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 कुष्ठ रोग से मुक्त लिये प्रचार प्रसार पर जोर
प्रदेश में कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिए ‘’स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’’ का आयोजन किया जा रहा है जिसके तहत ज़िले के विकासखण्ड आरंग, अभनपुर,धरसीवां और तिल्दा में प्रचार प्रसार कर कुष्ठ पहचान शिविर आयोजित किए जा रहे हैं ।
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साथ ही शहरी वार्ड और ग्राम पंचायत एवं आश्रित ग्रामों में ‘’स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’’ के लिये ग्राम सभा, भी आयोजित की जा रही है ।
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अभियान की जानकारी देते हुए नोडल अधिकारी डॉ.अनिल परसाई ने बताया,“महात्मा गांधी की पुण्य तिथि के उपलक्ष्य में 30 जनवरी से 13 फरवरी 2021 तक ”स्पर्श कुष्ठ जागरुकता पखवाड़े का आयोजन किया जा रहा है l
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लोगों तक कार्यक्रम की जानकारी पहुँचाने के लिए प्रचार प्रसार के माध्यम का सहारा लिया जा रहा ताकि इसके प्रति भय और भ्रांतियों को दूर किया जा सके।
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इसके लिए शहरी वार्डों एवं समस्त ग्राम पंचायतों में माइक्रो प्लान बनाकर प्रत्येक ग्राम सभा में स्वास्थ विभाग की ओर से बहुउद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता (एनएमए) महिला एवं पुरुष , मितानिने और  मितानिन प्रशिक्षक समस्त बहुउद्देशीय स्वास्थ्य पर्यवेक्षक (महिला एवं पुरुष) विभागीय कार्यकर्ताओं द्वारा ग्राम सभा में ‘’स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान’’विषय पर परिचर्चा की जा रही है ।
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कुष्ठ रोग उन्मूलन के लिये लक्ष्य प्रति दस हजार की जनसंख्या में एक या एक से कम लाने का प्रयास भी  किया जा रहा। इसके लिए कुष्ठ रोग विभाग की एनएमए की टीम घर-घर जाकर लोगों में लक्षण नजर आने पर जांच कर रही है ।
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साथ ही 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान को व्यापक स्तर से चलाने हेतु ग्राम सभाओं का आयोजन, वॉल पेंटिंग और प्रचार–प्रचार किया जा रहा है । इस दौरान अनिवार्य रूप से कोविड-19 गाइडलाइन का अनुपालन किया जा रहा है। 
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डॉ. परसाई ने कहा “कुष्ठ से प्रभावित दो तरह के मरीजों के होने की संभावना देखी जाती है। एक मल्टीबेसिलरी और दूसरा पोसिबेसिलरी। मल्टीबेसिलरी मरीज को 12 माह और पोसिबेसिलरी मरीज को छह माह तक दवा लेनी होती है।
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हमारे समाज में आज भी अंधविश्वास के कारण कई लोग पूर्व जन्म का पाप मानते हैं ऐसे छुपे हुए रोगी ही कुष्ठ रोग का प्रसार करते हैं, जबकि यह बीमारी एक जीवाणु (लेप्रा बेसीलाई) के कारण होता है।
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कुष्ठ रोग के कारण प्रभावित अंगों में अक्षमता एवं विकृति आ जाती है, इसलिए छुपे हुए केस को जल्दी से जल्दी खोज कर एवं जांच उपचार कर कुष्ठ रोग का प्रसार रोका जा सकता है और सामाज को कुष्ठ मुक्त कर सकते हैं”।
 




 

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