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 राजा मान सिंह की हत्‍या के दोषी करार पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास
नई दिल्ली : राजा मान सिंह हत्याकांड में आठ बार फाइनल बहस हो गई थी और 19 जज भी बदल चुके थे। राजा के खिलाफ मंच और हेलीकॉप्टर तोड़ने के मामले में सीबीआइ ने एफआर लगा दी थी। 17 सौ से अधिक तारीखें भी मुकदमें पड़ी, जबकि अनुमान के मुताबिक, मुकदमे में आराेपित बनाए गए 18 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में 15 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च भी हुआ। 35 साल बाद इस बहुचर्चित मामले में हत्‍या के दोषी करार हुए पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। राजपरिवार की तरफ से विजय सिंह, गिरेंद्र कौर, कृष्णेंद्र कौर दीपा, दुष्यंत सिंह, गौरी सिंह, दीपराज सिंह कोर्ट में मौजूद रहे। साथ ही राजस्‍थान सरकार मुठभेड़़ में मारे गए लोगों के परिजनों को 30-30 हजार और घायलों के परिजनों को दो-दो हजार का मुआवजा देगी। 

राजा मान सिंह हत्याकांड की सुनवाई जयपुर कोर्ट और उसके बाद जिला सत्र एवं न्यायाधीश की अदालत में हुई थी। करीब 35 साल तक चले इस मुकदमे को लेकर वादी पक्ष के अधिवक्ता नारायण सिंह विप्लवी ने बताया कि मामले में राजा मान सिंह के खिलाफ मंच और हेलीकॉप्टर तोड़ने के मामले में सीबीआइ ने अपनी जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट भी लगा दी थी। राजा मानसिंह के समर्थक बाबूलाल से पुलिस ने जो तमंचा बरामद दिखाया था, उसमें भी फाइलन रिपोर्ट लग गई थी। एसएचओ वीरेंद्र सिंह के बाद इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर कान सिंह सिरबी ने की। इसके बाद मामला सीबीआइ को स्थानांतरित हो गया। सीबीआइ ने सिरबी समेत तीन पुलिसकर्मियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने का आरोप पत्र दाखिल किया था। लेकिन सीबीआइ अदालत में ये साबित नहीं कर सकी। ऐस में सिरबी समेत तीन पुलिसकर्मी दोषमुक्त हो गए। इधर, इस मामले में आठ बार फाइनल बहस को गई थी, लेकिन हर बार जज बदल गए। अब तक इस मामले में 19 जज बदल चुके हैं। जबकि 20वें जज ने इस पर अपना फैसला सुनाया है। 17 सौ से अधिक तारीखें भी पड़ीं। करीब आठ महीने तक हर 15 दिन में चार दिन लगातार इसी मुकदमे में बहस भी हुई। तब जाकर यह निर्णय आया है। अधिवक्ता के मुताबिक, राजस्थान से अभियुक्त और दोष मुक्त ठहराए गए लोगों को यहां तक लाने में अनुमान के मुताबिक पंद्रह करोड़ रुपये सुरक्षा पर खर्च हो हुए हैं।

मैं चश्मदीद गवाह हूं

मैं घटना का चश्मदीद गवाह हूं। घटना के समय में राजा साहब के साथ गाड़ी में था। मैं अकेला बचा हूं। मैने ही इस घटना की रिपोर्ट कराई थी। मैं वादी हूं और आज तक मुकदमें की पैरवी करता रहा हूं। हमको भरोसा था कि एक न एक दिन राजा साहब का न्याय मिलेगा और आज वह मिल गया है। मैं राजा साहब का छोटा दामाद हूं और अदालत के इस फैसले से बहुत खुश हूं।

भरतपुर की जनता मनाएगी खुशी

मैं राजा साहब की सबसे छोटी बेटी कृष्णेंद्र कौर दीप हूं। हमने न्याय के लिए 35 साल तक संघर्ष किया। हमे देर से न्याय मिला है, लेकिन हम इस अदालत के फैसले से खुश है। भरतपुर की जनता भी इस फैसले से खुशी मनाएंगी। आज वह सभी इस फैसले खुश होंगे, जो राजा मानसिंह से लगाव रखते हैं। कहते हैं कि देर हैं पर अंधेर नहीं हैं।

इनको हुई सजा :

तत्कालीन सीओ डीग कान सिंह भाटी निवासी हड्डा हाउस, एनवर्सर बीकानेर

तत्कालीन एसएचओ डीग वीरेंद्र सिंह निवासी बहरोर जाट थाना मंडावर अलवर

तत्कालीन कांस्टेबल सुखराम निवासी भूडा दरवाजा थाना डीग, भरतपुर।

तत्कालीन हैड कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन जीवनराम निवासी गांव बरानेकुर्द भोपालगढ़ जोधपुर

तत्कालीन हैड कांस्टेबल आरएसी बी कंपनी छठवीं बटालियन भंवर सिंह निवासी गांव चांदनी थाना शंकरा जोधपुर

तत्कालीन कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन हरी सिंह निवासी ग्राम धीरा थाना ढांचू जोधपुर

तत्कालीन कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन शेर सिंह निवासी गांव निम्बारा थाना सुरणलिया नागौर

तत्कालीन कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन छत्तर सिंह निवासी गांव कटूकाला थाना शेरगढ़ जोधपुर

तत्कालीन कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन पदमाराम निवासी सुखमंडला थाना देवू जोधपुर

तत्कालीन कांस्टेबल आरएसी ई कंपनी छठवीं बटालियन जगमोहन निवासी गांव खाकावाली थाना नगर भरतपुर

इंस्पेक्टर/ सेकंड एसपी ऑफिस रवि शेखर मिश्रा निवासी 44 संजय कॉलोनी मेहरू नगर जयपुर

ये हुए दोषमुक्त :

क्राइम असिस्टेंट संबद्ध इंस्पेक्टर एसपी कार्यालय कान सिंह सिरबी निवासी गांव व थाना बिलाड़ा, जोधपुर

तत्कालीन हेडकांस्टेबल पुलिस लाइन हरी किशन निवासी सवला का नगला थाना बयाना भरतपुर

थाना डीग के तत्कालीन कांस्टेबल गोविंद प्रसाद निवासी गांव नटोज थाना खेड़ली अलवर

इनका हो गया निधन :

तत्कालीन एएसआइ थाना डीग सीताराम निवासी गोपालगढ़ भरतपुर

तत्कालीन कांस्टेबल थाना डीग नेकीराम निवासी गांव व थाना कामा भरतपुर

तत्कालीन कांस्टेबल थाना डीग कुलदीप सिह निवासी पूरमा थाना योहोन भरतपुर

ये पहले हुए बरी :

तत्कालीन कांस्टेबल व वाहन चालक महेंद्र सिंह निवासी खरेरा थाना बयाना भरतपुर
 

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