योशिहिदे सुगा चुने गए जापान के नए प्रधानमंत्री...
टोक्यो : जापान की सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) ने चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी 71 वर्षीय योशिहिदे सुगा को अपना नया प्रधानमंत्री चुन लिया है। अब वह पूर्व पीएम शिंजो आबे की जगह लेंगे। बुधवार को ही आबे ने अपने पद से इस्तीफा दिया है। पिछले दिनों एलडीपी ने कैबिनेट के चीफ सेक्रेटरी सुगा को अपना नेता चुना था। सुगा को 534 में से 377 वोट्स मिले थे। आपको बता दें कि पूर्व पीएम आबे के नाम सबसे लंबे समय तक जापान का पीएम रहने का रिकॉर्ड है। वह सात साल और आठ माह तक पीएम के पद पर रहे हैं। कोलाईटिस बीमारी के चलते उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था।
शिंजो आबे के करीबी सुगा नए पीएम सुगा का मुकाबला पूर्व रक्षा मंत्री शिगेरु इशिबा और एलडीपी के नीति मुखिया फ्यूमियो किशिदा से था। लेकिन दोनों ही उनसे पीछे चल रहे हैं। एलडीपी को जापान की संसद में बहुमत हासिल है। ऐसे में उनका पीएम के तौर पर चुना जाना तय माना जा रहा था। योशिहिदे सुगा, आबे के भरोसेमंद साथी हैं। सुगा की पहचान एक ऐसे नेता के तौर पर है जिनका कद पिछले कुछ दिनों में रहस्मय तरीके से सरकार में बढ़ा। वह आबे सरकार में एक अहम सलाहकार के तौर पर उभरे, सरकार के प्रवक्ता बने और नीतियों को आगे बढ़ाने वाले नेता के तौर पर माने गए। सुगा अब तक कई अहम राजनीतिक किरदारों में नजर आ चुके हैं। लेकिन बतौर चीफ कैबिनेट सेक्रेटरी उनके कार्यकाल को सबसे सफल माना जाता है।
वह आबे सरकार का एक प्रभावी चेहरा रहे हैं और कोविड-19 के समय में उन्हें बतौर प्रवक्ता सरकार के कई फैसले का बचाव रूटीन प्रेस कॉन्फ्रेंस में करते हुए देखा गया था। कोविड से जूझती अर्थव्यवस्था चुनौती उत्तरी जापान के अकिता के रहने वाले सुगा के पिता एक किसान थे और स्ट्रॉबेरी की खेती करते थे। सुगा का बचपन उत्तरी जापान के अकिता क्षेत्र में बीता है। एलडीपी का नेता चुने जाने पर उन्होंने कहा था, 'मैं अपने बैकग्राउंड के साथ एलडीपी पार्टी का नेता बना और इस दौरान हर इतिहास और परंपरा को देखा। मैं खुद को जापान और यहां के लोगों के लिए समर्पित करता हूं।' सुगा पर सबसे बड़ी चुनौती 'आबेनॉमिक्स' जो कि पीएम शिंजो आबे की आर्थिक रणनीति है उसे जारी रखना है। सुगा ने कहा है कि वह इसे ही आगे बढ़ाने वाले हैं। साथ ही कोरोना वायरस से पैदा हुई समस्या के लिए जो नीति शिंजो आबे ने तय की थी, सुगा उसे जारी रखेंगे और अर्थव्यवस्था में तेजी लाने की कोशिशें करेंगे। इंडस्ट्री में सुधार करना उनकी सबसे बड़ी चुनौती होगा क्योंकि पिछले दिनों हुए एक पोल के मुताबिक जापान के उत्पादक कोविड-19 की वजह से खासी निराशा में डूबे हैं। ऐसे में अब उनकी नजरें अपने नए नेता पर हैं।
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