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 नशा मुक्ति को लेकर की गई समूह चर्चा
रायपुर : नशा मुक्ति एवं तंबाकू निषेध को लेकर मितानिन और स्वास्थ्य केंद्र पर आये लाभार्थियों समूह चर्चा (एफजीडी) की गई । समूह चर्चा का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू और नशे से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करना था ।
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इस अवसर परउपस्थित लोगों को मास्क और सेनेटाइज़र का वितरण भी किया गया साथ ही भारत सरकार द्वारा जारी कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन भी किया गया।
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समूह चर्चा के दौरान मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल ने कहा,“तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए घातक है। स्मोकिग से सबसे ज्यादा फेफड़ों के कैंसर होने की संभावना होती है। 
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इसलिए बेहतर स्वास्थ्य के लिए लोगों को तंबाकू का सेवन बिलकुल नहीं करना चाहिए । कोरोना के संक्रमण काल में चार बातों को जानना बेहद महत्वपूर्ण है ।
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तंबाकू या धुम्रपान से कोरोना का कनेक्शन यह है कि यह फेफड़ों को कमजोर करता है, जिससे वायरस का संक्रमण गंभीर हो सकता है । सिगरेट,सीगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वालों में कोविड-19 का रिस्क ज्यादा होता है
 
तंबाकू चबाने व सिगरेट पीने वालों में कोरोना हाथ से मुंह तक पहुंच सकता है । संक्रमित के तंबाकू चबाने के बाद थूकने पर वायरस अन्य लोगों को भी जकड़ सकता है” ।

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) भाटागांव के प्रभारी डॉ. किशोर सिन्हा  ने कहा,“गुटखा, तंबाकू व शराब आदि का सेवन करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को बढ़ावा मिलता है।
 
कुछ घंटों के शौक के लिए किये जाने वाले इस नशे से कैंसर हो सकता है साथ ही व्यक्ति बाद में आर्थिक रूप से भी बर्बाद होता है। बीमारी जड़ से भी खत्म होने की गारंटी नहीं होती। ऐसे में सभी को संकल्प लेना चाहिए कि नशे से दूर रहे और दूसरों को भी यह सलाह दें”।

समूह चर्चा के दौरान जिला सलाहकार डॉ. सृष्टि यदु ने सभी को तंबाकू का सेवन न करनेकी शपथ दिलाई, साथ ही कोटपा अधिनियम 2003 के बारे में जानकारी भी दी। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया,“छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन करते हैं।

यह देश की औसत 28.4 प्रतिशत से अधिक है। इसमें से 7 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र से पहले ही तम्बाकू का सेवन शुरू किया था। 29 प्रतिशत ने 15-17 वर्ष की उम्र से और 35.4 प्रतिशत ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया। यानी औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तंबाकू का सेवन शुरू किया था”।

जिला कार्यक्रम प्रबंधक रायपुर मनीष मेजरवार ने कहा, “स्वास्थ्य कर्मी व मितानिन गांवों के लोगों को जागरूक करें जिससे लोग तंबाकू से दूर हों। सिगरेट में निकोटिन सहित कई विषैले पदार्थ पाए जाते है।
 
जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी कई समस्या हो सकती है जिसके कारण बोलने की शक्ति, सुनने की क्षमता, आंशिक अंधापन की समस्या हो सकती है।

धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में स्ट्रोक होने की संभावना तीन गुना अधिक होती है”। नेहा सोनी सोशल वर्कर ने बताया,“तंबाकू में पाए जाने वाला ग्लूकोज आपके पाचन तंत्र को बिगाड़ सकता है।
 
जो बाद में डायबिटीज का कारण भी बन सकताहै। दरअसल धुएं में आर्सेनिक, फार्मलाडिहाइड और अमोनिया शामिल होते हैं। यह रसायन खून में शामिल होकर आंखों के नाजुक ऊतकों तक पहुंचते हैं जिससे रेटीना कोशिकाओं की संरचना को नुकसान होता है। अल्जाइमर का खतरा भी बढ जाता है”।

काउंसलर अजय कुमार बैस ने कहा,“नशा छुड़ाने का प्रयास किया जा सकता है।समय रहते नशा छोडने से मन और शरीर स्वस्थ रहता है। धूम्रपान करने वाले दोनों पुरुष और महिलाओं में डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग होने की संभावना अधिक होती है। इसमें मानसिक पतन का अनुभव भी कर सकते हैं। सिगरेट में मौजूद निकोटीन मस्तिष्क के लिए हानिकारक है और डिमेंशिया या अल्जाइमर रोग की शुरुआत करता है”।

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