RTI से खुलासा, SC, ST, OBC छात्रों के हॉस्टल पर नौ महीने में 10% रकम भी मोदी सरकार ने नहीं की खर्च !
नई दिल्ली : मोदी सरकार के मंत्रालयों और उसके विभिन्न विभाग बजट आवंटन का 75 प्रतिशत खर्च करने के अपने लक्ष्य तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इन मंत्रालयों की कई योजनाओं में खर्च की हालत बेहद खराब है। इन योजनाओं के लाभार्थी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिला, अल्पसंख्यक और दिव्यांग शामिल हैं। जनसत्ता की खबर के अनुसार नौ महीनों में इनके कल्याण से जुड़ी योजनाओं के लिए बजट में जितना आवंटन हुआ है, उस पैसे का काफी कम हिस्सा खर्च किया गया है। मोदी सरकार एससी, एसटी, ओबीसी छात्रों की छात्रवृत्ति, कोचिंग, हॉस्टल पर आवंटन का काफी कम पैसा ही खर्च कर सकी। नौ महीने में हॉस्टल पर 10 फीसदी से भी कम रकम ही खर्च हुई है। आरटीआई से ये आंकड़े सामने आए हैं।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक के बाद छात्रवृति के लिए 2,926 करोड़ रुपये आवंटित किए थे लेकिन खर्च सिर्फ 1,731.31 करोड़ रुपये हुए। सिर्फ 59.15 प्रतिशत। अनुसूचित जाति और ओबीसी छात्रों को मुफ्त कोचिंग सुविधा के लिए 30 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया था लेकिन 3 जनवरी तक सिर्फ 6.9 करोड़ (23 प्रतिशत) रुपये खर्च किए गए थे।
बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना के लिए 107.76 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया था लेकिन खर्च सिर्फ 7.6 करोड़ (7.05 प्रतिशत) रुपये किए गए। ओबीसी छात्रों को मैट्रिक से पहले छात्रवृति के लिए 220 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था लेकिन मंत्रालय सिर्फ 122.53 करोड़ रुपये (55.69 प्रतिशत) ही खर्च कर पाया। इसी तरह से अनुसूचित जाति के छात्रों को मैट्रिक से पहले छात्रवृति के लिए 355 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था लेकिन खर्च मात्र 182.67 करोड़ रुपये (51.45 प्रतिशत) किए गए।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय में दिव्यांगों के कल्याण के लिए कई योजनाएं हैं। इन योजनाओं के लिए ठीक-ठाक बजट का भी आवंटन किया गया लेकिन मंत्रालय इन पैसों को पूरा खर्च नहीं कर पायी। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय दिव्यांग वित्त विकास निगम के लिए कुल 41.21 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया लेकिन सात जनवरी तक वास्तविक खर्च शून्य था। इसी तरह सेंटर फॉर डिसएबिलिटी स्पोर्ट्स की स्थापना के लिए 17 करोड़ रुपये की आवंटित राशि में से एक रुपया भी सात जनवरी तक खर्च नहीं किया गया था। ब्रेल प्रेस के लिए भी 8 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन कुछ भी खर्च नहीं किया गया।
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