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 LAC में बढ़ता जा रहा है तनाव, चीन से बातचीत से बनती नहीं दिख रही बात...
एजेंसी 
नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच लद्दाख से जुड़ी एलएसी पर तनाव बढ़ता जा रहा है। चीन की तरफ से सीमा पर बढ़ते आक्रामक रवैये की वजह से भारत को भी यहां अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ानी पड़ी है। हालांकि, जैसे-जैसे तनाव बढ़ रहा है, सरकार भी अब यह मान चुकी है कि इसे जल्दी नहीं सुलझाया जा सकता। एक वरिष्ठ सरकारी अफसर के मुताबिक, सशस्त्र बलों को स्थिति से निपटने के लिए खुली छूट दी गई है। इसलिए चीन के साथ लगी 3488 किमी सीमा पर कई जगह सैन्य उपकरण और जरूरत के अहम सामान भी पहुंचा दिए गए हैं।

अफसर ने बताया कि सेना को आगे आने वाली किसी भी चुनौती के लिए जरूरी सामान भी भेज दिया गया है। गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच अब तक तनाव सुलझाने के लिए बीजिंग में राजनयिक स्तर और लद्दाख में सैन्य स्तर की बातचीत हो चुकी है। इसके बावजूद चीन अब तक स्टेटस क्वो यानी अप्रैल जैसी सीमा की स्थिति पर लौटने के लिए तैयार नहीं हुआ है।

अफसर ने कहा कि भारतीय सेना अब लंबे स्टैंड-ऑफ के लिए तैयार है। सरकार के पास क्षेत्रीय अखंडता के साथ समझौता करने का कोई विकल्प ही नहीं है। दोनों देशों के बीच मामला उलझा हुआ है, क्योंकि चीन का रवैया जिद से भरा है। इसे समझना भी काफी मुश्किल है, क्योंकि वह लगातार ‘ये हमारा क्षेत्र है’ जैसे वाक्यों में ही फंसा है। हालांकि, दोनों पक्षों ने आगे भी बातचीत जारी रखने की बात की है, जो कि अपने आप में अच्छी चीज है।

चीन की ओर से सीमा पर भारी सैन्य तैनाती पर सरकार में भी अचानक ही मामला बढ़ने की बात मानी जाने लगी है। हालांकि, अफसर का कहना है कि यह एक-दूसरे पर उंगली उठाने का समय नहीं है। इस समय पिछले दो महीने में हुई घटनाओं की समीक्षा और चीजों को दोबारा नियंत्रण में लाने की जरूरत है। एक दिन पहले ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी रूस के तीन दिनों के दौरे से लौटे और उन्होंने लद्दाख पर सीधे आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे के साथ जमीन के हालात जाने। 22 जून को दोनों सेनाओं के कोर कमांडर के बीच हुई बैठक के बाद यह रक्षा मंत्री और आर्मी चीफ की पहली मुलाकात थी।
 

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