गौमूत्र से बने जैविक कीटनाशक की बढ़ रही है लगातार मांग
द न्यूज़ इंडिया समाचार सेवा
गोधन न्याय योजना बना आर्थिक सशक्तिकरण का माडल, मिल रहा दोहरा लाभ
रायपुर : गोधन न्याय योजना आर्थिक स्वालंबन का मॉडल बनकर उभरा है। ग्रामीणों, स्वसहायता समूहों, पशुपालकों एवं विशेषकर महिलाओं को रोजगार देने के साथ ही यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान कर रहा है। इस योजना के तहत खरीदी की जा रही गोबर और गोमू़त्र से बन रहे वर्मीकम्पोष्ट एवं जैव कीटनाशक से किसान जैविक खेती की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहे हैं। गौठानों के माध्यम से फरवरी माह तक 107.75 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की जा चुकी है। जिसके एवज में 215.50 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। वहीं अब गौठानों में गोमूत्र की खरीदी से स्व-सहायता समूहों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है। कवर्धा जिले के ग्राम बिरकोना और बीरेंद्रनगर गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोमूत्र की खरीदी कर ब्रम्हास्त्र जैव कीटनाशक का निर्माण कर रही है। ग्राम बीरकोना गौठान की संगम स्व-सहायता समूह की सचिव श्रीमती त्रिवेणी देवी अंनत ने बताया की उनके समूह द्वारा 2400 लीटर गोमूत्र की खरीदी की जा चुकी है। 600 लीटर ब्रम्हास्त्र जैव कीटनाशक का विक्रय भी किया जा चुका है। 600 लीटर का आर्डर मिला हुआ है, जिसे तैयार कर लिया गया है।