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प्रवासियों के मनोदशा को पहचानें, करें सहयोग

 - लॉकडाउन में आश्रयगृहों में रह रहे प्रवासी मजदूरों की भावनाओं को समझने की जरूरत 

रायपुर.4 अप्रैल 2020। कोरोनावायरस (कोविड-19) के संक्रमण की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन हैं। ऐसे समय में सबसे ज्यादा परेशानी दैनिक मजदूरों या श्रमिकों को सहनी पड़ रही है । अपने मूल स्थान की ओर पलायन करते समय बहुत से श्रमिकों या मजदूरों को इस वक्त अस्थाई रूप से विभिन्न आश्रयगृहों में रहना पड़ रहा है। इससे वे स्थानीय समुदाय द्वारा उपेक्षा के डर, अपने मूल स्थानों में इंतजार कर रहे परिवारों की भलाई और सुरक्षा की चिंताओं से उत्तपन्न होने वाले विभिन्न सामाजिक, मानसिक एवं भावात्मक परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। ऐसे में उनकी भावनाओं और परेशानियों को पहचानकर उन्हें सहयोग देने की आवश्यकता है।
बेहतर अवसरों और कमाई की तलाश में ये प्रवासी श्रमिक अपने मूल स्थानों को छोड़ने के लिए और कभी कभी अपने परिवारों को छोड़ने को मजबूर हो जाते हैं।  कई परिवार तो आंशिक या पूर्ण रूप से प्रवासी व्यक्ति द्वारा भेजे गए पैसों पर ही निर्भर रहते हैं। वर्तमान में कोविड-19 के संचार को रोकने और सामाजिक दूरी बनाने के लिए इन मजदूरों के नियमित कार्यों पर प्रतिबंध लग गया है।  ऐसे हालात में बहुत से प्रवासी श्रमिक हर संभव साधन द्वारा अपने गंतव्य तक जाने के लिए निकल चुके हैं लेकिन उसमें बहुत से लोग राज्य, जिले या देश की सीमा में फंस गए हैं। 
श्रमिकों की मुख्य चिंताएं - स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार ऐसे प्रवासी मजदूरों या श्रमिकों के सामने सबसे बड़ी चिंता भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य देखभाल, संक्रमित होने का डर या संक्रमण फैलने, मजदूरी का नुकसान, परिवार की सुरक्षा और भय है। कभी-कभी, उन्हें स्थानीय समुदाय के उत्पीड़न और नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का भी सामना करना भी पड़ रहा है। 
सामाजिक संरक्षण जरूरी - कोविड-19 के संक्रमण से बचने के लिए एक स्थान पर इन प्रवासी मजदूरों को ठहराया गया है। जिसमें उन्हें सामुदायिक आश्रय और सामुदायिक रसोई , राहत सामग्री उपलब्ध कराकर , सामाजिक दूरी की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। संक्रमण के संदिग्ध मामलों की पहचान कर ऐसे मामलों के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल का पालन भी कराया जा रहा है। साथ ही उन्हें टेलीफोन, वीडियो कॉल के माध्यम से उनके परिवारिक सदस्यों की कुशलता जानने का मौका देकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना भी जरूरी है।
दें उन्हें सहानुभूति और अपनापन - मंत्रालय के अनुसार इन लोगों के साथ धीरज और सहानुभूति से पेश आने की जरूरत है। इसके लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाया जा सकता है:
1.सभी प्रवासी श्रमिकों या मजदूरों से सम्मानपूर्वक, सहानुभूतिपूर्ण और प्रेमवत व्यवहार करें । 
2. उनकी चिंताओं को धैर्य से सुनें और उनकी समस्याओं को समझें । 
3. हर व्यक्ति  और परिवार की विशेष और विभिन्न आवश्यकताओं को पहचानें क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति या परिवार की जरूरत एक समान नहीं होती ।
4. अस्थाई आश्रयगृहों में प्रवास के दौरान रखे गए श्रमिकों को यह समझाएं उनकी और उनके अपनों की भलाई के लिए ऐसा किया गया है, ताकि कोरोनावायरस को हराया जा सके। वे लोग अकेले नहीं हैं एवं पूरा देश उनके साथ खड़ा है।
5. उन्हें यह समझने में  मदद करें यह अनिश्चितता की असामान्य स्थिति है और उन्हें आश्वस्त करें यह स्थिति क्षणिक है और लंबे समय तक चलने वाली नहीं है। उनका सामान्य जीवन जल्द ही बहाल हो जाएगा।
6. उन्हें मदद के संभावित स्रोतों जैसे -केंद्र सरकार, राज्य सरकारों / गैर सरकारी संगठनों / स्वास्थ्य विभाग द्वारा दी जाने वाली सहायता के बारे में जानकारी दें।  
7. उन्हें एहसास कराएं कि परिवार को सुरक्षित रखने के लिए इस वक्त उनसे दूर रहना ही बेहतर है। 
8. उनके प्रति दया दिखाए बगैर उनका सहयोग मांगे ताकि मिलकर इस परिस्थिति से  उबर सकें।
 
 

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