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कोरबा :  सफलता की कहानी  : पहले कर्जा चुकाया, फिर बाईक खरीदी, बेटियों को पढ़ाया, अब व्यवसाय बढ़ाने की योजना
पानी की रानी ने बदली वीर सिंह की जिंदगानी 

कोरबा : कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के सीपत गांव में रहने वाले किसान वीर सिंह की जिंदगी पानी की रानियों ने बदल दी है। कभी कर्जे में डूबे वीर सिंह ने राज्य शासन के मछली पालन विभाग की सरकारी योजनाओं और तकनीकी सलाह से मछलियों की खेती कर पहले अपना कर्जा चुकाया, फिर नई बाइक खरीदी।
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अपनी बेटियों को डोंगातराई के डीएव्ही स्कूल में दाखिल कराया और अब मछली पालन के व्यवसाय को आगे बढ़ाने की योजना बनाई हैं। मछली पालन से मिली आय ने वीर सिंह और उसके परिवार की जिंदगी में यू-टर्न ला दिया है। मछली पालन के साथ-साथ सब्जी की खेती, मुर्गी पालन भी वीर सिंह ने शुरू किया है। अब इस व्यवसाय को समन्वित रूप से आगे बढ़ाने के लिए पोल्ट्री और बतख पालन की भी बड़ी योजना वीर सिंह ने बना ली है।
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अपनी जुबानी वीर सिंह बताते हैं कि उनके पास अपने पुर्खों का 0.4 हेक्टेयर पुश्तैनी तालाब था जिस पर वे मछली पालन किया करते थे। इसके साथ ही सात एकड़ की जमीन थी जिस पर मानसून आधारित खेती भी होती थी। उत्पादन कम होने से आर्थिक तंगी थी। दो बेटों और दो बेटियों के परिवार की जरूरतें पूरी करने कई बार कर्जा लेना पड़ता था।
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ऐसे में मछली पालन विभाग के अधिकारियों से सलाह के बाद शासकीय अनुदान पर 0.5 हेक्टेयर का तालाब और तीन पोखर बनाकर वीर सिंह मछली पालन से जुड़ गये। विभागीय अधिकारियों ने तकनीकी सलाह दी और मछली पालन तथा मछली बीज उत्पादन से वीर सिंह का व्यवसाय चल निकला। पिछले दो सालों में वीर सिंह ने केवल मछलियों से ही लगभग तीन लाख रूपये की आय अर्जित कर ली है।

वीर सिंह बताते हैं कि मछली पालन का व्यवसाय मेरे और मेरे परिवार के लिए वरदान साबित हुआ है। पिछले तीन सालों से चढ़े कर्जे को वीर सिंह ने इस आय से अब चुका दिया है। पिछले वर्ष ही 75 हजार रूपए की नई मोटर साइकिल और कुंए से पानी निकालने के लिए नया पंप भी खरीदा है। मोटर साइकिल व पम्प से मछली पालन के व्यवसाय में अच्छी मदद हो जा रही है।

वीर सिंह ने अपनी दो बेटियों को डोंगातरई के डीएव्ही स्कूल में पढ़ाने के लिए कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं में दाखिल भी कर दिया है। इस वर्ष उन्होंने अपने खेत के पोखर के आसपास गोभी व टमाटर की खेती कर 30-40 हजार रूपये की अतिरिक्त आमदनी भी प्राप्त की है।

वीर सिंह की योजना अब इस व्यवसाय को समन्वित खेती के रूप में विकसित करने की है। उन्होने इस दिशा में कदम भी बढ़ा दिये हैं। 500 मुर्गी-चुजे से वीर सिंह ने मछली पालन के साथ-साथ कुक्कुट पालन का व्यवसाय भी शुरू कर दिया है। आने वाले दिनों में पोल्ट्री और बतख पालन को भी मछली पालन से जोड़कर प्रति हेक्टेयर मछली उत्पादन बढ़ाने की वीर सिंह की योजना है। 

वीर सिंह के अनुसार इस वर्ष उन्होंने अपने तालाबों में मछली पालन विभाग द्वारा मिली मेजर काॅर्प, काॅमन काॅर्प, ग्रास काॅर्प, पंगेशियस, मांगुर आदि मछलियों के बीज संवर्धन और पालन किया है। इस वर्ष मछली बीजों को बेचकर ही अभी तक वे 40 हजार रूपए कमा चुके हैं। कोरोना संक्रमण के कारण लाॅकडाउन के चलते मछली बीज बेचना प्रभावित हुआ है, तो वीर सिंह ने अब लगभग 10 हजार बीज को बड़ा कर टेबल फिश तैयार कर तीन लाख रूपये तक की आय प्राप्त करने की योजना पर भी अमल शुरू कर दिया है। उनकी इस योजना से अगले तीन वर्षों तक तीन-तीन लाख रूपए की आय की संभावना है।

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