सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- सीबीआई जांच के लिए राज्य की सहमति होना जरूरी
एजेंसी
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि सीबीआई को किसी राज्य में जांच के लिए वहां की सरकार से इजाजत लेना जरूरी होगा। संविधान के संघीय चरित्र के तहत के प्रावधान है, ऐसे में सीबीआई को राज्य की सहमति लेनी ही चाहिए। अदालत ने कहा है कि केंद्र अपना अधिकार क्षेत्र नहीं बढ़ा सकता है।
बीते दो साल में आठ राज्यों की सरकारों ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को राज्य में जांच करने के लिए दी गई आम सहमति को वापस ले लिया है। इसको लेकर राज्यों और केंद्र में एक टकराव की स्थिति दिखी है।
इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला काफी अहम है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने ये उत्तर प्रदेश में फर्टिको मार्केटिंग एंड इनवेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ सीबीआई की ओर से दर्ज मामले में ये फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (डीएसपीई) में कहा गया है कि शक्तियों और अधिकार क्षेत्र के लिए सीबीआई को किसी भी मामले की जांच से पहले संबंधित राज्य सरकार से सहमति की आवश्यकता जरूरी है।
डीएसपीई अधिनियम की धारा 5 केंद्र सरकार को केंद्र शासित प्रदेशों से परे सीबीआई की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने में सक्षम बनाती है लेकिन अधिनियम की धारा 6 के तहत राज्य संबंधित क्षेत्र के भीतर इस तरह के विस्तार के लिए अपनी सहमति नहीं देता है, तब तक यह स्वीकार्य नहीं है। यह प्रावधान संविधान की संविधान की बुनियादी संरचनाओं में से एक है।
आंध्र प्रदेश सरकार ने नवंबर, 2018 को केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के बिना अनुमति राज्य में जांच के लिए आने पर रोक लगाई थी, तब चंद्रबाबू नायडू वहां मुख्यमंत्री थे। नवंबर 2018 में ही पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सरकार ने भी सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली थी।
इसके बाद राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और केरल ने सीबीआई को जांच के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ली। इसी महीने पंजाब और झारखंड ने भी सीबीआई की बिना इजाजत एंट्री पर रोक लगा दी है।
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