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  पाकिस्तान के हिंदू और सिख संगठनों ने CAA को किया खारिज,कहा-लोगों को न लड़ाएं

पाकिस्तान के हिंदू और सिख संगठनों ने भारत के सिटिजन अमेंडमेंट कानून को खारिज कर दिया है. पाकिस्तान के एक हिंदू संगठन के संरक्षक ने कहा है कि उनके देश के हिंदुओं ने इस कानून को खारिज कर दिया है. यह कानून भारत को सांप्रदायिकता के आधार पर बांटना चाहता है. सिख और ईसाइयों ने भी इस कानून का विरोध किया है. पाकिस्तानी अखबार ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के मुताबिक पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के संरक्षक राजा असर मंगलानी ने कहा कि पाकिस्तान के हिंदू समुदाय ने एकमत से भारत के इस कानून को खारिज कर दिया है. पूरे पाकिस्तान के हिंदुओं का पीएम नरेंद्र मोदी को यही मैसेज है. एक सच्चा हिंदू कभी भी इस तरह के कानून का समर्थन नहीं करेगा.

दीन ने कहा कि इस कानून की कोई जरूरत नहीं थी. दरअसल मोदी सरकार अपने देश में अलग-अलग धर्मों के लोगों को आपस में ही भिड़ाना चाहती है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने का हवाला दिया और बाबरी मस्जिद फैसले का भी जिक्र किया.उन्होंने कहा कि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ती जा रही है. 

पाकिस्तान के सिख समुदाय ने भी सीएए की आलोचना की है. बाबा गुरुनानक संगठन के नेता गोपाल सिंह ने कहा है कि न सिर्फ पाकिस्तानी सिख बल्कि पूरी दुनिया के सिख सीएए के खिलाफ हैं और इसकी निंदा करते हैं. गोपाल सिंह ने कहा कि सिख समुदाय भारत और पाकिस्तान दोनों जगह अल्पसंख्यक हैं. एक अल्पसंख्यक होने के नाते मैं मुस्लिम अल्पसंख्यकों के दर्द को समझ सकता हूं. यह सीधे-सीधे प्रताड़ना है. गोपाल सिंह ने कहा कि वह अल्पसंख्यकों को ऐसे हालात की ओर न धकेले, जहां से उनकी वापसी मुश्किल हो जाए.

सिंह ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की कथित तौर पर घटती आबादी से जुड़े आंकड़ों पर एतराज जताया है. भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी थी. लेकिन अब यह घट कर 3.7 फीसदी पर आ गई है. उन्होंने कहा कि ये आंकड़े बिल्कुल गलत हैं

पाकिस्तान में 2017 में नई जनगणना हुई है. धर्म के आधार पर लोगों की गिनती का आंकड़ा अभी नहीं आया है. हालांकि पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के नेता मंगलानी का कहना है कि पाकिस्तान की 21 करोड़ आबादी में हिंदुओं की आबादी 4 फीसदी है. अस्सी फीसदी हिंदू सिंध में रहते हैं.

साभार : द क्विंट 
यह खबर मूल रूप से द क्विंट पर प्रकाशित हुआ है  

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