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 डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही करें नींद की दवाइयों का सेवन

Chhattisgarh CFAR- द न्यूज़ इंडिया सामाचार सेवा 

 
कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद कोविड से संक्रमित हुए लोग और उनके तीमारदारों में चिंता, घबराहट और नींद की समस्या बढ़ गई है । कोरोना काल में लोगों के मन में भय ज्यादा है  जिसके कारण अनेक प्रकार की मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है । नींद ना आना भी एक प्रकार की मानसिक समस्या है । लोगों को अपने मन से इन परेशानियों एवं भय को दूर करना चाहिए और नींद ना आने की समस्या से निजात पाने के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के नींद की दवाइयों के उपयोग से बचना चाहिए। बिना डॉक्टरी सलाह के नींद की दवाओं का सेवन खतरनाक हो सकता है ।

स्पर्श क्लीनिक के मनोचिकित्सक डॉ.अविनाश शुक्ला ने बताया, "स्पर्श क्लीनिक की ओपीडी लॉक डाउन के समय भी नियमित रूप से  चल रही  है । यहाँ पर निशुल्क परामर्श और इलाज होता है तथा उपचार के लिए आए लोगों की  पहचान भी गुप्त रखी जाती है । कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद चिंता और नींद ना आने की समस्या में वृद्धि देखी गई है । नींद शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत आवश्यक है और कोविड-19 से संक्रमित हुए लोगों में नींद ना आने जैसी समस्या बढ़ गई है साथ ही संक्रमित हुए लोगों की तीमारदारी करने वाले लोग भी नींद ना आने की समस्या से परेशान हो रहे है" ।

बीते अप्रैल और मई में आंकड़े बताते हैं कि दो माह में कुल अवसाद के 36, चिंता/घबराहट के 48 और नींद ना आने  के 15 लोग परामर्श के लिये स्पर्श क्लीनिक आये थे । जिसमें अप्रैल में अवसाद  के 22, चिंता/घबराहट के 13 और नींद ना आने  के 5 लोगों ने उपचार लिया । वहीं मई में अवसाद  के 14, चिंता/घबराहट के 35 और नींद ना आने  के 10 लोग आये। लोगों में समस्या बढ़ने के साथ साथ एक और परेशानी है कि लोग बिना डॉक्टरी सलाह के दवाईयॉ ले लेते है जो लंबे समय में नुकसानदायक हो सकती है । मानसिक परेशानी में विषय विशेषज्ञ की सलाह बहुत जरूरी है। बिना उचित सलाह दवाओं के सेवन से बचें। राष्ट्रिय मानसिक स्वस्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत ज़िला अस्पताल पंडरी में स्पर्श क्लीनिक संचालित है । यहाँ सभी प्रकार के मानसिक रोग के साथ साथ नशा-मुक्ति तथा मिर्गी और मिग्राइन जैसी समस्याओं का भी इलाज नि:शुल्क होता है ।

नींद कितनी आना चाहिये ।

हर व्यक्ति को अपनी उम्र के अनुसार नींद लेनी चाहिए। एक से तीन माह के बच्चों को 17 से 19 घंटा तक सोता है । बच्चा इससे कम सोता है तो यह चिंता का विषय है।  शिशुओं को 12-15 घंटे की नींद लेनी चाहिए। यह अवधि 18 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए। 1 से 2 साल के बच्चे को 11 से 14 घंटे सोना चाहिए। इससे कम सोने पर शिशु बीमार पड़ सकता है। 3 से 5 साल के बच्चे को 10 से 13 घंटे की नींद लेनी चाहिए। 6 से 13 साल के बच्चे को 9 से 11 घंटे की नींद लेने हैं। किशोरावस्था में 8 से 10 घंटे की नींद इनके लिए सही होती है। 18 से 25 साल के व्यक्ति को 7 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिये। 25 से 65 साल के व्यक्ति को सात से आठ घंटे की नींद लेना चाहिये। नींद का अत्यधिक कम होना या ज्यादा होना शरीर पर बुरा प्रभाव डालता है और सामान्य रूप से इस से बचना चाहिए ।  छुट्टियों के दिन भी उठने और सोने का समय नियमित रूप से बाकी दिन जैसा ही रखें। इसके साथ नशीले पदार्थों के सेवन, मोबाइल फोन का अत्यधिक उपयोग, ज़रूरत से ज्यादा भोजन तथा चाय कॉफी का अत्यधिक सेवन भी नींद पर बुरा प्रभाव डालता है । अच्छी नींद के लिए नियमित व्यायाम करें, पौष्टिक भोजन लें, बेड रूम मे ज्यादा तेज़ रौशनी न रखें और मन को शांत करने वाले कार्य करें।

 

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