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  अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का फैसला : इटली के मरीन्स पर भारत को कार्रवाई का अधिकार नहीं
मीडिया रिपोर्ट 
 
केरल तट पर 8 साल पहले दो मछुआरों की जान लेने वाले इटली के मरीन सैनिकों पर भारत में कोई कार्रवाई नहीं होगी। न ही उन पर भारत में कोई केस चलाया जाएगा। हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय स्थाई मध्यस्थता कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। इसके मुताबिक, दोनों मरीन्स पर इटली में ही आपराधिक मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने कहा कि भारत मछुआरों की मौत के लिए मुआवजे का हकदार है और वह इसकी रकम के लिए इटली से बात कर सकता है।

कोर्ट ने 3:2 के करीबी अंतर से इटली के पक्ष में फैसला सुनाया। ट्रिब्यूनल ने कहा कि इटली के मरीन्स को समुद्र के कानून पर बने संयुक्त राष्ट्र के कन्वेंशन के तहत इम्युनिटी हासिल है। इटली ने भी घटना की जांच और मरीन्स के खिलाफ आपराधिक जांच आगे बढ़ाने की बात कही है। इसलिए भारत का इस मामले में कोई अधिकार-क्षेत्र नहीं है।

इटली के दो मरीन्स साल्वाटोर गिरोने और मासिमिलियानो लतोरे भारतीय तट क्षेत्र की तरफ से गुजरते एक तेल के टैंकर में सवार थे। दोनों का कहना है कि उन्होंने मछुआरों को समुद्री लुटेरा समझकर उन पर फायरिंग कर दी थी। भारत ने दोनों मरीन्स को पकड़ कर उन पर हत्या के आरोपों पर केस शुरू किया था। भारत का कहना था कि घटना उसके अधिकार क्षेत्र में है। हालांकि, मरीन्स को दोषी पाए मौत की सजा न देने की बात कही गई थी।

दूसरी तरफ इटली का कहना था कि शूटिंग अंतरराष्ट्रीय सीमा में हुई। इसलिए मरीन्स पर इटली में ही केस चलना चाहिए। इटली की तरफ से यह भी कहा गया कि मरीन्स ने मछुआरों की नावों को हटने की चेतावनी दी थी, लेकिन उन्होंने निर्देशों का पालन नहीं किया। दोनों मरीन्स को कुछ साल भारत में कस्टडी में रखा गया। हालांकि, बाद में उन्हें इटली को लौटा दिया गया। 2015 में भारत ने इस मामले को परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन के सामने रखा। पीसीए ने मामले में इस साल मई में ही फैसला सुरक्षित रख लिया था, हालांकि इसका ऐलान गुरुवार को हुआ।
 

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