मंगलवार को 18 सीटों की सूची जारी कर दी। इसके पहले वह 32 सीटों पर की सूची जारी कर चुका है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने प्रेस वार्ता में बताया कि ये 50 सीटें चिन्हित कर ली गई हैं। उम्मीदवारों का चयन बाद में होगा । भाजपा और जदयू के खिलाफ समान विचारधारा की पार्टियों से भी सीटों के तालमेल के संबंध में बातचीत जारी है। गैर एनडीए दलों की यह जिम्मेदारी है कि वे मजबूत विकल्प पेश करें। आरोप लगाया कि सरकार से लोग निराश हैं। विकास नहीं होने से मजदूर भारी संख्या में वापस जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दूसरी सूची सूची में कोचाधामन, किशनगंज, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, नरपतगंज, अररिया, कस्बा, छातापुर, प्राणपुर, जाले, दरभंगा शहर, भागलपुर, गया और पूर्णिया शामिल हैं। पार्टी की इच्छा है कि गैर एनडीए दलों के साथ बिहार में मजबूत मोर्चा बनाया जाए पार्टी इसके प्रयास में लगी है। -
लखनऊ : सीएए, एनआरसी और एनपीए के विरोध के दौरान अलीगढ़ विश्वविद्यालय में 13 दिसंबर 2019 को कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार डॉक्टर कफील खान को तत्काल रिहा करने के आदेश हाई कोर्ट ने दिए हैं. कोर्ट ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेने और उसे बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार भी दिया है.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड में आरोपी डॉ. कफील को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. उनके ऊपर योगी सरकार की ओर से लगाया गया एनएसए ऐक्ट हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने डॉ. कफील को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है. डॉ. कफील के मामले में जल्दी ही फैसला देने का आदेश बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने दिया था.
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में विवादित बयान देने के मामले में डॉ. कफील खान की मुंबई से गिरफ्तारी की गई थी. वह फिलहाल मथुरा जेल में हैं. इस मुकदमे में 10 फरवरी के बाद डॉ. कफील की रिहाई की तैयारी चल रही थी. लेकिन उनके खिलाफ एनएसए के तहत मुकदमा लिखा गया था. हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि एनएसए के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है, कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए. बता दें कि डॉक्टर कफील पिछले 6 महीनों से जेल में बंद हैं. हाल ही में उनकी हिरासत को 3 महीने के लिए बढ़ाया गया था. डॉक्टर कफील ने जेल से पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख रिहा करने और कोविड-19 मरीजों की सेवा करने की मांग की थी, उन्होंने सरकार के लिए एक रोडमैड भी भेजा था.
गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त 2017 को ऑक्सीजन की कमी के चलते कई बच्चों की मौत हो गई. अखबारों और सोशल मीडिया में डॉ कफील को हीरो बताया गया क्योंकि उन्होंने बाहर से सिलेंडर मांगकर कई बच्चों की जान बचाई
22 अगस्त को डॉ. कफील को लापरवाही बरतने और तमाम गड़बड़ियों के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया.
2 सितंबर 2017 को डॉक्टर कफील को जेल भेज दिया गया
25 अप्रैल 2018 को 8 महीने बाद डॉ. कफील को जमानत मिल गई
मार्च 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि डॉ. कफील की जांच पूरी होने के बाद 90 दिन के अंदर उनको सौंपी जाए
यह जांच रिपोर्ट 18 अप्रैल 2019 को आ गई थी. लेकिन डॉ. कफील को 26 सितंबर को दी गई
अलीगढ़ विश्वविद्यालय में 13 दिसंबर 2019 को कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार -
नई दिल्ली : वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। न्यायपालिका के खिलाफ अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया। कोर्ट ने प्रशांत भूषण को 15 सितंबर तक उसकी रजिस्ट्री में एक रुपये की जुर्माना राशि जमा करने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जुर्माना राशि जमा कराने में विफल रहने पर तीन माह की जेल हो सकती है और वकालत से तीन साल तक प्रतिबंधित किया जा सकता है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। माफी मांगने से पहले ही इनकार कर चुके प्रशांत भूषण को कोर्ट ने 30 मिनट का समय दिया था और कहा था कि अपने रुख पर फिर विचार कर लें। लेकिन इसके बाद भी भूषण का विचार नहीं बदला तो कोर्ट ने यहां तक पूछा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है? न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के खिलाफ अपना फैसला सुनाया।
अवमानना मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर प्रशांत भूषण 1 रुपए का जुर्माना 15 सितंबर तक नहीं भरते हैं तो इस स्थिति में उन्हें तीन महीने की जेल हो सकती है या फिर तीन साल तक वाकलत करने से रोक दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता, लेकिन दूसरों के अधिकारों का भी सम्मान किये जाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद माना जा रहा है कि प्रशांत भूषण अपनी बात रखने के लिए आज शाम चार बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
प्रशांत भूषण द्वारा न्यायालय की तरफ से माफी मांगने के सुझाव को खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कोर्ट की ओर से 'स्टेट्समैन' जैसा संदेश दिया जाना चाहिए और भूषण को शहीद न बनाएं। तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति मिश्रा ने सजा के मुद्दे पर उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति मिश्रा दो सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण का पक्ष रख रहे धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपने 14 अगस्त के फैसले को वापस ले ले और कोई सजा न दे। उन्होंने अनुरोध किया कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए।
अटॉर्नी जनरल ने माफ करने की अपील की थीवहीं, अटॉर्नी जनरल के. के वेणुगोपाल ने अदालत से अनुरोध किया कि वह भूषण को इस संदेश के साथ माफ कर दे कि उन्हें भविष्य में ऐसा कृत्य नहीं दोहराना चाहिए। पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी भी शामिल हैं। पीठ ने ट्वीटों को लेकर माफी न मांगने के रुख पर पुनर्विचार के लिए भूषण को 30 मिनट का समय भी दिया था।
कोर्ट में भूषण ने किया था गांधी के कथन जिक्रप्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्हें इस बात से पीड़ा हुई है कि उन्हें इस मामले में 'बहुत गलत समझा गया'। उन्होंने कहा 'मैंने ट्वीट के जरिए अपने परम कर्तव्य का निर्वहन करने का प्रयास किया है।' महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा था, 'मैं दया की भीख नहीं मांगता हूं और न ही मैं आपसे उदारता की अपील करता हूं। मैं यहां किसी भी सजा को शिरोधार्य करने के लिए आया हूं, जो मुझे उस बात के लिए दी जाएगी जिसे कोर्ट ने अपराध माना है, जबकि वह मेरी नजर में गलती नहीं, बल्कि नागरिकों के प्रति मेरा सर्वोच्च कर्तव्य है।'
कब के ट्वीट का है मामलागौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्विटर पर न्यायाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी के लिए 14 अगस्त को उन्हें दोषी ठहराया था। प्रशांत भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस. ए. बोबडे तथा चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी। -
नई दिल्ली : दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल की ओर से शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मेडिकल बुलेटिन जारी की गई। अस्पताल की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक, 'प्रणब मुखर्जी की गहन देखभाल की जा रही है और उनके फेफड़ों में संक्रमण का इलाज जारी है। उनके गुर्दे के मापदंडों में सुधार हुआ है। वह गहरे कोमा में हैं और अब भी जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं। वह हेमोडायनामिक रूप से स्थिर हैं।'
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि ‘‘प्रणब मुखर्जी की गहन देखभाल की जा रही है और उनके फेफड़ों में संक्रमण का इलाज भी जारी है। उनके गुर्दे के मापदंडों में सुधार हुआ है, लेकिन अब भी वह गहरे कोमा में हैं और जीवनरक्षक प्रणाली पर ही हैं। वह हिमोडायनामिकल्ली स्थिर हैं।’’
इससे पहले शुक्रवार को मेडिकल बुलेटिन में बताया गया था कि 'प्रणब मुखर्जी गहरे कोमा में हैं और अब भी वह जीवनरक्षक प्रणाली पर हैं। फेफड़ों के संक्रमण और गुर्दे की समस्या के लिए उनका इलाज किया जा रहा है। उनके अहम और क्लिनिकल पैरामीटर स्थिर बने हुए हैं यानी वे हेमोडायनामिक रूप से स्थिर हैं।
इससे पहले बुधवार को दिल्ली कैंट स्थित आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल ने बताया था कि मंगलवार से उनके रेनल पैरामीटर (गुर्दे के मापदंड) अव्यवस्थित हो गए हैं। वे लगातार गहरे कोमा में हैं और उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया है।
मुखर्जी (84) को दस अगस्त को दिल्ली कैंट स्थित सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मुखर्जी के मस्तिष्क में खून के थक्के जमने के बाद उनका ऑपरेशन किया गया था।अस्पताल में भर्ती कराए जाने के समय वह कोविड-19 से भी संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद उन्हें श्वास संबंधी संक्रमण हो गया था। मुखर्जी भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में 2012 से 2017 तक पद पर रहे।
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नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के बीच सरकार सिंतबर में JEE और NEET परीक्षा करवाने जा रही है, जिसको लेकर विरोध बढ़ता ही जा रहा है, जिसमें राजनीतिक दलों के अलावा बहुत सारे छात्र भी शामिल हैं, अब इन छात्रों के समर्थन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी उतर आए हैं, उन्होंने छात्रों के समर्थन में ऑनलाइन कैंपेन शुरू की है, जिसमें छात्रों समेत लोगों से जुड़ने की अपील की गई है, छात्रों की मांगों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
राहुल गांधी ने छेड़ी ऑनलाइन मुहिम राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि लाखों परेशान छात्रों के साथ अपनी आवाज़ जोड़िए। #SpeakUpForStudentSafety आज 10 बजे से। आइए, सरकार से छात्रों की बात सुनने की मांग करें। आपको बता दें कि बुधवार को गैर-भाजपा शासित सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मिलकर इन परीक्षाओं को टलवाने के पक्ष में अपनी आवाज उठाई।
कई राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतरे बैठक के बाद कांग्रेस ने ऐलान किया कि वो परिक्षाओं की तारीख आगे बढ़ाने की मांग को लेकर शुक्रवार को देशभर में विरोध प्रदर्शन करेगी। जिसके बाद आज कई राज्यों में कांग्रेस कार्यकर्ता सड़क पर उतरे, साथ ही दोनों परीक्षाएं स्थगित करने की मांग की है।
150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा तो वहीं एक दिन पहले भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई (मुख्य) और नीट में यदि और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य इससे प्रभावित होगा, जो कि सही नहीं है। इन शिक्षाविदों ने अपने पत्र में कहा कि कुछ लोग अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं, ये लोग सिर्फ अपने मतलब के लिए छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
4000 से अधिक छात्रों ने की भूख-हड़ताल गौरतलब है कि राजनेताओं के साथ-साथ छात्रगण भी कोरोना वायरस (कोविड-19) के बीच परीक्षाओं के आयोजन को गलत मान रहे हैं। देशभर के 4000 से अधिक छात्रों ने इन परीक्षाओं को स्थगित करवाने की मांग को लेकर एक दिन की भूख हड़ताल भी की थी, जबकि शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने परीक्षा कराए जाने के केंद्र के फैसले का समर्थन किया है। उनका कहना है कि छात्र और उनके माता-पिता खुद ये चाहतें हैं कि परीक्षा हो, उन्होंने कहा कि जेईई में बैठने वाले 80 फीसदी छात्रों ने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर लिए गए हैं। -
नई दिल्ली: देश भर में मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति मांग रही याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि हर जगह स्थानीय प्रशासन स्थिति के हिसाब से निर्णय लेता है। कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। पूरे देश पर लागू होने वाला कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। आपको बता दें कि शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद ने इस मामले में याचिका दाखिल की थी। मामला सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े को अध्यक्षता वाली बेंच में लगा।
धर्मगुरु की तरफ से पेश वकील ने कहा कि पूरा एहतियात बरतते हुए जुलूस निकालने की अनुमति दी जानी चाहिए। जिस तरह पूरी में रथ यात्रा की अनुमति दी गई। पर्यूषण पर्व के दौरान जैन समुदाय को मंदिर में जाने की अनुमति दी गई। वैसा ही इस मामले में भी किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि 'सामान्य आदेश' की अनुमति "अराजकता पैदा कर सकती है'। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक विशेष समुदाय को कोविड को फैलाने के लिए लक्षित किया जाएगा। हम उन आदेशों को पारित नहीं करेंगे, जो इतने लोगों के स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकते हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुहर्रम के जुलूस के लिए कोई चिन्हित स्थान नहीं होता है, जहां प्रतिबंध और सावधानी बरती जा सकती है। बेंच ने कहा कि आप इस समुदाय के लिए पूरे देश के लिए अस्पष्ट निर्देश मांग रहे हैं। -
नई दिल्ली : कोरोना वायरस ने बीते 24 घंटे में अब तक के सारे रिकॉर्ड को तोड़ दिए। 75,760 नए पॉजिटिव केस के साथ भारत में कुल मामलों की संख्या 33 लाख के पार कर गई। आपको बता दें कि एक दिन में सामने वाले पॉजिटिव केस की यह सर्वाधिक संख्या है। इतना ही नहीं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बीते 24 घंटे में 1023 मरीजों की मौत भी हो गई।
केंद्र सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों पर अगर गौर करें तो भारत में कोरोना के कुल मामले 33,10,235 हो गए हैं। इनमें से 7,25,991 एक्टिव केस हैं। इसके साथ ही अभी तक 25,23,772 मरीज या तो स्वस्थ हो चुके हैं या फिर उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है।
अगर कोरोना से होने वाले मौत के आंकड़ों पर गौर करें तो भारत में अभी तक 60,472 मरीजों की इस माहामारी के कारण जान चली गई है।
ओडिशा में 200 करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज का ऐलानकोरोना वायरस कहर के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे ओडिशा के गरीब परिवारों और जरूरतमंदों के लिए नवीन पटनायक सरकार ने बड़ा ऐलान किया है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बुधवार को राज्य में कोविड-19 महामारी से प्रभावित गरीब और अत्यंत गरीब परिवारों के लिए 200 करोड़ रुपये के विशेष सहायता पैकेज की मंजूरी दी। नवीन पटनायक ने राज्य में कोविड-19 के हालात और उसके प्रबंधन की समीक्षा बैठक के दौरान इस स्पेशल पैकेज की मंजूरी दी। यह बैठक वर्चुअल थी और इसमें कलेक्टर से लेकर सीनियर सरकारी अधिकारी शामिल थे।
आधिकारिक बयान में कहा गया, 'मुख्यमंत्री पटनायक ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार पर जोर देते हुए कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित राज्य में गरीब और अत्यंत गरीब परिवारों के लिए 200 करोड़ रुपये के विशेष सहायता पैकेज को मंजूरी दी। यह विशेष सहयोग पैकेज ग्रामीण गरीब, बहुत गरीब और प्रवासियों को आजीविका गतिविधियों के विकास में मदद करेगा।' -
उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोतवाली काकोरी में हरदोई रोड पर रोडवेज बसों की आमने-सामने की भीषण टक्कर हुई है। हादसे में छह यात्रियों की मौत हो गई है, जबकि कई लोग घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिनमें से कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
जानकारी के मुताबिक ट्रक को ओवर टेक कर आगे निकली रोड वेज बस हरदोई की तरफ से आ रही रोड वेज बस से आमने सामने जा भिड़ी। सुबह करीब 6 बजे हरदोई रोड पर अमेठीया मोड़ के पास हादसा हुआ। लखनऊ से रोडवेज बस हरदोई की तरफ जा रही थी तभी रास्ते मे हरदोई रोड पर अमेठीया मोड़ पड़ाका फैक्ट्री के पास ट्रक को ओवर टेक कर आगे निकली यह बस हरदोई की तरफ से सामने से आ रही रोडवेज बस टकरा गई। वहीं पीछे से आ रहा ट्रक भी बसों में भिड़ गया। आमने सामने टक्कर से बसों के परखच्चे उड़ गए।
हादसा इतना भीषण था कि बसों के परखच्चे करीब 500 मीटर के दायरे में फैल गए । हादसे में रोड किनारे होटल पर बैठे लोग भी चपेट आ गए। टक्कर के बाद बसे व ट्रक आपस मे फंस गए। राहगीरो ने हादसे की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने जेसीबी व क्रेन बुलाकर फंसी बसों व ट्रक को अलग कर घायलों व मृतको को बाहर निकाला। करीब 3 घण्टे बचाव कार्य चला। पुलिस ने घायलों को इलाज़ के लिए ट्रामा सेंटर भेजा ।
मौके पर जेसीपी नवीन अरोरा व डीसीपी साउथ राइस अख्तर ,सुरेश चन्र्द रावत ,पहुँचे। डीसीपी साउथ के मुताबिक हादसे में छह लोग की मौत की सूचना की पुष्टि है। हादसे में करीब डेढ़ दर्जन लोगों के घायल होने की भी पुष्टि की वहीं मौके पर कैसर बाग बस डिपो के एआरएम गौरव वर्मा भी पहुँचे। गौरव वर्मा ने बताया कि मृतको में बसों के दोनो चालक भी शामिल है। वही ट्रक चालक हादसे में सुरक्षित बच गया।
एसीपी एसएम कासिम आबिदी ने इसकी पुष्टि की है। मृतकों में नितेश भारती, लकी सक्सेना, राजेंद्र सक्सेना, सरवाघार, हरीराम व एक महिला शामिल है। -
एजेंसीनई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी की वजह से वैश्विक पर्यटन उद्योग पूरी तरह 'ध्वस्त हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को कहा कि इस महामारी की वजह से पर्यटन उद्योग को इस साल के पहले पांच महीनों में 320 अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान हुआ है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग में 12 करोड़ नौकरियां खतरे में हैं।
गुतारेस ने वीडियो संबोधन में कहा कि पर्यटन वैश्विक अर्थव्यवस्था का ईंधन और रसायन के बाद तीसरा सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र है। 2019 में वैश्विक व्यापार में इसका हिस्सा सात प्रतिशत रहा था। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि पृथ्वी पर प्रत्येक 10 में से एक व्यक्ति को इस क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सिर्फ अर्थव्यवस्थाओं को आगे बढ़ने में ही मदद नहीं करता, बल्कि इसके जरिये लोगों को दुनिया की संस्कृति को जानने तथा प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद उठाने का अवसर भी मिलता है। इसके जरिये लोगों को एक-दूसरे को जानने का मौका मिलता है। गुतारेस ने कहा कि 2020 के पहले पांच महीनों में महामारी की वजह से अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की आवाजाही 50 प्रतिशत से भी अधिक घट गई है। क्षेत्र की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है।
गुतारेस ने कहा कि यह अमीर विकसित देशों के लिए एक 'बड़ा झटका है, लेकिन विकासशील देशों लिए तो 'आपात स्थिति है। इनमें कई छोटे द्वीपीय विकासशील देश और अफ्रीकी देश शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कुछ देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पर्यटन क्षेत्र का हिस्सा 20 प्रतिशत से अधिक है।