क्या कच्चा दूध आपके लिए सुरक्षित है? जानें 5 साइड इफेक्ट्स
5 Side Effects of Raw Milk : दूध एक ऐसी चीज है, जिसका प्रयोग भारतीय भोजन में सदियों से किया जा रहा है. भगवान श्री कृष्ण के गौ-प्रेम से लेकर दूध-दही और माखन खाने तक की कहानियां हम अनंत काल से सुनते आ रहे हैं. शाकाहारियों के लिए दूध प्रोटीन और कैल्शियम का बड़ा सोर्स होता है. जानवरों से मिलने वाला ये पोषक तत्व सदियों से हम इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन दादी-नानी हमेशा दूध को उबालकर ही इस्तेमाल करने की बात कहती थीं. यूं तो कच्चे दूध का जिक्र आते ही हमें इसके नेचुरल और ऑर्गेनिक होने का एहसास होता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसमें कई खतरनाक बैक्टीरिया भी छिपे हो सकते हैं? कच्चा, बिना पाश्चराइज किया हुआ दूध (जो सीधे गाय, भेड़, या बकरी से आता है) हानिकारक बैक्टीरिया और कीटाणुओं से भरा हो सकता है, जो हमारे शरीर के लिए बड़े जोखिम का कारण बन सकते हैं.
पाश्चराइजेशन, एक हीटिंग प्रोसेस है जिससे दूध के सभी हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं और दूध पीने योग्य बनता है. लेकिन कच्चा दूध इस प्रोसेस को स्किप कर देता है, जो इसे बेहद खतरनाक बना सकता है. आइए जानें, कच्चा दूध पीने के साइड इफेक्ट्स और पाश्चराइजेशन क्यों जरूरी है.
1. फूड पॉइज़निंग के लिए रिस्की
कच्चे दूध में सल्मोनेला, ई. कोलाई और कैंपिलोबैक्टर जैसे खतरनाक बैक्टीरिया होते हैं. ये बैक्टीरिया फूड पॉइज़निंग का कारण बन सकते हैं, जिससे आपको मितली, दस्त, पेट दर्द और बुखार जैसे लक्षण हो सकते हैं. CDC (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल) की रिपोर्ट के अनुसार, कच्चे दूध से कई फूडबॉर्न बीमारियों के फैलने की घटनाएं हो चुकी हैं. खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए, यह समस्याएं गंभीर रूप ले सकती हैं.
2. गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक
गर्भवती महिलाओं के लिए, कच्चे दूध का सेवन और भी जोखिम भरा होता है. इसमें मौजूद लिस्टेरिया बैक्टीरिया (Listeria) गर्भावस्था में लिस्टेरियोसिस नामक गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है. इससे मिसकैरेज, प्री-मेच्योर डिलीवरी, या बच्चे का स्टिलबर्थ हो सकता है.
3. कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए गंभीर बीमारियों का खतरा
जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जैसे HIV/AIDS मरीज, कैंसर के मरीज, या बुजुर्ग, उनके लिए कच्चे दूध का सेवन और भी खतरनाक हो सकता है. कमजोर इम्यून सिस्टम के कारण ये लोग आसानी से बैक्टीरियल इंफेक्शंस का शिकार बन सकते हैं, जो कि अस्पताल में भर्ती होने या कभी-कभी मृत्यु का कारण भी बन सकते हैं.
4. लंबे समय तक चलने वाली बीमारियों का रिस्क
कुछ मामलों में, कच्चे दूध के बैक्टीरिया के कारण लंबे समय तक चलने वाली गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, कैंपिलोबैक्टर इंफेक्शन से गिलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) नामक बीमारी हो सकती है. इसमें इम्यून सिस्टम नर्व्स पर हमला करता है, जिससे लकवा जैसी स्थिति भी हो सकती है.
5. बच्चों के लिए हाई रिस्क
बच्चों का इम्यून सिस्टम अभी विकसित हो रहा होता है, इसलिए उनके लिए कच्चा दूध पीना बेहद खतरनाक हो सकता है. CDC की रिपोर्ट में बताया गया है कि कच्चे दूध से होने वाले फूडबॉर्न इंफेक्शंस बच्चों और टीनेजर्स को अधिक प्रभावित करते हैं. छोटे बच्चों में इस प्रकार के बैक्टीरियल इंफेक्शंस जल्दी गंभीर स्थिति में पहुंच सकते हैं, जिसके चलते अस्पताल में भर्ती होना भी पड़ सकता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल से कम उम्र के बच्चे फूड पॉइज़निंग से सबसे जल्दी प्रभावित होते हैं, इसलिए उनके लिए केवल पाश्चराइज्ड दूध देना सबसे सेफ होता है.
क्यों जरूरी है दूध का पाश्चराइजेशन?
पाश्चराइजेशन, फ्रेंच वैज्ञानिक लुई पाश्चर द्वारा डेवलप किया गया एक प्रोसेस है. इसमें दूध को एक निश्चित तापमान पर गर्म किया जाता है ताकि सभी हानिकारक बैक्टीरिया खत्म हो जाएं और दूध सुरक्षित हो सके. कुछ लोग मानते हैं कि कच्चे दूध में पोषक तत्व अधिक होते हैं, लेकिन पाश्चराइजेशन से इन पोषक तत्वों पर बहुत कम असर पड़ता है. पाश्चराइजेशन एक ऐसा स्टेप है जिसने अनगिनत लोगों की जानें बचाई हैं और दूध को सुरक्षित बनाने में अहम भूमिका निभाई है (एजेंसी)
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