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 'बिहार रेजीमेंट' की तारीफ कर पीएम मोदी "जाति और क्षेत्रीय कार्ड" खेल रहे हैं
नई दिल्ली। शिवसेना ने शुक्रवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री पर हमला किया। शिवसेना ने कहा कि पीएम मोदी आगामी बिहार विधानसभा चुनावों के लिए गलवान घाटी संघर्ष में शहीद हुए भारतीय सेना जवानों की वीरता का इस्तेमाल कर रहे हैं। मुखपत्र सामना के माध्यम से शिवसेना ने आरोप लगाया कि पीएम एक विशेष सेना रेजीमेंट की भूमिका को हाइलाइट्स करके "जाति और क्षेत्रीय कार्ड" खेल रहे हैं। गलवान वैली में पूरे देश की फौज है। जो शहीद होते हैं, वे देश के जवान होते है। राष्ट्र की आत्मा होते हैं।

शुक्रवार की संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा नेता गोपीचंद पाडलकर के राकांपा प्रमुख शरद पवार के लिए कहे अपशब्दों को आधार बनाते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा है। पार्टी ने सामना में लिखा है, 'बिहार में चुनाव है इसलिए सेना में जात और प्रांत का महत्व बताया जा रहा है। पत्र ने लिखा कि, प्रधानमंत्री मोदी भी इस राजनीति में कुशल हो गए हैं। कल प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘बिहार रेजिमेंट' ने लद्दाख की गलवान घाटी में बहादुरी दिखाई। तो महारों, मराठों, राजपूतों, सिखों, गोरखाओं, डोगरा रेजिमेंट सीमा पर तंबाकू मलते बैठे थे क्या?

पत्र ने लिखा कि, महाराष्ट्र के वीरपुत्र सुनील काले कल पुलवामा में शहीद हो गए। लेकिन बिहार में चुनाव होने के कारण ही सेना में ‘जाति' और ‘प्रांत' का महत्व बताया जा रहा है। इस तरह की राजनीति कोरोना से भी बदतर है! महाराष्ट्र में विपक्ष इस खुजली को खुजलाने का काम कर रहा है। इसलिए भाजपा पर गांव-गांव में जूते खाने की नौबत आ गई है। पता नहीं ये कब सुधरेंगे?

सामना के संपादक संजय राउत ने कहा कि, बिहार रेजिमेंट की तारीफ किए जाने पर कटाक्ष करते हुए संजय राउत ने कहा कि सेना की कोई भी रेजिमेंट बस रेजिमेंट होती है। हर रेजिमेंट रेजिमेंट की अपनी परंपरा और गाथा है। सभी रेजिमेंट देश की होती है। किसी प्राांत, राज्य या किसी धर्म की नहीं होती है। उन्होंने कहा कि राजपूताना रेजिमेट, सिख रेजिमेंट है, महार, बिहार, गोरखा और डोगरा रेजिमेंट है.. यह परंपरा के नाते रेजिमेंट का नाम होता है। सिर्फ एक रेजिमेंट का नाम लेना। एक राय का नाम लेना, यह राष्ट्रीय अखंडता और एकात्म के लिए ठीक नहीं है।

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