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 तमिलनाडु में बाल सुधार गृह में मिले 35 कोरोना संक्रमित बच्चे, SC ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
नई दिल्ली। देश में कोरोना मामलों की रफ्तार पर ब्रेक लगता नहीं दिखाई दे रहा है, एक रिपोर्ट के मुताबिक अब कोविड-19 का सामाजिक फैलाव शुरू हो चुका है। इसी बीच तमिलनाडु के बाल सुधार गृह में 35 बच्चें करोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद से हंगामा मचा हुआ है। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है। न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि बच्चों में सक्रमण को रोकने के लिए क्या उपाए किए गए हैं।

जस्टिस एल नागेश्वर राव, कृष्ण मुरारी और एस रवींद्र भट की पीठ ने गुरुवार को आश्रय गृहों में बच्चों के कोरोना संक्रमित होने के मामले पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने अब अलग-अलग राज्य सरकारों से आश्रय गृहों में रहने बच्चों की सुरक्षा और कोरोना से बचाव पर किए जा रहे इंतजाम की रिपोर्ट मांगी है, इस संबंध में 3 अप्रैल के आदेश का अनुपालन भी किया। सुप्रीम कोर्ट ने अब अगली सुनवाई के लिए सोमवार का दिन निश्चित किया है।

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि हाई कोर्ट की किशोर न्याय समितियों की जिम्मेदारी होगी कि वह राज्य सरकारों के बीच एक प्रश्वावली प्रसारित करें। इसके अलावा आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चों की कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए किए गए इंतजामों पर अपनी प्रतिक्रिया एकत्र करें। बता दें कि तमिलनाडु के रॉयपुरम इलाके में राज्य सरकार द्वारा संचालित एक आश्रय गृह में 35 से अधिक बच्चों में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। इसके अलावा वहां के पांच कर्मचारी भी कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए गए हैं।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने बुधवार को राज्य में कोरोना स्थिति पर बात करते हुए कहा, तमिलनाडु में अब तक कोई सामाजिक फैलाव नहीं है। राज्य के कई जिलों में कोरोना वायरस पर काबू पा लिया गया है। चूंकि चेन्नई में घनी आबादी है इसलिए वहां, वायरस का प्रसार अधिक है। सीएम ने आगे कहा कि हम कोरोना वायरस से होने वाली मौत को नहीं छिपाते, अगर हम ऐसा करते हैं तो भी हमें इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला।

 

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