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टूट रही भारत और चीन के बीच की दीवार! चीनी सामान से हटेंगी बंदिशें, क्या है सरकार की तैयारी ?

 India China Trade : भारत और चीन के बीच ट्रेड को लेकर रिश्ते सुधरते नजर आ रहे हैं। भारत और चीन के बीच रिश्ते सुधरने के संकेत मिल रहे हैं और व्यापार की दीवार टूटती नजर आ रही है। इसी कड़ी में भारत सरकार अब चीन और दूसरे देशों से आने वाले इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स, जूते, रोजमर्रा के घरेलू सामान, स्टील और कच्चे माल जैसे सामानों के आयात से जुड़े लंबित प्रस्तावों को जल्द ही मंजूरी देने की तैयारी कर रही है।

यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि साल 2020 की शुरुआत में चीन के साथ सीमा पर हुई झड़पों के बाद भारत ने ऐसे आयात पर रोक लगा दी थी लेकिन अब जब रिश्ते बेहतर हो रहे हैं और हाल ही में GST में कटौती के बाद कई उपभोक्ताओं में वस्तुओं की मांग बढ़ी है। जिसके चलते सरकार ने यह कदम उठाने का फैसला किया है।

ओक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया के तहत चीन और अन्य देशों में बने सामानों को भारत में लाने के लिए वहां की कंपनियों को जरूरी सर्टिफिकेशन दिया जाएगा, जिससे निर्यात तेजी से हो सकेगा। पिछले हफ्ते उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने निर्माताओं से उन कंपनियों का विवरण मांगा है जहां विदेशी निर्माताओं के सर्टिफिकेशन स्कीम में देरी हो रही है।

स्थानीय मांग पूरी करने में मिलेगी मदद

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले इस विभाग ने सभी जरूरी जानकारी भी मांगी है। इसी तरह का एक संदेश उद्योग निकायों और संघों को भी भेजा गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘हम जल्द ही चीन सहित कई देशों के सप्लायर्स के लिए लाइसेंस जारी करना और उनका नवीनीकरण करना शुरू कर देंगे। हम इस प्रक्रिया को शुरू करेंगे और आवेदनों का मूल्यांकन हर मामले के आधार पर करेंगे।’केंद्र सरकार उद्योगों को सप्लाई बढ़ाने और त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग को पूरा करने में मदद करना चाहती है। 22 सितंबर से टैक्स में कमी का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए कंपनियों ने कीमतें कम कीं, जिसके बाद कारों और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कई उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में भारी उछाल आया। इस वजह से कई सामानों का स्टॉक खत्म हो गया। प्रीमियम कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे बड़े स्क्रीन वाले टीवी, डिशवॉशर, वॉशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर के लिए पहली बार ऐसा हो रहा है कि ग्राहकों को कई हफ्तों तक इंतजार करना पड़ रहा है।

भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से किसी भी निर्माण इकाई (चाहे वह भारत में हो या विदेश में) का अप्रूवल लेना जरूरी है। यह उन तैयार उत्पादों, उनके पुर्जों और कच्चे माल के लिए है जो क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) के तहत आते हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक सामान से लेकर जूते और यहां तक कि B2B (बिजनेस-टू-बिजनेस) प्रोडक्ट भी शामिल हैं।

BIS अप्रूवल अनिवार्य

सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के हिस्से के रूप में BIS के अधिकारियों की एक टीम विदेशी निर्माण इकाइयों का दौरा करती है। जहां स्थानीय फैक्ट्रियों के लिए अप्रूवल तुरंत मिल जाते थे, वहीं विदेशी प्लांट्स के लिए यह प्रक्रिया काफी धीमी थी। चीन में बने सामानों के लिए तो लगभग कोई अप्रूवल नहीं मिल रहा था, जिससे भारत में सप्लाई चेन बाधित हो रही थी।

व्यापार को लेकर बढ़ रही नजदीकी

 यह नया फैसला भारत-चीन व्यापार वार्ता में फिर से जुड़ाव का संकेत माना जा रहा है। इससे पहले चीन ने 6 महीने के अंतराल के बाद भारत को भारी दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक का निर्यात फिर से शुरू किया था। इस कदम से इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों के घरेलू निर्माताओं पर दबाव कम हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा और वहां चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद सीधी उड़ानें फिर से शुरू हो गई हैं और भारत ने चीनी व्यापार वीजा जारी करना भी शुरू कर दिया है।

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