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 गृहभ्रमण कर शिशुवतियों को कर रहीं जागरूक
नवजातों की देखभाल, पोषक आहार और स्तनपान की दी जा रही जानकारी

महासमुंद:  कोरोनावायरस से लोगों को बचाने के लिए फ्रंट लाइन वारियर्स के रुप में मितानिन सर्वे और स्वास्थ्य सुरक्षा के कार्य को क्रियांवित करने में जुटी हुई हैं। वह कोविड-19 से बचाव और खान-पान में सावधानी के जरूरी उपायों की जानकारी देने के लिए घर-घर में पहुंच रही हैं। साथ ही कोरोना के दौरान मां और बच्चे को कैसे स्वस्थ्य रखा जाए इसके लिए  गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं को जागरुक भी कर रही हैं। महासमुंद ब्लॉक बसना, सेक्टर भंवरपुर की मितानिन सुपरवाइजर आरती डडसेना घर-घर जाकर लोगों को कोविड से बचने के उपाय बता रही हैं। दूसरी ओर गृहभेंट कर शिशुवती माताओं को नवजात शिशुओं की देखभाल और स्तनपान कराने के बारे में जागरूक भी कर रही हैं।
गृहभ्रमण के दौरान सोमवार को आरती ने शिशुवती माता रमावती के घर पहुंच कर लगभग डेढ़ माह के शिशु का सुरक्षित रखरखाव किस प्रकार रखना है की जानकारी दी। साथ ही स्तनपान कराने के बारे में बताया। बच्चे को किस तरह से कपड़े पहनाना है, कैसे सफाई करनी है, खतरे के लक्षण कैसे पहचानने हैं और बच्चे को ठंड से बचाने के सम्बंध में जानकारी दी। उल्लेखनीय है नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-4 (एनएफएचएस-4)  2015-16 के अनुसार महासमुंद जिले में 75.7 प्रतिशत शिशु (6 महीने से कम उम्र के बच्चे) विशेष रूप से स्तनपान करते हैं।

6 माह तक सिर्फ मां का दूध - आरती ने शिशुवती माता को बाहरी दूध की बजाए सिर्फ मां का दूध ही 6 माह तक देने की सलाह दी। साथ ही यह भी बताया कि बच्चे को 6 माह तक माँ के दूध के अतिरिक्त पानी भी नहीं देना है क्योंकि माँ के दूध में पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता होती है। मां को पर्याप्त दूध हो इसके लिए क्या खाना बेहतर होता है, इसकी जानकारी भी मितानिन ने दी। उन्होंने शिशुवती माता को  खानपान सुधारने एवं अपने भोजन में जरूरी पोषक तत्वों को शामिल करने की सलाह परिवार के अन्य महिला सदस्यों को भी दी। शिशुवती माता रमावती ने बताया सीजेरियन डिलवेरी की वजह से बच्चे को स्तनपान कराने में उन्हें दिक्कतें आ रही थीं। मां का दूध पर्याप्त नहीं आने से बच्चे का पेट भी पूरा नहीं भरता इसलिए रमावती ने शिशु को बाहरी दूध देना शुरू किया था।

6 माह तक मां का दूध इसलिए है जरूरी- शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है बाल्यकाल में होने वाली निमोनिया बीमारी को रोकने में माँ का दूध बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है। केवल स्तनपान ही बच्चों को अनेक प्रकार के रोगों से विशेषकर निमोनिया से लड़ने की क्षमता प्रदान कर सकता है। माँ के दूध में सभी तरह के जरूरी पोषक तत्व जैसे – एंटी बाडीज, हार्मोन, प्रतिरोधक कारक और ऐसे आक्सीडेंट पूर्ण रूप से मौजूद होते हैं, जो नवजात शिशु के बेहतर विकास और स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। साथ ही इम्यूनोग्लोबिन, प्रतिरोधक तत्व भी प्रदान करता है। इन तत्वों से शिशुओं को रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है तथा बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी वृद्धि होती है।

दूध के अतिरिक्त पोषण आहार भी जरूरी - मितानिन आरती डडसेना का कहना है कि 6 माह के पश्चात बच्चे को पूरक पोषाहार की आवश्यकता होती है। इसकी पूर्ति के लिए बच्चे के खाने में पर्याप्त खाद्य पदार्थों को शामिल करने को लेकर वीडियो के माध्यम से जानकारी दी। बच्चे की बढती उम्र के साथ समग्र विकास के लिए सभी पोषक तत्वों का भोजन में समावेश होना नितांत ही आवश्यक है। शिशुवती माताओं को सही आहार व पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए बच्चों को छः माह तक केवल स्तनपान कराने के लिए समझाया जा रहा है।

कई शिशुवती हुई हैं लाभान्वित- मितानिन आरती डडसेना ने बताया कोविड काल के दौरान स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति भी लोगों को जागरूक करना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया है। घर भ्रमण के दौरान कई शिशुवती माताओं को खानपान और शिशु के रख-रखाव के बारे में बताया गया। उन्होंने बताया महिलाओं को स्तनपान से जुड़ी सभी बातों के चित्र दिखाकर समझाया जाता है । शिशुवती को मां के दूध बनने के लिए शरीर को जरुरत पड़ने वाले तत्वों व समय-समय पर आहार की प्रक्रिया व मां का सही रूप से बैठकर बच्चे को छाती से लगाकर दूध पिलाने की विधि बताई गई। इससे बच्चे को स्तनपान से वंचित होने से बचाया गया है। गांव की शिशुवती माताएं बच्चों के लालन-पालन को लेकर जागरूक हैं।
 

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