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 किसानों के समर्थन में राष्ट्रपति से मिले राहुल, कहा- संसद सत्र बुलाकर कृषि कानूनों को वापस ले सरकार
नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध जारी। इस बीच कांग्रेस ने सरकार को इस मुद्दे पर घेरने की योजना बनाई है। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और अधीर रंजन चौधरी ने कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की।
 
उन्हें कानूनों के खिलाफ दो करोड़ हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपा। इस मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने सरकार से संसद का संयुक्त सत्र बुलाकर नए कानूनों को वापस लेने की बात कही।

इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा व रणदीप सुरजेवाला समेत 64 कांग्रेसी नेताओं को गुरुवार सुबह हिरासत में ले लिया गया। सभी को कुछ घंटे तक मंदिर मार्ग थाने में रखकर बाद में छोड़ दिया गया। बता दें कि मार्च के लिए दिल्ली पुलिस ने इजाजत नहीं दी थी और राष्ट्रपति से तीन नेताओं को मिलने की अनुमति मिली थी।

इसके बाद भी राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस नेता कृषि कानूनों के खिलाफ राष्ट्रपति को दो करोड़ हस्ताक्षर का ज्ञापन सौंपने जा रहे थे। कांग्रेस नेताओं के हिरासत में लिए जाने पर राहुल गांधी ने कहा कि भारत में लोकतंत्र नहीं बचा है। यह आपकी कल्पना में हो सकता है, लेकिन वास्तविकता में नहीं है।

विपक्षी दल किसानों और मजदूरों के साथ

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मिलने के बाद राहुल गांधी ने कहा, ' मैंने राष्ट्रपति से कहा कि ये कृषि कानून किसान विरोधी हैं। देश ने देखा है कि किसान इन कानूनों के खिलाफ खड़े हुए हैं। मैं पीएम को बताना चाहता हूं कि ये किसान तब तक घर वापस नहीं जाने वाले हैं, जब तक इन कृषि कानूनों को रद नहीं किया जाता।

सरकार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाना चाहिए और इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। विपक्षी दल किसानों और मजदूरों के साथ खड़े हैं। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी पूंजीपतियों के लिए पैसे बना रहे हैं। किसान हो, मजदूर हो या मोहन भागवत ही क्यों ना हों, जो भी उनके खिलाफ खड़ा होने की कोशिश करेगा, उसे आतंकी कहा जाएगा। 

किसान हटेगा नहीं- राहुल

इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, 'मैं एडवांस में चीज बोल देता हूं, मैंने कोरोना के बारे में बोला था कि नुकसान होने जा रहा है। उस समय किसी ने बात नहीं सुनी। आज मैं फिर से बोल रहा हूं किसान, मजदूर के सामने कोई भी शक्ति खड़ी नहीं हो सकती। मैं प्रधानमंत्री से कहना चाहता हूं कि किसान हटेगा नहीं, प्रधानमंत्री को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान, मजदूर घर चले जाएंगे।'

चीन ने भारत की हजारों किलोमीटर जमीन छीन ली- राहुल

राहुल ने यह भी कहा, ' चीन ने भारत की हजारों किलोमीटर जमीन छीन ली है, प्रधनमंत्री उसके बारे में कुछ क्यों नहीं कहते? आप सिस्टम को तोड़ रहे हैं, किसान,मजदूर को मार रहे हैं और बाहर से ताकतें देख रही हैं और कह रही हैं कि नरेंद्र मोदी हिंदुस्तान को कमजोर कर रहे हैं, हमारे लिए अच्छे अवसर बनने जा रहे हैं।' उन्होंने आगे आरोप लगाया कि केवल तीन-चार लोग सिस्टम चला रहे हैं और कहा कि पार्टी इससे लड़ रही है। 

किसानों की शिकायत सुनना और निवारण करना सरकार की जिम्मेदारी- प्रियंका

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि यह सरकार काफी अभिमानी है। वह केवल अपनी राजनीति कर रही है और किसानों और जवानों का सम्मान नहीं करती है। किसानों का सम्मान करने की जरूरत है, उन्हें देश विरोधी बताना अपराध है। किसानों की शिकायत सुनना और उनकी शिकायतों का निवारण करना सरकार की जिम्मेदारी है।

राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने की अनुमति नहीं मिली

दिल्ली पुलिस के एडिशनल डीसीपी दीपक यादव ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि कांग्रेस नेताओं के राष्ट्रपति भवन तक मार्च करने की अनुमति नहीं दी गई है। हालांकि, तीन नेताओं को राष्ट्रपति भवन जाने की अनुमति दी गई है। किसान संगठन केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 29 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठे हैं। पिछले महीने 26 नवंबर से ही उनका प्रदर्शन जारी है। 

राष्ट्रपति से पहले भी मिल चुके हैं राहुल

कांग्रेस के सांसद के सुरेश ने समाचार एजेंसी एएनआइ के साथ बातचीत में कहा कि राहुल गांधी ने पहले भी विपक्षी नेताओं के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात की थी और किसानों के मुद्दे को हल करने के लिए ज्ञापन सौंपा था, लेकिन राष्ट्रपति और सरकार की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सरकार और किसानों के बीच कई दौर की बातचीत

बता दें कि गतिरोध को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार ने रविवार को किसान नेताओं को नए दौर की बातचीत के लिए आमंत्रित किया। नए कृषि कानूनों के लेकर सरकार ने किसानों के साथ अब तक कई दौर की बातचीत की है। आठ दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसान यूनियनों के 13 प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। हालांकि, एक दिन बाद, किसान नेताओं ने केंद्र द्वारा भेजे गए एक प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था।
 

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