बच्चों में मानसिक बीमारियां एक आम समस्या, खुलकर बात करना जरूरी”
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों ने कार्यशाला के दौरान दिए उपयोगी टिप्स
बच्चों की परेशानियों को समझने और उनको नशा सेवन से दूर रखने की अपील
बलौदाबाजार : बच्चों में मानिसक बीमारियां होना आम है लेकिन इसकी समय से पहचान कर पाना एक चुनौति से कम नहीं है। बच्चों में मानसिक बीमारियों का कारण सिर्फ तनाव नहीं है बल्कि कई अन्य समस्याएं, नशा सेवन भी हैं। हालांकि दूसरी बीमारियों की तरह ही बच्चों में मानसिक बीमारियां भी ठीक की जा सकती हैं।
इसके लिए सबसे पहले बच्चों में मानसिक बीमारियां क्यों होती है, यह जानना जरूरी हैं, जिससे बच्चों की समय से मदद की जा सके। उक्त जानकारी चाइल्ड लाइन कार्यालय बलौदाबाजार में स्वास्थ्य एवं मनोवैज्ञानिक सहयोग व नशा मुक्ति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने दी।
स्वास्थ्य विभाग एवं सामाजिक संस्था गृहणी ( महिला एवं बाल विकास विभाग की चाइल्ड लाइन 1098 परियोजना अंतर्गत) द्वारा बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मानसिक स्वास्थ्य तथा नशा मुक्ति विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
जिसमें जिले के जिला नोडल अधिकारी डॉ. राकेश कुमार प्रेमी एवं जिला कार्यक्रम सलाहकार डॉ. सुजाता पांडेय ने मास्टर ट्रेनर के रूप में बच्चों की मानसिक बीमारियां और उन्हें दूर करने के उपायों पर विस्तार से चर्चा की।
साथ ही स्वास्थ्यगत एवं अन्य समस्याओं की वजह से बच्चों में नशाखोरी की आदत पर भी प्रकाश डाला गया। वहीं मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को पहचानने और उपचार शुरू करने के संबंध में भी जानकारी दी गई। सीएमएचओ डॉ. खेमराज सोनवानी के मार्गदर्शन में आयोजित कार्यशाला में गृहणी संस्था की रेखा शर्मा एवं विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
बच्चों में मानसिक अस्वस्थता - विशेषज्ञों ने बताया बच्चों में मानसिक अस्वस्थता कई तरह के हो सकते हैं। लेकिन कुछ सामान्य लक्षण होते हैं जिनके जरिए बच्चों की मानसिक बीमारियों की पहचान की जा सकती है।
जैसे - किसी बात को लेकर तनाव में रहते हुए नशीली दवाओं या एल्कोहल लेने की वजह से सामान्य व्यवहार का नहीं करना, दैनिक समस्याओं और गतिविधियों से निबटने में असमर्थता, नींद या खाने की आदतों में परिवर्तन होना, शारीरिक बीमारियों की अत्यधिक शिकायते, शारीरिक विकास का रूक जाना, बुरी आदतों का शिकार होना, स्कूल न जाना, चोरी करना या कीमती सामान को नुकसान पहुंचाना, नकारात्मक सोच का हावी होना, अत्याधिक गुस्सा करना, चिड़चिड़ाहट, स्कूल में बेहतर प्रदर्शन का दबाव,अच्छा प्रदर्शन करने पर कम अंक प्राप्त होना, दोस्तों का अमानवीय व्यवहार करना, ज्यादातर समय अकेला बिताना आदि। ऐसी समस्याओं को पहचान कर फौरन चिकित्सकीय परामर्श लें तो काफी हद तक बच्चों को मानसिक विकारों और नशा सेवन से बचाया जा सकता है।
खुलकर करें बात- डॉ. राकेश एवं डॉ. सुजाता ने संयुक्त रूप से बताया बच्चों में मानसिक बीमारियां होना एक आम समस्या है, जिसपर अपने परिवार और अपने डॉक्टर से खुल कर बात करनी चाहिए। कई मानसिक विकारों का प्रभावी ढंग से दवा, मनोचिकित्सा या दोनों के सयोंजन के साथ इनका इलाज किया जा सकता है। क्योंकि बच्चे जब मानसिक रूप से व्यथित होते हैं तभी वे असामान्य व्यवहार प्रदर्शित करते हैं और ऐसे में गलत संगत की वजह से वह नशे का सेवन करने के आदि हो जाते हैं।
साथ ही कई तरह के असामाजिक कार्य भी करने लगते हैं। हालांकि बच्चों में मानसिक बीमारियों को पहचानना माता-पिता और अन्य के लिए आसान नहीं हैं लेकिन कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखकर बच्चों की मदद कर सकते हैं। बच्चों में मानसिक बीमारियां होने पर तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए और डॉक्टर द्वारा बताए गए तरीकों के अनुसार ही बच्चों के साथ व्यवहार करना चाहिए।
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